Friday 4 October 2024

जिला विधिक सेवा प्रतिरक्षा तंत्र एक नए सुनहरे युग का सूत्रपात/क्या है जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

जिला विधिक सेवा प्रतिरक्षा तंत्र एक नए सुनहरे युग का सूत्रपात 

डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल जनपद न्यायालय जौनपुर 

प्रस्तावना
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  भारत के न्याय प्रणाली में इस समय दिन दूनी रात चौगुनी लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ती चली जा रही है आकडों और अनुमान के अनुसार इस समय जनपद न्यायालय उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में 6 करोड़ से अधिक मुकदमे लंबित हैं इसमें भी अधिकांश मुकदमे उन पीड़ित प्रताड़ित लोगों के गरीब महिलाओं के और अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ी जातियों के हैं जो विभिन्न कारण से जेल में बंद है जिसमें से लाखों करोड़ों तो ऐसे हैं जिनकी आज तक जमानत भी प्रस्तुत नहीं हुई है और लाखों लोग जमानत पाने के बाद भी जेल में बंद है इन सब करण को देखते हुए सन 2019 में प्रयोग के तौर पर भारत के कुछ स्थानों पर जिला विधिक सहायता प्रतिरक्षा तंत्र का सूत्रपात किया गया जो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत संपूर्ण देश में काम करता है

क्या है जिला विधिक सेवा प्राधिकरण


 सन 1980 के आसपास की संख्या बहुत अधिक हो गई तब एक ऐसी न्याय प्रणाली की आवश्यकता पर विचार किया गया जो सरल हो सुलभ हो सस्ती और त्वरित रूप से मुकदमों का निस्तारण करने में सक्षम और यह तत्कालीन प्रसिद्ध न्यायविद पी कृष्ण अय्यर और पी एन भगवती  के नेतृत्व में विधिक सेवा प्राधिकरण का सूत्रपात हुआ और 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम बनने के साथ राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा की स्थापना हुई कालांतर में इसका विस्तार पूरे भारत में किया गया और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सालसा और फिर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण डालना  की स्थापना की गई जो अब तहसील से लेकर ग्राम स्तर तक विस्तृत हो चुका है इस वैकल्पिक न्याय प्रणाली में हर प्रकार के सिविल प्रकरण के मुकदमों का और लघु अपराधों का सुलह समझौते के आधार पर निस्तारण किया जाता है जिसके अंतर्गत मध्यस्थता केंद्र  पैनल लायर रिटेनर फ्रंट ऑफिस पैरा लीगल वालंटियर और वैवाहिक प्री लिटिगेशन एवं अन्य तमाम तंत्रों की स्थापना की गई जिसके द्वारा प्रतिवर्ष देश में करोड़ों मुकदमा का निस्तारण वैकल्पिक न्याय  प्रणाली के अंतर्गत सुलह समझौते के आधार पर किया जाता है
वैकल्पिक न्याय प्रणाली पर एक उच्च कोटि का लेख 

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