Friday 23 June 2023

रक्त ग्लूकोज (blood sugar level) स्तर बढा़ हुआ मिलता है, यह रोग मरीजों के (रक्त मे गंदा कोलेस्ट्रॉल) अवयव के बढने के कारण होता है।इन मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनको गंभीर, जटिल, घातक रोगों का खतरा बढ़ जाता है।➡️ भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईंधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शर्करा होती है।➡️ ग्लूकोज हमारे रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है।


: *क्या आप स्वस्थ बाल चाहते हैं..??*
*तो स्वस्थ बालों के लिए अद्भुत नोनी का प्रयोग करें...*
*एंड्रोजेनिक खालित्य या पुरुष या महिला पैटर्न गंजापन एक हार्मोन डाई हाइड्रो टेस्टेरॉन (DHT - Di Hydro Testosterone) के कारण होता है।*

यह तब बनता है जब पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन पर एंजाइम 5 अल्फा रिडक्टेस द्वारा कार्य किया जाता है।

*सभी पुरुषों और महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन और डीएचटी हार्मोन होता है, जो उनके पुरुष गुणों को बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है।*
 लेकिन अगर आप अपने या अपने परिवार के चारों ओर देखें तो शरीर में डीएचटी होने पर भी हर किसी के बाल झड़ते नहीं हैं।

सिर के आगे और ऊपर बालों की जड़ों के आधार पर डीएचटी के लिए रिसेप्टर्स होते हैं।

सामान्य परिस्थितियों में ये रिसेप्टर्स डाई हाइड्रो टेस्टेरॉन या DHT के लिए ग्रहणशील नहीं होते हैं।

इसलिए डीएचटी बालों की जड़ों के आसपास के रक्त में मौजूद होने पर भी बालों को नुकसान नहीं पहुंचा पाता है।

उच्च ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस या तनाव या आनुवंशिक रूप से स्वभाव में ये रिसेप्टर्स डीएचटी और डीएचटी पर प्रतिक्रिया करना शुरू कर देते हैं और इस प्रकार बालों की जड़ों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं -
(1)- बालों के चक्र को परेशान करते हुए..
(2)- बालों की जड़ों को कम करने के कारण उन्हें पतले बाल पैदा करते हैं और
(3)- पोषण की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने से बालों को खराब पोषण मिलता है।

यह बालों की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।

बालों के झड़ने का कारण यह है कि आपके बालों की जड़ें डीएचटी के प्रति संवेदनशील हो गई हैं।

*नोनी एक बहुत शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस या तनाव को प्रभावी ढंग से कम करता है।*
इस प्रकार नोनी का नियमित उपयोग आपके बालों को स्वस्थ बनाने के साथ साथ बालों को गिरने से भी रोक सकता है।




: *ग्रीष्म ऋतु: (जेष्ठ-आषाढ़) के बारे में आयुर्वेद के अनुसार...*
*ग्रसते रसान इति ग्रीष्म:*
अर्थात सूर्य जगत के रस को सोख लेता है,
ग्रहण कर लेता है,
ग्रसित कर लेता है,
इसे ही ग्रीष्म ऋतु कहते हैं।

सूर्य की तीक्ष्ण किरणों द्वारा पृथ्वी का जलीयांश न्यून हो जाने के कारण प्रायः लतायें सूख जाती है,
वृक्षों के पते झड़ने से वृक्ष छाया-विहीन हो जाते है।
जिसके कारण  शरीर में जल तत्व की न्यूनता से कफ धातु क्षय होने लगती है, तथा वात दोष बढ़ जाता है।

*हितकर आहार:*

*रस-*
मधुर रस।

*गुण-*
लघु, स्निग्ध, शीतल द्रव।

*धान्य-*
शालि चावल, गेहूँ।

*पेय-*
शर्करा मिश्रित जल, खांड, मधुर खट्टे व नमकीन रसों के घोल, सत्तू का घोल, नारियल जल, द्राक्षाजल सेवनीय है।
दुग्ध वर्ग में घी व दूध श्रेष्ठ है।

*मद्य वर्ग -*
मद्य पान न करे।
यदि पीना हो तो थोड़ा पीयें अथवा उसमें बहुत जल मिलाकर पियें।

*हितकर विहार:*

चंदन लेपन।

फूलों एवं रत्नों की माला धारण करें।

पतले एवं हल्के वस्त्रों का धारण।

शीतल जल से बार-बार सींचन करें।

*वर्जित आहार विहार:*
आहार- रस, लवण, कटु, अम्ल व मधु वर्जित है।
विहार-15 दिन में एक बार करे।


 *ओमेगा 3, फैटी एसिड के 61 अद्भुत लाभ..*
(1). इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि द्विध्रुवी विकार (बाइपोलर डिसऑर्डर) में ओमेगा-3 फैटी एसिड का लाभकारी प्रभाव पड़ता है।

(2). ओमेगा -3 फैटी एसिड पूरकता कम उन्माद और किशोर द्विध्रुवी विकार (बाइपोलर डिसऑर्डर) में अवसाद (डिप्रेशन) के साथ जुड़ा हुआ है।

(3). नैदानिक ​​अध्ययनों (क्लीनिकल स्टडी) से पता चला है कि ओरल मछली के तेल के पूरक का रूमेटोइड गठिया और कुछ अस्थमा रोगियों में लाभकारी प्रभाव पड़ता है।

(4). मछली का तेल आईजीए नेफ्रोपैथी के रोगियों में ट्यूबलर डिसफंक्शन, लिपिड प्रोफाइल और ऑक्सीडेटिव तनाव (स्ट्रेस) में सुधार करता है।

(5). अलसी के तेल के साथ आहार अनुपूरक डिस्लिपिडेमिक रोगियों में रक्तचाप को बढ़ाता है।

 6. ओमेगा-3 फैटी एसिड चयापचय सिंड्रोम वाले विषयों के हृदय जोखिम प्रोफाइल में सुधार करते हैं, जिसमें सूजन और ऑटो-इम्युनिटी के मार्कर शामिल हैं।

(7). ओमेगा-3 मामूली खुराक में हृदय की मृत्यु (कार्डियक अरेस्ट) को कम करता है, और उच्च खुराक में गैर-घातक (नॉन फैटल) हृदय संबंधी घटनाओं को कम करता है।

 8. ओमेगा -3 फैटी एसिड के साथ आहार अनुपूरक रोधगलन (मयोकॉर्डियाल इंफ्राक्शन) के रोगियों में अचानक हृदय की मृत्यु की घटनाओं को कम करता है।

(9). ओमेगा -3 फैटी एसिड बाएं वेंट्रिकुलर सिस्टोलिक डिसफंक्शन वाले रोगियों में कुल मृत्यु दर और अचानक मृत्यु को कम करता है।

(10). रक्त में ओमेगा-3 फैटी एसिड के स्तर को बढ़ाना, स्वचालित बाहरी डिफिब्रिलेटर (एईडी) को वितरित करने की तुलना में 8 गुना प्रभावी हो सकता है, और अचानक मृत्यु को रोकने के लिए कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (आईसीडी) लगाने की तुलना में 2 गुना अधिक प्रभावी हो सकता है।

(11). ओमेगा-3 फैटी एसिड सप्लीमेंट उन रोगियों में कुल मृत्यु दर और अचानक मृत्यु को कम करता है जिन्हें पहले से ही दिल का दौरा पड़ चुका है।

(12). कम मात्रा में मछली खाने से कोरोनरी हृदय रोग में कमी आती है।

(13). ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन-डी पूरकता के परिणामस्वरूप कोरोनरी कैल्शियम स्कोर में पर्याप्त कमी आती है और प्लाक वृद्धि धीमी हो जाती है।

(14). ओमेगा-3 फैटी एसिड कोरोनरी धमनी बाईपास सर्जरी के बाद अर्ट्रियाल फिब्रिलेशन को रोकता है।

(15). एडीएचडी वाले बच्चों में ओमेगा-3 फैटी एसिड पूरकता का चिकित्सीय प्रभाव होता है।

 16.ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड के संयोजन के साथ-साथ मैग्नीशियम और जस्ता की खपत बच्चों और किशोरों की चौकस, व्यवहारिक और भावनात्मक समस्याओं पर लाभकारी प्रभाव प्रदान करती है।

(17). ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों पर फिश ऑयल सप्लीमेंट का महत्वपूर्ण चिकित्सीय प्रभाव पड़ता है।

(18). ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड एक प्रभावी उपचार प्रतीत होता है।

(19). मधुमेह के रोगियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड की खुराक के सेवन से होमोसिस्टीन का स्तर कम हो जाता है।

(2). ओमेगा-3 फैटी एसिड टाइप 2 मधुमेह मेलिटस वाले विषयों में मैक्रो- और माइक्रोवैस्कुलर फ़ंक्शन में सुधार करता है।

(21). स्थिर कोरोनरी धमनी रोग वाले रोगियों में, n-3 फैटी एसिड के स्तर और भड़काऊ बायोमार्कर के बीच एक स्वतंत्र और उलटा जुड़ाव मौजूद होता है।

(2). ओमेगा-3 फैटी एसिड एंडोथेलियल फ़ंक्शन को आंतरिक धमनी रोग में सुधार करता है।

(23). मछली के तेल का रक्त चिपचिपापन आंतरिक संवहनी रोग पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है।

(24). मछली का तेल अनुपूरण से पैदल दूरी में सुधार होता है परिधीय धमनी रोग।

(25). ओमेगा-3 फैटी एसिड डोकोसापेंटेनोइक एसिड (डीपीए) धूम्रपान से जुड़े परिधीय धमनी रोग के जोखिम को कम करता है।

(26). ओमेगा-3 फैटी एसिड (ईपीए और डीएचए) के साथ 8 महीने के उपचार का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जैसे कि सिस्टिक फाइब्रोसिस के रोगियों में सूजन कम होना।

(27). ओमेगा-3 फैटी एसिड का फुफ्फुसीय जीवाणु उपनिवेशण (पल्मोनरी बैक्टीरियल कॉलोनाइजेशन) इनसिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण होने वाले बलगम के अधिक उत्पादन के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव हो सकता है।

(28). ओमेगा-3 फैटी एसिड अनुपूरण भड़काऊ बायोमार्कर, एरिथ्रोसाइट अवसादन दर, और इंटरल्यूकिन -8 सांद्रता इंसिस्टिक फाइब्रोसिस रोगियों को कम करता है।

 29.डीएचए स्यूडोमोनास एरुगिनोसा संक्रमण के प्रतिरोध को बढ़ाता है।

(30). ईपीए अनुपूरण का पुराने हेपेटाइटिस सी रोगियों के उपचार में चिकित्सीय महत्व है।

(31). ईपीए और डीएचए का प्रणालीगत ल्यूपस एरिथमीटोसस के उपचार में चिकित्सीय महत्व है।

(32). ओमेगा-3 मछली का तेल प्रणालीगत ल्यूपस एरिथेमेटोसस के रोगियों में लक्षणों की गंभीरता को कम करता है।

(33). मछली और लंबी श्रृंखला वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन मधुमेह महिलाओं में कोरोनरी हृदय रोग और कुल मृत्यु दर के जोखिम को कम करता है।

(34). ईपीए और डीपीए की उच्च प्लाज्मा सांद्रता महिलाओं में गैर-घातक रोधगलन के कम जोखिम से जुड़ी हैं।

(35).ओमेगा-3 फैटी एसिड की खपत उच्च रक्तचाप की घटनाओं के साथ विपरीत रूप से जुड़ी हुई है।

(36). मछली का तेल, लेकिन अलसी का तेल नहीं, सूजन को कम करता है और दबाव अधिभार-प्रेरित हृदय रोग कार्य को रोकता है।

(37). मछली के सेवन से वृद्ध व्यक्तियों में इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है।

(38). ईपीए और डीएचए का मध्यम सेवन बुजुर्ग पुरुषों में संज्ञानात्मक गिरावट को स्थगित कर सकता है।

(39). ओमेगा-3 फैटी एसिड का प्रसवोत्तर अवसाद पर चिकित्सीय प्रभाव हो सकता है।

(40). ओमेगा-3 फैटी एसिड का ड्राई आई सिंड्रोम के उपचार में चिकित्सीय महत्व हो सकता है।

(41). ओमेगा-3 फैटी एसिड पूरकता ध्यान-घाटे / अति सक्रियता विकार (एडीएचडी) रोगसूचकता वाले बच्चों के उपचार में चिकित्सीय (थेराप्यूटिक) मूल्य प्रदर्शित करता है।

(42). मछली का सेवन पुरुषों में इस्केमिक स्ट्रोक के खतरे को कम करता है।

(43).ओमेगा-3 फैटी एसिड अनुपूरण इंसुलिन प्रतिरोध को रोकता है और उलट देता है।

(44). ओमेगा-3 फैटी एसिड यूरिनरी कैल्शियम ऑक्सालेट स्टोन को बनने से रोकता है।

(45).ओमेगा-3 फैटी एसिड ब्रोन्कियल अस्थमा से पीड़ित बच्चों के लिए फायदेमंद होता है।

(46). ओमेगा-3 फैटी एसिड पूरकता कम जोखिम और उच्च जोखिम वाले गर्भधारण दोनों में समय से पहले जन्म की रोकथाम में योगदान कर सकती है।

(47). मछली का सेवन प्रोस्टेट कैंसर-विशिष्ट मृत्यु दर में 63% की कमी के साथ जुड़ा हुआ है।

(48). ओमेगा-3 फैटी एसिड ऑटोइम्यून विकारों की गंभीरता को कम करता है।

(49). फुफ्फुसीय (पल्मोनरी) उच्च रक्तचाप को कम करने में ईकोसापेंटेनोइक एसिड (ईपीए) की चिकित्सीय भूमिका हो सकती है।

(50). ओमेगा-3 फैटी एसिड के परिणामस्वरूप ऑस्टियोआर्थराइटिस वाले कुत्तों में वजन असर में सुधार हुआ।

(51). प्राथमिक ओपन-एंगल ग्लूकोमा रोगियों ने डीएचए और ईपीए के रक्त स्तर को कम कर दिया है।

(52). ओमेगा-3 फैटी एसिड मोटे चूहों में इंसुलिन प्रतिरोध और फैटी लीवर को कम करता है।

(53). मछली से ईकोसापेंटेनोइक और डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड का सेवन एलर्जिक राइनाइटिस के कम प्रसार से जुड़ा हो सकता है।

(54). कॉड लिवर ऑयल (ओमेगा-3 फैटी एसिड) संधिशोथ के रोगियों में एनएसएआईडी की आवश्यकता को कम करता है।

(55).ओमेगा-3 फैटी एसिड में रुमेटीइड गठिया के उपचार में महत्वपूर्ण चिकित्सीय लाभ और दवा बख्शने की गतिविधि है।

(56). ईपीए और डीएचए युक्त आहार का स्तन कैंसर के विकास और मेटास्टेसिस पर निरोधात्मक प्रभाव पड़ता है।

(57). आहार ओमेगा-3 फैटी एसिड धूम्रपान करने वालों को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) से बचा सकता है।

(58). छोटे नियंत्रित अध्ययनों और द्विध्रुवी अवसाद (बाइपोलर डिसऑर्डर) के खुले अध्ययन में वयस्कों और बच्चों दोनों में अवसाद के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड प्लेसबो की तुलना में अधिक प्रभावी दिखाया गया था।

(59). ओमेगा-3 फैटी एसिड ईपीए प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार के इलाज में फ्लुओक्सेटीन (प्रोज़ैक) जितना ही प्रभावी है।

(60). ट्रांस-असंतृप्त (अनसेचुरेटेड) वसा में कम और ओमेगा-3 फैटी एसिड और जैतून के तेल से भरपूर आहार उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन के जोखिम को कम कर सकता है।

(61). ओमेगा-3 फैटी एसिड के अधिक सेवन से निमोनिया का खतरा कम हो सकता है।

अब यह आप पर निर्भर है कि आप विश्वास करते हैं या नहीं।

फिर भी कोई जानकारी लेना हो तो सम्पर्क कर सकते हैं...

*बीमारी देने वाला खाना युवाओं का फेवरेट जंक फूड और...*
*परंपरागत भोजन में सेहत का खजाना..*

*जिस बात को हमारे बड़े-बूढ़े लोग अक्सर दोहराते थे कि घर के खाने में सेहत की बरकत होती है, उसी बात को अब ऐलोपैथी के विशेषज्ञ भी दोहरा रहे हैं।*
*लंबे समय से देश के प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ व योगाचार्य कहते रहे हैं कि व्यक्ति के पेट से ही सेहत की राह गुजरती है।* 

*लेकिन चटपटे स्वाद की शौकीन युवा पीढ़ी इस बात को लगातार नजरअंदाज करती रही है।*
*देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा व शोध संस्थान पीजीआई के गेस्ट्रोलॉजी विभाग के प्रोफसर अब आंतों की बीमारी इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज यानी आईबीडी के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए सलाह दे रहे हैं कि घर का खाना ही सेहत की कुंजी है।* 

*जो लोग परंपरागत भारतीय भोजन से नाता तोड़ रहे हैं वे बीमारियों से नाता जोड़ रहे हैं।* 

*दरअसल, हाल के दिनों में खासकर युवा पीढ़ी में पश्चिमी व चीनी खाद्य पदार्थों मसलन पिज्जा, बर्गर और नूडल्स आदि के प्रति दीवानगी बढ़ी है।*
*वहीं आम लोगों में भी होटल रेस्टोरेंट आदि से पका पकाया खाना मंगाने का प्रचलन बढ़ा है।* 

*पीजीआई के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ज्यादा तला भुना व बाहरी खाने से कई बीमारियां हो रही हैं, जिससे बड़ी आंत में घाव बन जाते हैं।*

 *फलत: अल्सर व कैंसर तक के खतरे बढ़ जाते हैं। चिकित्सक घर के परंपरागत खाने पर बल दे रहे हैं। वे भोजन के लिये कच्ची घानी, सोयाबीन, नारियल व तिल का तेल प्रयोग करने पर जोर दे रहे हैं।*
*साथ ही बाजारों में एक बार प्रयोग किये गये खाद्य तेल को बार बार उपयोग करने से बचने की सलाह दी गई है।* 

*विशेष रूप से सफर के दौरान बाहरी खाने के बजाय फल व आम भोजन के उपयोग की भी जरूरत बता रहे हैं।*
*दरअसल, इसमें कोई बड़ी राकेट साइंस नहीं है और घर के बुजुर्ग इसी बात को अक्सर दोहराते भी रहे हैं, लेकिन नई पीढ़ी इस पर ध्यान नहीं देती है।*

*दरअसल, फास्ट फूड संस्कृति को जीवन का हिस्सा बनाने से देश दुनिया में तमाम तरह की बीमारियों ने जन्म लिया है।*
*मोटापा और उससे जुड़े तमाम रोग आज भारतीयों पर शिकंजा कस रहे हैं।* 

*हमारे जीवन में शारीरिक श्रम का महत्व कम होने और तला-भुना खाने से मोटापा, मधुमेह व उच्च रक्तचाप जैसी लाइफ स्टाइल बीमारियां शरीर में घर बनाने लगी हैं। इतना ही नहीं देर से सोना और देर से जागना हमारी आदत में शुमार हो गया है।*
*बच्चे मैदान में खेलने के बजाय गैजेट्स में लगे रहते हैं, जिससे उन पर मोटापे का ज्यादा असर हो रहा है।* 

*वहीं समय पर न खाना और फास्ट फूड को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने से भी समस्या और जटिल हो गई है।*
*सुबह नाश्ते को नजरअंदाज करना और देर रात भारी भोजन भी शारीरिक व्याधियों को निमंत्रण दे रहा है।*

 *योग व प्राकृतिक चिकित्सा इस बात पर बल देती है कि सुबह के समय हमारी पाचन शक्ति मजबूत होती है अत: हमारा नाश्ता समृद्ध होना चाहिए।*
*फल व सलाद हमारे खाद्य श्रृखंला का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए।*
*नई पीढ़ी में पिज्जा, बर्गर, नूडल्स वगैरह का तो जुनून है लेकिन ताजे फल और सब्जियों से परहेज करने लगे हैं।* 

*पश्चिमी देशों में हुए हालिया शोध बता रहे हैं कि जल्दी सोने और जल्दी जागने वाले लोग ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। उनमें उच्च रक्तचाप व मधुमेह जैसी लाइफ स्टाइल डिजीज कम होती हैं।* 

*विडंबना देखिये कि सदियों से जो हमारा खानपान व जीवन शैली रही है उसको ही नई पीढ़ी नजरअंदाज कर रही है। अब विदेशों से शोध के बाद आने वाले उसी ज्ञान पर हमारा ध्यान जा रहा है।*

*दरअसल, जब तक हम युवा रहते हैं तब तक स्वस्थ शरीर के आवश्यक नियमों की अनदेखी करते हैं मगर जब उम्र ढलने लगती है तो शरीर बीमारियों का घर बन जाता है।* 

*आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की यह कमी रही है कि वह रोग के लक्षणों को तो ठीक करता है लेकिन उस रोग को जड़ से समाप्त करने के लिये जीवन शैली व खानपान में बदलाव पर बल नहीं देता। तब हम फौरी तौर पर तो ठीक हो जाते हैं लेकिन बीमारी के कारक शरीर में मौजूद रहते हैं।*

 *डायबिटीज़ का इलाज संभव है, अगर कोई चाहे तो.!*
स्वास्थ्य विभाग के सर्वे के अनुसार भारत में 5 करोड़ 70 लाख से भी ज्यादा लोग डाइबिटिक हैं, और यह समस्या अधिकतर लोगों में दिनोंदिन बढ़ रही है।

➡️ हर 2 मिनट में एक आदमी डायबिटीज से मर जाता है और कॉम्प्लीकेशंस भी बहुत है।

➡️ किसी की किडनी खराब हो रही है।

➡️ किसी का लीवर खराब हो रहा है।

➡️ किसी को लकवा हो रहा है।

➡️ किसी को ब्रेन स्ट्रोक हो रहा है।

➡️ किसी को हार्ट अटैक आ रहा है।

*कुल मिलाकर डायबिटीज़ होने के पश्चात अनेक प्रकार के कॉंप्लिकेशन शरीर में आने से व्यक्ति और ज्यादा बीमार हो जाता है।*

*मधुमेह या सुगर की बीमारी एक खतरनाक रोग है.!*

रक्त ग्लूकोज (blood sugar level) स्तर बढा़ हुआ मिलता है, यह रोग मरीजों के (रक्त मे गंदा कोलेस्ट्रॉल) अवयव के बढने के कारण होता है।
इन मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनको गंभीर, जटिल, घातक रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

➡️ भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईंधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शर्करा होती है।

➡️ ग्लूकोज हमारे रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है।

पैंक्रियाज/अग्नाशय (Pancreas) इन्सुलिन उत्पन्न करता है।

इन्सुलिन भी रक्तधारा में मिलता है और कोशिकाओं तक जाता है।

मधुमेह बीमारी का असली कारण जब तक आप लोग नहीं समझेंगे तब तक आपकी मधुमेह कभी भी ठीक नहीं हो सकती है।
जब आपके रक्त में वसा (गंदे कोलेस्ट्रोल) की मात्रा बढ जाती है तब रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रोल कोशिकाओ के चारों तरफ चिपक जाता है और खून में मौजूद जो इन्सुलिन है वह कोशिकाओं तक नही पहुँच पाता है (इंसुलिन की मात्रा तो पर्याप्त होती है किन्तु इससे द्वारो को खोला नहीं जा सकता है, अर्थात पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है) वो इन्सुलिन शरीर के किसी भी काम में नही आता है।
जिस कारण जब हम शुगर लेवल चैक करते हैं तो शरीर में हमेशा शुगर का स्तर बढा हुआ ही होता है क्योंकि वो कोशिकाओं तक नहीं पहुंची जबकि जब  हम बाहर से इन्सुलिन लेते हैं तब वो इन्सुलिन नया नया होता है तो वह कोशिकाओं के अन्दर पहुँच जाता है।
अब आप समझ गये होंगे कि मधुमेह का रिश्ता कोलेस्ट्रोल से है न कि शुगर से।

➡️ मधुमेह रोग में प्रारम्भिक अवस्था में तो भूख बहुत लगती है लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है।

➡️ शरीर सूखने लगता है एवं कब्ज की शिकायत रहने लगती है।

➡️ बार बार बहुत अधिक प्यास लगती है।

➡️ अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रोगी का वजन कम होता जाता है।

➡️ शरीर में कहीं भी जख्म या घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।

*तो ऐसी स्थिति में*
*हम क्या करें ??*

*कुदरती नुस्खे अपनाइये क्योंकि...*
विशेषज्ञों के अनुसार आपको इन्सुलिन पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए क्योंकि इन्सुलिन डाईबिटीज से भी ज्यादा खराब है।
शरीर पर  इसके दुष्प्रभाव भी बहुत है।


*हमारे  पेट का अल्सर एक गंभीर बीमारी है...??*
*जानिये इसके कारण और निवारण देसी नुस्खों से...*

*हम बात कर रहे हैं पेट के अल्सर की पेप्टिक अल्सर की वजह से कई समस्याएँ हो सकती हैं।*

*पेट के अंदर की सतह पर छाले हो जाते हैं जो धीरे धीरे जख्मों में बदलनें लगते हैं और अल्सर से परेशान इंसान को कई तरह की समस्याएँ आनें लगती हैं।*

*पेट का अल्सर यानि पेप्टिक अल्सर दो तरह का होता है..*
*एक ड्यूडिनल अल्सर और*
*दूसरा है गैस्ट्रिक अल्सर।*

*समय पर इलाज न मिलनें से अल्सर के रोगी की मौत भी हो सकती है।*

*पेट के अल्सर के संकेत:*

*अल्सर होनें के संकेत साफ होते हैं इस रोग में रोगी को पेट संबंधी दिक्कते जैसे पेट में जलन, दर्द और उल्टी में खून आदि आनें लगता है और कुछ समय बाद जब यह अल्सर फट जाता है तब यह जानलेवा बन जाता है।*

*पेट के अल्सर के मुख्य लक्षण...*

*ड्यूडिनल अल्सर का मुख्य लक्षण है खाली पेट में दर्द होना।*
*खाना खानें के बाद ही दर्द का ठीक होना।*
*वहीं पेप्टिक अल्सर में इंसान को भूख कम लगती है।*
*मल से खून का आना।*
*बदहजमी का होना।*
*सीनें में जलन।*
*वजन का अचानक से घटना।*

*पेट में बार-बार दर्द का उठना और किसी पेनकिलर या एंटी-एसिड की दवाओं से ही पेट दर्द का ठीक होना अल्सर का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा भी अल्सर के रोगी को बार-बार कई दिक्कतें आती हैं जैसे पेट में जलन और जी मिचलाना।*

*पेट के अल्सर का कारण:*

*▪️अत्यधिक दर्द निवारण दवाओं का सेवन करनां।*
 *▪️अधिक चाय या काफी पीनां।* 
*▪️अधिक गरम मसालें खानां।* 
*▪️अधिक तनाव लेनां।* *▪️गलत तरह के खान-पान करनां।* 
*▪️अनियमित दिनचर्या।*
*अधिक धूम्रपान करनां।*
*▪️हेलिकौबैक्ट पायलोरी बैक्टीरिया की वजह से।*

*पेट के अल्सर से मुक्ति पाने के लिये अपनायें ये घरेलू उपाय:*

*शहद:* 
पेट के अल्सर को कम करता है शहद। क्योकि शहद में ग्लूकोज पैराक्साइड होता है जो पेट में बैक्टीरिया को खत्म कर देता है और अल्सर के रोगी को आराम मिलता है।

*नारियल...* 
नारियल अल्सर को बढ़नें से रोकता है साथ ही उन कीड़ों को भी मार देता है जो अल्सर को बढ़ाते हैं।
नारियल में मौजूद एंटीबेक्टीरियल गुण और एंटी अल्सर गुण होते हैं। इसलिए अल्सर के रोगी को नारियल तेल और नारियल पानी का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए। 

*केला:* 
केला भी अल्सर को रोकता है। केले में भी एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो पेट की एसिडिटी को ठीक करते हैं। पका और कच्चा केला खानें से अल्सर के रोगी को फायदा मिलता है। आप चाहें तो कच्चे केले की सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं।

*बादाम:* 
बादाम को पीसकर इसे अल्सर के रोगी को देना चाहिए। इन बादामों को इस तरह से बारीक चबाएँ कि, यह दूध की तरह बनकर पेट के अंदर जाएं।

*लहसुन:*
लहुसन की तीन कच्ची कलियों को कुटकर पानी के साथ सेवन करें।

*गाय का दूध:* 
गाय के दूध में हल्दी को मिलाकर पीना चाहिए। हल्दी में मौजूद गुण अल्सर को बढ़नें नहीं देते हैं।

*गुडहल:* 
गुडहल की पत्तियों के रस का शरबत बनाकर पीनें से अल्सर रोग ठीक होता है।

*बेलफल की पत्तियों का सेवन:* 
बेल की पत्तियों में टेनिन्स नामक गुण होता है जो पेट के अल्सर को ठीक करते हैं। बेल का जूस पीने से पेट का दर्द और दर्द ठीक होता है। 

*गाजर और पत्ता गोभी का रस:* 
पत्तागोभी पेट में खून के प्रभाव को बढ़ाती है और अल्सर को ठीक करती है। पत्ता गोभी और गाजर का रस मिलाकर पीनां चाहिए। पत्ता गोभी में लेक्टिक एसिड होता है जो शरीर में एमीनो एसिड को बनाता है।

*सहजन:*
दही के साथ सहजन के पत्तों का बना पेस्ट बना लें और दिन में कम से कम एक बार इसका सेवन करें। इस उपाय से पेट के अल्सर में राहत मिलती है।

*मेथी का दाना:* 
अल्सर को ठीक करनें में मेथी बेहद लाभदायक होती है।
एक चम्मच मेथी के दानों को एक गिलास पानी में उबालें और इसे ठंडा करके छान लें।
अब आप शहद की एक चम्मच को इस पानी में मिला लें और इसका सेवन रोज दिन में एक बार जरूर करें।
ये उपाय अल्सर को जड़ से खत्म करता है।

*पेट के अल्सर के लिए जरूरी परहेज:*
➡️ अधिक मिर्च मसाले और जंक फूडस से परहेज करें। 
➡️ चाय, काफी और कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन करना बंद कर दें।
➡️ स्वयं को तनाव मुक्त रखें।
➡️ हर रोज सुबह-शाम पैदल घूमें।
➡️ अधिक दवाओं का सेवन न करें।
➡️ अल्सर का अधिक बढ़नें पर इसका ऑपरेशन ही एक मात्र उपाय है।
➡️ यदि यह कैंसर में बदल जाता है तो अल्सर की कीमोथैरेपी की जाती है।
*यदि आप चाहते हैं कि, अल्सर का रोग आपको न लगें तो आपको अपनें खान-पान और गलत लतों को छोड़ना होगा।*

 *मैं अपनें किसी भी हेल्थ मैसेज का 100%  सही होनें का दावा नहीं करता। इस टिप्स से काफी लोगों को फायदा हुआ है। कृपया आप किसी भी हेल्थ टिप्स पर अपनें ऊपर प्रयोग करनें से पूर्व अपनें वैद्य से राय लेवें।*


 *क्या आप इनमें से किसी भी समस्या से परेशान हो तो मुझसे जरूर सम्पर्क करें क्योंकि हो सकता है कि आपकी समस्या का निवारण बगैर किसी दवाई के हो जाये...*
*निःशुल्क परामर्श*
 1- शुगर (मधुमेह)
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19- सोराइसिस
20- बवासीर
21- एसिडिटी
22- श्वसन सम्बन्धी
23- पाचन सम्बंधित 
24- लीवर से जुडी कोई भी परेशानी
25- अनिद्रा
26- अनीमिया (खून की कमी)
27- मानसिक तनाव
28- खांसी 
29- साईनस
30- पेट में गैस बनना
31- पैरो-हाथो मे जलन
32- आखों से संबंधित
33- स्वेद प्रदर (सफेद या गाढ़ा द्रव)
34- अनियमित मासिक धर्म 
35- बांझपन 
36- नपुंसकता   
37- पथरी
38- एलर्जी 
39- किसी भी प्रकार का नशा 
40- बच्चेदानी में रसोली
41- कैंसर 
42- भूख न लगना 
43- नसों की बलौकेज
44- टी बी/ क्षयरोग
45- दांतों की कोई भी समस्या
46- फाइलेरिया
47- सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
48 - फ्रोज़न शोल्डर
49 - टेनिस एल्बो
50 - डिप्रेशन


*घर का डॉक्टर,*
*घर की चीजों से बना...*
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*कायाकल्प चूर्ण*
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*निरोगी, स्वस्थ, सुखमय एवं सुरक्षित जीवन के लिए अपनाइये...*
*प्रोडक्ट कोड 1/10/KK*
*🤗काया कल्प चूर्ण🤗*
*_"हर उम्र के लिए"_*
*लेकिन क्यों..?*
*30 पार करते करते हवा, पानी और भोजन का प्रदूषण हमारे शरीर की इम्युनिटी को कमजोर करना शुरू कर देता है..*
*विशेषकर आज आज के माहौल की वजह से पूरी दुनियां एक अनजाने भय के बीच मे जी रही है।*
*पूरा विश्व एक ही बात पर जोर दे रहा है कि अपनी इम्युनिटी बढ़ाइये या अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाइये।*
*अभी तक कोई भी वैक्सीन नहीं बन पाई है लेकिन भारत एक प्राकृतिक धन संपदा सम्पन्न देश है जहां पर हर रोग का प्राकृतिक निदान पहले से ही हो रखा है।*
*अगर आप प्राकृतिक आपदा या कहर से बचना चाहते हैं तो घबराने की कोई बात नहीं, हमारा अद्भुत जादुई काया कल्प चूर्ण पर्याप्त है क्योंकि...*
*_स्वस्थ रहना सबकी मूलभूत आवश्यकता है_*

*अगर आप डाक्टरों के चक्कर लगा लगा के परेशान हो चुके हैं तो एक बार ज़रूर पढ़ें फिर आजमा के देखें, आप मायूस नही होंगे..*

*जानिये ऐसा क्यूं होता है..?*
*क्योंकि हमारा शरीर, पंचतत्व...*
*✅ भूमि,*
*✅ गगन,*
*✅ वायु,*
*✅ अग्नि एवं*
*✅ जल के* *सामंजस्य एवं योग से निर्मित होकर काया कल्प चूर्ण शरीर के वात, पित्त और कफ को बैलेंस करके स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है।*

*घरल या घराट पद्धति से निर्मित चूर्ण, वो करिश्मा है जिसे आज नहीं तो कल लेना ही होगा, कारण एलोपैथी के साइड इफेक्ट। क्योंकि ये हमारी जरूरत भी है और समय की पुकार भी है।*
*😢काया कल्प चूर्ण😊*

*हज़ारों वर्ष पुराना नुस्खा आपकी जिंदगी की खुशियां दुबारा पा सकते हैं.!*

*लाख दवा की एक दवा,*
*थोड़ा जल्दी असर करने वाली,*
*हर मुश्किल का हमसफ़र,*
*जीवन वर्धक, रोग हर्ता, विघ्न विनाशक चमत्कारिक...*
*😢कायाकल्प चूर्ण😊*

*काया कल्प चूर्ण लेने से क्या होगा..??*
*रात को सोते समय एक छोटी चम्मच (सिर्फ 5 ग्राम) काया कल्प चूर्ण, हल्के गर्म पानी के साथ लेना है।*

*ये चूर्ण 10 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी ले सकता है।*

*रोज़ाना लेने से शरीर के कोने कोने में लगातार जम रही गंदगी और कचरा, मल और पेशाब द्वारा बाहर निकल जाएगी।*

*पूरा फायदा तो 80-90 दिन में महसूस करेगें, जब फालतू चरबी गल जाएगी, नया शुद्ध खून का संचार होगा।*

*हर प्रकार का ब्लोकेज खुल जायेगा।*

*चमड़ी की झुर्रियां अपने आप दूर हो जाएगी।*

*शरीर तेजस्वी, स्फूर्तिवान व सुंदर बन जायेगा।*

*अनिवार्य...*
*दिन में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी पीना है।*

*"काया कल्प चूर्ण के अद्भुत फायदे..."*
*1. गठिया तो दूर होगा ही साथ मे गठिया जैसे जिद्दी रोग भी दूर हो जाएंगे।*
*2. हड्डियां मजबूत होगी।*
*3. आंखों की रोशनी बढ़ेगी।*
*4. बालों का विकास होगा।*
*5. पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति मिलेगी।*
*6. शरीर में खून जवानों की तरह दौड़ने लगेगा।*
*7. कफ से मुक्ति मिलेगी।*
*8. हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी।*
*9. थकान जरा सी भी नहीं रहेगी, घोड़े की तरह दौड़ने लग जाएगें।*
*10. स्मरण शक्ति बढ़ेगी।*
*11. स्त्री का शरीर, शादी और बच्चों के बाद हुआ बेडोल की जगह स्लिम, ट्रिम और सुंदर बनेगा।*
*12. कानों का बहरापन दूर होगा।*
*13. पहले ली हुई एलोपैथी दवाओं के साईड इफेक्ट्स से मुक्त हो जायेंगें।*
*14. खून में सफाई और शुद्धता बढ़ेगी।*
*15. शरीर की सभी खून की नलिकायें शुद्ध हो जाएगी।*
*16. दांत मजबूत बनेगें और इनेमल जींवत रहेगा।*
*17. नपुसंकता जड़ से दूर होगी।*
*18. डायबिटिज काबू में रहेगी, डायबिटीज की जो दवा लेते है वह चालू रखना है।*

*जरूरी जानकारी..*
*कायाकल्प चूर्ण का असर 30-40 दिन तक लेने के बाद दिखने लगेगा।*

*आपका जीवन... निरोग, आनंददायक, चिंता रहित, स्फूर्ति दायक और आयुष्यवर्धक बनेगा।*

*जीवन जीने योग्य बनेगा क्योंकि बुढ़ापा, बुढ़ापे की समस्याएं और टेंशन से दूर रहेगा।*

*
*
*पेट्रोल और डीज़ल के रेट बढ़ने से जड़ी बूटियों की कीमतें आसमान छू चुकी हैं और इन्हीं कारणों से इलाज़ महंगे होते जा रहे हैं।*

*

*


: *मधुमेह, डायबिटीज, शुगरमुक्त भारत...*
*"नो-डायबिटीज" कैप्सूल्स*

*यक्ष प्रश्न.....*
*आखिरकार मधुमेह, शुगर, डायबिटीज इतनी बड़ी जानलेवा बीमारी क्यों बनती जा रही है..??*

*मधुमेह या शुगर, पाश्चात्य जीवन शैली का एक रोग या परेशानी युक्त जीवन की भूल...*

*चिंतन व मनन करें कि...*
*किन्नर भाई बहनों को क्यों नहीं होता रोग..???*
*क्योंकि वो औरों की खुशियों में भी दिल खोलकर बजाते हैं तालियां और नाचते हैं झूम झूम के...*
*और जब हम अपने ही खुशियों, पूजा, पाठ, भजन, कीर्तन, आरती में जब जाते हैं तो एक्यूप्रेशर थैरेपी के माध्यम से दबाते हैं वही पॉइंट,*
*जो परम्परागत चली आ रही ताली बजाने व नाचने में दबती थी*
■■■■■■■■■■■■■
*Nature's मधुमेह (डायबिटीज) रक्षक कैप्सूल*
*"नो-डायबिटीज"*
■■■■■■■■■■■■■

*आजकल मधुमेह आम बीमारी हो गयी है।*

*चौंकिये मत...*
*हर 10वाँ इंसान इस रोग के चपेट में है या आने वाला है।*
*जब कोई इस रोग से ग्रसित होता है तो उस इंसान के भोजन में जितनी भी मीठी चीजे खाता है (चीनी, मिठाई, शक्कर, गुड़ आदि) वह ठीक प्रकार पचती नही है अर्थात पैंक्रियास या अग्नाशय उचित मात्रा इन्सुलिन नही बनता इसलिये चीनी तत्व मूत्र मार्ग से सीधा निकलने लगता है।*

*➡️ जिन लोगो को चिंता, मोह, लालच, तनाव, ज्यादा मिर्च मसाले वाला भोजन रहता है वे इस रोग से ग्रसित हो सकते हैं।*

*➡️ शुरू मे इस रोग में भूख अधिक लगती है धीरे धीरे भूख कम हो जाती है,*
*➡️ शरीर सूखने लगता है,*
*➡️ कब्ज की शिकायत,*
*➡️ वजन कम होना,*
*➡️ अधिक पेशाब आना व*
*➡️ जख्मों का न भरना इसके लक्षण है।*

*एकाएक बढ़ी शुगर को सामान्य करने हेतु चौथाई चम्मच मेथी दालचीनी त्रिफला 2-3 चुटकी हल्दी व 2 लहसुन को कूटकर एक गिलास पानी चौथाई रहने तक छानकर पिलाते रहें दिन में 3-4 बार 2-3 दिन।*

*मधुमेह रोग को जड़ से खत्म करने के लिए जड़ी बूटियों से अद्भुत फ़ॉर्मूलेटेड दवाई उपलब्ध है।*

*Nature's NO DIABETES Capsule*

*नेचर्स "नो-डायबिटीज़" कैप्सूल पूर्णतः जड़ी बूटियों से निर्मित कैप्सूल हैं जो शुगर/ डायबिटीज/ मधुमेह अथवा डायबिटीज को पूर्ण रूप से नियंत्रित करता है तथा अंग्रेजी दवाइयों से होने वाले साइड इफेक्ट्स से रक्षा भी करता है।*

*यह कैप्सूल प्राणघातक स्टेरॉयड से मुक्त है तथा रोग के जड़ को खत्म करता है।*

*नित्य एक एक कैप्सूल सुबह शाम पानी के साथ सेवन करने से सिर्फ 15 दिन में असर दिखने लगेगा व पूर्ण लाभ लगभग 4 महीने के प्रयोग से मिलेगा।*

*लगातार अंग्रेजी दवाओं के प्रयोग से शुगर के मरीज़ों को अन्य बीमारी घेर लेती हैं जिनसे इस कैप्सूल के प्रयोग से रक्षा होती है।*

*
*अधिकांश लोगों से अनजान अद्भुत अमृतमय मधुमक्खियों द्वारा निर्मित धरती का अमृत "पराग" या "बी-पॉलन".!*

*क्या आप मात्र एक चम्मच से 5 किलो गाय का दूध, 5 किलो हरी सब्जियां, 5 किलो फल और बहुत सारे एन्टी ऑक्सीडेंट्स चाहते हैं.?*

*बी-पॉलन में फूलों का पराग, रस, एन्ज़ाइम्स, शहद और बी सीक्रेशन का मिक्सचर होता है!*
*मधुमक्खी जब अपने छत्ते पर शहद इकठ्ठा करती है तो शहद के साथ साथ उस छत्ते पर कुछ पराग कण भी इकठ्ठा हो जाते हैं और फिर ये दानों का आकार ले लेते हैं यही दाने सूखकर बी-पॉलन (Bee-Pollen) कहलाते हैं।*

*जो लोग डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ऑटो इम्यून या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं उन्हें बी-पॉलन का सेवन ज़रूर करना चाहिये।*

*बी-पॉलन और उसके फायदों के बारे में अभी भी बहुत कम लोग जानते हैं।*
*आपको बता दें कि यह मधुमक्खियों द्वारा इकठ्ठा किया गया फूलों के परागकण का ढेर होता है जो उनके आहार के रूप में काम आता है।*
*इसमें लगभग 40% प्रोटीन पाया जाता है और इसके अलावा इसमें पोषक तत्वों की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है।*
*इसका सेवन इंसानों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।*

*काफी समय पहले से ही बी-पॉलन को न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।*

*ताजे बी-पॉलन में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट के अलावा लैक्टिक एसिड और फ्लेवेनॉयड जैसे यौगिक भी होते हैं।*

*चायनीज मेडिसन में इसके फायदों को देखते हुए जर्मन फेडरेल बोर्ड ऑफ़ हेल्थ द्वारा इसे ऑफिशियल मेडिसिन घोषित किया है।*

*इन्फ्लेमेशन (सूजन) कम करने में मदद :*
*साल 2010 में फार्मसूटिकल बायोलॉजी जर्नल के अनुसार बी-पॉलन में ऐसे एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिस वजह से ये जोड़ों के दर्द, एक्ने और कई इंफ्लेमेटरी डिजीज से राहत दिलाने में मदद करती है।*

*मांसपेशियों की मजबूती :*
*फ्रेश बी पॉलन मसल्स रिकवरी रेट को बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं।*

*साल 2014 में किये शोध के अनुसार जो लोग पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोगों से परेशान रहते हैं उनके लिए यह बहुत ही फायदेमंद है।*

*अगर आप वजन कम करने की सोच रहे हैं तो आपको बी-पोलन का सेवन बढ़ा देना चाहिये।*

*जो लोग डायबिटीज, हाइपरटेंशन या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं उन्हें बी-पोलन का सेवन ज़रूर करना चाहिये।*

*एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर :*
*आप कैफीन युक्त ड्रिंक पीने की बजाय बी-पॉलन से निर्मित चाय का सेवन कर सकते हैं।*
*इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और इसी वजह से जो लोग कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों, डायबिटीज, हाइपरटेंशन या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं उनके लिए बी-पॉलन बहुत ज्यादा फायदेमंद है।*

*इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार :*
*साल 2014 में एक शोध में बताया गया कि बी-पॉलन में पर्याप्त मात्रा में एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी क्षमताएं होती हैं और इसके सेवन से कैंडिडा और स्टाफ इन्फेक्शन जैसी बीमारियों से बचाव होता है।*

*निरोगी काया के लिये बी-पॉलन की बिक्री मैं किलो में ही करता हूं क्योंकि ये महंगाई के अनुसार तो महंगा है परन्तु स्वास्थ्य की दृष्टि से एकदम सस्ता या मुफ्त जैसा है।*

*

विशुद्ध एवं फ़्रेश बी-पॉलन के लिये मुझसे सीधे सम्पर्क कर सकते हैं। *~व्हाट्सएप से बिल्कुल नहीं।~*

 *निश्चिंत हो जाइये....*
*चिलचिलाती गर्मी का आसान समाधान...*
*क्या आप बहुत जल्दी थक जाते हैं.?*
*क्या आपका बीपी अचानक लो हो जाता है.?**
*वर्ष 2023 की खतरनाक गर्मी से सावधान..??*
*गर्मी नुकसान कर सकती है इसलिए सावधान...*
*लीजिये...*
*•• 
*"नेचर्स ऊर्ज़ा (एनर्जाइज़र)"*
*एक त्वरित ऊर्जा सूत्र*
*जो मांसपेशियों की कोशिकाओं को रिचार्ज करने में मदद करता है,*
*थकान की सीमा में सुधार करता है,*
*शरीर की भड़काऊ प्रतिक्रिया को मजबूत करता है और*
*ऊर्जा का निर्माण करता है।*
*बीपी को नार्मल करता है।*

*हमारे अद्भुत "ऊर्ज़ा" एनर्जाइज़र फॉर्मूलेशन में अवयवों की भूमिका...*

*(1). स्टार्च मकई (डेक्सट्रोज और सुक्रोज)*
*डेक्सट्रोज क्या है?*
*डेक्सट्रोज स्टार्च से बनी एक साधारण चीनी है।*
*स्टार्च मकई, गेहूं, चावल और आलू सहित कई पौधों में पाया जाने वाला प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जटिल कार्बोहाइड्रेट है।*
*डेक्सट्रोज का सबसे आम स्रोत मकई स्टार्च है।*

*डेक्सट्रोज को डी-ग्लूकोज के नाम से भी जाना जाता है।*
*डेक्सट्रोज आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को तेजी से बढ़ाकर काम करता है।*
*ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जैसे ब्रेड, अनाज, आलू, फल, पास्ता और चावल।*

*ग्लूकोज ऊर्जा का एक स्रोत है, और आपके शरीर में सभी कोशिकाओं और अंगों को ठीक से काम करने के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है।*

*डेक्सट्रोज का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति को कार्बोहाइड्रेट कैलोरी प्रदान करने के लिए भी किया जाता है जो बीमारी, आघात या अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण नहीं खा सकता है।*
*यह कभी-कभी उन लोगों को दिया जाता है जो बहुत अधिक शराब पीने से बीमार हो जाते हैं।*

*आहार अनुपूरक*
*डेक्सट्रोज स्टार्च से बनी एक साधारण चीनी है।*

*स्टार्च मकई, गेहूं, चावल और आलू सहित कई पौधों में पाया जाने वाला प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जटिल कार्बोहाइड्रेट है।*
*डेक्सट्रोज का सबसे आम स्रोत मकई स्टार्च है।*

*डेक्सट्रोज, जब एक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है, या तो मुंह से (मौखिक रूप से) या इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है।*
*डेक्सट्रोज को डी-ग्लूकोज के नाम से भी जाना जाता है।*

*डेक्सट्रोज आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को तेजी से बढ़ाकर काम करता है।*

*ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जैसे ब्रेड, अनाज, आलू, फल, पास्ता और चावल।*

*ग्लूकोज ऊर्जा का एक स्रोत है, और आपके शरीर में सभी कोशिकाओं और अंगों को ठीक से काम करने के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है।*

*डेक्सट्रोज का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति को कार्बोहाइड्रेट कैलोरी प्रदान करने के लिए भी किया जाता है जो बीमारी, आघात या अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण नहीं खा सकता है।*

*यह कभी-कभी उन लोगों को भी दिया जाता है जो बहुत अधिक शराब पीने से बीमार हो जाते हैं।*

*डेक्सट्रोज का उपयोग हाइपरक्लेमिया (आपके रक्त में पोटेशियम के उच्च स्तर) के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।*

*चेतावनी*
*यदि आपको मकई से एलर्जी है, तो आपको डेक्सट्रोज से एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है।*
*इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।*

*सुक्रोस खनिज लोहे का एक रूप है। आयरन विशेष रूप से रक्त में ऑक्सीजन के परिवहन के लिए शरीर में कई कार्यों लिए महत्वपूर्ण है।*

*आयरन सुक्रोस इंजेक्शन गुर्दे की बीमारी के साथ लोगों में लोहे की कमी से एनीमिया के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।*

*यह आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है।*

*3 बड़े चम्मच पूर्ण 15 ग्राम (लगभग) की एक खुराक कार्बोहाइड्रेट से 57.6 कैलोरी प्रदान करती है।*

*डेक्सट्रोज (स्टार्च मकई) आसानी से आत्मसात होकर घुल जाता है और थकान को दूर करने के लिए ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।*

*सुक्रोज से फ्रुक्टोज और ग्लूकोज प्रत्येक का एक अणु प्राप्त होता है।*

*(2). जिंक सल्फेट*
*ज़िंक से शरीर को कई फायदे मिलते हैं।*

*जिंक की कमी होने पर इम्यूनिटी, थकान और वजन घटना शुरु हो जाता है।*

*जिंक जिसे हिंदी में जस्ता (Zinc) कहते हैं एक ऐसा खनिज या मिनरल है जो आपकी इम्यूनिटी को मजबूत (Strong Immunity) बनाता है।*

*हमारा शरीर जिंक नहीं बनाता इसके लिए हमें जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ (Foods For Zinc) या सप्लीमेंट का सेवन करना होता है।*

*दैनिक कार्यों को सुचारु रुप से करने के लिए जिंक जरूरी है।*

*जिंक से न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि ब्लड शुगर को कंट्रोल करने (Blood Sugar Level), हार्ट को हेल्दी बनाने (Heart) और स्किन और हेयर का ख्याल रखने के लिए भी ज़िंक जरूरी है।*

*शरीर में डीएनए (DNA) के निर्माण में भी ज़िंक अहम होता है।*

*आप डाइट में ऐसी चीजों को शामिल कर सकते हैं जिससे ज़िंक की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है।*

*एक सर्विंग से 3.2 ग्राम एलिमेंटल जिंक मिलेगा, जो दैनिक आहार आवश्यकताओं का आधा है।*

*जिंक न्यूक्लोइक एसिड संश्लेषण घावों के उपचार और ऊर्जा के हस्तांतरण के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है।*

*जिंक स्वाद संकाय में भी सुधार करता है और इस प्रकार स्वास्थ्य लाभ के दौरान भोजन की इच्छा को बढ़ाता है।*

*(3). एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन-सी)*
*एस्कॉर्बिक एसिड शुद्ध विटामिन सी है, जो शरीर के लिए फायदेमंद एक आवश्यक पोषक तत्व है।*

*यह त्वचा की मरम्मत और पोषण करने में मदद करता है।*

*यह त्वचा की मजबूती और एक एंटी-एजिंग है। स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखना और विकसित करना।*

*एक सर्विंग इस महत्वपूर्ण पानी में घुलनशील विटामिन का 15mg प्रदान करता है, जो दैनिक आहार एस्कॉर्बिक एसिड है जो तनाव और तनाव, वृद्धि और शरीर के गठन के खिलाफ समायोजित करने में मदद करता है और फागोसाइटोसिस में सुधार करता है जिससे संक्रमण के प्रतिरोध में वृद्धि होती है।*

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