*धरती का अमृत फल, नोनी...*
नोनी फल किसी बीमारी का इलाज़ तो नहीं लेकिन इसके सेवन से कोई भी बीमारी नही बच सकती, चाहे वो एड्स हो या कैंसर.!
नोनी फल आम लोगों के लिए जितना गुमनाम है, सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद।
नोनी के रूप में वैज्ञानिकों को एक ऐसी संजीवनी हाथ लगी है।
मधुमेह, अस्थमा, गठिया, दिल की बीमारी, स्त्रियों की बीमारिया, नपुंसकता एवम् बांझपन सहित कई बीमारियों के इलाज में रामबाण साबित हो रहा है।
ताजा शोध के मुताबिक नोनी फल कैंसर व लाइलाज एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों में भी कारगर साबित हो रहा है।
भारत में वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन सहित कई शोध संस्थान शोध कर रहे हैं।
नोनी के इन रहस्यमयी गुणों का खुलासा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में एक सेमिनार में हुआ।
कृषि वैज्ञानिक नोनी को मानव स्वास्थ्य के लिए प्रकृति की अनमोल देन बता रहे हैँ एवम् उनके अनुसार समुद्र तटीय इलाकों में तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, अंडमान निकोबार, मध्यप्रदेश सहित नौ राज्यों में 653 एकड़ में इसकी खेती हो रही है।
कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व चेयरमैन व वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. कीर्ति सिंह ने कहा कि इस फल में दस तरह के विटामिन, खनिज पदार्थ, प्रोटीन, फोलिक एसिड सहित 160+ पोषक तत्व हैं।
इतने पोषक तत्वों की मौजूदगी के चलते उच्च रक्तचाप, हृदय, मधुमेह, गठिया, सर्दी जुकाम, नपुंसकता, स्त्री रोगों सहित अनेक बीमारियों में औषधि के रूप में काम आता है।
यह वो एंटी ऑक्सिडेंट है जिसे यदि शुरू से इसका सेवन किया जाए तो कैंसर नहीं होगा। फाउंडेशन कैंसर व एड्स पर नोनी के प्रभाव का शोध कर रहा है।
इंदौर में करीब 25 एड्स मरीजों को नियमित नोनी का जूस देने पर वे अब तक ठीक हैं पर हमारे पास कैप्सूल भी हैं जो ज्यादा कॉस्ट इफेक्टिव हैं।
इसके अलावा मुंबई, बेंगलुर, हैदराबाद, चेन्नई सहित कई मेट्रो शहरों में दर्जनों कैंसर पीडितों को यह दिया जा रहा है जिन्हें अस्पतालों ने डिस्चार्ज कर दिया था।
जिन मरीजों को नोनी दिया जा रहा है, उनकी उम्र बढ़ गई है।
अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि नोनी के सेवन से कैंसर व एड्स पूरी तरह ठीक ही हो जाएगा, पूरे विश्व में शोध जारी है।
नोनी की उपयोगिता को ध्यान रखकर ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि स्नातक पाठ्यक्रम में दो साल से नोनी को शामिल कर लिया है।
ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर है।
और हमारे द्वारा बनाया गया जूस अद्भुत है क्योंकि इसके 10ml में आपको मिलेगा,
2000mg नोनी
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: *बालतोड़ के अद्भुत 5 घरेलू उपचार...*
बालतोड़ या Boils एक पेनफुल फोड़ा है जो शरीर के किसी भी अंग का अगर एक भी बाल टूट जाता है तो उस जगह पर घाव हो जाता है जिसे बालतोड़ कहते है।
बालतोड़ होने पर एक छोटा सा फुंसी धीरे धीरे बड़ा जख्म का रूप ले लेता ह।
बालतोड़ के जख्म में पस भर जाने के कारण उसमें काफी दर्द होता है जो की कभी कभी असहनीय होता है।
*कुदरती उपचार*
1. आमतौर पर बालतोड़ हाँथ या पैर के बाल टूटने पर हो जाता है जिससे इंसान को हाँथ या पैर हिलाने में भी तकलीफ होती है।
ऐसे में बालतोड़ होने के साथ ही गेहूं के कुछ दाने को मुंह में ले कर चबाएं और फिर उसे मुंह से निकाल कर बालतोड़ पर लगायें।
दिन में अगर आप 3 बार गेंहूँ को चबा कर बालतोड़ पर लगाते है तो आपका बालतोड़ का जख्म नहीं बढेगा है।
2. पीपल के पेड़ का छाल को उखाड़ लें और फिर उसे घिस कर उसमें थोड़ा थोड़ा पानी मिलकर उसका पेस्ट बना लें।
अब इस पेस्ट को दिन में 2 से 3 बार बालतोड़ पर लगाएं।
इसे लगाने से बालतोड़ का जख्म और उसका दर्द दोनों में राहत मिलती है।
3. लगभग 20g नीम के पत्ते को ले कर उसमें 20g काली मिर्च (black pepper) को मिलकर पीस कर उसका पेस्ट तैयार कर लें।
अब उस पेस्ट को बालतोड़ के जख्म पर लगा कर उसपर किसी कपड़े से पट्टी बांध लें।
आप चाहे तो बालतोड़ पर केवल नीम के पत्ते को भी पीस कर लगा सकते है।
इन दोनों उपचार से बालतोड़ जल्दी ठीक हो जाता है।
4. एक चम्मच मैदे को ले कर घी में थोड़ी देर तक पका कर उसका पेस्ट बना लें और फिर उस पेस्ट को ठंडा कर के सोते समय बालतोड़ के जख्म पर लगा कर किसी कपड़े से बांध लें।
एक से दो दिन ऐसा करने से बालतोड़ ठीक हो जायेगा।
5. मेहंदी के पत्ते को पीस कर या फिर मेहंदी के पाउडर को कुछ देर तक फुलाकर उसके लेप को बालतोड़ के जख्म पर गाढ़ा कर के लगाने से बालतोड़ ठीक हो जाता है।
*बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल है खतरे की घंटी, कम करने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय..*
बहुत से लोग कोलेस्ट्रॉल के बारे में तो जानते हैं। लेकिन यह नहीं जानते कि असल में यह होता क्या है.? आपको बता दें कि कोलेस्ट्रॉल एक तरह का फैट होता है जो खून में मौजूद होता है।
कोलेस्ट्रॉल शरीर के अंदर बहुत से कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है, जैसे सेल्स को लचीला बनाए रखने के लिए, और विटामिन डी के संशलेषण आदि के लिए।
ज्ञात हो कि दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं एक होता है एल.डी.एल. और दूसरा होता है एच.डी.एल.।
*एल.डी.एल...* कोलेस्ट्रॉल रक्त धमनियों में बाधा उत्पन्न कर हृदय को नुकसान पहुँचाता है।
जबकि एचडीएल कोलेस्ट्रॉल आपके दिल का ख्याल रखने का कार्य करता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का कारण केवल खराब जीवनशैली या बेकार खान पान ही नहीं. बल्कि इसके लिए फैमिली हिस्ट्री भी जिम्मेदार होती है।
लेकिन स्वस्थ्य भोजन, हल्की एक्सरसाइज और जीवनशैली में बदलाव के जरिए इससे राहत पाई जा सकती है।
*हल्दी है गुणकारी..*
घर से चिटियों को भगाना हो या फिर चोट को जल्दी ठीक करना हो। इन सभी कार्यो में हल्दी का उपयोग किया जाता है। उसी तरह यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने का कार्य भी करती है। दरअसल हल्दी के अंदर पाए जाने वाले तत्व रक्त की धमनियों से कोलेस्ट्ऱॉल हटाने का कार्य करते हैं। इसके लिए आप चाहें तो हल्दी वाला दूध पी सकते हैं। या फिर आप सुबह गर्म पानी के अंदर आधा चम्मच हल्दी पाउडर डालकर सेवन कर सकते हैं।
*ग्रीन टी...*
आज कल के समय में वजन कम करने से लेकर, मेटाबॉलिज्म बेहतर बनाने तक के लिए ग्रीन टी का उपयोग किया जा सकता है।
इसके अलावा हाल ही में हुई एक रिसर्च बताती है कि ग्रीन टी के अंदर पाए जाने वाले तत्व बैड कोलेस्ट्रॉल को तेजी से कम करने का कार्य करते हैं। अगर आपको इसका स्वाद पसंद नहीं है तो आप ग्रीन टी कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं।
: *पंच-तत्व का शरीर क्या है और ये कैसे काम करते है.?*
आज बात करते है शरीर के पंच तत्वों की जिनसे ये शरीर बना है।
ये पंच तत्व ही भौतिक और अभौतिक रूप में शरीर का गि निर्माण करते है।
कम ही लोगों को पता होगा कि ये पंच तत्व क्या है और शरीर में कैसे काम करते है.?
*आज इन्ही तत्वों को समझेगे। ये पंच तत्व है क्रम अनुसार-*
1. पृथ्वी, 2. जल, 3. अग्नि, 4. वायु, 5. आकाश।
*(1). पृथ्वी तत्व-*
ये वो तत्व है जिससे हमारा भौतिक शरीर बनता है। जिन तत्त्वों, धातुओं और अधातुओं से पृथ्वी (धरती) बनी उन्ही से हमारे भौतिक शरीर की भी सरंचना हुई है। यही कारण है कि हमारे शरीर लौह धातु खून में, कैल्शियम हड्डियों में, कार्बन फाइबर रूप में, नाइट्रोजन प्रोटीन रूप में और भी कितने ही तत्व है जो शरीर में पाए जाते है। और यही कारण है कि आयुर्वेद में शरीर की निरोग और बलशाली बनाने के लिए धातु की भस्मों का प्रयोग किया जाता है।
*(2). जल तत्व-*
जल तत्व से मतलब है तरलता से। जितने भी तरल तत्व जो शरीर में बह रहे है वो सब जल तत्व ही है। चाहे वो पानी हो, खून हो, वसा हो, शरीर मे बनने वाले सभी तरह के रॉ रस और एंजाइम। वो सभी जल तत्व ही है। जो शरीर की ऊर्जा और पोषण तत्वों को पूरे शरीर मे पहुचाते है। *इसे आयुर्वेद में कफ के नाम से जाना जाता हैं।* इस जल तत्व की मात्रा में संतुलन बिगड़ते ही शरीर भी बिगड़ कर बीमार बना देगा।
*(3). अग्नि तत्व-*
अग्नि तत्व ऊर्जा, ऊष्मा, शक्ति और ताप का प्रतीक है। हमारे शरीर में जितनी भी गर्माहट है वो सब अग्नि तत्व ही है। यही अग्नि तत्व भोजन को पचाकर शरीर को निरोग रखता है। ये तत्व ही शरीर को बल और शक्ति वरदान करता है। *इसे आयुर्वेद में पित्त के नाम से ज जाना जाता है।* इस तत्व की ऊष्मा का भी एक स्तर होता है, उससे ऊपर या नीचे जाने से शरीर भी बीमार हो जाता है।
*(4). वायु तत्व-*
जितना भी प्राण है वो सब वायु तत्व है। जो हम सांस के रूप में हवा (ऑक्सीजन) लेते है, जिससे हमारा होना निश्चित है, जिससे हमारा जीवन है। *वही वायु तत्व है।* पतंजलि योग में जितने भी प्राण व उपप्राण बताये गए है वो सब वायु तत्व के कारण ही काम कर रहे है। इसको आयुर्वेद में वात के नाम से जानते है। इसका भी सन्तुलन बिगड़ने से शरीर का संतुलन बिगड़ कर शरीर बीमार पड़ जाता है।
*(5). आकाश तत्व-*
ये तत्व ऐसा जिसके बारे में कुछ साधक ही बता सकते है कि ये तत्व शरीर मे कैसे विद्यमान है और क्या काम करता है। ये आकाश तत्व अभौतिक रूप में मन है।
जैसे आकाश अनन्त है वैसे ही मन की भी कोई सीमा नही है। जैसे आकाश आश्चर्यों से भरा पड़ा है वैसे ही मन के आश्चर्यो की कोई सीमा नही है। जैसे आकाश अनन्त ऊर्जाओं से भरा है वैसे ही मन की शक्ति की कोई सीमा नही है जो दबी या सोई हुई है। जैसे आकाश में कभी बादल, कभी धूल और कभी बिल्कुल साफ होता है वैसे ही मन में भी कभी ख़ुशी, कभी दुख और कभी तो बिल्कुल शांत रहता है। ये मन आकाश तत्व रूप है जो शरीर मे विद्यमान है।
*"सरसों के तेल के हैं अनगिनत फायदे"....*
सरसों भारतीय रसोई का एक अहम हिस्सा है। सरसों के तेल और इसके दाने सदियों से भारतीय पकवानों का हिस्सा है। सरसों की पत्तियां भी बहुत फायदेमंद है।
इस तेल को मालिश के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मालिश से रक्त-संचार बढ़ता है, मांसपेशियां विकसित और मजबूत होती है, त्वचा की बनावट में सुधार होता है।
बच्चों को भी सरसों के उबटन की मालिश की जाती है।
सरसों का तेल जीवाणुरोधी होता है। खाने में पौष्टिक और बहुपयोगी हैं।
आइये जाने इसके लाभ।
*"सरसों के लाभ"*
सरसों के तेल में ओलिक एसिड और लीनोलिक एसिड पाया जाता है, यह फैटी एसिड होते हैं जो बालों के लिए फायदेमंद हैं।
इनसे बालों की जड़ो को पोषण मिलता है।
अगर आप इस तेल को हफ्ते में दो दिन इस्तेमाल करेंगे तो बाल झड़ना कम हो जाता है।
दातों और मसूड़ों पर सरसों का तेल रगड़ने से वह मजबूत होते हैं। पायरिया के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद है।
इसके अलावा यह सर्दी, जुखाम, सिरदर्द और शरीर के दर्द में भी बहुत फायदा देता है।
सरसों के तेल में एलिल आइसोथियोसाइनेट के गुण मौजूद होते हैं।
त्वचा विकारों के लिए सबसे अच्छे इलाज के रूप में काम करता है। साथ ही यह शरीर के किसी भी भाग में फंगस को बढ़ने से रोकता है।
सरसों शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
यह शरीर को गर्माहट भी प्रदान करता है, अगर इसे ठंडक में खाया जाए तो ठंड बिलकुल नहीं लगेगी।
अगर आपको भूख नहीं लगती तो अपने खाने को सरसों के तेल में बनाना शुरु कर दीजिए, क्योंकि यह तेल भूख बढ़ा कर शरीर में पाचन क्षमता को बढ़ाता है।
सरसों के तेल में विटामिन ई होता है।
इसे त्वचा पर लगाने से सूर्य की अल्ट्रावायलेट की किरणों से बचाव होता है।
सरसों का तेल साथ ही यह झाइयों और झुर्रियों से भी काफी हद तक राहत दिलाता है।
सरसों के तेल से मालिश करने से गठिया और जोड़ो का दर्द भी ठीक हो जाता है। गठिया के रोगी सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करें फायदा होगा।
सरसों का तेल खाने से कोरोनरी हार्ट डिज़ीज का खतरा भी थोड़ा कम हो जाता है।
जिन लोगों की त्वचा रूखी-सूखी है, वे लोग अपने हाथों, पैरों में तेल लगाने के बाद पानी से स्नान कर लें। इससे त्वचा को पोषण मिलता है और त्वचा नम हो जाती है।
सरसो के दानों को पीसकर लेप लगाने से किसी भी प्रकार की सूजन ठीक हो जाती है।
सरसों के दानों को पीसकर शहद के साथ चाटने से कफ और खांसी समाप्त हो जाती है।
सरसों के तेल को एक टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका इस्तेमाल करने से शरीर की कार्य क्षमता बढ़ा कर शरीर की कमजोरी को एकदम दूर कर देता है।
आगे आपकी मर्जी है कि आप प्रोटीन खाना चाहेंगे या सड़ा हुआ ब्रांडेड कम्पनी का सेलेब्रिटीज़ द्वारा प्रचारित तेल।
: *निरोगी जीवन के लिए पीने वाले पानी के बारे में ये जानना बेहद जरूरी है कि....*
*टी.डी.एस. क्या है..?*
*(टोटल डिसॉल्व्ड सॉलिड)*
*(1). टी.डी.एस. का मतलब*
हमारे पानी में कुल घुलित ठोस से है।
पानी में मिट्टी में उपस्थित खनिज घुले रहते हैं।
भूमिगत जल में ये छन जाते हैं।
सतह के पानी में खनिज उस मिट्टी में रहते हैं जिस पर पानी का प्रवाह होता है (नदी/धारा) या जहां पानी ठहरा रहता है जैसे झील/ तालाब/ जलाशय)।
पानी में घुले खनिज को आम तौर पर कुल घुलित ठोस, टीडीएस कहा जाता है।
पानी में टीडीएस की मात्रा को मिलीग्राम/लीटर (Mg/ltr) या प्रति मिलियन टुकड़े (पीपीएम PPM पार्टिकल्स पर मिलियन) से मापा जा सकता है।
ये इकाइयां एक समान हैं।
खनिज मूलतः कैल्शियम (Ca), मैग्नीशियम (Mg) और सोडियम (Na) के विभिन्न अवयव होते हैं।
पानी में खारापन सीए और एमजी के विभिन्न अवयव मसलन कैल्शियम या मैग्नीशियम क्लोराइड, कैल्शियम और मैग्नीशियम सल्फेट (CaSo4, MgCl etc) के कारण होता है।
कम मात्रा के बावजूद कुछ घुले हुए ठोस पदार्थ ख़तरनाक होते हैं।
मसलन आर्सेनिक, फ्लूराइड और नाइट्रेट।
पानी में इन पदार्थों की स्वीकृत स्तर के कुछ तय मानक हैं।
हालांकि फ्लूराइड के सुरक्षित मात्रा के बारे में कुछ असहमतियां भी हैं।
फ्लूराइड और आर्सेनिक जैसे नुकसानदायक रसायनों को छोड़ दिया जाए तो पीने के पानी में कुछ मात्रा में खनिज (टीडीएस) रहने चाहिए लेकिन इनकी मात्रा ज़रूरत से अधिक न हो।
*(2). टीडीएस के मानक क्या हैं ?*
भारत में बी.आई.एस. 10500-1991 मानक लागू हैं।
यह मानक विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यू.एच.ओ. के मानक के आधार पर बना है।
हालांकि इसमें समय-समय पर काफी संसोधन किए गए हैं।
इसका कारण है कि हमारे यहां आपूर्ति किया जाने वाले पीने का पानी इतना दूषित हो गया है कि इसमें टीडीएस, कठोरता, क्लोराइड जैसे पदार्थों की मात्रा तय मानक से बहुत अधिक हो चुकी है।
ऐसे में इनकी उपस्थिति की स्वीकार्य सीमा बढाई गई।
आमतौर पर अगर पीने के पानी में टीडीएस की मात्रा 500 एमजी/लीटर से अधिक हो जाती है तो यह अरुचिकर हो जाता है।
लेकिन पानी को कोई अन्य बेहतर स्रोत नहीं होने के कारण लोग इस पानी के आदी हो जाते हैं।
बीआईएस मानक मानव के लिए पीने के पानी की स्वीकार्य गुणवत्ता तय करता है।
व्यावहारिक तौर पर सभी औद्योगिक और कुछ पेशेवर इस्तेमाल के लिए पानी का शुद्धता स्तर काफी अधिक होना चाहिए।
अधिकतर मामलों में एक तरह से कोई भी ठोस घुला नहीं होना चाहिए।
बीआईएस मानक कहता है कि अधिकतम इच्छित टीडीएस की मात्रा 500 एमजी/लीटर और पानी के किसी बेहतर स्रोत के अभाव में अधिकतर अनुमन्य स्तर 2000 Mg/ltr है।
इसी तरह कठोरता यानि कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) का अधिकतम इच्छित स्तर 300 mg/ltr और अधिकतम अनुमन्य स्तर 600 mg/ltr है।
*संदर्भ*
*डब्ल्यू.एच.ओ.* *(WHO)*
*मानक:*
1000 mh/ltr से कम टीडीएस सघनता के स्तर का पानी आमतौर पर पीने के लिए उचित है।
हालांकि इस स्वीकार्यता में परिस्थितियों के अनुसार फर्क हो सकता है।
पानी, टीडीएस के उच्च स्तरीय स्वाद के कारण पीने योग्य नहीं होता।
साथ ही इससे पाइपों, हीटरों, बॉयलरों और घरेलू उपकरणों के ख़राब होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
(कठोरता का खंड भी देखें)
बेहद कम टीडीएस सघनता वाला पानी भी अपने फीके स्वाद की वजह से पीने लायक नहीं होता है।
साथ ही यह अक्सर यग जलापूर्ति प्रणाली के लिए नुकसानदायक भी होता है।
*संदर्भ*
*यू.एस. / ई.पी.ए. मानक:*
अमेरिका की पर्यावरणीय संरक्षण एजेंसी (ईपीए) मोटे तौर पर पीने के पानी के दो मानक स्वीकार करती है।
इन्हें अधिकतम प्रदूषण स्तर लक्ष्य (एम.सी.एल.जी.) और द्वितीयक अधिकतम प्रदूषण स्तर (एस.एम.सी.एल.) कहा जाता है।
एमसीएलजी सघनता का एक ऐसा स्तर है जिसका मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं पड़ता।इसमें सुरक्षा का पर्याप्त ध्यान रखा जाता है।
दूसरी ओर एसएमसीएल का स्तर एक स्वैच्छिक दिशानिर्देश है जिससे मानव स्वास्थ्य पर कोई ख़तरा नहीं है।
ईपीए ने जहां एमसीएलजी के तहत कोई सीमा नहीं तय की है वहीं एसएमसीएल के लिए ऊपरी सीमा 500 mg/ltr है।
यह सीमा इसलिए तय की गई है ताकि पानी की गंध, स्वाद और रंग में ऐसा प्रभाव न पड़े कि वह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो या पानी की पाइपलाइन या अन्य उपकरणों में जंग, काई, क्षरण जैसी कोई समस्या न पैदा हो।
हालांकि एमसीएलजी के तहत टीडीएस की कोई सीमा तय नहीं की गई है लेकिन अधिक टीडीएस वाले पानी में कई हानिकारक पदार्थ हो सकते हैं जिनका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
*बेहद कम टीडीएस :*
फीके या बेस्वाद और उपयोगी खनिज की कमी के कारण बहुत कम टीडीएस स्तर वाला पानी भी कई तरह की समस्याएं खड़ी करता है।
80 mg/ltr से कम स्तर वाले पानी को आमतौर पर उपयोग के लिए ठीक नहीं समझा जाता।
*(3). मापन:*
एक सस्ते उपकरण टीडीएस मीटर की मदद से बहुत आसानी से पानी के टीडीएस स्तर को मापा जा सकता है।
इसकी कीमत बमुश्किलन 2000 रुपये है और बाद में केवल बैटरी बदलने का ख़र्च आता है।
इसका इस्तेमाल कुएं, पाइप या पैकेज्ड पानी और बारिश के पानी के टीडीएस स्तर को मापने में किया जा सकता है।
ध्यान रहे कि बारिश के पानी का टीडीएस बेहद कम होता है।
पानी के टीडीएस में अचानक आया बदलाव संकेत देता है कि पानी उच्च टीडीएस वाले पानी से प्रदूषित हो रहा है।
*(4). शुद्धिकरण*
पानी की अशुद्धता को दूर करने के यू.वी., यू.एफ. और अन्य पारंपरिक तरीकों का टीडीएस पर असर नहीं पड़ेगा।
इसके लिए केवल रिवर्स ऑसमोसिस ही कारगर होता है।
*रिवर्स ऑसमोसिस*
रिवर्स ऑसमोसिस यानी आरओ घरों में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली पानी को स्वच्छ करने की एक मात्र ऐसी प्रणाली है जो घुली हुई अशुद्धता को खत्म कर देती है।
अगर टीडीएस की मात्रा एक ख़ास स्तर से बढ़ जाती है तो आरओ की ज़रूरत होती है। (टीडीएस की ऊपरी स्तर क्या है ?
इस पर आई.डब्ल्यू.पी. पर हुई चर्चा देखें)
अगर आपको लगता है कि सीवेज़, कीटनाशक,भारी धातु या औद्योगिक उत्सर्जन से आपका पानी दूषित हो गया है तब भी आरओ का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
आर.ओ. के साथ एक परेशानी यह है कि इसके लिए काफी पानी की ज़रूरत होती है।
यह गंदे पानी को दो भागों में बांटता है और घुले हुए ठोस पदार्थों को एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फेंकता है।
ऐसे में आर.ओ. से पानी की दो धाराएं निकलती हैं।
एक ‘साफ़’ पानी की जिसमें कम टीडीएस और अन्य अशुद्धियां होती हैं।
दूसरी गंदे पानी की जो पहले से भी कहीं अधिक गंदा होता है।
आमतौर पर आरओ में डाले गए 3 लीटर पानी में एक लीटर साफ़ और दो लीटर गंदा पानी बाहर निकलता है।
वैसे आरओ से निकले गंदे पानी का इस्तेमाल फर्श पर पोछा लगाने में किया जा सकता है।
लेकिन बहुत कम लोग ही ऐसा करते हैं।
टीडीएस की कमी से पानी का स्वाद और पीएस बदल जाता है।
टीडीएस बहुत कम कर देना भी अच्छा नहीं है। कुछ कंपनियां एक मिश्रित मशीन बनाते हैं जिसमें आरओ के साथ-साथ यूएफ या यूवी के गुण भी होते हैं।
पानी की भारी मात्रा से घुले ठोस पदार्थों को निकालने के लिए आरओ का इस्तेमाल किया जाता है।
इसके अलावा सूक्ष्म जीवाणुओं को मारने के लिए यूएफ या यूवी का इस्तेमाल किया जाता है लिए इसे घुले ठोस पदार्थ रह जाते हैं।
इन दोनों प्रणालियों के मिश्रण से घुले ठोस पदार्थों का निम्न स्तर बनाए रखा जा सकता है।
इन दोनों के अनुपात को नियंत्रित किया जा सकता है।
आर.ओ. की कीमत 10,000 से 15,000 रुपये के बीच होती है।
आरओ दबाव के साथ काम करता है जिसे एक आंतरिक पंप से पैदा किया जाता है।
ऐसे में आरओ के लिए बिजली की ज़रूरत होती है।
अगर पानी में टीडीएस का स्तर 1000 से अधिक हो तो पारंपरिक घरेलू आरओ उतने प्रभावी नहीं भी होते हैं।
ऐसे में बारिश के पानी का संरक्षण यानी रेन हार्वेस्टिंग एक स्थायी विकल्प है।
ख़ासकर जहां पानी में टीडीएस या कठोरता की मात्रा बहुत ज़्यादा हो।
बारिश के पानी में टीडीएस केवल 10-50 मिलीग्राम/लीटर होता है।
पानी को मृदु बनाने से उसके टीडीएस नहीं कम होते।
पानी को मृदु बनाने की प्रक्रिया में घुले हुए ठोस में सोडियम का स्थान कैल्शियम या मैग्नीशियम ले लेते हैं जिससे टीडीएस की मात्रा में मामूली कमी होती है।
अतः आर ओ की खरीदारी अपने पैसे का नही बल्कि विवेक का इस्तेमाल करें।
अगर ये आर्टिकल आपको स्वास्थ्यवर्धक एवं जीवन रक्षक लगता है तो इसे लोगों तक पहुंचाएं क्योंकि ये नेक काम है।
और अगर आर ओ का सब्स्टीट्यूट चाहते हैं तो अपने क्षेत्र के किसी आर ओ फिटर को सम्पर्क करें (कोई भी सो कॉल्ड आर ओ इंजीनियर नहीं) तो आपको बेस्ट प्यूरीफायर मिल जायेगा जिसमें डस्ट फिल्टर, चारकोल फिल्टर, यूवी फिल्टर और अल्कालाइज़र लगवाना होगा।
कोई संदेह हो तो मुझसे मुफ़्त में सलाह भी ले सकते हैं, अगर मन करे तो...
*ये किसी कम्पनी का प्रचार नहीं बल्कि निरोगी जीवन का प्रचार है।*
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*आज हर घर मे हर एक व्यक्ति घुटने का दर्द, संधिशूल, आर्थराइटीस, संधिवात, आमवात, फ्रोजन शोल्डर, युरिक एसिड बढ़ना, विटामिन बी-12 की कमी, मांसपेशियों का ददॅ, स्नायु की कमजोरी, जोड़ो मे चिकनाहट की कमी, कैल्शियम की कमी वगैरह से परेशान है..??*
1-2 साल तक ऐलोपैथ दवाई खाकर थक जाते है या तो ऐलोपैथी दवाई के इतने आदी हो जाते है कि वह रोज की लाइफ स्टाइल बन जाती है जैसे रोज का खूराक ही क्यो ना हो ?
अंत मे डॉक्टर भी कहने लगता है, हम इसमे आगे कुछ भी नही कर सकते, आप ऑपरेशन करवा लो।
*लेकिन हम आपको जो इलाज बताते है वह अगर आप 1-2 महिने तक प्रयोग करें तो शायद आपको हमेशा को लिये घुटनो के या किसी भी प्रकार के दर्द से या उपर लिखे परेशानियों से मुक्ति मिल जायेगी।*
*जीवन का आनन्द लेने के लिये निरोगी रहना बेहद ज़रूरी है*
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*हमारा प्रयास दर्द मुक्त समाज की ओर*
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*कुदरत पे विश्वास करें*
*पेन किलर से बचिये.!*
*सर्दियों की परेशानियों से बचें.!*
*❓क्या दर्दों से परेशान हैं.?*
*❓क्या आप डाक्टरों के चक्कर लगा लगा के परेशान हो चुके हैं..?*
*❓क्या अंग्रेजी दवाइयों से भी कोई फायदा नही हो रहा है..?*
*❓क्या आपके पास कोई और विकल्प नही बचा है।*
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*हमेशा याद रखें कि...*
*अंग्रेजी दवाइयां 20% ठीक और 80% कन्ट्रोल करती हैं जबकि*
*कुदरती पद्धति 80% ठीक और 20% कन्ट्रोल करती हैं।*
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*ORTHO WELLNESS CAPSULES & OIL (9/ortho caps)*
*ऑर्थो वेलनेस कैप्सूल्स एवं तेल (10/ortho oil)*
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*फैसला आपका लेकिन ये हमारा एक प्रयास, एक सोंच..!*
*दर्दमुक्त समाज की जोर.!*
*कुछ ही दिनों में आराम...*
*AMAZING NATURAL PAIN RELIEVER "ORTHO WELLNESS CAPSULES"*
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*क्या आप परेशान हैं...?*
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*👉🏼चिकनगुनियां से उत्पन्न दर्द*
*👉🏼जोड़ो का दर्द*
*JOINT PAIN*
*👉🏼हड्डियों का दर्द*
*BONE PAIN*
*👉🏼कमर का दर्द*
*BACK ACHE*
*👉🏼शरीर में दर्द*
*BODY ACH*
*👉🏼सर्वाइकल*
*CERVICAL*
*👉🏼कन्धे का दर्द*
*SHOULDER PAIN*
*👉🏼अकड़न*
*STIFFNESS*
*👉🏼बाजू का दर्द*
*PAIN IN HANDS*
*👉🏼पीठ का दर्द*
*WAIST PAIN*
*👉🏼रीढ़ की हड्डी का दर्द*
*PAIN IN SPINE*
*👉🏼कूल्हे व् जांघ का दर्द*
*HIP & THIGH PAIN*
*👉🏼नसों का दर्द*
*👉🏼NERVE OR NEUROLOGICAL PAIN*
*👉🏼टांगों का दर्द*
*LEG PAIN*
*पिंडलियों का दर्द*
*CALF PAIN*
*👉🏼पांव एड़ी का दर्द*
*FEET & TOES PAIN*
*👉🏼नसों की अकड़न*
*NEURO STIFFNESS*
*👉🏼मांसपेशियों में दर्द*
*Muscular Pain*
*👉🏼जड़ी बूटियों से निर्मित हमारा ऑर्थो वेलनेस कैप्सूल उपर्लिखित समस्याओं में अत्यंत कारगर....*
*👉🏼Our Ortho Wellness Capsule is combination of UNIQUE HERBS & SHRUBS, useful in such PROBLEMS👈🏼*
*परहेज़*
*प्रयोग के दौरान खट्टी, ठण्डी व् तली हुई वस्तुओं से परहेज़।*
*NO SOUR, CHILLED & FRIED FOODS during course*
👌👌👌👌👌
*100% कुदरती Natural*
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*100% वेजेटेरियन*
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*कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं*
*NO SIDE EFFECTS*
*सैकड़ो लाभान्वित, आप भी लाभ उठायें।*
*अंग्रेजी दवाइयों से मुक्ति का एकमात्र विकल्प..!*
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*1️⃣••••*
*प्रोडक्ट कोड*
*9/ortho caps*
*सेवा मात्र ₹652/- सिर्फ 15 दिनों के लिए (एक पैक), कोरियर चार्ज एक्स्ट्रा।*
*दो पैक (एक महीने के लिए) मात्र ₹1000/- में, साथ मे कोरियर सेवा मुफ़्त।*
*2️⃣••••*
*"ऑर्थो वेलनेस तेल"*
*प्रोडक्ट कोड*
*10/ortho oil*
*मात्रा 100ml*
*5 मिनट में असर*
*सेवा शुल्क ₹588/-*
*कोरियर सेवा मुफ़्त*
*कॉम्बो पैक ऑफर*
*ऑर्थो वेलनेस कैप्सूल्स 2 डिब्बे एवं ऑर्थो वेलनेस दर्दनिवारक तेल लेने की कीमत सिर्फ ₹1500/-*
*मोटापा नाशक*
*फैट 2 फिटनेस चूर्ण (फुल कोर्स 4 महीनें का) 43% डिस्काउंट के साथ सिर्फ ₹2500/- में...*
*प्रोडक्ट कोड 2/10/F2F*
*हो जाइये स्लिम, ट्रिम एंड ब्यूटीफुल या हैंडसम...*
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*100% नेचुरल*
*फैट 2 फिटनेस चूर्ण नहीं बल्कि*
*अब नया इम्प्रूव्ड..*
*फ्लैब टू फैब चूर्ण*
*FLAB to FAB churna*
*~₹4400/- का नहीं~ बल्कि सिर्फ ₹2500/- में फुल कोर्स*
सौ बीमारियों की जड़ होती है मोटापा और उसके ऊपर लॉक डाउन जैसे हालात, इम्युनिटी तो वैसे भी कमजोर होना शुरू हो जाती है।
*कुछ बेबाक प्रश्न?*
*उत्तर स्वयं को दीजिये..*
(1). क्या आप सुंदर होने के बावजूद भी परेशान हैं.?
(2). क्या ढेर सारा खर्च करने के बावजूद परेशान हैं..?
*तो पेश है आपके लिए...*
*एकदम नेचुरल*
*वेट लॉस और इंच लॉस के लिए अद्भुत..*
*न्यूली इम्प्रूव्ड*
*फ्लैब टू फैब चूर्ण*
*Not Fat 2 Fitness*
*But newly improved*
*FLAB to FAB*
*Flabbiness to Fabulous*
*100% कुदरती स्टेरॉयड मुक्त*
*पहले समझिये कि...*
*मोटापा क्या बला होती है.?*
● मोटापा आपके शरीर में जमा हुए विषैले तत्व या टॉक्सिन्स होते हैं।
● जिसका शरीर से निकास नही हो पाता, चाहे वो बाहर का नान वेज हो या फास्ट फूड।
● ऐसे केमिकल से भरपूर भोजन को गलने मे 48 से 72 घटे लगते है।
● पर हम उसके उपर भी कुछ ना कुछ खाते रहते है। क्यों है न.?
● और ये गन्ध या टॉक्सिन्स शरीर में ही जमा होता रहता है और रिज़ल्ट या परिणाम स्वरूप वजन बढता ही चला जाता है।
*साथ ही वजन बढने के कुछ और भी कारण कारण हो सकते हैं जैसे...*
(1). शादी के बाद,
(2). बच्चा होने के बाद,
(3) किसी बीमारी के कारण,
(4). किसी गलत दवा के कारण,
(5). बैठने का काम करने की वजह से।
ऐसे ढेर सारे कारण है वजन बढ़ने के।
काफी लोग मार्केट में आ रही कई प्रकार की दवायें भी इस्तेमाल करते हैं जो ठीक नही होते है।
क्योंकि उस मे स्टेरॉयड्स भी हो सकता है जो आपका वजन तो कम कर देती है पर उसके साइड इफेक्ट बाद मे ही पता चलते हैं...
कुछ लोगों को वजन कम करने की ज्यादा जल्दी होती है, जो सही नही है।
*कारण...*
जो चीज काफ़ी मतलब चर्बी सालों से हमारे शरीर में पनप रही है उसको निकलने के लिए हमें थोड़ा समय तो देना चाहिये.?
*तो फिर... क्या करे.?*
हम आप के लिए लाये हैं बिल्कुल कुदरती तरीके से बनाया हुआ, चर्बी घटाने का एकदम कुदरती चूर्ण,
जिस से आपका वजन और आपकी चर्बी आराम से अपने आप कम हो जाएगा।
*इंग्रेडिएंट्स / घटक...*
*(1). सौंफ*
*(2). सनाया*
*(3). छोटी हरड़*
*(4). फूल गुलाब*
*(5). करी पत्ता*
*(6). अलसी*
*(7). जीरा*
*(8). देसी अजवाइन*
ये एकदम नेचुरल बिना किसी साइड इफेक्ट के घर की किचन में उपलब्ध वस्तुओं से बनाया हुआ है।
इस का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है मतलब कोई भी नुकसान नही है।
अब तक बहुत से लोगों का वजन कम किया है इस चूर्ण से।
*मात्रा*
सुबह, दोपहर
ब्रेकफास्ट, लंच से आधा घण्टे पहले और डिनर से आधा घंटे बाद, सलाह के अनुसार एक चम्मच एक गिलास गरम पानी के साथ।
*पूरा कोर्स 4 महीनें का*
*~कीमत ₹4400/~* *लेकिन अब ऑफर की कीमत सिर्फ ₹2500/-*
*कोरियर सेवा मुफ्त*
पेट्रोल और डीज़ल की कीमत बढ़ने से जड़ी बूटियों की कीमत बढ़ने से फैट-2-फिटनेस की भी कीमत बढ़ सकती है।
F2F मंगवाने के लिये
टेक्स्ट मेसेज (SMS) करें लेकिन व्हाट्सएप बिल्कुल नहीं, जिसमे
*प्रोडक्ट कोड 2/10/F2F के साथ*
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