नया भारतीय वर्ष 2082 डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक
नया भारतीय वर्ष विक्रम संवत 2082 ,30 मार्च रविवार के दिन से शुभ ग्रह नक्षत्र के संयोग से प्रारंभ होगा इसी दिन से परम पवित्र चैत्र की नवरात्रि भी शुरू होगी जिसे बासंतिक नवरात्रि भी कहते हैं जब भारतीय नया वर्ष शुरू होता है तो संपूर्ण भारत में बड़ा ही पवित्र शुभ और मंगलमय वातावरण होता है वृक्ष नई-नई पत्तियां और कोपलों फल फूलों से लदे रहते हैं फसले पक कर तैयार रहती हैं और चारों ओर कोयल की कूक सुनाई देती है शीतल मंद सुगंधित पवन बहता रहता है और जीवन में उत्साह उमंग अपने चरम शिखर पर होता है और इसके साथ ही साथ चारों ओर प्रसन्नता का वातावरण होता है
नए वर्ष में पंचांग की स्थिति
30 मार्च सन 2082 विक्रम संवत चैत्र माह का उजाले पक्ष का पहला दिन रविवार का दिन है इस दिन लग्न भाव में मंगल मिथुन राशि में है और वर्गोत्तम है केतु चतुर्थ भाव में होकर सुख के घर में और कन्या राशि में है इसलिए यह वर्ष कन्याओं स्त्रियों के लिए सुखद रहेगा जबकि बुध शुक्र शनि राहु सूर्य चंद्रमा कर्म के भाव में मीन राशि में है यह बहुत लंबे समय के बाद आता है इसलिए इस वर्ष कर्म प्रधान रहेगा जबकि बृहस्पति 12 वे अपने घर में वृष राशि में है इसलिए इस वर्ष पूजा पाठ धर्म अनुष्ठान हवन के कामों मेंबहुत अधिक खर्च होगा शेष घर खाली हैं राहु केतु शुक्र बुध वक्री हैं जो दिखाते हैं कि शत्रु पूरे वर्ष षड्यंत्र करता रहेगा बुद्ध आदित्य गदा नल विहग नीच भंग मालव्य पाराशरी और धन राज योग होने के कारण धन-धान्य की कमी नहीं होगी
नया भारतीय वर्ष बनाए जाने का कारण और महत्व
भारत का नया वर्ष बसंत ऋतु में शुरू होता है जिसके अनेक कारण है सबसे पहले और सबसे बड़ा कारण है कि आज के दिन ही हमारे पृथ्वी ग्रह पर लगभग दो अरब वर्ष पूर्ण ब्रह्मा जी द्वारा नई सृष्टि का निर्माण किया गया था आज के दिन ही महान सम्राट विक्रमादित्य द्वारा नए विक्रम संवत का प्रारंभ किया गया जिन्होंने भारत की यश पताका का संपूर्ण संसार में फैलाई और जो पूरे संसार के सबसे महान सम्राट और कलयुग के सबसे न्यायप्रिय सम्राट थे इस समय बसंत ऋतु भी रहते हैं ।फसलों का मौसम भी रहता है और नवरात्रि भी आज से ही शुरू होता है इस महापर्व को गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र और आस पास जबकि उगादि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक तथा आस पास बैसाखी पंजाब और आस पास बिहू असम और पूर्वोत्तर भारत में कहा जाता है
वैसे तो विश्व में अनेक नए वर्ष होते हैं जैसे क्रिश्चियन और इस्लामी नया वर्ष चीन का नया वर्ष यहूदी लोगों का नया वर्ष लेकिन जो बात भारत के नए वर्ष में है वह कहीं नहीं है क्योंकि इस समय प्रकृति वातावरण जड़ चेतन पेड़ पौधे मनुष्य हर जगह नवीनता रहती है और हर्ष और उल्लास का वातावरण रहता है यह सबसे वैज्ञानिक वर्ष है जो विज्ञान धर्म संस्कृति वातावरण और पर्यावरण पर आधारित होता है
भारत का नया वर्ष कैसे मनाया जाता है इस दिन घरों को और वातावरण को साफ सुथरा किया जाता है सबको बधाई और शुभकामनाएं तथा आशीर्वाद दिया जाता है हर घर पर केसरिया या भगवा रंग का ध्वज फहराया जाता है घरों को पत्तियों और फूलों से सजाया जाता है विशेष कर आम के पत्तियों से और रंगोली भी बनाई जाती है अनेक प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है सभी संस्थान भी सजाया जाता है और इस दिन विभिन्न प्रकार के कवि सम्मेलन भजन संध्या महा आरती का आयोजन भी होता है इस दिन फल मिठाई और रक्त का दान भी किया जाता है आज के दिन ही पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है इस समय दिन रात ठंडी गर्मी प्रकाश अंधकार सब बराबर होता है जिसके बाद प्रकाश और दिन बड़े होने लगता है
इस बार के पदाधिकारी इस बार के पदाधिकारी राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य हैं इस प्रकार दुनिया में ज्ञान प्रकाश और सत्य का प्रभाव अधिक रहेगा स्वामी और सौरमंडल के प्रधान देवता हैं जिसे सारी सृष्टि और सौरमंडल चलता है चैत्र की नवरात्र से प्रारंभ होने वाले इस भारतीय नव वर्ष का नाम सिद्धार्थ संवत है इस वर्ष शनि का राशि परिवर्तन हो रहा है और बृहस्पति भी मिथुन राशि में जाएंगे तथा राहु और केतु भी सिंह और कुंभ राशि में रहेंगे और मंगल का गोचर भी बड़े-बड़े परिणाम लाएगा इसके कारण काल महामारी युद्ध विस्फोट भूकंप महामारी नए-नए रोग बीमारियां और अप्रैल में में बहुत बड़ी प्राकृतिक आपदा आने की संभावना बन रही है वर्ष 2082 में ग्रहों का सकारात्मक स्थान रहेगा इस वर्ष सकारात्मक प्रभाव और सही लोगों का प्रभुत्व रहेगा गलत और बुरे लोग मारे जाएंगे या फिर कारागार में जाएंगे
नए भारतीय वर्ष में सूर्य चंद्रमा शुक्र शनि बुध और राहु एक साथ मीन राशि में होंगे इसलिए बुद्ध आदित्य और मालव्य योग बन रहा है जो शुभ और लाभकारी होता है अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्ध योग भी हैं 60 संवत्सर में से इस बार 53 वां संवत्सर है और जिस दिन नए वर्ष की शुरुआत होती है उसे दिन के स्वामी को नए वर्ष का राजा माना जाता है इस वर्ष रविवार को शुरू होने से सूर्य देव को राजा माना जा रहा है इस वर्ष चंद्रमा धनेश हैं बुद्ध के कारण औषधि और वनों के क्षेत्र का विस्तार होगा बृहस्पति के प्रभाव से संतुलन रहेगा रोग बीमारियां बढ़ेंगे मंगल शेयर मार्केट ध्वस्त करके फिर से खड़ा करेगा शनि युद्ध और उन्माद तथा विनाशकारी हथियारों का प्रयोग करेगा
विभिन्न प्रकार की राशियों के लिए मकर राशि वालों को सबसे अधिक लाभ मिलने की संभावना है इसके अलावा कर्क राशि मिथुन राशि के लिए भी यह बहुत अच्छा रहेगा साथ ही साथ 29 मार्च को अमावस्या के दिन नए भारतीय वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा मेष राशि भी अच्छा जाएगा कुंभ राशि भी अच्छी रहेगी मीन राशि के लिए ना बहुत अच्छा और ना बहुत खराब रहेगा कन्या राशि के लिए भी वर्ष अच्छा रहेगा शेष ग्रहों के लिए मिला-जुला फल इस वर्ष रहेगा कुल मिलाकर जैसे हिंदी दुनिया की अघोषित विश्व भाषा और भारत की अघोषित राष्ट्रभाषा है उसी तरह नया भारतीय वर्ष अघोषित रूप से पूरी दुनिया का नव वर्ष है
No comments:
Post a Comment