*खरमास और उसका वैज्ञानिक धार्मिक महत्व* डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक
सभी पंचांग और ज्योतिष ग के सूक्ष्म अवलोकन के पश्चात खरमास का आरंभ दिनांक 16 जनवरी के अनुसार अगहन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू हो रहा है इसके बाद यह 14 जनवरी 2024 तक जारी रहेगा और 15 जनवरी से खरमास समाप्त होगा और उसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी जिसको खिचड़ी लोहड़ी पोंगल उत्तरायण माघी भी कहा जाता है इस दौरान गिने चुने मुहूर्त में कुछ कार्यों को छोड़कर कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता क्योंकि सूर्य धनु राशि या मीन राशि में जब प्रवेश करते हैं तब वह अपने गुरु बृहस्पति की सेवा में रहते हैं यह तो धार्मिक कारण है इस काल में अभिजीत मुहूर्त और कुछ अन्य विशेष शुभ मुहूर्त के अतिरिक्त अन्य कार्य करने पर उसका फल नहीं बल्कि उसका उल्टा फल मिलता है और इसकी जानकारी बहुत बड़े-बड़े विशेषज्ञ विद्वानों को होती है जो सदाचारी होते हैं और आजकल सनातन धर्म के ज्यादातर ज्योति विद्वान और पंचांग के जानकारी आचरण सदाचार और संयम विहीन हो गए हैं इसलिए कुछ भी इंटरनेट और गूगल देखकर लिखकर जनता को सही राह दिखाने की जगह उसको भ्रमित करते रहते हैं और खुद को विद्वान घोषित करना चाहते हैं अगर ऐसे लोगों को तत्काल ही सामने कुंडली बनाने या कुंडली मिलाने को कह दिया जाए तो वह बगले झांकने लगेंगे
*खरमास में मांगलिक काम न करने का वैज्ञानिक कारण*
इसके अतिरिक्त इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि इस एक महीने में भयंकर ठंड अपने प्रचंड रूप में रहती है शीतलहर पाला कोहरा ठंडी पछुआ हवाएं हिमपात और वीरानी मिलकर इस मौसम को किसी भी मांगलिक और शुभ कार्य के योग्य नहीं बनाती इसके अतिरिक्त इस भयंकर ठंड के काल में फल फूल पत्ते जड़ी बूटियों और पूजा पाठ यज्ञ हवन के समान उपलब्ध नहीं होते हैं इसलिए इसको धर्म और आध्यात्मिक का रूप देकर लोगों को शुभ तथा मांगलिक कार्यों से वर्जित किया गया है जो सर्व था उचित भी है
*क्यों प्रश्न चिन्ह उठाए जाते हैं सनातन धर्म के विज्ञान धर्म और अध्यात्म पर*
सनातन धर्म को समझना इतना आसान नहीं है क्योंकि यह मनुष्य के जीवन जीने की सर्वोत्तम प्रणाली है और यह अपने में दुनिया भर को समाहित कर सकता है लेकिन सनातन धर्म के लोग स्वयं इतना पतित हो गए हैं कि आज हुए सब कुछ अंग्रेजी प्रथम परंपरा के अनुसार अपना कर अपने ही बच्चों को विदेशी और अंग्रेजी बना रहे हैं फिर दूसरों को उपदेश क्या देंगे मैं देखता हूं बड़े-बड़े बुद्धिजीवी पंडित और विद्वान तथा ब्राह्मण विशेष करके विवाह की जगह शादी धन्यवाद की जगह शुक्रिया बधाई की जगह मुबारक पत्नी की जगह बीवी श्रीमान की जगह जमा जब या कर गुड मॉर्निंग गुड इवनिंग जैसे व्यर्थ के शब्दों का अनावश्यक प्रयोग करते हैं और सही चीज एक ही सनातन धर्म के पर्व की अलग-अलग शुभ मुहूर्त बताए जाते हैं जबकि ऐसा होता नहीं है खरमास में एक और कारण है सूर्य और बृहस्पति के बीच पृथ्वी का एक विशेष कोण होने के कारण उत्तरी गोलार्ध के प्रत्येक इसका जातक लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ता है जिसको इस काल में शुभ और मांगलिक कार्य करने वाले लोगों पर अध्ययन करके देखा जा सकता है
*अत्यंत ही शुक्ष्म और गहरा है सनातन धर्म और उसके पर्व*
हमारे सभी पर्व और त्योहार पूरी तरह विज्ञान और अध्यात्म का मिश्रण है इसका बहुत गहराई से अध्ययन करके सब कुछ निकाल कर रखा गया है वैसे तो 14 दिसंबर को ही शुभ और मांगलिक मुहूर्त समाप्त हो गया था लेकिन ग्रह नक्षत्र के सूक्ष्म परिवर्तन के कारण खरमास 15 की जगह 16 दिसंबर को लग रहा है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निर्देशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम विज्ञान पूर्वानुमान और अनुसंधान केंद्र जौनपुर
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