Wednesday 2 October 2024

आश्विन माह की शारदीय नवरात्रि**इस वर्ष मां आदिशक्ति भगवती दुर्गा की शारदीय नवरात्रि क्वार माह के उजाले पक्ष प्रथम दिन के साथ 3 अक्टूबर को पिंगल संवत्सर के साथ शुरू हो रही है तदनुसार विक्रम संवत 2081 शक संवत 1945 और कलि संवत 5126श्री कृष्ण संवत 5250 कलयुग संवत 432000 द्वापर संवत 864000 त्रेता संवत 17 38000 हजार और सतयुग संवत 3476000 वर्ष हैं एलपी

 
* आश्विन माह की शारदीय नवरात्रि*
*इस वर्ष मां आदिशक्ति भगवती दुर्गा की शारदीय  नवरात्रि   क्वार माह के  उजाले पक्ष प्रथम दिन के साथ 3 अक्टूबर  को पिंगल संवत्सर के साथ शुरू हो रही है तदनुसार विक्रम संवत 2081 शक संवत 1945 और कलि संवत 5126श्री कृष्ण संवत 5250  कलयुग  संवत  432000 द्वापर संवत 864000  त्रेता संवत 17 38000 हजार और सतयुग संवत 3476000 वर्ष हैं 

यह वर्ष बड़ा ही शुभ और पावन है यह नवरात्र गुरुवार से लग रहा है और शुक्र 11 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है सबसे बड़ी बात यह नया वर्ष हस्त नक्षत्र में परमपावन और फलदाई है इस वर्ष का राजा मंगल और मंत्री शनिदेव हैं और इस वर्ष की नवरात्रि 3 अक्टूबर से से से शुरू होकर 11 अक्टूबर तक चलेगी पूरे 9 दिन की नवरात्रि हैं जबकि 12 अक्टूबर को विश्व प्रसिद्ध विजयदशमी या दशहरा त्योहार है* 

* कलश स्थापना और पूजा पाठ विधान* 

*महा नवरात्रि में महालक्ष्मी महाकाली महासरस्वती की पूजा अर्चना विशेष रुप से की जाती है शारदीय नवरात्र का अर्थ है नवरात्रों का दिन जिसमें शक्ति की आराधना की जाती है यह भगवान श्री राम के द्वारा त्रेता युग में विशेष लोकप्रिय हुई जब उन्होंने शक्ति की 9 दिन पूजा कर दसवें दिन पारण करके तीनों लोकों के विजेता रावण जो अन्य अत्याचार सत्य का प्रतीक था को विजयादशमी के दिन मार गिराया और फिर भगवती सीता और संपूर्ण वानर सेवा के साथ कार्तिक माह की अमावस्या को अयोध्या पहुंच गए 

जहां तक  कलश स्थापना का समय है वह सुबह 4:09 से5:07  तक फिर 9:40 से 11:50 बजे सुबह देवगुरु बृहस्पति की दृष्टि के कारण यह लगन बहुत बलशाली है तक है कलश स्थापना के बाद भगवान गणेश और मां दुर्गा की आरती से शुरुआत करते हुए अपना पूजन पाठ हवन हवन आरंभ करें और कर्म से मां शैलपुत्री मां ब्रह्मचारिणी मां चंद्रघंटा मां कुष्मांडा मां स्कंदमाता मां कात्यायनी मां कालरात्रि माता महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करते हुए शुद्ध और पावन विचारों के साथ नवरात्रि बिताएं और तेल मसालों तली-भुनी चीजों का प्रयोग न करें या तो कम से कम करें

 शरीर और स्वास्थ्य के अनुसार 9 दिन या 1 दिन का व्रत रखें विशेषकर जो लोग असाध्य बीमारी या गैस इत्यादि रोगों से ग्रस्त हैं बाल वृद्ध या गर्भवती हैं उन्हें एक दिन का ही पूजा-पाठ उपवास बहुत है क्योंकि 9 दिन निराहार रहने से कोई विशेष लाभ नहीं होगा अगर मन में आंतरिक पवित्रता और शुचिता ना हो और कम से कम एक बुरी आदत और एक बुरे स्वभाव अवश्य  छोड़कर एक सत्कर्म ग्रहण करें जबरदस्ती पूजा पाठ करने से कोई लाभ नहीं होता जब तक की मन वचन कर्म से शुद्ध और सदाचारी ना हो जाए*

* *देवी दुर्गा का आगमन पालकी पर और प्रस्थान मुर्गा अरूण शिखा पर होगा*

*इस वर्ष माता रानी का आगमन पालकी पर सवार होकर हो रहा है और प्रस्थान मुर्गा पर होगा इसका अर्थ  यह है कि यह देश-विदेश में युद्ध हिंसा उन्माद आतंकवादी रोग और बीमारियों का तथा अस्त्र-शस्त्रों से भीषण विनाश ज्वालामुखी विस्फोट भूकंप आगमन प्राकृतिक आपदाओं का सूचक है नवरात्रि के एक दिन पहले ही इजरायल अरब देशों में रूस यूक्रेन में भीषण युद्ध से विश्व युद्ध का खतरा हो जाएगा पूरे नवरात्रि भर पूरी दुनिया और भारत में हिंसा उन्माद रोग शोक बीमारियों आतंकवादी मारकाट की प्रधानता रहेगी जैव रासायनिक परमाणु युद्ध भी हो सकता है जबकि मुर्गा पर प्रस्थान का अर्थ है बड़ी-बड़ी आपदा और विभीषिका अनगिनत लोगों की हत्या मार काट के बाद अंत में बड़े-बड़े महा शक्तियों के हस्तक्षेप से समाप्त हो सकती है और विश्व युद्ध जैव रासायनिक परमाणु युद्ध का खतरा बहुत अधिक होगा* 

*नौ देवियों का होता है पूजा अर्चन*

*जैसा कि सभी जानते हैं कि इस नवरात्रि में पहले दिन देवी शैलपुत्री दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा चौथे दिन देवी कुष्मांडा पांचवें दिन देवी स्कंदमाता छठे दिन देवी कात्यायनी सातवें दिन देवी कालरात्रि आठवें दिन देवी महागौरी और नौवे दिन सिद्धिदात्री देवी का पूजा पाठ हवन अनुष्ठान किया जाता है और हर शक्ति अपने में एक विशिष्ट अर्थ रखते हैं सृष्टि के निर्माण पालन और विकास तथा सृष्टि को आगे और पीछे ले जाने में इन सभी शक्तियों का अपना-अपना महत्व होता है जो देवताओं और मनुष्यों की सहायता से पालन सृजन और संहार करती हैं* 

*पूजा पाठ की कैसे करें तैयारी*

*जिस स्थान पर कलश या घट की स्थापना करनी है सबसे पहले उसे गाय के गोबर से लीप दें अगर यह संभव न हो तो उसे गंगाजल मिलाकर जल से स्वच्छ कर ले बड़े मिट्टी के दीपक में जौ बो दें और पूजा के स्थान पर इस बड़े मिट्टी के पात्र को स्थापित करें और अपनी इच्छा के अनुसार मिट्टी का तांबे का चांदी का या सोने का कलश लें पानी डालकर गंगाजल मिलाकर इसमें खड़ी सुपारी सिक्का हल्दी की गांठ  डालकर कल कलश के ऊपर पान का पत्ता अशोक का पत्ता या आम के पत्ते के साथ नारियल रख दें और कलश को पूजा के स्थान पर स्थापित कर दें कलश के नीचे थोड़ा सा गेहूं या जौ भी रखें अबीर कुमकुम फूल चावल से कलश की पूजा करें सबसे पहले गणेश जी फिर माता रानी का सभी ग्रहों का आवाहन करें 

इस बात का ध्यान रखें की 9 दिनों तक पूजा स्थल पर अंधेरा न होने दे घर को सूना ना छोड़े या तो सुबह शाम दीपक जलाएं यदि अखंड ज्योति जलाते हैं तो नियम से उसे ढक कर रखें या तेल या घी डालते रहे जो 9 दिनों तक जलनी चाहिए साफ सफाई रखें प्याज लहसुन मांस मदिरा तामसिक चीजों का भोजन भूल कर न करें पहले प्रयास किया करें कि 9 दिन तक गलत कार्य छूट बोलना नशा और मदिरापान करना और सभी अन्य गलत कार्य करने से खुद को रोकना और बाद में जीवन भर इसका अनुपालन करना है*

*उपसंहार*

* दुनिया के सभी धर्म में केवल सनातन धर्म भी ऐसा है जहां पर स्त्री की पूजा की जाती है नारी को देवी का रूप माना जाता है और सृष्टि का निर्माण नारी ही कर सकती है ऐसा विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है और अनेक जीवन देने वाले जंतु और पादप वनस्पतियां स्त्री होकर भी स्त्री पुरुष दोनों का कार्य कर लेती हैं जबकि पुरुष द्वारा ऐसा संभव नहीं है विशेष नवरात्रि के अवसर पर धरती सूर्य और नवग्रह की स्थितियां और वातावरण भी विशेष होता है इस कालखंड में पूजा पाठ व्रत अनुष्ठान करने से जहां शारीरिक रोग व्याधि खत्म होती है वहीं मानसिक शांति मिलती है और शरीर की आंतरिक प्रणाली अपने आप सही हो जाती है और व्यक्ति में सदाचार नैतिकता फौजी और तेज एवं स्वयं को नियमित करने का शुभ अवसर मिलता है नारी के नौ रूप संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त है जो कहीं मन है तो कहीं महाकाली है कहीं कन्या है तो कहीं तपस्या की साक्षात मूर्ति है और शक्ति के बिना शिवा इस तरह अधूरे हैं जिस तरह शरीर में प्राण न होने पर शरीर मृतक माना जाता है 

वैज्ञानिक रूप से जब तक प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होता है तब तक वह उदासीन रहता है और इलेक्ट्रॉन जो ऋण आत्मक शक्ति नारी का प्रतीक है उसके आने से ही सृष्टि निर्माण संभव होता है इस प्रकार भारत के वह ऋषि मुनि विद्वान मनीषी और पंडित धन्य है जिन्होंने इतने महान पर्व का सृजन किया है जिस तरह घर पर किसी के आगमन से हर्ष और विदाई पर विषाद होता है वही हालत माता रानी का भी होता है और सच्चे भक्त तो रो पड़ते हैं और विधि विधान से नवरात्रि व्रत करने वालों को निश्चित रूप से देवी का दर्शन होता है 



शारदीय नवरात्रि पर प्रकाशित करने हेतु पूर्ण वैज्ञानिक एवं मौलिक लेख

No comments:

Post a Comment