Monday 20 March 2023

अत्यंत भयंकर प्रचंड और उग्र होगी इस वर्ष भारत और संसार में गर्मी की ऋतु इस वर्ष लानिनो और अल नीनो प्रभाव हिमालय पर्वत पर तेजी से बदल रहे मौसम उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर तेजी से पिघलते हुई बर्फ और समुद्री गर्म तथा जल धाराओं के विषम होने के कारण और सूर्य पर हो रहे निरंतर प्रचंड विस्फोट की वजह से भारत और पूरी दुनिया में गर्मी अत्यंत भयानक होगी कई जगहों पर हजारों वर्षों की गर्मी का कीर्तिमान टूट सकता है

अत्यंत भयंकर प्रचंड और उग्र होगी इस वर्ष भारत और संसार में गर्मी की ऋतु इस वर्ष लानिनो और अल नीनो प्रभाव हिमालय पर्वत पर तेजी से बदल रहे मौसम उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर तेजी से पिघलते हुई बर्फ और समुद्री गर्म तथा जल धाराओं के विषम होने के कारण और सूर्य पर हो रहे निरंतर प्रचंड विस्फोट की वजह से भारत और पूरी दुनिया में गर्मी अत्यंत भयानक होगी कई जगहों पर हजारों वर्षों की गर्मी का कीर्तिमान टूट सकता है

इस वर्ष आधिकारिक रूप से गर्मी की ऋतु 5 मार्च से प्रारंभ हो जाएगी जब तापमान 35 डिग्री सेल्सियस पार कर जाएगा जौनपुर और आसपास तथा उत्तर भारत के अधिकांश भागों में गर्मी 5 मार्च से बहुत तेजी से बढ़ेगी और अनेक जगहों पर जैसे गुजरात महाराष्ट्र राजस्थान पंजाब में तो तापमान इसी दौरान 40 डिग्री से भी अधिक हो जाएगा जबकि मार्च महीने में 15 मार्च तक जौनपुर और आसपास उत्तर भारत के अधिकांश भागों जम्मू पंजाब हरियाणा दिल्ली पश्चिमी उत्तर प्रदेश राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र के कुछ भागों में तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा जबकि दक्षिण भारत पहले से ही गर्म रहेगा समुद्र तटीय भागों में भी जहां पर 37 डिग्री सेल्सियस के बाद लू चलनी प्रारंभ हो जाती है वहां भी तापमान काफी अधिक हो जाएगा

मुंबई चेन्नई कोलकाता त्रिवेंद्रम गोवा विशाखापट्टनम चेन्नई के आसपास का क्षेत्र भी काफी गर्म होगा अप्रैल में गर्मी पूरे भारत में बहुत उग्र प्रचंड और भयंकर होगी और जौनपुर जनपद और आसपास तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाएगा जबकि पश्चिमोत्तर भाग गुजरात महाराष्ट्र मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश तथा बिहार के कई भागों में तथा उड़ीसा में यह तापमान 45 से 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा और तेज सुखी पश्चिमी हवा आने का स्थानों पर आंधी बवंडर और चक्रवात में परिवर्तित हो जाएगी इसी दौरान बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में भयानक चक्रवाती उत्पन्न होने की प्रबल संभावना है

मई महीना संपूर्ण भारत में आंधी पानी तूफान बहुत तेज गर्मी और आंधी बवंडर तथा तमाम स्थानों पर होने वाली वर्षा के लिए जाना जाएगा इस दौरान उत्तरी मध्य पश्चिम उत्तरी भारत महाराष्ट्र गुजरात उड़ीसा छत्तीसगढ़ झारखंड बिहार के अनेक भागों में तापमान 47 डिग्री से 51 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाएगा पानी की भयंकर कभी और तेज सूखी चलने वाली हवा बहुत ही प्रलयंकारी रूप धारण कर लेगी जम्मू और कश्मीर लद्दाख हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड नेपाल भूटान सिक्किम जैसे स्थानों पर भी इस दौरान गर्मी का प्रचंड प्रहार अनुभव होगा और यहां भी अनेक नए कीर्तिमान बनेंगे


इस दौरान भी अनेक चक्रवात महा चक्रवात आंधी बवंडर और समुद्री तूफानों का जन्म होगा एक प्रबल चक्रवात हिंद महासागर में उत्पन्न होकर भारत में प्रवेश करेगा जबकि जून महीना मौसम में परिवर्तन तथा मानसून के लिए जाना जाएगा इस वर्ष देश के अनेक भागों में खंड वृष्टि एक चौथाई भारत में अकाल सूखा और शेष भागों में प्रचंड वृष्टि और बादल फटने की अनेक घटनाएं होंगी बाढ़ वर्षा जल प्लावन से जनजीवन त्रस्त हो जाएगा मानसून का संभावित प्रवेश इस वर्ष 29 मई से 3 जून के बीच होगा जो मुंबई गुजरात और आसपास 10 से 12 जून के बीच जबकि उत्तरी मध्य भारत में 17 से 23 जून के बीच प्रवेश करेगा और दिल्ली पंजाब हरियाणा में जून के अंतिम सप्ताह तक पहुंच जाएगा इसी के साथ प्रलयंकारी गर्मी में कमी होगी और उमस पसीना तथा भयंकर गर्मी से थोड़ी बहुत राहत मिलेगी लेकिन गर्मी कार्यक्रम 15 अक्टूबर तक जारी रहेगा

जहां तक विदेशों में मौसम की बात है तो अमेरिका यूरोप और रूस तथा चीन में गर्मी देर से अर्थात मार्च के अंतिम सप्ताह से प्रारंभ होगी लेकिन यहां भी भयंकर गर्मी से जनजीवन बेहाल हो जाएगा यूरोप और अमेरिका के अनेक भागों में आशा के विपरीत भयंकर गर्मी लू चलेगी जिसके कारण बहुत ही भयंकर उग्र महा चक्रवात  टाइफून टॉरनेडो हरिकेन और आंधी बवंडर का जन्म होगा जिससे अमेरिका यूरोप रूस के कुछ भागों और चीन में तथा अरब देशों में भी हाहाकार मच सकता है यहां पर धूल बड़ी प्रचंड आंधियां भी चलेंगे पाकिस्तान अफगानिस्तान ईरान इराक और सऊदी अरब तथा अन्य अरब प्रायद्वीप के देशों में गर्मी 50 से 55 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाएगी यही हाल मध्य दक्षिण यूरोप और अमेरिका की मृत घाटी अर्थात डेथ वैली का होगा जहां तापमान 51 से 56 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच सकता है प्रशांत महासागर हिंद महासागर और अटलांटिक महासागर बड़े-बड़े तूफान और चक्रवात ओं के केंद्र बनेंगे

मनुष्य के अनावश्यक हस्तक्षेप से प्रकृति पर्यावरण में भयंकर असंतुलन पैदा हो गया है जिसकी मार सहने के लिए पूरी दुनिया को तैयार रहना चाहिए हवा में बढ़ते हुए प्रदूषण pm10 और पीएम 2.5 के कारण बहुत भयंकर स्थिति पैदा होगी लोगों में सांस और रोकते पड़े तथा अन्य बीमारियां फैलने की मौसम परिवर्तन के कारण खसरा चेचक जुकाम बुखार मलेरिया जापानी बुखार है ज्यादा स्कॉलर कालरा तथा अनेक अन्य रोग बीमारी और महामारी गर्मी में प्रचंड रूप में फैले की जिस पर दवाएं और एंटीबायोटिक का भी बहुत असर नहीं होगा एड्स की तरह के कुछ अन्य रोग गर्मी में फैल सकते हैं लगातार सीमेंट और कंक्रीट के फैलते जंगल और कालोनियां हरे-भरे बनो का वृक्ष और पादप लताओं घासों का कम होना मानवता के लिए अभिशाप सिद्ध होगाऔर ओजोन की परत में लगातार बढ़ता हुआ छेद मानव जाति के लिए संकट पैदा करेगा गर्मी के दौरान अंटार्कटिका न्यूजीलैंड दक्षिण अमेरिका अपेक्षाकृत ठंडे रहेंगे बाकी दुनिया में कीर्तिमान बनाने वाली गर्मी का कहर जारी रहेगा डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर
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*परम पवित्र बासंतिक नवरात्रि का महापर्व*

इस वर्ष परम पवित्र बसंती का नवरात्रि का महापर्व चैत्र शुक्ल पक्ष एक विक्रम संवत 2080 दिन बुधवार को शुरू हो रहा है अंग्रेजी पंचांग के अनुसार 22 मार्च 2023 को प्रारंभ होगा चैत्र शुक्ल पक्ष का प्रथम दिन रात में 9:24 तक रहेगा जबकि कल इस संबंध 5125 और श्री कृष्ण संवत 5249 भी इसी दिन से प्रारंभ होगा आदिशक्ति भगवती पार्वती अथवा दुर्गा माता की नौ शक्तियों की पूजा नवरात्रि में की जाती है जिनके नाम क्रम से शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कुष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी और सिद्धिदात्री हैं यह परम पावन शक्ति का महापर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है एक बासंतिक नवरात्रि दूसरा शारदीय नवरात्रि शारदीय नवरात्रि क्वार महीने में पड़ता है



बसंत में मनाया जानेवाला यह महापर्व परम अद्भुत और अनोखा होता है इस महापर्व का प्रथम दिन आदिशक्ति से शुरू होकर अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री देवी के हवन पूजन के बाद भगवान श्री राम के सुख जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है जिसे श्री राम नवमी के नाम से संबोधित किया जाता है

वैसे तो बसंत ऋतु में पड़ने वाली है नवरात्रि रात्रि में 21 मार्च को 10:53 से यह प्रारंभ हो जा रही हैं और 22 मार्च को 9:49 में समाप्त होगी इसलिए बिना किसी संदेह के उदया तिथि के अनुक्रम में पूरे भारत में 22 मार्च को यह महापर्व शुरू होगा और इसी दिन नया भारतीय वर्ष भी प्रारंभ होगा जो कई रूपों में मनाया जाता है इस दिन गर्ल कलश या घट स्थापना का शुद्ध और सर्वप्रिय मुहूर्त सुबह 6:23 से सुबह 7:00 तक केवल 27 मिनट का है जबकि यह मीन लग्न में सुबह 6:30 से प्रारंभ हो रहा है

जहां तक नव दिन नव शक्ति की देवियों की पूजा उपासना का यह महापर्व है तो प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होगी उनका रंग नीला और शुद्ध देसी घी गाय का चढ़ावा चढ़ेगा दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी देवी का है जिन्हें पीला रंग और चीनी तथा फल पसंद है अर्थात पीला रंग पहनकर चीनी और फल का भोग लगाना चाहिए

इसी तरह चंद्रघंटा देवी को खीर दूध और मिठाई पसंद है और इनका प्रिय रंग हरा होता है चौथे दिन देवी कुष्मांडा को भूरा रंग पसंद है और इन्हें मालपुआ का भोग लगाया जाता है इसी दिन लक्ष्मी पंचमी भी पड़ती है 26 मार्च पांचवा दिन स्कंदमाता का है जिन्हें संतरी रंग और केले का भोग अत्यंत ही पसंद है 27 मार्च को छठा दिन देवी कात्यायनी का है जिन्हें श्वेत रंग अत्यधिक प्रिय है और इनको शहद का  भोग लगाया जाता है 28 मार्च को देवी कालरात्रि का दिन है इन्हें लाल रंग अत्यधिक पसंद है और इन्हें नारियल का भोग लगाया जाता है इस दिन को महा सप्तमी भी कहा जाता है आठवां दिन देवी महागौरी का है इन्हें नीला रंग पसंद है और नारियल का भोग लगाया जाता है जबकि देवी सिद्धिदात्री को गुलाबी रंग पसंद है तथा इनको तिल का भोग लगाया जाता है डॉ दिलीप कुमार सिंह


नवरात्रि के पावन अवसर पर प्रकाशित करने के लिए


21 मार्च अद्भुत खगोलीय और वैज्ञानिक दिन सारी धरती पर दिन रात और सर्दी गर्मी रहेगी बराबर*डॉ दिलीप कुमार सिंह

*21 मार्च बहुत अद्भुत दिन होता है जब पूरी धरती पर दिन और रात तथा सर्दी एवं गर्मी बराबर होती हैं इस दिन नए भारतीय वर्ष के आरंभ होने के साथ-साथ चारों तरफ बसंत ऋतु होती है शीतल मंद सुगंध इट मलय पवन बहती है और ना अधिक गर्मी होती है और ना अधिक ठंडक होती है चारों और नए जीवन का स्रोत प्रवाहित होता है और नदी समुद्र झरना झील पशु पक्षी मानव सब के सब नई सृष्टि के गीत गाते हैं यह सब पृथ्वी के परिक्रमण और परिभ्रमण के कारण होता है अर्थात पृथ्वी लड्डू की तरह अपने अक्ष पर घूमती भी है और लड्डू की तरह आगे बढ़ते हुए ग्रहों के स्वामी सूर्य की परिक्रमा भी 365 दिन 5 घंटे 45 मिनट 51 सेकंड में करती है जिसके कारण ऐसा होता है इस धरती के लिए 21 मार्च और 23 सितंबर तथा 22 दिसंबर और 21 जून बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं 23 सितंबर को भी दिन और रात सर्दी गर्मी सारी धरती पर बराबर होती है आइए एक एक करके इनके बारे में जानते हैं*

 *कल 22 दिसंबर को दुनिया में सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होगी जौनपुर और आसपास लगभग 14 घंटे की रात और 10 घंटे का दिन होगा जबकि मध्य एशिया मध्य यूरोप और मध्य अमेरिका में लगभग 20 घंटे कि रात और 4 घंटे का दिन होगा जबकि उत्तरी ध्रुव वृत्त पर 2 घंटे का दिन और 22 घंटे की रात होगी इसी तरह उत्तरी ध्रुव पर कल अन्तिम बार 6 महीने वाली रात होगी फिर वहां 6 महीने का दिन होगा *

*सूर्य के चारों ओर पृथ्वी द्वारा 106000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से परिक्रमा करने से और अपने अक्ष पर लट्टू की तरह घूमने से ऐसा होता है। इसी तरह 21 जून को सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है जब जौनपुर और आसपास तथा उत्तर भारत में 14 घंटे का दिन और केवल 10 घंटे की रात होती है मध्य एशिया मध्य यूरोप मध्य अमेरिका में 20 घंटे का दिन 4 घंटे की रात होती है उत्तरी ध्रुव वृत्त पर 22 घंटे का दिन 2 घंटे की रात होती है और उत्तरी ध्रुव पर इस दिन से आखरी बार दिन होकर 6 महीने की रात शुरू हो जाती हैं जहां त्रेता युग में महा भीमकाय कुंभकरण बारी बारी से उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर क्6/6 महीने सोया करता था* 

*दक्षिणी गोलार्ध में इसके विपरीत स्थितियां होती हैं भारत न्यूजीलैंड आस्ट्रेलिया दक्षिण अमेरिका दक्षिण अफ्रीका में 22 दिसंबर को सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात तथा गर्मी का मौसम रहता है इस समय आस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका तथा अफ्रीका में बिल्कुल उल्टा अर्थात गर्मी का मौसम चल रहा है जिनके घर के बच्चे ऑस्ट्रेलिया में पढ़ रहे हैं वह इस तथ्य को अच्छी तरह जान रहे हैं इसीलिए अंटार्कटिका के अभियान दिसंबर महीने में किए जाते हैं क्योंकि तब वहां पर गर्मी का मौसम रहता है* 

*जबकि 21 मार्च और 23 सितंबर को दुनिया भर में दिन रात लगभग बराबर 12 12 घंटे के होते हैं और मौसम समशीतोष्ण अर्थात ना अधिक गर्म ना अधिक ठंडा रहता है इसीलिए शारदीय और बसंतिक नवरात्रि का आयोजन किया गया है क्योंकि तब मौसम बसंत ऋतु जैसा रहता है और मौसम परिवर्तन के कारण गर्मी और जाड़ा एक समान बहुत सुंदर मौसम वाला होता है तब पृथ्वी सूर्य से ऐसे अक्ष पर होती है कि दिन और रात दोनों बराबर होते हैं*

*पृथ्वी के परिक्रमण अर्थात सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने के कारण और परिभ्रमण अर्थात अपनी धुरी पर घूमने के कारण के कारण ही यह सब अद्भुत विचित्र विलक्षण घटनाएं होती हैं इसीलिए 22 दिसंबर के 1 महीने पहले से जाड़ा शुरू होकर दो महीने बाद तक पूरे 3 महीने घनघोरजाड़ा रहता है और यही हाल 21 जून को भी होता है जब अप्रैल से जुलाई तक 3महीने गर्मी प्रचंड रहती हैं यह पृथ्वी पर घटने वाली सबसे विचित्र घटनाओं में से एक है* 

*डॉ दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि मौसम विज्ञानी एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधानकेंद्र


🌳 यह भी जान लीजिए कैसे करें कलश स्थापना के बाद चौकी की स्थापना🌳*

1. सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी को गंगाजल या स्वच्छ जल से धोकर पवित्र कर लें।
2. अब इसे साफ कपड़े से पोछकर लाल कपड़ा बिछाएं।
3. चौकी के दाएं ओर कलश रखें।
4. चौकी पर मां दुर्गा की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें।
5. माता रानी को लाल रंग की चुनरी ओढ़ाएं।
6. धूप-दीपक आदि जलाकर मां दुर्गा की पूजा करें।
7. नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योति माता रानी के सामने जलाएं।
8. देवी मां को तिलक लगाएं।
9. मां दुर्गा को चूड़ी, वस्त्र, सिंदूर, कुमकुम, पुष्प, हल्दी, रोली, सुहाग  का सामान अर्पित करें।
10. मां दु्र्गा को इत्र, फल और मिठाई अर्पित करें।
11. अब दुर्गा सप्तशती के पाठ देवी मां के स्तोत्र, सहस्रनाम आदि का पाठ करें।
12. मां दुर्गा की आरती उतारें।
13. अब वेदी पर बोए अनाज पर जल छिड़कें।
14. नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करें। जौ पात्र में जल का छिड़काव करते रहें।

1-  व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए। 
 
2 - नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए। 

3- अगर अखंड ज्योति जला रहे हैं तो इन दिनों घर खाली छोड़कर नहीं जाएं। 
 
4- खाने में प्याज, लहसुन और नॉन वेज न खाएं। 

5- नौ दिन का व्रत रखने वालों को गंदे और बिना धुले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
 
6- व्रत रखने वालों को नौ दिन तक नींबू नहीं काटना चाहिए।
 
7 - व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। 
 
8- विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोना निषेध है।
 
9 - फलाहार एक ही जगह पर बैठकर ग्रहण करें। 
 
10.चालीसा, मंत्र या सप्तशती पढ़ रहे हैं तो पढ़ते हुए बीच में दूसरी बात बोलने या उठने की गलती कतई ना करें। इससे पाठ का फल नकारात्मक शक्तियां ले जाती हैं। 
 
 11. कई लोग भूख मिटाने के लिए तम्बाकू चबाते हैं यह गलती व्रत के दौरान बिलकुल ना करें। व्यसन से व्रत खंडित होता है। 

*आपको और आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाए* 
सादर डा दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी बाल गोपाल शिवानी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर
[ *विशिष्ट रूप से पूजा पाठ करने वालों के लिए नियम देवी शैलपुत्री की पूजा सुबह-शाम कपूर जलाएं सफेद रंग के फूल फल और मिठाई तथा खीर चढ़ाएं यह देवी स्थिरता दृढ़ता और तपस्या की प्रतीक हैं देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा हाथ में फूल रखकर करना चाहिए फिर उन्हें पंचामृत करके स्नान करें और फूल अक्षत कुमकुम सिंदूर अर्पित करें सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं फिर प्रसाद चढ़ाकर आचमन करें फिर पान सुपारी भेंट करके प्रदक्षिणा करें तीन बार अपनी जगह पर खड़े होकर घूमने फिर भी और कपूर मिलाकर देवी की आरती करें देवी चंद्रघंटा की पूजा उनका ध्यान करते हुए चौकी पर चांदी तब या मिट्टी का घड़ा नारियल रखकर पूजा करें कन्याओं को स्वादिष्ट मिठाई खीर हलवा बांटा जाता है अगर गाय के दूध की बनी खीर हो तो सबसे अच्छा है कुष्मांडा देवी का ध्यान करते हुए लाल रंग का पुष्प गुड़हल का पुष्प गुलाब या कमल पुष्प अर्पित कर सकते हैं सिंदूर धूप दीप नैवेद्य चढ़ाकर हरे रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करें और इनको कोहड़ा चढ़ाएं या फिर सफेद पेठा चढ़ाएं फिर दही और हलवे का भोग लगाएं पूरा ब्राह्मण कोहड़ा के फल जैसा माना गया है इसके मध्य में देवी कुष्मांडा रहकर सब की रक्षा करती है स्कंदमाता की पूजा धनुष बाण अर्पित किया जाता है कुछ ना मिले तो घास का ही धनुष बाण अर्पित करो और सुहाग के सामान चढ़ाने का विधान है लाल वस्त्र में सभी सामग्री लाल रंग की हो मां को अर्पित करना चाहिए और फल में केले का भोग लगाएं पीली बस में भी मां को बहुत बुरी होती हैं इसलिए केसर डालकर खीर बनाएं माता कात्यायनी की पूजा पीले और लाल रंग के वस्त्र धारण करके पीला फूल और मधु अर्पित करें कच्ची हल्दी की गांठ और मधु अर्थात शहद अर्पित करना अत्यंत लाभदायक होता है माता कालरात्रि की पूजा के पहले उन्हें कुमकुम लाल फूल और रोली लगाकर नींबू की माला पहना कर तेल का दीपक जलाएं और लाल फूल अर्पित करें काली चालीसा का पाठ करें माता महागौरी की पूजा विशेष रूप से फल देने वाली हैं गुलाबी रंग के वस्त्र और सुहाग के सामान मां को अर्पित करें हलवा पूरी सब्जी और काले चने का प्रसाद बनाकर चढ़ाएं और बांटे नवीं और अंतिम मा सिद्धीदात्री की पूजा नवरस युक्त भोजन न प्रकार के फूल और नव प्रकार के फल अर्पित करें सबसे पहले कलश की पूजा कर उसमें सभी देवी देवताओं का ध्यान करें फिर माता सिद्धिदात्री देवी का ध्यान करते हुए मन को एकाग्र करें और अपने मस्तिष्क पर निर्माण चक्कर में जाए बैरगनिया जामुनी रंग के वस्त्र पहनकर पूजा पाठ करें*

*सामान्य रूप से मां शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाना चाहिए ब्रह्मचारिणी देवी को अखाड़ा शक्कर का भोग लगाना चाहिए देवी चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी चीजों का भोग लगाएं कुष्मांडा देवी को मालपुआ नैवेद्य चाहे माता स्कंदमाता को केले का भोग और नैवेद्य चढ़ाएं जबकि माता कात्यायनी को मधु अर्थात शहद का भोग लगाना चाहिए माता कालरात्रि को गुड़ का भोग चढ़ाएं माता महागौरी को नारियल का भोग चढ़ाएं और दान करें तथा मां सिद्धिदात्री को नव फल फूल 9 प्रकार के भोजन अर्थात ऐसा भोजन बनाए जिसमें ना जाए चढ़ाना चाहिए डॉ दिलीप कुमार सिंह*

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