Friday, 3 February 2023

खतरनाक बीमारी भैंसिया दाद, जनेऊ, Herpes Zoster को सिर्फ घरेलू उपचार और परहेज से हटा सकते हैं !!*

*पृथ्वी पर "नोनी", अद्भुत और सबसे ताकतवर फल.!*
नोनी के अधिक सेवन से स्ट्रोक के बाद सेरेब्रल डैमेज होने का खतरा कम हो जाता है।

*एल-आर्जिनिन:*
 यह एक बुनियादी अमीनो एसिड है जो नोनी में पाया जाता है और सभी कशेरुकियों में वृद्धि और रखरखाव के लिए आवश्यक है।
इस बात के प्रमाण हैं कि एल-आर्जिनिन रक्त वाहिका के फैलाव को बनाए रखने और रक्त को कम करने में प्रमुख भूमिका दिखाई देती है, जो स्ट्रोक के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है।

एल-आर्जिनिन नाइट्रिक ऑक्साइड के अग्रदूत के रूप में कार्य द्वारा निम्न रक्तचाप को कम करने में मदद करता है, जो रक्त वाहिकाओं को पतला रखने और रक्त को आसानी से बहने में मदद करता है।
जबकि एल-आर्जिनिन और नाइट्रिक ऑक्साइड के बीच संबंध स्पष्ट है, कुछ नए अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि अकेले पूरक एल-आर्जिनिन उन रोगियों में नाइट्रिक ऑक्साइड को बढ़ावा नहीं दे सकते हैं, जिन्हें हाल ही में दिल का दौरा पड़ा था।

*पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम..*
पोटेशियम निम्नलिखित रक्त, सेरेब्रोवास्कुलर रोग और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
नोनी पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम में समृद्ध है।

प्रमाण सामने आए हैं कि पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम का संतुलन प्लेटलेट एकत्रीकरण को कम करता है और इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार है।

अन्य अध्ययनों से पता चला है कि पोटेशियम के साथ मैग्नीशियम और कैल्शियम का संयोजन रक्त, एथेरोस्क्लेरोसिस और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में इनमें से किसी से भी पूरक की तुलना में अधिक प्रभावी है।

*आवश्यक फैटी एसिड (EFA)..*
EFA स्ट्रोक पीड़ितों के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं और जो सूजन को कम करने की क्षमता के कारण स्ट्रोक के जोखिम में हैं।  नोनी में सभी आवश्यक फैटी एसिड होते हैं।

*नोनी की एंटीऑक्सीडेंट संपत्ति...*
नोनी में शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं क्योंकि इसमें सभी एंटी-ऑक्सीडेंट विटामिन, कई ट्रेसरल और 150 और फ़ाइटोकेमिकल्स से ऊपर होते हैं।
ये सभी नोनी को एक प्रतिद्वंद्वी एंटीऑक्सिडेंट बनाते हैं।
नोनी के अधिक सेवन से स्ट्रोक के बाद सेरेब्रल डैमेज होने का खतरा कम हो जाता है।

*नोनी का दैनिक सेवन..* एथेरोस्क्लेरोसिस के खिलाफ एक उभयलिंगी भूमिका दिखाता है और इस्केमिक स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है।

हमारा नोनी जूस अदभुत है क्योंकि हमारे 10ml नोनी लिक्विड में आपको मिलता है...
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नेचुरोपैथ  *खतरनाक बीमारी भैंसिया दाद, जनेऊ, Herpes Zoster को सिर्फ घरेलू उपचार और परहेज से हटा सकते हैं !!*

● भैंसिया दाद या जनेऊ को अंग्रेजी में हर्पीस जोस्टर (Herpes Zoster) कहा जाता है।
● यह बीमारी बहुत ही खतरनाक होती है।
● यह रोग हर्पीस नाम के वायरस की वजह से होता है।
● यह ऐसा वायरस होता है जो त्वचा पर दर्दयुक्त घाव उत्पन्न करता है।
● 40 साल की उम्र के बाद इस रोग के होने की संभावना अधिक हो जाती है।

◆ इस (Herpes Zoster) रोग में चेहरे व त्वचा पर पानी के भरे हुए छोटे छोटे दाने निकलने लगते हैं जिससे इंसान के शरीर के एक ही हिस्से में काफी सारे दाने निकल जाते हैं।
● हर्पीस की बीमारी में पथरी की तरह दर्द होता है।
● यह दो प्रकार का होता है
(1). जेनाईटल हर्पीस और
(2). ओरल हर्पीस।

● यह रोग ज्यादातर उन लोगों को होता है, जिन्हें चिकन पाॅक्स हुआ हो।
हर्पीस (Herpes Zoster) रोग दो से तीन हफ्तों में ठीक हो जाता है लेकिन कई बार यह लौटकर भी आ जाता है।

*भैंसिया दाद का प्राकृतिक उपचार एवं सावधानियां..*
● खुरचें नहीं।
● घाव या फफोले को ढीली, ना चिपकने वाली, जीवाणुरहित पट्टियों से बांधें।
● खुजली वाले क्षेत्रों पर ठंडी, गीली पट्टियाँ या बर्फ के पेक्स लगाएँ, या कुनकुने पानी में डुबोकर रखें।
● गर्मी या अधिक तापमान से दूर रहें, ये खुजली को बढ़ाता है।
ढीले कपड़े पहनें।
● इससे उत्तेजित त्वचा पर कपड़ों की रगड़ नहीं लगती है।

*एसेंशियल ऑइल–*
*सिंगगल्स रोग का घरेलू इलाज*
● त्वचा पर होने वाले ददोड़े में पानी भरा होता है जो खुजली और जलन के साथ तकलीफ दायक होता है।
● इसके घरेलू उपचार के रूप में एसेंशियल ऑइल एक और उपाय है जो जलन और खुजली के अहसास को कम करता है।

*हर्पीस (Herpes Zoster) का उपचार ब्लैक टी बैग से*
● हर्पीस (Herpes Zoster) के ठंडे छालों में टी बैग की मदद से राहत पाई जा सकती है।
● टी बैग को फ्रिज में रखकर ठंडा कर लें और इसे प्रभावित हिस्से पर लगा के आराम प्राप्त करें।
● इसके अलावा गर्म टी बैग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

*प्राकृतिक दर्द निवारक (Natural Pain Reliever)*

*कैपसाईसिन (Capsaicin)*
ये काली मिर्च का अंश होता है तथा प्राकृतिक दर्द निवारक भी है, जिसका प्रयोग लोग वर्षों से करते आ रहे हैं।
कुछ क्रीम में काली मिर्च का निचोड़ होता है जो दाद के दर्द से राहत दिलाता है।
● ऐसे क्रीम इस्तेमाल करने से डॉक्टर की सलाह लें और ऐसे क्रीम दिन में जितनी बार कहा जाए उतनी बार ही इस्तेमाल करें।

*बेकिंग सोडा का इस्तेमाल...*
● बेकिंग सोडे को आप पानी में मिलाकर इसे रूई में डुबोकर हर्पिस   (Herpes Zoster) वाली जगह पर लगाएं।
● बेकिंग सोड़ा कीटाणुओं काे खत्म करता है और हर्पिस की वजह से होने वाली खुजली और दर्द से भी आराम देता है।

*लेमन बाम का प्रयोग...*
● हर्पीस वायरस को रोकने की एक कारगर और बेहतरीन औषधि है लेमन का बाम।
● लेमन बाम को हर्पीस वाली जगह पर लगा के आप इस रोग से आराम पा सकते हो।

*एलोवेरा का इस्तेमाल*
● एक प्राकृतिक और घरेलू नुस्खे के तौर पर जाना जाता है एलोवेरा को।
● हर्पीस (Herpes Zoster) की बीमारी में भी एलोवीरा जेल बहुत ही बेहतर तरीके से काम करती है।
● जब आप नियमित रूप से एलोवीरा के पेस्ट को हर्पीस (Herpes Zoster) से प्रभावित जगह पर लगते हो तब इससे  आपकी यह बीमारी जल्दी ठीक होती है क्योंकि एलेवेरा में कई ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो शारीरिक बीमारियों को ठीक करने में सहायक होते हैं।

*मुलेठी की  जड़ का उपयोग...*
● मुलैठी की जड़ से बना चूर्ण हर्पीस की बीमारी को ठीक कर सकता है।
● मुलैठी की जड़ में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं जो हर्पीस की बीमारी में बहुत ही सहायक सिद्ध होती है।

*परहेज और आहार...*

*लेने योग्य आहार...*
● लायसीन से समृद्ध आहार जैसे सब्जियाँ, दालें, मछली, टर्की, और चिकन लें।
● आहार में ब्रसल्स स्प्राउट्स, पत्ता गोभी, फूल गोभी आदि लें, इनमें एक सक्रिय तत्व होता है, जिसे इन्डोल-3-कार्बिनोल कहते हैं, जो हर्पीस वायरस की प्रतिकृति बनने से रोकने में उपयोगी पाया गया है।

*इनसे परहेज करें...*
● अर्जिनिन से समृद्ध आहार ना लें, खासकर मूंगफली, चॉकलेट्स और बादाम आदि, ये हर्पीस के बार-बार और अधिक जल्दी-जल्दी होने से जुड़े पाए गए हैं।
● रिफाइंड शक्कर और एसपारटेम का सेवन कम करें।

*योग और व्यायाम*

● एरोबिक व्यायाम जैसे तैरना, साइकिल चलाना, पैदल चलना सहायक होता है।


: *बाईपास सर्जरी को बाईपास या दरकिनार कर सकते हैं।*

*सौजन्य से*
*हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ घारे*

हर बार अनानास के बीज जो आपके पेट  में जाते हैं, आपके जीवन के लिए जीवन का एक बीज है।

दो चीजें मनुष्य के लिए लाभकारी हैं, गुनगुना पानी और अनार।

मैंने 10 मिनट के लिए आधा लीटर पानी में अनार के सूखे बीज के एक मुट्ठी उबलते हुए काढ़ा तैयार किया, काढ़े को छाना और उन रोगियों को उसे लेने की सलाह दी कि वे दर्दनाक एंजाइना से पीड़ित लोग, एनजाइना से मुक्ति पाने के लिए उस काढ़ा को खाली पेट सुबह सुबह एक गिलास गुनगुना काढ़ा पीयें।

आश्चर्यजनक परिणाम देखा गया,
सूखे अनार के बीजों के काढ़े ने जादू की तरह काम किया, जकड़न की भावना और छाती का भारीपन और दर्द से राहत मिली।

इसने मुझे विभिन्न प्रकार के हृदय रोगियों पर अधिक प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इसलिए मैंने उन रोगियों पर प्रयोग किया जो दर्दनाक एनजाइना, कोरोनरी धमनी रुकावट, कार्डियक इस्किमिया (हृदय की मांसपेशियों में अपर्याप्त रक्त प्रवाह) आदि से पीड़ित थे, जो बाईपास सर्जरी की प्रतीक्षा कर रहे थे।

सुबह खाली पेट गुनगुना काढ़ा पीने से दर्दनाक स्थिति सहित सभी लक्षणों में त्वरित राहत मिलती है।

कोरोनरी धमनी ब्लॉकेज के एक अन्य मामले में मरीज को एक साल तक हर रोज आधा गिलास ताजा अनार का जूस दिया जाता था, हालांकि कुछ ही हफ्तों में सभी लक्षणों से पूरी तरह छुटकारा मिल जाता था लेकिन वे इसे पूरे एक साल तक लेते रहे।

यह पूरी तरह से प्लाक बिल्ड-अप और अनब्लॉक धमनियों को सामान्य से उलट कर देता है, एंजियोग्राफी की रिपोर्ट ने सबूतों की पुष्टि की।

इस प्रकार सूखे अनार के बीज का काढ़ा, ताजा अनार का रस या सुबह खाली पेट साबुत अनार खाने से हृदय रोगियों के लिए चमत्कारिक इलाज साबित हुआ।
लेकिन साबुत अनार या ताजा अनार का रस खाने की तुलना में गुनगुने सूखे बीजों का काढ़ा अधिक प्रभावी साबित हुआ।

अनार का सेवन करने से रक्त के पतले होने, हृदय रोगियों के लिए दर्द निवारक गुण, एलडीएल (कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या खराब कोलेस्ट्रॉल) के रूप में और भी अधिक नाटकीय प्रभाव प्रदर्शित हुए हैं और एचडीएल (उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या अच्छे कोलेस्ट्रॉल) को बढ़ाता है।

50 से अधिक विभिन्न प्रकार के हृदय रोग हैं और सबसे आम है कोरोनरी धमनी रोग / कोरीनरी आर्टरी डिज़ीज़ (CAD), जो कई देशों में महिलाओं और पुरुषों दोनों की संख्या एक हत्यारा है, और इस बीमारी का कोई औषधीय इलाज नहीं है।

कई हृदय रोगियों ने अनार के सूखे बीजों का एक गिलास गुनगुना काढ़ा, आधा गिलास ताजा अनार का रस पीने या सुबह खाली पेट एक साबुत अनार खाने से हृदय की बीमारियों को दूर कर दिया है।

यह कार्डियोलॉजी के इतिहास में एक फल द्वारा सफलतापूर्वक हृदय रोगों के इलाज के लिए पहली वास्तविक सफलता थी।

यह कहते हुए पछतावा होता है कि हृदय रोगियों और बाईपास सर्जरी का इलाज दुनिया भर में कहीं अधिक लाभदायक व्यवसाय बन गया है।

किसी भी तरह से अनार का नियमित उपयोग एक स्वस्थ हृदय जीवन सुनिश्चित करता है, आपके रक्त को पतला करता है, रक्त के थक्कों को भंग करता है और कोरोनरी धमनियों के अंदर रुकावट, एक इष्टतम रक्त प्रवाह को बनाए रखता है, एक स्वस्थ रक्तचाप का समर्थन करता है, एथेरोस्क्लेरोसिस को रोकता और उलटता है (मोटा होना) रक्त वाहिकाओं की आंतरिक परत)।

 पिछले कई वर्षों के अनुभव और टिप्पणियों से, मैं कह सकता हूं:
"एक अनार एक दिन कार्डियोलॉजिस्ट को दूर रखता है"।

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 *आइये, गहराई से समझें आयुर्वेद को..!* 
ऐलोपैथी में देखा होगा डॉक्टर कहते है ये ये गोली इस इस समय लेना।
फिर आप पूछते हो कोई परहेज तो 99% डॉक्टर कहते हैं सब खाओ।
पर जब आप वैद्य के पास जाते हो तो वो औषधि के साथ साथ ढेर सारी निषेधाज्ञा भी दे देता है।
यह लो वह न लो,
वह तब लेना,
खाने के पहले लेना,
खाने के बाद लेना ।
*यह अंतर क्यों.?*
क्योंकि वैद्य खाई चीजों के प्रभाव को गहराई से समझता है।
वैद्य आपको भोजन के साथ फल लेने को मना करेगा। *क्यों ?*
*क्योंकि वैद्य को पता है कि पेट में भोजन को एसिड पचाता है और फल बेसिक होते हैं।*
यदि भोजन के साथ फल लोगे तो फलों का बेस पेट के एसिड से लड़ जायेगा और भोजन पचेगा नहीं सड़ेगा।
आप कहोगे अजीब पागल है, भोजन न हो तो फल खाके पेट भरते हैं लोग, फल कैसे मना कर सकता है कोई।
*तो यह सत्य है कि भोजन न मिलने पर भूंख लगने पर फल खाके क्षुदा मिटाई जा सकती है।*
पर भोजन के साथ फल लेना मूर्खता है।
मात्र केला भोजन के साथ ले सकते हैं शेष कोई फल नहीं।
*क्यों.?*
*क्योंकि फल का क्षार पेट के एसिड को मार देगा तो भोजन गलेगा, पचेगा कैसे.?*
और जब भूंख लगने पर मात्र फल ले रहे हो तब ?
तब फलों का बेस पेट के एसिड को नही मारेगा क्या ?
हाँ फलों का रस पेट के एसिड को मार देगा और फिर भी फल पच जाएंगे क्योंकि फलों में पचाने को कुछ होता ही नहीं है ये पहले ही पचे पचाये होते हैं।
इनको छोटे कणों में तोड़ने को कोई एसिड की आवश्यकता नहीं।
भोजन जब पचता है तो उससे रस बनता है जो देह निर्माण में लगता है और भोजन जब अग्नि (एसिड) की कमी से सड़ता है तो उससे वायु बनती है और आम बनती है जो जोड़ों में फसकर रोग बनाती है।
*तो वैद्य भोजन के साथ फल निषेध कराकर आम बनना और वायु बनना रोकता है।*
*तो समझ गए मात्र फल खाने हों तो भोजन के रूप में तो खा सकते हो पर भोजन के साथ खाये तो गड़बड़ है।*
*रसीले फल नहीं लेने भोजन के साथ।*
*मेरा निजी अनुभव है भोजन के बाद अंगूर खाता था तो वायु बनती थी।*
*एक दो आम या केला खाओगे तो नहीं बनेगी।*
*तरबूज में सबसे अधिक रस होता है। इसे भोजन के साथ लोगे तो राम ही मालिक है आपका।*
*मुझे इस फल से बड़ा डर लगता है।*
*भोजन के तीन घण्टे बाद तरबूज खाओ तो उत्तम, क्षारीय है अतः आपके रक्त में भरे एसिड को नष्ट करता है जिससे आंतरिक ठंडक आती है।*
*तो वैद्य क्यों  मना कर रहा है ?*
जिससे आपके उदर का एसिड व्यर्थ नष्ट न हो, वायु न बढ़े।
आपको वायु जनित रोग हो रखा है और आप इस प्रकार से वायु बनाये जा रहे हो तो दी गयी औषधि कहाँ लाभ दिखा पायेगी।
*औषधि प्रभाव डालेगी, पर गलत आहार से बढ़े दोष से व्यर्थ हो जायेगी।*
*जितनी वायु औषधि से कम होगी उतनी गलत आहार से बन जायेगी।*
*फिर कहोगे हमें तो कोई लाभ नहीं हुआ।*

*एक और उदाहरण लो...*
हमने बताया गिलोय का काढ़ा बीपी कम करता है और बताया प्रातः और सांय लेना खाली पेट ही लेना ।
पर आप लेने लगे भोजन के पहले या बाद  तो क्या होगा ? 
*गिलोय कफ भी कम करती है और पित्त यानि एसिड भी कम करती है।*
पेट में भोजन एसिड पचाता है अगर गिलोय भोजन के साथ लोगे तो गिलोय पेट के एसिड को नष्ट कर देगी फिर भोजन कौन पचायेगा।
तब भोजन पचेगा नहीं सड़ेगा।
सड़ेगा तो वायु बनेगी गन्दा रस बनेगा और गिलोय प्रातः खाली पेट लोगे तो - तब उसका रस रक्त से पित्त यानि एसिड हटा कर आपका बीपी कम कर देगा।
*कफ बढ़ा हुआ है तो उसे भी कम कर देगा जिससे जुकाम आदि नहीं रहेगा।*
*ज्वर रक्त में पित्त या कफ बढ़े होने से होते हैं और गिलोय दोनों को कम कर देती है इसलिए गिलोय ज्वर में लाभ देती है, थोड़ी मात्रा बढ़ानी होगी बस।*
*यही गिलोय भोजन के साथ लोगे तो पाचन बिगाड़ के कोई लाभ न देगी।*

*तो आयुर्वेद में क्या, कब, कितना लेना है, क्या नहीं लेना है, यह बड़ा महत्वपूर्ण है।*

*ऐलोपैथी वाले जानते ही नही कि वात, पित्त, कफ कुछ होता है अतः वो इस विषय पर कुछ बोल ही नहीं पाते अतः कहते है सब खाओ।*

*अगले को जुकाम हो रखा है और डॉक्टर ने बोला है सब खाओ तो वो सब खा रहा है और दोनों टाइम दही और चावल पेले जा रहा है और गोली खाके भी उसका जुकाम नहीं जा रहा।*
*ठीक कहाँ से होगा पहले विरुद्ध आहार तो बन्द करो।*
पहले के डॉक्टर आयुर्वेद का कहना मानने वाले लोगों के बच्चे थे।
अतः उनमे थोड़ी आयुर्वेदिक बुद्धि थी कि यह खाना है, यह नही।
*अब के डॉक्टर उन लोगों के बच्चे हैं जो आयुर्वेद के निर्देशों से बहुत दूर के माँ बाप से बने है अतः आज के डॉक्टर खाने में कोई परहेज बताते ही नही  क्योंकि उन्हें खुद नहीं पता कि क्या कब खाना है कब नही।*

*कड़वाहट दूर करने के लिए क्‍या आप भी जलाती हैं सरसों का तेल?*
*इसे हल्के में मत लीजिए..*

कई संस्कृतियों में लोग सरसों के तेल को तेज गर्म करके ठंडा करते हैं और फिर इसका इस्तेमाल खाना पकाने के लिए करते हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि सरसों के तेल का स्मोकिंग पॉइंट बहुत ज्यादा होता है, जिससे तेल में विषाक्त पदार्थ पैदा होना शुरू हो जाते हैं।
उनके अनुसार, 15 मिनट तक सरसों के बीज और पानी को जलाया जाए, तो इसकी स्वाद और शक्ति कम होने लगती है।

भारतीय भोजन में सरसों के तेल का उपयोग बहुत ज्यादा किया जाता है।
इससे खाने का स्वाद दोगुना बढ़ जाता है।
खासतौर से बंगाली लोग भोजन को अक्सर ही सरसों के तेल में पकाते हैं।
लेकिन इसकी तेज गंध, पीला गहरा रंग और तीखा स्वाद कुछ लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं होता, लेकिन स्वास्थ्य के लिए सरसों का तेल बहुत फायदेमंद माना गया है।
इससे मासंपेशियों के दर्द व सूजन कम करने, माइक्रोबियल ग्रोथ को रोकने के साथ दिल के स्वास्थ्य और सर्दी का इलाज करने में मदद मिलती है।
यही वजह है कि सर्दियों में लोग अन्य तेल के मुकाबले सरसों के तेल का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं।

इसके उलट कुछ लोगों की इसकी तेज गंध और तीखा स्वाद पसंद नहीं होता।
इससे बचने के लिए वे खाना पकाने से पहले इसे अच्छी तरह से जला लेते हैं।
लेकिन क्या वास्तव में ऐसा करने में समझदारी है।
अगर आप भी ऐसा करने वालों में से हैं, तो यहां आपको ध्यान देने की जरूरत है।
विशेषज्ञों के अनुसार, जैसे ही तेल का धुंआ स्मोकिंग पॉइंट (तेल जलने पर कितनी जल्दी धुंआ छोड़ना शुरू करता है) पर पहुंचता है, तो तेल विषाक्त पदार्थ पैदा करना शुरू कर देता है, जिससे स्वास्थ्य को होने वाले फायदे लगभग खत्म हो जाते हैं।
तो आइए जानते हैं खाना पकाने के लिए सरसों का तेल जलाने के क्या प्रभाव होते हैं।

पी डी हिंदुजा अस्पताल और एमआरसी के डायट्री सर्विस की एचओडी स्वीडल ट्रिनिडाडे ने टाइम्स नाउ डिजिटल से खास बातचीत में सरसों के तेल की न्यूट्रिशन वैल्यू, इसके सामान्य उपयोग और तेल को गर्म करने के प्रभावों के बारे में बताया है। वह कहती हैं कि 'सरसों के तेल में इरूसिक एसिड बहुत अधिक मात्रा में होता है।

यह एसिड हार्ट डिसीज को मैनेज करने के लिए जाना जाता है।
इसके अलावा इसमें मोनो-अनसैचुरेटेड फैटी एसिड का प्रतिशत भी बहुत ज्यादा होता है, जो हृदय रोगियों के लिए बेहतर विकल्प है।
चूंकि इसका स्मोकिंग पॉइंट बहुत ज्यादा होता है, इसलिए इंडियन स्टाइल की कुकिंग के लिए यह अच्छा है। सरसों के तेल में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। इसी वजह से इसका उपयोग नमकीन और अचार बनाने में भी किया जाता है।'

इसे सुरक्षित रूप से गर्म करने और इसके बाद जलने के प्रभावों के बारे में बात करते हुए विशेषज्ञ कहते हैं कि सरसों और पानी जब हाई टैंप्रेचर पर 15 मिनट तक गर्म होता है, तो इसकी स्वाद और शक्ति कम होने लगती है।
कई संस्कृतियों में तेल को स्मोकिंग पॉइंट तक जलाया जाता है और फिर ठंडा किया जाता है।

इससे तेल में मौजूद कड़वापन कम हो जाता है और लोग इसे खाना पकाने में इस्तेमाल कर लेते हैं।
इसका स्मोकिंग पॉइंट -249 डिग्री सेल्सियस है। इसलिए सरसों के तेल को जलाने से न सिर्फ खाने का स्वाद बदलता है बल्कि जरूरी फैटी एसिड, ऑक्सीडाइज फैट और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक फ्री रेडिकल्स भी खत्म हो जाते हैं।

इसे सुरक्षित रूप से गर्म करने और इसके बाद जलने के प्रभावों के बारे में बात करते हुए विशेषज्ञ कहते हैं कि सरसों और पानी जब हाई टैंप्रेचर पर 15 मिनट तक गर्म होता है, तो इसकी स्वाद और शक्ति कम होने लगती है। कई संस्कृतियों में तेल को स्मोकिंग पॉइंट तक जलाया जाता है और फिर ठंडा किया जाता है।

इससे तेल में मौजूद कड़वापन कम हो जाता है और लोग इसे खाना पकाने में इस्तेमाल कर लेते हैं।
इसका स्मोकिंग पॉइंट -249 डिग्री सेल्सियस है। इसलिए सरसों के तेल को जलाने से न सिर्फ खाने का स्वाद बदलता है बल्कि जरूरी फैटी एसिड, ऑक्सीडाइज फैट और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक फ्री रेडिकल्स भी खत्म हो जाते हैं।

वहीं दूसरी ओर वॉकहार्ट अस्पताल में डायटीशियन डॉ. अमरीन शेख इस बात से सहमत नहीं हैं।
उनके अनुसार, सरसों का तेल जलाने से स्वास्थ्य को कोई फायदा नहीं होता। वह कहते हैं कि सरसों के तेल में पॉलीफेनॉल्स सरसों के इमल्शन में कड़वा स्वाद पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए लोग इस तेल को स्मोकिंग पॉइंट से ज्यादा अधिक तापमान पर जलाते हैं।

सरसों का तेल गर्म होने पर ओमेगा-3 फैटी एसिड, एम.यू.एफ.ए., पी.यू.एफ.ए., विटामिन-ई और नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट जैसे सभी पोषक तत्वों को बरकरार रखता है।
जबकि अन्य तेलों को स्मोकिंग पॉइंट से ज्यादा गर्म करने पर इनमें मौजूद गुण नष्ट हो जाते हैं।

हालांकि, इस मुद्दे पर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है।
लेकिन आपके लिए यह जानना जरूरी है कि सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है।
खाना पकाने के लिए इसे जलाने या न जलाने से पहले आप डायटीशियन से इसे चैक करा सकते हैं और फिर अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।


: *जानिये मानव शरीर के बारे में...*
विश्व का सर्वाधिक संकीर्ण यंत्र मानव शरीर है, जो जैविक है अतः जीवित है.!
जीवित है तो संवेदनशील भी है.!
किन्तु मानव शरीर सदा के लिए जीवित रहने के लिए सर्जित नहीं है.!
प्रायः 70 वर्षीय आयु मे पहुंचते पहुंचते आश्चर्यजनक अनेक विध कार्य पूरे कर चुके होते है।
>>>>>
● 70 वर्ष मे 25,000 किग्रा भोजन,
●60,000 लीटर जल की दहन क्रिया से रासायनिक ऊर्जा प्राप्त करता है।
● अपने जीवन भर 25,000 किमी का अंतर पाँव से चलता है,
● हाथ पाँव की अंगुलियाँ 2,50,00,000 ऐसे तैसे घुमाता है।
● हृदय प्रति मिनट 72 बार धड़कता है
● तो 15,50,00,000 लीटर रक्त का संचार करता है।
● *मगज* को प्रति सेकंड शतकों मेगाबाइट का विवरण भेजता है एवं पूर्व की स्मृति संग्रहीत करता है। 
● तदुपरान्त अन्य संख्याबद्ध कार्यो के लिए शरीर के 63 खरब कोशिकाओं मे जैविक प्रक्रिया होती है।

शरीर का कार्य क्रमबद्ध होता है,
किन्तु सतत ऐसा नहीं होता है,
बाह्य विषाणु जब कभी मानव शरीर को अवरोधित करते है तो रोगप्रतिकारक शक्ति स्वरक्षा स्वचालित हो कर विषाणु को नष्ट करती है।

*कुछ मर्यादा*
● (1) फेफड़े मे 5.5 लीटर से अधिक वायु हम नहीं भर सकते हैँ।
● (2) ज्ञानतंत्र के विविध आदेशो को, प्रति घंटे 280 से 290 की गति से आगे नहीं ले जा सकते है।
● (3) हृदय हर मिनट 6 लीटर, रक्त को शरीर के विविध अंगो को भेज सकता है।
● (4) दौड़ना, देखना, सुनना आदि क्रियाएँ भी मर्यादित है।

नेचुरोपैथ: *क्या आप अपने शरीर के जगह जगह के जोड़ो के दर्द  को जड़ से खत्म करना  चाहते है तो पेश है आपके लिए...*
*ऑर्थो वेलनेस 100 प्रतिशत शाकाहारी वेजेटेरियन कैप्सूल्स एवं तेल*
*ORTHO WELLNESS 100% VEGETARIAN CAPSULES AND OIL*
●•●•●•●•●•●•●
*नमस्कार,*
*आज हर घर मे हर एक व्यक्ति घुटने का दर्द, संधिशूल,  आर्थराइटीस, संधिवात, आमवात, फ्रोजन शोल्डर, युरिक एसिड बढ़ना, विटामिन बी-12 की कमी, मांसपेशियों का ददॅ, स्नायु की कमजोरी, जोड़ो मे चिकनाहट की कमी, कैल्शियम की कमी वगैरह से परेशान है..??*
1-2 साल तक ऐलोपैथ दवाई खाकर थक जाते है या तो ऐलोपैथी दवाई के इतने आदी हो जाते है कि वह रोज की लाइफ स्टाइल बन जाती है जैसे रोज का खूराक ही क्यो ना हो ?
अंत मे डॉक्टर भी कहने लगता है, हम इसमे आगे कुछ भी नही कर सकते, आप ऑपरेशन करवा लो।

*लेकिन हम आपको जो इलाज बताते है वह अगर आप 1-2 महिने तक प्रयोग करें तो शायद आपको हमेशा को लिये घुटनो के या किसी भी प्रकार के दर्द से या उपर लिखे परेशानियों से मुक्ति मिल जायेगी।*

*जीवन का आनन्द लेने के लिये निरोगी रहना बेहद ज़रूरी है*
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*हमारा प्रयास दर्द मुक्त समाज की ओर*
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*कुदरत पे विश्वास करें*
*पेन किलर से बचिये.!*
*सर्दियों की परेशानियों से बचें.!*
*❓क्या दर्दों से परेशान हैं.?*
*❓क्या आप डाक्टरों के चक्कर लगा लगा के परेशान हो चुके हैं..?*
*❓क्या अंग्रेजी दवाइयों से भी कोई फायदा नही हो रहा है..?*
*❓क्या आपके पास कोई और विकल्प नही बचा है।*
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*हमेशा याद रखें कि...*
*अंग्रेजी दवाइयां 20% ठीक और 80% कन्ट्रोल करती हैं जबकि*
*कुदरती पद्धति 80% ठीक और 20% कन्ट्रोल करती हैं।*
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*👉🏼चिकनगुनियां से उत्पन्न दर्द*
*👉🏼जोड़ो का दर्द*
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*प्रयोग के दौरान खट्टी, ठण्डी व् तली हुई वस्तुओं से परहेज़।*
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💊इंसुलिन के साइड इफेक्ट💉💊*


#इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त में शर्करा यानी ग्लूकोज की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद करता है।

डायबिटीज मरीज को इंसुलिन के इंजेक्शन तब दिए जाते हैं जब उस व्यक्ति की डायबिटीज टॅबलेट से अनियंत्रित रहती है।

#शोधकर्ताओं का कहना है कि मधुमेह को नियंत्रित करने वाले इंसुलिन की सामान्य मात्रा से अधिक होने से कई दुष्परिणामो का सामना करना पडता है...

#इंसुलिन पर हुए एक शोध में ये पाया गया है कि डायबिटीज में इंसुलिन देने से हार्मोन में बदलाव होने लगता है और इसकी वजह से शरीर के कुछ अंगो को कार्य करने में दिक्कत होती है ये #कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।

#जब किसी व्यक्ति को बार-बार इंसुलिन का इंजेक्शन दिया जाता है तो इसकी वजह से त्वचा में संक्रमण और एलर्जी होने का खतरा होता है।

स्वस्थ भोजन और संतुलित  आहार से आप खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। लेकिन इंसुलिन का ज्यादा उपयोग आपको पैंक्रियाज का कैंसर होने के खतरे को बढ़ाता है।

#इंसुलिन के इंजेक्शन से आपको उस हिस्से पर सूजन भी हो सकती है। जिन्हें इंसुलिन दिया जाता है उनका वजन बढ़ता है ये इसका सबसे आम साइड इफेक्ट होता है।

इंसुलिन देने पर आपको एक समय के बाद इसकी डोज को बढ़ाना भी पड़ सकता है।

#इंसुलिन की वजह से आपको दिल की धड़कने तेज हो सकती है।

इसकी वजह से आपको बहुत ज्यादा भूख भी लग सकती है जो आपके वजन को बहुत तेजी से बढ़ाती है।

#डायबिटीज के मरीज को इंसुलिन लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए क्योंकि इंसुलिन के साइड इफेक्ट भी होते हैं जिनके बारे में हमने बताया है यदि आपको या आपके किसी जानने वाले व्यक्ति को डायबिटीज है और वह इंसुलिन लेते है तो उससे पहले आप हमारे डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं।

मॉडर्न मेडी सीन (allopath) उपचार से डायबिटीज कभी ठीक नहीं होता. उत्तरोत्तर दवा और इन्सुलिन की मात्रा बढती रहती है. 

#अगर आप डायबिटीज से मुक्ती पाना चाहते हो और सामान्य जीवन जीना चाहते हो तो आपका डायबिटीज 
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नोट : यह पोस्ट सिर्फ जाणकारी के लिये है, अपने आप न तो इन्सुलिन या कोई दवा शुरु और बंद ना करे.

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