Saturday 3 June 2023

मोदी जी की भीड़ का अर्थशास्त्र‼️*😉_*राजेन्द्र राठौड़ की चालाकियों का समाज शात्र!*_😫_*घनश्याम तिवारी के विवेक का राजनीति शास्त्र!*_😇_*वसुंधरा राजे की बेक़दरी का ज्योतिष शास्त्र!*_😴 *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

*‼️मोदी जी की भीड़ का अर्थशास्त्र‼️*😉

_*राजेन्द्र राठौड़ की चालाकियों का समाज शात्र!*_😫

_*घनश्याम तिवारी के विवेक का राजनीति शास्त्र!*_😇

_*वसुंधरा राजे की बेक़दरी का ज्योतिष शास्त्र!*_😴

                *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                       *अजमेर वैसे का वैसा ही रह गया जैसे मोदी जी के आने से पहले था। पुष्कर राज भी अपनी पुरानी रफ़्तार में साँसें ले रहा है। मोदी जी ने कोई ऐसी घोषणा नहीं की जिससे अजमेर या पुष्कर उनकी यात्रा को याद रख सके।उर्स के मौके पर मुसलमान जायरीन को ठहराने वाली कायड़ विश्राम स्थली पर भी कोई खरोंच नहीं आई।*🤨
                     *मोदी जी की यात्रा में उनके भाषण पर मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा। सब कुछ विस्तार से अखबारों में छप चुका है।। आज मैं अपने ब्लॉग में वही बातें लिख रहा हूँ जो अख़बारों में आपने नहीं पढ़ीं होंगी और जो मोदी जी की यात्रा में घटित हुईं।*😉
                 *सबसे पहले तो इकट्ठी की गई भीड़ के दावों पर चर्चा। दावा किया गया था चार लाख लोग सभा की शोभा बढ़ाएंगे। ऐसा नहीं हुआ। एक लाख से डेढ़ लाख तक लोग सभा मे नज़र आए। लोग भीड़ के रूप में थे जो न तो पूरी तरह से भाजपा के कार्यकर्ता थे, न मोदी जी के समर्थक! अधिकतर दर्शक थे! मोदी जी को देखने मात्र की अभिलाषा लेकर आए थे! अजमेर संभाग से जितने लोग आए उनमें सबसे कम अजमेर और पुष्कर के थे। पुष्कर क्यों कि मोदी जी ख़ुद पहुंच गए थे इसलिए पुष्कर वासियों में उनको देखने और सुनने के लिए अजमेर जाने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई। हाँ, भाजपा के विधायक और पदाधिकारी ज़रूर कायड़ पहुंचे।*🙋‍♂️
                       *भीड़ जो न गिनी जा सकती है न उसका आंकलन किया जा सकता है न वह किसी राजनेता की लोकप्रियता सिद्ध करती है।मोदी जी की सभा में यदि कोई कहे कि दस लाख लोग आए तो भी मैं उसका विरोध नहीं करूंगा। हां, इतना ज़रूर कहूंगा कि अजमेर में मोदी जी को देखने या सुनने में बहुत कम लोगों ने दिलचस्पी दिखलाई। बहुत सी बसें भोजन पानी की सुविधाओं के साथ खड़ी रहीं मगर उनमें बैठने वाले कोई नज़र नहीँ आया। ऐसी बसों की तस्वीरें मेरे पास बड़ी संख्या में हैं।*👍
                   *ख़ैर! भीड़ के बाद आईये बात करें उस यज्ञ की जो असुर शक्तियों से सभा को दूर रखने के लिए किया गया था। मुझे ख़ुशी है कि यज्ञ किसी हद तक सफल रहा मगर पूर्णतः नहीं। आप पार्टी की कीर्ति पाठक ने काले झंडे दिखा कर मोदी जी की सभा में अपनी हाज़री लगा दी। मोदी विरोधी नारे भी लगा दिए गए।*😨
                  *अब आईये कुछ बात हो जाये उन राजनेताओं की भी, जिनको मोदी जी ने सम्मान और नज़दीकी दान की। निहाल होने वाले नेताओं के ट्यूरनामेंट में राजेन्द्र राठौड़ ने बाज़ी मारी। मोदी जी के मंच पर आने से पहले भले ही किसी का भी क़ब्ज़ा रहा हो मगर मोदी जी के आने के बाद माइक पर क़ब्ज़ा राजेन्द्र राठौड़ का ही रहा। मंच संचालन कर रहीं अलका गुर्जर से राठौड़ी अंदाज़ में माइक छीन लिया गया और राजेंद्र राठौड़ ने मोदी जी के सम्मान में क़सीदे निकाल कर अपने नम्बर बढाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मंच के पीछे जो बैक ड्राप था उस पर 5 नेताओं की तस्वीरें थीं।मोदी जी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा एक तरफ थे। दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ स्वयं थे।*💁‍♂️
                          *बैक ड्राप देखने वालों का मानना था कि वसुंधरा जी को विशेष सम्मान मिलेगा मगर राठौड़ ने ऐसा नहीं होने दिया। ख़ुद मोदी जी के आव भाव भी उनको भाव देने जैसे नहीं थे। ज़ाहिर हो रहा था कि वसुंधरा को अगले चुनावों में कितनी तरज़ीह दी जाएगी❓️ वसुंधरा भाजपा को कितना सम्मान देंगी❓️ उनकी भूमिका क्या रहेगी❓️इसका भी फ़िलहाल तो अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है। वैसे यह तो तय है कि मोदीजी और अन्य राष्ट्रीय नेताओं की दृष्टि अब तक पूर्ववत ही है जिसे मैं स्प्ष्ट कहूँ तो कुदृष्टि ही कहूँगा।मोदी जी यदि चाहते तो वसुंधरा के सम्मान में कुछ कह सकते थे। कुछ नज़दीकी जता सकते थे मगर उन्होंने इस बार भी ऐसा नहीं किया।*🙄
                  *वसुंधरा जी को एक बार तो अपमान के घूंट भी पीने पड़े जब मंच पर सामूहिक तस्वीरे ली जा रहीं थीं और राजेन्द्र राठौड़ अंत समय में वसुंधरा के आगे खड़े हो गए।वसुंधरा को अपने हाथ से बलपूर्वक उनको हटाना पड़ा।मोदी जी चाहते तो वसुंधरा को ख़ुद आगे ला सकते थे। यहाँ एक बात और कि मंच से वसुंधरा का भाषण भी नहीं हुआ।*😟
                  *जो हुआ जैसा हुआ बता दिया। अब वसुंधरा जी के साथ पार्टी क्या सलूक़ कर रही है और वसुंधरा पार्टी के साथ क्या स्वरूप इख्तियार करेंगी यह तो वक़्त बताएगा। मैं तो इतना ही कहूँगा कि "बहुत कठिन है डगर पनघट की"। वसुंधरा गाजर का हलुवा नहीं जिसे मोदी जी हज़म कर जाएं। आप सब समझदार हैं ।आपको इशारा काफ़ी है।*🙋‍♂️
                   *तो आइए बात करें कि राठौड़ के अलावा मोदी जी की अजमेर यात्रा में और किस नेता को सम्मान और नज़दीकी मिली। घनश्याम तिवारी ने इस बार फूल थ्रू  अटेंशन प्राप्त किया। पुष्कर यात्रा में वह मोदी जी के साथ रहे और मोदी जी भी उनसे प्रसन्न नज़र आए। इसके क्या क्या राजनीतिक मायने हो सकते हैं आप समझ सकते हैं।*🤷‍♂️
                        *यहाँ पुष्कर यात्रा का जिक्र छिड़ ही गया है तो अपने समाजसेवी मित्र अरुण पाराशर का भी ज़िक़्र करना चाहूंगा। उन्होंने बड़ी मज़ेदार जानकारी साझा की है। आप भी जान लीजिए।*💁‍♂️
                   *वह पूछते हैं कि क्या  टूटेगा पुष्कर तीर्थ यात्रा के बाद देश के प्रधानमंत्रियो से जुड़ा मिथक ❓️जो आता है फिर नहीं बन पाता प्रधान मंत्री!!!!!*🫢
                    *प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए अब तक तीन प्रधानमंत्री पुष्कर आये है। वे फिर से कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाए। पाराशर बताते है कि सबसे पहले 6 फ़रवरी 1989 को राजीव गाँधी प्रधानमंत्री के रूप में पुष्कर आये थे। फिर 9 जुलाई 1993 को पी. वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री के रूप में पुष्कर आये थे। जिसके बाद सन 1996 में  एच. डी. देवेगौड़ा प्रधानमंत्री के रूप में पुष्कर आये थे। इसे एक संयोग ही कह सकते है कि यह तीनों कभी दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बन पाए। जिसके चलते राजनैतिक गलियारों में पुष्कर तीर्थ यात्रा और देश के प्रधानमंत्रियो से जुड़ा मिथक प्रचलित है।*😇
                    *मोदी जी इस मिथक को तोड़ें यही ब्रह्मा जी से हमारी प्रार्थना है। और अंत में यह जानकारी कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सुलहनामा समाप्त हो गया है। टोंक पहुंच कर सचिन पायलट ने फिर अपनी तीन मांगों के साथ धमकी दे दी है कि मांगें नहीं माने जाने पर वह आंदोलन करेंगे। ज़ाहिर है कि सांप नेवले वाला मेरा ब्लॉग करवट बदल रहा है।*👍

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