बेटियाँ ऐसी ही होती है , निश्छल समर्पित,देवी स्वरूपा , वो जिन्हें रहने मात्र से परिवार में संकट नहीं आ सकता.......... नमन है ऐसी बेटी को ….
पर क्या पिता ऐसे होते है ??? 74 साल का बूढ़ा व्यक्ति, जिसने जीवन में सब कुछ पा लिया उसे अभी भी जीवन जीने की इतनी चाह है, कि वो अपनी जवान बेटी की किडनी से अपनी ज़िंदगी के कुछ साल और बढ़ा लेना चाहता है ?
बेटी ने तो बेटी होने का फ़र्ज़ निभाया......... दुर्भाग्य से पिता ने, पिता होने का फ़र्ज़ नहीं निभाया........ लालू ने पारिवारिक सूचिता का भी ध्यान नहीं रखा........ एक स्वार्थी राजनेता,एक स्वार्थी पिता भी बन गया.........
एक जवान लड़की जो पुत्री होने के अलावा पत्नी और 2 बच्चों की माँ भी है.......... लिहाज़ा उनकी जवाबदारी अपने इस परिवार के साथ भी है........... सोचिए कैसा बलिदान है रोहिणी का …
लालू ने अपने दामाद और अपने नाती का हक़ छीन के अपने बुढ़ापे के कुछ साल बढ़ा लिए…....
रोहिणी ने उस सभी लोगों की आँखें खोल दी होगी जो बेटों कि चाह में बेटियों को कोख में मारते है..........
खिलती हुई कलियाँ हैं बेटियाँ,
माँ-बाप का दर्द समझती हैं बेटियाँ, घर को रोशन करती हैं बेटियाँ, लड़के आज हैं तो आने वाला कल हैं बेटियाँ.......
No comments:
Post a Comment