Saturday 22 April 2023

महिलाओं में थायराइड लक्षण*● थायराइड, मधुमेह व हृदय रोग के बाद बड़ी संख्या में होने वाले रोगों में से एक है।● इस बीमारी के लक्षणों को ज्‍यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता क्योंकि ये लक्षण आयु बढऩे के साथ व रजोनिवृत्ति के समय ही पाए जाते हैं। इसी कारण से इस बीमारी के होने का पता नहीं चल पाता।

: *धरती का अमृत नोनी...*
एक ऐसा प्राकृतिक वरदान जो किसी बीमारी का इलाज नहीं है लेकिन ऐसी कोई बीमारी नहीं जो इससे ठीक नहीं हो सकती है किडनी को छोड़कर।

● घर का डॉक्टर सबके लिये नोनी
● एक चमत्कारिक संजीवनी फल
● नोनी बड़े से बड़े रोग के लिए रामबाण
● शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता बूस्टर
● सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद।

मधुमेह, अस्थमा, गठिया, कैंसर, दिल, शीघ्रपतन, नपुंसकता, एड्स जैसी कई बीमारियों के लिये रामबाण।

● जीवन में उमंग और उत्साह बढ़ाये।
● बोटैनिकल नाम मोरिन्डा सिट्रीफोलिया
● औषधि की क्षमता को बेहतर बनाये।

*नोनी के अनेक नाम-*
हॉग एपल, चीज फल, लेड, दर्द निवारक वृक्ष
आच, आक, आल, वेन कट्टपिटलवम,
मद्दी, मोलुगु मुलुगु, उष्ण कटिबंधीय फल,
दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में मिलता है।
● आलू या शरीफा जैसा सफेद, पीले या हरे रंग का होता है।
● अनानास से 40 गुना ज्यादा कैंसर संहारक.!

नोनी में जेरोनाइन एन्ज़ाइम होता है, जेरोनाइन सूक्ष्म जंतुओं, पौधों, जानवरों और इंसानों की कोशिकाओं में मिलता है।

● शरीर की कोशिकायें अपना सही काम करती हैं।
● जेरोनाइन की पर्याप्त मात्रा शरीर में बहुत जरूरी।
● जेरोनाइन हमारे शरीर में प्रोटीनों को उनके कार्यों को करवाने में समर्थ।
● जेरोनाइन, मानवीय कोशिकाओं की भित्तियों के छिद्रों के आकार को बढ़ाये ताकि बढ़ते अवशोषण के लिए पौष्टिक तत्व आसानी से कोशिकाओं में प्रवेश कर सकें, जेरोनाइन की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटे।

*नोनी में व्याप्त प्रभाव-*
● एंटी-बैक्टीरियल
● एंटी-वायरल
● एंटी-फंगल
● एंटी-ट्यूमर
● एंटी-इनफ्लेमेटरी और इम्यून बूस्टर.!
● यह पोटेशियम का एक समर्थ स्रोत है।
● इम्यून बूस्टर
● संचार प्रणाली
● पाचन तंत्र
● मेटाबोलिक सिस्टम
टिशूस और कोशिकाओं,
● त्वचा और बालों की रक्षा के लिये
●परिवार के लिए सुरक्षित
सभी उम्र में लाभदायक।
● एंटी एजिंग।

*● फायदे ●*
● जोड़ों के दर्द
● अकड़न
● जोड़ों की गतिहीनता
● सांस की बीमारियों में
● मुहांसे
● एक्जीमा
● सोरियासिस
● ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक
● मधुमेह में कारगर
● हाई बीपी और माइग्रेन
● गंजेपन और बालों की समस्यायें
● कब्ज, बदहजमी, दस्त आदि मेँ लाभदायक
● इम्यून सिस्टम को शक्तिशाली बनाये।

*नोनी की उपयोगिता-*
● गठिया
● जोड़ों की जकड़न
● अकड़न
● दमा-सांस समस्यायें
● त्वचा समस्यायें जैसे खाज, मुंहासे, सोरियासिस एवं रोसासिया।
● पाचन-कब्ज
● दर्द
● अनियमित माहवारी
● इम्पोटेंसी
● मधुमेह
● हाई बीपी
● लो बीपी
● सरदर्द (माइग्रेन)
● संक्रमण एवं वाइरल अटैक

नोनी 150+ पोषक तत्वों से भरपूर एक शक्तिशाली
एंटी-ऑक्सिडेंट आहार पूरक नोनी है।

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_*अपने गुस्से को करें काबू वरना..?*_
क्रोध एक सामान्य, स्वस्थ भावना है, और हम सभी को तमाम मौकों पर गुस्सा आता है।
लेकिन, जब यह नियंत्रण से बाहर है, यह आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आपको अपनों के साथ रिश्तों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
गुस्सा दिल के दौरे, स्ट्रोक, ब्लड प्रेशर के खतरे को बढ़ा सकता है।
जो भी वयक्ति गुस्से का शिकार होता है वो सामाजिक मेलजोल में भी पिछडा़ रहता है।
जो लोग गुस्सा ज्यादा करते हैं उनके लिए ये कुछ टिप्स हैं जिनसे आप अपने गुस्से को काबू में रख सकते हैं-
(1)- कुछ भी बोलने से पहले अपने विचारों पर ध्यान दें क्योंकि हो सकता कि आपकी बात से किसी को गुस्सा आ सकता है।

(2)- अपने गुस्से के संकेतों को पहचानें - जब आप गुस्से में होते हैं तो आफके दिल की धड़कन तेज हो जाती है, और आप अधिक तेजी से सांस लेते हैं, इन चुनौतियों पर काबू पाने के लिए प्रयास करें।

(3)- यदि बहुत गुस्से में हों तो 10 या उससे आगे की गिनती गिनें इससे ये फायदा होगा कि आपका गुस्सा शांत हो जाएगा या उसकी तीव्रता कम हो जाएगी।

(4)- जब आप एक सकारात्मक गैर टकराव के रास्ते में अपने गुस्से का इजहार कर रहे होंगे तो आप दूसरों को चोट पहुंचाए बिना स्पष्ट रूप से अपनी निराशा व्यक्त करने में मददगार रहेंगे।

(5)- धीरे-धीरे सांस लें और आराम करें- तीन से चार बार सांस लें और सांस छोड़ें, जब आप सांस लें फिर आप 3 तक गिनें फिर 3 सेकेंड तक सांस को होल्ड करें फिर जब सांस छोड़ें तो 3 तक गिनें ऐसा करने से आप गुस्से को मात देने में काफी हद तक कामयाब रहेंगे।

(6)- रोज रात में पर्याप्त नींद लें- क्योंकि नींद पूरी ना होने का स्थिति में आप तमाम समस्यायों से ग्रसित हो सकते हैं। रात की अच्छी नींद आपके मूड को सुधार सकती है और गुस्से को कम कर सकती है।

*हमारा बनाया हुआ नोनी जूस का प्रयोग करें और अद्भुत परिणाम पायें साथ में शरीर की जानी अनजानी हर समस्या को अपने शरीर से भगायें।*

गुस्सा शांत करने के लिए मुफ्त सलाह भी ले सकते हैं।


*विटामिन बी-12 और जायके के साथ सेहत से भरपूर कर्ड-राइस*
शाकाहारी तरीके से घर पर भरपूर विटामिन B-12।

*बनाने की विधि...*
● एक कटोरी पके हुए चावल लें।

● चावलों को ठंडा होने दें।

● ठंडा होने पर इन चावलों को एक कटोरी दही में अच्छी तरह मिक्स कर दें।

● इन मिक्स किये चावलों को रात भर या कम से कम 3-4 घण्टों के लिए फ़्रिज़ में या किसी ठंडी जगह पर रख दें।

● बस प्रचुर मात्रा में विटामिन B-12 युक्त फ़र्मण्टेड कर्ड राइस  खाने के लिए तैयार हैं।

● फर्मेंटेशन की वजह से Vitamin B-12 के अलावा इसमें अन्य बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन भी पैदा हो जाते हैं।

● दही में लैक्टोबैसिलस नामक बैक्टीरिया मौजूद होता है।
यह हमारा मित्र बैक्टीरिया है।
यह बैक्टीरिया जब चावलों के ऊपर एक्शन करता है तो बी कॉम्प्लेक्स विटामिन्स पैदा होते हैं और इस विधि को फर्मेंटेशन कहते हैं।

● इस फर्मेन्टेड कर्ड-राइस को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इनमें इमली की चटनी मिला कर भी खा सकते हैं। चटनी मिलाने पर यह इतने अधिक स्वादिष्ट हो जाते हैं कि बच्चे भी इन्हें दही-भल्लों की चाट की तरह बड़े चाव से खाते खा जाते हैं।

● इस विधि से बने फर्मेन्टेड भोजन को प्रि-डाइजेस्टेड भोजन भी कहते हैं क्योंकि मित्र बैक्टीरिया के एक्शन से यह आधे हजम तो पहले ही हो जाते हैं।

● यह इतने अधिक सुपाच्य होते हैं कि जिसको कुछ भी हजम न होता हो उसे भी हजम हो जाते हैं।

● पेट की लगभग हर बिमारी का रामबाण इलाज हैं फर्मेन्टेड कर्ड-राइस।

● जिन्हें कुछ भी हजम न होता हो या जिनमें विटामिन B-12 की बहुत अधिक कमी हो वह प्रतिदिन तीनों समय भी इन्हें खा सकते हैं। एक महीने में ही अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

● दही में चावल की बजाये रोटी से भी फरमेन्ट कर सकते हैं।
बस चावल की बजाये दही में रोटी डालकर फ्रिज़ में कम से कम 3-4 घंटों के लिए रखना है, बाकी विधि वही है।

: *महिलाओं में थायराइड लक्षण*
● थायराइड, मधुमेह व हृदय रोग के बाद बड़ी संख्या में होने वाले रोगों में से एक है।
● इस बीमारी के लक्षणों को ज्‍यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता क्योंकि ये लक्षण आयु बढऩे के साथ व रजोनिवृत्ति के समय ही पाए जाते हैं। इसी कारण से इस बीमारी के होने का पता नहीं चल पाता।
● पुरुषों की तुलना में महिलाओं को थायराइड की समस्या ज्यादा होती है।
● बढ़ती उम्र के साथ इसके बढ़ने का खतरा भी ज्यादा होता है।
थायराइड एक छोटा-सा ग्लैंड होता है जो गले में सांस की नली के ऊपर स्थित होता है।
●जब यह ग्लैंड काम करना बंद कर दे या आवश्यकता से अधिक कार्य करने लगे, तो थायराइड होता है।
● थायराइड शरीर में आयोडीन की कमी के कारण या अनुवंशिक भी हो सकता हैं।
● अगर आप में थायराइड ग्लैंड अंडरएक्टिव है तो इसके विभिन्न संकेत और लक्षण भी नजर आते हैं।

आइए हम आपको महिलाओं में पाये जाने वाले इसके मुख्य लक्षणों के बारें में बताते हैं।
*महिलाओं में थायराइड लक्षण*
*■वजन बढ़ना■*
थायराइड के कारण मेटाबॉलिज्म की दर धीमी पड़ जाती है। इसका मतलब यह कि आप जो खाना खाती हैं, उसका आपकी एनर्जी की आवश्यकताओं के लिए उचित तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। परिणामस्वरूप, आपकी बॉडी में फैट का अस्पष्ट जमाव और वजन बढ़ना शुरू हो जाता है।

*■वाटर रिटेंशन■*
कई महिलाओं में वाटर रिटेंशन के कारण, पानी और शरीर के दूसरे फ्लूड्स का अत्यधिक अवरोधन शुरू हो जाता है, जो हाथों और पैरों में हल्की-हल्‍की सूजन के रूप में नजर आता है। यहां तक की उनकी अंगूठी और चूड़ियां भी हल्की सी कस जाती हैं।

*■ थकान ■*
जब थायराइड अंडरएक्टिव होता है तो शरीर को पर्याप्त एनर्जी नहीं मिलती। जिसके कारण लगातार थकान और नींद आती रहती हैं। यहां तक कि किसी भी हल्की-फुल्की फिजिकल एक्टिविटी के बाद भी व्यक्ति बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस करता है।

*अस्वस्थ बाल और नाखून*
यह सबसे पहला लक्षण है, जो नजर आता है। नाखून पतले और रूखे होने शुरू हो जाते हैं। इससे नाखूनों में दरार और वह जल्दी टूटने लगते हैं। इसके अलावा, नाखूनों में सफेद लाइन भी नजर आने लगती है।

*शारीरिक आवश्यकता*
थायराइड प्रतिकूल रूप से शारीरिक आवश्यकताओं पर भी असर डालता है। कुछ महिलाएं सेक्सुअल इंटरकोर्स या किसी दूसरे फिजिकल इंटीमेसी में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं लेतीं। समस्या तब और ज्यादा खराब हो जाती है जब उनके अंदर सेक्सुअल एक्टिविटी से घृणा बढ़ जाती है।

*आवाज़ में परिवर्तन*
अंडरएक्टिव थायराइड ग्लैंड अकसर महिलाओं की आवाज़ में भी परिवर्तन लाता है।
उनकी आवाज़ पहले से भारी और हार्श हो जाती हैं।
जब महिलाएं बात करती हैं तो इर्रिटेटिंग क्वालिटी और कम्पन भी महसूस किया जा सकता है।

*अनियमित पीरियड्स*
महिलाओं में पीरियड्स में अनियमितताएं शुरू हो जाती है।
यह पहले की तुलना में लाइटर या हेवियर रूप में हो सकता है। इसके अलावा, कई महिलाओं में दो पीरियड्स के इंटरवल में भी अनियमितता शुरू हो जाती है जैसे 28 दिन का साइकिल 40 दिन का बन सकता है।

*आंखों की बीमारियां*
इस रोग से पीडि़त कई महिलाओं में आंखों की बीमारियां भी हो जाती हैं जैसे आंखें लाल होना, खुजली होना, आंखों में सूजन आदि।

*■ डिप्रेशन ■*
इस रोग से डिप्रेशन की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।
एक शोध के अनुसार मानसिक तनाव का संबंध थायराइड हार्मोन्स का कम उत्पादित होना है परंतु डिप्रेशन के रोगी थायराइड परीक्षण नहीं कराते जिससे इस रोग का पता नहीं चल पाता।

थायराइड रोग का पता ब्‍लड टेस्‍ट से चलता है।
डाक्टर उन महिलाओं को थायराइड का परीक्षण कराने की सलाह देते हैं जिनमें इस प्रकार के लक्षण पाए जाते है। यदि आपको भी ये समस्याएं हैं तो डाक्टर से परामर्श करके उचित इलाज कराएं।


: *तुलसी के 15 अद्भुत फायदे...*
*जानकर हैरान रह जायेंगे...*
*(1)  उपचार करने की शक्ति:*
तुलसी (तुलसी) के पौधे में कई औषधीय गुण होते हैं।
पत्ते एक तंत्रिका टॉनिक हैं और स्मृति को भी तेज करते हैं।
वे ब्रोन्कियल ट्यूब से कैटरल पदार्थ और कफ को हटाने को बढ़ावा देते हैं।
पत्तियां पेट को मजबूत करती हैं और प्रचुर मात्रा में पसीना उत्पन्न करती हैं।
पौधे का बीज श्लैष्मिक होता है।

*(2)  बुखार और सामान्य जुकाम:*
तुलसी की पत्तियां कई बुखार के लिए विशिष्ट हैं।
बरसात के मौसम में, जब मलेरिया और डेंगू बुखार व्यापक रूप से प्रचलित होता है, चाय के साथ उबला हुआ, पत्तियों को छोड़ दिया जाता है, जो कि रोग से बचाव का काम करता है।
तीव्र बुखार के मामले में, पत्तियों के काढ़े को आधा लीटर पानी में पिसी हुई इलायची के साथ उबाला जाता है और चीनी और दूध के साथ मिलाकर तापमान में कमी लाई जाती है।
तुलसी के पत्तों के रस का उपयोग बुखार को कम करने के लिए किया जा सकता है।
ताजे पानी में तुलसी के पत्तों का अर्क हर 2 से 3 घंटे दिया जाना चाहिए।
बीच-बीच में ठंडे पानी के घूंट देते रह सकते हैं।
बच्चों में, यह तापमान को नीचे लाने में हर प्रभावी है।

*(3) खांसी:*
तुलसी कई आयुर्वेदिक खांसी की दवाईयों और एक्सफोलिएंट्स का एक महत्वपूर्ण घटक है।
यह ब्रोंकाइटिस और अस्थमा में बलगम को जुटाने में मदद करता है।
तुलसी के पत्ते कूंच कर सेवन करने से सर्दी और फ्लू से राहत मिलती है।

*(4)  गले में खराश:*
गले में खराश की स्थिति में तुलसी के पत्तों के साथ उबला हुआ पानी पीया जा सकता है।
इस पानी का उपयोग गार्गल के रूप में भी किया जा सकता है।

*(5)  श्वसन विकार:*
श्वसन प्रणाली विकार के उपचार में जड़ी बूटी उपयोगी है।
शहद और अदरक के साथ पत्तियों का काढ़ा ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, इन्फ्लूएंजा, खांसी और सर्दी के लिए एक प्रभावी उपाय है।
पत्तियों, लौंग और आम नमक का काढ़ा भी इन्फ्लूएंजा के मामले में तत्काल राहत देता है।
उन्हें आधा लीटर पानी में उबाला जाना चाहिए जब तक कि केवल आधा पानी शेष न हो जाए और फिर जोड़ा जाए।

*(6)  गुर्दे की पथरी:*
तुलसी का किडनी पर प्रभाव मजबूत होता है।
गुर्दे की पथरी के मामले में तुलसी के पत्तों का रस और शहद, यदि 6 महीने तक नियमित रूप से लिया जाए तो यह मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाएगा।

*(7) हृदय विकार:*
हृदय रोग और उनसे उत्पन्न कमजोरी में तुलसी का लाभकारी प्रभाव पड़ता है।  
यह रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।

*(8)  बच्चों की बीमारी:*
सामान्य बाल चिकित्सा समस्याएं जैसे खांसी जुकाम, बुखार, दस्त और उल्टी तुलसी के पत्तों के रस के अनुकूल हैं।
यदि चिकन पॉक्स के कारण उनकी उपस्थिति में देरी होती है, तो केसर के साथ ली गई तुलसी की पत्तियां उन्हें जल्दबाजी में डाल देंगी।

*(9) तनाव:*
तुलसी के पत्तों को 'एडाप्टोजेन' या एंटी-स्ट्रेस एजेंट माना जाता है।
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि पत्तियां तनाव के खिलाफ महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करती हैं।
यहां तक ​​कि स्वस्थ व्यक्ति तनाव को रोकने के लिए, तुलसी की 12 पत्तियों को दिन में दो बार चबा सकते हैं।
यह रक्त को शुद्ध करता है और कई सामान्य तत्वों को रोकने में मदद करता है।

*(10) मुंह में संक्रमण:*
मुंह में छाले और संक्रमण के लिए पत्तियां प्रभावी होती हैं।
चबाये गए कुछ पत्ते इन स्थितियों को ठीक कर देंगे।

*(11)  दंश:*
 जड़ी बूटी कीट के डंक या काटने के लिए एक रोगनिरोधी या निवारक और उपचारात्मक है।
पत्तियों के रस का एक चम्मच लिया जाता है और कुछ घंटों के बाद दोहराया जाता है।
प्रभावित भागों पर ताजा रस भी लगाना चाहिए।
कीड़े और लीची के काटने के मामले में ताजा जड़ों का एक पेस्ट भी प्रभावी है।

*(12)  त्वचा संबंधी विकार:*
स्थानीय रूप से लागू, तुलसी का रस दाद और अन्य त्वचा रोगों के उपचार में फायदेमंद है।  
ल्यूकोडर्मा के उपचार में कुछ प्राकृतिक चिकित्सकों द्वारा भी इसे सफलतापूर्वक आजमाया गया है।

*(13) दंत विकार:*
 दांतों के विकारों में हरड़ उपयोगी है।
इसके पत्तों को धूप में सुखाकर पाउडर बनाया जाता है, इसका इस्तेमाल दांतों को ब्रश करने के लिए किया जा सकता है।
इसे पेस्ट बनाने के लिए सरसों के तेल में मिलाकर टूथपेस्ट के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह दंत स्वास्थ्य को बनाए रखने, खराब सांस का मुकाबला करने और मसूड़ों की मालिश करने के लिए बहुत अच्छा है।
यह पायरिया और दांतों के अन्य विकारों में भी उपयोगी है।

*(14)  सिर दर्द:*
तुलसी सिर दर्द के लिए एक अच्छी दवा है। इस विकार के लिए पत्तियों का काढ़ा दिया जा सकता है।  चंदन के पेस्ट के साथ मिश्रित पत्तों को भी माथे पर लगाया जा सकता है ताकि गर्मी, सिरदर्द से राहत मिल सके और सामान्य रूप से ठंडक प्रदान की जा सके।

*(15)  नेत्र विकार:*
तुलसी का रस गले की खराश और रतौंधी के लिए एक प्रभावी उपाय है, जो आमतौर पर विटामिन ए की कमी के कारण होता है।

रोजाना रात में सोते समय काले तुलसी के रस की दो बूंदें आंखों में डाली जाती हैं।

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*अस्वीकरण:*
ये केवल प्राथमिक उपचार के रूप में सामान्य दिशानिर्देश हैं।
केस की तीव्रता के आधार पर डॉक्टर को देखना हमेशा बेहतर होता है।



 *सेंधा नमक के 14 जबरदस्त फायदे...*
● इंसान के शरीर के लिए नमक बेहद जरूरी है।
आजकल के झूंठे प्रचार से बना देश का आयोडीनयुक्त नमक से कहीं लाख गुना ज्यादा अच्छा है सेंधा नमक।
● यह शरीर की कोशिकाओं के द्वारा अच्छे से पच जाता है।
● सेंधा नमक में 84 प्रकार के प्राकृतिक खनिज तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिये प्रतिदिन अत्यंत ज़रूरी हैं।
● इसलिए यह कई जानलेवा बीमारियों से बचाता है।

*सेंधा नमक के 14 अद्भुत लाभ, जो समुद्री नमक से सोंचकर भी नहीं मिल सकते हैं...*
(1). सेंधा नमक हड्डियों को मजबूत रखता है।

(2). मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या सेंधा नमक के सेवन से ही ठीक हो सकती है।

(3). नियमित सेंधा नमक का सेवन करने से प्राकृतिक नींद आती है। यह अनिंद्रा की तकलीफ को दूर करता है।

(4). यह साइनस के दर्द को कम करता है।

(5). शरीर में शर्करा को शरीर के अनुसार ही संतुलित रखता है।

(6). पाचन तंत्र को ठीक रखता है।

(7). यह शरीर में जल के स्तर की जांच करता है जिसकी वजह से शरीर की क्रियाओं को मदद मिलती है।

(8). पित्त की पत्थरी व मूत्रपिंड को रोकने में सेंधा नमक और दूसरे नमकों से बेहद उपयोगी है।

(9). पानी के साथ सेंधा नमक लेने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है।

(10). आयोडीन की कमी को दूर करके थाइरोइड की बीमारी को दूर करने में मदद करता है।

(11). ब्रेन हेमरेज और गठिया जैसी भयावह बीमारी से मुक्ति दिलाने में मदद करता है।

(12). थाइरोइड को कंट्रोल करने की क्षमता रखता है।

(13). ब्लड प्रेशर को शत प्रतिशत ठीक रखने की क्षमता रखता है।

(14). अगर सेंधा नमक अच्छा नहीं है तो सारे हिन्दू नवरात्रि में उसको ही क्यों खाते हैं। अगर देश का नमक टाटा नमक या कोई और भी नमक अच्छा होता तो फिर नवरात्रि में हिन्दू ये आडम्बर क्यों करते हैं।

*एक सलाह, नेक सलाह....*
*समुद्री नमक, देश का नमक का प्रयोग अभी और इसी वक्त से बन्द करें और बहुत सारी बिमारियों से मुक्ति पायें, आगे आपकी मर्जी।*


: *सफेद चीनी के शरीर पर दुष्प्रभाव*
*इतना जानने के बाद भी अगर न सुधरे, तो फिर ऊपरवाला ही मालिक है....*
√ सफेद चीनी कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाती है जिसके कारण हृदयघात या हार्ट अटैक आता है।

√ सफेद चीनी में 0 (जीरो) मिनरल्स और 0 (जीरो) विटामिन होते है।

√ सफेद चीनी का एक एक ग्राम आपके शरीर मे वज़न बढ़ाता है।

√ सफेद चीनी शरीर के वजन को अनियन्त्रित कर देती है जिसके कारण मोटापा होता है।

√ सफेद चीनी रक्तचाप या ब्लड प्रैशर को बढ़ाती है।

√ सफेद चीनी ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण है।

√ अत्यधिक सफेद चीनी से खून में ज़्यादा ग्लूकोस रहने लगता है जो आगे चलकर टाइप-2 डायबिटीज का एक प्रमुख कारण बनता है।

√ चीनी बनाने की प्रक्रिया मेँ बीस से ज़्यादा हानिकारक रसायनों का प्रयोग किया जाता है।
सफेद चीनी पेट की जलन का एक प्रमुख कारण है।

√ सफेद चीनी शरीर मे ट्राइ ग्लिसराइड को बढ़ाती है।

√ ऐसा कहा गया है कि सफेद चीनी, अपने मे मौजूद केमिकल के कारण पेरेलिसिस अटैक या लकवा होने का एक प्रमुख कारण है...

¶चीनी बनाने की सबसे पहली मिल अंग्रेजोँ ने 1868 में लगाई थी।
¶उसके पहले भारतवासी शुद्ध देशी गुड़ या गुड़ का पाउडर यानी भूरी चीनी खाते थे और कभी बीमार नहीं पड़ते थे।

√ लेकिन सवाल यह है कि सफेद चीनी लोग क्यों खाते है??

√ क्योकि यह सस्ती पड़ती है। इसका जो सबसे सस्ता सब्स्टीट्यूट मिश्री भी इससे डेढ़ गुना ज्यादा महंगी पड़ती है। इसके अलावा भूरी शक्कर दुगनी महंगी , नारियल की शक्कर 10 गुना महंगी और ख़जूर की शक्कर 12 गुना महंगी पड़ती है।

√ लेकिन लंबे समय मे यही चीनी हम सबको बहुत महंगी पड़ जाती है।

*तो क्या करें???*
√ धागे वाली मिश्री , गुड़ या भूरी शक्कर की तरफ धीरे धीरे मुड़ा जाये।
√ यदि कोकोनट शुगर या डेट (खजूर) सुगर ले सकते है तो वो सर्वोत्तम होगा।

√ यदि इन सबको मिलाकर लेंगे तो सबके खनिज भी मिलेंगे और थोड़ा सस्ता भी पड़ेगा।

आगे करोगे तो वही जो आपके मन होगा। अरे भाई ईगो नाम की भी कोई चीज़ होती है।



: *शारीरिक गर्मी दूर करने के लिए शरीर की गर्मी को कम करने के लिए घरेलू उपचार...*

हर सुबह एक गिलास ताजा अनार के रस मे बादाम के तेल की कुछ बूँदें मिलाकर पिये।

एक बाल्टी ठंडे पानी की ले और उसमें अपने पैर 10 मिनट डाल कर रखे, यह शरीर से अत्यधिक गर्मी को कम करने में मदद करेगा।

अच्छा आराम पाने और सामान्य शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए, सोने के लिए जाने से पहले, रात के समय एक मुट्ठी भर के खसखस खाए।
शारीरिक गर्मी दूर करने के लिए, याद रखे कि खसखस मे ओपिएट होता है और इसका बड़ी मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए और न ही बच्चों को दी जानी चाहिए।

*शरीर की गर्मी को राहत देने के लिए एक आसान और घरेलू उपाय :*
रोजाना एक चम्मच मेथी के बीज खाए।
ठंडे दूध में एक चम्मच शहद डाले और प्रभावी परिणामों के लिए रोजाना इसका सेवन करे।
पानी या ठंडे दूध के साथ चंदन मिलाएं और अपने माथे और छाती में इसका लेप लगाए और अधिक से अधिक परिणाम प्राप्त करने के लिए लेप मे गुलाब जल की कुछ बूंदे डाले।
शारीरिक गर्मी दूर करने के लिए, एक गिलास दूध मे 2 बड़े चम्मच मक्खन के डाले और यह रोजाना पियें।

यदि आपको हाई कोलेस्ट्रॉल है तो आपको इस उपाय से बचना चाहिए।
कहा गया है कि सब्ज़ियां, शरीर के तापमान को राहत देने के लिए उत्कृष्ट खाद्य पदार्थ हैं। जिसमे विटामिन सी की मात्रा उच्च रहे जैसे नींबू, नारंगी, मीठा नीबू आदि भोजन शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करता है।


 *चेहरे के काले और गहरे दाग धब्बों का घरेलू एवं देसी नुस्खे से उपचार....*

*पपीते से...*
पका पपीता छील लें।
फिर पपीते को मसल कर क्रीमी लेप बनायें।
इस लेप को चेहरे पर लगाकर, 10-15 मिनट के बाद पानी से धो दें।
पपीते में पपेन नाम का एंजाइम पाया जाता है जो त्वचा की परत उतारकर चेहरे से काले दाग हटाता है।

*नींबू के रस से..*
नींबू के रस  को दाग पर लगायें।
इसका रस का विटामिन सी एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और त्वचा की अशुद्धियों को हटाता है।
नींबू में गहरे दागों को हटाने की क्षमता है।
यदि किसी की त्वचा संवेदनशील है तो नींबू के रस में पानी मिला लें। परिणाम मिलने तक इसका प्रयोग करें।

*चंदन से...*
चंदन की लकड़ी लेकर उसका बरीक पाउडर बना लें!
इसमें ग्लिसरीन और गुलाब जल मिलाकर चिकना लेप तैयार कर लें।
ये तीनों सामग्रियां काले और गहरे रंग के दागों को हटाने में मदद कर सकती हैं।

*एलोवेरा से...*
एलोवेरा का जेल गहरे दागों पर लगायें और 20 मिनट के बाद धोयें। मुंहासे और दानों के कारण काले दाग पड़ते हैं। घृतकुमारी मुंहासे के चकत्ते और निशान को बहुत अच्छे से सही करता है।

*विटामिन ई से..*
विटामिन ई की कमी के कारण भी काले और गहरे दाग होते हैं।
विटामिन ई की कमी को दूर करने के लिये विटामिन ई कैप्सूल सीधी मुख्य औषधि है। विटामिन ई भरपूर तेल जैसे बादाम तेल इत्यादि को काले दागों पर लगायें। अपने आहार में विटामिन ई का प्रयोग करें।

*दूध से...*
एक कटोरी में दूध लेकर रूई की गेंद बनाकर भिगा लें और काले दाग के क्षेत्र में गोल-गोल रगड़े।
परिणाम प्राप्त होने तक प्रतिदिन इसे पांच मिनट तक करें। दूध का लैक्टिक अम्ल त्वचा की परत उतारकर चेहरे के छिद्रों को सफ करता है और गहरे दागों को हल्का करता है।

आलू से
आलू को लेकर उसके टुकड़े कर दें और इन टुकड़ों को रेफ्रिजरेटर में रख दें। अब इन टुकड़ों को गहरे निशान वाली जगहों पर रगड़ें। 5 मिनट बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धोयें। दूसरा तरीका आलू का लेप शहद के साथ लगाना है। यह आपके गहरे दागों को हल्का कर देगा।

*अरंडी (कैस्टर) तेल से...*
कैस्टर आयल को कटोरी में लेकर रूई की गेंद बनाकर भिगा लें और चेहरे पर गोल-गोल गहरे, काले दाग पर रगड़ें।
कैस्टर तेल में एसिडिक और जलन विरोधी गुण होता है और यह गहरे, काले दाग को हल्का कर देता है।

*प्याज के रस से..*
प्याज को लेकर अच्छे से पीस लें।
सूती कपड़े में इस पिसे प्याज  को लेकर एक कटोरी में निचोड़ लें।
जिससे प्याज का रस निकल आये।
इसमें रूई की बनी गेंद को भिगाकर गहरे रंग के दाग पर लगायें और 5 मिनट के बाद गुनगुने पानी से धोयें। ऊपर सभी काले, गहरे दागों को हटाने के घरेलू उपचार हैं।
इनसे शत-प्रतिशत परिणाम नहीं प्राप्त किया जा सकता है।
शत- प्रतिशत परिणाम पाने के लिये अपने नज़दीकी चर्मरोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करें।

*मलाई (Butter milk) से...*
आजकल जो भी मॉइस्चराइज़र आप इस्तेमाल कर रही हैं, उनमें मलाई होती है। बिना किसी केमिकल से युक्त मलाई चेहरे से पूरी तरह दाग धब्बे हटाने के लिए काफी फायदेमंद औषधि है।
अगर आपके चेहरे पर किसी प्रकार की अशुद्धियाँ हैं, तो मलाई और नींबू के रस का मिश्रण आपकी त्वचा के लिए चमत्कारी सिद्ध हो सकता है।
एक पात्र में 8 चम्मच मलाई और 2 चम्मच टमाटर रस लें।
इसे अच्छे से मिलाएं तथा आपके चेहरे पर जहां काले धब्बे हैं, उस जगह पर लगाएं।
15 मिनट के बाद इसे धो लें।
इस विधि से बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के काले धब्बे दूर हो जाते हैं।

*बादाम से...*
बादाम का स्वाद काफी अच्छा होता है तथा इसके कई प्रकार के सौंदर्य आधारित गुण भी होते हैं।
इससे आप अपने चेहरे के काले धब्बे भी आसानी से निकाल सकते हैं।
5 से 6 बादाम लें और उन्हें सारी रात भिगोकर रखें।
अब बादाम के छिलके निकालें फिर सुबह पीस लें तथा इनमें आधा चम्मच शहद तथा चन्दन का पाउडर डालें।
इन सबको अच्छे से मिलाएं तथा इनका एक महीन पेस्ट बनाएं।
अब इस पेस्ट को अपने सारे चेहरे पर उन भागों पर लगाएं जो काले धब्बों का शिकार हुई हैं।
इसे 30 मिनट तक चेहरे पर रखें तथा उसके बाद हटा दें।

*आलू से....*
आलू एक ऐसी सब्ज़ी है जो ज़मीन के नीचे उगती है तथा किसी भी सब्ज़ी को बनाने का मुख्य उत्पाद भी है।
हर घर में आसानी से आलू मिल जाता है, अतः आपके लिए आलू का पेस्ट बनाना आसान रहेगा। इस पेस्ट को चेहरे के काले धब्बे वाले भाग पर लगाएं।
आप चेहरे को गुनगुने पानी से धोकर भी उसपर आलू का टुकड़ा रगड़ने की विधि भी अपना सकते हैं। इसे 10 मिनट तक छोड़ दें तथा उसके बाद गुनगुने पानी से धो लें।

आप एक और तरीके से भी आलू का प्रयोग कर सकते हैं। एक मध्यम आकार के आलू को किसकर उसका गूदा निकालें तथा उसमें कुछ चम्मच शहद के डालें।
इन्हें मिलाकर अपने चेहरे पर लगाएं। यह पद्धति काले धब्बों तथा त्वचा के कालेपन को हटाने का कारगर उपचार है।

*दलिया (Oats) से...*
त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाना भी काले धब्बे हटाने का एक तरीका है। यह पद्धति दलिये के माध्यम से पूरी की जा सकती है।
अगर आपके घर में दलिया है तो उसे मध्यम आकार में तोड़ें तथा एक पात्र में उसके 2 चम्मच लें।
अब इसमें 2 चम्मच नींबू का रस मिलाएं।
इसके बाद इसमें 2 चम्मच शहद डालकर इसे अच्छे से मिलाएं।
इस मिश्रण को चेहरे पर लगाकर गोलाकार मुद्रा में चेहरे पर रगड़ें।
इस प्रक्रिया को 3 मिनट तक करें तथा इसके बाद 15 मिनट तक इस मिश्रण को चेहरे पर रखें।
इस मिश्रण को गुनगुने पानी से धो दें तथा त्वचा से मृत कोशिकाएं निकलने के बाद त्वचा की रंगत में फर्क महसूस करें।

: *भारत के बारे में दस ऐसी जानकारी जिन्हें पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जायेगा..*
*ये किसी धर्म का उपहास उड़ाना नहीं है बल्कि ये बताना था कि जब कुछ भी नहीं था, तब सनातन जीवित था...*

(1) जब साइंस नाम भी नहीं था तब भारत में नवग्रहों की पूजा होती थी। 

(2) जब पश्चिम के लोग कपडे पहनना नहीं जानते थे, तब भारत रेशम के कपडों का व्यापार करता था। 

(3) जब कहीं भ्रमण करने का कोई साधन स्कूटर मोटर साईकल, जहाज वगैरह नहीं थे। तब भारत के पास बडे बडे वायु विमान हुआ करते थे। (इसका उदाहरण आज भी अफगानिस्तान में निकला महाभारत कालीन विमान है जिसके पास जाते ही वहाँ के सैनिक गायब हो जाते हैं। जिसे देखकर आज का विज्ञान भी हैरान है)

(4) जब डाक्टर्स नहीं थे। तब सहज में स्वस्थ होने की बहुत सी औषधियों का ज्ञाता था, भारत देश सौर ऊर्जा की शक्ति का ज्ञाता था भारत देश। चरक और धनवंतरी जैसे महान आयुर्वेद के आचार्य थे भारत देश में। 

(5) जब लोगों के पास हथियार के नाम पर लकडी के टुकडे हुआ करते थे। उस समय भारत देश ने आग्नेयास्त्र, प्राक्षेपास्त्र, वायव्यअस्त्र बडे बडे परमाणु हथियारों का ज्ञाता था भारत……

(6) हमारे इतिहास पर रिसर्च करके ही अल्बर्ट आईंसटाईन ने अणु परमाणु पर खोज की है…

(7) आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके नासा अंतरिक्ष में ग्रहों की खोज कर रहा है। 

(8) आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके रशिया और अमेरीका बडे बडे हथियार बना रहा है। 

(9) आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके रूस, ब्रिटेन, अमेरीका, थाईलैंड, इंडोनेशिया बडे बडे देश बचपन से ही बच्चों को संस्कृत सिखा रहे हैं स्कूलों में। 

(10) आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके वहाँ के डाक्टर्स बिना इंजेक्शन, बिना अंग्रेजी दवाईयों के केवल ओमकार का जप करने से लोगों के हार्ट अटैक, बीपी, पेट, सिर, गले छाती की बडी बडी बिमारियाँ ठीक कर रहे हैं।
ओंकार थैरपी का नाम देकर इस नाम से बडे बडे हॉस्पिटल खोल रहे हैं। 

और हम किस दुनिया में जी रहे हैं??
अपने इतिहास पर गौरव करने की बजाय हम अपने इतिहास को भूलते जा रहे हैं। हम अपनी महिमा को भूलते जा रहे हैं। हम अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। 

अब भी समय है अगर आप अपना अस्तित्व चाहते है तो अपनी मिटती हुई संस्कृति को बचाने का बीड़ा उठाइये।

*🚩अब फैसला आपका, सनातनधर्म ही सर्वश्रेष्ठ या फिर कुछ और... 🚩*
: *जीवन रक्षक नेचर्स पंचतुलसी अर्क...*
*तुलसी मुख्यतः रूप से पांच प्रकार की पायी जाती है...*
*श्याम तुलसी,*
*राम तुलसी,*
*श्वेत/विष्णु तुलसी,*
*वन तुलसी और*
*नींबू तुलसी।*

*इन पांच प्रकार की तुलसी का अर्क निकाल कर पंचतुलसी का निर्माण किया जाता है।*

*तुलसी संसार की एक बेहतरीन*
*एंटी-ऑक्सीडेंट,*
*एंटी- बैक्टीरियल,*
*एंटी- वायरल,*
*एंटी- फ्लू,*
*एंटी-बायोटिक,*
*एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व*
*एंटी–डिजीज है।*

*(1). पंच तुलसी अर्क के एक बून्द एक ग्लास पानी में या दो बून्द एक लीटर पानी में डाल कर पांच मिनट के बाद उस जल को पीना चाहिए। इससे पेयजल विष और रोगाणुओं से मुक्त होकर स्वास्थवर्धक पेय हो जाता है।*

*(2). पंच तुलसी अर्क 200 से अधिक रोगो में लाभदायक है जैसे के फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, जुखाम, खासी, प्लेग, मलेरिया, जोड़ो का दर्द, मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, एलर्जी, पेट के कीड़ो, हेपेटाइटिस, जलन, मूत्र सम्बन्धी रोग, गठिया, दमा, मरोड़, बवासीर, अतिसार, दाद, खाज, खुजली, सर दर्द, पायरिया, नकसीर, फेफड़ो सूजन, अल्सर, हार्ट ब्लोकेज आदि।*

*(3). पंच तुलसी एक बेहतरीन विष नाशक है और शरीर से विष (toxins) को बाहर निकालती है।*

*(4). पंच तुलसी स्मरण शक्ति को बढ़ाता है और साथ ही साथ शरीर के लाल रक्त सेल्स (Haemoglobin) को बढ़ने में अत्यंत सहायक है।*

*(5). पंच तुलसी भोजन के बाद एक बूँद सेवन करने से पेट सम्बन्धी बीमारियां बहुत काम लगाती है।* 

*(6). पंच तुलसी के 4–5 बूँदे पीने से महिलाओ को गर्भावस्था में बार बार होने वाली उलटी के शिकायत ठीक हो जाती है।*

*(7). आग के जलने व किसी जहरीले कीड़े के कांटने से पंच तुलसी को लगाने से विशेष रहत मिलती है।* 

*(8). दमा व खाँसी में पंच तुलसी अर्क की दो बुँदे थोड़े से अदरक के रस और शहद के साथ मिलाकर सुबह– दोपहर– शाम सेवन करे।*

*(9). यदि मुँह में से किसी प्रकार की दुर्गन्ध आती हो तो पंच तुलसी की एक बूँद मुँह में डाल ले दुर्गन्ध तुरंत दूर हो जाएगी।*

*(10). दांत का दर्द, दांत में कीड़ा लगना, मसूड़ों में खून आना आदि में पंचतुलसी की  4–5 बूँदे पानी में डालकर कुल्ला करने से तुरन्त आराम मिलता है।*

*(11). सर दर्द, बालो का झड़ना  बाल सफ़ेद होना व सिकरी आदि समस्याओं में पंचतुलसी की 8–10 बूंदे  हर्बल हेयर आयल के साथ मिलाकर सर, माथे तथा कनपटियों पर लगाये।*

*(12). पंच तुलसी के 8–10 बूँदे नारियल तेल में  मिलाकर शरीर पर मलकर रात्रि में सोये , मच्छर नहीं काटेंगे।*

*(13). कूलर के पानी में पंचतुलसी की 8–10 बूँदे डालने से सारा घर विषाणु और रोगाणु से मुक्त हो जाता है तथा मक्खी, मच्छर भी घर से भाग जाते है।*

*(14). पंचतुलसी में सुन्दर और निरोग बनाने की शक्ति है। यह त्वचा का कायाकल्प कर देती है। यह शरीर के खून को साफ करके शरीर को चमकीला बनती है।*

*(15). पंचतुलसी की दो बूँदे एलोवेरा जैल में मिलाकर चेहरे पर सुबह व रात को सोते समय लगाने पर त्वचा सुन्दर व कोमल हो जाती है तथा चेहरे से प्रत्येक प्रकार के काले धेरे, झाइयां, कील मुँहासे व झुरिया नष्ट हो जाती है।*

*(16). पंचतुलसी के नियमित उपयोग से कोलेस्ट्रोल का स्तर कम होने लगता है, रक्त के थक्के जमने कम हो जाते है व हार्ट अटैक और कोलैस्ट्रोल की रोकथाम हो जाती है।*

*(17). पंचतुलसी को एलोवेरा जेल में  मिला कर लगाने से प्रसव के बाद पेट पर बनने वाले लाइने (स्ट्रेच मार्क्स) दूर हो जाते है।*

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1-2 साल तक ऐलोपैथ दवाई खाकर थक जाते है या तो ऐलोपैथी दवाई के इतने आदी हो जाते है कि वह रोज की लाइफ स्टाइल बन जाती है जैसे रोज का खूराक ही क्यो ना हो ?
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*(1). स्टार्च मकई (डेक्सट्रोज और सुक्रोज)*
डेक्सट्रोज क्या है?
डेक्सट्रोज स्टार्च से बनी एक साधारण चीनी है। स्टार्च मकई, गेहूं, चावल और आलू सहित कई पौधों में पाया जाने वाला प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जटिल कार्बोहाइड्रेट है।
डेक्सट्रोज का सबसे आम स्रोत मकई स्टार्च है।

डेक्सट्रोज को डी-ग्लूकोज के नाम से भी जाना जाता है। 
डेक्सट्रोज आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को तेजी से बढ़ाकर काम करता है।
ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जैसे ब्रेड, अनाज, आलू, फल, पास्ता और चावल। ग्लूकोज ऊर्जा का एक स्रोत है, और आपके शरीर में सभी कोशिकाओं और अंगों को ठीक से काम करने के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है।

डेक्सट्रोज का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति को कार्बोहाइड्रेट कैलोरी प्रदान करने के लिए भी किया जाता है जो बीमारी, आघात या अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण नहीं खा सकता है। यह कभी-कभी उन लोगों को दिया जाता है जो बहुत अधिक शराब पीने से बीमार हो जाते हैं।
*आहार अनुपूरक*
डेक्सट्रोज स्टार्च से बनी एक साधारण चीनी है।
स्टार्च मकई, गेहूं, चावल और आलू सहित कई पौधों में पाया जाने वाला प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जटिल कार्बोहाइड्रेट है। डेक्सट्रोज का सबसे आम स्रोत मकई स्टार्च है।

डेक्सट्रोज, जब एक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है, या तो मुंह से (मौखिक रूप से) या इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। डेक्सट्रोज को डी-ग्लूकोज के नाम से भी जाना जाता है।

डेक्सट्रोज आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को तेजी से बढ़ाकर काम करता है। ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जैसे ब्रेड, अनाज, आलू, फल, पास्ता और चावल। ग्लूकोज ऊर्जा का एक स्रोत है, और आपके शरीर में सभी कोशिकाओं और अंगों को ठीक से काम करने के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है।

डेक्सट्रोज का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति को कार्बोहाइड्रेट कैलोरी प्रदान करने के लिए भी किया जाता है जो बीमारी, आघात या अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण नहीं खा सकता है। यह कभी-कभी उन लोगों को दिया जाता है जो बहुत अधिक शराब पीने से बीमार हो जाते हैं।

डेक्सट्रोज का उपयोग हाइपरक्लेमिया (आपके रक्त में पोटेशियम के उच्च स्तर) के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।

*चेतावनी*
यदि आपको मकई से एलर्जी है, तो आपको डेक्सट्रोज से एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है। इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

सुक्रोस खनिज लोहे का एक रूप है। आयरन विशेष रूप से रक्त में ऑक्सीजन के परिवहन के लिए शरीर में कई कार्यों लिए महत्वपूर्ण है। आयरन सुक्रोस इंजेक्शन गुर्दे की बीमारी के साथ लोगों में लोहे की कमी से एनीमिया के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
यह आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है।

3 बड़े चम्मच पूर्ण 15 ग्राम (लगभग) की एक खुराक कार्बोहाइड्रेट से 57.6 कैलोरी प्रदान करती है।

डेक्सट्रोज (स्टार्च मकई) आसानी से आत्मसात होकर घुल जाता है और थकान को दूर करने के लिए ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।
सुक्रोज से फ्रुक्टोज और ग्लूकोज प्रत्येक का एक अणु प्राप्त होता है।

*(2). जिंक सल्फेट*
ज़िंक से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। जिंक की कमी होने पर इम्यूनिटी, थकान और वजन घटना शुरु हो जाता है।

जिंक जिसे हिंदी में जस्ता (Zinc) कहते हैं एक ऐसा खनिज या मिनरल है जो आपकी इम्यूनिटी को मजबूत (Strong Immunity) बनाता है।
हमारा शरीर जिंक नहीं बनाता इसके लिए हमें जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ (Foods For Zinc) या सप्लीमेंट का सेवन करना होता है।
दैनिक कार्यों को सुचारु रुप से करने के लिए जिंक जरूरी है।
जिंक से न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि ब्लड शुगर को कंट्रोल करने (Blood Sugar Level), हार्ट को हेल्दी बनाने (Heart) और स्किन और हेयर का ख्याल रखने के लिए भी ज़िंक जरूरी है।
शरीर में डीएनए (DNA) के निर्माण में भी ज़िंक अहम होता है।
आप डाइट में ऐसी चीजों को शामिल कर सकते हैं जिससे ज़िंक की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है।

 एक सर्विंग से 3.2 ग्राम एलिमेंटल जिंक मिलेगा, जो दैनिक आहार आवश्यकताओं का आधा है।
 जिंक न्यूक्लोइक एसिड संश्लेषण घावों के उपचार और ऊर्जा के हस्तांतरण के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है।
 जिंक स्वाद संकाय में भी सुधार करता है और इस प्रकार स्वास्थ्य लाभ के दौरान भोजन की इच्छा को बढ़ाता है।

*(3). एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन-सी)*
एस्कॉर्बिक एसिड शुद्ध विटामिन सी है, जो शरीर के लिए फायदेमंद एक आवश्यक पोषक तत्व है।
यह त्वचा की मरम्मत और पोषण करने में मदद करता है।
यह त्वचा की मजबूती और एक एंटी-एजिंग है। स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखना और विकसित करना।

 एक सर्विंग इस महत्वपूर्ण पानी में घुलनशील विटामिन का 15mg प्रदान करता है, जो दैनिक आहार एस्कॉर्बिक एसिड है जो तनाव और तनाव, वृद्धि और शरीर के गठन के खिलाफ समायोजित करने में मदद करता है और फागोसाइटोसिस में सुधार करता है जिससे संक्रमण के प्रतिरोध में वृद्धि होती है।

मात्रा 200 ग्राम

एमआरपी ₹275/-



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