सावन महीना और आदिदेव भगवान शिव माता पार्वती - डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि (एक पूर्ण प्रमाणिक वैज्ञानिक लेख)
भारतीय ग्रंथों के अनुसार मानव सभ्यता का उदय अब से लगभग 2 अरब वर्ष पहले हुआ था और भारतीय ऋषि मुनियों ने देश काल समय परिस्थिति ऋतु सौरमंडल और ब्रह्मांड सहित 200 खरब ब्रहमांडों के हिसाब से एक अद्भुत जीवन शैली का विकास किया।
इसीलिए दुनिया की सारी सभ्यताएं पर्व त्यौहार उत्सव मिट गए लेकिन भारत की संस्कृति सभ्यता ज्यों की त्यों है दुनिया की कोई भी अन्य सभ्यता 2000 वर्ष से ज्यादा नहीं चली है ।यहां तक की नई इस्लामी सभ्यता भी विनाश होने के कगार पर है।
सावन महीना हरा-भरा वनस्पतियों हरियालीजल और वर्षा का मौसम होता है स्वाभाविक रूप से इस मौसम में जीवाणु कीटाणु विषाणु रोगाणु सांप बिच्छू विषैले जीव जंतु बहुत संख्या में होते हैं और आसानी से हर जगह छिप जाते हैं इसीलिए सावन में पत्तेदार हरी सब्जियां और साग गुड़ खाने का निषेध है और मांस मछली खाना पूरी तरह से वर्जित है क्योंकि इसी महीने मछलियों के बीज विकसित होते हैं और यह मछलियों के प्रजनन का सर्वश्रेष्ठ समय होता है इसलिए सावन भर मछली खाने और मारने का भी निषेध है ।
इसीलिए पूरे सावन महीने भर भगवान शिव माता पार्वती का महीना माना जाता है और धर्म-कर्म कांवड़ यात्रा शिवजी का जलाभिषेक महारुद्राभिषेक चलता रहता है इस बार सावन महीना शुक्रवार को शुरू हो रहा है और 9 अगस्त को सोमवार के दिन ही समाप्त हो रहा है जो विस्मयकारी है सोमवार शुक्रवार वैसे भी भगवान शिव का दिन है और इस बार केवल 4 सोमवार सावन में पड़ रहे हैं इसमें तमाम योग ग्रह नक्षत्रमिलकर इस सावन महीने को बहुत ही उत्तम बना दे रहे हैं इस बार सावन महीने भर जमकर बारिश होगी और फसलें भी बहुत अच्छा होगी ।
भगवान शिव की पूजा-अर्चना केवल मन मात्र से करने से ही वह संतुष्ट हो जाते हैं इस बार पहले सोमवार को माया स्वरूप भगवान शिव दूसरे को महाकालेश्वर भगवान शिव तीसरे को अर्धनारीश्वर चौथे को तंत्र के ईश्वर और पशुओं को भोलेनाथ की पूजा की जाएगी जहां तक हो सके शुद्ध चित्त होकर मन मस्तिष्क का पूर्ण विकास करते हुए भौतिक व मानसिक अथवा आध्यात्मिक रुप से ही भगवान शिव भगवती पार्वती का जप तप करने से वह पूर्ण प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन शर्त इतनी ही है कि सावन माह व्रत करने के बाद मनुष्य अपने जीवन के पापकर्म अश्लील काम व्यभिचार गंदी आदतें और चोरी बेईमानी वास्तव में छोड़ दें नहीं तो उसे घोर कष्ट मिलता है शिवजी का व्रत करने और रुद्राक्ष धारण करने के बाद भी गलत काम करने वाले बहुत ही कष्ट पाते हैं
ॐ नमः शिवाय अथवा भगवान शिव भगवती पार्वत्यै नमो नमः या ऊं त्र्यंबक यजामहे सुगंधि पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधानाम मृत्योर्मुक्षीय मामृताम परम सिद्ध मंत्र का जाप करने से तमाम रोग शोक कष्टों से छुटकारा तो मिलता ही है अपनी पूजा तपस्या के अनुसार स्वप्न में अथवा साक्षात सामने ही भगवान शिव भगवती पार्वती का दर्शन होता है इसमें कोई संदेह नहीं है ।
जितना ही ज्यादा जटिलता और कर्मकांड बढ़ाया जाता है उतना ही पूजा पाठ का फल उतना ही कम होता जाता है इसलिए भगवान शिव की जय माता पार्वती की जय बोलते हुए सरल सात्विक रूप से करना चाहिए।
भगवान शिव के चरित्र और उनके स्वरूप को ध्यान से देखें तो सारा ब्रह्मांड उत्पन्न और नष्ट होने का परम रहस्य उनके शरीर में समाया हुआ है सिर पर घटाएं जटाओं पर चंद्रमा गंगा की धवल धार और गले में काल कराल नाग देवता वक्षस्थल पर गंगा गले में हलाहल विष हृदय में अमृत बाघंबर का वस्त्र चट्टान पर सीधे खड़े होने की मुद्रा ब्रह्मांड पैदा करनेवाले डमरू का निनाद और अल्फा बीटा गामा किरणों और लेसर तथा क्वासर और लेजर की शक्तियों से युक्त है उनका परम भयानक त्रिशूल और पाशुपतास्त्र सब कुछ परम रहस्य के केंद्र हैं उनके तीनों नेत्र इलेक्ट्रॉन प्रोटान न्यूट्रान और अल्फा बीटा गामा किरणों के संयुक्त रूप हैं । उनका पाशुपतास्त्र परम ब्रम्हांडीय महा बम है जो कुछ पलों में 200 खरब ब्रह्मांडो और 200 खरब प्रति महाब्रह्मांड एक खरब ब्लैक होल्स नष्ट करने में समर्थ हैं तो उनका डमरू पल मात्र में ही माता भगवती की कृपा से इतने ही ब्रह्मांड करण और प्रति ब्रह्मांड ऊर्जा और प्रति उर्जा सबकुछ पैदा करने में सक्षम हैं भगवती माता पार्वती और माता काली ब्लैक होल्स और व्हाइट हाउस की प्रतीक हैं जो शिवजी की स्त्री अथवा परिणयात्मक परम शक्तियां हैं इन सब का विस्तृत वर्णन कभी फिर विस्तार से किया जाएगा । डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विद ज्योतिर्विद न्यायविद
No comments:
Post a Comment