बाजार में बिकने वाली आटा का सेवन करने से अच्छा है खुद गेहूं खरीदकर गेहूं पीसवाना।
•• विपण्यां विक्रीयमाणस्य गोधूमचूर्णस्य सेवनस्य अपेक्षया स्वयमेव गोधूमान् क्रीत्वा तेषां पेषणमेव श्रेयस्करम्।
बाजार में बिकने वाली आटा में प्राय: साफ-सफाई नहीं रहती है।
•• विपण्यां विक्रीयमाणे गोधूमचूर्णे प्रायश: स्वच्छताया: अभावो भवति।
इसके अलावा बाजार के आटा में घून भी पीसा हुआ हो सकता है।
•• एतदतिरिच्य विपण्याम् अनुमानतो विक्रीयमाणे गोधूमचूर्णे घुणनामको गोधूमकृमिरपि पेषमाण: स्यात्।
रोटी बनाते समय आटा से चोकर नहीं निकालना चाहिए , क्योंकि चोकर में पौष्टिक तत्त्व होता है।
••रोटिकापचनकाले गोधूमचूर्णेभ्य: कल्क: न निष्कासनीय:,यतोहि गोधूमकल्केषु पौष्टिकतत्त्वानि भवन्ति।
यदि अपने घर में गेहूं पीसने का छोटा मशीन हो तो सोने पे सुहागा।
•• यदि स्वगृहे गोधूमपेषणयंत्रं भवेत् तर्हि एतत् अस्माकं कृते अत्युत्तमं भवेत्।
अपनी चक्की में अनेक अनाजों को मिलाकर पीसा हुआ आटा ऊर्जा,फाइबर,प्रोटीन,खनिज और विटामिन से भरपूर होता है।
••गृहस्य पेषण्यां नैकानि अन्नानि मिश्रयित्वा चूर्णीकृतः अन्नचूर्णः ऊर्जादिभिः पौष्टिकतत्त्वैः युक्तः भवति।
यह मिला हुआ आटा कैंसर जैसे खतरे को खत्म करता है और शरीर को शूगर फ्री बनाने में मदद करता है।
•• एष मिश्रितचूर्णः कर्करोगस्य त्रासदकं निवार्य शरीरात् शर्करानिष्कासने सहायको भवति।
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