Tuesday 4 July 2023

विक्रम संवत 2080 अर्थात ईस्वी सन् 2023 में 18 जुलाई से मलमास या अधिक मास लग रहा है इस वर्ष सनातनी धर्म का वर्ष 12 महीने की जगह 13 महीने का होगा और चातुर्मास अर्थात वर्षा के 4 महीने जो आषाढ़ से लेकर कार्तिक मास की एकादशी तक चलता है 4 महीने की जगह 5 महीने का होगा*

*विक्रम संवत 2080 अर्थात ईस्वी सन् 2023 में 18 जुलाई से मलमास या अधिक मास लग रहा है इस वर्ष सनातनी धर्म का वर्ष 12 महीने की जगह 13 महीने का होगा और चातुर्मास अर्थात वर्षा के 4 महीने जो आषाढ़ से लेकर कार्तिक मास की एकादशी तक चलता है 4 महीने की जगह 5 महीने का होगा* 

*इन सभी कारणों से सनातन धर्म के सभी व्रत त्यौहार और उत्सव पर्व में परिवर्तन होगा मलमास को अधिक मास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं इसके पहले ऐसा संजोग 2004 ईस्वी में बना था और 19 साल बाद 2023 में ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जोकि सूर्य के पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करने के कारण होता है क्योंकि सनातन धर्म का 1 वर्ष 360 दिन का होता है जबकि वास्तविक रूप में पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करने में 365 दिन 5 घंटे 51 मिनट 55 सेकंड लगाती है* 

*यह हमारे प्राचीन काल में ही ऋषि मुनि और वैज्ञानिकों ने जान लिया था यही 5 घंटे धीरे-धीरे 1 महीने में बदल जाता है और फिर सैकड़ों वर्ष के बाद 5 घंटे और हजारों वर्षों के बाद 1 मिनट का समय अंतराल भी बदलता है जिसके कारण सनातन धर्म में व्रत त्यौहार और पर्व तथा वर्ष का मान और महीने घटते बढ़ते रहते हैं सनातन धर्म के वर्ष के अनुसार हर तीसरे वर्ष में एक महीना अधिक हो जाता है और इसे मलमास कहते हैं*

*यहां ज्ञात रखने की बात है कि चंद्रमा का वर्ष 354 दिन का ही होता है इसलिए मुस्लिम त्यौहार सर्दी गर्मीवर्षा में बदलते रहते हैं उनका हर पर्व त्यौहार हर वर्ष 11 दिन पहले क्या पड़ता है और दुनिया का सबसे विज्ञान विरुद्ध वर्ष है इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी को और संकट चौथ अर्थात गणेश चतुर्थी का व्रत 10 जनवरी को मनाया जाएगा*

*माना जाता है कि 4 महीने भगवान विष्णु महामाया महालक्ष्मी के साथ योगनिद्रा में सो जाते हैंजिसके कारण 4 महीनों में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाताहै इसको विष्णु की निद्रा हरि शयनी एकादशी और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को विष्णु के जागने को हरिउठानकहा जाता हैइस वर्ष इसी कारण 5 महीने का सावन होगा और आठ सोमवार के व्रत रखे जाएंगे मुझे इसका अत्यधिक महत्व है*

 *वैज्ञानिक धार्मिक दार्शनिक और अध्यात्मिक तथा प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण की दृष्टि से रूप सेइन4 महीनों में वर्षा के कारणचारों तरफ पानी भरा रहता है प्राचीन काल मेंरास्ते ना होने के कारण और घने जंगलों चारों तरफ घास खरपतवार झाड़ियां लताएं कीचड़  कारण भी इस समय हर कार्य को मना किया गया था 16 अगस्त को मलमास बीत जाएगा इसके बाद सावन का शुक्ल पक्ष शुरू होगा और 30 अगस्त को सावन पूर्णिमा के साथ समाप्त होगाऔर 8सोमवार का व्रत करने का सौभाग्य मिलेगा सावन के 2 महीने अर्थात सावन महीना 60 दिन होने के कारण इस बार रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष योग एवं निदेशक अलका शेखपुरा वैष्णवी मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर 70 177 13 978*

No comments:

Post a Comment