Friday, 5 September 2025

परम पवित्र पूर्णिमा और सितंबर 2025 में लगने वाले दो अद्भुत ग्रहण -डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि

परम पवित्र पूर्णिमा और सितंबर 2025 में लगने वाले दो अद्भुत ग्रहण -डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि 

चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दो अद्भुत घटनाएं हैं जो लाखों करोड़ों वर्ष से मानव की जिज्ञासा और भय के केंद्र बने हुए हैं धर्म अध्यात्म विज्ञान सभी ग्रहण की अपने-अपने ढंग से व्याख्या करते हैं लेकिन भारतीय धर्म और विज्ञान ग्रहण की सबसे अच्छी व्याख्या करता है जिसके अनुसार राहु और केतु चंद्रमा और सूर्य को निगल लेते हैं इसका अर्थ यह होता है कि सूर्य के छाया स्थान पर केतु और चंद्रमा के छाया स्थान पर राहु माना जाता है और जब इस छाया स्थान पर चंद्रमा और सूर्य पहुंचते हैं तो ग्रहण होता है विज्ञान भी यही मानता है कि जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आती है तब चंद्रग्रहण और जब सूर्य तथा पृथ्वी के बीच चंद्रमा आता है तब सूर्य ग्रहण पड़ता है पृथ्वी चंद्रमा से 81 गुना बड़ी है इसलिए चंद्र ग्रहण बार-बार और पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है जबकि चंद्रमा के बहुत छोटे होने से सूर्य ग्रहण कम लगता है और पूर्ण सूर्य ग्रहण बहुत कम स्थान पर कम समय के लिए लगता है जो बहुत ही दुर्लभ घटना है।
भारतीय ऋषि मुनियों वैज्ञानिकों और विद्वानों के अनुसार चंद्र ग्रहण में बहुत से कम वर्जित हैं और इनको नहीं करना चाहिए जैसे ग्रहण का सूतक लगने के बाद भोजन को न बनना चाहिए और न खाना चाहिए ग्रहण के पहले स्नान करना चाहिए और ग्रहण के बाद भी स्नान करना चाहिए इस कालखंड में बाहर निकलने से बचना चाहिए और कुछ भी खाने पीने से भी बचना चाहिए इसके साथ ही सभी मंदिरों के कपाट और उनकी पूजा पाठ भी बंद कर दी जाती है इस समय जहां तक हो सके धारदार चीज चाकू कैसे इत्यादि का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए अगर बहुत आवश्यकता पड़े तो तुलसी के पेट दूध और पानी तथा भोजन में डालकर रखना चाहिए और पानी या दूध का सेवन कर लेना चाहिए सूखा मेवा भी खाया जा सकता है इसके अतिरिक्त तुलसी का पत्ता अगर नहीं मिले तो तुलसी का अर्क भी डाला जा सकता है यह सभी बातें वैज्ञानिक दृष्टि से पूरी तरह सत्य है क्योंकि ग्रहण के काल में जो पराबैंगनी अर्थात अल्ट्रावायलेट किरण निकलती है वह बहुत तेजी से जीवाणु कीटाणु विषाणु रोगाणु की वृद्धि करने वाली होती हैं इसके अलावा भी अनेक रासायनिक परिवर्तन अंतरिक्ष और धरती पर होते हैं।और इस काल में बना हुआ भोजन या किया जाने वाला भोजन रोग बीमारियों का कारण बन जाता है इस कालखंड में ईश्वर का ध्यान करना चाहिए या धर्म ग्रंथो को पढ़ना चाहिए ।

चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण खगोलीय दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है अगर पूर्णिमा या अमावस्या निश्चित ना हो तो जिस दिन चंद्र ग्रहण पड़ता है उसे दिन पूर्णिमा और जिस दिन सूर्य ग्रहण पड़ता है उसे दिन अमावस्या अपने आप समझ में आ जाता है और सारी भौगोलिक गलती दूर की जाती है सूर्य ग्रहण को कभी भी सीधे-सीधे नहीं देखना चाहिए प्रमाणिक चश्मा या फिल्टर पेपर से ही देखना चाहिए इसको प्रक्षेपित करके अर्थात पानी या शीशे में प्रक्षेपण के द्वारा देखना चाहिए इस बात का प्रमाण प्रकृति भी देती है जिसे देखा जा सकता है जितने देर सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण होता है उतने देर पशु पक्षी जानवर ना बोलते हैं और न कुछ खाते पीते हैं चारों ओर एक अद्भुत सन्नाटा छा जाता है यह हमारे धर्म दर्शन विज्ञान और अध्यात्म को सत्यापित करता है।अभी तक सबसे लंबा सूर्य ग्रहण महाभारत के काल में लगा था जब 11 मिनट तक धरती पर अंधेरा हो गया था और इसी समय अर्जुन ने जयद्रथ को मार गिराया था। जो सूर्यास्त समझकर सुरक्षित व्यूह से बाहर निकल आया था 
इस वर्ष 15 दिन के भीतर दो ग्रहण पड़ रहे हैं जैसा की महाभारत के समय में हुआ था इसका अर्थ यह है कि ग्रहण कल से लेकर 2 महीने के अंदर पूरी दुनिया में भयंकर प्राकृतिक घटनाएं उथल-पुथल हलचल और अंतरिक्ष में भयंकर घटनाएं घटित होगी बहुत ही भयानक आंधी तूफान चक्रवात पूरी दुनिया में आएंगे भारत में भी एक आएगा जितना अधिक नजदीक ग्रहण का केंद्र होगा उतना अधिक विनाश उसे स्थान पर होगा भयानक भूकंप पर प्रचंड ज्वालामुखी विस्फोट अमेरिका यूरोप दक्षिण पूर्वी एशिया चीन और अरब प्रायद्वीप में भयानक तबाही मचाएगा अंतरिक्ष में अचानक पर गृह एलियंस भी प्रकट हो सकते हैं और ग्रहण के काल में सूक्ष्म जीवों की धरती पर बरसात होगी जिससे 6 महीने के भीतर अनेक रोग बीमारी महामारी और अंजान बीमारी फैलने की आशंका बन रही है। 

इस वर्ष का चंद्र ग्रहण सितंबर महीने में 7 सितंबर को प्रारंभ होगा रात 10:00 बजे से होगा पूर्ण चंद्र ग्रहण 11:41 रात पर और ग्रहण की समाप्ति अर्थात मोक्ष 1:27 रात में होगा इस प्रकार यह ग्रहण आज के कंप्यूटर टाइम से साथ और आठ सितंबर दोनों दिन माना जाएगा चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और इसका रंग लाल होगा जो बहुत डरावना दिखेगा जब की सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा इसलिए सूर्य ग्रहण का सूतक भी भारत में नहीं लगेगा चंद्र ग्रहण रविवार के दिन लगेगा एक और अद्भुत आश्चर्य की बात है कि दोनों ग्रहण रविवार के दिन ही लगेंगे जिसमें सूर्य ग्रहण बहुत ही भयानक और विनाशकारी होगा 

सितंबर2025 का सूर्य ग्रहण 2025 में 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण लगेगा जो भारत से दृश्य मन नहीं होगा इसलिए भारत में सूर्य ग्रहण के सूतक का असर नहीं पड़ेगा यह ग्रहण ज्यादातर महासागरों में दृश्यमान होगा इसके अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया का पूर्वी किनारा न्यू अंटार्कटिका पापुआ न्यू गिनी मार्शल द्वीप समूह हवाई द्वीप समूह जैसे देशों से भी यह देखा जा सकेगा यह दोनों ग्रहण 2025 के अंतिम ग्रहण है भारतीय समय के अनुसार सूर्य ग्रहण दिन में 11:00 बजे से प्रारंभ होगा और 3:25 शाम को समाप्त होगा यह आंशिक सूर्य ग्रहण है 

ग्रहण का धरती पर विनाशकारी प्रभाव चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के कारण सबसे अधिक महासागर समुद्र और जल क्षेत्र प्रभावित होंगे भयंकर जलप्रलय बढ़ भयंकर वर्षा देर तक जारी रहेगी समुद्र की लहरें बहुत से स्थान पर सुनामी बनाकर प्रलय मचा देंगे अंतरिक्ष से भयानक घटनाएं उल्का पिंड और पर ग्रही यान दिखाई देंगे अनेक चक्रवात महा चक्रवात आंधी तूफान बवंडर के साथ गर्मी में बेतहाशा वृद्धि होगी विशेष रूप से उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका यूरोप ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड अंटार्कटिका ईरान तुर्की अफगानिस्तान पाकिस्तान चीन जापान दक्षिण पूर्वी एशिया के देश हिस्से बहुत अधिक प्रभावित होंगे भारत में ग्रहण का मध्यम असर पड़ेगा अनेक भयानक रोग महामारी अंतरिक्ष से बरसाने वाले जीवाणु कीटाणु विषाणु रोगाणु के कारण पूरी दुनिया में फैलेगे जिसका असर सितंबर से लेकर दिसंबर तक रहेगा जल थल नव दुर्घटनाओं में लोगों के तनाव और मानसिक स्वास्थ्य में बहुत हानिकारक असर पड़ेगा और भी अनेक विचित्र प्रभाव ग्रहण का पशु पक्षी पेड़ पौधे मनुष्य और जानवरों में तथा प्रकृति में देखने को मिलेगा पूरे विश्व में अचानक गर्मी बहुत तेज बढ़ जाएगी

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