Tuesday, 29 July 2025

सच्चे इस्लाम की खोज में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका

सच्चे इस्लाम की खोज में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका

समकालीन विश्व में, इस्लाम अक्सर अपनी मूल शिक्षाओं के कारण नहीं, बल्कि कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा धार्मिक ग्रंथों, विशेषकर हदीस, का दुरुपयोग करके हिंसा, असहिष्णुता और उत्पीड़न को बढ़ावा देने के कारण विवादों के केंद्र में रहता है। इस जानबूझकर या अज्ञानतापूर्वक किए गए दुरुपयोग के गंभीर परिणाम हुए हैं, जिनमें कट्टरपंथ का बढ़ना, धार्मिक ग्रंथों का गलत प्रस्तुतीकरण और इस्लामी जगत में आंतरिक संघर्ष शामिल हैं।

हदीस, या पैगंबर मुहम्मद (PBUH) के कथन और कार्य, कुरान के बाद इस्लामी कानून और मार्गदर्शन का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ये आख्यान कुरान के रहस्योद्घाटन को संदर्भ प्रदान करते हैं और पैगंबर के नैतिक चरित्र, नेतृत्व और सभी पृष्ठभूमि के लोगों के साथ उनके व्यवहार के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। हालाँकि, कुरान के विपरीत, जिसे ईश्वरीय रूप से संरक्षित माना जाता है, हदीस साहित्य पैगंबर की मृत्यु के सदियों बाद विभिन्न इस्लामी विद्वानों द्वारा संग्रह, प्रमाणीकरण और वर्गीकरण की प्रक्रिया से गुजरा।

 इमाम बुखारी, इमाम मुस्लिम और अन्य महान विद्वानों ने हदीस की पुष्टि के लिए कठोर तरीके विकसित किए, प्रत्येक कथावाचक की विश्वसनीयता और पाठ की सुसंगतता की जाँच की। उनके प्रयासों के बावजूद, कुछ अप्रमाणित या कमज़ोर हदीसें आज भी प्रचलित हैं और अक्सर चरमपंथियों और इस्लाम विरोधियों द्वारा हिंसा, महिलाओं के उत्पीड़न और सत्तावादी प्रथाओं के लिए इस्लाम को सही ठहराने या दोष देने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है।

उग्रवादी समूहों ने अपनी हिंसक विचारधाराओं को सही ठहराने के लिए बार-बार हदीस को संदर्भ से बाहर ले लिया है या कमज़ोर कथाओं का सहारा लिया है। उदाहरण के लिए, कुछ हदीसें जो युद्ध के दौरान युद्ध या पैगंबर की दुश्मनों के प्रति प्रतिक्रिया का वर्णन करती हैं, उन्हें ऐतिहासिक पृष्ठभूमि या इस्लाम द्वारा ज़ोर दिए गए नियमों, जैसे कि निर्दोषों, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को नुकसान न पहुँचाना, के बिना उद्धृत किया जाता है। इस तरह की चयनात्मक व्याख्या कट्टरपंथियों की भर्ती और मुस्लिम विरोधी प्रचार, दोनों को बढ़ावा देती है।

एक और आम दुरुपयोग महिलाओं के साथ व्यवहार में है। महिलाओं की शिक्षा, आवागमन की स्वतंत्रता या सार्वजनिक जीवन में उनकी भूमिका को सीमित करने के लिए ऐतिहासिक रूप से कई मनगढ़ंत या कमज़ोर हदीसों का हवाला दिया गया है।  उदाहरण के लिए, महिलाओं को बौद्धिक रूप से कमज़ोर बताने वाली एक आम तौर पर दुरुपयोग की जाने वाली उक्ति को न केवल संदर्भ से बाहर ले जाया जाता है, बल्कि पैगंबर द्वारा महिलाओं के प्रति उनके वास्तविक व्यवहार, उन्हें सशक्त बनाने, उनकी शिक्षा को प्रोत्साहित करने और उन्हें नेतृत्व की भूमिकाएँ सौंपने, जैसा कि आयशा (र.अ.) के मामले में हुआ, जो एक प्रसिद्ध विद्वान थीं, से भी विरोधाभासी है।

कुछ समाजों में, शासकों या प्रभावशाली समूहों ने हदीस का इस्तेमाल सत्तावादी नियंत्रण को वैध बनाने, असहमति को हतोत्साहित करने या सुधारों को दबाने के लिए किया है। "नेता का आज्ञापालन करो, भले ही वह अत्याचारी हो", जैसी गलत उद्धृत हदीसों को अक्सर विद्वानों और ऐतिहासिक संदर्भ से बाहर उद्धृत किया जाता है। वास्तव में, इस्लामी शासन न्याय, परामर्श (शूरा) और जवाबदेही पर आधारित है। यह हेरफेर धार्मिक आड़ में अत्याचार को बढ़ावा देता है, जिससे लोग इस्लाम के आध्यात्मिक और नैतिक संदेश से दूर हो जाते हैं। हदीस का दुरुपयोग इस्लाम की वैश्विक स्तर पर गलत व्याख्या में योगदान देता है। इस्लामी ग्रंथों से अपरिचित गैर-मुस्लिम इन हिंसक या दमनकारी व्याख्याओं को मानक मान सकते हैं। स्वयं मुसलमान, खासकर वे जिनकी प्रामाणिक प्रमाणिकता तक सीमित पहुँच है, भ्रमित, मोहभंग या यहाँ तक कि कट्टरपंथी हो सकते हैं। इसके अलावा, यह मुसलमानों के बीच आंतरिक एकता को कमज़ोर करता है। विभिन्न संप्रदाय अलग-अलग हदीस संग्रहों या व्याख्याओं पर भरोसा कर सकते हैं, जिससे कलह और विखंडन पैदा हो सकता है, जिसे अक्सर राजनीतिक तत्वों द्वारा और भी अधिक प्रभावित किया जाता है।

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, शिक्षा न केवल एक आवश्यकता बल्कि एक धार्मिक कर्तव्य भी बन जाती है। पैगंबर मुहम्मद (PBUH) ने स्वयं इस बात पर ज़ोर दिया था, "ज्ञान प्राप्त करना हर मुसलमान का दायित्व है।" मुसलमानों को प्रामाणिक और मनगढ़ंत हदीस के बीच अंतर करने के लिए आवश्यक उपकरणों से लैस होना चाहिए। इसके लिए हदीस विज्ञान (इल्म अल-हदीस) की मूल बातें सीखना, ऐतिहासिक संदर्भों को समझना और पारंपरिक और समकालीन दोनों ज्ञान में निपुण योग्य विद्वानों से अध्ययन करना आवश्यक है। कुरान, इस्लाम का प्राथमिक स्रोत होने के नाते, एक नैतिक ढाँचा प्रदान करता है जो किसी भी संदिग्ध कथन को नकार देता है।  जब हदीस की व्याख्या कुरान के न्याय, दया, ज्ञान और करुणा जैसे सिद्धांतों के प्रकाश में की जाती है, तो उसका सही अर्थ सामने आता है।

युवा मुसलमान विशेष रूप से अतिवाद और इस्लाम-विरोधी भावनाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं। शैक्षणिक संस्थानों, मस्जिदों और परिवारों को आलोचनात्मक सोच, ऐतिहासिक जागरूकता और नागरिक ज़िम्मेदारी के साथ-साथ प्रामाणिक इस्लामी मूल्यों की शिक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। गैर-मुसलमानों को भी इस्लामी शिक्षाओं के बारे में सटीक जानकारी तक पहुँच की आवश्यकता है। अंतर्धार्मिक संवाद, इस्लाम के अकादमिक अध्ययन और मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देने वाली शैक्षिक पहल हदीस के दुरुपयोग से उत्पन्न मिथकों को दूर कर सकती हैं।

शिक्षा भ्रम और स्पष्टता के बीच का सेतु है। केवल सीखने, प्रश्न करने और सत्य की खोज के माध्यम से ही मुसलमान और गैर-मुसलमान दोनों ही वास्तविक इस्लाम को उजागर कर सकते हैं। जैसा कि पैगंबर ने कहा, "जो कोई ज्ञान की खोज में मार्ग पर चलता है, अल्लाह उसके लिए जन्नत का मार्ग आसान कर देगा।" पैगंबर दुनिया के लिए दया थे, हिंसा या उत्पीड़न के प्रतीक नहीं। उनकी हदीस, जब प्रामाणिक और सही ढंग से समझी जाती है, तो विनम्रता, करुणा, न्याय और संतुलन के जीवन को दर्शाती है।  इन पवित्र शब्दों का दुरुपयोग न केवल धर्म को विकृत करता है बल्कि संपूर्ण मानव समुदाय को नुकसान पहुंचाता है।

फरहत अली खान 
एम ए गोल्ड मेडलिस्ट

Sunday, 27 July 2025

डिफेंस काउंसिल द्वारा जिला कारागार का भ्रम

डिफेंस काउंसिल द्वारा जिला कारागार का भ्रमण 

आज जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा के निर्देश और सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रशांत कुमार सिंह की देखरेख में डिफेंस काउंसिल अनिल कुमार सिंह डॉ दिलीप कुमार सिंह एवं प्रकाश तिवारी द्वारा जिला जेल जौनपुर का भ्रमण करके जेल के बंदियो के स्वास्थ्य भोजन खानपान वस्त्र गंदगी और प्रदूषण बीमारी एवं अन्य परेशानियों के बारे में जानकारी प्राप्त की गई और जेल प्रशासन को इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए और जनपद न्यायाधीश द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों से जल प्रशासन को अवगत कराया गया बंदियों को उनके अधिकार और कर्तव्य के बारे में बताया गया और किसी भी प्रकार की विधिक सहायता के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर में प्राप्त सुविधाओं का विस्तृत ब्यौरा देते हुए उन्हें बताया गया कि किसी भी परिस्थित में हर समय उन्हें सारी सुविधाएं प्राधिकरण के द्वारा निशुल्क उपलब्ध हैं अपने मुकदमों के बारे में प्राप्त उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करने के बारे में भी उन्हें जानकारी दी गई

मौसम की भविष्यवाणी 3 अगस्त से लेकर 6 अगस्त तक घनघोर न्यूज नंबर 1:मूसलाधार वर्षा की भविष्यवाणी जौनपुर सहित पूरे भारत में 4 अगस्त को भी सही हुई रात भर मूसलाधार वर्षा जारी रहे आज दिनभर रात भर अंतराल देकर वर्षा जौनपुर सहित पूरे भारत में होगी और कल भी यही स्थिति रहेगी/न्यूज no 2 नाग पंचमी और सांप प्रजातियां डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह

मौसम की भविष्यवाणी 
3 अगस्त से लेकर 6 अगस्त तक घनघोर मूसलाधार वर्षा की भविष्यवाणी जौनपुर सहित पूरे भारत में 4 अगस्त को भी सही हुई रात भर मूसलाधार वर्षा जारी रहे आज दिनभर रात भर अंतराल देकर वर्षा जौनपुर सहित पूरे भारत में होगी और कल भी यही स्थिति रहेगी इन तीन दिनों में 200 से लेकर 300 मिली लीटर वर्षा होगी और चारों ओर जल प्रलय जैसा दृश्य प्रस्तुत हो जाएगा चारों ओर केवल अपनी ही अपनी नजर आएगा और सबसे बड़ी बात हमारे केंद्र की वह महान भविष्यवाणी भी सही हुई जिसमें हमने लिखा था कि तीन और चार को वज्रपात बिल्कुल नहीं होगा लेकिन अब चार और पांच अगस्त को रात में और दिन में भीषण भाद्रपद भी होगा सभी लोग सावधान रहें सतर्क रहें डॉ दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल मौसम वैज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर 7017713978

आज का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रहेगा आज अधिकांश स्थानों में जो जौनपुर और उनके आसपास के जनपद हैं और पूर्वांचल में सामान्य से माध्यम कुछ स्थानों पर भारी और अनेक स्थानों पर बहुत भारी मूसलाधार वर्षा होने की प्रबल संभावना है आज हवा की दिशा पश्चिम गति 5 से 10 किलोमीटर प्रति घंटा प्रदूषण की मात्रा निम्न अल्ट्रावायलेट किरणों की तीव्रता माध्यम से लेकर मान्य और मौसम अत्यंत सुहाना रहेगा दोपहर के बाद हर जगह तेज वर्षा होने की संभावना है 

कल का अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस रहेगा कल चारों तरफ माध्यम से भारी वर्षा होने की संभावना है और 3 अगस्त से लेकर 6 अगस्त तक हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र की भविष्यवाणी सही होगी और पूरे भारत में जौनपुर में पूर्वांचल में समस्त जिलों में उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश में मुंबई महाराष्ट्र में नालासोपारा वसई विरार में राजस्थान मध्य प्रदेश पूर्वोत्तर भारत बंगाल बिहार छत्तीसगढ़ में पंजाब हरियाणा दिल्ली में आंध्र तेलंगाना उड़ीसा तमिलनाडु में गोवा में कर्नाटक में गुजरात में कश्मीर में नेपाल भूटान म्यांमार में प्रचंड मूसलाधार वर्षा अनेक स्थानों पर प्रचंड मूसलाधार बाकी स्थानों पर मध्यम तेज वर्षा होगी डॉ दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर
[03/08, 06:08] ~Padma Singh: Mahan Mausam vaigyanik aur Jyotish Shiromani doctor Dilip Kumar Singh ki bhavishyvani 3 August Shiksha August Tak Jaunpur aur uske aaspaas ke sabhi jilon aur Purvanchal sahit sampurn Bharat mein Barish se bahut Bhari Aur Muslim dharm Varsha hone ki bhavishyvani Subah Se Hi Sahi honi shuru ho gaye hain 48 varsh se Lakhon bhavishyavaniyan 99% ki Dar se Sahi Hui aur yah bhi bilkul sahi Hogi Aaj Se 2 din pahle hi bhavishyvani kar di Gai thi
[8/3, 6:27 AM] Dr  Dileep Kumar singh: हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर के द्वारा आज से 3 दिन पहले जौनपुर जौनपुर के पड़ोसी सभी जिलों सुल्तानपुर प्रतापगढ़ प्रयागराज मिर्जापुर सोनभद्र चंदौली दीनदयाल नगर वाराणसी गाजीपुर आजमगढ़ अंबेडकर नगर अयोध्या पूरे पूर्वांचल संपूर्ण उत्तर प्रदेश और पूरे भारत में घनघोर मूसलाधार वर्षा की लगातार तीन दिन की जो भविष्यवाणी की गई है वह ईश्वर की कृपा से सही होना शुरू हो गई है तीन चार पांच और 6 अगस्त को घनघोर वर्षा होगी और घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा इस कालखंड में अर्थात 3 अगस्त से 6 अगस्त तक घनघोर मूसलाधार वर्षा 100 से लेकर 200 मिलीलीटर और कहीं कहीं अधिक भी होगी और चारों तरफ जल ही जल दिखेगा इसलिए आज सुबह एक बार फिर इसको दोहराया जा रहा है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल मौसमविज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि निर्देशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र दिनांक 3 जून 2025 मोबाइल नंबर 7017713978



नाग पंचमी और सांप प्रजातियां डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह 

भारत विश्व का सबसे प्राचीन और विश्व व्यापी फैला हुआ देश है और सनातन धर्म सारे संसार का सबसे प्राचीन धर्म है यहां प्रत्येक दिन कोई ना कोई पर्व और उत्सव होता रहता है जिससे जीवन में नीरसता की जगह सरसता फैली रहती है हर एक पर्व उत्सव त्यौहार का अपना एक विशिष्ट महत्व होता है जो मानव जीवन कृषि कार्य धर्म दर्शन अध्यात्म के साथ प्रकृति और पर्यावरण से भी जुड़ा रहता है ऐसा ही एक महान पर्व नाग पंचमी है जो नागो से जुड़ा हुआ है भारत एक ऐसा देश है जहां पर पशु पक्षी ईद पत्थर आकाश पाताल दिशाओं की ग्राम देवी ग्राम देवता तक की पूजा की जाती है क्योंकि कालांतर में सिद्ध हो गया है कि प्रत्येक वस्तु परमाणु अथवा कोशिका से बनी है और हर एक परमाणु और कोशिका में ईश्वर का ही अंश होता है 

नाग पंचमी का महान पर्व सावन महीने के शुक्ल पक्ष में पंचमी के दिन मनाया जाता है जब लोग घर की साफ सफाई करके लीप पोत कर कपड़े पहनकर नाग देवता की पूजा करते हैं और उनका दूध चढ़ाते हैं इस दिन नाग देवता का दर्शन करना शुभ माना जाता है संसार में कोई भी ऐसा धर्म नहीं है जिसके मानने वाले दुनिया में सबसे भयंकर माने जाने वाले नाग और सांपों की पूजा करते हैं जो स्वयं में काल का एक स्वरूप होता है और जिसको देखकर बड़े से बड़े लोगों के मन में भय पैदा हो जाता है और आज इतनी अधिक वैज्ञानिक और चिकित्सा की उन्नति हो जाने के बाद भी प्रतिवर्ष भारत में और दुनिया में सांपों के काटने से लाखों लोग मरते हैं तो प्रश्न उठता है कि आखिर नाग पंचमी का त्यौहार क्यों मनाया गया और इनकी पूजा क्यों की जाती है 

सभी प्रकार के सांपों में नाग का विश्व सबसे अधिक विषैला और प्रभावकारी होता है और यह न्यूरोटॉक्सिक होता है नाग अर्थात कोबरा की कई प्रजातियां होती हैं जिसमें शेषनाग सबसे लंबी और घातक प्रजाति है जो हर प्रकार के सांपों को जिंदा ही खा जाता है इसके बाद काला नाग और भूरा नाग होता है और यही सांप की ऐसी प्रजाति है जिसमें बहुत पुराने कुछ नागों में नागमणि पाई जाती है वैसे तो भारत में करैत वाईपर और रसेल वाइपर सांप भी बहुत जहरीले होते हैं लेकिन यह सभी नाग के भय से छिपे रहते हैं 

वैसे तो कोई भी जहरीला नाग या सांप काट ले तो वर्तमान समय में प्राथमिक चिकित्सा करके अर्थात घाव को साबुन से यह स्वच्छ पानी से अच्छी तरह धोकर उसके ऊपर हल्का दबाव देते हुए पट्टी बांधकर तुरंत ही चिकित्सक के पास जाना चाहिए लेकिन जहां पर चिकित्सा सुविधा न हो या समय बहुत कम हो वहां पर तंत्र-मंत्र जड़ी बूटियां का प्रयोग करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए जिसमें अधिक मात्रा में काली मिर्च और घी को पिलाना नीम की पत्ती खिलाना और कुछ मित्रों का जाप करना शामिल है ऐसा माना जाता है कि जरत् कारु ऋषि कश्यप ऋषि शंखचूड़ वासुकी का नाम लेने से सांप नहीं काटते हैं और वह रास्ता बदल कर चले जाते हैं और इनका नाम लेने से सांप का विश्व असर नहीं करता है नाग कल का भला करने वाले कुछ ऐसे भी वंश हैं जिन पर सांपों के विश्व का असर नहीं पड़ता है यह बात पूरी तरह सच है इसके अलावा **ऊं कुरुकुल्ये हूं फट् स्वाहा**मंत्र का जाप करने से भी सांप के विश्व का असर नहीं होता है 

सांप एक ऐसा प्राणी है जो मनुष्य से सबसे अधिक डरता है इसके अलावा यह नेवला गरुड़ पक्षी बाज प्रजातियां और गिलहरी मोर एवं बिल्ली से भी डरता है नाग पंचमी को जिस प्रकार से पूजा पाठ और सफाई की जाती है और सावन महीने में जिस तरह से महारुद्र अभिषेक किया जाता है उसे सांप मनुष्य का निवास छोड़कर बन बाग खेत और अन्य जगहों पर चले जाते हैं इसीलिए नाग पंचमी त्यौहार मना कर नागों की पूजा की जाती है इसके अलावा यह नाग जाति और मनुष्य जाति के बीच प्राचीन संबंधों का भी स्मरण दिलाता है नाग एक प्राचीन काल में मानव की जाती थी जो जंगल गुफा कंधराओं में रहते थे और उनका नागों के साथ लंबे समय रहने से उनके बारे में पूरा ज्ञान हो गया था और वह जड़ी बूटियां और सांपों का जहर उतारने और उनको पकड़ने में सिद्ध हस्त थे नागवंश एक प्रसिद्ध राजवंश भी था अर्जुन घटोत्कच सहित अनेक लोगों का नाग कल में विवाह हुआ था मेघनाथ की पत्नी सुलोचना नवांश से ही थी इस प्रकार नाग पंचमी को इसलिए भी मनाया जाता है कि धीरे-धीरे नवांश आर्य वंश में घुल मिल गया था 

सभी प्रकार के जहरीले नागो से मानव जाति को अपार लाभ होता है या मानव जाति के लिए विनाशकारी चूहा और अनेक जीव जंतुओं को खाकर मानव जाति का असीम कल्याण करते हैं इसके अलावा यह वातावरण में फैले हुए भयंकर विश्व को धीरे-धीरे पीते रहते हैं इसे जहर पूरी पृथ्वी पर फैल नहीं पता है जहरीले सांपों से कैंसर इत्यादि की बहुत कीमती दवाएं भी बनती हैं और पूरी दुनिया में सांपों को बड़े चावल से खाया भी जाता है अब रही सांपों के द्वारा मानव को काटने की तो यह स्वाभाविक सी बात है कि अगर सांपों को अपने प्राण संकट में दिखाते हैं तब वह आक्रमण कर देते हैं वैसे सांप का विश्व उनकी सबसे कीमती धरोहर होता है एक बार काट लेने के बाद फिर से जहर बनने में महीनों लग जाते हैं इसलिए सांप जल्दी काटते नहीं और काटते भी हैं तो बहुत ज्यादा विष नहीं उगलते हैं इसके अतिरिक्त सांप भगवान शिव के गले के आभूषण हैं जिनको वह बड़े चाव से अपने गले में पहनते हैं जब उन्होंने हलाहल विष का पान किया था तो उसे कुछ बूंदे धरती पर गिरी और उसी को पीकर सांप बिच्छू और अन्य जीव जहरीले हो गए थे शिव जी का आभूषण होने के कारण और उनके गले की शोभा होने के कारण भी सांपों की पूजा किया जाता है 

सांप से जुड़ी अनेक कथा कहानी और क्यों बदलता है लाखों करोड़ों वर्षों से भारतीय जीवन में घुली मिली हैं जिसमें सांपों के द्वारा बदला लेना और कुछ विशेष प्रकार के नागों में नागमणि होना पूरी तरह सत्य है इसके अलावा बहुत भ्रांत धारणाएं भी लोगों के मन में बस गई हैं नाग पंचमी को सांपों के संरक्षण और उनसे सावधान रहने से भी जोड़ कर देखा जाता है क्योंकि वर्षा काल में सांपों के प्रजनन का महीना होता है इसलिए वह बहुत अधिक उग्र होते हैं उनसे बचकर रहना चाहिए और सभी प्राणी एक समान है इस बात की धारणा भी नाग पूजा पूजा दिखती है 

नाग पंचमी के दिन विद विधानसभा से नागों की पूजा होती है और उन्हें दूध खीर चढ़ाया जाता है इसके अलावा लोक जीवन में इसे स्थाई बनाने के लिए इस दिन भारत के हर एक गांव शहर गली मोहल्ले में दंगल अर्थात कुश्ती होती है और कूड़ी अर्थात लंबी कूद का आयोजन किया जाता है इसके बाद घरों में भारत-भारत के सुंदर पकवान बनते हैं इस प्रकार यह महान पर्व शारीरिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है नाग पंचमी के दो दिन पहले हरियाली तीज या हरितालिका की जाती है जिसे अपना विशेष महत्व है यह विशेष रूप से ध्यान देने की बात है कि सावन में चारों तरफ घने पेड़ पौधे हरियाली होने से और पानी भर जाने से सांप उन सब स्थान से मानव निवास की ओर दौड़ते हैं और नाग पंचमी के दिन पूजा से उत्पन्न विभिन्न प्रकार की रासायनिक गंध और सूक्ष्म ऊर्जा नाग और हर प्रकार के सांपों को आवाज से दूर ले जाती है यही वजह है कि पहले हर तरफ घने जंगल झाड़ झंकार और हरियाली होने के बाद और घनघोर वर्षा होने के बाद भी प्राचीन काल में सांपों के काटने से शायद ही कोई मार हो अब ज्यादा लोग मर रहे हैं क्योंकि सांप के आवास पर लोग जबरदस्ती कब्जा कर रहे हैं आप आज से 50 वर्ष पहले अपने घर खानदान के लोगों से पता करेंगे तो पता लगेगा कि इतनी भयंकर स्थिति के बाद भी सांप के काटने से बहुत ही कम लोग मरे हैं और नाग तो बिना चेतावनी दिए काटते भी नहीं है सबसे खतरनाक करत नाम का सांप होता है जो 1 से 2 फीट लंबा काला चित्तीदार होता है और अगर यह सोते समय काट लेता है तो लोग सोते ही रह जाते हैं इसीलिए कहा जाता है कि करैत का काटा हुआ पानी भी नहीं मांगता हैऔर पूजा पाठ भी नहीं करते हैं इसलिए कहा जा सकता है कि नाग पंचमी एक पूर्ण वैज्ञानिक महापर्व है जो प्रकृति पर्यावरण और प्राणी मात्र की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है

Saturday, 26 July 2025

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देश और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ द्वारा चलाए गए अभियान जो मुख्य रूप से से राष्ट्रीय लोक अदालत और मध्यस्थता अभियान पर केंद्रित हैं पर एक विधिक साक्षरता जागरूकता सेमिनार जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा की अध्यक्षता और सचिव पूर्णकालिक अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमार सिंह की देखरेख में तहसील परिसर बदलापुर जौनपुर में आयोजित किया गया

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देश और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ द्वारा चलाए गए अभियान जो मुख्य रूप से से राष्ट्रीय लोक अदालत और मध्यस्थता अभियान पर केंद्रित हैं पर एक विधिक साक्षरता जागरूकता सेमिनार जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा की अध्यक्षता और सचिव पूर्णकालिक अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमार सिंह की देखरेख में तहसील परिसर बदलापुर जौनपुर में आयोजित किया गया
इस सेमिनार में प्रशांत कुमार सिंह सचिव पूर्ण कालिक डॉ दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल देवेंद्र कुमार सिंह पैनल लॉयर एवं काउंसलर अधिवक्तागण तहसील परिसर बदलापुर श्रीमती चंद्रावती निगम पैरा लीगल वॉलिंटियर और अन्य विभागों की महिला कार्यकर्ता पीएलवी प्राधिकरण के सुनील कुमार मौर्य और तहसील बदलापुर में तहसीलदार के कार्यालय के कर्मचारीगण और परिसर में उपस्थित वादकारी गण कार्यक्रम सम्मिलित हुए 

कार्यक्रम में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सचिव पूर्ण करने प्रशांत कुमार सिंह ने मध्यस्थता और राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला और अधिक से अधिक वादों का निस्तारण मध्यस्थता के द्वारा और राष्ट्रीय लोक अदालत के दिन निश्तारित करने पर बल दिया उन्होंने बताया कि प्राधिकरण में पीड़ित महिलाओं लड़कियों और अन्य वर्गों के लिए निशुल्क सेवाएं उपलब्ध है इसके अलावा उन्होंने प्राधिकरण के कार्य और उद्देश्यों पर भी विस्तार पूर्वक बताते हुए सुलह के द्वारा सभी सुलह योग्य मुकदमों के निस्तारण के लिए आवाहन किया
इस सेमिनार का संचालन करते हुए डिप्टी चीफ डिफेंस  काउंसिल डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को वैकल्पिक न्याय प्रणाली के रूप में 1980 के दशक में बनाया गया जिसके मुख्य दिशा निर्देशक जस्टिस पी एन भगवती और जस्टिस वी कृष्णा अय्यर थे उन्होंने बताया कि किस तरह से संपूर्ण भारत के हर जनपद में स्थापित प्राधिकरण में मध्यस्थ पैनल लॉयर काउंसलर डिफेंस लीगल सिस्टम पैरालीगल वॉलिंटियर फ्रंट ऑफिस वैवाहिक प्री लिटिगेशन वाद  और अन्य से किस प्रकार निशुल्क सहायता और जागरूकता प्राप्त की जा सकती है । राष्ट्रीय लोक अदालत और मध्यस्थ धारा किए गए वाद अंतिम होते हैं और इसमें सारी फीस वापस हो जाती है

काउंसलर देवेंद्र कुमार यादव ने विस्तार से फ्रंट पैनल सिस्टम परिवार न्यायालय में काउंसलिंग सिस्टम और सुलह  के द्वारा मुकदमों के निस्तारण के बारे में बताते हुए कहा कि किस तरह पीड़ित और प्रताड़ित लोग प्राधिकरण में आकर निशुल्क सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं पारिवारिक प्रताड़ना और तेजाब इत्यादि से पीडित किस प्रकार सहायता कर सकते हैं इन सभी बारे में बताया ।

Thursday, 17 July 2025

15 जुलाई से जौनपुर सहित सभी अन्य जगह में भीषण वर्षा प्रारंभ होगी 17 जुलाई तक लगातार जारी रहेगा और जिस तरह लोग सूखे से परेशान है इस तरह वर्षा से परेशान हो जाएंगे हमारे कुछ परम प्रिय और आदरणीय आलोचक घर और शत्रु मित्र के वश में छिपे 17 आस्तीन के सांप और मुंह पर प्रशंसा और पीठ पीछे बुराई करने वाले सर उठाने का प्रयास करेंगे लेकिन ईश्वर उन्हें कुचल देंगे

10 जुलाई से जौनपुर और सभी पड़ोसी जनपद जैसे प्रयागराज सुल्तानपुर प्रतापगढ़ अंबेडकर नगर अयोध्या आजमगढ़ गाजीपुर वाराणसी मिर्जापुर भदोही दीनदयाल नगर मैं लगातार वर्षा हो रही है 10 जुलाई से 14 जुलाई तक इन सभी स्थानों पर गोद वाले हॉकी भाषा और कुछ स्थानों पर मध्यम वर्षा होगी लेकिन 15 16 और 17 जुलाई को भीषण वर्षा आंधी तूफान झंझावात भाद्रपद से हाहाकार मच जाएगा और तीन दिनों में 200 से 300 लीटर वर्षा होगी ऐसा हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र की भविष्यवाणी है 

मेरी यह भविष्यवाणी ईश्वर की कृपा से पूरी तरह सच हुई14 जुलाई तक अधिकांश जगह हल्की वर्षा या बूंदाबांदी ही रही लेकिन प्रयागराज वाराणसी गाजीपुर सहित कुश जिलों में इस कालखंड में भी अच्छी वर्षा हुई ।

 आज 15 जुलाई से जौनपुर सहित सभी अन्य जगह में भीषण  वर्षा  प्रारंभ होगी 17 जुलाई तक लगातार जारी रहेगा और जिस तरह लोग सूखे से परेशान है इस तरह वर्षा से परेशान हो जाएंगे हमारे कुछ परम प्रिय और आदरणीय आलोचक घर और शत्रु मित्र के वश में छिपे 17 आस्तीन के सांप और मुंह पर प्रशंसा और पीठ पीछे बुराई करने वाले सर उठाने का प्रयास करेंगे लेकिन ईश्वर उन्हें कुचल देंगे

और कल और परसों जौनपुर तथा पड़ोसी जिलों में मूसलाधार और बहुत भारी वर्षा का दिन रहेगा और तब लगभग हर जगह खेती किसानी लायक पानी हो जाएगा और जिन्होंने हमारे कहने से धान की फसले लगा दिया वह मुझे धन्यवाद देंगे 15 16 और 17 जुलाई की वर्षा झंझा झकोर घन गर्जन तड़ित वारिद माला और बिजली की चमक गरज तथा वज्रपात आंधी तूफान के साथ होगी डॉ दिलीप कुमार सिंह
Dr  Dileep Kumar singh: मौसम की जानकारी और चेतावनी 15 जुलाई से 17 जुलाई तक झंझा झकोर घन गर्जन तड़ित गरज चमक वज्रपात और बिजली एवं वारिदमाला का भीषण और अद्भुत दृश्य उपस्थित होगा और प्रकृति तथा ईश्वर की महान शक्तियों का आभास होगा बहुत ही तेज हवाएं आंधी तूफान बवंडर झंझावात अंधड़ वाला दृश्य रहेगा सावधान रहेसुरक्षित रहे ।

इस कालखंड में जौनपुर और आसपास 200 से लेकर 300 मिली लीटर बारिश होगा और सूखा पूरी तरह समाप्त हो जाएगा 17 जुलाई के बाद वर्षा धीमी होगी और अंतराल देकर पूरे जुलाई भर वर्षा जारी रहेगी लेकिन बीच-बीच में तेज धूप और सूखा वाला भी दिन रहेगा 

आजकल अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस रहेगा हल्की उमस के बावजूद मौसम बहुत सुहावना रहेगा दिन भर रात भर कुछ अंतराल के बाद वर्षा होगी जो 100 मिलीलीटर से अधिक होगी 

कल का अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रहेगा कल भी तेज भयानक वर्षा वज्रपात  झंझावात और विद्युत की गरज चमक के साथ विद्यमान रहेगी जार और असली सावन का मौसम रहेगा 

वायु गुणवत्ता सूचकांक 50से 100 के बीच हवा की गति 10 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच दिशा उत्तरी पूर्वी पूर्वी रहेगी वायु प्रदूषण कम रहेगा । कभी-कभी तेज हवाओं की गति 50 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच जाएंगी

सावन के बारे में कहावत है 

सावन की तो बात निराली चारों तरफ बिछी हरियाली।

और इस तरह का मौसम केवल जौनपुर वाराणसी दीनदयाल नगर गाजीपुर देवरिया बस्ती भोजपुर नगर सिद्धार्थ नगर अयोध्या बलिया कुशीनगर गोरखपुर आजमगढ़ अकबरपुर अंबेडकर नगर गरबा सुल्तानपुर प्रतापगढ़ प्रयागराज मिर्जापुर चंदौली भदोही सोनभद्र ही नहीं संपूर्ण उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम मध्य भारत में जारी रहेगी

- डॉ दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल मौसम वैज्ञानिक ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर 7017713978
[7/17, 6:28 AM] Dr  Dileep Kumar singh: आज और कल के मौसम की भविष्यवाणी 
आज का अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस होने के कारण मौसम गर्मी में पहली बार ठंड और संभावना लगेगा 15 और 16 जुलाई को लगातार वर्षा के बाद आज भर में आधी रात के बाद से लेकर आज पूरे दिन भर रात भर घनघोर भयानक वर्षा झंझा झकोर घन गर्जन गरज चमक वज्रपात और वारिद माला के साथ आंधी तूफान सहित जारी रहेगी आज जौनपुर और आसपास के सभी जिलों में 100 से 115 मिली लीटर वर्षा होने का अनुमान है दिन में 10:00 से 11:00 तक और फिर शाम के बाद वर्ष का वेग थोड़ा धीमा रहेगा भयानक हवाएं कभी-कभी 40 से 50 किलोमीटर की रफ्तार को पार कर लेंगी एक ही चीज है कि बिजली गिरने की दर आज काफी कम रहेगी 

इस प्रकार अब तक लगातार 48 वर्ष से वर्षा प्रकृति मौसम आंधी तूफान सुख खेल राजनीति अंतरिक्ष विज्ञान सहित समस्त ब्रह्मांड के बारे में चंद्रमा और मंगल पर हवा पानी और कई सौरमंडल के ग्रहों में जीवन विद्यमान होने कीहमारे केंद्र की लाखों भविष्यवाणियों की 99% की दर से सही होने की तरह इस वर्ष वर्ष की भविष्यवाणी भी पूरी तरह सही होगी

कल के मौसम के बारे में अनुमान है कि भयानक वर्ष का वेग काफी धीमा रहेगा अधिकतम तापमान 32 और न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस होगा धूप छांव वर्ष का मिला-जुला दिन रहेगा और दो-तीन दिनों तक हल्की वर्षा के बाद तेज वर्षा का अगला क्रम फिर से प्रारंभ होगा और यह क्रम जुलाई भर चलता रहेगा।

जनपद न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर: अनिल कुमार वर्मा तथा सचिव पूर्णकालिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रशांत कुमार सिंह के निर्देशन और देश रेख में एक पेड़ मां के नाम के क्रम में आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर में भी कई पेड़ पौधों को डॉ दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल द्वारा लगाया गया

जनपद न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर अनिल कुमार वर्मा तथा सचिव पूर्णकालिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रशांत कुमार सिंह के निर्देशन और देश रेख में एक पेड़ मां के नाम के क्रम में आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर में भी कई पेड़ पौधों को डॉ दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल द्वारा लगाया गया

जिला विधिक सेवा  प्राधिकरण जौनपुर के हरे भरे प्रांगण में इन पौधों को लगाने में प्रकाश तिवारी असिस्टेंट डिफेंस काउंसिल राजेश कुमार यादव एवं सुनील कुमार गौतम राकेश कुमार यादव कर्मचारी गण जिला विदेश सेवा प्राधिकरण श्रीमती रूबी सिंह स्टेनो एवं शिव शंकर सिंह पैरा लीगल वालंटियर का भी पूरा पूरा सहयोग रहा 

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को प्रेरित करते हुए अधिक से अधिक पौधे कागजों की जगह धरती में लगाने का आह्वान करते हुए कहा गया की महत्वपूर्ण यह नहीं है कि 60 लाख 70 लाख पौधे लगाए जाए आवश्यक किया है कि 1000 पौधे लगाए जाएं और अगले साल में 1000 पुर के पूरे बचे रहे

विरासत के संरक्षक: कला, भाषा और वास्तुकला का संरक्षण करते भारतीय मुसलमान

विरासत के संरक्षक: कला, भाषा और वास्तुकला का संरक्षण करते भारतीय मुसलमान

भारत जैसे देश में, जहाँ लोग अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं, अलग-अलग धर्मों का पालन करते हैं और अलग-अलग संस्कृतियाँ रखते हैं, साझा विरासत को संजोए रखना समर्पण का प्रतीक है। इस विशाल सभ्यतागत संरचना को बनाने वाले विविध समुदायों में भारतीय मुसलमानों का एक विशिष्ट स्थान है। वे न केवल एक भारतीय-इस्लामी विरासत के उत्तराधिकारी हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इसकी रक्षा भी करते हैं। जैसे-जैसे दुनिया अधिक विभाजित होती जा रही है और संस्कृतियाँ अधिक समान होती जा रही हैं, भारतीय मुसलमान सैकड़ों वर्षों से उपमहाद्वीप का हिस्सा रही समन्वयवाद की परंपराओं को चुपचाप कायम रख रहे हैं। कला, भाषा और वास्तुकला में उनका योगदान अतीत में घटित नहीं हुआ है; वे आज भी उस संस्कृति में जीवित और सक्रिय हैं जहाँ परंपराएँ आपस में मिलती-जुलती हैं और सौंदर्य का सम्मिश्रण फलता-फूलता है।

भारतीय इस्लाम स्वदेशी रीति-रिवाजों, सौंदर्यशास्त्र और दर्शन के साथ निरंतर जुड़ाव के माध्यम से विकसित हुआ।  इसका परिणाम एक समान धार्मिक संस्कृति नहीं, बल्कि एक विशिष्ट भारतीय सम्मिश्रण था जो सूफी दरगाहों, मुगल कला, उर्दू कविता की लय और भारतीय-इस्लामी वास्तुकला की भव्यता में प्रकट हुआ। ये कृतियाँ न केवल शैली या उद्देश्य में इस्लामी थीं, बल्कि ये इस बात के भी उदाहरण थीं कि विभिन्न संस्कृतियाँ एक-दूसरे को कैसे प्रभावित कर सकती हैं। ताजमहल के गुंबदों से लेकर लखनऊ की चिकन-कढ़ाई तक, मुस्लिम कारीगरों का हाथ अपने आस-पास की ज़मीन के साथ मिलकर काम करता था।

आज, जैसे-जैसे कला और सांस्कृतिक विविधता के प्रति समर्थन कम होता जा रहा है, व्यक्ति और समुदाय इस मिश्रित विरासत की रक्षा के लिए काफी हद तक ज़िम्मेदार हैं। भारतीय मुसलमान इस विरासत के प्रबल रक्षक बन गए हैं। उर्दू एक भाषा से कहीं बढ़कर है; यह एक सांस्कृतिक भंडार है जो विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच संवाद से उपजा है। यह फ़ारसी और संस्कृत दोनों से विचार लेती है, और सूफी संतों और भक्ति कवियों, दोनों के विचारों को दर्शाती है। ग़ालिब की कविता, रहीम के दोहे और कबीर के दोहों में अक्सर एक जैसे शब्द और विचार होते थे।  लेकिन जैसे-जैसे उर्दू भारतीय शिक्षा व्यवस्था के हाशिये पर धकेली जा रही है, भारतीय मुस्लिम लेखक, कवि, पत्रकार और डिजिटल पुरालेखपाल इसकी खूबसूरती को ज़िंदा रखे हुए हैं। रेख़्ता जैसी ऑनलाइन साइट्स इस साझा भाषाई ख़ज़ाने को संजोने के लिए महत्वपूर्ण जगह बन गई हैं ताकि यह नई पीढ़ियों के लिए हमेशा उपलब्ध रहे। पारंपरिक शिल्पों को जीवित रखने के तरीके में भी यही भावना देखी जा सकती है। हैदराबाद में, मुस्लिम परिवार आज भी बिदरीवेयर का कठिन काम करते हैं, जो धातु की जड़ाई का काम है जो दक्कन सल्तनत के समय से चला आ रहा है। लखनऊ में ज़रदोज़ी कारीगर मुग़ल कढ़ाई शैलियों को ज़िंदा रखे हुए हैं। कश्मीर में, नमदा गलीचे बनाने वाले और कागज़ की लुगदी से चित्रकार—जिनमें से कई मुसलमान हैं—लुप्त होती कलाओं को संजोए हुए हैं, भले ही उन्हें संस्थानों से कोई मदद न मिलती हो। ये सिर्फ़ शिल्प नहीं हैं; ये ऐतिहासिक स्मृति, तकनीक और सौंदर्यशास्त्र का प्रतिनिधित्व हैं जो हिंदू और मुस्लिम कला रूपों के मेल से आए हैं। वास्तुकला, किसी भी अन्य कला रूप से ज़्यादा, भारतीय मुस्लिम संस्कृति की समन्वयकारी आत्मा को दर्शाती है।  भारतीय इस्लामी वास्तुकला समय के साथ स्थानीय शैलियों को फ़ारसी और मध्य एशियाई शैलियों के साथ मिलाकर बदलती रही। इसके उदाहरणों में दिल्ली का कुतुब परिसर, भोपाल के महल और गुलबर्गा की मस्जिदें शामिल हैं। धार्मिक संघर्ष के दौरान भी, मस्जिदों में हिंदू कारीगरों को काम पर रखा जाता था और इस्लामी संरक्षकों ने मंदिरों के निर्माण का खर्च उठाया। आधुनिक मस्जिदों के डिज़ाइनों में, जिनमें स्थानीय शैलियों का इस्तेमाल किया जाता है, जगह को लेकर यह बहस आज भी जारी है। उदाहरण के लिए, राजस्थान की मस्जिदें लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं, केरल की मस्जिदें लकड़ी से और गुजरात की मस्जिदें संगमरमर से बनी हैं। लेकिन ऐसी विरासत को जीवित रखना ज़्यादा राजनीतिक होता जा रहा है। सच्चर समिति की रिपोर्ट (2006) ने शिक्षा और रोज़गार में मुसलमानों के गंभीर हाशिए पर होने पर ज़ोर दिया, एक निष्कर्ष जिसकी पुष्टि बाद के सर्वेक्षणों से भी हुई। भारत में धर्म पर प्यू रिसर्च सेंटर के 2021 के अध्ययन ने समुदाय के भीतर घटती सामाजिक गतिशीलता पर और ज़ोर दिया। भारतीय मुसलमान उपमहाद्वीप के समन्वित सांस्कृतिक डीएनए को सुरक्षित रखते हैं, भले ही उनमें ये संरचनात्मक समस्याएँ हों। ऐसा करते समय वे सिर्फ़ कलाकार, भाषाविद् या वास्तुकार ही नहीं होते; वे सांस्कृतिक रक्षक भी होते हैं। हिंदू, सिख, ईसाई और मुसलमान सभी आज भी अजमेर शरीफ़ और दिल्ली में निज़ामुद्दीन औलिया के मकबरे जैसी सूफ़ी दरगाहों पर जाते हैं। कव्वाल आज भी कृष्ण और अल्लाह दोनों की स्तुति में कविताएँ गाते हैं। ग्रामीण भारत में होली के त्योहारों पर मुस्लिम संगीतकार बजाते हैं, और हिंदू कवि फ़ारसीकृत उर्दू में लिखते हैं। ये सांस्कृतिक निरंतरताएँ उस विभाजनकारी बयानबाज़ी को सूक्ष्म रूप से फटकार लगाती हैं जो भारतीय मुसलमानों को अपनी ही मातृभूमि में बाहरी के रूप में चित्रित करने का प्रयास करती है।  बढ़ती असहिष्णुता के बीच, समन्वयवादी संस्कृति को जीवित रखना सरकार के सामने खड़े होने का एक तरीका बन गया है। उर्दू के दोहे पढ़ते रहना, बिदरी का फूलदान बनाना, या ढहती मस्जिद की मरम्मत करना यह दर्शाता है कि भारतीय पहचान हमेशा से बहुल, बहुल और खुली रही है। ये कार्य अतीत से चिपके नहीं रहते; बल्कि, सम्मान, कला और साझा स्मृति के आधार पर भविष्य के लिए उसकी पुनर्कल्पना करते हैं।

अगर भारत अपने संविधान में विविधता में एकता के अपने वादे को निभाना चाहता है, तो उसे विरासत के इन संरक्षकों को पहचानना और उनका समर्थन करना होगा। भारत में मुसलमान न केवल अपनी संस्कृति को जीवित रख रहे हैं, बल्कि वे भारत की संस्कृति को भी जीवित रख रहे हैं। हाथ से सिले हर चिकनकारी रूपांकन में, मुशायरे में पढ़ी जाने वाली हर उर्दू ग़ज़ल में, और हर मौसम की मार झेल चुकी मीनार में जो अभी भी आसमान को चीरती है, यह याद दिलाता है कि सबसे ज़्यादा भारतीय एक चीज़ नहीं, बल्कि कई चीज़ें हैं।
फरहत अली खान 
एम ए गोल्ड मेडलिस्ट

Friday, 11 July 2025

*अमरीका में वर्ल्ड पुलिस गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली रामपुर की उजाला का हुआ सम्मान और स्वागत*

*अमरीका में वर्ल्ड पुलिस गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली रामपुर की उजाला का हुआ सम्मान और स्वागत* 
रामपुर शहीद ए आज़म स्पोर्ट्स स्टेडियम में आज एसोसिएशन द्वारा सम्मान एवं स्वागत किया गया ।
जिसमें एसोसिएशन के सभी सम्मानित पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे इस अवसर पर आंसुओं से भीगी आंखों से उजाला ने कहा कि बहुत संघर्ष के बीच मेरा जीवन गुजरा है गरीबी क्या होती है मैंने अपनी आंखों से देखी है आज सभी समझ सकते हैं ग्रामीण क्षेत्र जहां मेरा घर है वहां से शहीदे आजम स्पोर्ट्स स्टेडियम के दूरी 13 किलोमीटर है मैं  रोज सुबह और शाम यह दूरी तय करती थी आज वर्ल्ड पुलिस गेम अमरीकन में गोल्ड मेटल हासिल करके मैंने स्वर्ण पदक तो जीता लेकिन मेरी मंजिल ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने की है 
मुझे विश्वास है कि  ओलंपिक मैराथन में अपने देश का नाम रोशन करूंगी।
 इस अवसर पर मुकेश पाठक ने निर्धन परिवारों की बच्चियों की सहायता करने का प्रण लिया साथ ही खिलाड़ियों को फाबा हनी पहुंचने का का निर्णय लिया।
वही वरिष्ठ हॉकी  खिलाड़ी *आरिफ खान ने हर एथलीट के लिए दुआओं के साथ-साथ आर्थिक मदद करने का भी एलान किया*
 *उजाला को  पांच हजार एक सो रुपए की राशि का चैक का उपहार दिया*। क्रीड़ा अधिकारी संतोष कुमार ने बच्चों की हौसला अफजाई की । और उजाला को प्रतीक चिन्ह और पगड़ी,शाल पहनाई।
साथ ही मुजाहिद अली  ने उजाला के प्रशिक्षक रणदीप सिंह को शाल पगड़ी और प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत और सम्मान किया।
नासिर खान नितिन मेहरा ने भी उजाला के लिए सराहना करते हुए दुआएं की इस अवसर पर एथलेटिक्स एसोसिएशन के जिला सचिव फरहत अली खान ने सभी खिलाडियों और सम्मानित व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया अय्यूब खान सोलत अली खान फहीम कुरैशी यासीन खान मुस्कान कशिश रोशनी मशीयत फातिमा माही आंचल खेमपाल बाबू एवम् बड़ी संख्या खिलाड़ी उपस्थित रहे।

Thursday, 10 July 2025

सावन महीना और आदिदेव भगवान शिव माता पार्वती - डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि (एक पूर्ण प्रमाणिक वैज्ञानिक लेख)

सावन महीना और आदिदेव भगवान शिव  माता पार्वती - डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि (एक पूर्ण प्रमाणिक वैज्ञानिक लेख)
 भारतीय ग्रंथों के अनुसार मानव सभ्यता का उदय अब से लगभग 2 अरब वर्ष पहले हुआ था और भारतीय ऋषि मुनियों ने देश काल समय परिस्थिति ऋतु सौरमंडल और ब्रह्मांड सहित 200 खरब ब्रहमांडों के हिसाब से एक अद्भुत जीवन शैली का विकास किया। 
इसीलिए दुनिया की सारी सभ्यताएं पर्व त्यौहार उत्सव मिट गए लेकिन भारत की संस्कृति सभ्यता ज्यों की त्यों है दुनिया की कोई भी अन्य सभ्यता 2000 वर्ष से ज्यादा नहीं चली है ।यहां तक की नई इस्लामी सभ्यता भी विनाश होने के कगार पर है।

सावन महीना हरा-भरा वनस्पतियों हरियालीजल और वर्षा का मौसम होता है स्वाभाविक रूप से इस मौसम में जीवाणु कीटाणु विषाणु रोगाणु  सांप बिच्छू विषैले जीव जंतु बहुत संख्या में होते हैं और आसानी से हर जगह छिप जाते हैं इसीलिए सावन में पत्तेदार हरी सब्जियां और साग  गुड़ खाने का निषेध है और मांस मछली खाना पूरी तरह से वर्जित है क्योंकि इसी महीने मछलियों के बीज विकसित होते हैं और यह मछलियों के प्रजनन का सर्वश्रेष्ठ समय होता है इसलिए सावन भर मछली खाने और मारने का भी निषेध है ।

इसीलिए पूरे सावन महीने भर भगवान शिव माता पार्वती का महीना माना जाता है और धर्म-कर्म कांवड़ यात्रा शिवजी का जलाभिषेक महारुद्राभिषेक चलता रहता है इस बार सावन महीना शुक्रवार को शुरू हो रहा है और 9 अगस्त को सोमवार के दिन ही समाप्त हो रहा है जो विस्मयकारी है सोमवार शुक्रवार वैसे भी भगवान शिव का दिन है और  इस बार केवल 4 सोमवार सावन में पड़ रहे हैं इसमें तमाम योग ग्रह नक्षत्रमिलकर इस सावन महीने को बहुत ही उत्तम बना दे रहे हैं इस बार  सावन महीने भर जमकर बारिश होगी और फसलें भी बहुत अच्छा होगी ।

भगवान शिव की पूजा-अर्चना केवल मन मात्र से करने से ही वह संतुष्ट हो जाते हैं इस बार पहले सोमवार को माया स्वरूप भगवान शिव दूसरे को महाकालेश्वर भगवान शिव तीसरे को अर्धनारीश्वर चौथे को तंत्र के ईश्वर और पशुओं को भोलेनाथ की पूजा की जाएगी जहां तक हो सके शुद्ध चित्त होकर मन मस्तिष्क का पूर्ण विकास करते हुए भौतिक व मानसिक अथवा आध्यात्मिक रुप से ही भगवान शिव भगवती पार्वती का जप तप करने से वह पूर्ण प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन शर्त इतनी ही है कि सावन माह व्रत करने के बाद मनुष्य अपने जीवन के पापकर्म अश्लील काम व्यभिचार गंदी आदतें और चोरी बेईमानी वास्तव में छोड़ दें नहीं तो उसे घोर कष्ट मिलता है शिवजी का व्रत करने और रुद्राक्ष धारण करने के बाद भी गलत काम करने वाले बहुत ही कष्ट पाते हैं ‌

ॐ नमः शिवाय अथवा भगवान शिव भगवती पार्वत्यै नमो नमः  या ऊं त्र्यंबक यजामहे सुगंधि पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधानाम   मृत्योर्मुक्षीय मामृताम  परम सिद्ध मंत्र का जाप करने से तमाम रोग शोक कष्टों से छुटकारा तो मिलता ही है अपनी पूजा तपस्या के अनुसार स्वप्न में अथवा साक्षात सामने ही भगवान शिव भगवती पार्वती का दर्शन होता है इसमें कोई संदेह नहीं है ।
जितना ही ज्यादा जटिलता और कर्मकांड बढ़ाया जाता है उतना ही पूजा पाठ का फल उतना ही कम होता जाता है इसलिए भगवान शिव की जय माता पार्वती की जय बोलते हुए सरल सात्विक रूप से करना चाहिए। 

भगवान शिव के चरित्र और उनके स्वरूप को ध्यान से देखें तो सारा ब्रह्मांड उत्पन्न और नष्ट होने का परम रहस्य उनके शरीर में समाया हुआ है सिर पर घटाएं जटाओं पर चंद्रमा गंगा की धवल धार और गले में काल कराल नाग देवता वक्षस्थल पर गंगा गले में हलाहल विष हृदय में अमृत बाघंबर का वस्त्र चट्टान पर सीधे खड़े होने की मुद्रा ब्रह्मांड पैदा करनेवाले डमरू का निनाद और अल्फा बीटा गामा किरणों और लेसर तथा क्वासर और लेजर की शक्तियों से युक्त है उनका परम भयानक त्रिशूल और पाशुपतास्त्र सब कुछ परम रहस्य के केंद्र हैं उनके तीनों नेत्र इलेक्ट्रॉन प्रोटान न्यूट्रान और अल्फा बीटा गामा किरणों के संयुक्त रूप हैं । उनका पाशुपतास्त्र परम ब्रम्हांडीय महा बम है जो कुछ पलों में 200 खरब ब्रह्मांडो और 200 खरब प्रति महाब्रह्मांड  एक खरब ब्लैक होल्स नष्ट करने में समर्थ हैं तो उनका डमरू पल मात्र में ही माता भगवती की कृपा से इतने ही ब्रह्मांड करण और प्रति ब्रह्मांड ऊर्जा और प्रति उर्जा सबकुछ पैदा करने में सक्षम हैं भगवती माता पार्वती और माता काली ब्लैक होल्स और व्हाइट हाउस की प्रतीक हैं जो शिवजी की स्त्री अथवा परिणयात्मक परम शक्तियां हैं इन सब का विस्तृत वर्णन कभी फिर विस्तार से किया जाएगा ।  डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विद ज्योतिर्विद न्यायविद

Wednesday, 9 July 2025

एक नगर में था। उस नगर के कलेक्टर ने मुझे फोन किया और कहा कि मैं अपनी मां को भी चाहता हूं कि आपके सुनने के लिए लाऊं, लेकिन मेरी मां की उम्र नब्बे के करीब पहुंच गई, और आपकी बातों से मैं परिचित हूं, तो मैं डरता हूं कि इस बुढ़िया को लाना कि नहीं लाना? क्योंकि वह तो चौबीस घंटे माला जपती रहती है, राम-राम जपती रहती है।

मैं एक नगर में था। उस नगर के कलेक्टर ने मुझे फोन किया और कहा कि मैं अपनी मां को भी चाहता हूं कि आपके सुनने के लिए लाऊं, लेकिन मेरी मां की उम्र नब्बे के करीब पहुंच गई, और आपकी बातों से मैं परिचित हूं, तो मैं डरता हूं कि इस बुढ़िया को लाना कि नहीं लाना? क्योंकि वह तो चौबीस घंटे माला जपती रहती है, राम-राम जपती रहती है। सोती है तो भी हाथ में माला लिए ही सोती है। तीस वर्ष से यह क्रम चलता है, तो मैं डरता हूं इस बुढ़ापे में आपकी बातें सुन कर कहीं उसको आघात और चोट न लग जाए, कहीं वह विचलित न हो जाए व्यर्थ ही और अशांत न हो जाए, तो मैं लाऊं या न लाऊं? उसकी उम्र नब्बे वर्ष।

मैंने उनसे कहा, अगर उम्र कुछ कम होती तो मैं कहता, दुबारा आऊंगा तब ले आना। उम्र नब्बे वर्ष है इसलिए ले ही आना, क्योंकि दुबारा मिलना हो सके इसका कोई पक्का भरोसा नहीं। 

वे अपनी मां को लेकर आए। मैंने देखा उनकी मां माला लिए ही आई हुई थी। हाथ में माला वह चलती ही रहती है। बात सुनने के बाद वे चले गए, दूसरे दिन आए और मुझसे कहने लगे, मैं बहुत हैरान हो गया हूं। आपने तो ऐसी बातें कहीं कि मुझे लगा कि जैसे मेरी मां को जान कर ही आप कह रहे हैं। मुझे लगा मुझसे गलती हो गई जो मैं आपको बता कर अपनी मां को लाया। आप तो जैसे मेरी मां को ही सारी बातें कह रहे हों, ऐसा मुझे लगने लगा। और मैं बहुत डरा हुआ रहा। लौटते में कार में मैंने अपनी मां को पूछा कि तुम्हें चोट तो नहीं लगी, कुछ बुरा तो नहीं लगा? मेरी मां कहने लगी, बुरा? चोट? उन्होंने कहा, माला से कुछ भी नहीं होगा, मुझे बात बिलकुल ठीक लगी, तीस साल का मेरा अनुभव भी कहता है कि कुछ भी नहीं हुआ, मैं माला वहीं छोड़ आई। 

इतना साहस। तो मैंने उनसे कहा, तुम्हारी मां तुमसे ज्यादा जवान है। साहस व्यक्ति को युवा बनाता है। छोड़ने का हममें जरा भी साहस नहीं है। इसलिए हम अटके खड़े रह जाते हैं। और व्यर्थ बातें भी छोड़ने का साहस नहीं है, तब तो बहुत कठिनाई हो जाती है। 

शून्यता पा लेनी बहुत सरल है, साहस चाहिए। 

क्या करें शून्यता पाने को? 

इन तीन सीढ़ियों के पहले कुछ भी नहीं किया जा सकता, एक बात। इन तीन सीढ़ियों के बाद बहुत कुछ किया जा सकता है। और बहुत सरल सी बात है, अगर चित्त के प्रति चित्त में चलती हुई जो विचार की धारा है, दिन-रात चल रही है, विचार और विचार और विचार, चित्त में विचारों की शृंखला चल रही है। जैसे रास्ते पर लोग चलते हैं, ऐसा ही चित्त में विचार चलते हैं। यह विचारों की भीड़ चल रही है चित्त में। इसके प्रति अगर कोई चुपचाप जागरूक हो जाए, साक्षी बन जाए, बस और कुछ भी न करे। लड़ने की जरूरत नहीं है, राम-राम जपने की जरूरत नहीं है। क्योंकि राम-राम जपना खुद ही अशांति का एक रूप है। एक आदमी राम-राम, राम-राम कर रहा है, यह आदमी बहुत अशांत है, और कुछ भी नहीं। क्योंकि शांत आदमी इस तरह की बकवास करता है, एक ही शब्द को लेकर दोहराता है बार-बार? यह आदमी अशांत ही नहीं है, पागल होने के करीब है। चूंकि हम निरंतर इस बात को मान बैठे हैं कि राम-राम जपना बड़ा अच्छा है। हम फिकर नहीं कर रहे। यही आदमी अगर एक कोने में बैठ कर कुर्सी, कुर्सी, कुर्सी, कुर्सी कहने लगे, तो हम चिंतित हो जाएंगे। यही आदमी अगर कुर्सी, कुर्सी, कुर्सी कहने लगे, तो हम चिंतित हो जाएंगे। भागेंगे, कहेंगे कि चिकित्सा करवानी है, हमारे घर में एक व्यक्ति कुर्सी, कुर्सी, कुर्सी घंटे भर तक बैठ कर कहता रहता है। लेकिन राम-राम कहने में कोई फर्क है? एक ही बात कोई शब्द को लेकर दोहराना विक्षिप्त होने की शुरुआत है, स्वस्थ होने की नहीं। चित्त रुग्ण हो रहा है। न तो राम-राम की जरूरत है, जिसको आप जप कहते हैं, न मंत्रों की जरूरत है। चित्त को शांत करना है। और आप व्यर्थ की बातें दोहरा कर उसको अशांत कर रहे हैं शांत नहीं। 

कुछ मत दोहराइए, कोई भगवान का नाम नहीं है। कोई शब्द-मंत्र नहीं है। कुछ दोहराने की जरूरत नहीं है। फिर चुपचाप बैठ कर मन में जो अपने आप चल रहा है कृपा करके उसको ही देखिए, अपनी तरफ से और मत चलाइए। वैसे ही काफी चल रहा है अब आप और काहे को चलाने की कोशिश कर रहे हैं। जो मन में चल रहा है अपने आप, आप उसके किनारे बैठ कर चुपचाप देखते रहिए, बस साक्षी हो जाइए, जस्ट ए विटनेस, सिर्फ एक देखने वाले। बुरा चले तो भी निकालने की कोशिश मत करिए, क्योंकि निकालने की कोशिश में आप सक्रिय हो गए, फिर साक्षी न रहे। हटाने की कोशिश मत करिए किसी विचार को। किसी विचार को लाने की कोशिश भी मत करिए। क्योंकि दोनों हालत में आप कूद पड़े धारा में, बाहर खड़े न रहे। मन की धारा के किनारे तटस्थ तट पर बैठ जाइए और देखते रहिए, मन को चलने दीजिए, चुपचाप देखते रहिए। और कुछ भी मत करिए,सिर्फ देखना, सिर्फ दर्शन पर्याप्त है। आप थोड़े ही दिनों में पाएंगे कि देखते ही देखते मन की धारा क्षीण होने लगी, मन की नदी का पानी सूखने लगा। जैसा आपकी गांव की नदी का सूखा रह जाता है, वैसे ही मन का पानी धीरे-धीरे सूखने लगेगा। आप देखते रहिए, धीरे-धीरे अनुभव होने लगेगा आपको कि देखते ही देखते बिना कुछ किए मन की धारा क्षीण होने लगी है, और एक दिन आप चकित हो जाएंगे कि आप बैठे हैं और मन की धारा में कहीं कोई विचार नहीं है। जिस दिन भी यह अनुभव आपको हो जाएगा, उसी दिन आपको पता चल जाएगा कि दर्शन विचार की धारा को तोड़ने की विधि है। अ-दर्शन मर्ूच्छित भाव से विचार में पड़े रहना विचार को बढ़ाने की विधि है। हम मर्ूच्छित भाव से विचार में पड़े रहते हैं, विचार को देखते नहीं। बस इसके अतिरिक्त और कोई बंधन नहीं है विचार के। 

जिस दिन भी आप द्रष्टा होने में समर्थ हो जाते हैं उसी दिन विचार विलीन हो जाते हैं। और तब जो शेष रह जाता है वह है शांति, वह है निर्विकल्प दशा, वह है समाधि, वह है ध्यान, और भी कोई नाम, जिसको जो मर्जी हो दे सकता है। वह है चित्त की निर्विकार स्थिति। उस दशा में ही जाना जाता है जीवन, उस दशा में ही पहचाना जाता है सत्य, उस दशा में ही मिलन हो जाता है उससे जिसे भक्त भगवान कहते हैं, ज्ञानी आत्मा कहते हैं, विचारशील लोग सत्य कहते हैं। सत्य की उपलब्धि ही मुक्ति है। उसको जानते ही व्यक्ति के जीवन में फिर कोई बंधन, कोई दुख, कोई मृत्यु नहीं रह जाती। 
इस दिशा में थोड़ा प्रयोग करें और देखें। क्योंकि इस दिशा में तो प्रयोग करके देखा ही जा सकता है। यह दिशा तो सिर्फ अनुभव की दिशा है। इसमें कोई और आपके साथ कोई सहयोग नहीं कर सकता। कोई आपको पकड़ कर समाधि में नहीं ले जा सकता। आपको ही श्रम करना होगा। 

और मैं कहता हूं, अत्यंत सरल है समाधि को उपलब्ध करना, अगर पहले की सीढ़ियां चढ़ने का साहस आपमें हो। 
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_अंतर की खोज_

_ओशो_

प्रगति के मूक निर्माता: दाऊदी बोहरा किस तरह भारत के विकास को आकार देते

*प्रगति के मूक निर्माता: दाऊदी बोहरा किस तरह भारत के विकास को आकार देते हैं*                                                                                       भारत की विविधता की निरंतर विकसित होती कहानी में, शिया मुसलमानों का एक संप्रदाय, दाऊदी बोहरा समुदाय; एक शांत लेकिन उल्लेखनीय अध्याय लिखता है। उनकी कहानी सुर्खियों में नहीं, बल्कि स्थानीय बाजारों की धड़कनों में, परिवार द्वारा संचालित उद्यमों की लचीलापन में, और उनके विश्वास और उनके वित्त दोनों को निर्देशित करने वाले गहरे नैतिक कोड में लिखी गई है। हालाँकि उनकी संख्या कम है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने में उनका योगदान गहरा और स्थायी दोनों है। मुंबई, सूरत, चेन्नई, इंदौर और उससे आगे के शहरों में फैले दाऊदी बोहरा व्यापार में अपनी ईमानदारी, काम में अनुशासन और आचरण में गरिमा के लिए व्यापक रूप से पहचाने जाते हैं। बोहरा परिवारों की पीढ़ियों ने लाभ से परे उद्देश्य की भावना के साथ व्यवसायों का पोषण किया है। चाहे वह संकरी गली में एक छोटी सी दुकान हो या दुनिया भर में माल भेजने वाला कोई एक्सपोर्ट हाउस, उनके उद्यम विनम्रता और उत्कृष्टता के एक दुर्लभ मिश्रण से प्रेरित होते हैं। ईमानदारी के लिए समुदाय के गहरे सम्मान का मतलब है कि सौदे सिर्फ़ हस्ताक्षरों से नहीं, बल्कि भरोसे से होते हैं; एक ऐसी मुद्रा जिसका वे सोने से भी ज़्यादा महत्व रखते हैं। उनके आर्थिक दर्शन के मूल में एक गहरा आध्यात्मिक सिद्धांत निहित है: सिर्फ़ अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के कल्याण के लिए कमाना। यह नैतिकता उनके परोपकारी प्रयासों में झलकती है, जो उनके व्यवसाय में दिखाई जाने वाली देखभाल को दर्शाती है। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, भूख से राहत; ये दान के कभी-कभार किए जाने वाले कार्य नहीं हैं, बल्कि निरंतर प्रतिबद्धताएँ हैं, जिन्हें अक्सर चुपचाप और लगातार किया जाता है। मुंबई में सैफी अस्पताल, जिसे समुदाय द्वारा बनाया और समर्थित किया गया है, हर साल हज़ारों लोगों की सेवा करता है, जो धार्मिक और आर्थिक सीमाओं को पार करते हुए देखभाल प्रदान करता है। शायद उनके समुदाय-संचालित विकास का सबसे शक्तिशाली उदाहरण दक्षिण मुंबई में भिंडी बाज़ार पुनर्विकास परियोजना है। सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट की अगुवाई में, यह परियोजना एक सदी पुराने, भीड़भाड़ वाले इलाके को एक आधुनिक, सुरक्षित और समावेशी स्थान में बदल रही है। 3,000 से ज़्यादा परिवारों और एक हज़ार से ज़्यादा छोटे व्यवसायों को बिना किसी लागत के सम्मान के साथ पुनर्वासित किया जा रहा है। यह सिर्फ़ रियल एस्टेट नहीं है; यह सपनों का नवीनीकरण है। कई परिवार जो पीढ़ियों से ढहती इमारतों में रह रहे हैं, उनके लिए यह पहली बार है जब वे ऐसे घर में कदम रखेंगे जो सुरक्षित, स्वच्छ और उम्मीदों से भरा हुआ लगता है।
दाऊदी बोहरा समुदाय को जो चीज़ वाकई असाधारण बनाती है, वह है धर्म को ज़िम्मेदारी से अलग करने से उनका चुपचाप इनकार। सामुदायिक देखभाल की व्यवस्था के ज़रिए चलने वाली उनकी रसोई सुनिश्चित करती है कि कोई भी भूखा न सोए। उनके व्यवसाय जाति, धर्म या पृष्ठभूमि की बाधाओं को पार करते हुए सभी क्षेत्रों के लोगों को रोज़गार देते हैं। उनका विकास कार्य अक्सर सुदूर आदिवासी इलाकों तक पहुँचता है, जहाँ जल संरक्षण, पोषण अभियान और कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम न सिर्फ़ आजीविका, बल्कि सम्मान भी बहाल कर रहे हैं।
एक ऐसी दुनिया में जो अक्सर शोर को पुरस्कृत करती है, दाऊदी बोहरा मौन के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध हैं; लगातार काम करने, सार्थक देने और नैतिक जीवन जीने का मौन। वे श्रेय या प्रशंसा की तलाश नहीं करते, लेकिन उनका प्रभाव उन लोगों के जीवन में दिखाई देता है जिन्हें वे ऊपर उठाते हैं, जिन शहरों को वे आकार देते हैं और जिन मूल्यों को वे संरक्षित करते हैं। उनकी सफलता कोई अलग-थलग जीत नहीं है, बल्कि भारत के विकास और करुणा के बड़े ताने-बाने में बुना गया एक धागा है।
जैसे-जैसे भारत आर्थिक विकास की अपनी यात्रा में आगे बढ़ रहा है, दाऊदी बोहरा समुदाय हमें याद दिलाता है कि सच्ची प्रगति केवल संख्या या बुनियादी ढांचे में नहीं बल्कि ईमानदारी, करुणा और उद्देश्य की साझा भावना में मापी जाती है। उनके जीवन के तरीके में, व्यवसाय पूजा बन जाता है, सेवा शक्ति बन जाती है, और समुदाय एक साथ उठने और कभी किसी को पीछे न छोड़ने का सामूहिक वादा बन जाता है।
फरहत अली खान
एम ए गोल्ड मेडलिस्ट

बुद्ध घर लौटे। रवींद्रनाथ ने एक बहुत व्यंग्य—कथा लिखी है, एक व्यंग्य—गीत लिखा है। बुद्ध घर लौटे। यशोधरा नाराज थी। छोड़कर, भागकर चले गए थे। गुस्सा स्वाभाविक था। और बुद्ध इसीलिए घर लौटे कि उसको एक मौका मिल जाए। बारह वर्ष का लंबा क्रोध इकट्ठा है, वह निकाल ले। तो एक ऋण ऊपर है, वह भी छूट जाए।बुद्ध वापस लौटे। तो

बुद्ध घर लौटे। रवींद्रनाथ ने एक बहुत व्यंग्य—कथा लिखी है, एक व्यंग्य—गीत लिखा है। बुद्ध घर लौटे। यशोधरा नाराज थी। छोड़कर, भागकर चले गए थे। गुस्सा स्वाभाविक था। और बुद्ध इसीलिए घर लौटे कि उसको एक मौका मिल जाए। बारह वर्ष का लंबा क्रोध इकट्ठा है, वह निकाल ले। तो एक ऋण ऊपर है, वह भी छूट जाए।
बुद्ध वापस लौटे। तो रवींद्रनाथ ने अपने गीत में यशोधरा द्वारा बुद्ध से पुछवाया है; और बुद्ध को बड़ी मुश्किल में डाल दिया है। यशोधरा से पुछवाया है रवींद्रनाथ ने। यशोधरा ने बुद्ध को बहुत— बहुत उलाहने दिए और फिर कहा कि मैं तुमसे यह पूछती हूं कि तुमने जो घर से भागकर पाया, वह क्या घर में मौजूद नहीं था?
बुद्ध बड़ी मुश्किल में पड़ गए। यह तो वे भी नहीं कह सकते कि घर में मौजूद नहीं था। और अब पाकर तो बिलकुल ही नहीं कह सकते। अब पाकर तो बिलकुल ही नहीं कह सकते। आज से बारह साल पहले यशोधरा ने अगर कहा होता कि तुम जिसे पाने जा रहे हो, क्या वह घर में मौजूद नहीं है? तो बुद्ध निश्चित कह सकते थे कि अगर मौजूद घर में होता, तो अब तक मिल गया होता। नहीं है, इसलिए मैं खोजने जा रहा हूं। लेकिन अब तो पाने के बाद बुद्ध को भी पता है कि जो पाया है, वह घर में भी पाया जा सकता था। तो बुद्ध बड़ी मुश्किल में पड़ गए।

रवींद्रनाथ तो बुद्ध को मुश्किल में देखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बात आगे नहीं चलाई। लेकिन मैं नहीं मानता हूं कि बुद्ध उत्तर नहीं दे सकते थे। वह रवींद्रनाथ बुद्ध को दिक्कत में डालना चाहते थे, इसलिए बात यहीं छोड़ दी उन्होंने। यशोधरा ने पूछा, और बुद्ध मुश्किल में पड़ गए। लेकिन निश्चित मैं जानता हूं कि अगर बुद्ध से ऐसा यशोधरा पूछती, तो बुद्ध क्या कहते!

बुद्ध ने निश्चित कहा होता कि मैं भलीभांति जानता हूं कि जिसे मैंने पाया, वह यहां भी पाया जा सकता है। लेकिन बिना दौड़े यह पता चलना मुश्किल था कि दौड़ व्यर्थ है। यह दौड़कर पता चला। दौड़—दौड़कर पता चला कि बेकार दौड़ रहे हैं। जिसे खोजने निकले थे, वह यहीं मौजूद है। लेकिन बिना दौड़े यह भी पता नहीं चलता। दौड़कर भी पता चल जाए, तो बहुत है। हम काफी दौड़ लिए, फिर भी कुछ पता नहीं चलता। एक चीज चूकती ही चली जाती है; जो हम हैं, जो भीतर है, जो यहां और अभी है, वह हमें पता नहीं चलता। निश्चल ध्यान योग का अर्थ है, दौड़ को छोड़ दें और कुछ घड़ी बिना दौड़ के हो जाएं; कुछ घड़ी, घड़ीभर, आधा घड़ी, बिना दौड़ के हो जाएं। ध्यान का इतना ही अर्थ है।

ओशो 
गीता दर्शन