Saturday 3 June 2023

अद्भुत नामर्दी की संहारक जड़ी काली मूसली...*आयुर्वेद में मूसली का यौन शक्ति और शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए कई वर्षो से औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है।

*अद्भुत नामर्दी की संहारक जड़ी काली मूसली...*
आयुर्वेद में मूसली का यौन शक्ति और शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए कई वर्षो से औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है।

*आयुर्वेद के शास्त्रों में मूसली दो प्रकार की बतायी गयी है एक सफेद मूसली और दूसरी काली मूसली।*
दोनों तरह की मूसली औषधि के रूप में बहुत से रोगों में प्रयोग की जाती है।
*काली मूसली का प्रयोग मूल रुप से यौन शक्ति बढ़ाने और शरीर की मांसपेशियों की दुर्बलता को दूर करने में किया जाता है साथ ही यह मूत्र या यूरिन सम्बन्धी रोगो के उपचार में भी बहुत ही फायदेमंद साबित होती है।*

*काली मूसली क्या है..?*
काली मूसली एक बहुवर्षायु कोमल क्षुप होती है जिसकी जड़ फाइबर युक्त मांसल (ठोस) होती है। 

काली मूसली स्वाद में हल्का मीठापन और कड़वापन लिए हुए होती है लेकिन इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए योग्य वैद्य की सलाह से ही इसको लेनी चाहिए।

काली मूसली के पत्ते ताड़ (ताल) के पत्तों की तरह होते हैं।

पीले रंग के फूलों के कारण इसको स्वर्ण पुष्पी या हिरण्या पुष्पी भी कहते हैं।

इसकी जड़ें  बाहर से मोटी एवं काले भूरे रंग की तथा अन्दर से सफेद रंग की, मांसल व तंतुयुक्त होती है।

*काली मूसली के फायदे*
आयुर्वेद के अनुसार काली मूसली (Black musli) पिच्छिल (चिपचिपाहट युक्त), वात-पित्त को कम करने वाली और कफ को बढ़ाने वाली होती है। 

काली मूसली वृष्य (यौनशक्ति बढ़ाने वाली), बृंहण (शरीर का बल बढ़ाने वाली) तथा धातुवर्धक (शरीर के सभी तत्वों को पोषण देने वाली) होती है।

इसके अलावा यह जलन, थकान, पाइल्स में भी अच्छा काम करती है।

काली मूसली रक्त को दूषित करने वाले तत्वों को नष्ट करने वाली होती है अर्थात ये रक्त को साफ़ करने वाली होती है।

*काली मूसली की मूल (जड़) वाजीकारक यानि यौन शक्ति बढ़ाने में मददगार और मूत्र रोग में लाभकारी होती है।*

*साथ ही ये शक्तिवर्द्धक, बुखार, संग्रहणी या दस्त (आँतो की कमजोरी), अर्श (पाइल्स), रक्त संबंधी बीमारियां, शुक्रमेह (Spermatorrhoea) में भी लाभकारी है।*

*मधुमेह या डायबिटीज के कारण होने वाली कमजोरी में इसका अच्छा परिणाम देखने को मिलता है।*


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