Monday 30 September 2024

आगामी मौसम और देश दुनिया में होने वाली प्रमुख घटनाएं

आगामी मौसम और देश दुनिया में होने वाली प्रमुख घटनाएं 


आने वाले 1 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक जौनपुर उत्तर प्रदेश और संपूर्ण भारत में मौसम सामान्य रूप से साफ रहेगा 5 अक्टूबर से 10 अक्टूबर के बीच जौनपुर और उत्तर प्रदेश तथा उत्तर भारत में एक बार हल्की वर्षा होने की संभावना बन रही है जबकि दक्षिणी भारत में केरल से गुजरात के तटीय भागों में और तमिलनाडु कर्नाटक के कुछ भागों में बंगाल और पूर्वोत्तर भारत तथा उड़ीसा के कुछ भागों में लौटती हुई मानसूनी हवाएं कुछ वर्षा करेंगी

 भारत में कल 30 सितंबर को मानसून की वर्षा अंतिम रूप से समाप्त हो चुकी है और इस वर्ष संपूर्ण भारत में 107 प्रतिशत मानसूनी वर्षा हुई है जो पिछले कई वर्षों में सबसे अच्छी रही है जबकि उत्तर प्रदेश में सामान्य वर्षा हुई है जौनपुर और पूर्वांचल के जनपदों में 70 से 90 प्रतिशत वर्षा हुई है


 और हमारे केंद्र का 105 प्रतिशत से अधिक औसत वर्षा देश में होने का अनुमान सही सिद्ध हुआ है सामान्य रूप से पूरे देश में दिन में एक बार गर्मी 10 दिनों तक उमस के साथ कायम रहेगी लेकिन धीरे-धीरे यह पश्चिम और ध्रुव हवाओं के कारण ठंड में बदल जाएगी और ऐसी आशा की जा सकती है कि 15 अक्टूबर तक हल्की ठंड पडना प्रारंभ हो जाएगी जबकि पिछली बार यह 15 नवंबर से शुरू हुई थी


 सुबह शाम और रात काफी सुहावना रहेगा इस समय वायु प्रदूषण भी कम रहेगा और वायु गुणवत्ता सूचकांक उत्तरी भारत में 50 से लेकर 150 के बीच महानगरों में 100 से 200 के बीच और दक्षिण भारत में 50 से 100 के बीच रहेगा पराबैंगनी किरणों की तीव्रता दोपहर में तेज रहेगी औसत तापमान उत्तरी भारत में न्यूनतम 25 से 28 और अधिकतम 32 से 35 के बीच रहेगा जबकि दक्षिणी भारत में यह तापमान 27 से 29 और 32 से 36 डिग्री सेल्सियस के बीच और हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में 15 से 20 न्यूनतम और 22 से 25 अधिकतम रहेगा 


आने वाले दिनों में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में मौसम के विभिन्न कारकों से एक विक्षोभ पैदा होगा जिससे भारत के अनेक भागों में हल्की वर्षा की संभावना बनती हुई दिखाई दे रही है हिमालय की ऊंचाई वाले अनेक स्थानों पर हिमपात भी होगा इसी कालखंड के दौरान हिमालय क्षेत्र दिल्ली नोएडा गुजरात और महाराष्ट्र क्षेत्र में हल्के भूकंप और चीन जापान क्यूबा हवाना दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिणी अमेरिका में एक तेज और दो मध्यम भूकंप एक चक्रवात दो बवंडर विनाशकारी सिद्ध होंगे


 यूरोप और अमेरिका में और कुछ अन्य क्षेत्रों में जल प्रलय की घटनाएं होंगी देश दुनिया के अनेक भागों में तनाव बढ़ेगा इसराइल और ईरान में युद्ध होने की प्रबल संभावना है यूक्रेन लगभग पराजय के कगार पर पहुंच जाएगा और जब रूस यूक्रेन युद्ध हुआ था तब की गई मेरी भविष्यवाणी सही होगी इस वर्ष के अंत तक यूक्रेन रूस के अधीन हो जाएगा


 इन 10 दिनों में समुद्र और अंतरिक्ष में महत्वपूर्ण परिवर्तन होंगे और 2 अक्टूबर को होने वाला सूर्य ग्रहण दुनिया भर में विनाश की भयंकर आंधी पैदा करेगा जिससे जल थल नभ मैं भीषण दुर्घटनाएं शीत युद्ध और युद्ध की घटनाएं तेज हो जाएगी कुछ भयानक अस्त्रों का प्रयोग किया जाएगा आतंकवादी बहुत बड़ी संख्या में मारे जाएंगे और उनके समर्थक देशों की कमर टूट जाएगी भारत में न्यायपालिका और सत्ता पक्ष का टकराव तेज होगा बंगाल में कुछ नया कांड होगा


 भारत में महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार घूसखोरी लालफीताशाही अपराधियों अपराध साइबर अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच जाएगा तोड़फोड़ करने वाले रेल पटरियों को उखाड़ने वाले और दंगा फसाद हिंसा करने वाले गैंग के पीछे बड़ी हस्तियों का पर्दाफाश होगा इस तरह अनेक चित्र विचित्र आश्चर्यजनक घटनाएं इन 10 दिनों में देखने को मिलेंगे उत्तर प्रदेश में योगी जी को अच्छी सफलता प्राप्त होगी कमला हैरिस के प्रथम अत्यंत प्रबल है लेकिन अंत में नाटक की परिवर्तन होने वाला है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि निदेशक मौसम पूर्वानुमान विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर 7017713978

पितृ विसर्जन कैसे करें

 पितृ विसर्जन कैसे करें 

यह तो सब लोग जानते हैं की क्वार महीने की अमावस्या के दिन पितरों के विदाई दी जाती है गरुड़ पुराण के अनुसार इस दिन पितरों को विदाई दी जाती है जिसके विधि विधान होते हैं अगर किसी ने 15 दिन पितृपक्ष का पालन नहीं किया तो केवल पितृ विसर्जन के दिन ही विधि विधान से उसका पालन करने पर पितरों को मुक्ति और शांति मिलती है और उसका पूरा समय एक ही दिन में पूरा हो जाता है


 अगर तर्पण जलांजलि और पिंडदान का ज्ञान नहीं है तो किसी सदाचारी ज्ञानी व्यक्ति से उसे कराना चाहिए और अगर अच्छी तरह मालूम है तो खुद भी कर सकते हैं श्राद्ध का अर्थ ही है श्रद्धा सहित दान अर्थात किसी भी सदाचारी विद्वान व्यक्ति को श्रद्धा के साथ दान देना चाहिए और गाय कुत्ते कौवे को विधि विधान से बनाए गए भोजन और पिंड का दान करना चाहिए 


जहां तक हो सके दोपहर को हाथ में कुश लेकर गंगा नदी या किसी अन्य नदी या विकल्प में झील तालाब सरोवर अथवा घर पर भी सबसे पहले नहा धोकर सिद्ध मंत्र ओम सर्वेभ्यः पितरेभ्यः नमः से पित्रों के साथ पितरों को जलांजलि दिया जाता है एक स्वच्छ लोटा में जल भरकर उसमें फूल कुछ तिल और अक्षत डालकर पूर्व की दिशा में मुंह करके पितरों को देना चाहिए और अपनी गलतियों के लिए पितरों से क्षमा मांगते हुए अपने परिवार की वृद्धि उन्नति और दिशा निर्देश के लिए पितरों की प्रार्थना करनी चाहिए जिससे वह हमेशा आपको दिशा निर्देश देते रहे 


इसके बाद भोग लगाएं ध्यान रखें कि भोजन में गाय के दूध का प्रयोग करें और अधिक विस्तार न देते हुए गाय का दूध दही और गाय के दूध की खीर आलू की तरकारी और पूरी या कद्दू की सब्जी बनाएं लेकिन उसमें प्याज लहसुन जैसी चीजें ना डालें सबसे पहले ब्राह्मण लोगों को शक्ति के अनुसार खिलाए जिनकी संख्या एक या उससे अधिक कुछ भी हो सकती है अगर ब्राह्मण नहीं मिलते तो विद्वान सच्चरित्र और सदाचारी व्यक्ति को ही भोजन खिलाए ध्यान रखें कि ब्राह्मण या सदाचारी व्यक्ति जिसे आप खिला रहे हैं उसका मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए 


संपूर्ण पितृपक्ष और पितृ विसर्जन के दिन स्वच्छता सफाई का विशेष ध्यान रखें और हमेशा गरुड़ पुराण के अनुसार ही कम करें क्योंकि इंटरनेट कोई प्रामाणिक चीज नहीं है और गरुड़ पुराण से उत्तम पुस्तक आज तक कर्मकांड और मृत्यु तथा मृत्यु के बाद के विषयों पर नहीं बनी है भोजन को कुत्ता गाय कौवे को पितरों का स्मरण करते हुए खिलाना चाहिए और यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वह जलांजलि और भोजन तथा पिंड का ग्रहण सूक्ष्म रूप में जाकर करें और ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए की सभी पितरों का कल्याण हो

नोट:#गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ विसर्जन पर प्रामाणिक लेख डॉ दिलीप कुमार सिंह

2 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्यग्रहण, क्या भारत में दिखाई देगा रिंग ऑफ फायर डाॅ दिलीप कुमार सिंह

🅰️ *2 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्यग्रहण, क्या भारत में दिखाई देगा रिंग ऑफ फायर डाॅ दिलीप कुमार सिंह 

ज्योतिष में सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण की खगोलीय घटना बेहद महत्वपूर्ण मानी गई हैं। 02 अक्टूबर दिन बुधवार को साल 2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है।
*यह सूर्य ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण न होकर वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा।*

जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। इस दौरान सूर्य ग्रहण के चलते कुछ स्थानों पर आसमान में आग का एक छल्ला नजर आएगा। 02 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के साथ श्राद्ध पक्ष का समापन होगा। इस बार श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर को चंद्रग्रहण से हुई थी और 02 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण के दिन समापन होने जा रहा है। आइए जानते हैं सूर्यग्रहण की सही डेट, टाइमिंग, भारत में दिखाई देगा या नहीं समेत सभी जानकारी...

*कब लगेगा सूर्यग्रहण ?*

भारतीय समयानुसार 02 अक्टूबर को रात 09 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर देर रात 03 बजकर 17 मिनट पर सूर्यग्रहण का समापन होगा। साल 2024 में दो चंद्रग्रहण और दो सूर्य ग्रहण लगे थे। 02 अक्टूबर को लगने वाला ग्रहण साल का आखिरी का सूर्य ग्रहण होगा। इसके बाद इस साल कोई ग्रहण नहीं लगेगा।

*रिंग ऑफ फायर :* वैज्ञानिकों के अनुसार, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आते हैं, तो खगोलीय घटना सूर्य ग्रहण घटित होता है। अर्थात जब चंद्रमा घूमते हुए जब सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो सूर्य का प्रकाश धरती पर नहीं पड़ता है, जिसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता है, तो उसकी दूरी भी बदलती है। कभी चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक तो कभी दूर रहते हैं। पृथ्वी के समीप होने पर चंद्रमा बड़ा दिखाई देता है और दूर होने पर छोटा नजर आता है। सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा अगर पृथ्वी के नजदीक होता है, तो यह बड़े आकार में होने के कारण पृथ्वी से सूर्य को पूरी तरह ढकता है। वहीं, जब दूर होता है, तो छोटे आकार के कारण सूर्य के बीच के हिस्से को ही ढक पाता है। जिससे सूर्य का किनारा नजर आता है,जो आसमान में आग का एक छल्ला बनाता है। इसे रिंग ऑफ फायर कहा जाता है। रिंग ऑफ फायर पूरा होने में लगभग 3 घंटे से ज्यादा का समय लग सकता है, लेकिन वास्तविंक रिंग ऑफ फायर कुछ सेकेंड से लेकर 12 सेकेंड तक देखा जा सकता है।

*क्या भारत में दिखाई देगा रिंग ऑफ फायर ?*

साल 2024 का आखिरी वलयाकार सूर्य ग्रहण प्रशांत महासागर, दक्षिणी अमेरिका, अर्जैटीना, फिजी,चिली समेत अन्य इलाकों में देखा जा सकेगा। हालांकि, साल 2024 का यह सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं दिखाई देगा।

*सूतक काल मान्य होगा या नहीं?*

 सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले से और इसके समापन का तक का समय सूतक काल किया जाता है। इस दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है। मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। हालांकि, जहां ग्रहण नजर नहीं आता है। वहां, सूतक काल भी मान्य नहीं होता है। इसलिए साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण भारत में नजर आने के कारण सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

Sunday 29 September 2024

जैसी करनी - वैसा फल👍आज नहींं तो निश्चित कल👇 👉जमीन पर बैठे IAS सजल चक्रवर्ती झारखंड के मुख्यसचिव रहे हैं। लालू के चारा घोटाले में दोषी सिद्ध हुए चक्रवर्ती के न जाने कितने IAS/IPS पैर छूते रहे होंगे, मगर आज इनकी बेबसी देखकर मन बहुत विचलित हुआ। आजकल इनका वजन 150 kg के आस पास है, ये कई बिमारियों से ग्रसित हैं और ठीक से चल भी नही पाते - - - ।

🅰️ जैसी करनी - वैसा फल👍
आज नहींं तो निश्चित कल👇     

👉जमीन पर बैठे IAS सजल चक्रवर्ती झारखंड के मुख्यसचिव रहे हैं। लालू के चारा घोटाले में दोषी सिद्ध  हुए  चक्रवर्ती के न जाने कितने IAS/IPS  पैर छूते रहे होंगे, मगर आज इनकी बेबसी देखकर मन बहुत विचलित हुआ। आजकल इनका वजन 150 kg के आस पास है, ये कई बिमारियों से ग्रसित हैं और ठीक से चल भी नही पाते - - - ।                                                       रांची कोर्ट की पहली मंज़िल में पेशी थी, एक सीढ़ी घसीट कर उतरे। फिर दूसरी सीढ़ी पहुँचने के लिए खुद को घसीट रहे थे। यह दृश्य जीवन का यथार्थबोध कराने वाला था।
माता-पिता नही रहे,भाई सेना में बड़े अफसर थे, अब वे भी नही रहे। जिसको गोद लिए, उसकी शादी हो गई। अब उसे भी इनसे मतलब नहीं है। अपने घर मे कुछ बन्दर और कुत्ते पाल रखे हैं, ये शानो शौकत, पैसे सब बेकार सिद्ध हुए......अब बस मृत्यु ही शायद इनका कष्ट दूर कर सकती है।
जरा सोंचिये!  कल तक बड़े बड़े अधिकारी/कर्मचारी जिनकी गाड़ी का दरवाज़ा खोलने के लिए आतुर रहते थे, वही आज दुनिया के सामने जमीन पर असहाय पड़ा था। उसने दो शादी की, मगर दोनों बीबियों ने तलाक दे दिया। कोर्ट में सबका कोई न कोई आया था,लेकिन वे अकेले थे..
इसकी वजह बिल्कुल स्पष्ट है कि जब वह पद पर रहे होंगे, सिर्फ धन अर्थात रुपैया को  ही अपना सब कुछ मान लिए होंगे। किसी की दिल से मदद नहींं की होगी।  अगर की होती तो शायद आज कोई न कोई उनके लिये जरूर खड़ा रहता...........।                                     एक बात तय मानिए, भ्रष्टाचार यानी लूट-खसोट की कमाई सर चढ़कर अपना असर दिखाती है। इसलिये जब हम सामर्थ्यवान हों तो हमें दूसरे की मदद जरूर करनी चाहिए, जिससे की लोग बाद में  आपको भी याद करें, आपके साथ रहे। 
इसलिये जीवन को जीवन्त बनायें। लोगों की मदद करते हुए अपना जीवन जिएं। पाप की कमाई आखिर किसके लिए---?                                                                         जरा सोंचिए तो सही  कि  पैसा बहुत कुछ तो है पर , सब कुछ नहींं।

Saturday 28 September 2024

हाथरस में स्कूल की तरक्की के लिए 11 साल के मासूम की बली*

*हाथरस में स्कूल की तरक्की के लिए 11 साल के मासूम की बली* 


उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक बार फिर एक खौफनाक घटना सामने आई है, जहां पर मात्र स्कूल के तरक्की के लिए एक 11 साल के कृर्थात उर्फ राजा कुशवाहा नाम के 11 साल के मासूम की स्कूल प्रिंसपल दिनेश बघेल और उसके तांत्रिक पिता जशोधन सिंह समेत कुल पांच लोगों ने बली के नाम पर हत्या कर दी। कोई सोच भी नहीं सकता है कि कैसे एक स्कूल के संचालक ने उसी स्कूल के मासूम को मार डाला ताकी वो स्कूल तरक्की करे। ये सोच के भी शरीर में सिहरन पैदा हो जाती है कि जिस स्कूल में इंसान अपने बच्चों को इसलिए भेजता है कि वो अच्छे इंसान बनेंगे और महफूज रहेंगे। उसी स्कूल में इस तरह के दरिंदे रहते हैं जो बच्चों को केवल ‘बलि का बकरा’ समझते हैं।

बीते दिनों खबर आई थी कि हाथरस में एक ग्यारह साल के मासूम कृतार्थ की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई है। बच्चे के पिता ने कहा कि उनके पास फोन आया कि उनके बच्चे को बुखार है और उसकी हालत खराब है। जब परिजन बच्चे के स्कूल के हॉस्टल गए तो स्कूल और हॉस्टल का संचालक वहां से गायब मिला। वहां बच्चा भी नहीं था। आरोपी संचालक बच्चे को लेकर मौके से फरार हो गया था। मामला सहपऊ कोतवाली क्षेत्र के रासगवां गांव का है। यहां डीएल पब्लिक आवासीय स्कूल स्थित है। स्कूल में 11 साल का छात्र कृतार्थ कुशवाहा क्लास 2 में पढ़ता था। जो कि तुरसेन का रहने वाला था। जांच में ये बात सामने आई थी कि कृतार्थ की हत्या कर दी गई है। बच्चे का शव स्कूल प्रबंधक की कार से बरामद हुआ था जिसके बाद हड़कंप मच गया था।
 
बच्चे के परिजनों ने स्कूल प्रबंधक पर आरोप लगाया था कि उसने बच्चे की हत्या की और फिर काफी देर तक उनको टहलाता रहा। आरोपी ने पुलिस को भी चकमा देने की कोशिश की लेकिन आखिरकार वो पकड़ा गया और उसकी गाड़ी से बच्चे का शव भी बरामद हुआ जिसके बाद मामला और भी ज्यादा गंभीर होता गया। इस हत्याकांड से पूरे इलाके में खलबली सी मच गई। हत्याकांड में शामिल स्कूल प्रबंधक समेत पांच आरोपी प्रिंसपल दिनेश बघेल, जशोधन सिंह लक्ष्मण सिंह, वीरपाल सिंह, रधुवीर सिंह सही सलामत गिरफ्तार किए गए हैं। कृतार्थ के पिता को और ज्यादा सदमा लग गया है। पहले मासूम की मौत और फिर उस हत्या का कारण लालच… ये जानकर बच्चे के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। बच्चे की मां ये सोचकर-सोचकर बेसुध हुई जाती है कि काश उन्होंने बच्चे को अपने पास ही रोक लिया होता जब वो आखिरी बार घर आया था। कम से कम उनके कलेजे का टुकड़ा सलामत तो रहता। पिता का कलेजा ये सोचकर फट रहा है कि क्या उनके बच्चे का गला दबाते वक्त उन दरिंदों के हाथ नहीं कांपे होंगे। 

बच्चे के पिता कृष्ण ने मामले में रोते-रोते कहा कि हम अपने बच्चों को स्कूल ये सोचकर भेजते हैं कि वहां पर वो सुरक्षित रहेगा, अच्छे से पढ़ाई करेगा और अपना भविष्य बनाएगा लेकिन शिक्षा का वही मंदिर तंत्र-मंत्र और काले जादू की वजह से यमलोक बन जाए तो ये बड़ी ही चिंता की बात है। मां बाप ने कहा मेरे बेटे कृतार्थ का गुनाह सिर्फ इतना ही था कि वो एक ऐसे स्कूल में पढ़ रहा था जिसे चलाने वाले इंसानों की सोच किसी जानवर से कम नहीं थी।

झोलाछाप चिकित्सक की लापरवाही से इलाज में मौत के बाद नही हुई गिरफ्तारी**चाकवन चौराहा स्थित आदर्श पाली पॉली क्लीनिक में मौत के बाद अब पहुँचा परसरा चौराहा* *झोलाछाप डॉक्टर पत्रकार बनकर वसूली कर पत्रकारों को कर रहा बदनाम*

*झोलाछाप चिकित्सक की लापरवाही से इलाज में मौत के बाद नही हुई गिरफ्तारी*

*चाकवन चौराहा स्थित आदर्श पाली पॉली क्लीनिक में मौत के बाद अब पहुँचा परसरा चौराहा* 

*झोलाछाप डॉक्टर पत्रकार बनकर वसूली कर पत्रकारों को कर रहा बदनाम*

*कौशांबी* सिराथू तहसील क्षेत्र के चाकवन चौराहे पर संचालित एक अवैध अस्पताल में मरीज के इलाज के दौरान मौत होने के 14 महीने बाद भी अस्पताल संचालक कथित चिकित्सक पर मुकदमा दर्ज करके मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने उसकी गिरफ्तारी नहीं कराई है उसको जेल नहीं भेजा है अवैध अस्पताल को सीज नहीं किया है जिससे मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर भी बड़े सवाल खड़े हैं अवैध अस्पताल में मौत के इस मामले के बाद स्वास्थ्य विभाग के कारनामों की जांच कराए जाने की जरूरत है लेकिन सवाल उठता है कि स्वास्थ्य विभाग के अवैध वसूली की कौन जांच कराएगी इस अवैध अस्पताल के संचालक कथित चिकित्सक को कौन जेल भेजेगा चाकवन चौराहे पर अस्पताल बंद करके अब इनका अस्पताल परसरा चौराहे पर चल रहा था बीते दिनों इनका एक ऑडियो भी वायरल हुआ है जिसमें यहां 10 और 15 की वसूली की बात कर रहे हैं

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक के कड़े निर्देश के बाद भी कौशांबी के अवैध अस्पतालों पर कार्रवाई नहीं हो रही है स्वास्थ्य विभाग कुछ को छोड़कर अन्य गुनहगारों से केवल वसूली तक सीमित है जिससे मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल रहा है और मरीजों की अवैध अस्पतालों में आए दिन मौत हो रही है 27 सितंबर 2024 को फिर मंझनपुर मुख्यालय के अस्पताल में मौत हो गई है हालांकि निजी अस्पतालों में मौत का यह कोई एक मामला नहीं है अनुभव हीन कथित चिकित्सको के इलाज में आए दिन मौत होती है लेकिन किसी कथित चिकित्सक पर मुकदमा दर्ज करके गिरफ्तारी नहीं कराई जाती है आखिर मौत का खेल खेलने वाले इन कथित चिकित्सकों से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इतना नरम दिली क्यों है जिससे आयोग्य  चिकित्सकों के इलाज के चलते आए दिन मरीजों की अस्पतालों में हो रही मौत के बाद अस्पताल सीज करके कथित चिकित्सक जेल नहीं भेजे जा रहे हैं 

सिराथू तहसील क्षेत्र के चाकवन चौराहा स्थित आदर्श पाली पॉली क्लीनिक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किए गए मरीज लल्लू की 13 जुलाई 2023 को मौत हो गई है मौत के इस मामले में भी मृतक लल्लू के परिजनों को स्वास्थ्य विभाग से सहयोग नहीं मिल सका 13 जुलाई को अधिकारियों को शिकायती पत्र दिया गया लेकिन अवैध नर्सिंग होम का बाल बांका नहीं हो सका पाली क्लीनिक का बोर्ड लगाकर अस्पताल की तर्ज पर यह अस्पताल चल रहा है अंदर तमाम बेड लगाए गए हैं जहां मरीज भर्ती किए जाते हैं उन्हें ग्लूकोज की बोतल टांगकर उनसे हजारों लाखों की वसूली की जाती है बिना किसी डिग्री और अनुभव के कथित चिकित्सक को अस्पताल संचालन की छूट स्वास्थ्य विभाग दे दिया है बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर अस्पताल का संचालन हो रहा है मौके पर योग्य चिकित्सक नहीं है जिससे इलाज में मरीजों की मौत होती है लेकिन मौत होने के बाद भी अवैध अस्पतालों पर जिले में कार्यवाही होती नहीं दिख रही है जिससे पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं अस्पताल के चिकित्सक पर मुकदमा दर्ज करके अस्पताल को सीज करते हुए चिकित्सक को जेल भेजने की मांग एक बार फिर शुरू हुई है

*सुशील केसरवानी वरिष्ठ पत्रकार व ब्यूरो प्रमुख अखंड भारत संदेश हिंदी दैनिक समाचार पत्र मंझनपुर कौशाम्बी* *9838824938*

*वक्फ संपत्तियों का उपयोग कम और दुरुपयोग ज्यादा: फरहत अली खान*

*वक्फ संपत्तियों का उपयोग कम और दुरुपयोग ज्यादा: फरहत अली खान*
वक्फ, धर्मार्थ बंदोबस्ती की एक इस्लामी संस्था है, जो अल्लाह की सेवा और जनता के लाभ के लिए संपत्ति या संपदा समर्पित करने के विचार पर आधारित है। एक बार वक्फ घोषित होने के बाद, ये संपत्तियां धर्मार्थ कार्यों के लिए सौंप दी जाती हैं और इन्हें रद्द, बेचा या बदला नहीं जा सकता। इन संपत्तियों से प्राप्त आय का उद्देश्य सभी समुदायों की ज़रूरतों को पूरा करने वाली कब्रिस्तान, मस्जिद, मदरसे, अनाथालय, अस्पताल और शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं को निधि देना है। हालाँकि, भारत में वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग और कम उपयोग लंबे समय से चिंता का विषय रहा है, जिसमें भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और अतिक्रमण के लगातार आरोप लगे हैं।

उत्तर प्रदेश (यूपी), अपनी विशाल वक्फ संपत्तियों के साथ, इस बात का एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है कि इस संस्था का किस तरह से कुप्रबंधन किया गया है। राज्य में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड 1.5 लाख से अधिक संपत्तियों का प्रबंधन करता है, जबकि शिया वक्फ बोर्ड सितंबर 2022 तक 12,000 से अधिक संपत्तियों को संभालता है। फिर भी, इन संपत्तियों के बावजूद, इन संपत्तियों का प्रशासन विवादों से भरा रहा है। यूपी और झारखंड वक्फ बोर्ड के प्रभारी सैयद एजाज अब्बास नकवी की अध्यक्षता वाली एक तथ्य-खोज समिति ने गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया। उदाहरण के लिए, यह आरोप लगाया गया था कि एक मंत्री, आजम खान ने अपने पद का इस्तेमाल करके वक्फ फंड को एक निजी ट्रस्ट में बदल दिया, जिसे उन्होंने स्थापित किया था। रिपोर्ट में किराया संग्रह रिकॉर्ड में विसंगतियों को भी इंगित किया गया और बताया गया कि कैसे यूपी में सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड दोनों अवैध रूप से वक्फ संपत्तियों को बेचने और स्थानांतरित करने में शामिल थे। दरगाह बाबा कपूर की वक्फ संपत्ति, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर 550 गांवों में फैली हुई है, इस मुद्दे को और स्पष्ट करती है। इस बंदोबस्ती की विशालता के बावजूद, इस भूमि से प्राप्त होने वाला कोई भी राजस्व वक्फ बोर्ड तक नहीं पहुंचता है, जिससे लोगों में निराशा होती है। एक अन्य उदाहरण में, दफनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वक्फ भूमि को स्थानीय राजनेताओं को मॉल बनाने के लिए बेच दिया गया, जिससे मुस्लिम समुदाय में आक्रोश फैल गया। उत्तर प्रदेश में स्थिति अलग-थलग नहीं है। पूरे भारत में, वक्फ संपत्तियों को डेवलपर्स, राजनेताओं, नौकरशाहों और तथाकथित "भू-माफिया" द्वारा निशाना बनाया गया है। वक्फ भूमि अविभाज्य होने के बावजूद, कई संपत्तियों को कम कीमत पर पट्टे पर दिया गया है या बेचा गया है, जिससे प्राप्त आय भ्रष्ट अधिकारियों की जेबों में भर गई है। इसके अलावा, कई राज्य बोर्डों पर अवैध रिश्वत के बदले निजी खरीदारों को वक्फ भूमि बेचने का आरोप लगाया गया है, जो अचल संपत्ति की बढ़ती मांग से प्रेरित है। जैसे-जैसे भूमि अधिक मूल्यवान होती जाती है, वक्फ संपत्तियाँ, जो सार्वजनिक कल्याण के लिए होती हैं, भ्रष्टाचार के लिए प्रमुख लक्ष्य बन जाती हैं। अगस्त 2024 में, भारत सरकार ने दो विधेयक पेश किए, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024, जिसका उद्देश्य वक्फ बोर्डों को सुव्यवस्थित करना और संपत्तियों का अधिक प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करना है। प्रस्तावित प्रमुख संशोधनों में से एक वक्फ संपत्तियों का अनिवार्य पंजीकरण है, जो जिला कलेक्टरों को यह निर्धारित करने का अधिकार देता है कि कोई संपत्ति वक्फ के रूप में योग्य है या नहीं। हालाँकि, यह प्रावधान जिला कलेक्टर के कार्यालय पर बोझ बढ़ा सकता है, जिससे पंजीकरण प्रक्रिया में देरी हो सकती है। पारदर्शिता और जवाबदेही की आड़ में एक निजी इकाई को विनियमित करने में अत्यधिक सरकारी हस्तक्षेप वक्फबोर्ड की धार्मिक स्वायत्तता को खत्म कर सकता है। एक और विवादास्पद बदलाव यह है कि वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के मुस्लिम होने की आवश्यकता को हटा दिया गया है। आलोचकों का तर्क है कि इस तरह के संशोधन वक्फ बोर्डों की धार्मिक स्वायत्तता का उल्लंघन करते हैं, जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में निहित है। भारत में वक्फ संपत्तियों के मुद्दे को तत्काल और निष्पक्ष रूप से संबोधित करने की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार और अतिक्रमण को रोकने के लिए सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक है, लेकिन इसे वक्फ बोर्डों की धार्मिक स्वायत्तता को संरक्षित करने की आवश्यकता के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करके, इन संपत्तियों से उत्पन्न आय का उपयोग मुस्लिम समुदाय के उत्थान के लिए किया जा सकता है- अधिक कब्रिस्तान, स्कूल और कॉलेज बनाना। वक्फ संपत्तियों का कम उपयोग और दुरुपयोग न केवल इन बंदोबस्तों के पीछे धर्मार्थ इरादों के साथ विश्वासघात है, बल्कि सामाजिक विकास के लिए एक खोया हुआ अवसर भी है। वक्फ बोर्डों को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए, उनके संचालन को राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रखने की आवश्यकता है, और सुधारों को सद्भावनापूर्वक लागू किया जाना चाहिए। तभी वक्फ संपत्तियां वास्तव में सार्वजनिक भलाई की सेवा कर सकती हैं जैसा कि उनका इरादा था ।
फरहत अली खान 
एम ए गोल्ड मेडलिस्ट

Thursday 26 September 2024

जवानी में शारीरिक इच्छाएं चरम पर होती हैं, और पहले 20 साल पलभर में गुजर जाते हैं। इसके बाद नौकरी की तलाश शुरू होती है🌼

जवानी में शारीरिक इच्छाएं चरम पर होती हैं, और पहले 20 साल पलभर में गुजर जाते हैं। इसके बाद नौकरी की तलाश शुरू होती है🌼
यह नहीं, वो नहीं, पास नहीं, दूर नहीं। कई नौकरियां बदलने के बाद एक स्थिरता वाली नौकरी मिलती है। पहली तनख्वाह का चेक जैसे ही हाथ में आता है, 

उसे बैंक में जमा करवा दिया जाता है और फिर शून्यों का खेल शुरू हो जाता है। कुछ और साल बीत जाते हैं, और बैंक में शून्य बढ़ने लगते हैं।

25 की उम्र में शादी हो जाती है और जीवन की एक नई शुरुआत होती है। शुरुआती साल गुलाबी सपनों से भरे होते हैं—हाथों में हाथ डालकर चलना, सपनों की दुनिया में खो जाना। फिर बच्चे की आहट होती है और पालना झूलने लगता है। अब पूरा ध्यान बच्चे की देखभाल पर केंद्रित हो जाता है—उठाना, खिलाना, सुलाना। समय का पता ही नहीं चलता। 

इसी बीच, हाथ छूट जाते हैं, बातें और घूमना बंद हो जाता है। वह बच्चे में व्यस्त हो जाती है, और मैं काम में। घर, गाड़ी की किस्तें, बच्चे की शिक्षा, भविष्य की चिंता, और बैंक में शून्य बढ़ने का चक्र चलने लगता है। 

35 की उम्र में, सब कुछ होते हुए भी मन में एक खालीपन महसूस होता है। चिड़चिड़ाहट बढ़ती है, और मैं खुद में खोया रहने लगता हूँ। बच्चा बड़ा होता जाता है, और कब 10वीं की परीक्षा आकर चली जाती है, पता ही नहीं चलता। 

40 की उम्र तक आते-आते बैंक में शून्य बढ़ते रहते हैं। एक दिन, पुरानी यादों में खोकर मैंने कहा, आओ, पास बैठो, कहीं घूमने चलते हैं। उसने मुझे अजीब नजरों से देखा और कहा, 

अब इस उम्र में बातें सूझ रही हैं, यहाँ कितना काम पड़ा है।" फिर वह अपने पल्लू को खोंसकर चली गई। 

45 की उम्र में चश्मा चढ़ जाता है, बाल सफेद होने लगते हैं और जिंदगी उलझनों में घिर जाती है। बेटा कॉलेज में चला जाता है और बैंक में शून्य बढ़ते रहते हैं।

50 की उम्र आते-आते, बाहर निकलने के प्लान बंद हो जाते हैं। दवाइयों का समय तय हो जाता है। बच्चे बड़े हो जाते हैं और अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं। 

एक दिन, बेटे ने फोन पर बताया कि उसने विदेश में शादी कर ली है और अब वहीं रहेगा। उसने सलाह दी कि बैंक के शून्यों को वृद्धाश्रम में खर्च कर देना।

मैंने सोफे पर बैठकर ठंडी हवा का आनंद लिया, जबकि वह पूजा में व्यस्त थी। मैंने कहा, चलो, आज फिर हाथ में हाथ डालकर बातें करते हैं। उसने जवाब दिया, 

अभी आई।" मेरे चेहरे पर खुशी की झलक आई, आंखें भर आईं। लेकिन फिर अचानक आंखों की चमक फीकी पड़ गई, और मैं हमेशा के लिए शांत हो गया। 

उसने पूजा खत्म की और मेरे पास आई। क्या कह रहे थे?उसने पूछा, लेकिन मैं कुछ नहीं बोल पाया। उसने मेरे शरीर को छूकर देखा—मैं ठंडा पड़ चुका था। उसने एक क्षण के लिए शून्य में देखा, फिर उठकर पूजा घर में एक अगरबत्ती जलाई, 

और वापस सोफे पर आकर बैठ गई। मेरा ठंडा हाथ पकड़े हुए बोली, चलो, कहां घूमने चलना है तुम्हें? क्या बातें करनी हैं?उसकी आँखों में आँसू भर आए। वह मुझे निहारती रही, आँसुओं की धारा बहती रही। 

मेरे सिर का भार उसके कंधे पर गिर गया। ठंडी हवा अब भी चल रही थी। क्या यही जीवन है?

🌼सीख🌼

इस कहानी से हमें यह समझना चाहिए कि जीवन की असली ख़ुशी धन-दौलत में नहीं, बल्कि प्यार, समझदारी और साथ बिताए गए पलों में होती है। 🙌❣️

Tuesday 24 September 2024

बिहार में बदल गया जमीन रजिस्ट्री का नियम, अब स्टॉम्प पेपर की जगह इसका होगा प्रयोग, सब कुछ जान लीजिए, नहीं तो फंस जाइएगा

*बिहार में बदल गया जमीन रजिस्ट्री का नियम, अब स्टॉम्प पेपर की जगह इसका होगा प्रयोग, सब कुछ जान लीजिए, नहीं तो फंस जाइएगा*
बिहार सरकार ने राज्य में भूमि विवादों को खत्म करने के लिए भूमि पंजीकरण कानूनों में नया बदलाव कर दिया गया है।  नए नियम 24 सितंबर से लागू हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण पुराने नियमों को छह महीने तक लागू रहने की अनुमति दी गई थी. पुराने नियम समाप्त हो चुके हैं और 24 सितंबर से नये नियम लागू हो चुके हैं। 
बिहार सरकार ने भूमि विवादों को कम करने और रजिस्ट्री प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए नए नियमों की घोषणा की है। ये नए नियम 24 सितंबर से लागू हो गए है। पहले, फरवरी में प्रस्तावित किए गए इन नियमों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा छह महीने के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब, पुराने नियमों की मियाद समाप्त हो गयी, जिससे नए नियम प्रभावी हो गए है। नया नियम लागू होने के बाद लंबी लाइन में खड़े होने की जरुरत नहीं होगी।
*नए नियमों में क्या बदलाव होंगे?*
भूमि पंजीकरण के वक्त आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, भूमि स्वामित्व का ऑनलाइन सत्यापन किया जाएगा ताकि धोखाधड़ी को रोका जा सके।
*इलेक्ट्रॉनिक स्टांपिंग*
स्टांप पेपर के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक स्टांप का उपयोग किया जाएगा। इससे रजिस्ट्री प्रक्रिया अधिक सुरक्षित और तेज होगी।
*ऑनलाइन रजिस्ट्री प्रक्रिया*
 भविष्य में अधिकांश भूमि रजिस्ट्री प्रक्रियाएं ऑनलाइन होंगी। लोग अपने दस्तावेज जैसे नक्शा और संपत्ति रसीद अपलोड कर सकेंगे, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी  और तेज होगी।
*समय की बचत*
 नए नियमों के तहत भूमि रजिस्ट्री करवाने में लगने वाला समय कम होगा, और ।

Sunday 22 September 2024

महान व्रत जीवात्पुत्रिका या जिउतिया महापर्व डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह जीवत्पुत्रिका व्रत जीवत्पुत्रिका या जिउतिया

महान व्रत जीवात्पुत्रिका या जिउतिया महापर्व डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह

 जीवत्पुत्रिका व्रत 

जीवत्पुत्रिका या जिउतिया व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है इसमें माताएं अपने संतान के लिए दिनभर रात भर निर्जला अर्थात बिना पानी पिए रहती है और इस प्रकार यह छठ पूजा या करवा चौथ के समान बेहद कठिन व्रत है 

कब मनाया जाता है जीवित्पुत्रिका व्रत जीवित्पुत्रिका का व्रत हर वर्ष आश्विन अर्थात क्वार महीने के कृष्ण पक्ष अर्थात अंधेरे पाख की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है इसमें उदया तिथि का विशेष महत्व रखा जाता है इस प्रकार इस वर्ष 2024 में यह महान व्रत बुधवार के दिन 25 सितंबर को पड़ रहा है और इस दुनिया मनाया जाएगा अर्थात 25 सितंबर को यह व्रत मनाया जाएगा 

क्यों मनाया जाता है जीवत्पुत्रिका व्रत और क्या है इसकी कहानी


 भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा था कि जिस संतान की मां अपने बच्चों के लिए स्वस्थ और सक्षम होते हुए यह व्रत रखेंगी उसके पुत्र पुत्रियां अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होंगे लेकिन यदि वह स्वस्थ नहीं है रोग व्याधि से ग्रस्त हैं तो वह केवल मानसिक रूप से शिव पार्वती की पूजा करके उतना ही फल प्राप्त कर सकती है जितना निर्जला रहने वाली माताएं प्राप्त करती हैं

 इस व्रत की कथा यह है कि प्राचीन काल में एक गंधर्व राजकुमार की वन में घूम रहे थे थे जो बहुत ही उदार परोपकारी करुणा दया और दिव्य भाव से आलोकित थे एक दिन जब वह जंगल से गुजर रहे थे तो उनको एक रोती बिलखती बुढ़िया मिली जब उन्होंने इसका कारण पूछा तो उसे वृद्धा ने कहा कि बेटा मैं नागवंश की स्त्री हूं और यहां पर पक्षियों का राजा गरुड़ प्रत्येक दिन एक नाग को शिकार कर उसको खा जाता है

 अगर अपने आप कोई नहीं पहुंचता तो वह सैकड़ो नागों को बिना कारण मार देता है क्योंकि मेरे एक ही पुत्र है और इसलिए मैं रो रही हूं कि मेरा वंश इसी के साथ डूब जाएगा 

इस पर द्रवित हुए राजकुमार ने कहा की माता तुम निश्चिंत रहो तुम्हारे पुत्र के साथ ऐसा कुछ नहीं होगा यह कहकर नियत समय और नियत स्थान पर वह शंखचूड़ नाग अर्थात जिसकी बारी थी उसकी जगह लेट गए जब पक्षीराज गरुड़ उनको उठकर आसमान में उड़े तो बहुत भारी जीमूतवाहन को नाग की जगह देखकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ कारण पूछने पर राजकुमार जीमूतवाहन ने सारी कथा बता दी इस पर अत्यंत प्रसन्न हुए पक्षीराज गरुड़ ने उनसे कोई वरदान लेने को कहा तब गंधर्व राजकुमार ने कहा कि आज से वह नागों का शिकार करना छोड़ दें पक्षीराज गरुड़ ने तथास्तु कहकर वैसा ही किया तभी से यह महापर्व मनाया जाता है 


इस वर्ष कब है जीवात्पुत्रिका का व्रत इस वर्ष क्वार महीने के कृष्ण पक्ष का प्रारंभ 12:38 दोपहर 24 सितंबर से प्रारंभ होकर 25 सितंबर को 12:11 पर समाप्त हो रहा है इस प्रकार उदया तिथि के अनुसार जीवात्पुत्रिका का व्रत इस वर्ष बुधवार के दिन 25 सितंबर को बुधवार महीने के अष्टमी तिथि को अंधेरे पक्ष में मनाया जाएगा


 जीवात्पुत्रिका व्रत के पूजन का उचित समय कब है इस वर्ष शुभ चौघड़िया मुहूर्त में शाम के 4:30 से शाम के 6:00 तक विधि विधान के साथ पूजा पाठ करके जीमूतवाहन की कथा होगी इसके साथ भगवान शिव और भगवती माता पार्वती की पूजा भी की जाती है

 पारण का समय और पारण कैसे करें इस वर्ष व्रत का पारण 26 सितंबर को भोर में 4:35 से सुबह 5:23 के बीच किया जाएगा जिसे चावल और तुरई अर्थात सरपुतिया के साथ व्रत का पारण शुद्ध मन से भगवान शिव पार्वती और जीवित वहां के स्मरण से किया जाएगा एक बार फिर से मैं शास्त्र और धर्म ग्रंथो के अनुसार कह रहा हूं कि अस्वस्थ माताएं या रोगग्रस्त माताएं बलपूर्वक इस व्रत को ना करें शुद्ध चित्त से भगवान शिव माता पार्वती और जीवित वहां की मानसिक पूजा अर्थात मन से पूजा करने पर भी पूरा फल प्राप्त होगा क्योंकि ईश्वर तो सर्वव्यापी हैं उन्हें दिखावा नहीं सच्चे मन से किए गए पूजा पाठ और कार्य ही मन को भाते हैं

Saturday 21 September 2024

ये पौधा जो आप देख रहे है बड़े काम की चीज हुआ करता था लेकिन आजकल विलुप्त होने की कगार पर है । गोंडा में इसे बेहया कहा जाता है !!बेशरम/बेहया/थेथर एक किस्म का पौधा है,

ये पौधा जो आप देख रहे है बड़े काम की चीज हुआ करता था लेकिन आजकल विलुप्त होने की कगार पर है । गोंडा में इसे बेहया कहा जाता है !!
बेशरम/बेहया/थेथर एक किस्म का पौधा है, जिसे अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। बेहया को स्थानीय भाषा में बेशर्म के नाम से भी जाना जाता है। बेहया भारत में बड़ी ही आसानी से हर जगह देखा जा सकता है। इस पौधे में बहुत सुंदर गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं। यह पौधा अक्सर सड़कों के किनारे, खाली जगह पर, नदी, तालाब, नहर आदि के किनारे अपने आप ही उग जाते हैं। इनकी खासियत होती है कि यह कठिन से कठिन परिस्थिति में भी जिंदा रहते हैं। यह पौधा कभी सूखता या मरता नहीं है। इसलिए इसे बेशर्म कहा जाता है। कम पानी या कम धूप में भी यह मुरझाते नहीं। अगर बेहया पौधे की टहनियों को तोड़कर कहीं भी फेंक दिया जाए तो ये वहीं खुद ही उगने लगता है। ये कही भी किसी भी हाल में उग जाता है। इसे पानी में भी उगाया का सकता है। यह पौधा पानी में सड़ता नहीं है। जंगली जानवर भी इस पौधे को नहीं खाते क्योंकि यह एक ज़हरीला पौधा होता है। बेहया के ज़हर के कारण इंसान भी इसे खा नहीं सकता। इसका उपयोग केवल बाहरी रूप से किया जाता है अंदरूनी रूप से नहीं। बेहया की पत्तियां, टेहनियां और दूध को प्राचीन समय से ही लोग कई स्वास्थ्य समस्याएं ठीक करने में इस्तेमाल करते चले आ रहे हैं। बेहया से कीटनाशक भी बनाया जाता है, जिसके छिड़काव से फसलों पर लगने वाले कीटो का नाश होता है। बेहया का इस्तेमाल कम लोग करते हैं। गांव में तो आज भी लोग इस पौधे का प्रयोग कर पुराने घाव भरते हैं, लेकिन शहरों में इसके बारे में बहुत कम लोग जानते है। 
!!!घाव ठीक करने में मददगार-!!!
बेहया में एंटीबैक्टीरियल एंटीमाइक्रोबियल और एंटीऑक्सिडेंट्स गण पाए जाते हैं। इसलिए बेहया पौधे का इस्तेमाल घाव भरने में अधिक किया जाता है। इसकी पत्तियों पर तेल लगाकर हल्का गर्म कर चोट या घाव पर लगाने से घाव जदली भर जाते है। माना जाता है कि पुराने घाव भरने में भी बेहया काफी कामगर होता है। 

!!!दर्द से दिलाए राहत !!!
यह दर्द भी कम करता है। ऐसा माना जाता है कि इसकी पत्तियां पट्टी के रूप में लगाने से सारा दर्द खींच लेती है और आपको दर्द से राहत दिलाती है। इसमें दर्द को कम करने वाले गुण मौजूद होते हैं। इस पौधे का इस्तेमाल आपकी पुरानी चोट से हो रहे दर्द को भी कम करने की क्षमता रखता है। इसलिए चोट लगने पर चिकित्सक के पास नहीं जाना चाहते तो यह पौधा आपकी मदद कर सकता है। 

!!!सूजन !!! ❤❤❤❤
बेशर्म पौधे में सूजन रोधी गुण यानि एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों को गर्म करके सूजी हुई त्वचा पर लगाने से सूजन ठीक हो जाती है। बेहया की पत्तियों से बने लेप को सूजी त्वचा पर लगाने से भी सूजन काम होती है। यह सूजन को 3 से 4 घंटे में ही ठीक करने लगता है। इस तरीके से पुरानी से पुरानी सूजन भी ठीक की का सकती है। सूजन को कम करने के लिए प्राचीन समय से इस पौधे को काफी लाभकारी माना जाता है। 

!!!!जहर को कम करता है- !!!! ❤❤❤❤
बेशर्म की टहनियों और पत्तों को तोड़ने पर एक प्रकार का दूध निकलता है। बिच्छू के डंक मारने पर यदि यह दूध लगाया जाए तो इससे धीरे-धीरे ज़हर का असर कम होने लगता है। यही नहीं बेहया के पत्तो का लेप भी बिच्छू के डंक पर लगाकर ज़हर के असर को रोका जा सकता है। 

!!!!चर्म रोग के लिए फायदेमंद !!!! ❤❤❤
बेशर्म को चर्म रोग ठीक करने में भी प्रयोग किया जाता है। इसके एंटीफंगल गुण चर्म रोग को ठीक करने में सक्षम होते हैं। इसके लिए इस पौधे की जड़ को उखाड़कर और सुखाकर पीस लें और उसमें कपूर और कोकड़े का तेल मिलाकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं। इससे विटिलिगो जैसे चर्म रोग भी ठीक हो सकते है और तो और  बेहाया दाद को भी ठीक करने में बहुत लाभदायक माना जाता है। इसके पत्ते त्वचा संबंधी अन्य कई विकारों में भी काम आते हैं।

 नोट - बेहया का पौधा आपके लिए बहुत लाभदायक है। ध्यान रहे इसे खाना नहीं है। केवल उपरी तौर पर ही इसका सेवन आपको लाभ देता है 

Behaiya, also known as besharm or thethar, is a multi-purpose plant commonly found in India. It has the characteristic of surviving even in harsh conditions and grows easily along the roadsides, rivers and ponds. Its pink flowers are beautiful, while its poison keeps both wild animals and humans away.

The leaves, twigs and milk of this plant are used for various health problems. Due to its antibacterial, antimicrobial and antioxidant properties, behaiya is helpful in healing wounds. A paste of its leaves helps reduce pain and swelling. Applying its milk on scorpion sting also reduces the effect of poison. Apart from this, it is also very beneficial in treating skin diseases, such as ringworm and vitiligo.

However, it should be consumed only externally. This plant is popular in villages, but its properties are less known in urban areas. If you are interested in natural health remedies, behaiya can be an excellent choice.

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खलील जिब्रान की प्रसिद्ध कहानी है कि एक मछली बेचने वाली औरत गांव से शहर मछली बेचने आई। मछलियां बेच कर जब लौट रही थी तो अचानक बाजार में उसे बचपन की एक सहेली मिल गई। वह सहेली अब मालिन हो गई थी। उस मालिन ने कहा, आज रात मेरे घर रुको! कल सुबह होते ही चले जाना। कितने वर्षों बाद मिले, कितनी-कितनी बातें करने को हैं!

खलील जिब्रान की प्रसिद्ध कहानी है कि एक मछली बेचने वाली औरत गांव से शहर मछली बेचने आई। मछलियां बेच कर जब लौट रही थी तो अचानक बाजार में उसे बचपन की एक सहेली मिल गई। वह सहेली अब मालिन हो गई थी। उस मालिन ने कहा, आज रात मेरे घर रुको! कल सुबह होते ही चले जाना। कितने वर्षों बाद मिले, कितनी-कितनी बातें करने को हैं!

मछली बेचने वाली औरत मालिन के घर रुकी। मालिन का घर बगिया से घिरा हुआ। फिर पुरानी सहेली की सेवा मालिन ने खूब दिल भर कर की। और जब सोने का समय आया और मालिन सोई, तो इसके पहले कि वह सोती, बगिया में गई, चांद निकला था, बेले के फूल खिले थे, उसने बेलों की झोली भर ली और बैलों का ढेर अपनी सहेली उस मछली बेचने वाली औरत के पास आकर लगा दिया, कि रात भर बेलों की सुगंध! लेकिन थोड़ी देर बाद मालिन परेशान हुई, क्योंकि मछली बेचने वाली औरत सो ही नहीं रही, करवट बदलती है बार-बार। पूछा कि क्या नींद नहीं आ रही है?

उसने कहा, क्षमा करो, ये फूल यहां से हटा दो। और मेरी टोकरी, जिसमें मैं मछलियां लाई थी, उस पर जरा पानी छिड़क कर मेरे पास रख दो।
मालिन ने कहा, तू पागल हो गई है?

उसने कहा, मैं पागल नहीं हो गई। मैं तो एक ही सुगंध जानती हूं: मछलियों की। और बाकी सब दुर्गंध है।

भीड़ मछलियों की गंध को जानती है। उससे परिचित है। शास्त्रों के पिटे-पिटाए शब्द दोहराए जाएं तो भीड़ उनसे राजी होती है, क्योंकि बाप-दादों से वही सुने हैं, पीढ़ी-दर-पीढ़ी वही सुने हैं। सुनते-सुनते उनके कान भी पक गए हैं। वे ठीक लगते हैं।

मैं उनसे वह कह रहा हूं जो मेरी प्रतीति है, मेरा अनुभव है। और मजा यह है कि मैं उनसे वह कह रहा हूं जो कि शास्त्रों की अंतर्निहित आत्मा है। मगर शास्त्रों के शब्द मैं उपयोग नहीं कर रहा हूं। शब्द तो पुराने पड़ गए। शब्द तो बदल दिए जाने चाहिए। अब तो हमें नये शब्द खोजने होंगे। हर सदी को अपने शब्द खोजने होते हैं। हर सदी को अपने धर्म के लिए पुनः-पुनः अवतार देना होता है। हर सदी को अपनी अभिव्यक्ति खोजनी होती है।

तो मैं वही कह रहा हूं जो बुद्ध ने कहा, कृष्ण ने कहा, मोहम्मद ने कहा, जीसस ने कहा; लेकिन अपने ढंग से कह रहा हूं। मैं बीसवीं सदी का आदमी हूं। मैं चाहूं भी तो कृष्ण की भाषा नहीं बोल सकता। कृष्ण की भाषा अब किसी अर्थ की भी नहीं है। सार्थक थी उस दिन जिस दिन अर्जुन से कृष्ण बोले थे। आज न तो अर्जुन है, न कुरुक्षेत्र है, न महाभारत हो रहा है। आज कृष्ण की गीता पर अगर कुछ कहना भी हो तो बीसवीं सदी की भाषा में कहना होगा। और तुम्हारी आदत शब्दों को पकड़ने की है, आत्मा को पहचानने की नहीं।

तो भीड़ मेरे नये शब्दों से परेशान है, मेरी नई दृष्टि से परेशान है। जो समझ सकते हैं, वे तो तत्क्षण पहचान लेते हैं कि मैं वही कह रहा हूं जो सदा कहा गया है। भाषा भिन्न है, भाव भिन्न नहीं है। अभिव्यंजना भिन्न है। शायद मेरा वाद्य भिन्न है, मगर जो गीत मैं गा रहा हूं वह शाश्वत का गीत है, सनातन गीत है। उसके अतिरिक्त कोई गीत ही नहीं है। मैं तो हूं भी नहीं, परमात्मा जो गा रहा है उसे ही बिना बाधा डाले तुम तक पहुंच जाने दे रहा हूं। मगर भीड़ की अपनी आदतें हैं। 

जो कारागृहों में रहने के आदी हो गए हैं, उन्हें मुक्त करना आसान नहीं। जो अंधविश्वासों में जीने के आदी हो गए हैं, उनको उनके बाहर लाना आसान नहीं। जिन्होंने कुछ पक्षपात निर्मित कर लिए हैं, पक्षपात ही जिनके प्राण बन गए हैं, उनसे उनके पक्षपात छीनना आसान नहीं। मेरे हाथ लहूलुहान होंगे।

ओशो : प्रेम-पंथ ऐसो कठिन
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क्या वर्षा समाप्त हो चुकी या मानसून अभी बाकी है

क्या वर्षा समाप्त हो चुकी या मानसून अभी बाकी है

 डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह
मौसम विज्ञानी 


सितंबर 2024 में पूरे भारत में और जौनपुर तथा आसपास भी कई बार अच्छी वर्षा हुई और 17 से 19 के बीच तो हर जगह भारी से लेकर बहुत भारी वर्षा हुई लेकिन इधर तीन-चार दिनों से सूखा गर्म मौसम चल रहा है जैसा कि हमारे ज्योतिष मौसम विज्ञान अनुसंधान केंद्र के द्वारा पहले ही घोषित कर दिया गया था


 ऐसे में आगामी मौसम की भविष्यवाणी और आकलन करना खेती किसानी के साथ-साथ संपूर्ण देश और समाज के लिए भी बहुत उचित है और समीचीन भी हैं हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र के विद्वानों एवं ज्योतिषियों के द्वारा की गई गणनाओं के अनुसार पूर्व में भी सितंबर के अंतिम सप्ताह में वर्षा होने की भविष्यवाणी की गई थी और फिर से इस बात को दोहराया जा रहा है कि 23 सितंबर से भारत में मौसम बदलना प्रारंभ हो जाएगा और इसके लक्षण जौनपुर और पूर्वांचल में भी दिखने लगेगा

 24 सितंबर से वर्षा प्रारंभ हो सकती है जो सितंबर के अंतिम सप्ताह और अक्टूबर में भी रह सकती है और मध्यम से लेकर भारी वर्षा जौनपुर और उत्तरी भारत के अधिकांश भागों में होगी जबकि भारी से बहुत भारी वर्षा उड़ीसा आंध्र प्रदेश महाराष्ट्र मुंबई मध्य प्रदेश के दक्षिण पूर्वी भागों झारखंड और पूर्वोत्तर भारत तथा बंगाल में होगी 


बिहार मध्य प्रदेश के शेष भाग राजस्थान के पूर्वी भाग में हल्की से सामान्य वर्षा होने की संभावना बन रही है इस प्रकार यह पूर्वानुमान है कि 22 और 23 से इन स्थानों में वर्षा शुरू होगी जबकि 24 और 25 सितंबर तक जौनपुर गाजीपुर बलिया वाराणसी सिंगरौली मिर्जापुर सोनभद्र पूर्वांचल सुल्तानपुर प्रतापगढ़ मऊ अंबेडकर नगर अयोध्या में वर्ष शुरू हो जाएगी 


ऐसा उत्तर भारत में लगातार चटक धूप होने तेज गर्मी और उमेश बढ़ने से बंगाल की खाड़ी में एक शक्तिशाली चक्रवाती विक्षोभ पैदा होने से और हिमालय तथा तिब्बत और पामीर के पत्थर पर मौसम संबंधित महत्वपूर्ण परिवर्तन होने से हो रहा है

 इसलिए पहले की भांति हमारा अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र आप सभी से विशेष कर किसानों और बागवानी में लगे हुए लोगों से यह कहना चाहता है कि सिंचाई में अपना हजारों लाखों रुपया प्रति किसान खर्च करने के बजाय 25 26 सितंबर तक देखने के बाद ही उसी तरह सिंचाई प्रारंभ करें जैसे 17 से 19 के बीच में कहा गया था और किसी को सिंचाई नहीं करनी पड़ी


 हमारे केंद्र के द्वारा की गई भविष्यवाणी के अनुसार इस वर्ष से धान और अन्य फैसले लगभग पार हो जाएंगे क्योंकि हम लोग अपनी गणनाएं बहुत व्यापक और बहुत ही गहनता से करते हैं जिसमें गणित और विज्ञान मौसम विज्ञान के अलावा प्राचीन भारत की कहावतें और भारतीय प्रमाणिक ग्रंथों उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों के साथ-साथ विश्व के जलवायु के महत्वपूर्ण परिवर्तन एवं समुद्री जल धाराओं हवाओं की दिशा और दशा उत्तरी दक्षिणी ध्रुव प्रदेश और महासागरों की गतिविधियों के आधार पर किया जाता है जो औसतन 95% से अधिक सही सिद्ध होता है


 एक बार फिर आप सबसे निवेदन करना चाहूंगा कि इन घटनाओं में एक दिन आगे पीछे हो सकता है और यह पूरी तरह से संभावित है कि 23 24 के साथ एक बार फिर झंझा झकॊर घन गर्जन वारिढ माला वज्रपात और गरज चमक के साथ एक सप्ताह व्यापी वर्षा होगी डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि

न्यूजीलैंड के बैंक्स प्रायद्वीप में कई सालों से तेज हवाओं के कारण एक पेड़ एक तरफ झुककर ब्रश जैसा हो गया है। यह इलाका दुनिया के सबसे तेज हवाओं वाले क्षेत्रों में से एक है, जिसने पेड़ की इस खास बढ़त को प्रभावित किया है।

न्यूजीलैंड के बैंक्स प्रायद्वीप में कई सालों से तेज हवाओं के कारण एक पेड़ एक तरफ झुककर ब्रश जैसा हो गया है। यह इलाका दुनिया के सबसे तेज हवाओं वाले क्षेत्रों में से एक है, जिसने पेड़ की इस खास बढ़त को प्रभावित किया है।