Monday, 3 November 2025

कार्तिक महीना परम पवित्र होता है और यह पर्व त्यौहार उत्सव और मांगलिक कार्यों के प्रारंभ का महीना होता है इसी महीने में बहुत अधिक महान पर्व पड़ते हैं जिसमें धन्वंतरि जयंती नरक चतुर्दशी बड़ी दीपावली लक्ष्मी पूजा अन्नकूट गोवर्धन पूजा भैया दूज यम द्वितीया छठ का महापर्व एकादशी हरि प्रबोधिनी और कार्तिक पूर्णिमा के बहुत बड़े-बड़े पर्व और त्योहार पड़ते हैं कार्तिक के बारे में कहा जाता है- ++ कार्तिक की तो शोभा न्यारी लगती बहुत चांदनी प्यारी** इस महीने की पूर्णिमा बहुत साफ सुंदर स्वच्छ और धवल होती है।

कार्तिक महीना परम पवित्र होता है और यह पर्व त्यौहार उत्सव और मांगलिक कार्यों के प्रारंभ का महीना होता है इसी महीने में बहुत अधिक महान पर्व पड़ते हैं जिसमें धन्वंतरि जयंती नरक चतुर्दशी बड़ी दीपावली लक्ष्मी पूजा अन्नकूट गोवर्धन पूजा भैया दूज यम द्वितीया छठ का महापर्व एकादशी हरि प्रबोधिनी और कार्तिक पूर्णिमा के बहुत बड़े-बड़े पर्व और त्योहार पड़ते हैं कार्तिक के बारे में कहा जाता है- ++ कार्तिक की तो शोभा न्यारी लगती बहुत चांदनी प्यारी** इस महीने की पूर्णिमा बहुत साफ सुंदर स्वच्छ और धवल होती है।


कार्तिक पूर्णिमा का पर्व एक बहुत ही पवित्र महान पर्व है इस दिन ब्रह्मा जी का जन्म भी माना जाता है और इसी दिन नानक देव का भी जन्म हुआ था इसी दिन त्रिपुरासुर का वध भगवान शिव ने किया और इसी दिन मत्स्य अवतार हुआ था और तुलसी जी का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था। आज के दिन को देव दीपावली त्रिपुरा पूर्णिमा गुरु पर्व प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है इस दिन पूजा पाठ जप तप और व्रत का बहुत ही अधिक महत्व है।

इस वर्ष यद्यपि कार्तिक पूर्णिमा का प्रारंभ 4 नवंबर की रात को 10:36 से हो रहा है जिसका समापन 5 नवंबर को रात में 6:48 पर होगा इस प्रकार उन्हें तिथि के अनुसार 5 नवंबर को व्रत और स्नान दान दोनों पूर्णिमा पढ़ रही हैं लेकिन समस्त कार्यों और पूजा पाठ का समापन रात 7:00 से पहले होना चाहिए। 5 नवंबर को पूर्णिमा में स्नान दान का पर्व भर में 4:52 से 5:44 पर और सामान्य लोगों के लिए 7:58 से 9:20 तक रहेगा जबकि पूर्णिमा के पूजा पाठ का समय सायं काल 5:15 से 7:05 रात तक रहेगा इसी दिन खुली हुई चांदनी अत्यधिक प्यारी लगती है । इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और आदि देव भगवान शिव की पूजा पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। स्वामी कार्तिकेय का जन्म भी आज के दिन ही हुआ था जिनकी देवसेना और वल्ली नाम की दो पत्नियां थी।

आज के दिन ही सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में तलवंडी में हुआ था जो आप पाकिस्तान में है और जिसे नानक सब या ननकाना कहा जाता है नानक देव बचपन से ही अत्यधिक विलक्षण प्रतिभा संपन्न और विरक्त भाव से रहने वाले व्यक्ति थे और इनका मन सांसारिक कार्यों की जगह चिंतन मनन और पूजा पाठ में बीतता था इनके पिता ने इन्हें बहुत कोशिश किया कि सांसारिक कार्यों में रुचि लें लेकिन गौतम बुद्ध की तरह इन्होंने भी उसे पर ध्यान नहीं दिया और अंततः सब कुछ छोड़कर सनातन धर्म की बुराइयों उसमें फैली हुई कुरीतियों को दूर करने और सच बातें बताने में लग गए और जीवन भर सबको घूम-घूम कर उपदेश देते रहे उनके शिष्यों में हर जाति धर्म के लोग सम्मिलित थे जिसमें बाल लहना और मर्दाना प्रमुख थे।

गुरु नानक देव जी के बारे में अनेक कहानियां कही जाती हैं जो सच भी हैं जिसमें एक बार पिता ने उन्हें सच्चा सौदा करने को कहा रास्ते में उन्होंने भूखे साधुओं को देखा और सारा पैसा लगाकर उनका खिला पिला दिया। दूसरी घटना में भी एक ऐसे गांव में रुके जहां के लोग बहुत ही असभ्य और बहुत ही अशिष्ट थे। उन्होंने नानक देव और उनके शिष्यों का उत्पीड़न किया और नानक देव को खुले आसमान के नीचे रात बितानी पड़ी जाते समय उन्होंने कहा कि ईश्वर करें इस गांव के सभी लोग एक ही स्थान पर रहे और कहीं अन्य जगह न जाए। 

अगली घटना में वे दूसरे गांव पहुंचे जहां गांव के लोग बहुत अतिथि प्रेमी और सज्जन थे उन्होंने नानक देव और उनके शिष्यों का विधिवत ‌ सम्मान और सत्कारकिया ‌ नानक देव ने जाते समय कहा कि ईश्वर करें या लोग एक स्थान पर ना रहे और पूरे देश में फैल जाए कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि बुरे लोग चारों ओर जाएंगे तो बुराई लेकर जाएंगे और अच्छे लोग जाएंगे तो ज्ञान प्रकाश और सच्चाई लेकर जाएंगे। 

एक बार मक्का तक यात्रा करते हुए गए और काव्य की ओर पैर करके लेट गए इस पर कई बहुत क्रोधित हुआ तो नानक देव ने हंसते हुए कहा भाई जिधर तुम्हारा खुद ना हो उधर मेरा पर कर दो क्रोध में कई जी और उनका पर घूमता था उसी और उसे कब दिखाई पड़ता था अंत में वह लज्जित हो गया और समझ गया कि यह कोई अवतारी पुरुष हैं और उनसे क्षमा मांगी इस प्रकार नानक देव और उनका जीवन धन्य है उन्हीं के द्वारा सिख पंथ का प्रारंभ हुआ और आज इसको एक अलग धर्म माना जाता है यद्यपि सनातन धर्म की ही एक शाखा है और क्रिश्चियन ईसाई यहूदी छोड़कर सभी लोग सनातनी ही हैं 
इस प्रकार कार्तिक पूर्णिमा का महत्व सर्वोपरि है।

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