Wednesday 26 April 2023

थायरायड (Thyroid Disorder) का कुदरती इलाज*👉🏿 थायरायड की समस्या1⃣👉🏿 थायरायड की बीमारी2⃣👉🏿 विभिन्न प्रकार के थायरॉइड रोग3⃣👉🏿 थायरायड के रोगों में उपचार विधि 4⃣👉🏿 आसान घरेलू प्रयोग 5⃣👉🏿 योग द्वारा थायरॉइड ग्रंथि के रोगों का उपचार

 *धरती का अमृत नोनी...*
● घर का डॉक्टर सबके लिये नोनी
● एक चमत्कारिक संजीवनी फल
● नोनी बड़े से बड़े रोग के लिए रामबाण
● शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता बूस्टर
● सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद।

मधुमेह, अस्थमा, गठिया, कैंसर, दिल, शीघ्रपतन, नपुंसकता, एड्स जैसी कई बीमारियों के लिये रामबाण।

● जीवन में उमंग और उत्साह बढ़ाये।
● बोटैनिकल नाम मोरिन्डा सिट्रीफोलिया
● औषधि की क्षमता को बेहतर बनाये।

*नोनी के अनेक नाम-*
हॉग एपल, चीज फल, लेड, दर्द निवारक वृक्ष
आच, आक, आल, वेन कट्टपिटलवम,
मद्दी, मोलुगु मुलुगु, उष्ण कटिबंधीय फल,
दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में मिलता है।
● आलू या शरीफा जैसा सफेद, पीले या हरे रंग का होता है।
● अनानास से 40 गुना ज्यादा कैंसर संहारक.!

*नोनी में जेरोनाइन एन्ज़ाइम होता है,*
जेरोनाइन सूक्ष्म जंतुओं, पौधों, जानवरों और इंसानों की कोशिकाओं में मिलता है।

● शरीर की कोशिकायें अपना सही काम करती हैं।
● जेरोनाइन की पर्याप्त मात्रा शरीर में बहुत जरूरी।
● जेरोनाइन हमारे शरीर में प्रोटीनों को उनके कार्यों को करवाने में समर्थ।
● जेरोनाइन, मानवीय कोशिकाओं की भित्तियों के छिद्रों के आकार को बढ़ाये ताकि बढ़ते अवशोषण के लिए पौष्टिक तत्व आसानी से कोशिकाओं में प्रवेश कर सकें, जेरोनाइन की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटे।

*नोनी में व्याप्त प्रभाव-*
● एंटी-बैक्टीरियल
● एंटी-वायरल
● एंटी-फंगल
● एंटी-ट्यूमर
● एंटी-इनफ्लेमेटरी!
● इम्यून बूस्टर.!
● यह पोटेशियम का एक समर्थ स्रोत है।
● इम्यून बूस्टर
● संचार प्रणाली
● पाचन तंत्र
● मेटाबोलिक सिस्टम
टिशूस और कोशिकाओं,
● त्वचा और बालों की रक्षा के लिये
● परिवार के लिए सुरक्षित
सभी उम्र में लाभदायक।
● एंटी एजिंग।

*● फायदे ●*
● जोड़ों के दर्द
● अकड़न
● जोड़ों की गतिहीनता
● सांस की बीमारियों में
● मुहांसे
● एक्जीमा
● सोरियासिस
● ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक
● मधुमेह में कारगर
● हाई बीपी और माइग्रेन
● गंजेपन और बालों की समस्यायें
● कब्ज, बदहजमी, दस्त आदि मेँ लाभदायक
● इम्यून सिस्टम को शक्तिशाली बनाये।

*नोनी की उपयोगिता-*
● गठिया
● जोड़ों की जकड़न
● अकड़न
● दमा-सांस समस्यायें
● त्वचा समस्यायें जैसे खाज, मुंहासे, सोरियासिस एवं रोसासिया।
● पाचन-कब्ज
● दर्द
● अनियमित माहवारी
● इम्पोटेंसी
● मधुमेह
● हाई बीपी
● लो बीपी
● सरदर्द (माइग्रेन)
● संक्रमण एवं वाइरल अटैक

नोनी 150+ पोषक तत्वों से भरपूर एक शक्तिशाली
एंटी-ऑक्सिडेंट आहार पूरक नोनी है।

हमारी स्वयं की बनाई हुई नोनी जूस का प्रयोग करें।
ऐसा फार्मूलेशन अभी तक भारत मे नहीं है जहां 10ml जूस में..
2000mg नोनी
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कीमत
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 *स्त्री स्वास्थ्य और आयुर्वेद का सम्बंध...*
स्त्री-स्वास्थ्य और आयुर्वेद का बहुत गहरा सम्बन्ध रहा है और हो भी सकता है अगर आधुनिक नारियां इसे गंभीरता से लें।

आज कल 99% नारियां बीमार नज़र आ रही हैं और इसके कारण भी बहुत रोचक है।

पुराने वक्त में बुखार, हरारत, सर्दी, खांसी जैसी छोटी-छोटी बीमारियों के लिए अजवाईन का काढा दे दिया जाता था। लोग आराम से पी भी लेते थे नतीजा यह था की लोग लम्बे समय तक शारीरिक क्षमता के अत्यधिक उपयोग के साथ जी भी लेते थे।
*किन्तु आज….*
आज किसी महिला को आप अजवाइन फांकने को या काढा पीने को कहिये तो वह मुंह बना लेती हैं। 

अधिकाँश को तो उलटी होने लगेगी या उबकाई आ जाएगी।

वे कहती हैं कि कोई टैबलेट या गोली दे दीजिये खा लेंगे।
इन्हीं गोलियों और टैबलेट ने आज की बीमार नारियों को पैदा किया है।

जहाँ पहले की महिलायें संयुक्त परिवार में रहकर ढेर सारे काम घर के भी, खेती के भी बिना थके कर लेती थी। 

वहीं आज सिर्फ अपने पति और बच्चे के साथ रहने वाली महिला थोड़ा सा काम करके ही थक जाती हैं और आये दिन बीमार रहती है।

तमाम शोधों से यह बात तो सामने आ ही चुकी है कि दर्द निवारक गोलियां या अंग्रेजी दवाएँ साइड इफ़ेक्ट जरूर पैदा करती है।

ये इफ़ेक्ट जहाँ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करते हैं वहीँ पाचन तंत्र पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं।

फिर अगर पेट ही बीमार हो तो सारे शरीर को बीमार होना ही है।

इस बात को स्त्रियों को समझना होगी और उन्हें फिर से अपने घर की रसोई में मौजूद आयुर्वेदिक दवाओं की तरफ लौटना होगा।

यदि आपको बुखार हो या थकान या हरारत या हल्का सर दर्द महसूस हो तो 5 ग्राम अजवाइन सादे पानी से फांक लीजिये। अजवाइन बुखार को शरीर में रहने नहीं देती और दर्द को जड़ से ख़त्म कर देती है जबकि कोई भी दर्द निवारक गोली सिर्फ दर्द को दबाती है जो शरीर के किसी और भाग में उभर कर सामने आता है।

गर्भवती स्त्रियाँ यदि साढ़े आठ महीने बाद 3 ग्राम हल्दी दिन में एक बार पानी से फांक लें तो 100% सामान्य प्रसव होगा। किसी आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
बच्चा पैदा होने के 5-6 दिन बाद मंगरैल का काढा जरूर 3-4 दिनों तक पिये।
इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा की पेट बाहर नहीं निकलेगा वरना 90% महिलायें यही बताती है कि बच्चा होने के बाद पेट निकलना शुरू हुआ।

बच्चा होने के बाद शरीर की मालिश बेहद जरुरी है और हल्दी के लड्डू खाने जरुरी है जो शरीर को नव जीवन तो देते ही हैं ज्वाइंट के रोग नहीं होने देते और ब्रेस्ट कैंसर और स्किन कैंसर से बचाते है।

सभी महिलाओं को बचपन से ही पानी ज्यादा पीने की आदत डालनी चाहिए।
ये पानी आपके शरीर को तमाम बीमारियों से दूर जरूर रखता है।
पथरी, बवासीर, कब्ज, गैस, मोटापा, जोड़ो का दर्द, इतनी सारी बीमारियाँ ये अकेला पानी ही नहीं होने देता।

ल्यूकोरिया या श्वेत-प्रदर की बीमारी शरीर को पूरी तरह खोखला कर देती है।
किसी काम में मन नहीं लगता, कमर-दर्द, चेहरा निस्तेज हो जाना, हर वक्त बुखार सा रहना, ये सब ल्यूकोरिया के लगातार रहने की वजह से पैदा हो जाते है।
किसी भी उम्र की महिला को सफ़ेद पानी गिरने की शिकायत हो रही है तो 2 केले, दो चम्मच देशी घी और आधा चम्मच शहद में मसल कर चटनी बना ले व एक महीने तक लगातार रोज खाएं।

चेहरे पर दाग, धब्बे, झाइयां हो जाएँ तो दो चम्मच मंगरैल को सिरके में पीस तक पेस्ट बनाएं और रोज रात में लगाकर सो जायें।
20-25 दिन में चेहरा साफ़ हो जायेगा।
कास्मेटिक्स के ज्यादा प्रयोग से चेहरे पर झुर्रियां जल्दी आ जाती हैं और चेहरे की ताजगी खत्म हो जाती है।
चेहरे पर कभी खीरे का रस लगाकर सो जाएँ, कभी टमाटर का रस, तो कभी हल्दी और बेसन का पेस्ट तो कभी फिटकरी के पानी से धो कर सोयें। ये ही सबसे अच्छे कास्मेटिक्स है।

बच्चे न होने के लिए खाई जाने वाली कन्ट्रासेप्टिव पिल्स आपको बाँझ भी बना सकती है।
सेक्स के प्रति रूचि भी ख़त्म कर सकती है और गर्भाशय से सम्बंधित कुछ और बीमारियाँ भी पैदा कर सकती है, जबकि सबसे अच्छी पिल्स तो आपकी रसोई में ही मौजूद है।
जिस दिन पीरियड ख़त्म हो उसी दिन एक अरंडी का बीज पानी से निगल लीजिये।
पूरे महीने बच्चा नहीं रुकेगा या एक लौंग पानी से निगल लीजिये यह भी महीने भर आपको सुरक्षित रखेगी।

कोलेस्ट्राल बढ़ रहा हो तो रोज एक चम्मच मेथी का पाउडर पानी से निगल लीजिये (सुबह सवेरे खाली पेट)
खून साफ़ रखने, प्रतिरोधक क्षमता बढाने और स्किन को जवान रखने के लिए आप एक चम्मच हल्दी का पाउडर (लगभग 3-4 ग्राम) पानी से सुबह सवेरे निगल लीजिये, यह गले की भी सारी बीमारियाँ दूर कर देती है- टांसिल्स, छाले, कफ, आदि ख्त्म। आवाज भी सुरीली हो जायेगी।

खुद को फिट रखने का सही तरीका ये होगा कि एक महीना हल्दी का पाउडर निगलिये, एक महीना मे।

एक महीने तक सवेरे नीम की 10 पत्तियां चबा लीजिये।

एक महीना तुलसी की 10 पत्तियाँ 10 दाने काली मिर्च के साथ चबाएं।

फिर एक महीना सुबह सवेरे 100 ग्राम गुड का शरबत पीयें।

एक महीना कुछ मत लीजिये, फिर अगले महीने से यही रुटीन शुरू कीजिए।

आपको आपके बाल सुन्दर, चेहरा सुन्दर, स्किन सुन्दर, शरीर में भी अजीब सी ताजगी और क्या क्या चमत्कार दिखाई देगा, ये खुद ही जान जायेंगी।

खुद को प्रकृति के नजदीक रखिये और स्वस्थ रहिये।
कभी आपको डाक्टर के पास जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
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*❗सावधान❗*
*आजकल की मनलुभावन ऐड...*
*यदि आप ढलती उम्र (45 वर्ष व अधिक) में "साँड़ व घोड़े सी शक्ति" जैसे आकर्षित करने वाले शब्दों वाली औषधियाँ बिना डॉक्टरी परामर्श के खाकर 'फिर से जवानी' पाना चाहते हैं तो बन सकते हैं प्रोस्टेट (गदूद) कैंसर के रोगी, ऐसे रोगी रोज देखे जा रहे हैं...*
♐ 
*जब मूत्र व गुर्दा रोग विशेषज्ञ दूरभाष पर परामर्श लेने वाले रोगियों से जब उनका रोग इतिहास लेते हैं तो तो बिना जरूरत के यौन क्रिया बढाने वाली औषधियाँ खाने के कारण पनपे जटिल मूत्र व गुर्दा रोग सुनने को मिलते हैं।*
*सही मायने में कुछ कम्पनी व धूर्त डॉक्टरों द्वारा अँधाधुंध पैसा कमाने के चक्कर में "पहली खुराक से असर देखें" जैसे जुमलों से आकर्षित हुए ये वो पुरुष होते हैं जो शौकिया व भोग विलासी जिंदगी व्यतीत करने के चक्कर में आज लाइलाज रोगों से ग्रसित हो रहे हैं और हो भी गये हैं.!*
♐ 
*ऐसे धूर्त, छद्म चिकित्सकों द्वारा किसी तत्सम परिस्थिति या ढलती उम्र के कारण आने वाले लक्षणों को बीमारी की तरह प्रदर्शित किया जाता है और पुरुष "फिर से वही जवानी" के चक्कर में फँसते चले जाते हैं जबकि आयुर्वेद हमेशा ढलती उम्र व बदलती जीवन शैली के अनुरूप कार्य करने की पैरवी करता है.!*

*जिस प्रकार महिलाओं में एक विशेष उम्र तक नियमित माहवारी ही संतानोत्पत्ती का द्योतक होता है उसी प्रकार पुरुषों में अधिकतम 50-55 वर्ष की उम्र तक स्वस्थ हालात में संतानोत्पत्ती या मर्यादित यौन सुख हेतु उत्तम व नियमित शुक्र निर्माण होता है (!!!कुछ अपवादों को छोड़कर!!!) जो भविष्य के लिए भी अन्य धातुओं को पुष्ट कर सुचारू मानसिक व शारीरिक क्रियाएँ सुनिश्चित करता है।*
*अतः उम्र के ऐसे पड़ाव में भोग विलास व अमर्यादित शुक्र स्खलन बहुत घातक सिद्ध होता है.!*
♐ 
*यह ऐसे पुरुषों के लिए तो और अधिक घातक है जो इन 'बाजीकरण' औषधियों का सेवन बिना जरूरत के "बिजली सा असर" जैसे शब्दों से आकर्षित होकर उनकी सुरक्षितता के बारे में जाने बिना करते हैं कि यें औषधियाँ दक्ष वैद्य द्वारा भी बनी हैं या नहीँ, इसलिए उनमें डली भस्में आदि कच्ची तो नहीँ (निम्न स्तर की कम्पनियों द्वारा बनी भस्में अधूरी विधि द्वारा भट्टियों या फर्नेस में तैयार हो रही हैं) या फिर यौन क्रिया बढ़ाने के लिए एलोपैथी का घातक साल्ट टाडालाफिल साइट्रेट आदि तो बीच में मिलाकर नहीँ परोसा जा रहा..???*

*हर बार की तरह आज भी श्रोत के साथ बता रहा हूँ कि फेरी के क्लीनिकल एडवाइजर 2016 ई. बुक के अनुसार लगभग 50% पुरुष भारत जैसे विकसित हो रहे देशों में, बिना जरूरत के यौन संबंधी दवायें खाने से अपने जीवनकाल में प्रोस्टेट या गदूद व अन्य जटिल रोग से जरूर पीड़ित होते हैं व ऐसे रोगों की दर हृदय व शुगर रोग के प्रमाण से भी अधिक है।*
🔴 
*तो आज आपको भी सोचने की जरूरत है कि कहीं आप भी तो ऐसी गलती नहीँ कर रहे व यदि ऐसे किसी भी कारण या अन्य अज्ञात कारण से आप जटिल से जटिल मूत्र रोग से पीड़ित हैं या फिर युवा होने पर भी वाकई में किसी यौन रोग से पीड़ित हैं तो विवेकानुसार दक्ष चिकित्सक का चुनाव करें.!*
*धन्यवाद*
🙏 
*ईश्वर आपको सजग करे एवं स्वस्थ रखे।*

 *चीनी सेहत के लिए धीमा जहर है और गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है।*
चीनी को सफेद ज़हर कहा जाता है।
जबकि गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है।
क्योंकि गुड़ खाने के बाद वह शरीर में क्षार पैदा करता है जो हमारे पाचन को अच्छा बनाता है (इसलिए बागभट्टजी ने खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने की सलाह दी है)।
जबकि चीनी अम्ल (Acid) पैदा करती है जो शरीर के लिए हानिकारक है।
गुड़ को पचाने में शरीर को यदि 100 केलोरी उर्जा लगती है तो चीनी को पचाने में 500 केलोरी खर्च होती है।
गुड़ में कैल्शियम के साथ-साथ फोस्फोरस भी होता है। जो शरीर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और हड्डियों को बनाने में सहायक होता है।
जबकि चीनी को बनाने की पक्रिया में इतना अधिक तापमान होता है कि फोस्फोरस जल जाता है इसलिए अच्छी सेहत के लिए गुड़ का उपयोग करें।

(1).- चीनी मिलें हमेशा घाटे में रहती हैं। चीनी बनाना एक मँहगी प्रक्रिया है और हजारों करोड़ की सब्सिडी और चीनी के ऊँचे दामों के बावजूद किसानों को छह छह महीनों तक उनके उत्पादन का मूल्य नहीं मिलता है!

(2).- चीनी के उत्पादन से रोजगार कम होता है वहीं गुड़ के उत्पादन से भारत के तीन लाख से कहीं अधिक गाँवों में करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है।

(3).- चीनी के प्रयोग से डायबिटीज, हाइपोग्लाइसेमिया जैसे घातक रोग होते हैं!

(4).- चीनी चूँकि कार्बोहाइड्रेट होता है इसलिए यह सीधे रक्त में मिलकर उच्च रक्तचाप जैसी अनेक बीमारियों को जन्म देता है जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है!

(5).- चीनी का प्रयोग आपको मानसिक रूप से भी बीमार बनाता है।

(6).- गुड़ में फाइबर और अन्य पौष्टिक तत्व बहुत अधिक होते हैं जो शरीर के बहुत ही लाभदायक है!

(7).- गुड़ में लौह तत्व और अन्य खनिज तत्व भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं!

(8).- गुड़ भोजन के पाचन में अति सहायक है। खाने के बाद कम से कम बीस ग्राम गुड़ अवश्य खाएँ। आपको कभी बीमारी नहीं होगी!

(9).- च्युइँगगम और कैँडी खाने से दाँत खराब होते हैं!

(10).- गुड़ के निर्माण की प्रक्रिया आसान है और सस्ती है जिससे देश को हजारों करोड़ रुपए का लाभ होगा और किसान सशक्त बनेगा!

(11).- गुड़ को दूध में मिलाके पीना वर्जित है इसलिये पहले गुड खाकर फ़िर दूध पिये

(12).- गुड़ को दही में मिलाके खाया जा सकता है बिहार में खासकर इसे खाया जाता है जो काफ़ी स्वादिष्ट लगता है

(13).- गुड़ की गज्ज्क, रेवडी आदि भी अच्छी होती है
अंग्रेजों को भारत से चीनी की आपूर्ति होती थी।
और भारत के लोग चीनी के बजाय गुड़ (Jaggary) बनाना पसंद करते थे और गन्ना चीनी मीलों को नहीं देते थे।
तो अंग्रेजों ने गन्ना उत्पादक इलाकों में गुड़ बनाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया और गुड़ बनाना गैरकानूनी घोषित कर दिया था और वो कानून आज भी इस देश में चल रहा है, अब पता नही कब सुधार आयेगा।

नेचुरोपैथ कौशल
: *सेंधा नमक के पानी पीने के फायदे*
Benefits of Rock/Epson salt water
स्वस्थ जीवन और निरोगी काया कौन नहीं चाहता है।
यदि स्वस्थ जीवन चाहते हैं तो रोज सुबह उठकर काला नमक या सेंधा नमक को पानी में मिलाकर पीएं।
*इस पानी को अंग्रेजी में सोल वाटर (Soul water) कहते हैं।*
नमक वाले पानी को पीने से ब्लड शुगर, मोटापा और ब्लड प्रेशर आदि बीमारियों से मुक्ति मिलेगी ही साथ यह आपको अन्य घातक बीमारियों से भी बचाता है।
आपको पानी में केवल काला नमक व सेंधा नमक ही मिलाना है।
*किचन में मैजूद सादा या सफेद नमक न मिलाएं।*
82 से ज्यादा खनिज या मिनरल्स, काले और सेंधा नमक में होते हें जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।

जानिये, नमक वाला पानी कैसे आपको कई तरह की बीमारियों से छुटकारा दिलवाता है।

*कैसे बनाएं नमक वाला पानी?*
एक गिलास गुनगुने पानी में एक छोटी चम्मच काला नमक को मिलाएं और इसे अच्छे से मिलाएं। अब यह पानी पीने लायक बन गया है।

नमक वाले पानी पीने के फायदे

*त्वचा की समस्या में..*
नमक वाला पानी पीने से त्वचा से संबंधित सभी परेशानियां जैसे एक्ने, एक्जिमा और रैश की परेशानी दूर होती है।
नमक के पानी में क्रामिया होता है जो त्वचा की हर समस्या से लड़ता है।

*पाचन तंत्र को ठीक रखने में..*
सेहत खराब होने का सबसे बड़ा कारण है पाचन का खराब होना। पाचन को दुरूस्त रखने के लिए जरूरी है कि आप सुबह उठकर काले नमक का पानी पीएं।
इस पानी को पीने से खाया हुआ खाना जल्दी से पच जाता है।
साथ ही साथ लिवर और इंटेसटाइनिल ट्रैक्ट को उत्तेजित होने में मदद मिलती है।

*प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल..*
नमक के पानी में खनिज की मात्रा ज्यादा होने से यह एंटीबैक्टीरियल का काम करता है। जो शरीर से खतरनाक बैक्टीरिया को खत्म करता है और आपकी सेहत को डिटाक्स करता है।

*हड्डी मजबूत बनाने में..*
शायद ही आपको पता होगा कि हमारा शरीर भी हड्डियों से खनिज और कैल्शियम को खींचता है। इससे धीरे-धीरे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
लेकिन नमक वाले पानी में जो तत्व पाए जाते हैं वे कैल्शियम की कमी को पूरा करते हैं और हड्डियों को भी मजबूत बनाते हैं।

*नींद की समस्या में..*
नींद की समस्या आजकल कई लोगों में देखी जा रही है।
एैसे में रोज सुबह नमक वाला पानी पीना चाहिए।
नींद लाने में नमक हमारी तंत्रिका को आराम देता है और दो खतरनाक हार्मोन्स एड्रनलाईन और कोर्टिसोल को नमक कम कर देता है जिस वजह से रात को शांत व अच्छी नींद आती है।

काले नमक का पानी पीना न सिर्फ सेहत के लिए अच्छा होता अपितु यह चेहरे से जुड़ी हर दिक्कत को भी दूर करता है।
सुबह उठकर अपनी आदत में थोड़ा बदलाव लाएं और नमक के पानी को पीने की आदल डालें।

 *क्या आप जानते हैं कि...*
*हर 5 में से एक महिला और*
*हर 10 में से एक पुरुष डिप्रेसन का शिकार होता है...*

*
आज की विषम परिस्थितियों में हमारा जीवन तंत्र तहस नहस हो चुका है और ये हमारी हमें बद से बदतर वाले हालात की ओर खींचे जा रही है। मुख्यतः ऐसी नाजुक हालत में व्यक्ति परेशान रहता है किंतु ध्यान रखें कि हमेशा रोने की इच्छा या दुखी होना ही डिप्रेसन का लक्षण नही है बल्कि इसकी जिम्मेदार, हमारी भागदौड़ भरी जिंदगी भी है।

*कुछ और लक्षण...*
(1). खराब ड्राइविंग.!
(2). किसी बात को लेकर जिद करना.!
(3). छोटी छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन.!

ये सारी बातें घर के सदस्य नोटिस कर सकते हैं।

इसका ठीक होने का सबसे आसान तरीका डिप्रेस्ड व्यक्ति को खुश रखना चाहिए।

योगा, टहलना और हल्की फ़ुल्की कसरत भी करनी चाहिए।

एलोपैथी में सिर्फ नींद की गोलियां ही विकल्प के रूप में हैं।

घबड़ायें नहीं लेकिन अगर ठीक होना चाहते हैं तो जरूर सम्पर्क करें।
 *हमारे लिये विटामिन-सी कितना जरूरी है..??*
विटामिन-सी की कमी से होने वाली समस्या और उन समस्याओं से मुक्ति कैसे मिलेगी।

अगर शरीर में किसी विटामिन की कमी हो जाये तो उसी प्रकार बीमारिया होती है।
अभी तक आपने विटामिन-ए, विटामिन-बी काम्प्लेक्स के बारे में जाना और अब जानिये विटामिन-सी के बारे में।

*कौन सी बीमारियां हो सकती है विटामिन-सी की कमी से ?*
1. मोतियाबिंद होना।
2. घाव में पिप पड़ना।
3. खाया पिया शरीर को ना लगाना।
4. शरीर में दूषित कीटाणुओ की बढ़त।
5. हड्डिया कमजोर होना।
6. चिड़चिड़ापन।
7. लकवा मारना।
8. शरीर कमजोर होना।
9. श्वेतप्रदर।
10. भूक न लगना।
11. साँस लेने में कठिनाई।
12. चर्म रोग।
13. अल्सर का फोड़ा होना।
14. चहरे पे दाग पड़ना।
15. फेफड़े कमजोर पड़ना इत्यादि समस्या।

*किन खाद्य पदार्थों मे होता है विटामिन-सी ?*
आंवला, सेब, अमरुद, केला, बेर, कटहल, पुदीना, मुनक्का, दूध, निम्बू, टमाटर, चुकंदर, पत्ता गोभी, हरा धनिया और पालक।

*विटामिन-सी के फायदे..*
● जिसके शरीर लाल रक्त कण की कमी है उसे विटामिन-सी लाभदायक है।
अगर इसकी कमी हो जाये तो शरीर में खून की कमी होगी।

● चहरे के दाग धब्बे अगर दूर करना होता तो विटामिन-सी इसमें अहम भूमिका निभाता है।

● लकवा और पोलियो जैसे मरीज को विटामिन-सी की खुराक देना जरुरी है।

● अगर किसी को बुखार आता है तो उसे विटामिन का इंजेक्शन लगवा के बुखार तुरंत उतर जाता है।

● विज्ञान कहता है कि 25 से 30 मिलीग्राम विटामिन सी पर्याप्त होता है। 

ऐसे बहुत से रहस्य हमारे जीवन के साथ जुड़े है। गोलियों को दवाई समझकर खाने से अच्छा है, भोजन को दवाई समझ के खाओ। 

निःशुल्क जानकारी
: *थायरायड (Thyroid Disorder) का कुदरती इलाज*
👉🏿 थायरायड की समस्या
1⃣👉🏿 थायरायड की बीमारी
2⃣👉🏿 विभिन्न प्रकार के थायरॉइड रोग
3⃣👉🏿 थायरायड के रोगों में उपचार विधि 
4⃣👉🏿 आसान घरेलू प्रयोग 
5⃣👉🏿  योग द्वारा थायरॉइड ग्रंथि के रोगों का उपचार

*👉 हयपोथायरॉइडिज़म (Hypothyroidism) की बीमारी* ज़्यादातर स्त्रियों में पाई जाती है जिससे कि उनका आंतरिक चयपचय (Metabolism) औसत से काफ़ी कम हो जाता है। 

कुदरती याआयुर्वेदीय चिकित्सा द्वारा इस रोग का निवारण भली भाँति प्रकार किया जा सकता है।
चयपचय की क्रिया को नियंत्रित करना थायराइड ग्रंथि का कार्य होता है और इसके द्वारा ही हम शरीर में लिया गया भोजन, जल और प्राण वायु कोशिकायों में सही रूप से चयपचय होकर उर्जा का स्रोत बनता है।

छोटी अवशेषों में बाँटने के उपरांत उनका पुनर्संगठित होकर नवनिर्माण करना भी इस ग्रंथि के द्वारा स्रावित हॉर्मोन से संतुलित किया जाता है। 

जिस प्रक्रिया द्वारा  शरीर में सुगठित तत्वों का निर्माण होता है उसे एनाबोलीज़म या चय कहा जाता है जबकि विघटन करने वाली प्रक्रिया को कॅटबॉलिज़म या पचय कहा जाता है।
इन दोनो प्रक्रियायों के मिलन से उत्पन्न कार्य को मेटाबोलीज़म (Metabolism) या चयपचय कहा जाता है।

जब व्यक्ति पूर्णतयः विश्राम की स्थिति में होता है तब आधारिक चयपचायी मान (Basal Metabolic Rate)- BMR की दर को लेना संभव है।
यह व्यक्ति की स्वास्थ का माप है और यह प्राणवायु में प्रयोग हुई ऑक्सिजन एवं निकली हुई कार्बन डाई ऑक्साइड (CO-2) के दर को निर्धारित करता है। 

अन्तःस्राविय ग्रंथियों के अच्छी तरह से चलने पर रक्त या लिंफ में रासायनिक परिवर्तन होते हैं जिसमें मुख्य अंतःस्राविय ग्रंथियों का विशेष कार्य समन्वित है। 

थायरॉइड नामक ग्रंथि का कार्य इनमें सबसे महत्वपूर्ण है।

यह गले के अग्र भाग में मौजूद होता है और इससे थायरॉक्सीन (thyroxine) नामक महत्वपूर्ण हॉर्मोन का स्राव होता है।

जब यह ग्रंथि ठीक से कार्य न करती हो, जैसे कि माईएक्सेडीमा (Myxedema) में या फिर क्रीटीनिज़म (Cretinism) नामक अवस्था में।
जब इस ग्रंथि से थाईरोक्सिन हॉर्मोन अधिकता में बनने लगे उसे एक्शोफ्ताल्मीक गायटर (Exophthalmic goitre) या  ग्रेव के रोग के नाम से जान जाता है।

*विभिन्न प्रकार के थायरॉइड रोग👇*
 1⃣👉 *हाइपरथायरॉइडिस्म (Hyperthyroidism):*
इस अवस्था में व्यक्ति के शरीर में थाईरॉक्साइन की स्राव आवश्यकता से बहुत अधिक होता है।
यह 30 से 40 वर्ष की उमर के व्यक्तियों में अधिक पाया जाता है।
पीड़ित व्यक्ति के शरीर में कंपन, चिड़चिड़ापन, घबराहट और इस प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं।
बार बार होने वाले दस्त, गर्मी का अधिक लगना, मासिक धर्म में अनियमितता और कभी कभार आँखों की पुतलियों का बाहर को निकलना।
ऐसे लोग प्रायः जब बाहर निकलते हैं तो खुद को अजीबोगरीब स्थिति में पाते हैं जहाँ पर वे बात करना चाहते हैं पर स्वयं को शक्तिहीन महसूस करते हैं।
वे ज़्यादातर चिड़े हुए रहते हैं और छोटी सी बात आर अत्यधिक क्रुद्ध हो जाते हैं।

*2⃣ हाइपो थायरिडिसम (Hyper thyroidism):*
इस स्थिति में में थायरॉक्साइन का स्राव सामान्य से कम पाया जाता है।
ज़्यादातर रोगी उस कगार पर पाए जाते हैं जिसमें जाँच द्वारा पता किया जान मुश्किल होता है।

परंतु इनके कारण रोगी के शरीर में प्रायः अप्रत्याशित रूप से थकावट, कमज़ोरी और मुख्य कार्यों में अवरोध पाया जाता है।

*कुदरती /आयुर्वेदिक उपचार-*
1⃣ लंबी अवधि में मयक्षेदेमा नमक बीमारी का जन्म होता है जिससे आँखों में सूजन, त्वचा और पिंदलियों और शरीर के काई अंगों में सूजन पाई जाती है।
त्वचा का सूखापन, पीलापन, भवों के बालों का टूटना, शरीर के तापमान का कम रहना, हृदय की धड़कन का कम होना, भूख का कम लगना, कब्ज़ीयत और रक्ताल्पता (अनेमिया)।
 
*थायरायड के रोगों में उपचार विधि-*
1⃣ महर्षि चरक के अनुसार थायरॉइड का रोग अधिक मात्रा में दूध पीने वालों को नही होता।
इसके अलावा साबुत मूँग, पुराने चावल, जौ, सफेद चने, खीरा, गन्ने का जूस और दुग्ध पदार्थों का सेवन करना भी अत्यंत आवश्यक है।
इसके विपरीत खट्टे और भारी पदार्थों का सेवन नही करना चाहिए।

2⃣ कचनार का प्रयोग इस ग्रंथि के अच्छी प्रकार से सक्रिय रहने के लिए आवश्यक है।

इसके अलावा, ब्राहमी, गुग्गूल, शिलाजीत भी लाभदायक है।

गोक्शुर और पुनर्नव भी इस रोग में फ़ायदा देते हैं।

*आसान घरेलू प्रयोग-*
11 से 22 ग्राम जलकुंभी का पेस्ट बनाकर थायरॉइड के क्षेत्र में लगाने से इस स्थिति में लाभ मिलता है।
यह आयोडीन की कमी को पूरा करता है।
यह तो सर्वविदित हैं कि नारियल तेल में पाए जाने वाले फैटी एसिडस से बहुत से लाभ मिलते हैं।
यह शरीर के अंगों, मस्तिष्क को विशिष्ट लाभ प्रदान करने में सहायक है।
और यह हाईपोथायरॉडिज़ॅम नामक रोग को ठीक करने में सहायक है।

*योग द्वारा थायरॉइड ग्रंथि के रोगों का उपचार-👇*
1⃣👉 सर्वांगसन करने से थायरॉइड ग्रंथि के क्षेत्र में दबाव पड़ता है और इससे थायरॉकसीन के स्राव में सुधार पाया जाता है।
इसमें शरीर के स्थाई पड़े हुए अंतः स्रावीय ग्रंथि तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
परंतु अत्यंत गंभीर थायरो-टोक्सीकोसिस (Thyrotoxicosis), शारीरिक कमज़ोरी तथा जहाँ पर थायरॉइड बहुत बढ़ गया हो।
उस स्थिति में इन आसनों को नही करना चाहिए। अपितु पहले चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार रोग का निवारण करें।

परंतु सूर्य नमस्कार, पवन्मुक्तासन जो की मस्तिष्क और गर्दन के क्षेत्र में अधिक प्रभावशाली हों, उनका अभ्यास होना चाहिए। 

सुप्त्वाज्रासन, योग मुद्रा और पीछे की और झुक के करने वाले आसन अत्यंत लाभदायक हैं।

2⃣ इस रोग में उज्जयी प्राणायाम लाभदायक है।
यह गले के क्षेत्र में प्रभावशाली होता है।
यह हायपोथैलमस और दिमाग़ के निचले क्षेत्र को उर्जावान बनाकर सीधे सीधे लाभ देता है और चयपचय की क्रिया को भी नियंत्रित करता है।

साथ ही नाड़ी शोधन प्राणायाम का भी विशेष लाभ इसमें पाया जाता है।

3️⃣ 21 दाने कालीमिर्च के पीस कर सुबह उठकर खाली पेट एक गिलास तेज़ गुनगुने पानी के साथ 21 या 31 दिन सेवन करें, अप्रत्यासित परिणाम मिलेंगे।





*तुलसी के बीज (सब्जा सीड्स), कितना फायदेमंद...*
● जब भी तुलसी में खूब फूल यानी मंजिरी लग जाए तो उन्हें पकने पर तोड़ लेना चाहिए वरना तुलसी के झाड में चीटियाँ और कीड़ें लग जाते है और उसे समाप्त कर देते है।
● इन पकी हुई मंजिरियों को रख ले।
● इनमे से काले काले बीज अलग होंगे उसे एकत्र कर ले, यही सब्जा है।
● अगर आपके घर में नही है तो बाजार में पंसारी या आयुर्वैदिक दवाईयो की दुकान पर मिल जाएंगे।

*शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी*
● तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है।

*नपुंसकता*
● तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।

*यौन दुर्बलता*
15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं, फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें। और शीशी में भरकर रख दें।
5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे यौन दुर्बलता दूर होती है।

*मासिक धर्म में अनियमियता*
जिस दिन मासिक आए, उस दिन से जब तक मासिक रहे, उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है।

*गर्भधारण में समस्या*
जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो मासिक आने पर 5-5 ग्राम तुलसी बीज सुबह शाम पानी के साथ ले जब तक मासिक रहे,
मासिक ख़त्म होने के बाद माजूफल का चूर्ण 10ग्राम सुबह शाम पानी के साथ ले 3 दिन तक।
तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है।

● इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है।
● इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है।
● इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है।
● इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है।
● यह पित्त घटाता है ये त्रिदोषनाशक एवं क्षुधावर्धक है।

हमारा बनाया हुआ पंचतुलसी ड्रॉप्स भी ले सकते हैं
 *गुलकंद एक अद्भुत आयुर्वेदिक प्राकृतिक टॉनिक है, जिसके फायदे जानकर अचंभित रह जायेंगे...*
गुलाब के फूल की भीनी-भीनी खुशबू और पंखुड़ियों के औषधीय गुण से भरपूर गुलकंद को नियमित खाने पर पित्त के दोष दूर होते हैं तथा इससे कफ में भी राहत मिलती है।

● गर्मियों के मौसम में गुलकंद कई तरह के फायदे पहुंचाता है।

● गुलकंद कील मुहांसो को दूर करता है अरु रक्त शुद्ध करता है, हाजमा दुरुस्त रखता है और आलस्य दूर करता है।

● गुलकंद शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और कब्ज को भी दूर करता है।

● सीने की जलन और हड्डियो के रोगो में लाभकारी है, सुबह-शाम एक-एक चम्मच गुलकंद खाने पर मसूढ़ों में सूजन या खून आने की समस्या दूर हो जाती है।

● पीरियड के दौरान गुलकंद खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है।

● मुंह का अल्सर दूर करने के लिए भी गुलकंद खाना फायदेमंद होता है।

*गुलकंद बनाने की विधि:*
*●●सामिग्री*
ताजी गुलाब की पंखुडियां, बराबर मात्रा में चीनी, एक छोटा चम्मच पिसी छोटी इलायची तथा पिसा सौंफ।

*●●●विधि●●●*
गुलाब की ताजी व खुली पंखुडियॉं लें,
अब कांच की बडे मुंह की बोतल लें,
इसमें थोडी पंखुडियां डालें अब चीनी डालें
फिर पंखुडियां,
फिर चीनी,
अब एक छोटा चम्मच पिसी छोटी इलायची तथा पिसा सौंफ डालें,
फिर उपर से पंखुडियां डालें,
फिर चीनी इस तरह से डब्बा भर जाने तक करते रहें,
इसे धूप में रख दें आठ दस दिन के लिये,
बीच-बीच में इसे चलाते रहें,
चीनी पानी छोडेगी,
और उसी चीनी पानी में पंखुडियां गलेंगी।
(अलग से पानी नहीं डालना है) पंखुडियां पूरी तरह गल जाय यानि सब एक सार हो जाय।
लीजिये तैयार हो गया आपका गुलकंद।

: *हमेशा जवान दिखने के बेहतरीन नुस्खे...*
उम्र बढ़ने के बाद भी महिला हो या पुरुष सभी की दिली ख्वाहिश होती है, कि वह यूथफुल और यंगर दिखें|
आजकल के हाइटेक फैशन टेक्नोलॉजी के दौर में ऐसा होना कोई मुश्किल भी नही है।
ऐसा ही एक ट्रीटमेंट है लेज़र स्किन टाइटनिंग ट्रीटमेंट, इसे एक तरह से फेशियल रिजुविनेशन भी कहा जा सकता है।
यह फाइंस लाइन व झुर्रियों को ख़त्म करके त्वचा को जवां दिखाने में बहुत ही मददगार होता है।

*क्या है यह ब्यूटी ट्रीटमेंट, कैसे करते हैं.?*
इसके बारे में जानें और पाएं युथफुल ग्लोइंग स्किन।

*क्या है स्किन टाइटनिंग ट्रीटमेंट*
यह एक नॉनसर्जिकल प्रोसेस है। इसमें लेज़र का प्रयोग त्वचा की कसावट के लिए किया जाता है| हीटिंग के द्वारा त्वचा की सतह के नीचे कोलाजन को गर्म किया जाता है| इस ट्रीटमेंट में नए कोलाजन की ग्रोथ को बढ़ाने का प्रयास करते हैं| इस प्रक्रिया के अंतर्गत ट्रीटिड एरिया कोलाजन को अधिक मात्रा में ऑब्जर्व कर सके, इस पर अधिक ध्यान दिया जाता है| इस ट्रीटमेंट में त्वचा धीरे धीरे स्वाभाविक रूप से अपने खो चुके कोलाजन को पुनः संचरित करना शुरू कर देती है।

*ट्रीटमेंट सेशन से पहले...*
ट्रीटमेंट को कराने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे, पेशेंट अपना मेकअप रिमूव करके चेहरे को अच्छी तरह साफ कर लें।

त्वचा पर किसी भी प्रकार की कोई चीज नहीं लगी रहनी चाहिए।

ट्रीटमेंट से पहले कॉस्मेटोलॉजिस्ट जिन एरिया को ट्रीट करना है इस बात को ध्यान में रखकर क्लाइंट के चेहरे पर एनेस्थेटिक क्रीम का प्रयोग करता है।

आंखों को भी स्पेशल आई वियर जैसे कि ग्लासेस इत्यादि से कवर करता है| जिस से लेज़र किरणों से आंखों को भी नुकसान न हों और पेशेंट को दर्द का अनुभव भी न हो।

इस ट्रीटमेंट के सेशन के दौरान कॉस्मेटोलॉजिस्ट हैंडपीस का प्रयोग करता है, त्वचा में लेज़र एनर्जी की पल्स को पहुंचाने के लिए, ट्रीटमेंट का सेशन 30 मिनट से 1 घंटे तक का होता है, पर यह सिटिंग कितनी देर की होगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि ट्रीटमेंट किस भाग का किया जा रहा है।

ट्रीटमेंट का पूरा लाभ मिले इसके लिए यह लेज़र स्किन टाइटनिंग ट्रीटमेंट कम से कम तीन बार कराया जाना चाहिए।

*ट्रीटमेंट के बाद...*
इसके बाद क्लाइंट अपने घर जा सकता है।
प्रतिदिन का अपना नियमित रूप से किए जाने वाले कार्य कर सकता है।
बहुत ही हल्के साइड इफेक्टस इसके देखने में आते हैं, जैसे त्वचा पर हल्की गर्म संवेदना हो सकती है।
इसके अतिरिक्त हल्की सूजन व लालिमा देखने में आती हैं।
कुछ ही घंटों के दरम्यान त्वचा सामान्य हो जाती है।
गर्म संवेदना का इफेक्ट ट्रीटमेंट होने के 48 घंटे तक बना रहता है फिर धीरे धीरे समान्य होने लगता है।

*यह भी जानें...*
*कौन स्किन टाइटनिंग ट्रीटमेंट करवा सकता है..??*
यह ट्रीटमेंट स्त्री व पुरूष दोनों के लिए ही अच्छा विकल्प है|
यह किसी भी प्रकार की त्वचा के लिए अनुकूल है|
यह ट्रीटमेंट पूरी तरह से सुरक्षित है|
इस ट्रीटमेंट को 30 से 60 की उम्र तक के स्त्री व पुरूष दोनों करवा सकते हैं, लेकिन इसके लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ होना बुहत आवश्यक है, क्योंकि यदि किसी प्रकार की कोई समस्या है जैसे यदि क्लाइंट डायबिटीज का पेशेंट है तो ऐसे में ट्रीटमेंट के बाद हीलिंग में समस्या उत्पन्न हो जाती है|
अगर आप स्वस्थ हैं तभी इस ट्रीटमेंट को कराएं|
यदि कैंसर जैसी कोई समस्या है तो अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें| यदि आप प्रेगनेंट हैं तो भी इस ट्रीटमेंट को ना कराएं|

*फ़ायदा क्या है..?*
यह त्वचा को पुनः जवां बनाती है।
रिंकल को हटाती है व फाइन लाइन्स को भी दूर करने में सहायक है।
चेहरे की ढीली त्वचा को रिपेयर करती है।
इस ट्रीटमेंट से त्वचा रिजुविनेट होती है।
यह ट्रीटमेंट शरीर के किसी भी हिस्से पर चेहरे, गर्दन, पैर, आर्म्स इत्यादि पर हो सकता है।
यह पूर्ण रूप से सुरक्षित है व इसमें दर्द का अनुभव भी कम ही होता है| यह नई त्वचा की ग्रोथ को बढ़ाता है।
इस ट्रीटमेंट में लेज़र के द्वारा त्वचा की ऊपर की लेयर्स को कूल किया जाता है।
जबकि त्वचा की सतह के नीचे कोलाजन को गर्म करते हैं जिससे त्वचा में कसावट आती है।
इस लेज़र स्किन टाइटनिंग ट्रीटमेंट से आप भी बन सकती है हमेशा के लिए यूथफुल, बस इतना ध्यान अवश्य रखें कि यह ट्रीटमेंट किसी वेल एक्सपर्ट कॉस्मेटोलॉजिस्ट से कराएं| जिससे किसी प्रकार की हानि न हो और आप चिरयुवा बनी रहें।

: *आपके लिए.... चिलचिलाती गर्मी का आसान समाधान...*
*वर्ष 2023 की गर्मी कई मामलों में पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ सकती है और वैसा ही नुकसान कर सकती है इसलिए सावधान...*

*"नेचर्स ऊर्ज़ा (एनर्जाइज़र)"*
*एक त्वरित ऊर्जा सूत्र*
*जो मांसपेशियों की कोशिकाओं को रिचार्ज करने में मदद करता है,*
*थकान की सीमा में सुधार करता है,*
*शरीर की भड़काऊ प्रतिक्रिया को मजबूत करता है और*
*ऊर्जा का निर्माण करता है।*
*बीपी को नार्मल करता है।*

*हमारे अद्भुत "ऊर्ज़ा" एनर्जाइज़र फॉर्मूलेशन में अवयवों की भूमिका...*

*(1). स्टार्च मकई (डेक्सट्रोज और सुक्रोज)*
डेक्सट्रोज क्या है?
डेक्सट्रोज स्टार्च से बनी एक साधारण चीनी है। स्टार्च मकई, गेहूं, चावल और आलू सहित कई पौधों में पाया जाने वाला प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जटिल कार्बोहाइड्रेट है।
डेक्सट्रोज का सबसे आम स्रोत मकई स्टार्च है।

डेक्सट्रोज को डी-ग्लूकोज के नाम से भी जाना जाता है। 
डेक्सट्रोज आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को तेजी से बढ़ाकर काम करता है।
ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जैसे ब्रेड, अनाज, आलू, फल, पास्ता और चावल। ग्लूकोज ऊर्जा का एक स्रोत है, और आपके शरीर में सभी कोशिकाओं और अंगों को ठीक से काम करने के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है।

डेक्सट्रोज का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति को कार्बोहाइड्रेट कैलोरी प्रदान करने के लिए भी किया जाता है जो बीमारी, आघात या अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण नहीं खा सकता है। यह कभी-कभी उन लोगों को दिया जाता है जो बहुत अधिक शराब पीने से बीमार हो जाते हैं।
*आहार अनुपूरक*
डेक्सट्रोज स्टार्च से बनी एक साधारण चीनी है।
स्टार्च मकई, गेहूं, चावल और आलू सहित कई पौधों में पाया जाने वाला प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जटिल कार्बोहाइड्रेट है। डेक्सट्रोज का सबसे आम स्रोत मकई स्टार्च है।

डेक्सट्रोज, जब एक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है, या तो मुंह से (मौखिक रूप से) या इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। डेक्सट्रोज को डी-ग्लूकोज के नाम से भी जाना जाता है।

डेक्सट्रोज आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को तेजी से बढ़ाकर काम करता है। ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जैसे ब्रेड, अनाज, आलू, फल, पास्ता और चावल। ग्लूकोज ऊर्जा का एक स्रोत है, और आपके शरीर में सभी कोशिकाओं और अंगों को ठीक से काम करने के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है।

डेक्सट्रोज का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति को कार्बोहाइड्रेट कैलोरी प्रदान करने के लिए भी किया जाता है जो बीमारी, आघात या अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण नहीं खा सकता है। यह कभी-कभी उन लोगों को दिया जाता है जो बहुत अधिक शराब पीने से बीमार हो जाते हैं।

डेक्सट्रोज का उपयोग हाइपरक्लेमिया (आपके रक्त में पोटेशियम के उच्च स्तर) के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।

*चेतावनी*
यदि आपको मकई से एलर्जी है, तो आपको डेक्सट्रोज से एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है। इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

सुक्रोस खनिज लोहे का एक रूप है। आयरन विशेष रूप से रक्त में ऑक्सीजन के परिवहन के लिए शरीर में कई कार्यों लिए महत्वपूर्ण है। आयरन सुक्रोस इंजेक्शन गुर्दे की बीमारी के साथ लोगों में लोहे की कमी से एनीमिया के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
यह आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है।

3 बड़े चम्मच पूर्ण 15 ग्राम (लगभग) की एक खुराक कार्बोहाइड्रेट से 57.6 कैलोरी प्रदान करती है।

डेक्सट्रोज (स्टार्च मकई) आसानी से आत्मसात होकर घुल जाता है और थकान को दूर करने के लिए ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।
सुक्रोज से फ्रुक्टोज और ग्लूकोज प्रत्येक का एक अणु प्राप्त होता है।

*(2). जिंक सल्फेट*
ज़िंक से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। जिंक की कमी होने पर इम्यूनिटी, थकान और वजन घटना शुरु हो जाता है।

जिंक जिसे हिंदी में जस्ता (Zinc) कहते हैं एक ऐसा खनिज या मिनरल है जो आपकी इम्यूनिटी को मजबूत (Strong Immunity) बनाता है।
हमारा शरीर जिंक नहीं बनाता इसके लिए हमें जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ (Foods For Zinc) या सप्लीमेंट का सेवन करना होता है।
दैनिक कार्यों को सुचारु रुप से करने के लिए जिंक जरूरी है।
जिंक से न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि ब्लड शुगर को कंट्रोल करने (Blood Sugar Level), हार्ट को हेल्दी बनाने (Heart) और स्किन और हेयर का ख्याल रखने के लिए भी ज़िंक जरूरी है।
शरीर में डीएनए (DNA) के निर्माण में भी ज़िंक अहम होता है।
आप डाइट में ऐसी चीजों को शामिल कर सकते हैं जिससे ज़िंक की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है।

 एक सर्विंग से 3.2 ग्राम एलिमेंटल जिंक मिलेगा, जो दैनिक आहार आवश्यकताओं का आधा है।
 जिंक न्यूक्लोइक एसिड संश्लेषण घावों के उपचार और ऊर्जा के हस्तांतरण के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है।
 जिंक स्वाद संकाय में भी सुधार करता है और इस प्रकार स्वास्थ्य लाभ के दौरान भोजन की इच्छा को बढ़ाता है।

*(3). एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन-सी)*
एस्कॉर्बिक एसिड शुद्ध विटामिन सी है, जो शरीर के लिए फायदेमंद एक आवश्यक पोषक तत्व है।
यह त्वचा की मरम्मत और पोषण करने में मदद करता है।
यह त्वचा की मजबूती और एक एंटी-एजिंग है। स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखना और विकसित करना।

 एक सर्विंग इस महत्वपूर्ण पानी में घुलनशील विटामिन का 15mg प्रदान करता है, जो दैनिक आहार एस्कॉर्बिक एसिड है जो तनाव और तनाव, वृद्धि और शरीर के गठन के खिलाफ समायोजित करने में मदद करता है और फागोसाइटोसिस में सुधार करता है जिससे संक्रमण के प्रतिरोध में वृद्धि होती है।

मात्रा 200 ग्राम

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दिन में एक या दो बार और जरूरत पड़ने पर कभी भी।

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*आज हर घर मे हर एक व्यक्ति घुटने का दर्द, संधिशूल,  आर्थराइटीस, संधिवात, आमवात, फ्रोजन शोल्डर, युरिक एसिड बढ़ना, विटामिन बी-12 की कमी, मांसपेशियों का ददॅ, स्नायु की कमजोरी, जोड़ो मे चिकनाहट की कमी, कैल्शियम की कमी वगैरह से परेशान है..??*
1-2 साल तक ऐलोपैथ दवाई खाकर थक जाते है या तो ऐलोपैथी दवाई के इतने आदी हो जाते है कि वह रोज की लाइफ स्टाइल बन जाती है जैसे रोज का खूराक ही क्यो ना हो ?
अंत मे डॉक्टर भी कहने लगता है, हम इसमे आगे कुछ भी नही कर सकते, आप ऑपरेशन करवा लो।

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[4/26, 12:53 AM] +91 98960 76323: *जीवन रक्षक नेचर्स पंचतुलसी अर्क...*
*तुलसी मुख्यतः रूप से पांच प्रकार की पायी जाती है...*
*श्याम तुलसी,*
*राम तुलसी,*
*श्वेत/विष्णु तुलसी,*
*वन तुलसी और*
*नींबू तुलसी।*

*इन पांच प्रकार की तुलसी का अर्क निकाल कर पंचतुलसी का निर्माण किया जाता है।*

*तुलसी संसार की एक बेहतरीन*
*एंटी-ऑक्सीडेंट,*
*एंटी- बैक्टीरियल,*
*एंटी- वायरल,*
*एंटी- फ्लू,*
*एंटी-बायोटिक,*
*एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व*
*एंटी–डिजीज है।*

*(1). पंच तुलसी अर्क के एक बून्द एक ग्लास पानी में या दो बून्द एक लीटर पानी में डाल कर पांच मिनट के बाद उस जल को पीना चाहिए। इससे पेयजल विष और रोगाणुओं से मुक्त होकर स्वास्थवर्धक पेय हो जाता है।*

*(2). पंच तुलसी अर्क 200 से अधिक रोगो में लाभदायक है जैसे के फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, जुखाम, खासी, प्लेग, मलेरिया, जोड़ो का दर्द, मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, एलर्जी, पेट के कीड़ो, हेपेटाइटिस, जलन, मूत्र सम्बन्धी रोग, गठिया, दमा, मरोड़, बवासीर, अतिसार, दाद, खाज, खुजली, सर दर्द, पायरिया, नकसीर, फेफड़ो सूजन, अल्सर, हार्ट ब्लोकेज आदि।*

*(3). पंच तुलसी एक बेहतरीन विष नाशक है और शरीर से विष (toxins) को बाहर निकालती है।*

*(4). पंच तुलसी स्मरण शक्ति को बढ़ाता है और साथ ही साथ शरीर के लाल रक्त सेल्स (Haemoglobin) को बढ़ने में अत्यंत सहायक है।*

*(5). पंच तुलसी भोजन के बाद एक बूँद सेवन करने से पेट सम्बन्धी बीमारियां बहुत काम लगाती है।* 

*(6). पंच तुलसी के 4–5 बूँदे पीने से महिलाओ को गर्भावस्था में बार बार होने वाली उलटी के शिकायत ठीक हो जाती है।*

*(7). आग के जलने व किसी जहरीले कीड़े के कांटने से पंच तुलसी को लगाने से विशेष रहत मिलती है।* 

*(8). दमा व खाँसी में पंच तुलसी अर्क की दो बुँदे थोड़े से अदरक के रस और शहद के साथ मिलाकर सुबह– दोपहर– शाम सेवन करे।*

*(9). यदि मुँह में से किसी प्रकार की दुर्गन्ध आती हो तो पंच तुलसी की एक बूँद मुँह में डाल ले दुर्गन्ध तुरंत दूर हो जाएगी।*

*(10). दांत का दर्द, दांत में कीड़ा लगना, मसूड़ों में खून आना आदि में पंचतुलसी की  4–5 बूँदे पानी में डालकर कुल्ला करने से तुरन्त आराम मिलता है।*

*(11). सर दर्द, बालो का झड़ना  बाल सफ़ेद होना व सिकरी आदि समस्याओं में पंचतुलसी की 8–10 बूंदे  हर्बल हेयर आयल के साथ मिलाकर सर, माथे तथा कनपटियों पर लगाये।*

*(12). पंच तुलसी के 8–10 बूँदे नारियल तेल में  मिलाकर शरीर पर मलकर रात्रि में सोये , मच्छर नहीं काटेंगे।*

*(13). कूलर के पानी में पंचतुलसी की 8–10 बूँदे डालने से सारा घर विषाणु और रोगाणु से मुक्त हो जाता है तथा मक्खी, मच्छर भी घर से भाग जाते है।*

*(14). पंचतुलसी में सुन्दर और निरोग बनाने की शक्ति है। यह त्वचा का कायाकल्प कर देती है। यह शरीर के खून को साफ करके शरीर को चमकीला बनती है।*

*(15). पंचतुलसी की दो बूँदे एलोवेरा जैल में मिलाकर चेहरे पर सुबह व रात को सोते समय लगाने पर त्वचा सुन्दर व कोमल हो जाती है तथा चेहरे से प्रत्येक प्रकार के काले धेरे, झाइयां, कील मुँहासे व झुरिया नष्ट हो जाती है।*

*(16). पंचतुलसी के नियमित उपयोग से कोलेस्ट्रोल का स्तर कम होने लगता है, रक्त के थक्के जमने कम हो जाते है व हार्ट अटैक और कोलैस्ट्रोल की रोकथाम हो जाती है।*

*(17). पंचतुलसी को एलोवेरा जेल में  मिला कर लगाने से प्रसव के बाद पेट पर बनने वाले लाइने (स्ट्रेच मार्क्स) दूर हो जाते है।*

*हमारा पंचतुलसी अर्क*
*मात्रा 30ml*
*एमआरपी ₹283/-*

*2 पैक सिर्फ ₹500/-*


🕉🙏जय श्री कृष्ण🙏🕉
🕉श्री संजीवनी सर्वोत्तम आयुर्वेदीक
😢 *क्या आप घुटनों के असहनीय ददॅ से परेशान होकर ऑपरेशन कराने के बारे मे सोच रहे तो आप ये विचार अपने मन से निकाल दे* ❓😢
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💯 हमारे द्वारा निमिॅत ददॅ निवारक ओषधी से-------- 
👉 केल्शियम कि कमी 
👉घुटनों का ददॅ 
👉साईटीका 
👉नसों का ददॅ 
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👉संधिवात 
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👉 विटामिन D-3  कि  कमी 
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👉 शुक्र धातु कि कमी , 
👉 लुब्रिकेट्स ( शरिर के जोडो के अंदरका चिकना पदाथँ )कम होने  के होने वाले ददँ, 
👉 आेस्ट्रियो आथँराईटिस , 
👉 आेस्ट्रियो पोरोसिस 
👉 घुटनो का घीस जाना 
👉 घुटनो मे गैप पड जाना. 
👉 आेपरेशन के बाद घुटनो मे ददँ 
आदी समस्या का रामबाण तरीको से कारगर ईलाज किया जाता है।
*उपर बताई गई सभी तकलिफो का रामबाण ईलाज    श्रीं  संजीवनी सर्वोत्तम आयुर्वेदिक द्वारा सटिक ईलाज किया गया है*

 *श्रीं संजीवनी सवोत्तम आयुर्वेदिक ने आपकी इस समस्या का सटीक ईलाज निकाल लिया है*

🙏🏻 दोस्तो नमस्कार सबको जय श्री कृष्ण आज घुटनों की समस्या एक आम हो गई है वैसे तो ये समस्या एक उम्र के बाद शूरू होती।😟है लेकिन आज कल कम उम्र के युवक -युवतियों मे भी यह समस्या बढ़ती जा रही है हर एक घर मे कोई ना कोई इससे पीड़ित है ना उठा जाता हे ना बैठा जाता धीरे -धीरे बिमारी घुलती जाती है घुटनों का ग्रीस खतम हो जाता हे😣 कट-कट की आवाज आने लगती है सुजन बनी रहती है मरिज परेशान हो जाता है ना सीढी चढ पाता ना ज्यादा खड़ा  रह पाता हर कोई उसको अलग-अलग अलाह देता।कर लो वैसा कर लो मरिज सब करता है क्यों वो इसलिए की उसको ददॅ से इस असहनीय पीड़ा से मुक्त होना है पैन किलर से थोड़ी देर का ददॅ चला जाता है पर वो जड़ से नही जाता क्योंकि आयुर्वेद ही एक मात्र ऐसी ओषधीयो है जो।बिमारी को जड़ से काटतो है समय तो लगता हे पर ईलाज परमानैंट होता है पर आज कल लोगों से सबर नही होता❓❓ इसी कारण वो एलोपैथीक के शिकार होते रहते है अगर मरिज थोड़ा भी  सबर ओर विश्वास रखै तो  ऑपरेशन की नोबत ही ना आए ओर इस समस्या से जड़ से मुक्ति मिले हमारे कई मरिज ऐसे हे जो इस समस्या से बहुत परेशान होकर तरह-तरह का ईलाज करके थक गये लेकीन हमारे ईलाज से उनकी ये समस्या बिल्कुल ठीक हो ना उनके घुटनों मे सुजन हे अब ना कट-कट की आवाज ओर ना ही उठने बैठने पर ददॅ की अनुभूति आज वो लोग आयुर्वेद पर विश्वास करके पुण्तॅया स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे है 

👉 *हमारे ठीक हूँए मरिज :-*  *1-वासुदेवो ईटनकर,2-रमेश जी 3-अजय जी 4-रानी जी 5-गीता जी 6-राजकुमारी जी ओर भी कई मरिज है*  

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*हमारी इस दवा के सेवन करते रहने से आपको किसी भी प्रकार की केल्शियम मिनरल्स ,विटामिन की गोलियाँ खाने की जरूरत नही है हमारी दवा मे ये सब मोजूद है* 

*_अगर आप हमारा ददॅ नाशक पैकेज मगवाना चाहते है तो हमारे नीचे दीए गये नम्बर पर सम्पर्क करे हमारी।दवा पर हम आपको  गारटी दैते है आपके घुटनों का ददॅ जड से समाप्त हो जाएगा ओर कट-कट की आवाज भी आना पुण्तॅया बंद हो जाएगी _*

🙏🏻आपकी सैवा करना हमारा कतॅव्य हे इसी उद्देश्य से हम आपकी समस्या का समाधान करने के लिए अथॅक प्रयास मे जुटे रहते हे🙏🏻 
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