Friday 19 May 2023

सत्य केवल उनके लिए कड़वा होता है जो झूठ में रहने के आदी हो चुके होते हैं , सुई चलती है कपड़ों के ऊपर बेहतरीन लिबास बनाने के लिए हर चुभने वाली चीज का मकसद बुरा नहीं होता।



सदा जपिये हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ll हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ll और हमेशा खुश एवं स्वस्थ रहिए 🙏🙏

जय श्री राधे राधे🙏🙏 जय श्री कृष्णा🙏🙏 सभी भक्तों के श्री चरण कमलों में कृष्ण दास का दंडवत प्रणाम.

*राधे - राधे ॥ आज का भगवद् चिन्तन ॥* 
                17 -05 - 2023 
               *" शांति का मूल "*

🕉️                 बाहर से हारकर भी जिसने स्वयं को जीत लिया वह सम्राट है मगर दुनिया जीतकर भी जो स्वयं से हार गया सच समझना वो कभी भी सम्राट नहीं हो सकता। सम्राट को शांति मिले यह आवश्यक नहीं पर जिसे शांति प्राप्त हो गयी उसे सम्राट अवश्य समझना चाहिए है।

🕉️               शांति के आगे साम्राज्य का कोई मोल नहीं है। जिसके पास शांति है किन्तु साम्राज्य नहीं वह अमीर है मगर जिसके पास साम्राज्य तो है किन्तु शांति नहीं निश्चित वह गरीब ही है। यह इस जीवन की एक बड़ी विडंबना है कि कभी - कभी यहाँ साम्राज्य मिल जाता है मगर शांति नहीं मिल पाती और कभी - कभी इसके ठीक विपरीत साम्राज्य तो नहीं मिल पाता, हाँ शांति जरुर प्राप्त हो जाती है।

🕉️         साम्राज्य जीवन की उपलब्धि नहीं शांति जीवन की उपलब्धि है, चाहे वह धनवान बनने से मिले या धर्मवान बनने से। धर्म विरुद्ध आचरण अशांति का तो धर्ममय आचरण ही जीवन में शांति का मूल है। 

🇮🇳🌹🙏🏻 *🕉️ 🙏🏻🌹🇮🇳

*आज का अमृत कलश*

एक दिव्य शक्ति, जो इस सृष्टि को चला रही है, उनसे हमारी प्रार्थना है कि ... वह सबका कल्याण करे, भला करे। हम सबको सद्बुद्धि प्रदान करें, मार्गदर्शन करें। हम नेक काम करें, सेवा भाव रखें, प्रेम आदर सम्मान सहित रहें। ऐसे कर्म करें जिनसे संसार में सुख शांति हो। सब जन निरोग स्वस्थ सुंदर और सुरक्षित हों।

दोस्तों , 

क़ोई भी कारण हो , क़ोई भी बात हो , चिड़ो मत गुस्सा मत करो, जोर से मत बोलो , मन को शांत रखो , विचार करो फिर निर्णय लो... 

आवाज से आवाज नहीं मिटती , बल्कि चुप्पी से मिटती है तकलीफ सिर्फ आप को होगी दुःख भी आपको ही होगा। शांत रहोगे तो सुख़ भी आपको ही मिलेगा ।

डाली से टूटा फूल फिर से लग नहीं सकता है मगर डाली मजबूत हो तो उस पर नया फूल खिल सकता है ,उसी तरह ज़िन्दगी में खोये पल को ला नहीं सकते मगर हौसलें व विश्वास से आने वाले हर पल को खुबसूरत बना सकते हैं। 

सत्य केवल उनके लिए कड़वा होता है जो झूठ में रहने के आदी हो चुके होते हैं , सुई चलती है कपड़ों के ऊपर बेहतरीन लिबास बनाने के लिए हर चुभने वाली चीज का मकसद बुरा नहीं होता।


*आज की अमृत कथा*

*🌺🌹सांवरा _सलोना 🌹🌺*

*🌺🌹"गुड़ का भोग"🅰️🌹🌺*

          किसी गाँव में छज्जूमल नाम का एक गुड़ बेचने वाला अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रहता था। उसकी पत्नी हर रोज गोपाल जी को भोग लगाती आरती करती उनका पूरा ध्यान रखती थी। उधर छज्जूमल दूर गाँव में जाकर गुड़ बेचता था। इसी तरह उनकी जिंदगी अच्छे से चल रही थी। 
          उसके बेटे बहुत नेक थे। परन्तु दुर्भाग्यवश छज्जूमल की पत्नी अचानक चल बसी। छज्जूमल बहुत उदास रहने लगा। फिर भगवान् की जो इच्छा मान कर फिर वह अपने काम वापस जाने लगा। उसके बेटे उसको समझाते बाबा अब हम अच्छा कमा लेते हैं हैं आप अब घर बैठे परन्तु छज्जूमल ना माना। 
          उसकी पत्नी रोज गोपाल जी को भोग लगाती थी। उसको तो भोग लगाना आता नहीं था। परन्तु अब थोड़ा सा गुड़ ठाकुर जी के आगे रख देता ठाकुर जी तो ठहरे मीठे के शौकीन। उनको तो गुड़ खाने का चस्का लग गया। अब रोज काम जाने से पहले गोपाल जी को थोड़ा सा गुड़ भोग लगा देता था।
          एक दिन दोनों बेटे बोले बाबा घर की मरम्मत करवानी हैं तो थोड़ा सा सामान इधर-उधर करना पड़ेगा। बाबा बोला ठीक, तो उन्होंने गोपाल जी को भी अलमारी में भूलवश रख दिया। घर का काम शुरू हो गया पर गोपाल जी को अब गुड़ का भोग ना लगता।
          छज्जूमल अब रोज की तरह गाँव में गुड़ बेचने गया रास्ते में थोड़ा सा विश्राम करने के लिए एक वृक्ष के नीचे बैठ गया। ठण्डी ठण्डी हवा चल रही थी तभी छज्जूमल  कि आँख लग गई। तभी उसे लगा कि कोई उसे उठा रहा है और कह रहा है बाबा आज गुड न दोगे। छज्जूमल ने एक दो बार अनसुना कर दिया उसे लगा कि कोई सपना है पर जब उसे कोई लगातार हिलाता जा रहा था और बोल रहा था। अचानक वह उठा और देखता है कि 6- 7 साल का बालक उसे कह रहा है कि बाबा आज गुड़ ना दोगे।
          छज्जूमल मन मे सोचने लगा कि मैंने तो इस बालक को कभी गुड़ न दिया फिर उसने सोचा कि गाँव में ही किसी का बच्चा होगा। छज्जूमल ने कहा हाँ बेटा ले लो। तो उसे थोड़ा सा गुड़ दे दिया। गुड़ लेकर वह बालक गुड़ को मुँह में डालकर आहा आहा मीठा-मीठा कह कर वहाँ से भाग गया। अब तो रोज ही वह बालक छज्जूमल को मिलता उससे गुड़ लेता और नाचता गाता मीठा-मीठा कह कर भाग जाता। छज्जूमल भी बच्चा समझकर उसको रोज गुड़ दे देता।

          अब घर का काम पूरा हो गया तो उस दिन घर में हवन पूजन रखा गया। छज्जूमल  अब गुड़ बेचने ना गया। परन्तु वह बालक तो अपने समय पर उस जगह पहुँच गया। अब छज्जूमल वहाँ ना आया।
          बालक ने तो घर जाकर मैया की जान खा ली और ता ता थैया मचाने लगे बोले मुझे तो गुड़ ही चाहिए। मैया ने बहुत समझाया बर्फी मिठाई सब लाकर दिए लेकिन वह तो कहते मैं तो गुड़  ही खाऊँगा। मैया से बालक का रोना सहन न हुआ। और छज्जूमल  के घर का पता पूछते पूछते उसके घर पहुँच गई।  
          घर जाकर कहती बाबा मेरे बालक हो तो आपने गुड़ की आदत डाल दी आज आप आए नहीं ना आए तो गुड़ खाए बिना वह मान नहीं रहा। छ्ज्जूमल को उस बालक पर बड़ा प्यार आया उसने उसको अपनी गोद में बिठाया और गोदी में बिठा कर गुड़ खिलाने लगा। पता नहीं क्यों उस बालको गुड़ खिलाते खिलाते छज्जूमल की आँखों में अश्रु धारा बह निकली। हृदय में अजीब सी हलचल होने लगी। गुड़ खाकर बालक मीठा मीठा कह कर अपने घर चला गया।
          हवन पूजन के बाद में फिर गोपाल जी की मूर्ति को रखा गया। अगले दिन छज्जूमल नियम से गोपाल जी को गुड़ का भोग लगाकर काम पर चला गया। रास्ते में उसी जगह पर रुका अब तो उसे भी उस बालक को गुड़ खिलाने की जल्दी थी। परन्तु वह बालक आया ही नहीं। ऐसे ही तीन-चार दिन बीते जो उसका मन बहुत बेचैन हुआ कि कहीं बालक बीमार तो नहीं। उसने गाँव जाकर सबको बालक के बारे में पूछा तो सब ने कहा ऐसा तो यहाँ कोई भी बालक नहीं रहता। वह हैरान परेशान होकर घर पहुँचा।
          घर पहुँच कर जब वह मन्दिर में बैठा तो गोपाल जी की तरफ देखा वह मन्द मन्द मुस्कुरा रहे थे। वह जैसे वह कह रहे हो बाबा जी मैं वही बालक हूँ। छज्जू मल का माथा ठनका कि वह सोचने लगे कि यह तो साक्षात गोपाल जी मुझसे गुड़ खाने आते थे। वह कहने लगे हे गोपाल जी धन्य हो आप। गोपाल जी की ओर देख के उसकी आँखों में अश्रु धारा बहने लगी..!!


   *🙏🙏🏾🙏🏼जय श्री कृष्ण*🙏🏻🙏🏿🙏🏽

श्री गीताप्रेस परिवार:
*l l श्रीहरिः l l*
श्रीमद् गोस्वामी तुलसीदासजीरचित
*विनय-पत्रिका* *(राग रामकली)* 
(पोस्टराम - ८)
गतांक से आगे-- 

*भावार्थ -* _*हे शंकर ! आप बड़े देव हैं, बड़े दानी हैं, और बड़े भोले हैं ।*_
*जिन-जिन लोगोंने आपके सामने हाथ जोड़े, आपने बिना भेद-भावके उन सब लोगोंके दु:ख दूर कर दिये ।।* 

*हे वामदेव ! मैं आपके गाँव (काशी) - में रहता हूँ, मैंने कभी आपसे कुछ माँगा नहीं,* अब आधिभौतिक कष्टके रूपमें *आपके किंकरगण मुझे सताने लगे हैं ।।* 

*इसलिये आप इन कठोर कर्म करनेवालोंको जल्दी बुलाकर डाँट दीजिये, मैं आपकी बलैया लेता हूँ,* 
*क्योंकि ये दुष्ट तुलसीदासरूपी तुलसीके पेड़को कुचलकर उसकी जगह शाखोट (सहोर) - के पेड़ लगाना चाहते हैं ।।* 🌹🙏

नारायण! नारायण!! 
नारायण!!! नारायण!!!!

मेरे तो गिरधर गोपाल ! 
*दूसरो न कोई*
दूसरो न कोई मतलब *दूसरों न कोई*

🌹 *श्रीकृष्णअर्पणवस्तु*🌹

राम ! राम !! राम !!! राम !!!!

प्रवचन  30 अगस्त 1995 प्रातः 5:00 बजे ।

*विषय - अहंता ममता का त्याग ।* 

प्रवचन के कुछ भाव, इस प्रवचन का ऑडियो कल रात्रि भिजवाया गया था । इन भावों को समझने के लिए इस प्रवचन को जरूर सुनना चाहिए ।

*हमारे परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी की वाणी बहुत विलक्षण* *है* *, दिव्य (परम वचन) है । श्री स्वामी जी महाराज जी की वाणी सुनने से हृदय में प्रकाश* *आता है, इसलिए प्रतिदिन जरूर सुननी चाहिए* ।

परम श्रद्धेय स्वामी जी महाराज जी कह रहे हैं कि निर्मम,  निरहंकार हो जाएं, तो उसको शांति की प्राप्ति हो जाती है । तो हम निर्मम हो जाएं । निर्मम का अर्थ है ममता रहित । जैसे धन है, कुटुंब है । यह धन में, कुटुंब में ममता है, उनको मेरा मानता है । इन से रहित हो जाए । ममता से रहित हो जाए । 
यह कठिन है, ऐसी बात आती है ।
तो ममता से रहित कैसे हों ?
ममता रहित होना कठिन मानते हैं, उनसे पूछना है कि ममता रखना सुगम है क्या ?
भगवान् ममता रहित होने की कहते हैं तो हम ममता रहित हो सकते हैं; क्योंकि भगवान् कह रहे हैं । निर्ममो निरंकार: । अभी जो ममता है, इसको रख सकते हो क्या ? ममता रहित तीन तरह से होता है । ममता शुद्ध होती है (कर्मयोग द्वारा), ममता को मिटा सकते हैं (ज्ञान योग द्वारा) और ममता को बदल सकते हैं (भक्ति योग द्वारा) । आपकी कन्या का विवाह हो जाता है । तो उसकी ममता ससुराल में हो जाती है । तो ममता बदल गई । कोई गोद चला गया जाता है, तो उसकी ममता बदल जाती है । तो ममता बदलना आता है । मीराबाई कहती है - मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई । मेरा तो भगवान् है । ऐसे आप बदल दो तो निहाल हो जाओगे । संसार में मेरा कोई नहीं है, भगवान् मेरा है । शरीर पर मेरा वश चलता है क्या ? कम से कम मरने न दें । कन्या ममता बदल देती है, साधु हो जाता है, तो बदल जाता है । गोद जाने वाले ममता बदल देता है । तो ममता बदल जाती है, तो बदलना है - यह भक्ति योग हो गया । ममता मिटाना ज्ञान योग है । चाहे ममता मिटा दो, चाहे ममता बदल दो, जो सुगम हो वह कर लो । *मैं भगवान् का हूं, भगवान् मेरे हैं* । यह ममता बदल गई । मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई । भगवान् को अपना मानते हैं, पर दूसरा नहीं - यह नहीं मानते । भगवान् को तो अपना मानते ही हैं । दूसरों को अपना न माने । 
मेरी मां है कैसे अपना न मानें ? 
मेरा पुत्र है, कैसे अपना ना मानें ? 
मेरी स्त्री है, कैसे अपना न मानें ? 
मेरा घर है, कैसे अपना न मानें ? 
तो ममता तोड़ने का उपाय सीधा है । नियत आपकी चाहिए । हमें तो बदलना है । यह बदलने का एक बड़ा सुंदर उपाय है । बदल जाएगा । जिनके साथ मेरा पन है, उनको सुख दो । सुख लाे मत । सेवा करो, उनसे सेवा मत लो । स्त्री मुझे भोजन बना कर दे, ऐसे आशा मत करो । उनकी सेवा तो करो, पर सेवा मत लो । स्त्री समझती है कि मेरे हाथ की रोटी नहीं नहीं खाते, तो उसकी प्रसन्नता के लिए रोटी खा लो । सबका हित हो जाए, सबका कल्याण हो जाए, यह भाव होगा तो फंसोगे नहीं । सेवा लेने से फंसता है । उन को सुख पहुंचाना है, सुख लेना नहीं है । सुख लेने से ममता बढ़ती है । देने से ममता मिटती है । आप काम में ले कर देखो।  सेवा करो, जितनी सेवा कर सकते हो, उतनी करो । अपने से ज्यादा उनको दे दो । आप जितने कपड़े लेते हो, उनको अपने से ज्यादा कपड़े दे दो । आप जितना मकान काम में लेते हो, अपने से ज्यादा मकान दे दो । ज्यादा आशा करे तो हाथ जोड़ लो । ज्यादा मांगते हैं तो आपकी जिम्मेदारी है ही नहीं; क्योंकि आपके पास है ही नहीं । 

सेवा दो तरह की जाती है - वस्तु दे दो अथवा काम धंधा कर दो । साधु भिक्षा लेने जावे नहीं मिले तो क्या करे ?  हमने अपना काम कर दिया (यानि भिक्षा मांग ली), *कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।* । मिले तो आनंद, नहीं मिले तो आनंद । तो घर में कोई बात माने तो आनंद की बात, नहीं माने तो बहुत आनंद की बात; क्योंकि नैराश्यं परम सुखं

।बात मानने से फंसावट आती है । न मानने से निर्लिप्त हो जाता है । मानने से संत, महात्मा वश में हो जाते हैं । मानने से भगवान् वश में हो जाते हैं । कलकत्ते में मैंने एक बार कह दिया था कि आप हमारी बात मानते तो हम तो फंस जाते, नहीं मानते हो तो स्वतंत्र रहता हूं । बात मानते तो दूर बैठे ही याद करते । तो सुंदर-सुंदर बात कह दे, कोई माने तो अच्छी बात । नहीं माने तो अच्छी बात । हमने तो अपनी बात कह दी । हांडी चढ़ गई वाली कहानी से समझा रहे हैं कि मैंने तो मेरी बात कह दी । मेरी हांडी तो चढ़ गई । आपकी आप जाने ।  *कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।* 

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!!!

👏👏

*चक्कर आने के घरेलू उपचार* 

शहद में तुलसी के पत्तों को मिला लें और इसे चाटें। यह घरेलू उपचार भी चक्करों की समस्या को ठीक कर देता है। तुलसी के रस में थोड़ी सी चीनी मिलाकर सेवन करने से चक्कर आने की समस्या ठीक हो जाती है।चक्कर आने पर दो लौंग को आधे गिलास पानी में डालें और इसे उबाल लें। और इस पानी को पीएं।दस ग्राम आंवले का पाउडर और धनिया का भी दस ग्राम पाउडर को एक गिलास पानी में भिगों लें और सुबह इसे अच्छे से मिलाकर पीयें। इस उपाय से सिर चकराने की समस्या ठीक होने लगती है। 



*क्या aluminium foil में खाना रखना सुरक्षित है?* 

- किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। 

- अल्‍जाइमर और डिमेंशिया की बीमारी हो सकती है।  

- बहुत अधिक गर्म होने पर एल्‍युमिनियम पिघलता है। खाने में मिलने से अल्जाइमर का खतरा बढ़ता है।

- एल्‍युमिनियम का अधिक इस्‍तेमाल होने पर शरीर की हड्डियां भी गलने लगती है। 

- एल्‍युमिनियम की अधिक मात्रा बढ़ने होने पर ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है। 

दरअसल, आप फ्रिज में भी खाने को स्‍टोर कर सकते हैं। इससे भोजन या अन्‍य चीजों में उत्‍पन्‍न होने वाले छोटे-छोटे जीव फ्रिज में निष्क्रिय हो जाते हैं और खाने की चीजों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। इसलिए अक्‍सर खाने की चीजों को कांच के कंटेनर में फ्रिज में रखा जाता है। 

खाने को व्‍यवस्थित रखने के लिए एयर टाइट कंटेनर में पैक करें। इसका सबसे बड़ा फायदा है इसमें हवा कही से भी नहीं अंदर जा सकेगी। साथ ही इससे भोजन से बैक्टीरिया भी दूर रहेंगे। इसलिए एल्‍युमिनियम फॉयल की बजाए एयरटाइट कंटेनर का इस्‍तेमाल भी किया जा सकता है। 

अत: यदि आप भी अपने घर में खाने को एल्युमिनियम फॉइल में ढंककर अधिक समय तक रखते हैं, या इसमें लपेटकर खाना पकाते हैं, तो सावधान हो जाएं और आज से ही यह आदत छोड़ दें, वर्ना सेहत को काफी नुकसान हो सकता है। 
  



*ये 10 फूड शरीर में बढ़ा देंगे कैल्शियम* 

1. दही : एक कप सादे दही में 30 प्रतिशत कैल्शियम के साथ-साथ फास्फोरस, पोटेशियम, विटामिन B2 और B12 होता है, इसीलिए यदि आपको दूध नहीं पसंद तो आप दही खा सकते हैं।

2. बीज : अलसी, कद्दू और तिल के बीज कैल्शियम के अच्छे स्रोत होते हैं। इनमें कैल्शियम के साथ-साथ प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड भी पर्याप्त मात्रा में होता है।

3. बीन्स : एक कप बीन्स में 24 प्रतिशत तक कैल्शियम होता है इसीलिए बीन्स को आपनी डाइट में शामिल करने से शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी हो जाती है।

4. पनीर : पनीर में भी भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है। पनीर सेवन करने से शरीर में कैल्शियम के साथ-साथ प्रोटीन की भी कमी भी पूरी हो जाती है।

5. बादाम : बादाम खाने से भी हड्डियां मजबूत होती है क्योंकि इसमें भी कैल्शियम पाया जाता है।

6. पालक : पालक में भी भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है। 100 ग्राम पालक में 99 मि.ली कैल्शियम होता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हफ्ते में कम से कम 3 बार पालक जरूर खाएं।

7. सोया दूध या टोफू : अगर आपको दूध पीना पसंद नहीं है तो आप सोया दूध या टोफू को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इनका स्वाद दूध के स्वाद से काफी अलग होता है। इनमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है।

8. भिंडी : एक कटोरी भिंडी में 40 ग्राम कैल्शियम होता है। भिंडी को हफ्ते में दो बार खाने से दांतों खराब नहीं होते और हड्डियां भी मजबूत होती हैं।

9. अंजीर और बादाम : 1 अंजीर व 2 बादाम रात में गलाएं और सुबह के समय इनका सेवन करें। 


सदा जपिये हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ll हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ll और हमेशा खुश एवं स्वस्थ रहिए 🙏🙏

जय श्री राधे राधे🙏🙏 जय श्री कृष्णा🙏🙏 सभी भक्तों के श्री चरण कमलों में कृष्ण दास का दंडवत प्रणाम.

* राधे - राधे आज का भगवद चिंतन
                   18 - 05 - 2023 गुरुवार 
              "आंतरिक कमजोरी"
  
🕉️                मनुष्य क्रोध, द्वेष, ईर्ष्या और द्वेष को पालता है और सोचता है कि वह दूसरों को नुकसान पहुँचाएगा, लेकिन वह दूसरों को नहीं बल्कि खुद को नुकसान पहुँचाता है। क्रोध, द्वेष, ईर्ष्या जीवन में विष हैं। अगर आप ये सब जहर पी रहे हैं तो किसी और को कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं..?

🕉️                आपका क्रोध, आपकी घृणा, आपकी ईर्ष्या और द्वेष भी धीमे जहर हैं, जैसे जहर पीना आपके लिए घातक है। आंतरिक विकार मनुष्य द्वारा अपने तरीके से खोदे गए कुएं की तरह हैं, जिसमें देर-सबेर उसका गिरना अवश्यम्भावी हो जाता है। जीवन के समस्त आन्तरिक विकारों के पूर्ण विनाश की एक ही संजीव औषधि है।

     *अमिय मुरीमाया चूरन चारु।*
   *समान सकल भव रूज परिवार।*

🕉️  सद्गुरु की शरण संजीव की जड़ी है, जो शास्त्रों और सत्संग की शरण लेकर हमारे सभी आंतरिक विकारों को पूरी तरह से नष्ट कर देती है और हमें निरंतर सही मार्ग की ओर ले जाती है।

🇮🇳🌹🙏🏻 *🕉️ जय श्री राधे राधे जय श्री कृष्णा 🙏*🙏🏻🌹🇮🇳

*आज की अमृत कथा*

एक आदमी जंगल से गुज़र रहा था ।
उसे चार स्त्रियां मिली ।
उसने पहली से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहा "बुद्धि "
तुम कहाँ रहती हो?
मनुष्य के दिमाग में।

दूसरी स्त्री से पूछा - बहन तुम्हारा नाम
क्या हैं ?
" लज्जा "।
तुम कहाँ रहती हो ?
आँखों में ।

तीसरी से पूछा - तुम्हारा क्या नाम हैं ?
"साहस"
कहाँ रहती हो ?
ह्रदय में ।

चौथी से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
"स्वास्थ्य "
कहाँ रहती हो ?
पेट में।

वह आदमी अब थोड़ा आगे बढा तों फिर उसे चार पुरूष मिले।
उसने पहले पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" क्रोध "
कहाँ रहतें हो ?
दिमाग में,
दिमाग में तो बुद्धि रहती हैं, तुम कैसे रहते हो ?
जब मैं वहाँ रहता हूँ तो बुद्धि वहाँ से विदा हो जाती हैं।

दूसरे पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहाँ- " लोभ"।
कहाँ रहते हो?
आँखों में।
आँख में तो लज्जा रहती हैं तुम कैसे रहते हो।
जब मैं आता हूँ तो लज्जा वहाँ से प्रस्थान कर जाती हैं ।

तीसरें से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
जबाब मिला "भय"।
कहाँ रहते हो ?
ह्रदय में तो साहस रहती हैं। तुम कैसे रहते हो ?
जब मैं आता हूँ तो साहस वहाँ से
नौ दो ग्यारह हो जाती हैं।

चौथे से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहा -"रोग"।
कहाँ रहतें हो ?
पेट में। पेट में तो स्वास्थ्य रहती हैं,
जब मैं आता हूँ तो स्वास्थ्य वहाँ से
रवाना हो जाती हैं।

जीवन की हर विपरीत परिस्थिति में यदि हम उपरोक्त वर्णित बातो को याद रखे तो कई चीजे टाली जा सकती है।

भगवान को पाने के लिए सरल बन जाओ,वहाँ क्रोध,लोभ, अहंकार,भय का कोई स्थान नहीं होना चाहिए..!!


    *🙏🏻🙏🏿🙏जय जय श्री राधे*🙏🏽🙏🏾🙏🏼

*आज की अमृत कथा*

एक बार की बात है नारद जी विष्णु जी से मिलने गए !
विष्णु जी ने उनका बहुत सम्मान किया ! जब नारद जी वापिस गए तो विष्णु जी ने कहा हे लक्ष्मी जिस स्थान पर नारद जी बैठे थे ! उस स्थान को गाय के गोबर से लीप दो !

जब विष्णु जी यह बात कह रहे थे तब नारद जी बाहर ही खड़े थे ! उन्होंने सब सुन लिया और वापिस आ गए और विष्णु जी से पुछा हे विष्णु जी जब मै आया तो आपने मेरा खूब सम्मान किया पर जब मै जा रहा था तो आपने लक्ष्मी जी से यह क्यों कहा कि जिस स्थान पर नारद बैठा था उस स्थान को गोबर से लीप दो !

विष्णु जी ने कहा हे नारद मैंने आपका सम्मान इसलिए किया क्योंकि आप देव ऋषि है और मैंने देवी लक्ष्मी से ऐसा इसलिए कहा क्योंकि आपका कोई गुरु नहीं है ! आप निगुरे है ! जिस स्थान पर कोई निगुरा बैठ जाता है वो स्थान गन्दा हो जाता है !

यह सुनकर नारद जी ने कहा हे भगवान आपकी बात सत्य है पर मै गुरु किसे बनाऊ ! विष्णु जी बोले हे नारद धरती पर चले जाओ जो व्यक्ति सबसे पहले मिले उसे अपना गुरु मानलो !

नारद जी ने प्रणाम किया और चले गए ! जब नारद जी धरती पर आये तो उन्हें सबसे पहले एक मछली पकड़ने वाला एक मछुवारा मिला ! नारद जी वापिस विष्णु जी के पास चले गए और कहा महाराज वो मछुवारा तो कुछ भी नहीं जानता मै उसे गुरु कैसे मान सकता हूँ !

यह सुनकर विष्णु जी ने कहा नारद जी अपना प्रण पूरा करो ! नारद जी वापिस आये और उस मछुवारे से कहा मेरे गुरु बन जाओ ! पहले तो मछुवारा नहीं माना बाद में बहुत मनाने से मान गया !

मछुवारे को राजी करने के बाद नारद जी वापीस विष्णु जी के पास गए और कहा हे विष्णु जी मेरे गुरूजी को तो कुछ भी नहीं आता वे मुझे क्या सिखायेगे ! यह सुनकर विष्णु जी को क्रोध आ गया और उन्होंने कहा हे नारद गुरु निंदा करते हो जाओ मै आपको श्राप देता हूँ कि आपको ८४ लाख योनियों में घूमना पड़ेगा !

यह सुनकर नारद जी ने दोनों हाथ जोड़कर कहा हे विष्णु जी इस श्राप से बचने का उपाय भी बता दीजिये ! विष्णु जी ने कहा इसका उपाय जाकर अपने गुरुदेव से पूछो ! नारद जी ने सारी बात जाकर गुरुदेव को बताई ! गुरूजी ने कहा ऐसा करना विष्णु जी से कहना ८४ लाख योनियों की तस्वीरे धरती पर बना दे फिर उस पर लेट कर गोल घूम लेना और विष्णु जी से कहना ८४ लाख योनियों में घूम आया मुझे माफ़ करदो आगे से गुरु निंदा नहीं करूँगा !

नारद जी ने विष्णु जी के पास जाकर ऐसा ही किया उनसे कहा ८४ लाख योनिया धरती पर बना दो और फिर उन पर लेट कर घूम लिए और कहा विष्णु जी मुझे माफ़ कर दीजिये आगे से कभी गुरु निंदा नहीं करूँगा ! यह सुनकर विष्णु जी ने कहा जिस गुरु की निंदा कर रहे थे उसी ने मेरे श्राप से बचा लिया !

गुरु की महिमा अपरम्पार है ! मैंने लोगो को कहते हुए सुना है कि गुरु पूरा होना चाहिए इसलिए वो ऐसे लोगो को गुरु बनाते है जिनका नाम बडा होता है । दर्शनों से भक्तो पर कृपा आने लगती है पर ऐसा कुछ नहीं होता !

कोई भी साधक कभी पूरा नहीं हो सकता क्योंकि पूरे तो केवल ईश्वर है और दूसरा ईश्वर कोई बन नहीं सकता ! इसलिए माना जाता है कि…

*गुरु गूंगे गुरु बाबरे गुरु के रहिये दास*
*गुरु जो भेजे नरक नु स्वर्ग कि रखिये आस !*

गुरु चाहे गूंगा हो चाहे गुरु बाबरा हो (पागल हो) गुरु के हमेशा दास रहना चाहिए ! गुरु यदि नरक को भेजे तब भी शिष्य को यह इच्छा रखनी चाहिए कि मुझे स्वर्ग प्राप्त होगा ! यदि शिष्य को गुरु पर पूर्ण विश्वास हो तो उसका बुरा स्वयं गुरु भी नहीं कर  सकते l




༺꧁ जय श्री कृष्णा ꧂༻

“#गौ_माँ_से_निरोगी_भारत”!!!!!! 

                    #हमारा_सपना____

#प्रश्नोत्तर :___

1. किस समय पर दूध से दही बनाने की प्रक्रिया शुरू करें?

रात्री में दूध को दही बनने के लिए रखना सर्वश्रेष्ठ होता है ताकि दही एवं उससे बना मट्ठा, तक्र एवं छाछ सुबह सही समय पर मिल सके|

2. #गौमूत्र किस समय पर लें?

गौमूत्र लेने का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल का होता है और इसे पेट साफ करने के बाद खाली पेट लेना चाहिए| गौमूत्र सेवन के 1 घंटे पश्चात ही भोजन करना चाहिए|

3. #गौमूत्र किस समय नहीं लें?

मांसाहारी व्यक्ति को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| गौमूत्र लेने के 15 दिन पहले मांसाहार का त्याग कर देना चाहिए| पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को सीधे गौमूत्र नहीं लेना चाहिए, गौमूत्र को पानी में मिलाकर लेना चाहिए| पीलिया के रोगी को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| देर रात्रि में गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| ग्रीष्म ऋतु में गौमूत्र कम मात्र में लेना चाहिए|

4. क्या #गौमूत्र पानी के साथ लें?

अगर शरीर में पित्त बढ़ा हुआ है तो गौमूत्र पानी के साथ लें अथवा बिना पानी के लें|

5. अन्य पदार्थों के साथ मिलकर #गौमूत्र की क्या #विशेषता है? (जैसे की गुड़ और गौमूत्र आदि संयोग)

गौमूत्र किसी भी प्रकृतिक औषधी के साथ मिलकर उसके गुण-धर्म को बीस गुणा बढ़ा देता है| गौमूत्र का कई खाद्य पदार्थों के साथ अच्छा संबंध है जैसे गौमूत्र के साथ गुड़, गौमूत्र शहद के साथ आदि|

6. गाय का गौमूत्र किस-किस तिथि एवं स्थिति में वर्जित है? (जैसे अमावस्या आदि)

अमावस्या एवं एकादशी तिथि तथा सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण वाले दिन गौमूत्र का सेवन एवं एकत्रीकरण दोनों वर्जित है|

7. वैज्ञानिक दृष्टि से गाय की परिक्रमा करने पर मानव शरीर एवं मस्तिष्क पर क्या प्रभाव एवं लाभ है?

सृष्टि के निर्माण में जो 32 मूल तत्व घटक के रूप में है वे सारे के सारे गाय के शरीर में विध्यमान है| अतः गाय की परिक्रमा करना अर्थात पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करना है| गाय जो श्वास छोड़ती है वह वायु एंटी-वाइरस है| गाय द्वारा छोड़ी गयी श्वास से सभी अदृश्य एवं हानिकारक बैक्टेरिया मर जाते है| गाय के शरीर से सतत एक दैवीय ऊर्जा निकलती रहती है जो मनुष्य शरीर के लिए बहुत लाभकारी है| यही कारण है कि गाय की परिक्रमा करने को अति शुभ माना गया है|

8. गाय के #कूबड़ की क्या विशेषता है?

गाय के कूबड़ में ब्रह्मा का निवास है| ब्रह्मा अर्थात सृष्टि के निर्माता| कूबड़ हमारी आकाश गंगा से उन सभी ऊर्जाओं को ग्रहण करती है जिनसे इस सृष्टि का निर्माण हुआ है| और इस ऊर्जा को अपने पेट में संग्रहीत भोजन के साथ मिलाकर भोजन को ऊर्जावान कर देती है| उसी भोजन का पचा हुआ अंश जिससे गोबर, गौमूत्र और दूध गव्य के रूप में बाहर निकलता है वह अमृत होता है|

9. #गौमाता के खाने के लिए क्या-क्या सही भोजन है? (सूची)

हरी घास, अनाज के पौधे के सूखे तने, सप्ताह में कम से कम एक बार 100 ग्राम देसी गुड़ , सप्ताह में कम से कम एक बार 50 ग्राम सेंधा या काला नमक, दाल के छिलके, कुछ पेड़ के पत्ते जो गाय स्वयं जानती है की उसके खाने के लिए सही है, गाय को गुड़ एवं रोटी अत्यंत प्रिय है|

10. गौमाता को खाने में क्या-क्या नहीं देना है जिससे गौमाता को बीमारी ना हो? (सूची)

देसी गाय जहरीले पौधे स्वयं नहीं खाती है| गाय को बासी एवं जूठा भोजन, सड़े हुए फल नहीं देना चाहिए| गाय को रात्रि में चारा या अन्य भोजन नहीं देना चाहिए| गाय को साबुत अनाज नहीं देना चाहिए हमेशा अनाज का दलिया करके ही देना चाहिए|

11. गौमाता की पूजा करने की विधि? (कुछ लोग बोलते है कि गाय के मुख कि नहीं अपितु गाय कि पूंछ कि पूजा करनी चाहिए और अनेक भ्रांतियाँ है|)

गौमाता की पूजा करने की विधि सभी जगह भिन्न-भिन्न है और इसके बारे में कहीं भी आसानी से जाना जा सकता है| लक्ष्मी, धन, वैभव आदि कि प्राप्ति के लिए गाय के शरीर के उस भाग कि पूजा की जाती है जहां से गोबर एवं गौमूत्र प्राप्त होता है| क्योंकि वेदों में कहा गया है की “गोमय वसते लक्ष्मी” अर्थात गोबर में लक्ष्मी का वास है और “गौमूत्र धन्वन्तरी” अर्थात गौमूत्र में भगवान धन्वन्तरी का निवास है|

12. क्या गाय पालने वालों को रात में गाय को कुछ खाने देना चाहिए या नहीं?

नहीं, गाय दिन में ही अपनी आवश्यकता के अनुरूप भोजन कर लेती है| रात्रि में उसे भोजन देना स्वास्थ्य के अनुसार ठीक नहीं है|

13. दूध से दही, घी, छाछ एवं अन्य पदार्थ बनाने के आयुर्वेद अनुसार प्रक्रियाएं विस्तार से बताईए|

सर्वप्रथम दूध को छान लेना चाहिए, इसके बाद दूध को मिट्टी की हांडी, लोहे के बर्तन या स्टील के बर्तन (ध्यान रखे की दूध को कभी भी तांबे या बिना कलाई वाले पीतल के बर्तन में गरम नहीं करें) में धीमी आंच पर गरम करना चाहिए| धीमी आंच गोबर के कंडे का हो तो बहुत ही अच्छा है| पाँच-छः घंटे तक दूध गरम होने के बाद गुन-गुना रहने पर 1 से 2 प्रतिशत

छाछ या दही मिला देना चाहिए| दूध से दही जम जाने के बाद सूर्योदय के पहले दही को मथ देना चाहिए| दही मथने के बाद उसमें स्वतः मक्खन ऊपर आ जाता है| इस मक्खन को निकाल कर धीमी आंच पर पकाने से शुद्ध घी बनता है| बचे हुए मक्खन रहित दही में बिना पानी मिलाये मथने पर मट्ठा बनता है| चार गुना पानी मिलने पर तक्र बनता है और दो गुना पानी मिलने पर छाछ बनता है|

14. दूध के गुणधर्म, औषधीय उपयोग| किन-किन चीजों में दूध वर्जित है?

गाय का दूध प्राणप्रद, रक्तपित्तनाशक, पौष्टिक और रसायन है| उनमें भी काली गाय का दूध त्रिदोषनाशक, परमशक्तिवर्धक और सर्वोत्तम होता है| गाय अन्य पशुओं की अपेक्षा सत्वगुणयुक्त है और दैवी-शक्ति का केंद्रस्थान है| दैवी-शक्ति के योग से गोदुग्ध में सात्विक बल होता है| शरीर आदि की पुष्टि के साथ भोजन का पाचन भी विधिवत अर्थात सही तरीके से हो जाता है| यह कभी रोग नहीं उत्पन्न होने देता है| आयुर्वेद में विभिन्न रंग वाली गायों के दूध आदि का पृथक-पृथक गुण बताया गया है| गाय के दूध को सर्वथा छान कर ही पीना चाहिए, क्योंकि गाय के स्तन से दूध निकालते समय स्तनों पर रोम होने के कारण दुहने में घर्षण से प्रायः रोम टूट कर दूध में गिर जाते हैं| गाय के रोम के पेट में जाने पर बड़ा पाप होता है| आयुर्वेद के अनुसार किसी भी पशु का बाल पेट में चले जाने से हानि ही होती है| गाय के रोम से तो राजयक्ष्मा आदि रोग भी संभव हो सकते हैं इसलिए गाय का दूध छानकर ही पीना चाहिए| वास्तव में दूध इस मृत्युलोक का अमृत ही है|“अमृतं क्षीरभोजनम्”

15. दही के गुणधर्म, #औषधीय उपयोग| किन-किन चीजों में दही वर्जित है?

दही में शीतलता है साथ में अग्नि भी है. इसलिए यह बच्चो के लिए अच्छा है. दही दाल के साथ नहीं खाना चाहिए.

16. छाछ के गुणधर्म, औषधीय उपयोग| किन-किन चीजों में छाछ वर्जित है?

छाछ में शीतलता है साथ में भरपूर मात्र में कैल्सियम भी है. यह किसी भी उम्र में ली जा सकती है. इसका सेवन वर्षा ऋतु और दोपहर के बाद में वर्जित है. लेकिन दक्सिन भारत में वर्ष भर और रात्रि में भी लिया जा सकता है.

17. श्रीखंड के गुणधर्म, औषधीय उपयोग| किन-किन चीजों में श्रीखंड वर्जित है?

श्रीखंड में मुख्यरूप से जलरहित दही, जायफल एवं देसी मिश्री होते है| जायफल कुपित हुए कफ को संतुलित करता है एवं मस्तिष्क को शीत एवं ताप दोनों से बचाता है| चूंकि श्रीखंड में जायफल के साथ जलरहित दही की घुटाई होती है इसलिए इस प्रक्रिया में जायफल का गुण 20 गुना बढ़ जाता है| इस कारण श्रीखंड मेघाशक्ति को बढ़ाता है, कफ को संतुलित रखता है एवं मस्तिष्क को शीत एवं ताप दोनों से बचाता है| अत्यधिक शीत ऋतु, अत्यधित वर्षा ऋतु में श्रीखंड का सेवन वर्जित माना गया है| ग्रीष्म ऋतु में श्रीखंड का सेवन मस्तिष्क के लिए अमृततुल्य है| श्रीखंड निर्माण के बाद 6 घंटे के अंदर सेवन कर लिया जाना चाहिए| फ्रीज़ में रखे श्रीखंड का सेवन करने से उसके गुण-धर्म बदल कर हानी उत्पन्न कर सकते है अर्थात इसे सामान्य तापमान पर रख कर ताज़ा ही सेवन करें|

18. गोबर के गुणधर्म, औषधीय उपयोग| किन-किन चीजों में गोबर वर्जित है?

#गोबर अद्भुत वात नासक है.

19. गौमूत्र #अर्क बनाने का बर्तन किस धातु का होना चाहिए?

मिट्टी, शीशा, लोहा या मजबूरी में स्टील|

20. गाय और बैल के #सिंग को ऑइलपेंट और किसी भी तरह कि सजावट क्यों नहीं करनी चाहिए?

गाय और बैल के सिंग को ऑइलपेंट और किसी भी तरह कि सजावट इसलिए नहीं करनी चाहिए क्योंकि सिंग चंद्रमा से आने वाली ऊर्जा को अवशोषित करते शरीर को देते है| अगर इसे पेंट कर दिया जाए तो वह प्रक्रिया बाधित होती है|

21. अगर गाय का गौमूत्र नीचे जमीन पर गिर जाये तो क्या उसे हम अर्क बनाने में उपयोग कर सकते है?

हीं, फिर उसे केवल कृषि कार्य के उपयोग में ले सकते है|

22. भिन्न प्रांत की नस्ल वाली गाय को किसी दूसरे वातावरण में पाला जाये तो उसकी क्या हानियाँ है?

भिन्न-भिन्न नस्लें अपनी-अपनी जगह के वातावरण के अनुरूप बनी है अगर हम उन्हे दूसरे वातावरण में ले जा कर रखेंगे तो उन्हें भिन्न वातावरण में रहने पर परेशानी होती है जिसका असर गाय के शरीर एवं गव्यों दोनों पर पड़ता है| और आठ से दस पीड़ियों के बाद वह नस्ल बदल कर स्थानीय भी हो जाती है| अतः यह प्रयोग नहीं करना चाहिए|

23. क्या ताजा गौमूत्र से ही चंद्रमा अर्क बना सकते है, पुराने से नहीं?

हाँ, चंद्रमा अर्क सूर्योदय से पहले चंद्रमा की शीतलता में बनाया जाता है|

24. गाय का घी और उसके उत्पाद महंगे क्यों होते है?

एक लीटर घी बनाने में तीस लीटर दूध की खपत होती है जिसका मूल्य कम से कम 30 रु. लीटर के हिसाब से 900 रुपये केवल दूध का होता है| और इसे बनाने में मेहनत आदि को जोड़ दिया जाये तब घी का न्यूनतम मूल्य 1200 रुपये प्रति लीटर होता है|

25. अगर थोड़ा सा भी दही नहीं हो तब दूध से दही कैसे बनाएँ?

हल्के गुन-गुने दूध में नींबू निचोड़ कर दही जमाया जा सकता है| इमली डाल कर भी दही जमाया जाता है| गुड़ की सहायता से भी दही जमाया जाता है| शुद्ध चाँदी के सिक्के को गुन-गुने दूध में डालकर भी दही जमाया जा सकता है|

26. #गौमाता और #विदेशी_काऊ में अंतर कैसे पहचाने?

गौमाता एवं विदेशी काऊ में अंतर पहचानना बहुत ही सरल है| सबसे पहला अंतर होता है गौमाता का कंधा (अर्थात गौमाता की पीठ पर ऊपर की और उठा हुआ कुबड़ जिसमें सूर्यकेतु नाड़ी होती है), विदेशी काऊ में यह नहीं होता है एवं उसकी पीठ सपाट होती है| दूसरा अंतर होता है गौमाता के गले के नीचे की त्वचा जो बहुत ही झूलती हुई होती है जबकि विदेशी काऊ के गले के नीचे की त्वचा झूलती हुई ना होकर सामान्य एवं कसीली होती है| तीसरा अंतर होता है गौमाता के सिंग जो कि सामान्य से लेकर काफी बड़े आकार के होते है जबकि विदेशी काऊ के सिंग होते ही नहीं है या फिर बहुत छोटे होते है| चौथा अंतर होता है गौमाता कि त्वचा का अर्थात गौमाता कि त्वचा फैली हुई, ढीली एवं अतिसंवेदनशील होती है जबकि विदेशी काऊ की त्वचा काफी संकुचित एवं कम संवेदनशील होती है|

27. #गाय_क्या_है?

गाय ब्रह्मांड के संचालक सूर्य नारायण की सीधी प्रतिनिधि है| इसका अवतरण पृथ्वी पर इसलिए हुआ है ताकि पृथ्वी की प्रकृति का संतुलन बना रहे| पृथ्वी पर जितनी भी योनियाँ है सबका पालन-पोषण होता रहे| इसे विस्तृत में समझने के लिए ऋगवेद के 28वें अध्याय को पढ़ा जा सकता है|

श्री गीताप्रेस परिवार:
श्री राधे

*अपने जीवन से 1 साल और निकल गया। इसलिए गंभीरता से ज्यादा से ज्यादा हरि नाम जप करना चाहिए। भगवान को प्राप्त करने की चेष्टा करनी चाहिए।*

*बहुत लोग मानव जीवन लेने के लिए लाइन में खड़े हैं.....परिवार नियोजन के कारण वह लोग इस पृथ्वी पर आ नहीं रहे हैं।*

*मानव जीवन दोबारा  मिलना कई लाख वर्षों के बाद मिलना संभव हो सकेगा।*

*इसीलिए इसी जन्म में भगवान् को प्राप्त कर इस जन्म मरण से छूटने का प्रयास करना चाहिए।*

*भाग्यवान वही लोग है जो प्रतिदिन नियम से हरि नाम जप करते हैं।*

जय श्री राधे

श्रीहरिः  

*संत तुकाराम जी भगवान् से प्रार्थना कर रहे हैं दर्शन देने के लिए .....*

🌿 *भगवन्! तुम्हारी उदारता मैं समझ गया। मैं तो तुम्हारे चरणोंपर मस्तक रखूँ और तुम अपने गलेका हार भी मेरी अंजलिमें न डालो। हाँ, समझा! जो छाछ भी नहीं दे सकता, वह भोजन क्या करावेगा।*
🌹
*द्वारपर खड़ा मैं कबसे पुकार रहा हूँ, पर ‘हाँ’ तक कहनेकी जरूरत आप नहीं समझते? कोई अतिथि आ जाय तो शब्दोंसे* ​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​

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रामसुखदासजीकी बात🔃क्यों नही जँचती

*जिस पर भगवान कृपा करते है उसको भगवद्-गीता और सच्चे सन्त मिलते हैं, ये दोनों अपने पुण्य से, भाग्य से, उद्योग से नहीं मिलते.. जिस पर रामसुखदास जी कृपा करते हैं उनको (2 In 1) क्रांतिकारी शरणानन्दजी और उनकी अभिनव जीवन गीता रूपी अकाट्य वाणी दोनों एक में ही, एक साथ मिल जाते हैं। अभी-अभी लाभ लीजिए👇*

शरणानंदजी की बात गीता की बात हैं। भगवान के शरणागत होने से शरणानंदजी में ज्ञान का प्रवाह आ गया! उनकी वाणी में स्वतः गीता का तत्व उतर आया! उनकी बातों से गीता का अर्थ खुलता हैं। उनकी बातें बड़ी मार्मिक और गहरी हैं। वे जो बातें कहते हैं, वे छहों दर्शनों में नहीं मिलती। केवल गीता और भागवत के दशम स्कन्ध में मिलती हैं। पर वे भी पहले नहीं दिखती। *जब शरणानंदजी की बातें पढ़ लेते हैं, तब वे गीता और भागवत में भी दिखने लगती हैं।* वे सीधे मूल को पकड़ते हैं, सीधे कलेजा पकड़ते हैं! मैं भी उन्हीं के भावों का ही प्रचार करता हूँ। *-रामसुखदासजी*

Suresh Chandra Agrawal:
*छुहारे के यह फायदे आपको कर देंगे हैरान* 

1. मासिक धर्म : सर्दी के दिनों में कई महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी समसयाएं भी होती हैं, इसके लिए छुहारे फायदेमंद है। छुहारे खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है और कमर दर्द में भी लाभ होता है।

2. बिस्तर पर पेशाब : छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है। बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से लाभ होगा। छुहारे वाला दूध भी लाभकारी है। यदि बच्चा बिस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छुहारे वाला दूध पिलाएं। यह शक्ति पहुंचाते हैं।

3. रक्तचाप : कम रक्तचाप वाले रोगी 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें। इन्हें गाय के गर्म दूध के साथ उबाल लें। उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं। कुछ ही दिनों में कम रक्तचाप से छुटकारा मिल जाएगा।

4 . दांतों का गलना : छुहारे खाकर गर्म दूध पीने से कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना इत्यादि रूक जाते हैं।

5. कब्ज : सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर बाद में गर्म पानी पीने से कब्ज दूर होती है। खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता तथा मुंह का स्वाद भी ठीक रहता है। खजूर का अचार बनाने की विधि थोड़ी कठिन है, इसलिए बना-बनाया अचार ही ले लेना चाहिए।

6. मधुमेह : मधुमेह रोगी जिनके लिए मिठाई, चीनी इत्यादि वर्जित है, सीमित मात्रा में खजूर का हलवा इस्तेमाल कर सकते हैं। खजूर में वह अवगुण नहीं है, जो गन्ने वाली चीनी में पाए जाते हैं। 


*शहद में भिगोकर खाएं ड्राई फ्रूट्स, मिलेंगे दोगुने फायदे* 

1. इम्यूनिटी बूस्ट करे
शहद और ड्राई फ्रूट्स में मौजूद पोषक तत्व और गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बूस्ट करने का काम करते हैं। इसमें मौजूद गुण शरीर को पर्याप्त पोषण देते हैं। शहद में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण भी पाए जाते हैं जो शरीर को बीमारी और संक्रमण आदि से बचाने में बहुत फायदेमंद होते हैं।

2. हाई कोलेस्ट्रॉल कम करने में उपयोगी
ड्राई फ्रूट्स में विटामिन और हेल्दी फैट की पर्याप्त मात्रा होती है, जो शरीर में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत फायदेमंद होते हैं। नियमित रूप से शहद में ड्राई फ्रूट्स भिगोकर खाने से आपके शरीर में एचडीएल कोलेस्ट्रॉल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है।

3. मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
बादाम, अखरोट और काजू आदि का सेवन दिमाग को हेल्दी रखने और मेमोरी पॉवर बढ़ाने के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इनमें मौजूद विटामिन ई और ओमेगा 3 फैटी एसिड दिमाग के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। रोजाना शहद में भिगोए हुए ड्राई फ्रूट्स का सेवन करने से आपका दिमाग हेल्दी रहता है।

4. डायबिटीज से बचाए 
शहद का सेवन करने से डायबिटीज में बहुत फायदा मिलता है। रोजाना शहद में ड्राई फ्रूट्स भिगोकर खाने से आपको डायबिटीज का खतरा नहीं रहता है।

5. वजन बढ़ाने के लिए फायदेमंद 
ड्राई फ्रूट्स और शहद में मौजूद गुण शरीर का वजन बढ़ाने में बहुत उपयोगी होते हैं। रोजाना शहद में ड्राई फ्रूट्स भिगोकर खाने से दुबले-पतले लोगों को बहुत फायदा मिलता है। अगर आप भी अंडरवेट हैं तो रोजाना सुबह के समय मुट्ठीभर ड्राई फ्रूट शहद में भिगोकर खाएं।

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