Sunday 11 June 2023

अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में एक साथ आ रहे हैं भयंकर महा चक्रवात और चक्रवात हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र के द्वारा सर्वप्रथम 1 जून को और फिर 4 जून को भविष्यवाणी की गई थी कि इस बार भारत के उप महाद्वीप में एक अद्भुत और भयंकर घटना घटने वाली है जबकि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में एक साथ ही महा चक्रवात और चक्रवात जन्म ले रहे हैं जिनका असर 7 जून से 12 जून तक होगा

*अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में एक साथ आ रहे हैं भयंकर महा चक्रवात और चक्रवात हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र के द्वारा सर्वप्रथम 1 जून को और फिर 4 जून को भविष्यवाणी की गई थी कि इस बार भारत के उप महाद्वीप में एक अद्भुत और भयंकर घटना घटने वाली है जबकि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में एक साथ ही महा चक्रवात और चक्रवात जन्म ले रहे हैं जिनका असर 7 जून से 12 जून तक होगा जिसे अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं ने प्रकाशित हुए किया था उस समय तक कोई भी मौसम विभाग है सोच नहीं सकता था कि ऐसा हो सकता है लेकिन अंततोगत्वा विगत 47 वर्षों की भांति हमारे केंद्र के विद्वान सदस्यों परिश्रम से की गई भविष्यवाणी फिर से पूरी तरह खरी उतरी एक ही बात बहुत अच्छी है कि इस प्रचंड महा तूफान का हल्का और मध्यम असर ही पूरे भारत में पड़ेगा जबकि इसका विनाशकारी असर पाकिस्तान और अरब देशों पर एवं बांग्लादेश तथा में म्यांमार पर होगा फिर भी केरल से लेकर गुजरात के तटवर्ती भागों पर चलने वाली हवाओं की रफ्तार 70 से लेकर 140 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है*


*कितना भयानक हो सकते हैं यह चक्रवात और महा चक्रवात अरब सागर का महा चक्रवात अत्यधिक भीषण और भयानक होगा जबकि बंगाल खाड़ी का चक्रवात इससे कम भयानक होगा इनके केंद्र की रफ्तार अरब सागर में 250 किलोमीटर के आसपास जबकि बंगाल की खाड़ी में 140 से 150 किलोमीटर प्रति घंटे के आसपास होगीइसका सबसे अधिक असर गोवा मुंबई और कर्नाटक पर पड़ने वाला है जबकि मुख्य चक्रवात में बदल जाएगा जिसके हवाओं की रफ्तार 150 किलोमीटर से 250 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है और यह खाड़ी के देशों में हाहाकार मचा सकता है जबकि एक भयानक से लेकर 160 किलोमीटर की रफ्तार पकड़ सकता है इस भीषण चक्रवात का असर तमिलनाडु तेलंगाना आंध्र प्रदेश ओडिशा बिहार झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश बांग्लादेश और पूर्वोत्तर भारत तक हो सकता है इस प्रकार पहली बार पूरा भारत 8 जून से 12 जून तक साइक्लोन और सुपर साइक्लोन के प्रभाव में पड़ेगा वैसे यदि इन चक्रवाती और महा चक्रवात ओं की दिशा बदल गए तो फिर पूरे भारत में प्रलय मच जाएगा इस आशंका को भी निरस्त नहीं किया जा सकता है यद्यपि इसकी संभावना केवल 5% के बराबर है लेकिन बंगाल की खाड़ी का महा चक्रवात कभी भी दिशा बदलकर गुजरात और महाराष्ट्र पर भीषण प्रहार कर सकता है क्योंकि महा चक्रवात पलभर में ही अपनी दिशा और दशा बदल लेते हैं तब मुंबई और महाराष्ट्र तथा गुजरात और गोवा को एक अकल अपनी महा भयानक विनाशकारी महा चक्रवात का सामना करना पड़ सकता है इसलिए इन क्षेत्रों के लोग अभी से पूरी तरह सावधान और सतर्क रहें क्योंकि मुंबई ने अपने इतिहास में बहुत ही कम ऐसे चक्कर बातों का सामना किया है जिनकी गति 100 किलोमीटर से अधिक हो और 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से महा चक्रवात के घुसने का अर्थ होगा आधी मुंबई उड़ जाएगी* 


*प्रकृति के उपग्रह और रौद्र रूप धारण करने का क्या है प्रमुख कारण*

*भारत के उपमहाद्वीप में पड रही भयंकर गर्मी और खंडित ऊष्मा की धाराएं उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में मौसम में होने वाले परिवर्तन सूर्य मंडल में हो रही महा विस्फोट और सौर कलंक की घटनाएं हिमालय और पामीर के पठार में अत्यधिक मौसम परिवर्तन के कारण गर्म हवाएं और विषुववृत्त से लेकर 40 अंश अक्षांश तक लगातार हो रहे मौसम में परिवर्तन और अभी हाल में गुआम से लेकर जापान तक आए 11000 किलोमीटर तक फैले हुए महा चक्रवात इन दशाओं के प्रमुख कारण हैं और मानव कृत पर्यावरण और प्रदूषण प्लास्टिक और रेडिएशन तथा इलेक्ट्रॉनिक कूड़ा कचरा तथा प्रकृति और पर्यावरण से भयंकर छेड़छाड़ भी प्रकृति के लगातार रौद्र रूप धारण करने का प्रमुख कारण है जैसे-जैसे मानव की भौतिक प्रगति बढ़ेगी घरों में भौतिक साधन जैसे वातानुकूलित यंत्र विद्युत के चूल्हे मोबाइल लैपटॉप और टावर बनेंगे वैसे वैसे स्थितियां और भी भयानक होती जाएंगी भूकंप महाभूकंप में ज्वालामुखी महाज्वालामुखी में सुनामी महासुनामी में बदलती जाएंगे और अब मानव सभ्यता चाह कर भी कुछ नहीं कर पाएगी जबकि भारत के महानतम ऋषि मुनि दार्शनिक वैज्ञानिक संत महात्मा और सामान्य लोग हमेशा प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर रहते थे और मकान कच्चा बनाते थे या झोपड़ी का बनाते थे हरे भरे पेड़ों से भारत की 95% भूमि आदित्य थी इसलिए वातावरण बिल्कुल सुरक्षित था जल और वायु का तथा वृक्षों का उतना ही दोहन करते थे जितना उचित होता था चारों तरफ जल से भरी नदियां झील तालाब सरोवर कुएं वातावरण को संतुलित बनाए थे जिनका जल जड़ों में गर्म और गर्मियों में ठंडा होता था आज अयोग्य लोगों द्वारा अपने लाभ के लिए बनाई जा रही योजनाओं में विद्वान और बुद्धिमान लोगों का सहयोग और सलाह सरकार तथा संस्थाएं बिल्कुल नहीं लेती हैं जिनका यह कारण हैप्रकृति शुद्ध थी और हवा में ऑक्सीजन की मात्रा इतनी अधिक थी कि लोग हमेशा तरोताजा रहते थे वायु गुणवत्ता सूचकांक कभी भी 10 के ऊपर नहीं जाता था जबकि आजा 400 से भी ऊपर चला जा रहा है जब तक मानव का तथाकथित पढ़ा लिखा वैज्ञानिक शब्द समाज प्राकृत के भयानक और उग्र रूप से तहस-नहस नहीं हो जाएगा तब तक वह अपनी मनमानी करता रहेगा इस भयानक त्रासदी का एक और कारण मानव सभ्यता द्वारा किए जा रहे युद्ध जैव रासायनिक परमाणुऔर नाभिकीय परीक्षण हरियाली और वृक्षों का लगातार कम होना कंक्रीट और सीमेंट के जंगलों को फैलते जाना लोगों का कागजों पर जागरूकता चलाकर निजी जीवन में स्वयं उसके उल्टा काम करना और हर खोज एवं आविष्कार प्राकृतिक पर्यावरण एवं ईश्वर के विरुद्ध करने के कारणहैं*

 *डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिवपुरा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर साथ में विद्वान सदस्य गण डॉ श्वेता सिंह डॉ मानवेंद्र सुरेश कुमार वर्मा डॉ श्रीमती पद्मासिंह राजकुमार मौर्य दीपेंद्र सिंह कन्हैया लाल पांडे मनीष कुमार वैष्णवी बिटानू एसके उपाध्याय एवं के ए राय*

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