Friday 5 May 2023

यह पोस्ट तो 2 साल पुरानी है लेकिन आज भी उतनी ही सही है जितना पहले थी।

यह पोस्ट तो 2 साल पुरानी है लेकिन आज भी उतनी ही सही है जितना पहले थी।
कोरिया में एक पक्षी पाया जाता है उसका जीवविज्ञानी नाम मै भूल चुका हूँ अतएव उसका नाम "बेबी" रख लेते है . इस बेबी पक्षी को घोसलें बनाने में काफी महारत है. यह पक्षी अपने घोसलें में 3 से 4 अंडे एक साथ देता है. इस बेबी के घोसलें के बगल में एक पक्षी पाया जाता है जिसका नाम "कुकू" है.

यह कुकू पक्षी बेबी से करीब आकार में तिगुना होता है पर निर्माण कला न आने की वजह से कुकू घोसला नहीं बना पाता .जब बेबी अंडे देने के बाद कभी भोजन की तलाश में घोसला छोड़कर बाहर जाती है तो कुकू चुपचाप अपना एक अंडा बेबी के घोसलें में दे देता है. बेबी इतनी सहृदय चिड़िया होती है कि वो कुकू के अंडे को भी बराबर सेती है.

कुकू का अंडा जल्दी तैयार होता है और कुकू बच्चा पहले बाहर आता है. जब बेबी के अंडे तैयार होते है और बेबी चूज़े बाहर आते है तब घोंसला छोटा पड़ने लगता है क्योंकि कुकू का आकार बेबी चूज़ों से तिगुना होता है तो जब बेबी माँ खाने की तलाश में बाहर जाती है तो कुकू चूजा अपनी ताकत दिखाते हुए बेबी चूज़े को घोंसले से धकेल देता है और बेबी चूजा खत्म !! जगह हो जाती है घोसलें में, मजे की बात यह कि इतना होने के बाद भी बेबी माँ कुकू चूज़े को अपने बचे हुए चूजो के साथ बराबर पालती रहती है.

हमारे भारत वर्ष को 1947 में 2 करोड़ कुकू छोड़े हुए मिले थे और तब 30 करोड़ बेबी थे. अब कुकू बड़े होते जा रहे है, और हम बेबी लोगों के लिए घोंसला छोटा होता जा रहा है और हाँ हमारी सरकारें भी कुकू लोगों का पूरा ख्याल रखती आई है. अब तो हमें ही सोचना होगा क्या हमें घोंसले से फेंक दिया जाएगा???

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