: *दृष्टि का चुपचोर है ग्लूकोमा या काला मोतिया*
● दुनियाभर में लगभग 32 करोड़ लोग हैं ग्रसित, और 6 करोड़ से ज्यादा भारत में।
● इस रोग को काला मोतिया भी कहा जाता है।
● इसमें व्यक्ति आंशिक या पूर्ण रूप से आंशिक या पूर्ण रूप से अंधेपन का शिकार हो जाता है।
● इसमें आंख की नसें कमजोर पड़ने से रोशनी में कमी आने लगती है।
● आंख की नसों का मस्तिष्क के साथ सीधा सम्बंध होता है।
● आंखे छवि को कैप्चर करती हैं और ऑप्टिक तंत्रिका के माध्यम से पहचान के लिए मस्तिष्क को भेजती हैं।
● ऑप्टिक नाड़ियां खराब होने से मस्तिष्क को चित्र मिलने बंद हो जाते हैं।
● इसके कारण दिखाई देने में तकलीफ होना शुरू हो जाती है।
*विकल्प*
*सिर्फ कुदरती उपचार*
*क्या लें.?*
■ नोनी जूस, कैप्सूल टेबलेट लेकिन नोनी जूस सर्वोत्तम बशर्ते अच्छी कम्पनी और क्वालिटी का हो।
■फ्लैक्स आयल और बादाम रोगन
■ अलसी के बीज
■ गेंदे के फूल की पत्तियां
साथ में बहुत कुछ और भी।
हमारा नोनी जूस अद्भुत है क्योंकि इसके 10ml में आपको मिलेगा...
2000mg नोनी
300mg अश्वगंधा
100mg गरसेनिया कम्बोजिया
मात्रा 400ml
*महिलाओं एवं पुरुषों के लिए, सर्वोत्तम जड़ी "सालम पंजा".!*
*परिचय :*
सालम हिमालय और तिब्बत में 8 से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है। भारत में इसकी आवक ज्यादातर ईरान और अफगानिस्तान से होती है। सालमपंजा का उपयोग शारीरिक, बलवीर्य की वृद्धि के लिए, वाजीकारक नुस्खों में दीर्घकाल से होता आ रहा है।
*समुद्र यात्रा :* समुद्र में प्रायः यात्रा करते रहने वाले पश्चिमी देशों के लोग प्रतिदिन 2 चम्मच चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर शकर मिलाकर पीते हैं।
इससे शरीर में स्फूर्ति और शक्ति बनी रहती है तथा क्षुधा की पूर्ति होती है।
*यौन दौर्बल्य :* सालमपंजा 100 ग्राम, बादाम की मिंगी 200 ग्राम,
दोनों को खूब बारीक पीसकर मिला लें।
इसका 10 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन कुनकुने मीठे दूध के साथ प्रातः खाली पेट और रात को सोने से पहले सेवन करने से शरीर की कमजोरी और दुबलापन दूर होता है, यौनशक्ति में खूब वृद्धि होती है और धातु पुष्ट एवं गाढ़ी होती है।
यह प्रयोग महिलाओं के लिए भी पुरुषों के समान ही लाभदायक, पौष्टिक और शक्तिप्रद है। अतः महिलाओं के लिए भी सेवन योग्य है।
*शुक्रमेह :*
सालम पंजा, सफेद मूसली एवं काली मूसली तीनों 100-100 ग्राम लेकर कूट पीसकर खूब बारीक चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
प्रतिदिन आधा आधा चम्मच सुबह और रात को सोने से पहले कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से शुक्रमेह, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, कामोत्तजना की कमी आदि दूर होकर यौनशक्ति की वृद्धि होती है।
*जीर्ण अतिसार :* सालमपंजा का खूब महीन चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह, दोपहर और शाम को छाछ के साथ सेवन करने से पुराना अतिसार रोग ठीक होता है।
एक माह तक भोजन में सिर्फ दही चावल का ही सेवन करना चाहिए।
इस प्रयोग को लाभ होने तक जारी रखने से आमवात, पुरानी पेचिश और संग्रहणी रोग में भी लाभ होता है।
*प्रदर रोग :* सलमपंजा, शतावरी, सफेद मूसली और असगन्ध सबका 50-50 ग्राम चूर्ण लेकर मिला लें।
इस चूर्ण को एक एक चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से पुराना श्वेतप्रदर और इसके कारण होने वाला कमर दर्द दूर होकर शरीर पुष्ट और निरोगी होता है।
*वात प्रकोप :* सालमपंजा और पीपल (पिप्पली) दोनों का महीन चूर्ण मिलाकर आधा-आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम बकरी के कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से कफ व श्वास का प्रकोप शांत होता है।
साँस फूलना, शरीर की कमजोरी, हाथ-पैर का दर्द, गैस और वात प्रकोप आदि ठीक होते हैं।
*विदार्यादि चूर्ण :* विन्दारीकन्द, सालमपंजा, असगन्ध, सफेद मूसली, बड़ा गोखरू, अकरकरा सब 50-50 ग्राम खूब महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से यौन शक्ति और स्तंभनशक्ति बढ़ती है।
यह योग बना बनाया इसी नाम से बाजार में मिलता है।
*रतिवल्लभ चूर्ण :*
सालमपंजा, बहमन सफेद, बहमन लाल, सफेद मूसली, काली मूसली, बड़ा गोखरू सब 50-50 ग्राम।
छोटी इलायची के दाने, गिलोय सत्व, दालचीनी और गावजवां के फूल, सब 25-25 ग्राम।
मिश्री 125 ग्राम।
सबको अलग अलग खूब कूट पीसकर महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ दो माह तक सेवन करने से यौन दौर्बल्य और यौनांग की शिथिलता एवं नपुंसकता दूर होती है।
शरीर पुष्ट और बलवान बनता है।
सभी की दवा समस्या और वात पित्त और कफ के हिसाब से अलग अलग होती हैं।
तो जरूरी है कि किसी अच्छे वैद्य की देख रेख में ही अपना इलाज शुरू करवाए।
मित्रों, हम यौन समस्या का समाधान प्राकृतिक तरीके से करतें हैं, जैसे शीघ्रपतन, हस्तमैथुन से आई कमजोरी, तनाव कम आना, बात करते समय चिपचिपा पदार्थ बाहर आना, जननेन्द्रिय कठोर करना, सहवास शक्ति बढ़ाना, क्रिया के बाद कमजोरी आना और दूसरी बार क्रिया करने को मन ना करना आदि।
*डिप्रेशन या अवसाद होता कुछ भी नहीं लेकिन बहुत कुछ होता है...*
*आइये समझने का प्रयास करते हैं...*
एक ऐसी मनो स्थिति या मनोदशा है जो हर इंसान ने अपने जीवन काल में किसी ना किसी रूप में कभी ना कभी अनुभव की होगी और आज के इस तेज़-तर्रार युग में यह आम रोग सर्दी/ज़ुकाम की तरह हो रहा है।
लगभग 10% जनसंख्या में अवसाद रोग के रूप में पाया जाता है।
विपरीत परिस्थितियों में मानसिक तनाव और विषाद महसूस करना तो प्राकृतिक ही है परंतु जब यह मानसिक स्थिति अनियंत्रित एवं दीर्घकालीन बन जाए और मानसिक विकृति बनकर रोज़मर्रा के जीवन को प्रभावित करने लगे तब इसका इलाज करना आवश्यक हो जाता है।
यह रोग सभी उम्र अथवा श्रेणियों (working, non-working, healthy, diseased) के व्यक्ति में उत्पन्न हो सकता है।
और प्रसन्नता का विषय यह है की ये सुसाध्य रोग है और घबराने की कोई बात नहीं है।
*प्रभावशाली उपचार तथा मनोविश्लेषण द्वारा यह रोग आसानी से ठीक हो जाता है।*
*अवसाद के मुख्य कारण...*
हालाँकि यह रोग अब जनसंख्या में अत्यधिक व्याप्त होता जा रहा है परंतु अभी तक इसके मुख्य कारण के बारे में स्पष्टता नही मिल पाई है।
वैज्ञानिक यही मानते हैं की यह रोग मनोवैज्ञानिक, आनुवांशिक और पर्यावरण संबंधी कारणों से उत्पन्न होता है।
कुछ लोगों में जन्म से ही अवसाद का रोग पाया जाता है।
उनके मस्तिष्क में प्राकृतिक रसायनों जैसे मूड मॉलिक्यूल इत्यादि का असंतुलन रहता है।
इसके अलावा दीर्घ रूप से बीमार लोग, वीडियो गेम्स या इंटरनेट का अधिक प्रयोग करने वाले, वे लोग जिनके प्रियजनो की मृत्यु अथवा उनसे वियोग हो गया है इत्यादि व्यवहारिक कारणों से भी ग्रस्त व्यक्ति में अवसाद का रोग उत्पन्न हो जाता है।
प्रकृति के करीब रहने से इस रोग के होने की संभावना कम हो जाती है।
*डिप्रेशन के लक्षण क्या होते हैं...*
आत्महत्या के विचार आना,
आत्मविश्वास की कमी,
ख़ालीपन की भावना,
अपराध भाव से ग्रस्त होना,
सामाजिक अलगाव और चिड़चिड़ा स्वाभाव,
निर्णय लेने में असमर्थता,
बहुत अधिक अथवा बहुत कम सोना।
*डिप्रेशन का उपचार, प्राकृतिक तरीकों से...*
इस रोग के इलाज में साइकोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक तरीके से, (Psychotherapy), काउंसलिंग द्वारा और दवाई दोनो का ही उपयोग किया जाता है।
मामूली अवसाद केवल मनोविषलेषण द्वारा निवृत्त हो जाता है।
परंतु गहरे अवसाद का उपचार दवाइयों से किया जाता है।
अवसाद विरोधी (एन्टी डिप्रेशन) दवाइयाँ मस्तिष्क में रसायनिक असन्तुलन को ठीक करती हैं तथा माना जात है इस प्रकार ये अवसाद को डोर कर देती हैं।
परंतु आपको जानकार हैरानी होगी कि इन दवाइयों के दुष्प्रभाव से रोगी में आत्महत्या के विचार आने लगते हैं या फेर घबराहट के दौरे पद सकते हैं।
अन्य भी बहुत से साइड इफेक्ट्स इन दवाइयों से होते हैं।
परंतु यदि आप आत्मबल को मज़बूत करने की चेष्टा करें तथा आयुर्वेदीय चिकित्सा के मूलभूत सिद्धांतों को समझकर उपचार करें, तो इस रोग से मुक्ति प्राप्त कर स्वास्थ की ओर उन्मुख हुआ जा सकता है।
आयुर्वेद या नेचुरोपैथी में इस रोग को विषाद रोग के नाम से जाना जाता है।
इस अवस्था को रोग-उत्तेजक कारक भी कहा जाता है।
यह मनोरोग धीरे धीरे शरीर में प्रविष्ट हो व्यक्ति की स्वस्थ, संवेदना, अनुभूति, ग्रहनशीलता, इन सबको प्रभावी करता है।
जब विषाद रोग का रूप ले लेता है, तब इसका उपचार करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
*अवसाद से मुक्त करने वाली आयुर्वेदीय औषधियाँ एवं प्राकृतिक जड़ी बूटियां...*
*अश्वगंधा (Withania somnifera):*
इस औषधि के प्रभाव से मन में नकारत्मक विचार आने बंद हो जाते हैं।
यह तनाव, और शारीरिक कमज़ोरी को दूर करने वाली औषधि है।
*ब्राम्ही (Bacopa monnieri):*
इसके औषधीय गुणों द्वारा तनाव, अवसाद जैसे मानसिक रोग डोर हो जाते हैं तथा समरन शक्ति का विकास भी होता है।
यह औषधि मस्तिष्क के तंतूयों में नवीन उर्जा उत्पन्न कर मानसिक शांति और मनोबल वृद्धि दोनो को बढ़ती है।
*हल्दी (Curcuma longa):*
शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों के निवारण हेतु हल्दी एक अद्भुत उपयोगी औषधि है।
ख़ास तौर पर इसका प्रयोग ऋतु बदलने के समय पर होने वेल अवसाद में महत्वपूर्ण है।
*गुडुची (Tinospora cordifolia):*
यह नवीन उर्जादायक एवं रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ने वाला औषध जी समरन शक्ति, धृति शक्ति का विकास करता है।
यह मंदबुद्धिता का निवारण करता है।
*जटामासी*
*Nardostachys,* *Jatamansi:*
इस जड़ी-बूटी के सेवन से मासिक विश्रान्ति की अनुभूति मिलती है।
यह मान में सकारात्मक विचार उत्पन्न कर सही दिशा में इन्हें निर्देशित करता है और अवसाद का निवारण करता है।
*विषाद रोग से मुक्ति पाने के कुछ घरेलू नुस्खे*
4-5 बेर के फल लेकर उनमें से बीज निकल दें तथा गुदा का पेस्ट बना लें।
इस पेस्ट को निचोड़ कर 2 चम्मच रस निकाल लें।
इसमें आधा चम्मच जायफल मिल लें।
इस मिश्रण को अच्छी तरह घोल लें और दिन में दो बार इसका सेवन करें।
कुछ काजू लेकर उनका पाउडर बना लें।
1 चम्मच पाउडर को एक कप दूध में डालकर इसका सेवन करना चाहिए।
2 बड़े चम्मच ब्राम्ही और अश्वगंधा के पाउडर को एक गिलास पानी में मिलकर रोज़ इसका सेवन करें।
रोगी को हर समय किसी सकारात्मक कार्य में व्यस्त रहना चाहिए।
इससे मन व्यर्थ की सोच-विचार से बचता है।
व्यक्ति को अनेक प्रकार के सरल कार्य करने को दें।
पर्याप्त विश्राम और ध्यान की विधियों द्वारा सकारत्मक उर्जा का निर्माण करें.!
*प्राकृतिक उपचार*
डिप्रेशन के हालात में नोनी जूस सर्वोत्तम है, इसके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए कभी भी फोन पर बात कर सकते हैं।
: *प्रोटीन युक्त शाकाहारी आहार...*
मनुष्य के शरीर में प्रोटीन की मात्रा पूरी नहीं होने पर शरीर का विकास अच्छी तरह नहीं हो पाता है।
एक वयस्क पुरुष को 70 ग्राम प्रति दिन प्रोटीन की जरुरी होता है व एक वयस्क महिला को 60 ग्राम प्रति दिन प्रोटीन जरुरी होता है।
*या यूं कहें कि जितना वजन उतने ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है शरीर को।*
अभी तक तो यही सुना था कि अंडे में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है, यह पूरी तरह सच नहीं है।
एक अंडे में 6 ग्राम प्रोटीन होता है लेकिन कुछ ऐसे शाकाहारी भोजन होते हैं जिनमे अंडे से ज्यादा प्रोटीन होता है।
*आज हम आपको इन्ही 8 वेजीटेरियन फूड के बारे में बताएँगे।*
जिन्हे खाकर आप अंडे जितना या उससे ज्यादा प्रोटीन प्राप्त कर सकते हैं।
*(1). रोस्टेड सोयाबीन*
इसमें फाइबर और पोटैशियम के साथ साथ प्रोटीन भी ज्यादा होता है |
इसमें प्रोटीन की मात्रा 1 कप में 60 ग्राम होती है।
*(2). काबुली चना..*
काबुली चने प्रोटीन का अच्छा सोर्स हैं, इसका आटा रोज की डाइट में शामिल करें!
इसमें प्रोटीन की मात्रा 1 कप में 21 ग्राम होती है !
*(3). पनीर...*
पनीर में केल्शियम होता है, इसके साथ प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में होता हैं।
इसमें प्रोटीन की मात्रा 1 कप में 32 ग्राम होती है।
*(4). दही...*
दही में कैल्शियम और प्रोटीन दोनों भरपूर मात्रा में होता है।
दही में कैलोरी कम होती है।
इसमें प्रोटीन की मात्रा 1 कप में 17 ग्राम होती है।
*(5). ओट्स..*
ओट्स में फैट कम और प्रोटीन ज्यादा मात्रा में होता है।
इसमें प्रोटीन की मात्रा 100 ग्राम में 17 ग्राम होती है।
*(6). राजमा..*
राजमा (बीन्स) में प्रोटीन की मात्रा होती हैं । प्रोटीन की मात्रा 1 कप में 8 ग्राम होती है, उबले हुए राजमा में ।
*(7). मसूर दाल*
वैसे तो सभी दालों में प्रोटीन होता है लेकिन मसूर दाल में प्रोटीन सबसे ज्यादा है।
इसमें प्रोटीन की मात्रा 1 कप में 18 ग्राम होती है।
*(8). कद्दू के बीज*
कद्दू के बीज में अंडे से दो गुना प्रोटीन होता है, प्रोटीन के साथ इसमें आयरन और जिंक भी अच्छी मात्रा में होता है।
इसमें प्रोटीन की मात्रा 1 कप में 12 ग्राम होती है।
*जानिए प्रोटीन के 6 बेहतरीन फायदे...*
1. हमारे शरीर की हड्डियों को मजबूत करता है।
2. शरीर का वजन कम करने में मदद करता है।
3. ब्लॅड प्रेशर को कम करने का काम करता है।
4. जिम जाने वाले लोगो के लिए प्रोटीन लेना जरुरी होता है। प्रोटीन से मसल्स बनते हैं।
5. शरीर के चोट और घाव जल्दी भरने में मदद करना है।
6. बच्चों की लम्बाई के लिये बहुत ही जरूरी है।
:
*क्या आप जानते हैं.?*
*55% महिलायें थायरॉयड बीमारी से ग्रस्त हैं.!*
*● थायरायड को कैसे कम करे...?*
*जानिये...!*
● आजकल एक गंभीर समस्या बहुतायात देखने को मिल रही है थायराइड।
● थायरायड गर्दन के सामने और स्वर तंत्र के दोनों तरफ होती है।
● थायरायड में अचानक बृद्धि हो जाना या फिर अचानक कम हो जाना है।
*● थायरॉयड ●*
● एक स्वस्थ्य मनुष्य में थायरायड ग्रंथि का भार 25 से 50 ग्राम तक होता है।
● यह ‘थाइराक्सिन‘ नामक हार्मोन का उत्पादन करती है।
*●पैराथायरायड ग्रंथियां●*
● थायरायड ग्रंथि के ऊपर एवं मध्य भाग की ओर एक-एक जोड़े यानी कि कुल चार होती हैं।
यह ”पैराथारमोन” हार्मोन का उत्पादन करती हैं।
●● तनावग्रस्त जीवन शैली से थाइरोइड रोग बढ़ रहा है।
● आराम परस्त जीवन से भी हाइपो थायराइड और तनाव से हाइपर थायराइड के रोग होने की आशंका, आधुनिक चिकित्सक निदान में करने लगे हैं।
● आधुनिक जीवन में व्यक्ति अनेक चिंताओं से ग्रसित है जैसे
परिवार की चिंताऐं तथा आपसी स्त्री-पुरुषों के संबंध।
● आत्मसम्मान को बनाए रखना।
● लोग क्या कहेंगे आदि अनेक चिंताओं के विषय हैं।
*उपचार...*
(1)- थायरायड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए क्योंकि दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थाइरोइड से ग्रसित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं।
(2)- थायरायड ग्रन्थि को बढ़ने से रोकने के लिए गेहूं के ज्वार का सेवन कर सकते है।
गेहूं का ज्वार आयुर्वेद में थायरायड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है।
इसके अलावा ये साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है।
(3)- थायरायड की परेशानी में जितना हो सके, फलों और सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है जो थायरायड को कभी भी बढ़ने नहीं देता है।
सब्जियों में टमाटर, हरी मिर्च आदि का सेवन करें।
(4)- थायरायड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है, चूंकि मुलेठी में मौजूद तत्व थायरायड ग्रन्थि को संतुलित बनाते हैं और थकान को उर्जा में बदल देते हैं। मुलेठी थायरायड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।
(5)- योग के जरिए भी थायरायड की समस्या से निजात पाया जा सकता है इसलिए भुजंगासन, ध्यान लगाना, नाड़ीशोधन, मत्स्यासन, सर्वांगासन और बृहमद्रासन आदि करना चाहिए।
(6)- अदरक में मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायरायड की समस्या से निजात दिलवाते हैं।
अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायरायड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।
अधिक एवं मुफ्त जानकारी के लिए सम्पर्क करें किंतु व्हाट्सएप के माध्यम से नही।
*तुलसी बीज के चमत्कारी फायदे..*
*सेवन विधि:*
1 चम्मच तुलसी बीज सुबह खाने बाद 1 रात को सोने से पहले ताजे पानी से सेवन करे।
नींबू औऱ खट्टा बिल्कुल न ले।
*रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए*
तुलसी के बीज में मौजूद फ्लैवोनोइड्स और फेनोलिक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारता है।
तुलसी के बीज एंटी-ऑक्सीडेंट्स से समृद्ध होते हैं जो शरीर में मुक्त कणों के कारण होने वाली क्षति से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
फ्री रेडिकल्स यानी मुक्त कणों के डैमेज की वजह से उम्र से पहले बुढ़ापे आने लगता है।
*पेट की समस्या को दूर करे*
तुलसी के बीज पानी में डालने पर फूल जाता है और ऊपर एक जिलेटिन की परत बना लेता है।
इसे पानी में डालकर पीने से पेट सही रहता है।
इसमें मौजूद फाइबर आंतों की अच्छी तरह से सफाई करता है। यह कब्ज, एसिडिटी और अपच की समस्या को दूर करता है।
तुलसी के बीज में उच्च फाइबर सामग्री आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगने देती। वजन कम करने के लिए आप इन्हें आहार में शामिल कर सकते हैं।
*सर्दी जुकाम में है फायदेमंद*
सर्दी, जुकाम, अस्थमा जैसी समस्याओं के उपचार के लिए तुलसी के बीच का प्रयोग किया जाता है।
इसमें एंटीस्पाज्मोडिक प्रभाव होता है जो सामान्य ठंड और खांसी जैसी स्थिति में सुधार लाने में मदद करता है। आप बुखार को कम करने के लिए भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
*तनाव दूर करे*
तुलसी के बीज दिमाग पर काफी अच्छा प्रभाव डालते हैं।
यह तनाव और चिंता जैसी समस्या में छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।
तुलसी के बीज के सेवन से मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
No comments:
Post a Comment