यह कैर है।
इसके बारे में एक पुरानी कहावत है, कैर और बैर मिटाए से भी नहीं मिटते।
काटने पर इसकी अगर छोटी सी जङ भी जमीन में रह जाती थी तो यह फिर से अपना सिर उठा लेता था।
सीज़न में इस पर लाल-नारंगी रंग के फूल लगते हैं तो देखने वाले का मन मोह लेते हैं।
इसके फलों का अचार डलता है जो बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है।
जब कैर पक जाता है तो और भी स्वादिष्ट हो जाता है शायद उसे ढालू (अगर मैं ग़लत हूं तो सही कर देना) कहते हैं।
अब हमारे क्षेत्र से तो यही प्रकृति का नायाब तोहफा लगभग विलुप्त होने की कगार पर है।
ये सब बातें अगले 40-45 साल में बस यादों में रहने वाली हैं।
ये बीना पत्तों का पेड़ होता है जिसकी लकड़ी मजबूत ओर चिकनी होती है जो ज्यादातर हाथ से चलने वाली चक्की में किल लगाने के काम आती है। पुराने टाइम में कच्चे घरों में छत के लिए इमारती लकड़ी के तौर पर इस्तेमाल होती थी क्योंकि इसमें घुन ओर दीमक भी नहीं लगती।
♥️❤️
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