फरीदाबाद में अलफलाह विश्वविद्यालय के चारों ओर आतंक का कारखाना पकड़ा गया है जिसमें अंडरग्राउंड 200 वर्ग मीटर का एक भयानक गोला बारूद बम बनाने वाला कारखाना भी बन रहा था।
ध्यान रहे कि भारत के अधिकांश हिंदी प्रेमी कट्टर सनातनी आतंक की फैक्ट्री को टेरर फैक्ट्री कहते हैं उन्हें फाटक कहने में लज्जा आती है तो गेट कहते हैं विद्यालय की जगह स्कूल और पिता माता की जगह पापा मम्मी भोजन की जगह खान विवाह की जगह शादी पति की जगह सोहर हस्बैंड पत्नी की जगह वाइफ और बीवी धन्यवाद की जगह शुक्रिया और बधाई की जगह मुबारक कह कर
90% कट्टर सनातनी राजनेता अधिकारी और जनता सिद्ध करते हैं कि हम निश्चित रूप से रामराज जलाकर हिंदी भाषा का विश्व भाषा के रूप में स्थापना करेंगे।
मुझे तो लगता है भारत में जितने भी आतंकवाद के कारखाने चल रहे हैं आतंकी हमले हो रहे हैं गलत और विद विरुद्ध काम चल रहे हैं अवध निर्माण हो रहे हैं उन सभी में पुलिस प्रशासन का छिपा हुआ समर्थन होता है पैसे लेकर यह लोग कुछ भी कर सकते हैं पांच प्रतिशत ईमानदार इन लोगों में छोड़कर 95% पैसों पर बिके हुए लोग हैं
आप खुद सोचो 4 से 5 फीट मोटी दीवार वाली किले से भी मजबूत फैक्ट्री जमीन के नीचे और जमीन के ऊपर बन गई हजारों टन डायनामाइट अमोनियम नाइट्रेट आ गया इन लोगों को पता भी नहीं चला और विश्वविद्यालय में पूरा आतंक का कारखाना है यह लोग आंख मुड़ कर बैठे हैं और देश का लोकल इंटेलिजेंस ब्यूरो और गुप्तचर तंत्र कहां है कर क्या रहे हैं इन सभी को समाप्त कर दो
भारत में जबरदस्ती जिस तरह डाक विभाग आंगनबाड़ी सहित सैकड़ो विभाग केवल पैसों की बंदर वार्ड के लिए चलाए जा रहे हैं वैसे ही यह का गुप्तचर तंत्र और पुलिस तंत्र है इन सबको समाप्त कर नए सिरे से नया तंत्र जो देशभक्त और कर्तव्यनिष्ठ हो उसको फिर से निर्माण करना चाहिए
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