Monday 30 September 2024

पितृ विसर्जन कैसे करें

 पितृ विसर्जन कैसे करें 

यह तो सब लोग जानते हैं की क्वार महीने की अमावस्या के दिन पितरों के विदाई दी जाती है गरुड़ पुराण के अनुसार इस दिन पितरों को विदाई दी जाती है जिसके विधि विधान होते हैं अगर किसी ने 15 दिन पितृपक्ष का पालन नहीं किया तो केवल पितृ विसर्जन के दिन ही विधि विधान से उसका पालन करने पर पितरों को मुक्ति और शांति मिलती है और उसका पूरा समय एक ही दिन में पूरा हो जाता है


 अगर तर्पण जलांजलि और पिंडदान का ज्ञान नहीं है तो किसी सदाचारी ज्ञानी व्यक्ति से उसे कराना चाहिए और अगर अच्छी तरह मालूम है तो खुद भी कर सकते हैं श्राद्ध का अर्थ ही है श्रद्धा सहित दान अर्थात किसी भी सदाचारी विद्वान व्यक्ति को श्रद्धा के साथ दान देना चाहिए और गाय कुत्ते कौवे को विधि विधान से बनाए गए भोजन और पिंड का दान करना चाहिए 


जहां तक हो सके दोपहर को हाथ में कुश लेकर गंगा नदी या किसी अन्य नदी या विकल्प में झील तालाब सरोवर अथवा घर पर भी सबसे पहले नहा धोकर सिद्ध मंत्र ओम सर्वेभ्यः पितरेभ्यः नमः से पित्रों के साथ पितरों को जलांजलि दिया जाता है एक स्वच्छ लोटा में जल भरकर उसमें फूल कुछ तिल और अक्षत डालकर पूर्व की दिशा में मुंह करके पितरों को देना चाहिए और अपनी गलतियों के लिए पितरों से क्षमा मांगते हुए अपने परिवार की वृद्धि उन्नति और दिशा निर्देश के लिए पितरों की प्रार्थना करनी चाहिए जिससे वह हमेशा आपको दिशा निर्देश देते रहे 


इसके बाद भोग लगाएं ध्यान रखें कि भोजन में गाय के दूध का प्रयोग करें और अधिक विस्तार न देते हुए गाय का दूध दही और गाय के दूध की खीर आलू की तरकारी और पूरी या कद्दू की सब्जी बनाएं लेकिन उसमें प्याज लहसुन जैसी चीजें ना डालें सबसे पहले ब्राह्मण लोगों को शक्ति के अनुसार खिलाए जिनकी संख्या एक या उससे अधिक कुछ भी हो सकती है अगर ब्राह्मण नहीं मिलते तो विद्वान सच्चरित्र और सदाचारी व्यक्ति को ही भोजन खिलाए ध्यान रखें कि ब्राह्मण या सदाचारी व्यक्ति जिसे आप खिला रहे हैं उसका मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए 


संपूर्ण पितृपक्ष और पितृ विसर्जन के दिन स्वच्छता सफाई का विशेष ध्यान रखें और हमेशा गरुड़ पुराण के अनुसार ही कम करें क्योंकि इंटरनेट कोई प्रामाणिक चीज नहीं है और गरुड़ पुराण से उत्तम पुस्तक आज तक कर्मकांड और मृत्यु तथा मृत्यु के बाद के विषयों पर नहीं बनी है भोजन को कुत्ता गाय कौवे को पितरों का स्मरण करते हुए खिलाना चाहिए और यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वह जलांजलि और भोजन तथा पिंड का ग्रहण सूक्ष्म रूप में जाकर करें और ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए की सभी पितरों का कल्याण हो

नोट:#गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ विसर्जन पर प्रामाणिक लेख डॉ दिलीप कुमार सिंह

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