Wednesday 29 March 2023

कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंस गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, पार्थ! देख क्या रहे हो?... इसे समाप्त कर दो! संकट में घिरे कर्ण ने कहा यह तो अधर्म है! भगवान श्री कृष्ण ने कहा:- अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले और द्रौपदी को भरे दरबार में वेश्या कहने वाले के मुख से आज अधर्म की बातें करना शोभा नहीं देता है!!

एक थी बेहद शरीफ भाजपा! जिसे केवल 1 वोट से संसद भवन में गिरा दिया गया था! और इटली की चतुर महिला गुलाबी होंटों से मंद-मंद मुस्करा रही थी, वाजपेयी हाथ हिला-हिला कर अपनी शैली में व्यस्त थे!

जब तक भाजपा वाजपेयी जी की विचारधारा पर चलती रही, वो प्रभु श्रीराम के बताये मार्ग पर चलती रही। मर्यादा, नैतिकता, और शुचिता, इनके लिये कड़े मापदंड तय किये गये थे। परन्तु कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी।

फिर होता है नरेन्द्र मोदी  का पदार्पण!... मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरण चिन्हों पर चलने वाली भाजपा को मोदी जी, कर्मयोगी श्री कृष्ण की राह पर ले आते हैं! श्री कृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं।... छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से, अनीति हो तो अनीति से, अधर्मी को नष्ट करना ही उनका ध्येय होता है!

इसीलिये वो अर्जुन को केवल कर्म करने की शिक्षा देते हैं! बिना सत्ता के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं! इसलिये भाजपा के कार्यकर्ताओं को चाहिये कि कर्ण का अंत करते समय कर्ण के विलापों पर ध्यान ना दें!... केवल ये देखें कि अभिमन्यु की हत्या के समय उनकी नैतिकता कहां चली गई थी?

कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंस गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, पार्थ! देख क्या रहे हो?... इसे समाप्त कर दो! संकट में घिरे कर्ण ने कहा यह तो अधर्म है! भगवान श्री कृष्ण ने कहा:- अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले और द्रौपदी को भरे दरबार में वेश्या कहने वाले के मुख से आज अधर्म की बातें करना शोभा नहीं देता है!!

आज राजनीतिक गलियारा जिस तरह से संविधान की बात कर रहा है, तो लग रहा है जैसे हम पुनः महाभारत युग में आ गये हैं विश्वास रखो, महाभारत का अर्जुन नहीं चूका था! आज का अर्जुन भी नहीं चूकेगा!

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम !!

चुनावी रण में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिये, पार्टी के लिये कर रहे हैं, वह सब उचित है साम, दाम, दण्ड, भेद, राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियां हैं, जिन्हें उपाय- चतुष्टय (चार उपाय) कहते हैं!

राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियां वर्णित हैं! उपाय चतुष्टय के अलावा तीन  अन्य हैं; माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल!!

राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है, जिसके साथ नैतिक-नैतिक खेल खेला जाये! सीधा धोबी पछाड़ ही आवश्यक है।

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