Thursday, 29 August 2024

स्वालंबी भारत अभियान के अंतर्गत उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन आज टिकट गंज ज्वाला नगर में स्थित शिव कान्वेंट स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें स्वालंबी भारत अभियान के जिला समन्वयक मुकेश पाठक जी मुख्य वक्ता

स्वालंबी भारत अभियान के अंतर्गत उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन आज टिकट गंज ज्वाला नगर में स्थित शिव कान्वेंट स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें स्वालंबी भारत अभियान के जिला समन्वयक मुकेश पाठक जी मुख्य वक्ता ने  माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक कक्षा के छात्र और छात्राओं को प्रोत्साहित किया के वे भविष्य में रोजगार देने वाले बने । इसके लिए इच्छा शक्ति और आत्मनिर्णय का सहारा लें । अगर हम ठान लें की हम नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बनेंगे तो वह दिन दूर नहीं होगा जब भारत फिर से सोने की चिड़िया कहलाएगी । बस स्वदेशी को अपनाना है।
 अंत में स्वदेशी जागरण मंच के जिला संयोजक फरहत अली खान ने स्वदेशी नारे लगाकर बच्चों में अलक जगाई । सभी अतिथियों का आभार एवं स्वागत श्री अजय ठाकुर प्रबंधक एवं संस्थापक शिव कान्वेंट स्कूल ने किया ।
इस अवसर पर स्कूल के प्रधानाचार्य प्रणवीर गोड शुभ्रा सक्सेना रचना ठाकुर बबीता पंत स्वती भारद्वाज पूजा सैनी आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

मुस्लिम महल संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान ने सभी जिले के नागरिकों से अपील की कीजिए अपने 16 साल से कम आयु के बच्चों को वैक्सीन जरूर लगाए क्योंकि जो बीमारी के लिए यह वैक्सीन लगाई जा रही है वह अत्यंत गंभीर बीमारी है किसी के बहकावे में ना आए क्योंकि *आप अपने बच्चों से करते हैं बहुत प्यार* ।।

मुस्लिम महल संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान ने सभी जिले के नागरिकों से अपील की कीजिए अपने 16 साल से कम आयु के बच्चों को वैक्सीन जरूर लगाए क्योंकि जो बीमारी के लिए यह वैक्सीन लगाई जा रही है वह अत्यंत गंभीर बीमारी है किसी के बहकावे में ना आए क्योंकि *आप अपने बच्चों से करते हैं बहुत प्यार* ।।
*तब वैक्सीन लगवाने से नहीं करेंगे इनकार* 
जिला प्रशासन और स्कूल प्रशासन का सहयोग करें यह वैक्सीन आपकी बच्चे की जीवन को बचाने के लिए है और इसका इनकार करना या विरोध करना गैर कानूनी है 
*फरहत अली खान*
 *अध्यक्ष मुस्लिम महासंघ*

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाएं भारतीय मुसलमान फरहत अली खान*

*बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाएं भारतीय मुसलमान फरहत अली खान*


मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान ने कहा की बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे जुल्म और अत्याचार कि अब हद हो चुकी है इसके खिलाफ भारतीय मुसलमान को भी आवाज उठाना चाहिए क्योंकि जुल्म जुल्म होता है और जुल्म किसी मज़हब या धर्म के खिलाफ नहीं होता इंसानियत के खिलाफ होता है बांग्लादेशी इस्लाम के नाम पर बांग्लादेशी हिंदुओं पर जुल्म कर रहे हैं और हमारे भारत सरकार वहां की पूर्व शासक शेख हसीना को पनाह दिए हुए हैं उनकी सुरक्षा में लगा है यह होती है इंसानियत को सुरक्षा देना । जो लोग अन्य देशों में हो रहे हैं मुसलमान के लिए अत्याचार पर आवाज उठाते हैं उनकी जुबानी आज बंद क्यों है हम बांग्लादेश मे हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और जुल्म के खिलाफ है *बांग्लादेशी मुसलमान इस्लामी नहीं बल्कि आतंकवादी मुसलमान है*
 फरहत अली खान
 *अध्यक्ष मुस्लिम महासंघ*

मुस्लिम युवा और उच्च शिक्षा: समृद्धि का मार्ग फरहत अली खान*

*मुस्लिम युवा और उच्च शिक्षा: समृद्धि का मार्ग फरहत अली खान*

जब किसी विशेष वर्ग की समृद्धि और ऊपर की ओर गतिशीलता को मापा जाता है तो शिक्षा प्राथमिक संकेतक होती है। भारत, जो अपनी समृद्ध विविधता के लिए जाना जाता है, वर्तमान में जनसांख्यिकीय लाभ का अनुभव कर रहा है क्योंकि इसकी युवा आबादी शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बढ़ रही है और उत्कृष्टता प्राप्त कर रही है। फिर भी, मुस्लिम समुदाय का एक हिस्सा इस क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने में विफल रहता है, विशेष रूप से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में, सरकार द्वारा प्रदान किए गए अवसरों और प्रोत्साहनों की अधिकता के बावजूद।

शोध लगातार संकेत देते हैं कि उच्च स्तर की शिक्षा वाली आबादी बढ़ी हुई आर्थिक वृद्धि, गरीबी दर में कमी और बेहतर स्वास्थ्य परिणामों से जुड़ी है। उच्च शिक्षा सामाजिक गतिशीलता को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह व्यक्तियों को समाज पर सार्थक प्रभाव डालने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और आलोचनात्मक सोच क्षमताओं से सशक्त बनाती है। यह सुनिश्चित करके कि सभी युवा लोगों को, उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच प्राप्त हो, भारत अपनी विविध आबादी की अपार क्षमता का दोहन कर सकता है और एक ऐसा समाज बना सकता है जो सभी के लिए अधिक समावेशी और समृद्ध हो। गरीबी, सीमित जागरूकता और लैंगिक असमानता जैसे विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारक इस मुद्दे को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मुस्लिम युवाओं की शिक्षा में निवेश करना सिर्फ़ समानता को बढ़ावा देने वाला काम नहीं है; यह भारत के भविष्य के कार्यबल में एक स्मार्ट निवेश है। विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं और कई पहलों के माध्यम से सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि मुस्लिम युवाओं के लिए उच्च शिक्षा का मार्ग आसान और सुगम हो; अब गेंद मुस्लिम युवाओं के पाले में है कि वे ऐसे अवसरों और प्रोत्साहनों का अपने लाभ के लिए सर्वोत्तम उपयोग करें। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) के डेटा से पता चलता है कि प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर मुस्लिम छात्रों के बीच नामांकन के लिए एक मजबूत अभियान चल रहा है। मुस्लिम युवा यूपीएससी और विभिन्न राज्य पीएससी परीक्षाओं में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, जो एक सकारात्मक प्रवृत्ति का संकेत है। उच्च शिक्षा के मार्ग को सुव्यवस्थित करने के लिए, सरकार, शैक्षणिक संस्थानों और नागरिक समाज के लिए एक साथ आना और सहयोगात्मक रूप से काम करना महत्वपूर्ण है। इसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसरों का विस्तार करना, वित्तीय सहायता प्रदान करना और केंद्रित जागरूकता पहल शुरू करना शामिल है। इसके अलावा, एक सहायक शिक्षण वातावरण के विचार को विकसित करना महत्वपूर्ण है। अब समय आ गया है कि सभी बाधाओं को दूर किया जाए और ऐसा माहौल बनाया जाए, जहां हर युवा भारतीय मुसलमान अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर सके और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने गैर-मुस्लिम समकक्षों को चुनौती दे सके।
फरहत अली खान 
 एम ए गोल्ड मेडलिस्ट

Tuesday, 20 August 2024

केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मंगलवार को ऐलान किया कि सरकार 4 राज्यों में 60 फेयर प्राइस शॉप (राशन की दुकान) को अब ‘जन पोषण केंद्र’ के रूप में ट्रांसफॉर्म करेगी. क्या खास होगा ‘जन पोषण केंद्रों’ में इसकी जानकारी भी सरकार ने शेयर की है.‘जन पोषण केंद्र’ पर ये होगा खास

अभी आपके गली-मुहल्लों में जो सरकारी राशन की दुकान है, उनकी पहचान बोरियों में भरे गेहूं, चावल और चीनी की है. इसके अलावा कहीं-कहीं पर मिट्टी का तेल और अन्य सामान भी मिलता है. इतना ही नहीं इन दुकानों की एक और पहचान अंधेरे में घिरे होने और कम सुविधाओं के होने से भी जुड़ी है.लेकिन बहुत जल्द देशभर में राशन की दुकानों का मेकओवर होने जा रहा है. केंद्र सरकार ने इसका पूरा प्लान बना लिया है और यूपी, राजस्थान , गुजरात और तेलंगाना में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही हैं.

केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मंगलवार को ऐलान किया कि सरकार 4 राज्यों में 60 फेयर प्राइस शॉप (राशन की दुकान) को अब ‘जन पोषण केंद्र’ के रूप में ट्रांसफॉर्म करेगी. क्या खास होगा ‘जन पोषण केंद्रों’ में इसकी जानकारी भी सरकार ने शेयर की है.

‘जन पोषण केंद्र’ पर ये होगा खास
सरकार का कहना है कि इस परियोजना का मकसद एफपीएस की व्यवहारिकता को बढ़ाना है. इन दुकानों पर सरकार अब ज्यादा न्यूट्रिशन वाले फूड आइटम्स की उपलब्धता बढ़ाएगी. इन दुकानों को जन पोषण केंद्र में बदलने का एक मकसद इनके ऑपरेटर्स की इनकम बढ़ाना भी है. अब से सरकारी राशन की दुकान चलाने वाले डीलर को ‘जन पोषण केंद्र’ पर सब्सिडी वाले अनाज के अलावा अपने अलग-अलग प्रोडक्ट्स लाने की छूट होगी. इससे उन्हें अपनी दुकान पर विविधता लाने में मदद मिलेगी.

इन दुकानों को नए रंगरूप में सजाया-संवारा जाएगा. वहीं दुकानों पर बाजरा, दाल, डेयरी उत्पाद और दैनिक जरूरत के अन्य सामान भी उपलब्ध होंगे. इन दुकानों को ओवरऑल एक किराना स्टोर की तरह डेवलप किया जाएगा. इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत करते हुए प्रल्हाद जोशी ने कहा कि यह बदलाव ग्राहक और डीलर दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगा.

रेगुलर खुलेंगी राशन की दुकानें

सरकारी राशन की दुकानों की मौजूदा समस्याओं और अक्षमताओं को स्वीकार करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ इलाकों में फेयर प्राइस शॉप अभी सिर्फ 8-9 दिन के लिए खुलते हैं, जबकि कई दुकानें ऐसी हैं जो तीन महीने में एक बार खुलती हैं. बाकी समय में ये दुकानें बंद रहती हैं. इससे लोगों को दिक्कत होती है.वहीं एफपीएस डीलर के लिए मौजूदा कमीशन की व्यवस्था अपर्याप्त है. ऐसे में अब सरकार की कोशिश इन दुकानों का अधिक प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने की है और इसके लिए वैकल्पिक तरीकों की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘मेरा राशन’ ऐप का अपडेट वर्जन भी पेश कर दिया है. इस मौके पर खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि एफपीएस डीलरों को अब आसानी से लोन भी मिल जाएगा. इसके लिए सिडबी के साथ साझेदारी की गई है. देशभर में अभी सरकारी राशन की 5.38 लाख दुकानें हैं.

सिर्फ स्तन ढकने जांघ ढकने से आप की इज्जत सुरक्षित नही होती है जब कोई रिश्तेदार मामा चाचा ताऊ फूफा मौसा पड़ोसी कज़िन भैया आदि प्रकार का रिश्ता किनारे रख कर तुमसे कहने लगे "रिश्ते अपनी जगह ,पर मैं तो तुम्हें अपनी फ्रेंड मानता हूँ।

सिर्फ स्तन ढकने जांघ ढकने से आप की इज्जत सुरक्षित नही होती है 
जब कोई रिश्तेदार मामा चाचा ताऊ फूफा मौसा पड़ोसी कज़िन भैया आदि प्रकार का रिश्ता किनारे रख कर तुमसे कहने लगे "रिश्ते अपनी जगह ,पर मैं तो तुम्हें अपनी फ्रेंड मानता हूँ।
तुम एक मॉर्डन गर्ल हो आज के ज़माने की तो पुराने टाइप के रिश्ते मत मानो।
"तो अपने माता पिता भाई को बता दो,,, क्योंकि उनकी नियत में खोट है।

फेसबुक के फ्रेंड किसी फ्रेंडशिप के प्रतीक नहीं हैं । फेसबुक फ्रेंड मतलब फालतू के फ्रेंड, सिर्फ ऑनलाइन हैं ये,,

अतः फेसबुक पर उनकी फ्रेंड रिक्वेस्ट को संदेह से न देखो,,,,

पर इनबॉक्स और व्हाट्सअप में वीडियो कोटेशन शेयर करने लगें तो सावधान।

पुरुषों के हथकंडे -

वे तुमसे ऐसे बातें करेंगे कि दर्द आंखों से छलक पड़े

स्वयं को अपनी पत्नी के पिछड़ेपन से त्रस्त दिखाएंगे

खुद हैंडसम बने रह कर जताएंगे कि बहुत पुराने विचारों की पत्नी मिली है,दर्द किससे कहे,,,,,,

तुम अगर कह बैठी कि मुझसे कहिये,में हूँ न तो बस तुम्हारा जीवन उनके हवाले हो गया।

पत्नी को बीमार बता सकते हैं

पत्नी के अवैध संबंधों की झूठी बात बता कर सहानुभूति लूटेंगे,,,

तुम्हें सुंदर और इंटेलीजेंट बता कर काबू करेंगे,,,,

तुम में उन्हें अचानक ऐश्वर्या सानिया कल्पना चावला दिखने लगेगी।

तुम्हारी ममी पापा की ज़्यादा केअर शुरू करेंगे,,,,

तुम्हें वो गिफ्ट करना शुरू करेंगे जो पापा नहीं दे सकते

कोई कुछ कहेगा भी नहीं

उनसे रिश्ता ही ऐसा है अचानक गिफ्ट बढ़ जाएं
कपड़े ज़्यादा प्राप्त होने लगें घर आना जाना बढ़ जाये
तुम्हें एग्जाम दिलाने वे स्वयं जाने लगे।

सावधान

कोई पुरुष रिश्ते की आड़ में तुम्हें लूटने की तैयारी में है।

अच्छी नियत वाले भी अलग दिख जाते हैं,,सबसे सुरक्षित रहें।।।

मां बाप सगे भाई बहन के अलावा कोई हितैषी नही।।

आज का युग

अमेरिका के एक रेस्तरां में वेट्रेस ने एक आदमी और उसकी पत्नी को लंच का मेनू दिया और मेनू देखने से पहले, उन्होंने उसे दो सबसे सस्ता डिशेस देने के लिए कहा क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे। कई महीनों से वेतन नहीं मिला था। जिस वजह से ये मुश्किल दौर से गुजर रहे थे।

अमेरिका के एक रेस्तरां में वेट्रेस ने एक आदमी और उसकी पत्नी को लंच का मेनू दिया और मेनू देखने से पहले, उन्होंने उसे दो सबसे सस्ता डिशेस देने के लिए कहा क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे। कई महीनों से वेतन नहीं मिला था। जिस वजह से ये मुश्किल दौर से गुजर रहे थे।

वेट्रेस सारा ने ज़्यादा देर तक नहीं सोचा। उसने उन्हें दो डिशेस की सिफारिश की और वो बिना किसी संकोच के सहमत हुए कि वो सबसे सस्ते थे। वह दोनों आर्डर ले आई और उन्होंने भूख से जल्दी खा लिया, और जाने से पहले उन्होंने वेट्रेस से बिल के लिए पूछा। वह अपने बिलिंग वॉलेट में कागज़ का एक टुकड़ा लेकर उनके पास वापस आई जिसमें लिखा था: "मैंने आपके हालात को देखते हुए अपने व्यक्तिगत खाते से आपके बिल का भुगतान किया है। ये मेरी तरफ से गिफ्ट के रूप में सौ डॉलर हैं और कम से कम मैं आपके लिए यही कर सकती हूं। आने के लिए धन्यवाद। 

सारा के लिए आश्चर्यजनक बात यह थी कि वह अपनी कठिन वित्तीय परिस्थितियों के बावजूद कपल के लंच के बिल का भुगतान करके बेहद खुश थी। हालांकि वह लगभग एक साल से ऑटोमेटिक वाशिंग मशीन खरीदने के लिए पैसे बचा रही थी क्योंकि उसे पुरानी वाशिंग मशीन से कपड़े धोने में मुश्किल थी।

उसकी दोस्त को इस मामले के बारे में पता चला तो सारा की दोस्त ने उसे बहुत डांटा। क्योंकि उसने खुद को और अपने बच्चे की जरूरतों को पीछे डालकर यह पैसा बचाया था। उसे दूसरों की मदद करने से अधिक अपने लिए एक वाशिंग मशीन खरीदने की जरूरत थी।

इस बीच उसे अपनी माँ का फोन आया जोर से कहा: "साराह तुमने क्या किया? "
एक असहनीय सदमे के डर से उसने धीमी, कांपती आवाज़ में जवाब दिया: "मैंने कुछ नहीं किया। क्या हो गया ? 

उसकी माँ ने जवाब दिया: "सोशल मीडिया आपकी तारीफ़ और आपके व्यवहार की प्रशंसा करने में ज़मीन आसमान एक कर रहा है। उस आदमी और उसकी पत्नी ने फेसबुक पर आपका संदेश पोस्ट किया जब आपने उनकी ओर से बिल का भुगतान किया और कई और लोगों ने इसे शेयर किया। मुझे आप पर फ़ख़्र है। "...
उसने अपनी मां के साथ अपनी बातचीत मुश्किल से ख़त्म की थी कि एक स्कूल के दोस्त ने उसे फोन किया और कहा कि उसका मैसेज सभी डिजिटल सोशल प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गया है।

जैसे ही सारा ने अपना फेसबुक अकाउंट खोला, उसे टीवी प्रोडूसर्स और प्रेस रिपोर्टर्स के सैकड़ों मैसेज मिले, जो उसके ख़ास कदम के बारे में बात करने के लिए उनसे मिलने के लिए कह रहे थे।

अगले दिन, सारा सबसे लोकप्रिय और सबसे अधिक देखे जाने वाले अमेरिकी टीवी शो में से एक में दिखाई दी। प्रस्तुतकर्ता ने उसे एक बहुत ही आलीशान वाशिंग मशीन, एक आधुनिक टेलीविजन सेट और दस हजार डॉलर दिए। इस इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी से पांच हजार डॉलर का शॉपिंग वाउचर मिला। यहाँ तक कि  उसके महान मानवीय व्यवहार की सराहना में हासिल होनेवाली रक़म  $100,000 से ज़्यादा  तक  पहुंच गई।

सौ डॉलर से कम कीमत वाले दो डिशेस ने उसकी जिंदगी बदल दी।

उदारता ये नहीं है कि जिस चीज़ की आपको ज़रूरत नहीं है वो किसी को दे दें, बल्कि वह उदारता ये है कि जिस चीज़ की आपको ज़रूरत है वो किसी और ज़रूरतमंद को दे दें।

असल ग़रीबी मानवता और दृष्टिकोण की ग़रीबी है।
~`कैप्टेन `
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Monday, 19 August 2024

1907 का यह फोटोग्राफ इतिहास के सबसे दर्दनाक अध्यायों में से एक की कहानी बयां करता है

1907 का यह फोटोग्राफ इतिहास के सबसे दर्दनाक अध्यायों में से एक की कहानी बयां करता है। तस्वीर में एक ब्रिटिश नाविक एक दास व्यक्ति से उसकी टांगों में जकड़े हुए बेड़ियों को हटा रहा है। यह व्यक्ति तीन साल तक इन बेड़ियों की जंजीरों में जकड़ा रहा था। यह क्षण गुलामी के अत्याचारों और आजादी की लड़ाई लड़ने वालों के साहस का प्रतीक है।"

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