Tuesday 28 March 2023

खुजली होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-*

: *NONI का शाब्दिक तातपर्य..*
*N- NO*
*O- OPERATION*
*N- NO*
*I- INJECTION*
नोनी किसी भी मर्ज की दवाई नहीं है लेकिन हर मर्ज की दवा नोनी ही है सिर्फ किडनी समस्या को छोड़ कर।
*पेश है...*
*NATURE'S NONI JUICE.. नेचर्स नोनी जूस*
          

*यक्ष प्रश्न...*                                      *क्या आपको आपके परिवार की सेहत की चिंता है ?*

*नेचर नोनी जूस* से होने वाले लाभ:-
1. स्वेत प्रदर (लीकोरिया) को दूर करता है।
2. स्वेत प्रदर से होने वाले क़मर दर्द तथा अन्य रोगों को दूर करता है।
3. पेट को साफ करता है।
4. चेहरे पे चमक लाता है।
5. शरीर में आवश्यक तत्वों को जेसे कैल्सियम, फास्फोरस, विटामिन, प्रोटीन अदि तत्वों की पूर्ती करता है।
6. *नेचर नोनी*  के सेवन से कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।
7. एक्जीमा, मुंहासों और सोरियासिस को ठीक करता है। 
8. जोड़ों के दर्द को ठीक करता है।
9. शरीर की अकड़न को दूर करना।
10. माइग्रेन और हाई ब्लडप्रेशर की समस्या को ठीक करता है।
11. यदि आप मधुमेह से परेशान हैं तो डिवाइन नोनी*  का सेवन करें। ये ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करता है।
12. बालों की हर तरह की समस्या जैसे गंजापन और रूखापन दूर करता है ।

*
13. दस्त और कब्ज की समस्या को दूर करता है।
14. सांस से संबंधित रोग जैसे अस्थमा जैसी बीमारियों को ठीक करता है।
15. माइग्रेन जैसी गंभीर समस्या को खत्म करता है ।
16. महिलाओं में माहवारी की समस्या ठीक करता है ।
17. दमा (Asthma)
18. मधुमेह (Diabetes)


19. वायरल बुखार (Viral Fever)
20. खसरा (Measles)
21. बदहज़मी (Gastric Problem)
22. गठिया (Gout)
23. पीला बुखार (Yellow Fever)
24. फाइलेरिया (Elephantiasis) 9661906942
25. अपच (Indigestion)
26. घुटनों का दर्द (Knee Pain)
27. कुष्ठरोग (Leprosy)
28. अग्नाशयशोथ (Pancreatitis)
29. जापानी इन्सेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis)
30. माइग्रेन (Migraine)
31. निमोनिया (Pneumonia)
32. एनोरेक्सिया (Anorexia)
33. दर्द (Pain)
34. अनिद्रा (Insomnia)
35. हर्निया (Hernia)
36. स्पोंडिलोसिस (Spondylitis)
37. लीवर कैंसर (Liver Cancer)
38. कमर दर्द (Back Pain)
39. सीने में दर्द (Chest Pain)
40. फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer)
41. थकान (Fatigue)
42. खून का थक्का (Blood Clotting)
43. मांसपेशियों में दर्द (Muscle Pain)
44. प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer)
45. हैपेटाइटिस (Hepatitis)
46. पीले दाँत (Yellow Teeth)
47. टी. बी. (Tuberculosis)
48. फ्रोज़न शोल्डर (Frozen Shoulder)
49. सरवाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical Sypondolysis)
50. वातविकार (Dyslexia)


51. पित्ताशय की पथरी (Gallstones)
52. रेबीज (Rabies)
53. जुकाम (Common Cold)
54. बुखार (Fever)
55. गले में खराश (Sore Throat)
56. उबकाई (Nausea)
57. अफारा (Flatulence)
58. चिकनगुनिया (Chikungunya)
59. आत्मविमोह (Autism)
60. खून की कमी (Anemia)
61. डिमेंशिया (Dementia)
62. टाइफाइड (Typhoid)
63. जूँ (Lice)
64. कब्ज (Constipation)
65. उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
66. दांत का दर्द (Toothache)
67. डेंगू (Dengue)
68. मलेरिया (Malaria)
69. छींकना (Sneezing)
70. हाइपोथाइराइड (Hypothyroid)
71. ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)
72. ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)
73. सिरदर्द (Headache)
74. ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
75. इबोला विषाणु रोग (EVD) (Ebola)
76. लू लगना (Heat Stroke)
77. छोटे स्तन (Small Breast)
78. बालों का झड़ना (Hair Fall)
79. मिरगी (Epilepsy)
80. कद बढ़ाना (Height Gain)
81. गुर्दे की पथरी (Kidney Stone)
82. रूसी (Dandruff)
83. हार्ट अटैक (Heart Attack)
84. सोरायसिस (Psoriasis)
85. स्वाइन फ्लू (Swine Flu) 9661906942
86. स्किन कैंसर (Skin Cancer)
87. मुंहासे (Pimples)
88. गंजापन (Baldness)
89. डीहाइड्रेशन (Dehydration)
90. घमौरियां (Prickly Heat)
91. स्कर्वी (Scurvy)
92. बेरीबेरी (Beriberi)
93. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile Dysfunctions)
94. शीघ्रपतन या प्रीमेच्योर इजैकुलेशन (Premature Ejaculation)
95. पिलाग्रा (Pellagra)
96. रिकेट्स (Rickets)
97. घेंघा (Goiter)
98. मोटापा (Obesity)
99. डार्क सर्कल - आखों के नीचे के काले घेरे (Dark Circle)
100. इचिंग या खुजली (Itching)
101. गले में दर्द (Throat Ache)
102. ज्वाइंट पेन- जोड़ों में दर्द (Joint Pain)
103. लूज मोशन- दस्त (Loose Motion)
104. पेट दर्द (Stomach Ache)

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Kaushal

105. तनाव- स्ट्रैस (Stress)
106. दुबलापन (Leanness Or Weight Gain)
107. एसिडिटी या अम्लपित्त (Acidity)
108. एलर्जी (Allergy)
109. मोतियाबिंद- केटेरेक्ट (Cataract)
110. सर्दी और कफ (Cough And Cold)
111. टिटनस (Tetanus)
112. मोच (Sprains)
113.उच्च रक्तचाप या लो ब्लडप्रेशर (Low Blood Pressure & High B.P.)
114. सफेद बाल- ग्रे हेयर (Grey Hair)
115. हड्डी फ्रैक्चर या हड्डी का खिसकना (Bone Fracture Or Dislocation)
116. हैजा (Cholera)
117. जर्मन मीजल्स या रूबेला (German Measles)
118. इन्फ्लूएंजा (Influenza)
119. मेनिनजाइटिस (Meningitis)
120. हार्ट ब्लॉकेज (Heart Blockage)
121. कान में संक्रमण (Ear Infection)
122. डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy)
123. ग्लूकोमा (Glaucoma)
124. बवासीर (Piles)
125. आंखों का इंफेक्शन (Eye Infection)
126. पीलिया (Jaundice)
127. दूरदर्शिता या दूरदृष्टि दोष (Hyper Myopia)
128. मुंह के छाले (Mouth Ulcer)
129. अल्सर (Ulcer)
130. डायरिया (Diarrhea)
131. सुस्ती (Lethargy)
132. मस्तिष्क का दौरा (Cerebral Stroke)
133. मायोपिया (Myopia)
134. खर्राटे लेना (Snoring)
135. सनबर्न (Sunburn)
136. गलसुआ (Mumps)
137. काली खांसी (Whooping Cough)
138. प्रोस्टेट डिस्ऑर्डर (Prostate Disorder)
139. एड्स (AIDS)
और भी कई, करीबन 600+ बीमारियों को शरीर में होने से बचाव करता है। यदि कोई किसी भी बीमारी से ग्रस्त है तो 
*नेचर्स नोनी* बीमारी को बखूबी से ठीक करता है और सारी बीमारियों से दूर भी रखता है।

जी हां मित्रो उपरोक्त सभी गुणों से परिपूर्ण है *नेचर्स नोनी*
यह पूर्णतः प्राकृतिक है और इससे  किसी भी प्रकार का कोई भी  नुकसान नहीं है।

*घर का डॉक्टर,*
*घर की चीजों से बना...*
•••••••••••••••••••
*कायाकल्प चूर्ण*
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*निरोगी, स्वस्थ, सुखमय एवं सुरक्षित जीवन के लिए अपनाइये...*
*प्रोडक्ट कोड 1/10/KK*
*🤗काया कल्प चूर्ण🤗*
*_"हर उम्र के लिए"_*
*लेकिन क्यों..?*
*30 पार करते करते हवा, पानी और भोजन का प्रदूषण हमारे शरीर की इम्युनिटी को कमजोर करना शुरू कर देता है..*
*विशेषतः आज आज के माहौल की वजह से पूरी दुनियां एक अनजाने भय के बीच मे जी रही है।*
*पूरा विश्व एक ही बात पर जोर दे रहा है कि अपनी इम्युनिटी बढ़ाइये या अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाइये।*
*अभी तक कोई भी वैक्सीन नहीं बन पाई है लेकिन भारत एक प्राकृतिक धन संपदा सम्पन्न देश है जहां पर हर रोग का प्राकृतिक निदान पहले से ही हो रखा है।*
*अगर आप प्राकृतिक आपदा या कहर से बचना चाहते हैं तो घबराने की कोई बात नहीं, हमारा अद्भुत जादुई काया कल्प चूर्ण पर्याप्त है क्योंकि...*
*_स्वस्थ रहना सबकी मूलभूत आवश्यकता है_*

*अगर आप डाक्टरों के चक्कर लगा लगा के परेशान हो चुके हैं तो एक बार ज़रूर पढ़ें फिर आजमा के देखें, आप मायूस नही होंगे..*

*जानिये ऐसा क्यूं होता है..?*
*हमारा शरीर, पंचतत्व...*
*✅ भूमि,*
*✅ गगन,*
*✅ वायु,*
*✅ अग्नि एवं*
*✅ जल के* *सामंजस्य एवं योग से निर्मित होकर काया कल्प चूर्ण शरीर के वात, पित्त और कफ को बैलेंस करके स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है।*

*घरल या घराट पद्धति से निर्मित चूर्ण, वो करिश्मा है जिसे आज नहीं तो कल लेना ही होगा, कारण एलोपैथी के साइड इफेक्ट। क्योंकि ये हमारी जरूरत भी है और समय की पुकार भी है।*
*😢काया कल्प चूर्ण😊*

*हज़ारों वर्ष पुराना नुस्खा आपकी जिंदगी की खुशियां दुबारा पा सकते हैं.!*

*लाख दवा की एक दवा,*
*थोड़ा जल्दी असर करने वाली,*
*हर मुश्किल का हमसफ़र,*
*जीवन वर्धक, रोग हर्ता, विघ्न विनाशक चमत्कारिक...*
*😢कायाकल्प चूर्ण😊*

*काया कल्प चूर्ण लेने से क्या होगा..??*
*रात को सोते समय एक छोटी चम्मच (सिर्फ 5 ग्राम) काया कल्प चूर्ण, हल्के गर्म पानी के साथ लेना है।*

*ये चूर्ण 10 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी ले सकता है।*

*रोज़ाना लेने से शरीर के कोने कोने में लगातार जम रही गंदगी और कचरा, मल और पेशाब द्वारा बाहर निकल जाएगी।*

*पूरा फायदा तो 80-90 दिन में महसूस करेगें, जब फालतू चरबी गल जाएगी, नया शुद्ध खून का संचार होगा।*

*हर प्रकार का ब्लोकेज खुल जायेगा।*

*चमड़ी की झुर्रियां अपने आप दूर हो जाएगी।*

*शरीर तेजस्वी, स्फूर्तिवाला व सुंदर बन जायेगा।*

*अनिवार्य...*
*दिन में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी पीना है।*

*"काया कल्प चूर्ण के अद्भुत फायदे..."*
*1. गठिया तो दूर होगा ही साथ मे गठिया जैसे जिद्दी रोग भी दूर हो जाएंगे।*
*2. हड्डियां मजबूत होगी।*
*3. आंखों की रोशनी बढ़ेगी।*
*4. बालों का विकास होगा।*
*5. पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति मिलेगी।*
*6. शरीर में खून जवानों की तरह दौड़ने लगेगा।*
*7. कफ से मुक्ति मिलेगी।*
*8. हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी।*
*9. थकान जरा सी भी नहीं रहेगी, घोड़े की तरह दौड़ने लग जाएगें।*
*10. स्मरण शक्ति बढ़ेगी।*
*11. स्त्री का शरीर, शादी और बच्चों के बाद हुआ बेडोल की जगह स्लिम, ट्रिम और सुंदर बनेगा।*
*12. कानों का बहरापन दूर होगा।*
*13. पहले ली हुई एलोपैथी दवाओं के साईड इफेक्ट्स से मुक्त हो जायेंगें।*
*14. खून में सफाई और शुद्धता बढ़ेगी।*
*15. शरीर की सभी खून की नलिकायें शुद्ध हो जाएगी।*
*16. दांत मजबूत बनेगें और इनेमल जींवत रहेगा।*
*17. नपुसंकता जड़ से दूर होगी।*
*18. डायबिटिज काबू में रहेगी, डायबिटीज की जो दवा लेते है वह चालू रखना है।*

*जरूरी जानकारी..*
*कायाकल्प चूर्ण का असर 30-40 दिन तक लेने के बाद दिखने लगेगा।*

*आपका जीवन... निरोग, आनंददायक, चिंता रहित, स्फूर्ति दायक और आयुष्यवर्धक बनेगा।*

*जीवन जीने योग्य बनेगा क्योंकि बुढ़ापा, बुढ़ापे की समस्याएं और टेंशन से दूर रहेगा।*




*नेचर 2 वेलनेस आपके लिए लेकर आये हैं चिलचिलाती गर्मी का आसान समाधान...*

*नवरात्रि स्पेशल ऑफर*
*दो के साथ एक फ्री*
*सिर्फ शनिवार तक*
*सिर्फ ₹550/- में 3*
*कोरियर सेवा मुफ्त*

*"नेचर्स ऊर्ज़ा (एनर्जाइज़र)"*
*एक त्वरित ऊर्जा सूत्र*
*जो मांसपेशियों की कोशिकाओं को रिचार्ज करने में मदद करता है,*
*थकान की सीमा में सुधार करता है,*
*शरीर की भड़काऊ प्रतिक्रिया को मजबूत करता है और*
*ऊर्जा का निर्माण करता है।*
*बीपी को नार्मल करता है।*

*हमारे अद्भुत "ऊर्ज़ा" एनर्जाइज़र फॉर्मूलेशन में अवयवों की भूमिका...*

*(1). स्टार्च मकई (डेक्सट्रोज और सुक्रोज)*
डेक्सट्रोज क्या है?
डेक्सट्रोज स्टार्च से बनी एक साधारण चीनी है। स्टार्च मकई, गेहूं, चावल और आलू सहित कई पौधों में पाया जाने वाला प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जटिल कार्बोहाइड्रेट है।
डेक्सट्रोज का सबसे आम स्रोत मकई स्टार्च है।

डेक्सट्रोज को डी-ग्लूकोज के नाम से भी जाना जाता है। 
डेक्सट्रोज आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को तेजी से बढ़ाकर काम करता है।
ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जैसे ब्रेड, अनाज, आलू, फल, पास्ता और चावल। ग्लूकोज ऊर्जा का एक स्रोत है, और आपके शरीर में सभी कोशिकाओं और अंगों को ठीक से काम करने के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है।

डेक्सट्रोज का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति को कार्बोहाइड्रेट कैलोरी प्रदान करने के लिए भी किया जाता है जो बीमारी, आघात या अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण नहीं खा सकता है। यह कभी-कभी उन लोगों को दिया जाता है जो बहुत अधिक शराब पीने से बीमार हो जाते हैं।
*आहार अनुपूरक*
डेक्सट्रोज स्टार्च से बनी एक साधारण चीनी है।
स्टार्च मकई, गेहूं, चावल और आलू सहित कई पौधों में पाया जाने वाला प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जटिल कार्बोहाइड्रेट है। डेक्सट्रोज का सबसे आम स्रोत मकई स्टार्च है।

डेक्सट्रोज, जब एक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है, या तो मुंह से (मौखिक रूप से) या इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। डेक्सट्रोज को डी-ग्लूकोज के नाम से भी जाना जाता है।

डेक्सट्रोज आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को तेजी से बढ़ाकर काम करता है। ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जैसे ब्रेड, अनाज, आलू, फल, पास्ता और चावल। ग्लूकोज ऊर्जा का एक स्रोत है, और आपके शरीर में सभी कोशिकाओं और अंगों को ठीक से काम करने के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है।

डेक्सट्रोज का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति को कार्बोहाइड्रेट कैलोरी प्रदान करने के लिए भी किया जाता है जो बीमारी, आघात या अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण नहीं खा सकता है। यह कभी-कभी उन लोगों को दिया जाता है जो बहुत अधिक शराब पीने से बीमार हो जाते हैं।

डेक्सट्रोज का उपयोग हाइपरक्लेमिया (आपके रक्त में पोटेशियम के उच्च स्तर) के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।

*चेतावनी*
यदि आपको मकई से एलर्जी है, तो आपको डेक्सट्रोज से एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है। इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

सुक्रोस खनिज लोहे का एक रूप है। आयरन विशेष रूप से रक्त में ऑक्सीजन के परिवहन के लिए शरीर में कई कार्यों लिए महत्वपूर्ण है। आयरन सुक्रोस इंजेक्शन गुर्दे की बीमारी के साथ लोगों में लोहे की कमी से एनीमिया के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
यह आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है।

3 बड़े चम्मच पूर्ण 15 ग्राम (लगभग) की एक खुराक कार्बोहाइड्रेट से 57.6 कैलोरी प्रदान करती है।

डेक्सट्रोज (स्टार्च मकई) आसानी से आत्मसात होकर घुल जाता है और थकान को दूर करने के लिए ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।
सुक्रोज से फ्रुक्टोज और ग्लूकोज प्रत्येक का एक अणु प्राप्त होता है।

*(2). जिंक सल्फेट*
ज़िंक से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। जिंक की कमी होने पर इम्यूनिटी, थकान और वजन घटना शुरु हो जाता है।

जिंक जिसे हिंदी में जस्ता (Zinc) कहते हैं एक ऐसा खनिज या मिनरल है जो आपकी इम्यूनिटी को मजबूत (Strong Immunity) बनाता है।
हमारा शरीर जिंक नहीं बनाता इसके लिए हमें जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ (Foods For Zinc) या सप्लीमेंट का सेवन करना होता है।
दैनिक कार्यों को सुचारु रुप से करने के लिए जिंक जरूरी है।
जिंक से न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि ब्लड शुगर को कंट्रोल करने (Blood Sugar Level), हार्ट को हेल्दी बनाने (Heart) और स्किन और हेयर का ख्याल रखने के लिए भी ज़िंक जरूरी है।
शरीर में डीएनए (DNA) के निर्माण में भी ज़िंक अहम होता है।
आप डाइट में ऐसी चीजों को शामिल कर सकते हैं जिससे ज़िंक की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है।

 एक सर्विंग से 3.2 ग्राम एलिमेंटल जिंक मिलेगा, जो दैनिक आहार आवश्यकताओं का आधा है।
 जिंक न्यूक्लोइक एसिड संश्लेषण घावों के उपचार और ऊर्जा के हस्तांतरण के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है।
 जिंक स्वाद संकाय में भी सुधार करता है और इस प्रकार स्वास्थ्य लाभ के दौरान भोजन की इच्छा को बढ़ाता है।

*(3). एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन-सी)*
एस्कॉर्बिक एसिड शुद्ध विटामिन सी है, जो शरीर के लिए फायदेमंद एक आवश्यक पोषक तत्व है।
यह त्वचा की मरम्मत और पोषण करने में मदद करता है।
यह त्वचा की मजबूती और एक एंटी-एजिंग है। स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखना और विकसित करना।

 एक सर्विंग इस महत्वपूर्ण पानी में घुलनशील विटामिन का 15mg प्रदान करता है, जो दैनिक आहार एस्कॉर्बिक एसिड है जो तनाव और तनाव, वृद्धि और शरीर के गठन के खिलाफ समायोजित करने में मदद करता है और फागोसाइटोसिस में सुधार करता है जिससे संक्रमण के प्रतिरोध में वृद्धि होती है।

*मात्रा 200 ग्राम*

*एमआरपी ₹275/-*

एक सर्विंग 15 ग्राम
दिन में एक या दो बार और जरूरत पड़ने पर कभी भी।





*सबसे पहले इस आर्टिकल को पढ़ें फिर पुष्टि करें, उसके बाद अगर सच लगे तो ही विश्वास करें।*

*मेरा प्रयास जागरूकता फैलाना है न कि मेरा कोई इरादा जबरदस्ती मनवाने का बिल्कुल नही है।*

*सावधान... सरकारें सालों से रोज़ दे रहीं हैं आपको मीठा जहर.!*
निकाला था, चोरी-छिपे जनसंख्या वृद्धि रोकने का  अदभुत तरीका..!

सावधान आपके खाने और दवाइयों में साइनाइड नामक प्राणघातक जहर  मिलाकर खिलाया जा रहा है.!

जानिए.. क्या है साइनाइड (Cyanide) नामक जहर..?
शायद आपने पहले कभी साइनाइड के भयंकर साइड इफेक्ट के बारे में ना सुना हो, लेकिन यह एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश है जिसका शिकार लगभग 50% भारतीय है।
आप से निवेदन है कि इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें और समझें और जो नहीं समझना चाहता वह जहर खायें।
आपके अन्न और दवाओं में साइनाइड नामक प्राणघातक जहर मिलाया जा रहा है।
साइनाइड एक घातक जहर है।
चौंकिए मत, यह बिलकुल सत्य है।
आजकल आपने देखा होगा कि एक पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति कुछ काम करते करते अचानक मर जाता है और मृत्यु का कारण पता नहीं चलता, ऐसी घटनाएं आम हो रही है।

आइये देखते है ऐसे खाद्य पदार्थ और दवाएं जिसमे साइनाइड विष मिलाया जा रहा है और हम निर्दोष शिकार बन रहे हैं...

(1). नमक..
आपके नमक के पैकेट को ध्यान से देखिये यदि उस पर क्रिस्टल मोडिफायर (Crystal Modifier) या E-536 लिखा हुआ है तो इसका मतलब नमक में पोटेशियम फेरो साइनाइड मिला हुआ है जिसके एक केमिकल अणु में साइनाइड के 6 परमाणु है जिसका केमिकल फार्मूला (K4Fe(CN)6) है।
यद्यपि यह अल्प मात्रा में होता है जैसे ही यह हमारे पेट में पहुँचता है उदर में उपस्थित पाचक अम्ल (HCL) से रिएक्ट कर के पोटेशियम और फेरोसाईनाइड के पोसिटिव और नेगेटिव आयन बनाता है और फेरोसाइनाइड पेट में उत्पन्न HCl से रिएक्ट कर के फेरस क्लोराइड और हाइड्रोजन साइनाइड बनाता है जो अत्यंत जहरीला विष है इस विष को डीटाक्सीफाई या प्रभावहीन बनाने के लिए लिवर पर अत्यधिक दबाव पडता है।
प्रतिदिन इस धीमे जहर मिले हुए नमक खाने से कुछ महीनो या वर्षो में आप मृत्यु के निकट पहुँच सकते है।

(2). विटामिन-बी
सबसे ज्यादा खाया जाने वाला विटामिन है इस बी-काम्प्लेक्स विटामिन में एक जहरीला पदार्थ है साईनाकोबलामिन या B-12 (Cyanocobalamin) है जो आपके पेट या खून में पहुँच कर साइनाइड के अणु छोड़ता है।

सावधान
यदि आपके बी-काम्प्लेक्स कैप्सूल टैबलेट या इंजेक्शन में B-12 सैनकोबाल्मिन है तो मत लीजिये, चाहे डॉक्टर कितना भी आश्वाशन क्यूं न दे।
मार्किट में 99% बी-काम्प्लेक्स विटामिन में बी-12 (Cyanocobalamin) होता है केवल 1% दवा कम्पनियाँ ही Methylcobalamin B-12 बनाती है जो खाने में सेफ है सुरक्षित है, इसीलिए विटामिन-बी खरीदते समय केवल Methylcobalamin B-12 युक्त ही ख़रीदे।

(3). मार्च 2017 में सरकार ने नया फरमान जारी किया है अब गेहूँ के आटे जैसे आशीर्वाद, पिल्सबरी पतंजलि आदि में साइनाइड मिला हुआ B-12 Cyanocobalamin विटामिन डालना अनिवार्य कर दिया है। (फोर्टिफाइड आटा)
सरकार ने सुरक्षित B-12 Methylcobalamin को प्रस्तावित क्यों नहीं किया ?
क्या सरकार को नहीं मालूम कि तवे के ताप में गेहू की रोटियाँ सेकने पर गर्मी से विटामिन-बी पूरी तरह नष्ट हो जाता है और बचते है सिर्फ जहरीले साइनाइड के अणु जो गर्मी से नष्ट नहीं होते, तो आटे के फोर्टीफिकेशन का क्या फायदा और उपयोग है ?
या सरकार जानबूझ कर अन्न पदार्थो में जहर मिला रही है ?
चौकिये मत...
सरकार पर छुपी हुई अंतरराष्ट्रीय वैश्विक दानवी सरकार (Hidden World Government) का दबाव है कि भारत की जनसँख्या कम करने के लिए ये एक कोवर्ट डीपापुलेशन प्रोग्राम है जिसे विस्तार पूर्वक पढ़ कर होश उड़ जाएंगे।
आइये देखते है कुछ और डी-पापुलेशन केमिकल पदार्थ आयोडीन नमक विश्व का सबसे बड़ा जंनसंख्या विहिनिकरण (डीपापुलेशन) षड्यंत्र
आज से लगभग 30-40 साल पहले जनता को आयोडीन नमक के बारे में बिलकुल पता नहीं था।
जनता में आयोडीन की कमी नहीं थी, यदि मानव इतिहास देखे तो जीसस क्राइस्ट काल या उससे भी पहले 5000 वर्ष पूर्व महाभारत या दस लाख वर्ष पूर्व रामायण पुराण आदि में एक भी उदहारण प्राप्त नहीं होता जहां आयोडीन के कमी के लक्षण दिखाई देवे।अचानक ही लगभग 30 साल पहले सरकार ने लाखों करोडो का टीवी और समाचार पत्र में विज्ञापन दे दे कर ब्रेनवाश शुरू किया कि भारत में आयोडीन की कमी है।
बच्चो के मानसिक विकास के लिए आयोडीन युक्त नमक ही खाये और भोली भारत की जनता ने इसे आदर्श मान लिया, तब भारत में बर्थ रेट 40 प्रति 1000 था।
यही प्रोपेगंडा पकिस्तान में भी किया गया लेकिन पाकिस्तानी जनता होशियार थी उसने सरकारी आयोडीन नमक को नही ख़रीदा और बाजार में खुला समुद्री नमक ही खरीदने लगी जिसमे आयोडीन जहर नहीं मिलाया गया था, नतीजा पाकिस्तान में सरकार द्वारा प्रायोजित आयोडीन नमक प्रोग्राम फैल हो गया।
आज तीस वर्ष बाद भारत में आयोडीन नमक के कारण बर्थ रेट लगभग 8 प्रति 1000 है।
ठीक है जनसँख्या कम होनी भी चाहिए लेकिन ऐसे घटिये तरीके से ??
भारत में आयोडीन की बिलकुल कमी नहीं है और इसकी पूर्ति दूध और हरी सब्जियों से पूरी हो जाती है।
आवश्यकता से अधिक आयोडीन खाने से कंठ (गले) में स्थित थाइरॉइड ग्रंथि अधिक हार्मोन बनाती है जिससे स्त्रियों में बाँझपन PCO अनियमित मासिक स्राव इत्यादि रोग होते है।
आज भारत में 70% स्त्रियों में बाँझपन और बच्चे नहीं होने का कारण आयोडीन नमक से उत्पन्न थाइरॉयड समस्या है।
वहीँ पुरुषों में भी आयोडीन नमक से हाइपर थायरोइडिसम (Hyperthyroidism) के कारण उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव, अनिद्रा, ह्रदय में तेज़ धड़कन, नपुंसकता आदि रोग होते है।
आज भारत की जनता को गिनी पिग बना कर आयोडीन नमक के एक्सपेरीमेन्ट के कारण कई परिवारों के अस्तित्व समाप्त हो गए है।
लेकिन जनता अब जागरूक हो रही है और धीरे धीरे सब पता चल रहा है इसीलिए अब सरकार सारा दोष टाटा कंपनी पर डाल रही है कि टाटा कम्पनी ने सरकार पर दबाव बना कर टाटा नमक में आयोडीन जहर मिलाया।
वास्तव में इसे एक फाल्सफ्लैग आपरेशन कहते है जिससे जनता का गुस्सा सरकार से हट कर टाटा पर जाए और जनता टाटा को ही दोषी समझे।
लेकिन अब सत्य का पता चल गया है सरकार ने आयोडीन जहर के एक्सपेरीमेन्ट के लिए और अपनी कमाई के लिए टाटा को बलि का बकरा बनाया ।
यदि भारत में आयोडीन नमक (इसका विकल्प सादा खुला बिकने वाला समुद्री नमक और सेन्धा नमक है), रिफाइंड तेल (इसका विकल्प मूंगफली, सरसो, जैतून, तिल आदि खरीद कर तेल निकलवाए),
फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट,
अंग्रेजी दर्द निवारक दवाएं जैसे ब्रूफिन डिक्लोफेनेक असेक्लोफेनेक,
आटे और ब्रेड में ब्रोमाइड,
पेप्सी कोला आदि कोल्ड ड्रिंक,
पानी में क्लोरीन ब्लीच (इसका विकल्प ओज़ोन है)और एंडोसल्फान जैसे कीटनाशक बन्द हो गए तो भारत में कैंसर, ह्रदय, थाइरॉइड और किडनी रोग ख़त्म और भारत के 80-90% अस्पताल बन्द हो जाएंगे।

(1) फ्लोराइड जो टूथपेस्ट में मिलाया जाता है वह जहर है आप केवल बिना फ्लोराइड के टूथपेस्ट का ही इस्तेमाल कीजिये।
(2). ओरल पोलियो वेक्सीन जिसमे SV-40 नामक कैन्सर उत्पन्न करने वाले वाइरस को मिलाया गया है (गूगल सर्च कीजिये)
(3). टेटनस टैक्सओइड वेक्सीन (टीटी इंजेक्शन) में स्त्रियों को बाँझ बनाने की दवा की मिलावट.!
अपनी लाडली बेटियों को कभी भी टीटी का इंजेक्शन न दिलाये शायद वे जिंदगी में कभी माँ न बन पायेगी क्योकि उसमे Anti-HCG antibody की मिलावट की गयी है।
विश्वास नहीं हो रहा है Tetanus HCG Kenya लिख कर गूगल कीजिये अभी तो केन्या की रिपोर्ट आई है लेकिन भारत में बीस साल पहले यह प्रयोग हो चुका है अब भी जारी है।

हमारा फ़र्ज़ था बताना, अब फैसला आपका.!



●●सेंधा नमक●●*
यह नमक खाने के लिए सबसे अच्छा नमक माना गया है।
यह हल्का सफ़ेद-गुलाबी सा नमक क्रिस्टल और पाउडर रूप में बाज़ार में मिलता है जो ज्यादातर व्रत के दौरान खाने में प्रयोग किया जाता है।
यह शुद्ध नमक होने की वजह से व्रत में प्रयोग होता है और अगर ये वृत के दिनों में प्रयोग हो सकता है तो फिर आम दिनों में क्यूं नहीं..??

यह सूखी हुई नमक के झील की खानों से निकाला जाता है।
समुद्री नमक की तरह इसमें विषैले तत्व नहीं पाए जाते हैं।
इस नमक में सोडियम सामान्य नमक से कुछ कम मात्रा में होता है।
 
सेंधा नमक में  कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, मैगनिशियम, कॉपर जैसे लगभग 84 तरह के खनिज तत्व पाए जाते है जबकि साधारण नमक में 3 तरह के खनिज होते है।

सफ़ेद और रंगहीन प्रकार का सेंधा नमक सबसे अच्छा माना गया है।

सामान्यतः प्रयुक्त हल्का गुलाबी रंग वाला सेंधा नमक हिमालयन नमक कहा जाता है, यह नमक भी अच्छा होता है।

यह आयुर्वेद में त्रिदोषों के वजह से उपजे रोग के उपचार में प्रयोग होता है।

यह नमक ह्रदय के लिए अच्छा होता है।

ऑस्टियोपोरोसिस और डायबिटीज से बचाता है।

डिप्रेशन, स्ट्रेस कण्ट्रोल करता है।
मांसपेशियों के  खिचाव  और जकड़न से राहत देता है।

ब्लड प्रेशर सामान्य रखता है, रक्त वाहिकाओं को लचीली बनाए रखता है।

सेंधा नमक अम्ल और क्षार (पी एच लेवल) को बैलेंस करता है, अतः पाचन में सहायता करता है।

यह नमक कई तरह के त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाता  है।

सेंधा नमक हाथ-पैर सुन्न होने की समस्या का भी निदानं करता है।

जिन्हें आर्थराइटिसकी समस्या हो, उन्हें साधारण नमक के बजाय सेंधा नमक ही प्रयोग करना चाहिए, इससे उन्हें काफी राहत मिलेगी।

जो लोग किडनी की बिमारियों से ग्रस्त है उनके लिए भी यह नमक फायदेमंद है।

यह नमक हड्डियों और उनसे जुड़े तंतुओं को मजबूत बनाता है।

*●●काला नमक●●*
यह नमक पाउडर रूप में गहरा गुलाबी रंग का और क्रिस्टल के रूप में काले-भूरे से रंग का होता है।

इस नमक की उबले अंडे जैसी महक इसमें पाए जाने वाले सल्फर तत्व की वजह से होती है।

यह नमक लौह तत्व से भरपूर होता है इसी वजह से इसका रंग काला सा होता है।

आयुर्वेद के अनुसार यह ठंडी और रेचक प्रकृति का होता है।

यह भारत और पाकिस्तान की प्राकृतिक नमक की खानों से निकाला जाता है।

यह नमक आयुर्वेद में बहुतायत से कब्ज, पाचन समस्या, गैस, सीने की जलन, गोइटर, हिस्टीरिया, मंद दृष्टि, हाई ब्लड प्रेशर, रक्त की कमी और अन्य कई बिमारियों के इलाज में प्रयुक्त होता है।

इस नमक में  भी सोडियम सामान्य बाजारी समुद्री नमक से कम मात्रा में पाया जाता है।

काले नमक का चटपटा स्वाद सबको पसंद आता है।

स्वाद में तेज, चटपटा और पाचक होने की वजह से यह नमक चाट मसाला, रायते, चटनी, सलाद, चाट, दही-बड़े और नमकीनो में काफी प्रयोग होता है।

*सेंधा नमक या काला नमक प्रयोग कैसे करें*
सेंधा नमक सबसे शुद्ध प्रकार का नमक है जोकि भारत में कम मात्रा में पाया जाता है जिसकी वजह से यह महंगा भी होता है।

यह स्वाद में थोडा फीका होता है इसलिए ज्यादा डालना पड़ता है।

एक चुटकी सेंधा या काला नमक, एक चम्मच अदरक के रस में मिलाकर लेने से भूख बढती है और पाचन तेज होता है, आप चाहे तो अदरक घिस कर काला नमक, निम्बू रस डाल कर खाने के साथ चटनी जैसे खा सकते हैं।

काला नमक, निम्बू रस के साथ लेने से पेट के कीड़े मरते है और उलटी भी बंद होती है।

मांशपेशियों की जकड़न में एक चम्मच सेंधा नमक एक गिलास पानी में डाल कर पियें, तुरंत लाभ होगा।


 *जानिए, सेहत के लिए दूध है बेस्ट या फिर दही..*

शुरू से ही हर घर में हम दूध और दही का खाने में प्रयोग करते हैं।
दूध और दही दोनों का सेवन हमारे लिए स्वास्थ्यकारी होता है।
लेकिन दूध की तुलना दही हमारे लिए ज्यादा लाभकारी होता है! 

*आइए जानें, कैसे?*

*दूध व दही में ज्यादा बेहतर.*
दूध को खट्ठा लगाकर दही जमाया जाता है! लेकिन दही और दूध में, दही दूध से भी ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि दूध से ही दही बनता है!
इसमें कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो दूध की अपेक्षा जल्दी पच जाते हैं!
दूध की अपेक्षा दही में प्रोटीन, लैक्टोज, कैल्शियम कई विटामिन्स होते हैं इसलिए दही को सेहत के लिए दूध से ज्यादा बढ़िया माना जाता है!

*दही में विटामिन*

विटामिन ए, डी, और बी-12 से युक्त दही में कैल्शियम की मात्रा दूध से कहीं अधिक होती है!
इसके चलते हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं।
यह ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से लड़ने में भी मददगार होता है!

*सेहत के लिए दूध से अधिक लाभकारी*

डॉक्टर मानते है कि दूध जल्दी हजम नहीं होता है कब्ज और गैस पैदा करता है, दही व मट्ठा तुरंत हजम हो जाता है!

जिन लोगों को दूध नहीं हजम होता उन्हें दही या मट्ठा लेना चाहिए!
किसी भी प्रकार के खाने को दही से हजम किया जा सकता है क्योंकि दही भोजन प्रणाली को दुरूस्त बनाए रखता है!


*कितना लेना चाहिए..*

*एक दिन में 250 ग्राम दही खाना सही रहता है।*

यदि आप दिन में दोपहर के भोजन के समय तक दही खा लें तो यह आपको शरीर को बहुत ही फायदे देता है।
हालांकि इसकी मात्रा आपके बाकी के खानपान पर काफी हद तक निर्भर करती है।

*दही और दूध का सेवन कब नहीं करना..??*

रात को दही का कभी सेवन नहीं करना चाहिए।
यदि आप नाॅन वेज खा रहे हैं तो ध्यान रखें कि उसके साथ न तो दूध लें और न ही दही।
कभी भी बासी दही न खाएं।
मधुमेह के रोगियों को दही का सेवन संयम से करना चाहिए।

सर्दी, खांसी, जुकाम, टांसिल्स, अस्थमा एवं सांस की तकलीफों में दही और दूध का सेवन न करें।


*चिंता (एंग्जायटी):*
*आखिर क्यों..??*
*क्या आप इससे मुक्ति चाहते हैं.?*
चिंता या एंग्जायटी हम में से अधिकांश को कभी न कभी प्रभावित करती है।
जो लोग इससे इतनी गंभीर रूप से पीड़ित हैं कि वे अनियमित दिल की धड़कन, पैनिक अटैक या यहां तक ​​कि दिल का दौरा पड़ने का अनुभव करते हैं, उनके लिए आपके रक्तचाप और श्वास को नियंत्रित करने के उपाय किए जाने चाहिए।

यहाँ 5 साँस लेने की तकनीकें हैं जो आपको अपनी चिंता और/या पैनिक अटैक को नियंत्रण में रखने में सक्षम बनाती हैं:

 *(1). भौंरा बी सांस (Bumblebee Breath)*
 एक आरामदायक सीधी स्थिति में बैठ जाएं।  अपने कंधों को आराम दें और अपनी छाती को खोलें।
धीरे-धीरे श्वास लें और जितना हो सके अपने फेफड़ों को भरें।
3 सेकंड के लिए रुकें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें, अपने होठों को बंद करके गुनगुनाते हुए, अपने जबड़े को आराम दें।

 *(2). मापी गई श्वास (Measured Breath)*
 इस तकनीक को बैठे या खड़े होकर किया जा सकता है, बस सुनिश्चित करें कि आप अपने हाथों से ढीले और आरामदायक हैं।  अपनी नाक से धीरे-धीरे सांस लें, अपने पेट का विस्तार करें, और 5 तक गिनें। केवल एक सेकंड के लिए रुकें और फिर धीरे-धीरे 9 तक गिनें।

 *(3). प्रगतिशील आराम (Progressive Relaxation)*
 अपनी आँखें बंद करें और एक बार में कुछ सेकंड के लिए आराम करने और फिर अपने शरीर की प्रत्येक पेशी को तनाव देने पर ध्यान दें। अपने पैर की उंगलियों से शुरू करें और बछड़ों, पैरों, कूल्हों के माध्यम से अपने चेहरे तक सभी तरह से काम करें।  अपनी नाक या मुंह से सांस छोड़ें क्योंकि आप प्रत्येक मांसपेशी समूह को आराम देते हैं।

 *(4). सामवृति (Sam Vritti)*
 "समान श्वास" 5 तक गिनें जब आप अपनी नाक से श्वास लें और फिर 5 तक गिनें जैसे आप उसी तरह साँस छोड़ते हैं। आपकी नाक से सांस लेना आपकी सांस को एक प्राकृतिक प्रतिरोध प्रदान करता है जिससे आप ध्यान केंद्रित करते हैं, अपने दिमाग को साफ करते हैं और आपके शरीर को परेशान करते हैं।

 *(5). निर्देशित विज़ुअलाइज़ेशन (Guided Visualization)*
 कहीं लेट जाओ और अपने आप को पूरी तरह से आराम करो। अपनी आँखें बंद करें और कल्पना करें कि आप अपने "खुश जगह" पर जा रहे हैं या वह काम कर रहे हैं जिससे आप इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। अपनी नाक या मुंह से, जो भी आप चाहें, धीरे-धीरे और गहरी सांस लें। उस स्थान पर स्वयं की कल्पना करें और अपनी वांछित क्रिया को सफलतापूर्वक निष्पादित करें और अपनी सेटिंग की पूर्ति और सामंजस्य को अपनाएं और अपने शरीर को आराम देना जारी रखें और अपनी सांस के प्रति जागरूक रहें।

 *(6). दिन में लगभग 200 बार "मैं आराम और शांति महसूस करना चुनता हूं" जैसी पुष्टि से मदद मिलेगी।*

अगर फिर भी आपकी समस्या का समाधान न हो तो सम्पर्क करें..

 *प्राकृतिक स्रोतों के माध्यम से विटामिन की आवश्यकता या भरपाई:*
 *1.  विटामिन-ए:*
 आपको त्वचा के संक्रमण से बचाता है, सामान्य वृद्धि और विकास को बढ़ावा देता है, स्वस्थ कंकाल और कोमल ऊतकों को बनाए रखता है और अच्छी दृष्टि को बढ़ावा देता है।
 *स्रोत:*
अंडे, मांस, पनीर, जिगर, और मछली का तेल।

 *2. कैरोटेनोइड्स (अल्फा, बीटाकैरोटीन और बीटाक्रीप्टोक्सानथिन):*
 विटामिन नहीं हैं, लेकिन कुछ बॉडी प्रोसेस विटामिन ए एक्ट में परिवर्तित होते हैं, जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में होते हैं जो आपके शरीर को फ्री रेडिकल्स नामक हानिकारक अणुओं से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।
 *स्रोत:*
केंटालूप, गुलाबी अंगूर, टमाटर, ब्रोकोली, गहरे हरे पत्ते वाली सब्जियां जैसे पालक, चुकंदर साग और स्विस चार्ड, गहरे नारंगी सब्जियां जैसे गाजर और शकरकंद।

 *3.  विटामिन बी-1 (थायमिन):*
 कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में परिवर्तित करने में मदद करता है और हृदय, मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के कामकाज के लिए आवश्यक है।
 *स्रोत:*
साबुत अनाज, समृद्ध अनाज, जिगर, सूखे सेम, नट और बीज, गढ़वाले ब्रेड, अनाज, पास्ता, लीन मीट (विशेष रूप से सूअर का मांस), मछली, मटर, सोयाबीन, डेयरी उत्पाद, फल और सब्जियां।

 *4. विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन):*
 सामान्य सेल फ़ंक्शन, विकास और ऊर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक।  आपके शरीर को अन्य बी विटामिन का उपयोग करने में मदद करता है।

 *स्रोत:* सोयाबीन, दुबला मांस और मुर्गी, जिगर और अंडे, मशरूम, दूध, पनीर, दही, साबुत अनाज, समृद्ध अनाज, फलियां, नट, और मछली।

 *5. विटामिन बी-3 (नियासिन, निकोटिनिक एसिड):*
 पाचन तंत्र, त्वचा और नसों में एंजाइमों के कामकाज में सहायता करता है, और प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करके भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिए महत्वपूर्ण है।
 *स्रोत:*
मशरूम, मूंगफली का मक्खन, मछली, मुर्गी, साबुत अनाज, समृद्ध अनाज, डेयरी उत्पाद, दुबला मीट, नट, अंडे और फलियां।

 *6.  विटामिन बी-5 (बायोटिन):*
 आपके शरीर को भोजन से प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करने की अनुमति देता है।  विकास और चयापचय के लिए आवश्यक।
 *स्रोत:*
शकरकंद, बिना वसा वाला दूध, दही, मूंगफली, बादाम, अंडे, जिगर, सोया प्रोटीन, मछली, साबुत अनाज अनाज, फलियां, खमीर, लीन बीफ, ब्रोकोली और गोभी परिवार की सब्जियां।

 *7. विटामिन बी-5 (पैंटोथेनिक एसिड):*
 विकास और चयापचय के लिए आवश्यक।
 *स्रोत:*
अंडे, मछली, दूध और दूध के उत्पाद, साबुत अनाज अनाज, फलियां, खमीर, सफेद और मीठे आलू, लीन बीफ, ब्रोकोली और गोभी परिवार की सब्जियां।

 *8. विटामिन बी-6 (पाइरिडोक्सिन):*
 आपके शरीर को प्रोटीन और ग्लाइकोजन बनाने और उपयोग करने में मदद करता है जो आपकी मांसपेशियों और जिगर में संग्रहीत ऊर्जा है। लाल रक्त कोशिका चयापचय के लिए, हीमोग्लोबिन बनाता है, तंत्रिका और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए रोग से लड़ने वाले एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए, रक्त शर्करा और ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखता है।
 *स्रोत:*
आलू, केला, 100% चोकर, तुरंत दलिया, मांस, मछली, मुर्गी, जिगर, सोयाबीन, छोले, मसूर, पिस्ता, नट, सूरजमुखी के बीज, फलियां, पालक, टमाटर का रस, एवोकैडो, ट्यूना, पीनट बटर।

 *9.  विटामिन बी-9 (फोलेट या फोलसिन / फोलिक एसिड): ₹*
 विटामिन बी 12 और विटामिन सी के साथ काम करता है नीचे टूटने और नए प्रोटीन बनाने के लिए, लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने, डीएनए का निर्माण करने और ऊतकों को विकसित करने में मदद करता है।  फोलिक एसिड भ्रूण के जन्म के दोष को कम करता है स्पाइना बिफिडा और तंत्रिका तंत्रिका असामान्यताएं।
 स्रोत: शतावरी, पका हुआ पालक, रोमेन लेट्यूस, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, बीट्स, ब्रोकोली, मक्का, हरी मटर, ब्रेड, समृद्ध पास्ता, गेहूं के बीज, सूखे सेम, सोयाबीन, छोले, मसूर, सूरजमुखी के बीज, फ्लैक्ससीड्स, फलियां, खट्टे फल, साबुत। अनाज, गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियां, मुर्गी पालन, लीन पोर्क, शेल फिश और लिवर।

 *10.  विटामिन बी-12* (कोबालमिन):
 डीएनए बनाने के लिए विटामिन फोलेट के साथ काम करता है, स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को बनाता है, एनीमिया को रोकता है, और नसों को ठीक से काम करता रहता है। चयापचय के लिए महत्वपूर्ण, यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के रखरखाव में मदद करता है।
 स्रोत: पनीर, दही, गढ़वाले सोया या चावल पेय, मांस, मुर्गी पालन, जिगर, अंडे, शंख, और दूध।

 *11.  विटामिन-सी:*
 कोशिका क्षति को रोकने और कुछ कैंसर, हृदय रोग और अन्य बीमारियों के लिए जोखिम को कम करने में मदद करता है। घावों को काटता है और घाव करता है, मसूड़ों को स्वस्थ रखता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखता है और आपके शरीर में कुछ खाद्य पदार्थों से अवशोषित आयरन की मात्रा बढ़ जाती है।  ऊतकों की वृद्धि और मरम्मत के लिए आवश्यक है, और कोलेजन बनाने के लिए, एक प्रोटीन जिसका उपयोग त्वचा, निशान ऊतक, tendons, स्नायुबंधन और रक्त वाहिकाओं को बनाने के लिए किया जाता है।
 *स्रोत:*
खट्टे फल जैसे संतरे, अंगूर और उनके रस, कीवी, स्ट्रॉबेरी, आम, पपीता, लाल, पीले और हरे मिर्च, ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, टमाटर, कच्चे अंधेरे पत्तेदार सब्जियां, शलजम साग, शकरकंद, और कैंटालूप।

 *12.  विटामिन-डी:*
 शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है, रक्त में कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा को नियंत्रित करता है, और पुरानी बीमारियों की रोकथाम में बहुत महत्वपूर्ण है।
 *स्रोत:*
धूप, दूध, गढ़वाले सोया और चावल पेय, गढ़वाले मार्जरीन, मछली जिगर के तेल, बीफ़ जिगर, पनीर, और अंडे की जर्दी के संपर्क में।

 *13. विटामिन-ई:*
 एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली और शरीर की अन्य प्रक्रियाओं को बनाए रखने में मदद करता है, क्योंकि एक एंटीऑक्सिडेंट कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है, लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और शरीर को प्रभावी रूप से विटामिन के का उपयोग करने की अनुमति देता है।
 स्रोत: वनस्पति तेल, एवोकैडो, पत्तेदार हरी सब्जियां, गेहूं के बीज, सूरजमुखी के बीज, कुछ नट्स, मूंगफली का मक्खन, मक्का, जैतून, पालक, शतावरी, और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां।

 *14.  विटामिन-के:*
 प्रोटीन बनाता है जो हमारे रक्त को थक्का बनाता है, जब आप रक्तस्राव कर रहे होते हैं।  आपके रक्त, हड्डियों और गुर्दे के लिए शरीर के प्रोटीन बनाने में शामिल है।

 *सूत्रों का कहना है:*
 जीवाणुओं द्वारा निर्मित जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को लाइन करते हैं और ब्रोकोली, सोयाबीन, गहरे हरे पत्ते वाली सब्जियों जैसे कि काले, कोलार्ड, शलजम / बीट साग और पालक, गोभी और फूलगोभी में पाए जाते हैं।



*खुजली, एक आम समस्या..*
*इसे समझिये...*
खुजली एक प्रकार का संक्रामक रोग है और यह रोग त्वचा के किसी भी भाग में हो सकता है।
यह रोग अधिकतर हाथों और पैरों की उंगुलियों के जोड़ों में होता है।

*खुजली के प्रकार*
खुजली दो प्रकार की होती है सूखी खुजली तथा तर या गीली खुजली।

*खुजली होने का लक्षण:*
जब खुजली का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उस व्यक्ति की शरीर की त्वचा पर छोटे-छोटे दाने (फुंसियां) निकलने लगते हैं।
इन दानों के कारण व्यक्ति की त्वचा पर बहुत अधिक जलन तथा खुजली होती है।
जब रोगी व्यक्ति फुंसियों को खुजलाने लगता है तो वे फूटती हैं और उनमें से तरल दूषित द्रव निकलता है।

*खुजली होने के कारण:-*

खुजली होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में दूषित द्रव्य का जमा हो जाना है।
जब रक्त में दूषित द्रव्य मिल जाते हैं तो दूषित द्रव शरीर की त्वचा पर छोटे-छोटे दानों के रूप में निकलने लगते हैं।
शरीर की ठीक प्रकार से सफाई न करने के कारण भी खुजली हो जाती है।
पाचन तंत्र खराब होने के कारण भी खुजली रोग हो सकता है क्योंकि पाचनतंत्र सही से न काम करने के कारण शरीर के खून में दूषित द्रव्य फैलने लगते हैं जिसके कारण खुजली हो सकती है।
अधिक औषधियों का सेवन करने के कारण भी खुजली हो सकती है।

*खुजली होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-*

खुजली का उपचार करने के लिए कभी भी पारा तथा गन्धक आदि विषैली औषधियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इनके प्रयोग से शरीर में और भी अनेक बीमारियां हो सकती हैं।

खुजली रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को 2-3 दिनों तक फलों और साग, सब्जियों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए।

उपवास रखने के समय रोगी व्यक्ति को गर्म पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि पेट साफ हो सके। 

इसके बाद रोगी को कम से कम 7 दिनों तक फलों का रस तथा साग सब्जियों का सेवन करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को सप्ताह में 1 बार भापस्नान लेना चाहिए और उसके बाद कटिस्नान करना चाहिये।




 *खुजली, एक आम समस्या..*
*इसे समझिये...*
खुजली एक प्रकार का संक्रामक रोग है और यह रोग त्वचा के किसी भी भाग में हो सकता है।
यह रोग अधिकतर हाथों और पैरों की उंगुलियों के जोड़ों में होता है।

*खुजली के प्रकार*
खुजली दो प्रकार की होती है सूखी खुजली तथा तर या गीली खुजली।

*खुजली होने का लक्षण:*
जब खुजली का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उस व्यक्ति की शरीर की त्वचा पर छोटे-छोटे दाने (फुंसियां) निकलने लगते हैं।
इन दानों के कारण व्यक्ति की त्वचा पर बहुत अधिक जलन तथा खुजली होती है।
जब रोगी व्यक्ति फुंसियों को खुजलाने लगता है तो वे फूटती हैं और उनमें से तरल दूषित द्रव निकलता है।

*खुजली होने के कारण:-*

खुजली होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में दूषित द्रव्य का जमा हो जाना है।
जब रक्त में दूषित द्रव्य मिल जाते हैं तो दूषित द्रव शरीर की त्वचा पर छोटे-छोटे दानों के रूप में निकलने लगते हैं।
शरीर की ठीक प्रकार से सफाई न करने के कारण भी खुजली हो जाती है।
पाचन तंत्र खराब होने के कारण भी खुजली रोग हो सकता है क्योंकि पाचनतंत्र सही से न काम करने के कारण शरीर के खून में दूषित द्रव्य फैलने लगते हैं जिसके कारण खुजली हो सकती है।
अधिक औषधियों का सेवन करने के कारण भी खुजली हो सकती है।

*खुजली होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-*

खुजली का उपचार करने के लिए कभी भी पारा तथा गन्धक आदि विषैली औषधियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इनके प्रयोग से शरीर में और भी अनेक बीमारियां हो सकती हैं।

खुजली रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को 2-3 दिनों तक फलों और साग, सब्जियों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए।

उपवास रखने के समय रोगी व्यक्ति को गर्म पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि पेट साफ हो सके। 

इसके बाद रोगी को कम से कम 7 दिनों तक फलों का रस तथा साग सब्जियों का सेवन करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को सप्ताह में 1 बार भापस्नान लेना चाहिए और उसके बाद कटिस्नान करना चाहिये।


*हाइपो या हाइपर थायरायडिज्म -* 

*कारण, लक्षण,*
*परहेज - आहार :*
*आयुर्वेद, प्राकृतिक योग और प्राणायाम चिकित्सा :-*

थाइराइड की स्थिति में या तो थाइराइड हार्मोन अधिक बनता है जिसे हाइपर थाइरॉइडिस्म कहा जाता है या कम होता है जिसे हाइपो थायरायडिज्‍म कहा जाता है। हाइपर थायरायडिज्‍म में यह ग्रंथि ज्यादा प्रभावी होती है और थाइराइड हार्मोन (थाइरॉक्सिन) ज्यादा पैदा करती है।

*कारण :*
इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है।

*लक्षण :*
हाइपोथायराइड के लक्षणों में अनावश्यक वजन बढ़ना, आवाज भारी होना, थकान, अधिक नींद आना, गर्दन का दर्द, सिरदर्द, पेट का अफारा, भूख कम हो जाना, बच्चों में ऊँचाई की जगह चौड़ाई बढ़ना, चेहरे और आँखों पर सूजन रहना, ठंड का अधिक अनुभव करना, सूखी त्वचा, कब्जियत, जोड़ों में दर्द आदि लक्षणों को व्यक्ति तब अनुभव करता है, जब उसकी थायराइड ग्रंथि का थायरोक्सीन संप्रेरक (हार्मोन) कम बनने लगता है।
यह समस्या स्त्री पुरुषों में एक समान आती है, परंतु महिलाओं में अधिक पाई जाती है।
इसका कोलेस्ट्रॉल, मासिक रक्तस्राव, हृदय की धड़कन आदि पर भी प्रभाव पड़ता है।
यदि आपके वजन में अचानक घटने या बढ़ने जैसा परिवर्तन सामने आ रहा हो तो यह थायराइड ग्रंथि से समबन्धित समस्या की और आपका ध्यान दिला सकता हैI
वजन का अचानक बढ़ जाना “थायरोक्सिन" हार्मोन की कमी (हायपो थायराईडिज्म) के कारण उत्पन्न हो सकता है, इसके विपरीत यदि "थायरोक्सिन" की आवश्यक मात्रा से अधिक उत्पत्ति होने से (हायपर थायराईडिज्म) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसमें अचानक वजन कम होने लग जाता हैI
इन दोनों ही स्थितियों में से हायपो थायराईडिज्म एक आम समस्या के रूप में सामने आता हैI

➡️ गर्दन के सामने वाले हिस्से में अचानक सूजन उत्पन्न हो जाना भी आपको थायराइड से सम्बंधित समस्या की और इंगित करता हैI
हायपो या हायपर थायराईडिज्म दोनों ही स्थितियों में गोएटर (घेघा) बन सकता है।
हाँ, कभी-कभी गर्दन में सूजन का कारण थायराइड कैंसर या नोड्यूल्स अथवा ग्रंथि के अन्दर किसी लम्प के बन जाने के कारण भी हो सकता है,
कभी कभी इसका थायराइड ग्रंथि से कोई सम्बन्ध नहीं होता हैI

➡️ हृदय गति में अचानक आया परिवर्तन भी थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या के कारण उत्पन्न हो सकता हैI
हायपो थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति अक्सर धीमी हृदयगति होने की शिकायत करते हैं जबकि इसके विपरीत हायपर थायराईडिज्म से पीड़ित तीव्र हृदयगति से पीड़ित होते हैं।
तीव्र हृदयगति के कारण अचानक रक्तचाप बढ़ जाता है तथा रोगी धड़कन (पल्पीटेशन) बढ़ने की समस्या से जूझता हैI

➡️ थायराइड ग्रंथि का प्रभाव शरीर के लगभग सभी अंगों पर होता है जिससे व्यक्ति का एनर्जी लेवल एवं मूड प्रभावित होता हैI
हायपो थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति अक्सर थकान, आलस्य, जोड़ों में दर्द, सूजन एवं अवसाद जैसे लक्षणों से पीड़ित होता है जबकि हायपर थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति घबराहट, बैचैनी, अनिद्रा एवं उत्तेजित रहने जैसे लक्षणों से दो-चार होता है I

➡️ बालों का अचानक झड़ना भी थायराइड हार्मोस के बेलेंस के बिगड़ने की और इंगित करता है,
हायपो या हाईपर थायराईडिज्म दोनों ही स्थितियों में बाल झड़ने की समस्या उत्पन्न होती हैI

➡️ थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या का सीधा सम्बन्ध शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करने से होता हैI
हायपो थायराईडिज्म से पीड़ित रोगी को समान्य से अधिक ठण्ड लगती है जबकि हायपर थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति को अधिक गर्मी लगती है साथ ही पसीना भी अधिक आता हैI
इसके अलावा भी कुछ अन्य लक्षण हैं जिससे हायपर थायराईडिज्म को पहचाना जा सकता है जैसे त्वचा का रुक्ष होना, हाथों का सुन्न (NUMBNESS ) हो जाना या हाथ-पाँव में चुनचुनाहट (TINGLING ) होना आदि.

➡️ इसी प्रकार हायपर थायराईडिज्म को भी कुछ अतिरिक्त लक्षणों से पहचाना जा सकता है जैसे मांसपेशियों का कमजोर पड़ना, कम्पन होना, दस्त लग जाना, देखने में परेशानी होना और स्त्रियों में मासिक चक्र का अनियमित होनाI

➡️ कभी-कभी थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण स्त्रियों में मासिक चक्र बदल जाता है जिससे मेनोपाज का भ्रम उत्पन्न होता है अतः ऐसी स्थिति में रक्त के नमूने से की गयी थायराइड ग्रंथि की कार्यकुशलता की जांच इस भ्रम को दूर कर देती हैI

➡️ कई बार कुछ दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव भी थायराइड की वजह होते हैं।

*थायरायड की प्राकृतिक चिकित्सा :-*
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➡️ थायरायड के लिए हरे पत्ते वाले धनिये की ताजा चटनी बना कर एक बडा चम्मच एक गिलास पानी में घोल कर पियें रोजाना....
एक दम ठीक हो जायेंगे (बस धनिया देसी हो उसकी सुगन्ध अच्छी हो)

*आहार चिकित्सा :-*

➡️ सादा सुपाच्य भोजन, मट्ठा, दही, नारियल का पानी, मौसमी फल, ताज़ी हरी साग – सब्जियां, अंकुरित गेंहूँ, चोकर सहित आंटे की रोटी को अपने भोजन में शामिल करें।

*परहेज :-*

➡️ मिर्च-मसाला, तेल,अधिक नमक, चीनी, खटाई, चावल, मैदा, चाय, काफी, नशीली वस्तुओं, तली-भुनी चीजों, रबड़ी, मलाई, मांस, अंडा जैसे खाद्यों से परहेज रखें।
अगर आप सफ़ेद नमक (समुन्द्री नमक) खाते है तो उसे तुरन्त बंद कर दे और सैंधा नमक ही खाने में प्रयोग करे, सिर्फ़ और सिर्फ सैंधा नमक ही खाए सब जगह।

रोज 8-10 मखाने का सेवन करने से थॉयरोइड में लाभ मिलना शुरू हो जाता हे और कमल जड़ का भी सेवन हफ्ते में 1 बार करे किसी भी सब्जी में.!

*थायरायड की एक्युप्रेशर चिकित्सा :-*
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➡️ एक्युप्रेशर चिकित्सा के अनुसार
थायरायड व् पैराथायरायड के प्रतिबिम्ब केंद्र दोनों हांथो एवं पैरों के अंगूठे के बिलकुल नीचे व् अंगूठे की जड़ के नीचे ऊँचे उठे हुए भाग में स्थित हैं।

➡️ थायरायड के अल्पस्राव की अवस्था में इन केन्द्रों पर घडी की सुई की दिशा में अर्थात बाएं से दायें प्रेशर दें तथा अतिस्राव की स्थिति में प्रेशर दायें से बाएं (घडी की सुई की उलटी दिशा में) देना चाहिए।
इसके साथ ही पियुष ग्रंथि के भी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए।

*विशेष :-*

➡️ प्रत्येक केंद्र पर एक से तीन मिनट तक प्रतिदिन दो बार प्रेशर दें |

➡️ पियुष ग्रंथि के केंद्र पर पम्पिंग पद्धति (पम्प की तरह दो-तीन सेकेण्ड के लिए दबाएँ फिर एक दो सेकेण्ड के लिए ढीला छोड़ दें) से प्रेशर देना चाहिए!

➡️ आप किसी एक्युप्रेशर चिकित्सक से संपर्क करके आप उन केन्द्रों को एक बार समझ सकते है और फिर स्वयं भी कर सकते है!

*थायराइड मरीज के लिए डाइट चार्ट:-*
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➡️ थायराइड बहुत ही आवश्‍यक ग्रंथि है।
यह ग्रंथि गले के अगले निचले हिस्‍से में होती है।
थायराइड को साइलेंट किलर भी कहा जाता है।
क्‍योंकि इसका लक्षण एक साथ नही दिखता है।
अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो आदमी की मौत हो सकती है।
यह ग्रंथि होती तो बहुत छोटी है लेकिन, हमारे शरीर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने में इसका बहुत योगदान होता है।

➡️ थाइराइड एक प्रकार की इंडोक्राइन या अन्तःस्रावी ग्रंथि है, जो कुछ हार्मोन के स्राव के लिए जिम्‍मेदार होती है।
यदि थाइराइड ग्रंथि अच्‍छे से काम करना बंद कर दे तो शरीर में कई समस्‍यायें शुरू हो जाती हैं।
शरीर से हार्मोन का स्राव प्रभावित हो जाता है।
लेकिन यदि थायराइड ग्रंथि कम या अधिक सक्रिय हो तब भी शरीर को प्रभावित करती है।

➡️ लाइफस्‍टाइल और खान-पान में अनियमितता बरतने के कारण थायराइड की समस्‍या होती है।
अगर शुरूआत में ही खान-पान का ध्‍यान रखा जाए तो थायराइड की समस्‍या होने की संभावना कम होती है।

*थायराइड के मरीजों का डाइट चार्ट कैसा हो, हम आपको उसकी जानकारी देते हैं...*

*थायराइड रोगियों के लिए डाइट चार्ट :-*
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➡️ आप अपनी डाइट चार्ट में ऐसे खाद्य-पदार्थों को शामिल कीजिए जिसमें आयोडीन की भरपूर मात्रा हो। क्‍योंकि आयोडीन की मात्रा थायराइड फंक्‍शन को प्रभावित करती है।

➡️ समुद्री जीवों में सबसे ज्‍यादा आयोडीन पाया जाता है। समुद्री शैवाल, समुद्र की सब्जियों और मछलियों में आयोडीन की भरपूर मात्रा होती है।

➡️ कॉपर और आयरन युक्‍त आहार के सेवन करने से भी डायराइड फंक्‍शन में बढ़ोतरी होती है।

➡️ काजू, बादाम और सूरजमुखी के बीज में कॉपर की मात्रा होती है।

➡️ हरी और पत्‍तेदार सब्जियों में आयरन की भरपूर मात्रा होती है।

➡️ पनीर और हरी मिर्च तथा टमाटर थायराइड गंथि के लिए फायदेमंद हैं।

➡️ विटामिन और मिनरल्‍स युक्‍त आहार खाने से थायराइड फंक्‍शन में वृद्धि होती है।

➡️ प्‍याज, लहसुन, मशरूम में ज्‍यादा मात्रा में विटामिन पाया जाता है।

➡️ कम वसायुक्‍त आइसक्रीम और दही का भी सेवन थायराइड के मरीजों के लिए फायदेमंद है।

➡️ गाय का दूध भी थायराइड के मरीजों को पीना चाहिए।

➡️ नारियल का तेल भी थायराइड फंक्‍शन में वृद्धि करता है।
नारियल तेल का प्रयोग सब्‍जी बनाते वक्‍त भी किया जा सकता है।

*थायराइड के रोगी इन खाद्य पदार्थों को न खायें :-*
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➡️ सोया और उससे बने खाद्य-पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।

➡️ जंक और फास्‍ट फूड भी थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करते हैं। इसलिए फास्‍ट फूड को अपनी आदत मत बनाइए।

➡️ ब्रोकोली, गोभी जैसे खाद्य-पदार्थ थायराइड फंक्‍शन को कमजोर करते हैं।



*तुलसी की महा शक्ति को पहचानिये...*
जब भी तुलसी में खूब सारे फूल यानी मंजिरी लग जाए तो उन्हें पकने पर तोड़ लेना चाहिए वरना तुलसी के झाड़ में चीटियां और कीड़ें लग जाते है और उसे समाप्त कर देते है।
इन पकी हुई मंजिरियों को रख लेँ।
इनमे से काले काले बीज अलग होंगे उन्हें एकत्र कर लें, यही सब्जा है।
अगर आपके घर में नही है तो बाजार में पंसारी या आयुर्वैदिक दवाईयों की दुकान पर मिल जाएंगे।

*शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी*
तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है।

*नपुंसकता*
तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।

*मासिक धर्म में अनियमियता*
जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे, उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है।

तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है जिसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है।
इसे भिगाने से यह जेली की तरह फूल जाता है।
इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां डाल कर लें तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है।
इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है।
यह पित्त घटाता है और ये त्रिदोषनाशक और क्षुधावर्धक भी है।


*घरेलु उपाय...*
*आजमा के तो देखें.!*
■ नारियल के तेल में लौंग के तेल की 8-10 बूँदें टपकाकर यह तेल सर में लगाकर मालिश करने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।

■ लौंग, सौंफ, छोटी इलायची, जरा-सा खोपरा समभाग लेकर कूट-पीस लें। इसे मुँह में रखने से मुख शुद्ध और दाँत मजबूत होते हैं।

■ लौंग, छोटी हरड़ और सेंधा नमक तीनों 10-10 ग्राम लेकर पीस लें। भोजन करने के बाद यह चूर्ण एक चम्मच, पानी के साथ फाँकने से उदर रोग ठीक होते हैं।

■ हरी इलायची 10 ग्राम, सौंफ 20 ग्राम, मिश्री 40 ग्राम तीनों को (इलायची छिलके सहित) महीन पीसकर मिला लें। प्रातः एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है व हृदय को बल मिलता है।

■ छिलके सहित छोटी इलायची, सौंठ, कालीमिर्च और दालचीनी समभाग लेकर पीस लें और महीन चूर्ण बना लें। चाय बनाते समय खौलते पानी में यह चूर्ण एक चुटकी भर डालकर चाय बनाइए। बड़ी स्वादिष्ट चाय बनेगी।

■ लौंग के तेल की एक-दो बूँद रुई के फाहे पर टपकाकर जिस दाँत में दर्द हो, वहाँ रखकर दबाएँ, दाँत का दर्द दूर हो जाएगा।

■ हरी इलायची छिलके सहित इलायची को आग में जलाकर राख कर लें। इस राख को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी होना बंद होती है।

■ नारियल के तेल में लौंग के तेल की 8-10 बूँदें टपकाकर यह तेल सर में लगाकर मालिश करने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।

■ लौंग, छोटी हरड़ और सेंधा नमक तीनों 10-10 ग्राम लेकर पीस लें। भोजन करने के बाद यह चूर्ण एक चम्मच, पानी के साथ फाँकने से उदर रोग ठीक होते हैं।

■ यदि दाँत का दर्द है, तो उसके नीचे प्याज का एक छोटा टुकड़ा दबा लीजिए।
आराम मिलेगा।



: *इक्षुरापः पयोमूलं ताम्बूलं फलमौषधम्।*
*भक्षयित्वापि कर्त्तव्या स्नानदानादिकाः क्रिया ॥*
      (चाणक्य नीति अध्याय -८/२)

  *भावार्थ*- गन्ना, पानी, दूध, कन्द, पान, फल और औषधि – इन वस्तुओं का सेवन करने के बाद भी स्नान, दान, उपासना आदि किये जा सकते हैं।
         *🙏 प्रातः वन्दनम् 🙏*
*आपका दिन शुभ और मंगलमयपूर्ण हो ऐसी ईश्वर से मेरी प्रार्थना है।*
*
You are not required to set yourself on fire to keep other people warm. 

दूसरे लोगों को गर्म रखने के लिए आपको खुद को आग लगाने की जरूरत नहीं है।




 *हर रोज खाएं कद्दू के बीज, बहुत काम की है ये चीज* 
 
1. कद्दू के बीज में काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है जिसे खाने से आपको बेहद कम भूख लगेगी। और आपके वजन पर भी कंट्रोल रहेगा। साथ ही अनहेल्दी चीजें खाने की आदत पर भी विराम लग जाएगा।
 
2. कद्दू के बीज ऑक्सीडेटिव को कम कर ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। इसके सेवन से शुगर लेवल बना रहता है। इन बीजों को डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।
 
3. कद्दू के बीज में मौजूद क्यूक्रबिटासिन होता है, वह अमिनो एसिड के प्रकार का होता है जिससे बाल बढ़ने में मदद मिलती है। स्कैल्प पर भी कद्दू के बीज का तेल लगा सकते हैं, साथ ही प्रतिदिन एक मुट्ठी कद्दू के बीज का भी सेवन करें।
 
4. इसमें विटामिन ई और कैरोटीनॉयड प्रचुर मात्रा में होता है। इसके सेवन से सूजन में भी आराम मिलता है। कोशिकाओं को भी बचाता है।
 
5. महिलाओं में गठिया दर्द को आम बात हो गई है। लेकिन लगातार दुखने से मन नहीं लगता है। कद्दू के बीज का तेल लगाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
 
6. मानसिक तनाव की वजह से कई लोगों को नींद ठीक से नहीं आती है। जी हां, समय से पहले ही नींद भी खुलने लग जाती है। ऐसे में कद्दू के बीज का जरूर सेवन करें। इसमें मौजूद सेरोटोनिन अच्छा होता है जिससे प्राकृतिक नींद आने लगती है।
 
7. कद्दू के बीजों में भरपूर मात्रा में वसा, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर होता है, जो दिल के लिए सेहतमंद होता है। बीज का सेवन करने से बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को अच्छा करने में मदद मिलती है। इसके सेवन से ब्लड सर्कुलेशन भी अच्छा होता है।


: *अनार के दाने दाने में है दम, खून बढ़ेगा तुरंत* 
 
- अनार में भरपूर मात्रा में विटामिन C, विटामिन K, फाइबर, पोटैसियम और प्रोटीन पाया जाता है। इसके साथ ही इस फल में आयरन की मात्रा भी काफी ज़्यादा होती है जो एनीमिया की समस्या से राहत देती है।
 
- हमारा शरीर सिर्फ 3% आयरन ही अवशोषित करपाता है। अनार में विटामिन C, होने के कारण हमारा शरीर आयरन को आसानी से अवशोषित कर लेता है और साथ ही हमारे शरीर में आयरन की मात्रा भी बढ़ती है जिससे हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
 
- आप अनार के साथ कभी भी अंगूर, स्ट्रॉबेरी या केले का सेवन न करेंगे तो ऐसा करने से आपको सिर दर्द जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
 
- इसके साथ ही आप अनार के साथ यदि पालक, चॉकलेट, चाय या कॉफ़ी का सेवन नहीं करें और साथ ही अनार का सेवन करने के बाद 30 मिनट तक किसी और चीज़ का सेवन न करें।
 
- रोज़ एक अनार या उसके जूस के सेवन से आपके शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ेगा और आपका हृदय भी स्वस्थ रहेगा।


: *दही खाने के  फायदे*


 दही का सेवन करने से हमारी पाचन शक्ति बढ़ती हैं,हर-रोज दही खाने से भूख न लगने की बीमारी खत्म हो जाती हैं।

जो लोग हर-रोज दही का सेवन करते हैं।ना तो मुँह से दुर्गंध आती हैं।और ना ही उनके दांतों में कीडा लगता हैं।

हर-रोज दही खाने से हमारा इम्यून सिस्टम स्ट्रोंग होता हैं,और हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती हैं।

यह माना गया हैं कि जो लोग नियमित रूप से दही का सेवन करते हैं उनका शुगर लेवल कंट्रोल रहता हैं।

दही का नियमित सेवन करने से आंतों के रोग और पेट संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं।

दही में कैल्शियम अधिक मात्रा में पाई जाती हैं।जिससे हमारी हड्डियां को विकास होता हैं।

हींग का छौंक लगाकर दही खाने से जोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है।यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी हैं।

 दुबले-पतले व्यक्तियों को अगर दही में किशमिश,बादाम या छुहारा मिलाकर दिया जाए तो वजन बढ़ने लगता हैं।

दही के साथ शहद मिलाकर जिन बच्चों के दांत निकल रहे हों,उन्हें चटाना चाहिए। इससे दांत आसानी से निकल जाते हैं।

 रात को नींद न आने वाली बीमारी में दही का सेवन बहुत फायदेमंद हैं।

हमारे दिमाग के लिए दही का सेवन बहुत फायदेमंद हैं।क्योंकि दही में विटामिन B12 अच्छी मात्रा में होता हैं।

हर-रोज दही का सेवन करने से आंतो,पेट सबंधिंत बीमारी नहीं होती हैं।

एंटीबायोटिक दवाइयों के सेवन के दुष्प्रभाव से बचने के लिए दही सेवन की सलाह डाक्टर भी देते हैं।

 दही खाने का सीधा संबंध मस्त‍‍िष्क से हैं,आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दही का सेवन करने वालों को तनाव की शिकायत बहुत कम होती हैं।

 अगर आप खुद को बहुत थका हुआ महसूस कर रहे हैं।तो हर रोज दही का सेवन करना आपके लिए अच्छा रहेगा।
[

: हर्निया & सूजोक
           👁👁
हर्निया एक ऐसी समस्या है जो पेट की मांसपेशियों को कमजोरी कर देती है। लगातार खासने से या भारी समान उठाने से पेट की मांसपेशियों में कसाब आ जाता है और पेट की केविटी की झिल्लियां फट जाने के कारण कुछ भाग बाहर निकल जाता है। इसको ही हर्निया कहा जाता है। हर्निया होने के कई कारण हो सकते है जैसे समस से पहले होने वाले बच्चे, वृदावस्था, कब्ज रहना, मोटापा अन्य आदि। हर्निया की समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोग कई ट्रीटमेंट करवाते हैं जो बहुत दर्दनाक होते हैं। आज हम आपको एेसे घरेलू उपायों के बारे में बताएंगे जिनका उपयोंग करके आसानी से हर्नियां की समस्या से छुटा़कारा पाया जा सकता हैं।
😊


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