भगवान गणेश विद्या और बुद्धि के देवता हैं सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूज्य हैं क्योंकि उन्होंने सारे लोगों की परिक्रमा करने की जगह अपने माता-पिता की तीन बार परिक्रमा करके स्वयं को सबसे बुद्धिमान और चतुर सिद्ध किया था इसलिए तो पृथ्वी के स्वर्ग हिमालय के बर्फ से ढके हुए कश्मीर से लेकर हरी नीली हिंद महासागर की जल राशि जो समुद्र का स्वर्ग है वर्षा और हरियाली के स्वर्ग आश्रम चेरापूंजी की पहाड़ियों से लेकर शुष्कता वीरानी और वीरता के स्वर्ग तक फैले राजस्थान के कण -कण में भगवान गणेश जी की पूजा होती है और उनकी चतुर्थी भादों महीने के शुक्ल पक्ष चतुर्थी को पूरे देश में मनाई जाती है
भगवान गणेश की यश कीर्ति दिगदिगन्त में व्याप्त हैं उनकी सवारी चूहा के आकार वाला दिव्य विमान है जिसकी गति अनंत है उनको लड्डू पीली चीज और पीली मिठाइयां बहुत प्रिय हैं और उनका दिन बुधवार है एक बार अपने माता-पिता के कहे के अनुसार उन्होंने भगवान परशुराम को भीतर नहीं जाने दिया और उनसे हुए घनघोर रोमांचकारी युद्ध में गणेश जी का एक दांत टूट गया था इसलिए उनको एक दंत कहा गया दूसरी कथा है कि ब्रह्म ऋषि वेदव्यास जी के बोलने पर महाभारत लिखते समय उनकी कलम टूट गई तो उन्होंने अपने दांत को तोड़कर उसी से लिखना प्रारंभ कर दिया था इसी तरह एक बार अपने माता भगवती पार्वती के आदेश के अनुसार वह अपने परम पूज्य पिता आदि देव भगवान शिव से ही भिड़ गए और भगवान ने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर काट दिया बाद में पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए गणेश जी को हाथी का सर लगाकर फिर से जीवित किया गया। रिद्धि और सिद्धि को उनकी पत्नी माना जाता है भगवान गणेश की अनंत कहानी धर्म ग्रंथो में वेद पुराणों में प्रख्यात हैं जब-जब देवताओं पर संकट आया तब तक उन्होंने अपनी बुद्धि बल चातुर्य से उसको हल किया
इस वर्ष विश्व विख्यात गणेश चतुर्थी का महापर्व 27 अगस्त बुधवार के दिन से प्रारंभ होगा जो 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन तक 10 दिन तक चलेगा बुधवार के दिन शुरू होने के कारण यह और भी शुभ और प्रभावकारी हो गया है यद्यपि 26 अगस्त को ही चतुर्थी की तिथि दोपहर 1:54 से लग रही है लेकिन उदय तिथि के अनुसार 27 अगस्त बुधवार के दिन से उनकी पूजा और स्थापना होगी गणेश जी की स्थापना का मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह 11:05 से दोपहर 1:40 तक है जो 2 घंटे 34 मिनट का है उनकी मूर्ति स्थापित करके विधि विधान से पूजा करने पर मनोवांछित कामनाएं प्राप्त होती है
[8/26, 9:59 PM] Dr Dileep Kumar singh: भगवान गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन इस वर्ष 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन बड़ी धूमधाम से किया जाएगा प्रतिमा विसर्जन के लिए तीन समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है पहले सुबह 7:36 से सुबह 9:10 दूसरा दोपहर में 12:19 से शाम को 5:02 और तीसरा रात 6:37 से रात 8:02 तक है इस वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन अनेक शुभ मुहूर्त और योग मिल रहे हैं जिसमें शुक्ल योग सर्वार्थ सिद्ध योग रवि योग्य लक्ष्मी नारायण योग बुध आदित्य योग प्रमुख हैं ।
पहले त्यौहार विशेष रूप से महाराष्ट्र और मुंबई में मनाया जाता था लेकिन आज यह पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है छठ पर्व की तरह यह भी आज पूरे भारत में मनाया जाता है इस दिन मुंबई में सबसे विशाल झांकी और जुलूस निकलता है जहां करोड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर घरों के ऊपर यहां तक की पेड़ पौधों पर भी चढ़कर इस भव्य और विराट जुलूस में शामिल होते हैं और सारा वातावरण **गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ** के गगनभेदी नारों से ध्वनित प्रति ध्वनित हो उठता है। अनेक जगह पर दहीहंडी और मटकी फोड़ प्रतियोगिताएं भी आयोजित होती हैं
अब गणेश जी की पूजा पाठ का विधान भी जान लेना अति आवश्यक है सबसे पहले घर की सफाई इसके बाद शरीर और अंतरात्मा और मन की शुद्धि के साथ गणेश जी की प्रतिमा स्वच्छ चौकी पर स्थापित करें और उन्हें दूध दही मधु शक्कर और घी से अभिषेक करें इसके बाद उन्हें दूब अक्षत पीले फूल लड्डू और दूब चढ़ाकर मन वचन कर्म से उनकी पूजा करें और सदाचारी नैतिक बनने का प्रयास करें शुद्ध मन और चित्र से इस प्रकार गणेश जी की पूजा पाठ करने से वह निश्चित रूप से आप सभी पर कृपा करेंगे
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