Thursday 8 August 2024

नाग पंचमी का महापर्व और भारतीय दर्शन डॉ दिलीप कुमार सिंह

नाग पंचमी का महापर्व और भारतीय दर्शन डॉ दिलीप कुमार सिंह

 नाग पंचमी एक अद्भुत महापर्व है किसी भी देश में दुनिया में भारत की तरह पशु पक्षियों जानवरों और भयंकर विषैले सांपों के बारे में महापर्व नहीं मनाया जाता लेकिन यह भारत ही एक ऐसा अद्भुत देश है जिसमें लोग प्रत्येक जीव जंतु पेड़ पौधों को भी अपना मानकर उनकी पूजा करते हैं और नाग पंचमी उन्हें में से एक महान पर्व है


 इस वर्ष की नाग पंचमी अंग्रेजी पंचांग के अनुसार 9 अगस्त 2024 को शुक्रवार के दिन पड़ रही है यह सावन महीने में पड़ने वाला एक आश्चर्यजनक और अद्भुत महान पर्व है जो सांपों के राजा कहे जाने वाले नागों का पर्व माना जाता है भारत की संस्कृति और सभ्यता नागों के महत्व से भरी पड़ी है और हमारे देश में शेषनाग वासुकी तक्षक अश्वसेन शंक जैसे महान सांपों की अनगिनत गाथाएं प्रचलित हैं


 जिसमें शेषनाग तो स्वयं भगवान लक्ष्मण के अवतार माने जाते हैं जिनकी शैया पर भगवान श्री विष्णु और माता महालक्ष्मी सदैव विराजमान रहती हैं अश्व सेन का नाम महाभारत में अर्जुन से हुए युद्ध के कारण हर जगह विश्व विख्यात हो गया है और तक्षक का नाम पांडवों के प्रपौत्र परीक्षित को काटने के कारण जगत विख्यात है 

सामान्य रूप से सांपों की पूजा करना एक अद्भुत कार्य विश्व की मानव जाति को लग सकता है लेकिन हमारे ऋषि मुनि वैज्ञानिक दार्शनिक और साधारण जनता तक जानती थी कि सांप बिना गलती के काटते नहीं है विशेष कर नागों की प्रजाति तो बिल्कुल नहीं सावन के महीने में नाग प्रजनन करते हैं और इसके अलावा यह वातावरण में फैले हुए विष को सोखते रहते हैं और हानिकारक जीव जंतुओं को खाकर किसानों की रक्षा करते हैं विशेष कर चूहे जैसे खतरनाक प्राणियों को जो मानव जाति के भयंकर और विनाशकारी शत्रु हैं और प्लेग जैसे महा भयंकर रोग फेलाते हैं 


इसके अलावा सावन महीने में विधि विधान से नागों की पूजा करने पर उनका विष शांत होता है और पूजा पाठ और हवन में प्रयुक्त सामग्री के कारण में घरों को छोड़कर खेतों और जंगलों में निकल जाते हैं जिससे सर्पदंश की घटनाएं बहुत कम हो जाती हैं 

नागकन्या और सर्प कन्या भारत के प्राचीन इतिहास में प्रसिद्ध हैं लेकिन हमको यह याद रखना होगा की जिन सर्प और नाग कन्याओं की हम चर्चा करते हैं या जिन नाग और सर्प प्रजातियों की हम मनुष्य रूप में वर्णन पाते हैं वे नाग और नागिन नहीं जैसा की फिल्मों में दिखाया जता है

 बलकि वे जंगलों पहाड़ओं कंदराओं में रहने वाली मानव की वे प्रजातियां हैं जो नागों की विशेषज्ञ होती हैं और उनके साथ रहते रहते वह नागों का अनेक गुण धर्म ग्रहण कर लेती हैं ठीक  ऐसे ही जैसे डॉक्टर के साथ रहने वाला कंपाउंडर भी लगभग डॉक्टर बन ही जता है

 अर्जुन के साथ नाग कन्या उलूपी और शेष नाग की पुत्री सुलोचना का वर्णन तो रामायण और महाभारत में विख्यात है ही अगर वे नाग नागिन होते तो भला अर्जुन और मेघनाथ उनसे कैसे विवाह कर सकते थे यह सोचने वाली बात है नागों की माता कडरू है जो कश्यप ऋषि की पत्नी है जबकि गरुड़ प्रजातियों की माता विनता भी कश्यप की ही पत्नी है


 संक्षेप में नाग पंचमी एक बहुत ही बड़ा और अभूतपूर्व महापर्व है जो मानव को पशु पक्षियों और सांपों के निकट ले आती है और उनको मरने और उनका विनाश करने से रोकती है वैसे अगर इतिहास देखा जाए तो प्राचीन काल में बहुत ही कम लोग सर्प दंश से मरते थे बल्कि इस  समय ज्यादा लोग मर रहे हैं 

नाग न केवल कीड़े मकोड़े खतरनक चूहे और अन्य जातियों को खा जाते हैं बल्कि यह सांपों की सभी विषैली प्रजातियों को भी खा जाते हैं और मानवता की रक्षा करते हैं और बिना चेतावनी दिये किसी को नहीं काटते हैं  इसलिए हम मनुष्य जाति के लिए एक वरदान है और इसीलिए नाग पंचमी पूरे देश में उत्साह के साथ मनाई जाति है और इस महापर्व को रोचक और लोकप्रिय बनाने के लिए इसी दिन भारत के हर गांव में लंबी कूद कुश्ती दंगल जैसी प्रतियोगितायें होती हैं और अनेक स्थानों पर मेले भी लगते हैं यह एक अद्भूत महापर्व है

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