Monday 17 April 2023

गुड़ खाने से 18 अद्भुत फायदे...*(1) - गुड़ खाने से नहीं होती गैस की दिक्कत।

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     *गुड़ खाने से 18 अद्भुत फायदे...*


(1) - गुड़ खाने से नहीं होती गैस की दिक्कत।

(2) - खाना खाने के बाद अक्सर मीठा खाने का मन करता हैं। इसके लिए सबसे बेहतर है कि आप गुड़ खाएं। गुड़ का सेवन करने से आप हेल्दी रह सकते हैं।

(3) - पाचन क्रिया को सही रखना।

(4) - गुड़ शरीर का रक्त साफ करता है और
मेटाबॉल्जिम ठीक करता है। रोज एक गिलास पानी या दूध के साथ गुड़ का सेवन पेट को ठंडक देता है। इससे गैस की दिक्कत नहीं होती। जिन लोगों को गैस की परेशानी है, वो रोज़ लंच या डिनर के बाद थोड़ा गुड़ ज़रुर खाएं।

(5) - गुड़ आयरन का मुख्य स्रोत है। इसलिए यह एनीमिया के मरीज़ों के लिए बहुत फायदेमंद है खासतौर पर महिलाओं केलिए इसका सेवन बहुत अधिक ज़रुर है।

(6) - त्वचा के लिए
गुड़ ब्लड से खराब टॉक्सिन दूर करता है, जिससे त्वचा दमकती है और मुहांसे की समस्या नहीं होती है।

(7) - गुड़ की तासीर गर्म है, इसलिए इसका सेवन 
जुकाम और कफ से आराम दिलाता है। जुकाम के दौरान अगर आप कच्चा गुड़ नहीं खाना चाहते हैं तो चाय या लड्डू में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

(8) - एनर्जी के लिए -
बहुत ज़्यादा थकान और कमजोरी महसूस करने पर गुड़ का सेवन करने से आपका एनर्जी लेवल बढ़ जाता है। गुड़ जल्दी पच जाता है, इससे शुगर का स्तर भी नहीं बढ़ता!
दिनभर काम करने के बाद जब भी आपको थकान हो, तुरंत गुड़ खाएं।

(9) - गुड़ शरीर के टेंपरेचर को नियंत्रित रखता है। इसमें एंटी एलर्जिक तत्व हैं, इसलिए दमा के मरीज़ों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है।

(10) - जोड़ों के दर्द में आराम रोज़ गुड़ के एक टुकड़े के साथ अदरक का सेवन करें, इससे जोड़ों के दर्द की दिक्कत नहीं होगी।

(11) - गुड़ के साथ पके चावल खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल जाती है।

(12) - गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा की परेशानी नहीं होती है।

(13) - जुकाम जम गया हो, तो गुड़ पिघलाकर उसकी पपड़ी बनाकर खिलाएं।

(14) - गुड़ और घी मिलाकर खाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

(15) - भोजन के बाद गुड़ खा लेने से पेट में गैस नहीं बनती।

(16) - पांच ग्राम सौंठ दस ग्राम गुड़ के साथ लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

(17) - गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढती है।

(18) - पांच ग्राम गुड़ को इतने ही सरसों के तेल में मिलाकर खाने से श्वास रोग से छुटकारा मिलता है।

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 *सेंधा नमक खाइये और स्वस्थ रहिए...*
*सेंधा नमक कितना फायदेमंद है जानिए –*


● प्राकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है।
● इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे, पर यह एक हकीकत है।

● नमक विशेषज्ञ का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक और जहर के समान है।

● समुद्री नमक तो अपने आप मे बहुत खतरनाक है लेकिन उसमे आयोडिन नमक मिलाकर उसे और जहरीला बना दिया जाता है, आयोडिन की शरीर मे मे अधिक मात्र जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग हो जाना मामूली बात है।

● उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है।
● आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।
● आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप, डाइबिटीज़, लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय रहता है।
● इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है।

● इसकी शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है।
● ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था।

● सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।

● भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है, उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।

● यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है। सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है।
● यह हृदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है। इससे पाचक रस बढ़्ते हैं।

● रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
● यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है।
● दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है।

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 *मच्छर भगाने के अचूक घरेलू उपाय*


*मच्छरों को भगाने के लिये यदि आप केमिकल मोस्कीटो रिपेलेंट जलाते हैं तो उससे मच्छर तो भागते हैं लेकिन आप उसके भयानक हानियों से बच नहीं सकते।*

*कैमिकल मोस्कीटो रिपेलेंट के नुक्सान :*

*1) अधिकतर chemical mosquito repellents (रासायनिक मच्छर विकर्षक) उत्पादों में DEET (N.N-Diethyl-meta-toluamide) नामक केमिकल का उपयोग किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है।*

*2) इसके उपयोग से त्वचा में उत्तेजना व चकत्ते, होठों में जलन व सुन्नपन, मिचली, सिरदर्द, चक्कर आना, एकाग्र होने में कठिनाई आदि समस्याएँ पैदा होती हैं।*

*3) अमेरिका की ‘एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी’ (EPA) के अनुसार DEET के लगातार उपयोग से मस्तिष्क तथा अन्य अंगों को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है।*

*4) दमा आदि श्वास से संबंधित एवं अन्य गम्भीर बीमारियाँ भी होने की सम्भावना रहती है।अतः सावधान !*

*मच्छर भगाने के घरेलु उपाय :*

*केमिकल के जहरीले दुष्प्रभाव से बचने के लिए प्रस्तुत है कुछ सरल घरेलु प्रयोग।*

 *घर पर बनाये मच्छर विकर्षक*
आप मोस्कीटो रिपेलेंट की शीशी में तरल केमिकल की जगह पर 45 मि.ली. तारपीन का तेलभर दें। शीशी पूरी न भरें। इसमें 1 से 2 ग्राम भीमसेनी कपूर चूर्ण डाल दें और अच्छी तरह घोल लें। शुद्ध रवेदार (Crystalline) या चूर्ण रूप भीमसेनी कपूर का ही प्रयोग करें, अन्य कपूर का नहीं।

*केमिकल मोस्कीटो रिपेलेंट की विभिन्न हानियों से बचने हेतु इस प्राकृतिक मच्छर विकर्षक को आजमाकर देखें। इसको और भी प्रभावशाली एवं खुशबूदार बनाना हो तो इसमें सिट्रोनेला (citronella), गुलमेंहदी (rosemary), नीम, तुलसी, लैवेंडर (lavender), पिपरमेंट (peppermint), गेंदा आदि सुगंधित वानस्पतिक तेलों का सूक्ष्म मात्रा में प्रयोग कर मच्छर भगाने के साथ अन्य अनेक स्वास्थ्य सम्बंधी व आध्यात्मिक विशेष लाभ उठाये जा सकते हैं। इससे केमिकल से तो बचेंगे, साथ ही पुण्यमयी तुलसी के लाभों का भी आपको फायदा मिलेगा।*
*(अगर ऐसे निर्दोष उपायों से पूरा लाभ न मिले तो आप मच्छरदानी का उपयोग करिये लेकिन केमिकल मोस्कीटो रिपेलेंट का उपयोग कभी मत कीजिये।*

 *नीम्बू और लौंग से मच्छर भागने का उपाय*

बड़े पके नीम्बू को काटकर उसके आधे भाग में एक दर्जन लौंग खोसकर अपने बिस्तर के पास रखिये। मच्छर आपको नहीं काटेंगे।

*संतरे के छिलकों से मच्छर भागने का उपाय*

संतरे खाने के बाद उनके छिलकों को फेके नहीं, उन्हें धूप में सुखा लें। सूखे छिलकों को कोयले के साथ सुलगाने से मच्छर भाग जाते हैं।

     *तुलसी के पत्तों से मच्छर भागने का उपाय*

अगर आप सोते समय तुलसी के पत्तों का रस शरीर पर लगायें तो इसके लगाने पर आपको मच्छर नहीं काटेंगे।

   *लौंग के तेल से मच्छर भागने का उपाय*

अगर नारियल तेल में लौंग का तेल मिलाकर त्वचा पर लगाया जाय तो इसके लगाने से मच्छर पास नहीं आते है ।

   *गेंदे के फूल से मच्छर भागने का उपाय*

घर के चारों तरफ गेंदे के फूल लगायें। इसके लगाने से मच्छर फुर्र हो जाएंगे।

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 *खिचड़ी सिर्फ मरीजों का खाना नहीं, फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे* 
 

1)  दाल, चावल, सब्ज‍ियों और मसालों से तैयार की गई खिचड़ी काफी स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर होती है, जो शरीर को ऊर्जा और पोषण देती है। इसके माध्यम से एक साथ सभी पोषक तत्व प्राप्त किए जा सकते हैं।  
 
2)  पाचन क्षमता कमजोर होने पर भी यह आहार आसानी से पच जाता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है, इसलिए बीमारी में मरीजों को इसे खिलाया जाता है, क्यों उस वक्त पाचन शक्ति कमजोर होती है।

3)  महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान अक्सर कब्ज या अपच की स्थिति बनती है, ऐसे में खिचड़ी खाना फायदेमंद होता है और आरामदायक भी। इसे खाने के बाद पेट में अतिरिक्त भारीपन नहीं लगता और जल्दी पाचन भी हो जाता है।
 
4)  जब खाना बनाने का समय और मूड न हो, ऐसे में खिचड़ी एक आसान तरीका है, जो जल्दी बन जाती है और स्वादिष्ट भी होती है। इसमें आप विभिन्न दाल, मूंगफली और अन्य सामग्री के साथ बनाकर नयापन भी ला सकते हैं। 
 
5)  घी, दही, नींबू या अचार के साथ अलग-अलग फायदे भी देती है, जैसे घी डालकर खाने से शक्ति भी मिलती है और प्राकृतिक चिकनाई भी, दही के साथ यह कई गुना फायदेमंद होती है और नींबू से विटामिन सी के साथ अन्य फायदे देती है।

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[4/18, 8:05 AM] +91 94140 24109: *सेंधा नमक*
*सेंधा नमक खाइये और स्वस्थ रहिए...*
*सेंधा नमक कितना फायदेमंद है जानिए –*

*● प्राकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है।*

*● इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे, पर यह एक हकीकत है।*

*● नमक विशेषज्ञ का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक और जहर के समान है।*

*● समुद्री नमक तो अपने आप मे बहुत खतरनाक है लेकिन उसमे आयोडिन नमक मिलाकर उसे और जहरीला बना दिया जाता है, आयोडिन की शरीर मे मे अधिक मात्र जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग हो जाना मामूली बात है।*

*● उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है।*

*● आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।*

*● आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप, डाइबिटीज़, लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय रहता है।*

*● इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है।*

*● इसकी शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है।*

*● ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था।*

*● सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।*

*● भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है, उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।*

*● यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है। सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है।*

*● यह हृदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है। इससे पाचक रस बढ़्ते हैं।*

*● रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है।*

*● यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है।*

*● दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है।*
[4/18, 8:05 AM] +91 94140 24109: *क्या आपको भी आता है बहुत पसीना? तो ऐसे पाएं पसीने की दुर्गंध से छुटकारा* 
 
*1. शरीर के जिन हिस्सों से आपको ज्यादा दुर्गंध आने की समस्या हो, ऐसे में घर से बाहर निकलने से पहले कुछ मिनटों तक उन जगहों पर बर्फ लगाकर रखें। इससे ज्यादा पसीना नहीं आएगा।*

*2. यदि आपके पैरों के तलवों में ज्यादा पसीना आता है, तो एक टब में पानी भरें और उसमें दो चम्मच फिटकरी पाउडर डाल दें। अब इस टब में दो से पांच मिनट अपने पैरों को डुबोकर बैठें।*

*3. जो कपड़े आप पूरा दिन पहनकर बाहर गए हों वे कपड़े धोने के बाद ही अलमारी में रखें।*

*4. ज्यादा समय पहने और बिना धुले कपड़े अलमारी में रखने से उनमें दुर्गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं और यह दुर्गंध दूसरे साफ कपड़ों में भी पहुंच जाती है और आप समझ ही नहीं पाते हैं कि साफ-धुले कपड़ों से अजीब सी गंध क्यों आ रही है?*

*5. इस मौसम में सिंथेटिक कपड़े न पहनें, बल्कि सूती कपड़े ही पहनें। ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर से चिपके हुए न हों, क्योंकि तंग कपड़ों में ज्यादा पसीना आता है और इससे हवा पास नहीं हो पाती, जिससे दुर्गंध आती है।*

*6. शरीर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, जरुरत पड़े तो दिन में दो बार भी नहा लें।*

*7. नहाने के लिए नीम या एंटी-बैक्टीरियल साबुन का इस्तेमाल करें।*

*8. तली-भुनी व मसालायुक्त चीजें इस मौसम में खाने से बचें।*
[4/18, 8:06 AM] +91 94140 24109: ☀️


*धारावाहिक लेख:-अक्षयतृतया/परशुराम जंयती, 22.04.2023, भाग-1*

*तृतीया तिथि प्रारंभ:- 22 अप्रैल 07:59 बजे*
*तृतीया तिथि समाप्त:- 23 अप्रैल 07:47 बजे*


*अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त:-7:59 am से 12:20 pm तक*

अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 दिन शनिवार
अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 07:59 से दोपहर 12:20 तक है. पूजा की कुल अवधि 4 घंटे 31 मिनट होगी।
अक्षय तृतीया पर स्वर्ण इत्यादि खरीदने का समय 22 अप्रैल 2023 को सुबह 07 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 23 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।


प्रति वर्ष वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में जब सूर्य और चन्द्रमा अपने उच्च प्रभाव में होते हैं, और जब उनका तेज सर्वोच्च होता है, उस तिथि को हिन्दू पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ माना जाता है।  इस तिथि को अत्यंत शुभ तिथि ‘अक्षय तृतीया’ को ‘आखा तीज’ भी कहा जाता है । वर्ष 2023 मे अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका सुखद परिणाम मिलता है। 

अक्षय शब्द का अर्थ होता है ‘जिसका कभी क्षय न हो या जिसका कभी नाश न हो’। हिन्दु धर्म ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन यदि कोई भी व्यक्ति दान-पुण्य, स्नान, यज्ञ, जप आदि जैसे शुभ कर्म करता है, तो इससे मिलने वाले शुभ फलों का कभी भी क्षय अर्थात कमी नहीं होती। 

इसके अतिरिक्त ऐसी भी मान्यता है कि 'अक्षय तृतीया' के दिन विशेष तौर पर सोना अथवा सोने के गहने खरीदने से व्यक्ति के जीवन पर माँ लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि तथा वैभव का आर्शीवाद जीवन भर बना रहता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है।


*अक्षय तृतया का महत्व:-*
1. पुराणो के अनुसार इस अक्षय तृतीया तिथि को भगवान विष्णु जी के 24 अवतारो मे से निम्नलिखित तीन अवतार धरती पर अवतरित हुए थे । 

क. भगवान परशुराम 
ख. नर नारायण.
ग. हयग्रीव अवतार 

इस दिन भगवान के इन तीनो अवतारो की जयंतियो को मानकर इस दिन को उत्सव के रुप मे मनाया जाता है।

2. इसी दिन चारो युगो मे से दुसरे युग त्रेता युग की शुरुआत हुई थी । इसी कारण से इस तिथि को युगादि तिथि भी क्हा जाता है ।

3. तीथ्र स्थल भगवान बद्रीनाथ के पट भी इसी पावन अक्षय तृृतया के दिन ही खोले जाते है, अर्थात आज के दिन से उत्तराखंड के चार धाम यात्रा शुरू होती हैं। (चार धाम- यमनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ)

4. वृृदांवन के बांके बिहारी जी के चरण दर्शन भी केवल अक्षय तृृतया को ही होते है ।

5. ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अविर्भाव अर्थात  उदीयमान भी इसी दिन हुआ ।

6. वेद व्यास एवं श्रीगणेश द्वारा महाभारत ग्रन्थ के लेखन का प्रारंभ भी इसीलिए दिन हुआ माना जाता है ।

7. महाभारत के युद्ध का समापन तथा द्वापर युग का समापन भी अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ माना जाता है ।

8. भविष्य पुराण के अनुसार वैशााख शुक्ल तृृतया की रात्रि के प्रथम पहर मे ही भगवान परशुरामजी के अंशावतार का जन्म हुआ था।

9. देवताओ के कोषाध्यक्ष कुबेर को खजाना भी अक्षय तृतीय के दिन ही मिला था।

10. सूर्य भगवान ने पांडवों को अक्षय पात्र भी आज ही के दिन दिया था।

11. अक्षय तृतीय के दिन ही प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।

12. जगन्नाथ भगवान के सभी रथों को बनाना प्रारम्भ किया जाता है।

13. आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र की रचना भी आज के दिन ही की थी।


*अक्षय तृतीया के दिन किए जाने वाले शुभ कार्य:-*
1.हिन्दू धर्म शास्त्रों मे अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में महत्व माना गया है। इस दिन बिना पंचांग देखे शुभ कार्य किया जा सकता है। इसमे सभी शुभ कार्यो के अलावा विवाह, नया सामान खरीदना, नये वस्त्र, आभूषण, गृृहप्रवेश, पदभार ग्रहण, वाहन खरीदना, भूमिपूजन, तथा नया व्यापार शुरु करना शुभ माना जाता है।

2. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन पितरों को किया गया तर्पण और पिंडदान फलदायक होती है। वह पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है।

3. जौ, गेहूँ, चने, सत्तू, दही-चावल, दूध से बने पदार्थ आदि सामग्री का दान अपने पितरों (पूर्वजों) के नाम से करके किसी ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए

4. इस दिन गंगा स्नान करने का भी बड़ा भारी माहात्म्य बताया गया है। जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, वह निश्चय ही सारे पापों से मुक्त हो जाता है।


*अक्षय तृतया को दिए जाने वाले दान:-*
1. गीष्म ऋतु मे खाने पीने, पहनने तथा गर्मी से राहत देने वाली वस्तुओ का दान करना चाहिए जैसे ठण्डाई, शरबत, हलके रंगो के वस्त्र, फल इत्यादि 

2. स्वर्गीय पितृरो की प्रसन्नता हेतू छाता, चप्पल, सत्तू, ककडी, खरबूजा, तरबूज, शरबत, इत्यादि सुयोग्य पात्र को दान करे।


*अक्षय तृतीया पर व्यक्ति विशेष को करने के उपायः-*
1. गर्भवती स्त्रियाॅ अच्छे प्रसव व अच्छी संतान के लिए अपने वजन के बराबर सात अनाज जैसे गेंहू, चावल, चने की दाल, काबुली चने, काले उडद, तथा हरे मूंग का दान करे ।

2. जिन स्त्रियो को संतान हानि अथवा गर्भस्थापना न हो रही हो वह अपने वजन के बराबर चावल, मूंग, नमक, धी, गुड तथा इमली का दान करे ।

3. विवाह की इच्छा तथा सुयोग्य जीवनसाथी की इच्छा रखने वालो को खडे मसालो को दान करना चाहिए।

4. व्यापार मे हानि रोकने तथा व्यापार वृृद्धि के लिए धातु की बाल्टी मे वजन के बराबर गेंहू, चावल, चंदनचूरा, चीनी तथा छोटी इलायची का दान करे।

5. पितृृ दोष अथवा पितर शान्ति हेतू जूता, चप्पल, छाता, चीनी, षर्बत, सत्तू, ककडी, इत्यादि का दान करे ।

6. शारीरिक कष्टो से निवारण हेतु व्यक्तियो वजन के बराबर सात अनाज दान करे।

7. सेना, पुलिस, जज, वकील, या जिन पर कोर्टकेस या विभागीय कार्यवाही का डर हो वह लोग रसीले फलो तथा सात साबुत मसालो का दान करे ।

8. नशामुक्ति, बुरी लतो से छुटकारे के लिए वस्त्रो, जूतो, छाता तथा बिस्तर का दान करे ।

विशेषः- संक्षेप मे सभी व्यक्तियो को वजन के बराबर गेंहू, अन्न, चीनी, चावल, छाता, जूते, शर्बत का दान सुयोग्य पात्र को करना चाहिए, इस दिन किए गए दान पुण्य के अनंत तथा अक्षय फल प्राप्त होते है ।


*अक्षयतृतया की पूजा विधिः-*
1. अक्षय तृतीया के दिन प्रातः काल समुद्र, पवित्र नदी, सरोवर या गंगा स्नान करना चाहिए।

2. लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उसपर  भगवान विष्णु जी के साथ लक्ष्मी जी के सुंदर चित्र को स्थापित कर यथाविधि षोडषोपचार से पूजन करे उन्हे गंगाजल तथा पंचामृृत से स्नान करवाये। 

3. तत्पश्चात सुगिन्धत पुष्पमाला पहनाये और फिर चंदन से लेप करे। 

4. तदोपरान्त भगवान जी को नैवेद्य भोग लगाया जाता है।
नैवेद्य मे नर-नारायण के निमित सेके हुए जौ या गेंहू के सत्तू भोग लगाये जाते हैं।
परशुरामजी के निमित्त कोमल ककडी।
हयग्रीव जी के निमित भीगी हुई चने की दाल का प्रयोग करे। 

5. यदि संभव हो तो इस दिन उपवास करे।

6. कुलाचार या लोकाचार के अनुसार कई स्थानो पर बिना नमक के मूंग-चावल की खिचडी भी बनाई जाती है, इस दिन पापड सेकना वर्जित  है, तथा पक्की रसोई भी नही बनाई जाती ।

7. श्राद्धः- इस प्रकार पूजा के उपरांत स्नान दान आदि कार्यो के साथ जो मनुष्य अपने पूर्वजो का श्राद्ध करता है, तो उसके पितरो को मोक्ष प्राप्त होता है, तथा वह मनुष्य विष्णुजी के अविनाशी पद को प्राप्त करता है, ऐसा स्वंय विष्णुजी ने राजा पुरुयष को कहा था । अर्थात अन्य कार्यो के साथ इस दिन श्राद्ध भी अवष्य करे।


*अक्षय तृतीया कथा:-*
हिन्दू पुराणों के अनुसार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से अक्षय तृतीया का महत्व जानने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की थी। तब भगवान श्री कृष्ण ने उनको बताया कि यह परम पुण्यमयी तिथि है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम (यज्ञ), स्वाध्याय, पितृ-तर्पण, और दानादि करने वाला व्यक्ति अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।
प्राचीन काल में एक गरीब, सदाचारी तथा देवताओं में श्रद्धा रखने वाला वैश्य रहता था। वह गरीब होने के कारण बड़ा व्याकुल रहता था। उसे किसी ने इस व्रत को करने की सलाह दी। उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान कर विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की व दान दिया। यही वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया को पूजा व दान के प्रभाव से वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। यह सब अक्षय तृतीया का ही पुण्य प्रभाव था।

*(क्रमशः)*
*लेख के द्वितीय तथा अंतिम भाग मे कल परशुराम जयंती।*
__________________________

*आगामी लेख:-*
*1. 16 मार्च के पंचांग मे "अक्षय तृतीया" पर लेख।*
*2. 17 मार्च के पंचांग मे "परशुराम जयंती।" पर लेख।*
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*जय श्री राम*
*आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹*
*रविवार,16.04.2023*
*श्री संवत 2080*
*शक संवत् 1945*
*सूर्य अयन- उत्तरायन, उत्तर गोल*
*ऋतुः- वसन्त-गीष्म ऋतुः।*
*मास- वैशाख मास।*
*पक्ष- कृष्ण पक्ष ।*
*तिथि- एकादशी तिथि 6:14 pm तक*
*चंद्रराशि- चंद्र कुंभ राशि मे।*
*नक्षत्र- शतभिषा नक्षत्र, 17 अप्रैल 4:07 am तक*
*योग- शुक्ल योग 17 अप्रैल 12:13 am तक (शुभ है)*
*करण- बव करण 7:29 am तक* 
*सूर्योदय- 5:55 am, सूर्यास्त 6:47 pm*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:55 am से 12:47 pm*
*राहुकाल- 5:11 pm से 6:47 pm* (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )*
*दिशाशूल- पश्चिम दिशा।*

*अप्रैल शुभ दिन:-* 16, 17 (दोपहर 4 तक), 21, 22, 23, 24 (सवेरे 8 उपरांत), 25, 26, 27 (दोपहर 2 तक), 28, 29, 30.

*अप्रैल अशुभ दिन:-* 18, 19, 20.

*पंचक प्रारंभ:- 15 अप्रैल 6:44 pm से 19 अप्रैल 11:53 pm तक*  पंचक नक्षत्रों  मे निम्नलिखित काम नही करने चाहिए, 1.छत बनाना या स्तंभ बनाना (lantern  or Pillar) 2.लकडी  या  तिनके तोड़ना , 3.चूल्हा लेना या बनाना, 4. दाह संस्कार करना (cremation) 5.पंलग चारपाई, खाट , चटाई  बुनना  या बनाना 6.बैठक का सोफा या गद्दियाँ बनाना । 7 लकड़ी ,तांबा ,पीतल को जमा करना ।(इन कामो के सिवा अन्य सभी शुभ काम पंचको मे किए जा सकते है।
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*              
16 अप्रै०- वरुथिनी एकादशी। 17 अप्रै०- प्रदोष व्रत। 18 अप्रै०- मासिक शिवरात्रि। 20 अप्रै०- वैशाख अमावस्या। 22 अप्रै०- अक्षय तृतीया/परशुराम जयंती। 26 अप्रै०- गंगा जयंती। 28 अप्रै०- बगलामुखी जयंती।
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*विशेष:- जो व्यक्ति दिल्ली से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य राजेश (रोहिणी, दिल्ली)*
*9810449333, 7982803848*
[4/18, 8:08 AM] +91 94140 24109: *मुलतानी मिट्टी (Multani Mitti)*

*मुलतानी मिट्टी से स्नान करने पर रोमकूप खुल जाते हैं । मुलतानी मिट्टी से रगड़कर स्नान करने से जो लाभ होते हैं उनका एक प्रतिशत लाभ भी साबुन से स्नान करने से नहीं होता । बाजार में उपलब्ध साबुन में चर्बी, सोडा-क्षार और कई जहरीले रसायनों का मिश्रण होता है जो त्वचा व रोमकूपों पर हानिकारक प्रभाव छोड़ते हैं । स्फूर्ति और आरोग्यता चाहने वालों को साबुन के प्रयोग से बचकर मुलतानी मिट्टी से नहाना चाहिए ।*
 
*मुलतानी मिट्टी या उसमें नींबू, बेसन, दही अथवा छाछ आदि मिलाकर शरीर पर थोड़ी देर लगाये रखें तो गर्मी व पित्तदोष से होने वाली तमाम बीमारियों को यह सोख लेता है । यह घोल लगाने से थोड़ा समय पहले बनाकर रखा जाय ।*
 
*अपने वेद और पुराणों से लाभ उठाकर जापानी लोग मुलतानी मिट्टी मिश्रित घोल में आधा घंटा टब बाथ करते हैं, जिससे उनके त्वचा व पित्त सम्बन्धी काफी रोग ठीक हुए हैं । आप भी यह प्रयोग करके स्फूर्ति और स्वास्थ्य का लाभ ले सकते हैं ।*
 
*यदि मुलतानी मिट्टी का घोल बनाकर शरीर पर लेप कर दिया जाय तथा 5-10 मिनट बाद रगड़कर नहाया जाय तो आशातीत लाभ होते हैं ।*
 
*आप सभी साबुन का प्रयोग छोड़कर मुलतानी मिट्टी से स्नान करें और प्रत्यक्ष लाभ का अनुभव करें ।*
[4/18, 8:08 AM] +91 94140 24109: .
 *काले अंगूर के आश्चर्यजनक फायदे, खराब कोलेस्ट्रोल को करेगा खत्म* 
 
काले अंगूर अल्जाइमर के मरीजों के लिए फायदेमंद है। इसमें मौजूद रेसवेराट्रोल नामक तत्व अल्जाइमर से लड़ने में बेहद प्रभावकार है, साथ ही यह न्यूरो डि-जनरेटिव डिसीज में भी काफी फायदेमंद होता है।
 
कैंसर से बचाव के लिए काले अंगूर फायदेमंद है। खास तौर से त्वचा के कैंसर से बचने के लिए इसका सेवन बेहद प्रभावी तरीका है।
 
अगर आप वजन बढ़ने की समस्या से परेशान हैं, तो काले अंगूर का सेवन आपकी यह समस्या हल कर सकता है। यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण को रोकता है और मोटापे के अलावा अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचाता है।
 
शरीर में यूरि‍क एसिड का स्तर अधि‍क होने पर काले अंगूर का सेवन फायदेमंद होगा। यह शरीर में यूरिक एसिड के बढ़े हुए स्तर को कम करता है जिससे किडनी पर भार नहीं बढ़ता और किडनी भी स्वस्थ रहती है।
 
काले अंगूर में फ्लेवेनॉइड्स के अलावा ऐसे कई तत्व मौजूद हैं जो हृदय रोगों से लड़ने में मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हार्ट अटैक, रक्त का थक्का जमना और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं से लड़ने में सक्रिय भूमिका निभाता है।

काले अंगूर का सेवन मोटापा कम करने के लिए एक अच्छा विकल्प है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और डायट्री फाइबर मौजूद हैं, जो वजन कम करने में आपकी सहायता करते हैं।
 
      *बोलो श्री राधे राधे*
🌹💐🌹🙏 🙏🌹💐🌹 
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[4/18, 8:08 AM] +91 94140 24109: .
          *समोसा धीमा जहर है....*


हार्टब्लॉकेज, शुगर, हाई बीपी, गैस, कब्ज, अपच, आदि अनेक व्याधियों का जनक केवल समोसा है।

समोसा सबसे घातक खाद्य पदार्थ है, जो मनुष्य के शरीर में धीमे जहर का काम कर रहा है।

समोसा बनाने में प्रयुक्त मटेरियल ही इसको जानलेवा बना रहा रहा है।

चिकित्सा जगत में सफेद जहर कहे जाने वाले तीन पदार्थ 1. मैदा, 2. नमक, 3. आलू, इन तीनों का मिश्रण ही इसे बीमारियों का जनक बना रहा उक्त तीनों वस्तुओं के अलावा कई बार उबाले गए तेल में धीमी आंच पर तलने से समोसा एक सम्पूर्ण धीमे जहर के रूप में परिवर्तित हो जाता है।

एक बार खाद्य तेल के प्रयोग के बाद दोबारा उपयोग करने से कैंसर जैसी बीमारी का खतरा रहता है। तेल को बार-बार गर्म करने से धीरे-धीरे फ्री रेडिकल्स बनने से एंटी आक्सीडेंट की मात्रा खत्म होने लगती है। इसमें खतरनाक कीटाणु जन्म लेने लगते हैं, जो खाने के साथ चिपक कर हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे बॉडी में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी तेजी से बढ़ जाती है।

खाद्य तेल को तीन बार से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और टीपीसी 25 फीसदी से ज्यादा होने पर खाद्य तेल खाने योग्य नहीं होता।

एक ही तेल को बार-बार गर्म करते हैं तो एल्डिहाइड व जहरीले तत्व बनने लगते हैं। जिससे शरीर में सूजन आने पर इम्युनिटी कमजोर और संक्रमण की चपेट में आ सकता है।

*कोलेस्ट्राॅल*
तेल काला व गाढ़ा होने से धुआं निकलता है। तेल के खाद्य पदार्थों के खाने से स्ट्राक और सीने में दर्द रहता है।

*एसिडिटी*
खाना पकाने के तेल को दोबारा गर्म करने से पेट और गले में जलन का खतरा।

*दिल पर खतरा*
रियूजेबल ऑयल के इस्तेमाल से मोटापा-वजन बढ़ना, दिल की बीमारी।

आपको बता दें कि चीन और यूरोपियन देशों में मैदा पूरी तरह से बैन है।

ज्यादा मैदा खाने वालों का वजन बढ़ना शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं इससे कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल और खून में ट्राइग्‍लीसराइड भी बढ़ता है। साथ ही सांस लेने में भी परेशानी होने लगती है। यदि आप भी इन समस्याओं से जूझ रहे हैं तो अपने खाने से मैदा हमेशा के लिये हटा दें।

मैदा खाने वालों का पेट अक्सर खराब रहता है। इसमें बिल्‍कुल भी फाइबर नहीं होता, जिससे कब्‍ज की शिकायत बनी रहती है। साथ ही पेट भी फूलता रहता है।

मैदे में ज्यादा मात्रा में ग्‍लूटन होता है, जो फूड एलर्जी पैदा करता है। मैदा पेट में जाकर फूलने लगता है। जिससे भूख लगना कम हो जाती है। वहीं गेंहू के आटे में ढेर सारा फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है।

मैदा बनाते समय उसमें से प्रोटीन निकल जाता है। इससे यह एसिडिक बन जाता है। जो हड्डियों से कैल्‍शियम खींच लेता है। इसलिए ज्यादा मैदा खाने वालों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

रोज-रोज मैदा खाने से शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। इससे बार-बार बीमार होने की संभावना बढ़ने लगती है।

मैदा खाने से शुगर लेवल बढ़ जाता है क्‍योंकि इसमें बहुत ज्‍यादा हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्‍स होता है। अगर आप बहुत ज्‍यादा मैदे खाते हैं तो अग्न्याशय की फिक्र करना शुरु कर दें। अगर आपने ध्यान नहीं दिया तो शरीर में इंसुलिन कम बनेगा और आप मधुमेह की चपेट में आ जाएंगे।

समोसे एक तला हुआ खाद्य पदार्थ है, जिसमें ट्रांस फैट्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। ये फैट कोलेस्ट्रॉल बढ़ाकर नसों को जाम कर सकता है। 

फ्राइड फूड का सेवन करने वालों को टाइप-2 डायबिटीज हो सकती है। यह फूड ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा देता है और खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है।

समौसा नसों पर बहुत बुरा असर डालता है, जिससे दिल पर प्रेशर बढ़ने लगता है। यह स्थिति हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर का कारण बन सकती है।

ब्लड प्रेशर हाई रहने से दिल के साथ दिमाग और किडनी के डैमेज होने का खतरा बना रहता है।  समोसे जैसा हाई फ्राइड फूड खाने से हाइपरटेंशन की बीमारी बनती है।

आलू के अंदर Acrylamide नाम का कंपाउंड होता है, जो लंबे समय तक ज्यादा तापमान में तलने से जहरीला बन जाता है। एनसीबीआई पर मौजूद रिसर्च के मुताबिक, यह कंपाउंड कई सारे कैंसर का कारण बन सकता है।

शायद इतना बताने के बाद आप लोगों को समझ में आ गया होगा कि समोसा क्यों नहीं खाना चाहिए।

फिर भी अगर मेरी बात आप लोगों को समझ में ना आती हो तो ठूस ठूस कर खाओ और हॉस्पिटल जाओ।
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[4/18, 8:10 AM] +91 94140 24109: 🍎🍎🍎🍎🍎🍎🍎🍎
*रेसिपी आयुर्वेदिक ग्रुप*
*रविवारिय स्पेशल में बनाइये*
🍎🍎🍎🍎🍎🍎🍎🍎

       *पपीता के परांठे*

*कच्चे पपीते की चटनी इत्यादि तो हम सब खाते ही हैं. कच्चे पपीते के परांठे  भी बहुत ही स्वादिष्ट बनते हैं. आइये आज शाम के खाने में कच्चे पपीते से परांठे बनायें.*

*लौकी ओर पपीते के गुणो से हम सभी अच्छे  से परिचित है इसलिए*

*आज हम डिनर मे बनायेगे  दही वाली लौकी+पपीते के परांठे*

*आवश्यक सामग्री*

*कच्चा पपीता - 1 (500 ग्राम वजन का)*

*गेहूं का आटा - 2 कप ( 400 ग्राम )*

*तेल - 2 छोटी चम्मच*

*जीरा - आधा छोटी चम्मच*

*हरी मिर्च - 1-2 (बारीक कतर लीजिये)*

*अदरक - एक इंच लम्बा टुकड़ा (कद्दू कस कर लीजिये)*

*हरा धनियां- एक टेबल स्पून*

*नमक - स्वादानुसार*

                *विधि*

*पपीता को धोइये, चार टुकड़ों में काटिये, बीज निकाल दीजिये, छीलिये, और एक बार फिर से धो लीजिये.   इन पपीते के टुकड़ों को कद्दूकस कर लीजिये.*

*कढ़ाई में तेल डालकर गरम कर लीजिये, जीरा डालकर कड़का लीजिये, हरी मिर्च और अदरक डाल दीजिये, थोड़ा सा भूनिये. कद्दूकस किया हुआ पपीता डालिये, नमक डालकर पपीता को मसाले में चमचे की सहायता से अच्छी तरह मिलाइये. 3-4 मिनिट पका लीजिये और बीच बीच में चमचे से चलाते भी रहिये ताकि पपीता कढ़ाई में ना लगे. परांठे बनाने के लिये पपीता तैयार है.*

*ये परांठे 2 प्रकार से बनाये जाते हैं. कद्दूकर किये हुय पपीते को परांठे के अन्दर भरकर एवं पपीते को आटे में गूंथकर*

*पपीता के भरवां परांठे*

*पपीता के भरवां परांठे  के लिये आटा गूथ कर तैयार कर लीजिये.  आटा सादा तरीके से (किसी बर्तन में आटा छानिये, आधा छोटी चम्मच नमक डालिये और 2 छोटे चम्मच तेल डालिये, आटे की मात्रा का आधा पानी आटे लगाने के लिये पर्याप्त रहता है, इस तरह पानी डाल कर मुलायम आटा लगाकर तैयार कर लीजिये) गूथे हुये आटे को 20 मिनिट के लिये ढककर रख दीजिये. परांठे बनाने के लिये आटा तैयार है.*

*तैयार आटे से थोड़ा सा आटा तोड़िये, गोल कीजिये, परोथन(सूखा आटा) लगाकर 3-4 इंच के व्यास में गोल बेल लीजिये. पपीते के मिश्रण से एक टेबल स्पून मिश्रण लीजिये और बेले गये परांठे के ऊपर रखिये.  परांठे को चारों ओर से उठाइये, मिश्रण को बन्द करके अपने हाथ से दबाकर गोल लोई तैयार कर लीजिये.  इस लोई को परोथन लगाइये और थोड़ा सा हाथ से बड़ा लीजिये. अब हल्का दबाब देते हुये परांठे को 6 -7 इंच के व्यास में बेल लिजिये.*

*तवा गरम कीजिये तवे पर थोड़ा सा तेल चुपड़िये.  बेले गये परांठे को गरम तवा पर डालिये और तेल लगाकर परांठे को दोनों ओर से ब्राउन होने तक सेक लीजिये.  इसी तरीके से दूसरा परांठा बनाइये और सारे परांठे इसी तरीके से तैयार करने हैं.*

*पपीता के मिश्रण को आटे में गूथ कर* 

*इस तरह से परांठे बनाने के लिये, आटा किसी बर्तन में छान कर निकाल लीजिये.  आटे में स्वादानुसार नमक और पपीता का मिश्रण मिलाइये.  पानी की सहायता से नरम आटा गूथ लीजिये.  गुथे आटे को 20 मिनिट के लिये ढककर रख दीजिये.*

*तैयार आटे से थोड़ा सा आटा तोड़िये, गोल कीजिये, परोथन(सूखा आटा) लगाकर 3-4 इंच के व्यास में गोल बेल लीजिये. बेले गये परांठे के ऊपर थोड़ा सा तेल लगाइये और परांठे को चारों ओर से उठाइये, बन्द करके अपने हाथ से दबाकर गोल लोई तैयार कर लीजिये. इस लोई को परोथन लगाइये और थोड़ा सा हाथ से बड़ा लीजिये अब फिर से परोथन लगाइये और हल्का दबाब देते हुये परांठे को 6 -7 इंच के व्यास में बेल लिजिये.*

*तवा गरम कीजिये, बेले गये परांठे को गरम तवा पर डालिये और तेल या घी लगाकर परांठे को दोनों ओर से ब्राउन होने तक सेक लीजिये.  इसी तरीके से दूसरा परांठा बनाइये और सारे परांठे इसी तरीके से तैयार करने हैं.*

*गरमा गरमा पपीता के परांठे (Papaya Paratha) सीधे तवा से उतार कर खाने वाले की थाली में रखिये तब ये पपीता परांठे और अधिक स्वादिष्ट लगते हैं.*

*गरमा गरम पपीते के परांठे, दही, चटनी, अचार और मन पसन्द सब्जी के साथ परोसिये और खाइये.*
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*रेसिपी आयुर्वेदिक ग्रुप*
*महिलाओं की पहली पसंद*
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[4/18, 8:11 AM] +91 94143 77567: 🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻

*🌺🌻दूसरों के धार्मिक विश्वासों का सम्मान करें।*

 *🌺साइंटोलॉजी इंडिया🌺*
 
🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻

 *🌺🌻सहिष्णुता एक अच्छी आधारशिला है जिस पर मानवीय संबंधों का निर्माण किया जा सकता है।  जब कोई मनुष्य के पूरे इतिहास और आधुनिक समय में धार्मिक असहिष्णुता के कारण होने वाले वध और पीड़ा को देखता है, तो वह देख सकता है कि असहिष्णुता एक बहुत ही गैर-जीवित रहने वाली गतिविधि है।*

 *🌺🌻धार्मिक सहिष्णुता का मतलब यह नहीं है कि कोई अपनी मान्यताओं को व्यक्त नहीं कर सकता।  इसका मतलब यह है कि दूसरे के धार्मिक विश्वास और विश्वासों को कमजोर करने या उन पर हमला करने की कोशिश करना हमेशा परेशानी का एक छोटा रास्ता रहा है।*

 *🌺🌻प्राचीन यूनान के समय से ही दार्शनिकों ने ईश्वर, मनुष्य और ब्रह्मांड की प्रकृति के बारे में आपस में विवाद किया है।  अधिकारियों की राय में उतार-चढ़ाव होता है: अभी-अभी "तंत्र" और "भौतिकवाद" के दर्शन - प्राचीन मिस्र और ग्रीस के रूप में डेटिंग - सनक हैं: वे यह दावा करना चाहते हैं कि सब कुछ मामला है और उनकी व्याख्या के रूप में साफ-सुथरा है।  हो सकता है, वे अभी भी अतिरिक्त कारकों से इंकार नहीं करते हैं जो काम पर हो सकते हैं, जो कि केवल विकास जैसी चीजों का उपयोग कर सकते हैं।  वे आज "आधिकारिक" दर्शन हैं और स्कूलों में भी पढ़ाए जाते हैं।*

 *🌺🌻उनके पास अपने स्वयं के उत्साही लोग हैं जो दूसरों के विश्वासों और धर्मों पर हमला करते हैं: परिणाम असहिष्णुता और विवाद हो सकता है।*

 *🌺🌻यदि पाँचवीं शताब्दी ई. पू.  या पहले कभी भी धर्म या धर्म-विरोध के विषय पर सहमत नहीं हो पाए हैं, यह लोगों के बीच लड़ाई का एक अखाड़ा है जिससे दूर रहना ही अच्छा होगा।*

 *🌺🌻विवाद के इस समुद्र में, एक उज्ज्वल सिद्धांत उभरा है: विश्वास करने का अधिकार जैसा कोई चुनता है।*
 *🌻🌺"विश्वास" और "विश्वास" आवश्यक रूप से तर्क के सामने आत्मसमर्पण नहीं करते हैं: उन्हें अतार्किक घोषित भी नहीं किया जा सकता है।  वे काफी अलग चीजें हो सकती हैं।*

 *🌺🌻कोई भी सलाह जो कोई इस विषय पर दूसरे को दे सकता है वह सबसे सुरक्षित है जब यह विश्वास करने के अधिकार का दावा करता है जैसा कि कोई चुनता है।  स्वीकृति के लिए अपने स्वयं के विश्वासों को धारण करने की स्वतंत्रता है।  किसी को जोखिम तब होता है जब वह दूसरों के विश्वासों पर हमला करना चाहता है, और भी अधिक जब वह उन पर हमला करता है और उनकी धार्मिक मान्यताओं के कारण उन्हें नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है।*

 *🌺🌻मनुष्य, प्रजातियों की शुरुआत के बाद से, अपने धर्मों में बहुत आराम और आनंद लेता है।  यहां तक ​​कि आज के "यंत्रवादी" और "भौतिकवादी" भी पुराने समय के पुजारियों की तरह लगते हैं क्योंकि वे अपनी हठधर्मिता फैलाते हैं।*

 *🌺🌻विश्वास के बिना पुरुष बहुत दुखी होते हैं।  उन्हें विश्वास करने के लिए कुछ भी दिया जा सकता है। लेकिन जब उनकी धार्मिक मान्यताएँ हों, तो उनका सम्मान करें।*

 *🌻🌺खुशी का मार्ग विवादास्पद हो सकता है जब कोई दूसरों के धार्मिक विश्वासों का सम्मान करने में विफल रहता है।*

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[4/18, 8:11 AM] +91 94143 77567: 🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻

*🌺🌻दूसरे धर्मों की आलोचना...*

 *🌺श्री दत्तास्वामी🌺*
 
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 *🌺🌻सभी धर्मों के ईश्वर की सार्वभौमिकता एक ही अकल्पनीय ईश्वर विभिन्न भूमिकाओं में एकल अभिनेता के रूप में मौजूद है (अविभक्तम विभक्तेषु-गीता)।  केवल बाहरी माध्यम ही बदलता है न कि ईश्वर जो सभी मानव अवतारों के लिए सामान्य है।*  

*🌺🌻यह अवधारणा सार्वभौमिक आध्यात्मिकता स्थापित करती है।  यह स्थापित करता है कि सभी विश्व धर्म ईश्वर द्वारा दिए गए हैं क्योंकि संपूर्ण विश्व एक अकल्पनीय ईश्वर द्वारा बनाया और शासित है।  उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है जैसे परब्रह्मण, यहोवा, अल्लाह और इसी तरह।  सभी धर्म अंततः एक ही ईश्वर की ओर ले जाते हैं।  धर्म सीधे या घुमावदार रास्तों पर बहने वाली नदियों की तरह हैं जो अंत में उसी महासागर में विलीन हो जाती हैं।  दूसरे धर्म में परिवर्तित होने की कोई आवश्यकता नहीं है।  कल्पना कीजिए कि सभी घर शहर के केंद्र के चारों ओर एक गोलाकार तरीके से व्यवस्थित हैं।  प्रत्येक घर से सीधे केंद्र तक पहुंचने के लिए सड़क है।  एक घर से दूसरे घर में स्पर्शरेखीय रूप से जाने का कोई मतलब नहीं है।  प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर से केंद्र की ओर रेडियल रूप से अंदर की ओर बढ़ना चाहिए।  व्यक्ति को उस धर्म का पालन करना चाहिए जिसमें वह तब तक जन्म लेता है जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए और आत्मा अकल्पनीय ईश्वर से मिल न जाए।*

 *🌺🌻यदि आप दूसरे धर्मों के प्रति बिना किसी द्वेष के अपने धर्म का पालन करते हैं, तो यह पर्याप्त है।  आश्वस्त रहें कि सभी धर्म एक ही परम अकल्पनीय ईश्वर की ओर ले जाते हैं।  अपना धर्म बदलने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।  आप अपने दोस्तों के पिता को अपने पिता के बराबर मान सकते हैं और उनका सम्मान कर सकते हैं जैसे आप अपने पिता का सम्मान करते हैं।  लेकिन आपको अपने पिता को अस्वीकार करने और अपने मित्र के पिता को अपना पिता कहने की आवश्यकता नहीं है!  यदि आप अपना धर्म बदलते हैं, तो आप दूसरे धर्म की बाहरी संस्कृति को भी अपना लेंगे।  फिर, आपके परिजन और परिजन आपके द्वारा अपनाई गई उस नई बाहरी संस्कृति के खिलाफ विद्रोह करेंगे, क्योंकि वे लंबे समय से अपनी विशिष्ट संस्कृति के आदी हैं।  आपके सगे-संबंधियों का ऐसा प्रतिरोध आपके अलगाव का कारण बनेगा।  तब आप असुरक्षित और भयभीत महसूस करेंगे (पराधर्मो भयावाहः—गीता)।*  

*🌺🌻इसके बजाय, आप अपने धर्म की संस्कृति का पालन कर सकते हैं।  आप उसी अकल्पनीय ईश्वर की पूजा कर सकते हैं जो आपके धर्म द्वारा स्वीकृत रूप में विद्यमान है।  आपकी पूजा आपके अपने धर्म की बाहरी संस्कृति का पालन कर सकती है।  यदि आप ऐसा करते हैं और अंत में मर जाते हैं, तो आपको मोक्ष प्राप्त होगा (स्वधर्मे निदानं श्रेय:-गीता)।*
 
*🌺🌻यदि आप एक अलग रूप में मौजूद और एक अलग संस्कृति का पालन करने वाले अकल्पनीय भगवान की आलोचना नहीं करते हैं तो यह पर्याप्त है।  आपको यह महसूस करना चाहिए कि एक ही अकल्पनीय ईश्वर विभिन्न दिव्य रूपों में मौजूद है जो विभिन्न धर्मों की विशिष्ट संस्कृतियों का पालन करते हैं।  यदि आपने कृष्ण की आलोचना की है, तो आपने जीसस, मोहम्मद और अन्य सभी अवतारों की भी एक साथ आलोचना की है।  कृष्ण, बुद्ध, जीसस, मोहम्मद आदि भले ही उनके बाहरी भौतिक रूपों और उनके बाहरी पहनावे में भिन्न हों, लेकिन उनमें मौजूद अकल्पनीय और सर्वशक्तिमान परम ईश्वर एक और एक ही है।  एक ही दैवी अभिनेता उन सब भिन्न-भिन्न भूमिकाओं में भिन्न-भिन्न वेश धारण करके प्रकट हुआ है।  उन्होंने हर भूमिका में अपना चेहरा अलग दिखाया है, जैसे कि प्लास्टिक सर्जरी द्वारा।  दूसरे धर्म के अवतार की आलोचना करके, आप अपने ही भगवान की आलोचना कर रहे हैं, जो एक अलग भूमिका निभा रहे हैं।*  

*🌺🌻सार्वभौमिक आध्यात्मिकता अन्य धर्मों के लिए आपकी नफरत को दूर करती है।  आपको यह डरने की आवश्यकता नहीं है कि घृणा को दूर करने से, आपके अपने धर्म के प्रति अंतर्निहित प्रेम किसी भी तरह से प्रभावित होगा (पूर्वै: पूर्वतरै: कृतम्-गीता)।*

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[4/18, 8:11 AM] +91 94143 77567: 🕉️🚩🔱🛕🌞🕉️🚩🌞🔱🛕

*🕉️🚩हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि हाथ*

*🌺कौशल सिखौला🌺*

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*🕉️🚩बेहद विचलित भरत ने गुरुवर से पूछा— राम-सीता का विवाह शुभ मुहूर्त में हुआ। राज्याभिषेक का मुहूर्त भी प्रकांड विद्वान त्रिकालदर्शी गुरुजनों ने निकाला। तब राम-जानकी को सिंहासन की बजाय वनवास क्यूं मिला? तमाम शास्त्र विफल कैसे हो गए? तब गुरु वशिष्ठ ने भरत को बैठाया और शांत भाव से मुस्कुराते हुए कहा :-*


*🕉️सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखी कहेहूं मुनिनाथ,*

*🕉️हानि लाभ जीवन मरण, जस अपजस विधि हाथ।*

*🕉️🚩अर्थात‍् जो विधि ने निर्धारित किया वह होकर रहेगा। विधि के लिखे को न शास्त्र बदल सकते हैं, न ज्योतिष, न भाग्य, न वर्तमान। यह सब विधि अर्थात‍‍् विधाता के हाथ है। इस अनादि ब्रह्म के नियंता विधाता ने जो लिख दिया सो लिख दिया। मुहूर्त में भला इतनी शक्ति कहां कि वह विधि का लेख बदल दे। होनी प्रबल है और घटकर रहेगी।*

*🚩🕉️भावी का लिखा मतलब कर्मों का लिखा। करमन की गति न्यारी साधो करमन की गति न्यारी। चाहे लाख करे चतुराई करम का लेख मिटे ना रे भाई। भावी ही थी जिसने संसार के सबसे प्रबल साम्राज्य अयोध्या को सूना कर दिया। सब अकेले-अकेले। राम-सीता वन में अकेले फिर सीता लंका में अकेली। वैधव्य झेलती कौशल्या, सुमित्रा अकेली। अपार पापबोध में घिरीं संत्रास और आत्मधिक्कार सहती कैकेयी अकेली। मंथरा अकेली, उर्मिला अकेली, मांडवी अकेली, श्रुतकीर्ति अकेली। सूनी अयोध्या सूनी जनकपुरी प्रजा अकेली। शोक की छाया तले गुरु अकेले तपस्या अकेली साधना अकेली।*

*🚩🕉️विधि ने जो रचा वह होकर रहेगा। सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र इसी बलवान होनी के चलते डोम बने और पत्नी से पुत्र का शुल्क मांग लिया। शकुंतला दर-दर भटकीं, दुष्यंत सब भूल गए, मायावी कृष्ण को भील के एक बाण ने अंत तक पहुंचा दिया। दशरथ का तीर श्रवण कुमार को लगा। विधि के कारण ही शिव से ली गई सोने की लंका जली। सती की मृत्यु को शिव टाल न पाए, पुत्र दक्ष को ब्रह्मा समझा न पाए और मोहिनी रूप धरकर भी विष्णु ने राक्षस को अमृतपान करा दिया। अपने प्रारब्ध को न कंस टाल पाए, न रावण, न परीक्षित और न रामकृष्ण परमहंस।*

*🚩🕉️शास्त्र गवाह हैं कि मानव अपने जन्म के साथ ही मृत्यु लिखवाकर लाता है। लाभ-हानि, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि के हाथ हैं। विधि परमात्मा के आधीन है। उसके लिखे मिटे न मिटाए। या धरती ही क्या, यह ब्रह्मांड ही क्या, यह संपूर्ण चराचर उस अनंत परमात्मा से बंधा है। वही हमें बनाता है, वही चलाता है, वही मिटाता है। वही लिखता है जिंदगी के पल, बरस और अंत। उस विधाता ने कर्मफल समय को सौंप दिया है।* 

*🚩🕉️गीता में उसने साफ कह दिया—कर्म कर, फल मैं दूंगा। प्रारब्ध और पुरुषार्थ एक-दूसरे से बंधे हैं। गुरु वशिष्ठ ने जो कहा, वह संसार सार है। किसी भी क्षेत्र में हो, विधि-विधान पर भरोसा रखें।*

🚩🛕🌞🕉️🚩🌞🕉️🔱🚩🕉️
[4/18, 8:20 AM] +91 94143 77567: *🌠आज 18 अप्रैल की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ🌠*

    *🇮🇳STAR ASPIRANT'S🇮🇳* 

1612 – मुगल बादशाह शाहजहां ने मुमताज से निकाह किया।
1738 - मैड्रिड में रियल अकादमी डे ला हिस्टोरिया की स्थापना की गयी ("रॉयल अकादमी ऑफ़ हिस्ट्री") । 
1809 - पहली बार 2000 गिनीज डेक के घोड़े की दौड़ इंग्लैंड में हुई। 
 1835  - लॉर्ड मेलबर्न सर रॉबर्ट पील के स्थान पर यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बने। 
1846 – आर.ई.हाउस ने द्वारा टेलीग्राफ टिकर का पेटेंट कराया गया।
1848 - पंजाब में दूसरा आंग्ल-सिख युद्ध समाप्त किया गया।
1859 – वर्ष 1857 विद्रोह के नेता तात्यां तोपे को फांसी दी गयी।
1902 – डेनमार्क पहला देश बना जिसने अपराधियों की पहचान के लिए फिंगरप्रिंट तकनीक को अपनाया।
1906 – सेन फ्रांसिस्को में भूकंप और आग से लगभग 4000 लोगों की मौत हुई।
1917 – महात्मा गांधी ने सत्याग्रह के लिए बिहार के चंपारण का चयन किया और वही से सत्याग्रह की शुरुआत की।
1924 – सिमन एंड शूस्टर की पहली क्रॉसवर्ड पजल बुक प्रकाशित हुई।
1930 – क्रांतिकारी मास्टर दा व इंडियन रिपब्लिकन आर्मी ने चिटगांव शास्त्रागार पर धावा बोला।
1948 – नीदरलैंड के हेग में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का गठन हुआ।
1950 – विनोबा भावे ने आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के पचमपल्ली गाँव से भूदान आंदोलन की शुरुआत की।
1955 – बांडुंग में अफ़्रीकी-एशियाई सम्मेलन का आयोजन किया गया।
1971 – सम्राट अशोक नामक देश का पहला जंबो जेट विमान 747 मुंबई में उतरा।
1980 – जिंबाब्वे ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिलने की घोषणा की।
1991 – केरल भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य घोषित हुआ।
1994 - वेस्टइंडीज के बल्लेबाज़ ब्रायन लारा ने 375 रन बनाकर टेस्ट मैच की एक पारी में सर्वाधिक रन बनाने का विश्व रिकार्ड बनाया।
1996 – काहिरा में अज्ञात हमलावरों ने ग्रीस के 17 टूरिस्टों और उनके स्थानीय गाइड को गोलियों से भून दिया।
1996 – ज़ायोनी शासन की वायु सेना ने दक्षिणी लेबनान के क़ाना गांव में संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना के ठिकाने पर बमबारी की।
2001 - भारतीय सीमा में घुस आई बांग्लादेश की सेना की गोलीबारी से भारत के 16 जवान शहीद।
2002 - 1973 से इटली में निवास कर रहे अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व शासक मोहम्मद जहीर शाह काबुल लौटे।
2005 - भारत मुम्बई स्थित जिन्ना हाउस पाकिस्तान को देने पर सहमत।
2006 - राबिन हुड का शहर नाटिंघम लूटग्रस्त शहर घोषित।
2008 - इंफोसिस टैक्नोलाजी ने विकास एवं मरम्मत सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए अमेरिका की कॉनसेको के साथ पाँच वर्ष के लिए क़रार किया।
2008 - अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने जानलेवा इंजेक्शन के ज़रिये सज़ा-ए-मौत को वैध ठहराया।
2008 – आईपीएल के पहले सीजन का पहला मैच बेंगलुरु में खेला गया था।
2008 - पाकिस्तान ने भारतीय क़ैदी सबरजीत सिंह की फ़ांसी की सज़ा को एक महीने के लिए टाला। 
2008 - भारत और मैक्सिको ने नागरिक उड्डयन व ऊर्जा के क्षेत्र में नये समझौते किए।
2013 – इराक की राजधानी बगदाद में बम धमाकों से 27 की मौत हुई और 65 घायल हुए।
2014 – माउंट एवरेस्ट में आए हिमस्खलन से नेपाल के 12 पर्वतारोहियों की मौत हुई।
2019 - भारत सरकार ने जम्‍मू-कश्‍मीर में नियंत्रण रेखा से होने वाला व्‍यापार स्‍थगित किया।
2019 - बजरंग पूनिया ने कुश्‍ती के 65 किलोग्राम की फ्री स्‍टाइल रैंकिंग में फिर पहला स्‍थान हासिल किया।
2020 - अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआइटीए) खेल मंत्रलय के निर्देश पर आजीवन अध्यक्ष, आजीवन उपाध्यक्ष और आजीवन सलाहकार जैसे मानद पदों को खत्म करने पर सहमत हो गया। 
2020 - कोविड-19 के संदर्भ में ग्रामीण डाक सेवक सहित सभी डाक कर्मचारियों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया गया।
2021 - पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा प्रतिबंधित इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान पर की गई कार्रवाई में संगठन के तीन कार्यकर्ता मारे गए और कई अन्य जख्मी हुए।
2021 - मिस्र में यात्रियों से भरी ट्रेन पटरी से उतरी , 11 लोगों की मौत व 90 से ज्यादा घायल हुए।
2022 - अमेठी में ट्रक और बोलेरो की टक्कर से छह लोगों की मौत व चार की हालत गंभीर हुई।
2022 - रूसी सेना ने यूक्रेन पर एक के बाद एक कई राकेट दागे, मारियोपोल की सड़कों पर लाशें बिछ गयी।
2022 - पाकिस्तान में श्रीलंकाई नागरिक की हत्या के मामले में 6 को मौत की सजा, 7 को उम्रकैद व शेष 67 अन्य संदिग्धों को दो-दो साल की सजा सुनाई।

*18 अप्रैल को जन्मे व्यक्ति👉*

1621 - गुरु तेग बहादुर, सिखों के नवें गुरु थे(21 अप्रैल 1621 का भी वर्णन इसलिए कन्फर्म कर लें)।
1858 - धोंडो केशव कर्वे - आधुनिक भारत का सबसे बड़ा समाज सुधारक और उद्धारक माना जाता है।
1901 - चन्देश्वर प्रसाद नारायण सिंह, भारत के राजनीतिज्ञ थे।
1916 -ललिता पवार, हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री।
1928 - दुलारी - भारतीय सिनेमा की जानीमानी अभिनेत्री थीं।
1961 - पूनम ढिल्लों - बालीवुड अभिनेत्री ।

*18 अप्रैल को हुए निधन👉*

1859 - तात्या टोपे - वीर पुरुष और 'प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम' में भाग लेने वाले प्रमुख व्यक्ति।
1898 - दामोदर हरी चापेकर - भारत के क्रांतिकारी अमर शहीदों में से एक थे।
1916 - जी. सुब्रह्मण्यम अय्यर - भारत के जानेमाने पत्रकार तथा प्रमुख बुद्धिजीवी थे।
1955 - बांडुंग में अफ़्रीकी - एशियाई सम्मेलन; प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टाइन का देहावसान।
1959 - बारीन्द्र कुमार घोष - भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पत्रकार थे।
1972 - पांडुरंग वामन काणे - महान् भारतीय संस्कृतज्ञ और विद्वान् पंडित।
1978 – प्रख्यात लेखक खुशवंत सिंह के पिता शोभा सिंह का निधन हुआ।
1999 - ब्रिटेन की प्रमुख उपन्यासकार, जीवनीकार और सम्पादक मैरी बुलिंस (90) का निधन हुआ।
2003 - सुधाकर पाण्डेय - हिन्दी साहित्य की प्रमुख विधाओं के उत्कृष्ठ लेखक और सुधारक।
2014 - गुरु धनपाल - एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे जो तमिल सिनेमा के लिए काम करते थे।
2021 - कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में अंपायरिंग कर चुकीं पूर्व महिला अंपायर अनुपमा पंचीमांडा का निधन हुआ।
2021 - असम के पूर्व मुख्यमंत्री भूमिधर बर्मन का लगभग 91 वर्ष की उम्र में निधन हुआ।
2021 - कर्नाटक में जाने-माने कन्नड़ लेखक एवं समालोचक प्रोफेसर गंजम वेंकटसुबैया (107) का निधन हुआ। 
2021 - पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री बच्ची सिंह रावत का ऋषिकेश एम्स में उपचार के दौरान निधन हो गया।

*18 अप्रैल के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव👉*

🔅 श्री तात्या टोपे शहीदी दिवस।
🔅 विश्व पुरातत्व ( विरासत /धरोहर ) दिवस।

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