Friday, 5 September 2025

कोई उम्मीद नज़र नहीं आती,कोई सूरत नज़र नहीं आती,बिजली का बिल देखकर,नींद क्यों रात भर नहीं आती।।

कोई उम्मीद नज़र नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती,
बिजली का बिल देखकर,
नींद क्यों रात भर नहीं आती।।
स्मार्ट मीटर भी ग़ज़ब का स्मार्ट निकला।
लोगों को रुलाता है, खुद खिलखिलाता है।
इतना चालाक कि लाइन काट दो, तो भी मुस्कुराता रहता है और लोगों को चिढ़ाता रहता है।

बिजली विभाग ने बड़े गर्व से स्मार्ट मीटर घर–घर लगवाए और घोषणा की—
“यह 21वीं सदी का क्रांतिकारी कदम है।”
लेकिन जनता कह रही है—
“क्रांति तो हो गई, पर जेब पर डाका डालकर।”

बिजली विभाग का दावा है कि स्मार्ट मीटर ने अमीर–गरीब का फर्क मिटा दिया है।
सचमुच! अब अमीर–गरीब में कोई भेद नहीं।
अमीरों के भारी–भरकम बिलों से भी बड़े बिल अब गरीबों के छोटे–छोटे घरों में आने लगे हैं।

जब से स्मार्ट मीटर घरों में लगे हैं, लोग गुनगुनाने लगे हैं—
“कोई लौटा दे मेरे बीते हुए वो दिन,
जब पुराने मीटर धीरे–धीरे घूमते थे,
रीडिंग वाले भैया महीने में एक बार आते थे,
और बिल बस इतना होता था जैसे आटे में नमक।”

मध्य प्रदेश के विदिशा में ऐसी घटना हुई कि सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं।
यहाँ मुरारीलाल तिवारी और उनके पड़ोसी के घर क्रमशः 69 लाख और 68 लाख रुपये के बिजली बिल आ गए।

लोगों को लगा मानो तिवारी जी कोई बड़ा कारखाना चला रहे हों।
पर हकीकत?
दो कमरे का मकान,
न फ्रिज, न एसी,
बस दो पंखे, दो ट्यूबलाइट और एक पानी की मोटर।

शुक्र है परिवार ने उन्हें संभाल लिया, वरना ऐसा बिल देखकर तो दिल का मीटर ही बंद हो जाता।

स्मार्ट मीटर और बढ़ते बिलों से गुस्साई जनता लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है।
लोगों का आरोप है—“मीटर लगते ही बिल कई गुना बढ़ गए।”

वहीं विभाग का रटा–रटाया जवाब—
“स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के हित में हैं।
ये खपत की सटीक जानकारी देते हैं और गड़बड़ी की संभावना खत्म करते हैं।”

स्मार्ट मीटर का सपना था पारदर्शिता और बचत।
लेकिन असलियत में यह जनता की जेब और थाली पर बोझ बन गया।

बिजली विभाग के लिए बस इतना कहना है—
“जितना लूट सकते हो लूट लो,
गरीब की थाली से सूखी रोटी भी छीन लो।”
✍️ मोहम्मद जावेद खान
📞 9009626191

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