Saturday 22 April 2023

भगवान परशुराम की आरती🌷🌷

: 🌷🌷भगवान परशुराम की आरती🌷🌷

 
ॐजय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।

सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी।।

ॐजय।।

जमदग्नी सुत नरसिंह, मां रेणुका जाया।

मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया।।

 ॐ जय।।

कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।

चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला।।

ॐजय।।

ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।

सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी।।

 ॐ जय।।

मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।

दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना।।

ॐ जय।।

कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।

कंध चार-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल त्राता।।

ॐ जय।।

माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।

मेरी बिरत संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे।।

ॐ जय।।

अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।

पूर्णेन्दु शिव साखी, सुख सम्पत्ति पावे।।
ॐजय।।
(श्री परशुराम जी के जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 
मंगलमय  आप सभी को सादर 🙏
 🚩🌼🌸🌼जय श्री राम 🌼🌼🙏

🌼🌸परशुराम कवच स्तोत्र 🌸🌼

कराभ्यां परशुं चापं दधानं रेणुकात्मजं ।

जामदग्न्यं भजे रामं भार्गवं क्षत्रियान्तकं ॥१॥

नमामि भार्गवं रामं रेणुका चित्तनन्दनं ।

मोचितंबार्तिमुत्पातनाशनं क्षत्रनाशनम् ॥२॥

भयार्तस्वजनत्राणतत्परं धर्मतत्परम् ।

गतगर्वप्रियं शूरं जमदग्निसुतं मतम् ॥३॥

वशीकृतमहादेवं दृप्त भूप कुलान्तकम् ।

तेजस्विनं कार्तवीर्यनाशनं भवनाशनम् ॥४॥

परशुं दक्षिणे हस्ते वामे च दधतं धनुः ।

रम्यं भृगुकुलोत्तंसं घनश्यामं मनोहरम् ॥५॥

शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञापण्डितं रणपण्डितं ।

रामं श्रीदत्तकरुणाभाजनं विप्ररंजनम् ॥६॥

मार्गणाशोषिताभ्ध्यंशं पावनं चिरजीवनम् ।

य एतानि जपेन्द्रामनामानि स कृति भवेत् ॥७॥

॥ इति श्री प. श्री वासुदेवानंदसरस्वतीविरचितं श्री परशुराम स्तोत्रं संपूर्णम्।


 चिरंजीवी भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव की आप सभी को सपरिवार हार्दिक बधाई व यशकारी शुभकामनाएं !!
  !! कर्मठ ही धार्मिक होता है..
    परशुराम की वाणी है..
    सत्य शील बन अमृत बनो..
    शिक्षा कितनी कल्याणी है !!
!! हे चिरंजीवी परशुराम हम सबका कल्याण करें प्रभु ,,हमें निर्मलता प्रदान करें,, सद्बुद्धि प्रदान करें प्रभु !!
#जय_श्री_परशुराम_जी_की

                         " श्री परशुरामो विजयते "

निन्दितः स्तूयमानो वा
विद्वानज्ञैर्न निन्दितः।
न स्तौति किन्तु तेषां स्याद्
यथाबोधस्तथाचरेत्।।

(पञ्चदशी/विद्यारण्य स्वामी - ७/२८९)

अर्थात् - विद्वान व्यक्ति अज्ञानी पुरुषों से निन्दा या स्तुति पाकर भी स्वयं न तो निन्दा करता है और न ही स्तुति। अपितु उनको जैसा ज्ञान प्राप्त हो वैसा ही आचरण करता है।

🌄🌄 प्रभात वंदन 🌄🌄
🌹🌹श्री परशुराम जयन्ती और छत्रपति शिवाजी जयन्ती (तिथि मत) की बहुशः शुभकामनाएं🌹🌹

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