Monday 20 March 2023

हिंदुस्तान के जंग ए आजादी के एक सच्चे सेना अधिकारी: कर्नल मेहबूब अहमद* एक कुशल युवा सेना अधिकारी के रूप में

*हिंदुस्तान के जंग ए आजादी के एक सच्चे सेना अधिकारी: कर्नल मेहबूब अहमद*
         एक कुशल युवा सेना अधिकारी के रूप में व्याख्यात कर्नल मेहबूब अहमद, सुभाष चन्द्र बोस के खासमखासो में से एक थे।  वे  सुभाष चन्द्र बोस के जंग ए अजादी की लड़ाई के एक सच्चे सेना अधिकारी थे। उन्होंने कहा था- 'मेरा एक ही जन्म है अगर मेरे पास एक हजार  जन्म और होते तो मै स्वेच्छा से उन सभी को सुभाष चन्द्र बोस को उनके लक्ष्य की  प्राप्ति  करने के लिए सौंप देता'।   इतना ही नहीं, वह सुभाष चन्द्र बोस द्वारा  बनाई  हुई फ़ौज-
         इंडियन नेशनल आर्मी (INA) की  सेवा के लिए हमेशा  उत्सुक रहते थे। बर्मा युद्ध के  उपरान्त, जब  INA को मदद की सक्त जरुरत थी  उन्होंने ही खाना,  वर्दी,  दवाई  आदि चीजों को उपलब्ध कराया तथा INA के घायल सैनिकों का समय पर उपचार भी कराया था। 
 कर्नल मेहबूब अहमद उन मुसलमानो में से एक थे जिन्होंने हिंदुस्तान के  प्रति अपने  ईमान को मजहब से उपर रखा। वह एक सच्चे देशप्रेमी तथा  कर्तव्यनिष्ठ सेना अधिकारी थे। वे  कैप्टन के पद पर सेना में भर्ती हुए थे और उन्होंने सन १९५१ में  कर्नल बनकर आज़ादी ए हिंद की लडाई में अहम योगदान  दिया। उन्होंने विदेश  की धरती में भी काम कर अपना लोहा मनवाया और प्रशंसा अर्जित की। उन्होंने आजाद हिन्द सरकार और  भारतीय राष्ट्रीय सेना तथा इसके नेता सुभाष चन्द्र बोस के बीच समन्वयक  के रूप में महत्तपूर्ण भूमिका निभाई। इतना ही नहीं उन्होंने राजनयिक से लेकर उपायुक्त के पदौ में भी कार्य कर देश के  प्रति अपनी सच्ची निष्ठा का परिचय दिया था।
        उन्होंने सेवानिृत्ति के बाद भी, सक्रिय रुप से समाज की सेवा कार्यों में अपने आपको लीन रखा। ९ जून सन १९९२ को उन्होंने अंतिम सांस लिया था। उनकी देश के प्रति निस्वार्थ सेवा भाव को याद कर उनको श्रद्धांजलि देना चाहिए। मुल्क के नौजवनों को उनकी तरह देश के प्रति अपने  कर्तव्य को मजहब से उपर  रखना चाहिए तथा हिंदुस्तान कि अखंडता के लिए सदैव कोशिश करते रहना चाहिए।

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