आज विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन राज होटल जौनपुर में डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी मध्यस्थता अधिकारी और ज्योतिष शिरोमणि के आवास पर आयोजित किया गया
बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ दिलीप कुमार सिंह ने कहा की मानव सभ्यता के प्रारंभ से 19वीं शताब्दी तक दुनिया का 90% से भी अधिक भू भाग वनों और वृक्ष पादप लताओं से आच्छादित था समय के साथ औद्योगिक क्रांति खनिज पदार्थों का उत्खनन तथा भौतिक सभ्यता के विस्तार के कारण आज चारों ओर जंगलों और वृक्षों का पूर्ण विनाश हो चुका है
तथा सीमेंट और कंक्रीट के जंगल गर्मी में दहकती भट्ठी बन जाते हैं तो जाड़े में शीतगृह बन जाते हैं अभी बहुत दिन नहीं हुए जब हम लोगों के बचपन में गांव के ताल खोखरा में लोग नहाते धोते थे और उसका पानी भी पिया करते थे चारों और मछलियां और जीव जंतु प्रचुर मात्रा में थे तथा जौनपुर शहर ही पूरी तरह वृक्षों और वनों से आच्छादित था आज तो नदी नालों तक में घर बन चुके हैं और वृक्षों का विनाश होने से विश्व का पर्यावरण बहुत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है और ऑक्सीजन की बेहद कमी हो गई है सरकार और सरकारी विभाग को केवल आंकड़े दिखाकर और कुछ वृक्ष लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं कर लेना चाहिए बल्कि 1400000 की जगह 14000 पौधे ही लगा कर उनकी सुरक्षा और संरक्षा करनी चाहिए
डॉ एलपी मौर्या शिया डिग्री कॉलेज अध्यक्ष वनस्पति विज्ञान ने कहा पेड़ पौधे वनस्पतियां कम से कम 5 वें भाग पर अनिवार्य रूप से होना चाहिए वरना श्रेष्ठ और परिस्थितिकी तंत्र का संतुलन गड़बड़ हो जाएगा और ऑक्सीजन की बेहद कमी हो जाएगी
जेल विजिटर पद्मा सिंह ने कहा की एक कूलर खरीद कर उसमें जिंदगी भर पानी लोग भर देते हैं उतने ही पैसे का सॉफ्टवेयर लगा कर आराम से उसकी सेवा करके एक मनुष्य सा वृक्ष तैयार कर सकता है शिप्रा सिंह ने कहा मानव सभ्यता पर्यावरण के अनियमित होने पर नष्ट हो जाएगी और चारों तरफ प्रदूषण का राज होगा
डॉ प्रमेन्द्र सिंह सुधीर सिंह एवं नवीन श्रीवास्तव ने कहां की केवल कागजों पर भाषण देने और फोटो छपवाने से कुछ नहीं होगा भौतिकवाद को रोका जाए लगातार बढ़ते हुए दो पहिया चार पहिया और अन्य वाहन कम किए जाएं जितने भी खाली जगह है वहां पर पेड़ पौधे वृक्ष और पादप लताएं लगाए जाएं और एक पेड़ काटने से पहले दो पेड़ लगाए जाएं तभी कल्याण होगा
सभी विद्वान वक्ताओं ने कहा कि जब तक हम प्रकृति और नहीं लौट आते हैं और भारत की प्राचीन संस्कृत सभ्यता और जीवन प्रणाली के अंतर्गत स्वच्छ पर्यावरण और हरे भरे वातावरण का निर्माण नहीं करते हैं तब तक भाषण देने से कुछ नहीं होने वाला है प्राचीन काल में कच्चे पक्के मकान हरे भरे पेड़ों के बीच में बनते थे और उसके चारों और पेड़ पौधे लता वनस्पतियां रहती थी आज तो सारा काम केवल कागजों पर हो रहा है और सरकार तथा उसका तंत्र केवल भाषण बाजी में विश्वास करता है जौनपुर जैसे विराट शहर में एक भी ऐसा जगह नहीं है जहां घने पेड़ की छाया हो और कोई विश्राम कर सकें इसलिए बहुत गंभीरता से पर्यावरण संरक्षित करने की आवश्यकता है
इस अवसर पर सचिन जायसवाल रेनू मौर्या रविन्दर मौर्या कुर्बान और सैफ तथा अन्य लोग उपस्थित रहे गोष्ठी का संचालन मनीष सिंह ने किया
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