*जितने भी वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी तथा सरकारी और गैर सरकारी तंत्र और तथाकथित पर्यावरणविद प्रकृति प्रेमी हैं सब के सब प्रदूषण और जहरीली हवा तथा प्रकृति और पर्यावरण को गंदा करने का काम कर रहे हैं यह केवल खुले मंच पर भाषण देते हैं और काम सब कुछ उल्टा सीधा करते हैं अगर दीपावली में पटाखों से प्रदूषण होता तो क्रिसमस के दिन और नए अंग्रेजी वर्ष के दिन 1 जनवरी को पूरी दुनिया जाहर प्रदूषण और गंदगी से भर जाती जबकि ऐसा कुछ नहीं होता है अगर सचमुच ही प्रदूषण कम करना है तो एक दिन दिल्ली सहित पूरे भारत में सभी दो पहिया चार पहिया 10 पहिया वाहन हवाई जहाज और ट्रेनें तथा रॉकेट पूरी तरह बंद करके हवा का स्तर जांच लिया जाए और अगर 1 सप्ताह के लिए इन सभी के साथ प्लास्टिक कूड़ा कचरा और बूचड़खाने में पशुओं की हत्या और औद्योगिक कल कारखाने और जहर मिले रसायनों का प्रयोग 1 सप्ताह के लिए बंद कर दिया जाए तो पूरा भारत बिल्कुल स्वच्छ और ताजी हवा से भर जाएगा और वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से 500 के भीषण स्तर पर जो इस समय चल रहा है वह तुरंत घटकर 40 से 80 के बीच आ जाएगा और अगर हर शहर में 33% हरियाली और गांव में 50% हरियाली और वृक्ष लगा दिए जाएं तो वायु गुणवत्ता सूचकांक तुरंत 25 से लेकर 50 के बीच आ जाएगी लेकिन सबसे बड़ा दुख आश्चर्य और क्रोध की बात यही है कि व्यर्थ में ही मीडिया और टेलीविजन चैनलों पर हमारे राजनेता बुद्धिजीवी अधिकारी गण और सभी तंत्रों से जुड़े अधिकारी भाषण देकर वाहवाही लूटते हैं भारत में एक नियम बना दिया जाए कि 1 किलोमीटर तक के क्षेत्र में लोग अपने काम के क्षेत्रों में पैदल और 5 किलोमीटर तक साइकिल से चलेंगे फिर देखो हवा कैसे साफ-सुथरी ताजी और पर्यावरण शुद्ध हो जाता है और साथ ही साथ सबको अनिवार्य नियम बनाया जाए कि जो भी घर या गांव में कहीं भी नया आवास बनाता है उसमें कम से कम 10% स्थान पेड़ पौधों और घास के लिए सुरक्षित रखें तभी उनको मान्यता दिया जाए*
*लेकिन ऐसा कुछ नहीं होगा लोग कंक्रीट और सीमेंट के जंगल बढ़ाते जा रहे हैं और प्राकृतिक पेड़ पौधे जड़ी बूटियों औषधीय वृक्षों पीपल बरगद वृक्ष नीम और जामुन आम के पौधों को काटते जा रहे हैं सरकारी नियंत्रण केवल दिखावा है थाने पर पैसा दो वन विभाग को पैसा दो चाहे जो करो यही सब तो देश और दुनिया में हो रहा है अभी तो अमेज़न और कांगो बेसिन के दुनिया के सबसे बड़े-बड़े जंगलों को जिस रफ्तार से काटा जा रहा है उससे जहरीली हवा और भयंकर प्रदूषण सारे संसार में फैल जाएगा और तब हर प्रयास विफल हो जाएगा लोग 10 कदम चलने के लिए भी दोपहिया और चार पहिया वाहन निकाल लेते हैं ज्यादातर ऐसे ही लोगों को बड़े-बड़े मंचों पर प्रदूषण पर्यावरण और हवा की गुणवत्ता अच्छी करने इत्यादि पर मंचासीन किया जाता है जो सबसे बड़े प्रदूषण के कारण खुद होते हैंफिर भी राष्ट्रीय समाचार पत्र और सबसे लोकप्रिय प्रामाणिक हिंदुस्तान और उसके जौनपुर के विख्यात और वरिष्ठ तथा लोकप्रिय संवाददाता मारकंडेय मिश्रा को बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई कि उन्होंने कम से कम सब को जागरुक करने का प्रयास तो किया डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञान ज्योतिश शिरोमणि और निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर*
*बढ़ते हुए प्रदूषण और जहरीली हवा से चारों तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है जौनपुर जनपद में भी 300 से लेकर 345 ए क्यू आई अर्थात वायु गुणवत्ता सूचकांक पहुंच गया है जो रिजवी खान सराय अटाला और साजिदा डिग्री कॉलेज के आसपास सर्वाधिक है जहां 345 ए क्यू आई दर्ज किया गया जिस का कारण वसा समाप्त हो जाने के कारण कल कारखानों से निकली हुई धूल गर्द और कल कारखानों वाहन हवाई जहाज और राकेट प्रक्षेपण कूड़ा कचरा और प्लास्टिक के कारणों से निकलने वाले अत्यंत महीन धूल के कण और धातु के करण वातावरण को बेहद जहरीला बनाकर पर्यावरण और प्रकृति को अत्यंत घातक बना दे रहे हैं वैसे भी अक्टूबर और नवंबर में हर वर्ष वर्षा समाप्त हो जाने के बाद चारों तरफ उड़ती हुई धूल गर्द और धातु के सूक्ष्म कण भयंकर प्रदूषण पैदा करते हैं जब ठंड बढ़ेगी और वातावरण में कोहरा और पाला पड़ेगा तब यह कम होगा और 200 से नीचे आ जाएगा तमाम बड़े महानगरों में तो एक क्यूआई का स्तर 600 से भी ऊपर जा चुका है यद्यपि जौनपुर में ऐसी स्थिति में नहीं है कि ए क्यू आई 400 को पार करें लेकिन अगर यही स्थिति रही तो यहां भी भयंकर स्थिति पैदा हो जाएगी 0 से 50 वायु गुणवत्ता सूचकांक अब शहरों के लिए दुर्लभ हो गया है जो सर्वोत्तम होता है 50 से 100 अच्छा माना जाता है और 100 से ऊपर जाने पर ही जहर घोलने लगता है और 200 ऊपर जाने पर तो यह खतरनाक हो जाता है जब तक वर्षा होती है तब तक वर्षा का स्वच्छ और हल्का अम्लीय जल्द इस प्रदूषण को समाप्त करता रहता है इसीलिए वर्षा काल में जौनपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 40 से लेकर 90 के बीच काफी दिनों तक स्थित था इधर 29 नवंबर के बाद यह बहुत तेजी से बढ़ा है और अब या 300 को पार कर गया है इसमें थोड़ा बहुत हाथ दीपावली पर हुए पटाखों और आतिशबाजी का भी है दूसरा सबसे बड़ा कारण पौधों और हरियाली का समाप्त हो जाना है क्योंकि पेड़ पौधों घास और हरी वनस्पतियों में जहरीली हवा और धूल गर्दा तथा जहर भरे तत्वों को अवशोषित करने का बहुत बड़ा गुण होता है 31 अक्टूबर से 10 नवंबर तक या प्रदूषण चरम पर रहेगा15 नवंबर के बाद ठंड बढ़ने और हल्की वर्षा होने पर यह प्रदूषण कम होकर 200 से नीचे आ जाएगा यह भयंकर प्रदूषण जहरीली हवा तथा पर्यावरण में हो रहा विशाल परिवर्तन अनेक भयंकर रोगों को जन्म देता है डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक*
*पीएम 10कणों को रेस्पिरेबल पार्टिकुलेट मैटर कहां जाता है यह धातु धूल और दर्द से भरे हुए कांड होते हैं जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर होता है और इनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर होता है*
*PM 10पीएम2.5 कण जब 60और 100होते है तब यह खतरनाक नहीं होते जब हवा में इनकी मात्रा 600पार कर जाती हैं तब यह बहुत खतरनाक हो जाता है और सांस लेने पर यह गर्दा धूल के छोटे कण सीशा और धातु सांस के साथ थे घरों में घुस जाते हैं और बहुत भयंकर हानि पहुंचाते हैं बच्चों और वृद्धों पर इसका असर सबसे अधिक होता है इससे बचने के लिए बाहर कम से कम निकलना मास्क लगाना और वातावरण में पानी का भारी मात्रा में छिड़काव करना अति आवश्यक हो जाता है*
*Resiirable Particulated Matter का अर्थ है सांस लेते समय हवा के साथ फेफड़ों में जाने वाला विषैला पदार्थ*
*क्या है PM 10और PM2.5 और क्यों मौसम उग्र तथा वातावरण जहरीला और प्रदूषण चरम पर पहुंच गया है क्या दीपावली और पराली जलाना ही इसका एकमात्र कारण है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह पर्यावरण विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि*
*प्राचीन काल से आज तक आधे पर से लेकर आधे कार्तिक के बीच प्रदूषण गंदगी और जहरीले वातावरण चरम पर आता है इसीलिए कौर और कार्तिक महीने में पितृपक्ष नवरात्रि विजयादशमी शरद पूर्णिमा दीपावली छठ और कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र महापर्व का इस प्रकार से सृजन किया गया कि वातावरण जहरीला ना हो हवा शुद्ध और स्वच्छ बनी रहे लेकिन आजकल इसका उल्टा हो गया है इसलिए पूरे देश और दुनिया के वातावरण में धूल गर्द और गुबार तथा धातु के महीन कर मिलकर हवा में फैल कर उसे विषैला बना कर सीधे सांस के द्वारा फेफड़ों में जा रहे हैं वैज्ञानिक भाषा को इसे pm10 और पीएम 2.5 कहा जाता है जो इस समय बहुत अधिक बढ़ गया है जब इसकी मात्रा हवा में 60 और 100 रहती है तब हवा शुद्ध और सांस लेने लायक रहती है लेकिन इस समय इनकी मात्रा क्रम से 500 और 700 से अधिक हो चुकी हैइसी बीच आरपीएम 10 और आरपीएम 2 पॉइंट 5 का स्तर घातक बना रहेगा क्योंकि वर्षा ऋतु के एकायक समाप्त हो जाने के कारण संपूर्ण हवा में प्रदूषण गंदगी और शीशा लोहा और अन्य धातु के अत्यंत सूक्ष्म टुकड़े गर्द और धूल एक साथ मिलकर पूरे वातावरण में फैल गई है और यार तब तक चलती रहेगी जब तक की वर्षा नहीं होगी और तेज हवा नहीं चलेगी या फिर ठंड बहुत अधिक नहीं बढ़ेगी इसलिए फिलहाल 15 नवंबर तक ऐसी स्थिति रहने की आशा है जौनपुर आजमगढ़ प्रतापगढ़ और आसपास के नगरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक एक यूआई इस दौरान 250 से लेकर 350 के बीच अधिकतम रहेगा जबकि इसी दौरान कानपुर दिल्ली नोएडा गाजियाबाद जैसे शहरों में या 500 से लेकर 700 के बीच रहेगा जो अत्यंत ही घातक हैं*
*यह आज से नहीं बहुत प्राचीन काल से होता आया है वर्षा का जल पूरी दुनिया में बर्फ के जल के समान सबसे शुद्ध होता है इसलिए थोड़ा सा अम्लीय सभावाला वर्षा हर प्रकार के प्रदूषण गंदगी और हवा में खुले जहर और प्रदूषण को साफ कर देता है क्वार महीने के बाद वर्षा रुक जाती हैं तब यह स्थिति कार्तिक महीने तक जारी रहती है अंग्रेजी भाषा में यह अक्टूबर महीने में और नवंबर के कुछ दिनों तक जारी रहती हैं वर्षा रुकते ही तमाम धूल के कण अशुद्धियां धातु केकड़ शुष्क मौसम के कारण ऊपर उड़ने लगते हैं और नाक के जरिए सीधे फेफड़ों में जाते हैं और आजकल तो इतने अधिक पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहन हवाई जहाज रॉकेट रेलगाड़ियां जलयान चल रहे हैं कि सब के विषय में धुए वातावरण में घुल मिल रहे हैं और इसमें और भी अधिक भयंकर योगदान कल कारखानों से निकला धुआं उन से निकला अत्यंत जहरीला रासायनिक पदार्थ इलेक्ट्रॉनिक कचरा और बूचड़खाना से उत्पन्न प्रदूषण और सड़ा हुआ खून हड्डी मज्ज़ा प्लास्टिक और पॉलिथीन का बढ़ता हुआ उपयोग मोबाइल फ्रीज टीवी एसी ओवन इतिहास आधुनिक सुख सुविधाओं से निकलने वाली भयानक और जहरीली फास्फीन जैसी गैसे इसको और भी अधिक भयंकर बना देती हैं*
*कभी आपने ध्यान दिया है कि आखिर क्यों वर्षा होने के बाद हवा अचानक ही शुद्धता जी लगने लगती है और ऐसा लगता है कि शरीर में पूरी तरह से उर्जा भर गए हैं और शरीर ताजगी से भर गया है इसका कारण यही होता है कि पूरी दुनिया में वर्षा का जल सबसे शुद्ध माना जाता है जिसमें हल्का सा अम्लीय तत्व विद्यमान रहता है जो वातावरण में फैले हुए हर प्रकार के जहर विषाणु जीवाणु और रोगाणु को मारने में तथा जहर को दो देने में सक्षम होता है इसीलिए वर्षा होने के बाद अचानक ही पूरा वातावरण बिल्कुल शुद्ध हो जाता है और उसमें भूले हुए पीएम 10 और पीएम 2.5 पूरी तरह से बह जाते हैं इसलिए वर्षा का जल किसी बैटरी में डाले तो वह कभी खराब नहीं होता है और उसको लगातार एक महीने पीने पर पेट के अंदर के सारे कीटाणु रोगाणु मर जाते हैं और शरीर स्वस्थ हो जाता है यही वजह है कि वर्षा काल की हवा पूरी तरह प्रदूषण मुक्त रहती है और उसका व्हाई गुणवत्ता सूचकांक इस समय 30 से लेकर 70 के बीच रहता है प्राचीन काल में हर मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 10 से लेकर 30 के बीच रहता था आज भी वर्षा काल में गुणवत्ता सूचकांक 30 से लेकर 90 के बीच ही रहता है बशर्ते वर्षा होती रहे वर्षा पीते ही सूखा मौसम अचानक आता है और तभी वायु प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ जाता है इस समय घर के अंदर ही अधिक रहें बाहर निकले तो मास्क लगा ले गंदी और धूल भरी जगह में ज्यादा ना निकले कोरोना वाला मास्क आपको इस समय काम आ सकता है और हो सके तो पानी का अधिक से अधिक छिड़काव पेड़ पौधों और जमीन पर करें*
*आरपीएम दो प्रकार के होते हैं आरपीएम 10 आपीएम 2.5 इनका व्यास 10 माइक्रोमीटर से लेकर 2.5 माइक्रोमीटर होता है धूल के कणों से भी 10 गुना छोटे होते हैं इसको आप इस तरह समझ सकते हैं कि मोबाइल कवर के अंदर और घड़ी के अंदर जो हल्की धूल और गर्दन जमा होती है वही कण pm10 और पीएम 2.5 के नाम से विख्यात हैं यह फेफड़ों में घुसकर श्वास नलिका ओं को छिन्न-भिन्न कर देते हैं और सांस लेने में परेशानी होती रहती है इसके अलावा यह धीरे-धीरे रक्त में भी भूल जाते हैं*
*भारत में प्राचीन काल में इसीलिए पितृपक्ष उसके बाद परम पवित्र नवरात्रि पर दशहरा और पूर्णिमा का पर्व और फिर दीपावली और अनेक पर्व तथा छठ और शरद पूर्णिमा का महापर्व मनाया जाता था इसके नियम ध्यान से देखें तो यह सभी 2 महीने पहले वाली इस गर्दधातु और धूल के कणों को मिटा देने के लिए किया जाता था ऐसा खानपान रखा जाता था इतनी सफाई शुद्धता होती थी कि अपने आप सारी सफाई हो जाती थी और हवा ताजी स्वच्छ शुद्ध बनी रहती थी जो बचा कुचा प्रदूषण गंदगी और विषैले तत्व तथा 8:00 पीएम 10 और 2 पॉइंट 5 होते थे वह सभी सरसों और अन्य तेल के दीपक तथा घी के दीपक से निकलने वाले धुएं और उसके वास्तव में मिलकर चिपक जाते थे और धरती पर गिर जाते थे अब लोग बम पटाखा आतिशबाजी कर के वातावरण विषैला बना रहे हैं तो उसमें किसका दोष है लेकिन सबसे बड़ा जहर और प्रदूषण तथा गंदगी फैलने का कारण लगातार पेड़ पौधों का कटना और हरियाली का घटना है जहां पहले शहरों में 90% हरियाली रहती थी वहां अब जौनपुर जैसे शहर में 1% भी हरियाली नहीं है बल्कि जौनपुर शहर में तो ऐसा एक पेड़ भी नहीं है जिसके छाया के तले आप विश्राम कर सके दूसरा सबसे बड़ा कारण औद्योगिक क्रांति है उद्योग धंधे कल कारखाने हर घर में प्रयुक्त किए जा रहे हैं बिजली से भोजन बनाने वाला ओवन एसी फ्रिज वाशिंग मशीन सब के सब वातावरण असंतुलित करके भयंकर जहरीले उत्पन्न करते हैं इतनी अधिक मात्रा में 2 पहिया चार पहिया और अन्य वाहन चल रहे हैं कि वह पूरे वातावरण को जहर से भर रहे हैं ऊपर से रेलगाड़ी हवाई जहाज जलयान परमाणु पनडुब्बी और दुनिया भर में लगातार हो रही लड़ाई में प्रयुक्त बम मिसाइल और अन्य डर्टी बम इत्यादि है जिस पर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है इसलिए प्रदूषण बढ़ता जा रहा है अगर वातावरण में हरियाली अधिक होती है तो वह जमीन का जहर और गंदगी तथा प्रदूषण खींचती है जबकि बड़े-बड़े पेड़ ऊपर से गिरने वाले प्रदूषण को सोख लेते हैं इन सब पर तथाकथित बड़े वैज्ञानिक और पर्यावरण से संबंधित लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है केवल दिवाली और पराली पर दोष देने से कुछ होने वाला भी नहीं है*
*अगर दीपावली ही प्रदूषण का कारण होता तो क्रिसमस और नए अंग्रेजी वर्ष पर तो पूरी दुनिया में इतना अधिक बम पटाखे और आतिशबाजी होती है कि वातावरण में वायु गुणवत्ता सूचकांक एकयूआई 500 से 1000 के बीच होना चाहिए क्योंकि दीपावली तो भारत के एक देश में मनाई जाती है और दो दर्जन देशों में थोड़ी मात्रा में लेकिन क्रिसमस और नया अंग्रेजी वस्तु पूरी दुनिया में मनाया जाते हैं इसलिए दीपावली के बहाने प्रदूषण पैदा करने वाले मीडिया और वैज्ञानिक तथा पर्यावरण से जुड़े लोग पूरी तरह सफेद झूठ बोलते हैं इसलिए आप सभी लोग अधिक से अधिक पेड़ लगाएं हरियाली पैदा करें बम पटाखों से दूर रहें कम से कम वाहन का प्रयोग करें 1 किलोमीटर तक जाने वाले पैदल चलें और 1 से 10 किलोमीटर जाने वाले सभी राजनेता मंत्री प्रधानमंत्री अधिकारी और सामान्य जनता के लोग साइकिल से यात्रा करें प्रदूषण अपने आप 50% घट जाएगा वरना इसी तरह से शोरगुल मचाते रहे जिस तरह दहेज पर शोरगुल मचाया गया और घर-घर में दहेज प्रथा हो गई महिला उत्थान और महिलाओं की आजादी पर ध्यान केंद्रित किया गया चारों ओर स्वच्छंदता फैल गई और घर-घर में तलाक होने लगे उसी तरह इस प्रकार का नारा देने से कुछ नहीं होने वाला है*
*सारांश में यही है कि दीपावली और पराली जलाना किसी भी प्रकार के भयानक प्रदूषण का कारण नहीं है हां इतना अवश्य है कि खतरनाक बम और पटाखे की जगह हम अगर हल्के आतिशबाजी करे तो थोड़ा राहत मिल सकती है इसके लिए सरकार नियम बना दें कि महीने में 15 दिन देशभर में कोई वाहन नहीं चलेंगे जहाज और भारी वाहनों का चलना बंद रहेगा 1 किलोमीटर तक चपरासी से प्रधानमंत्री को पैदल चलना और 1 से 10 किलोमीटर तक साइकिल से चलना अनिवार्य कर दिया जाए हर एक घर में एक पेड़ लगाना अनिवार्य किया जाए और कॉलोनी सरकारी जगह और खाली पड़े स्थानों में पेड़ पौधे और घास लगाया जाए और यह बहुत आसान भी हैं जितनी सड़क हैं जितने रेल के लाइनें हैं नदियों के जितने किनारे हैं उसर और बंजर हैं उतना ही पेड़ पौधे लगा देने पर देश में प्रदूषण की मात्रा 90% घट जाएगी केवल कागज पर नारा देकर पैसा कमाना और ढिंढोरा पीटना आने वाले समय में भयानक प्रदूषण हवा में जहर और पर्यावरण को भयंकर नुकसान पहुंचा कर रहेगा डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर।
*बढ़ते हुए प्रदूषण और जहरीली हवा से चारों तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है जौनपुर जनपद में भी 300 से लेकर 345 ए क्यू आई अर्थात वायु गुणवत्ता सूचकांक पहुंच गया है जो रिजवी खान सराय अटाला और साजिदा डिग्री कॉलेज के आसपास सर्वाधिक है जहां 345 ए क्यू आई दर्ज किया गया जिस का कारण वसा समाप्त हो जाने के कारण कल कारखानों से निकली हुई धूल गर्द और कल कारखानों वाहन हवाई जहाज और राकेट प्रक्षेपण कूड़ा कचरा और प्लास्टिक के कारणों से निकलने वाले अत्यंत महीन धूल के कण और धातु के करण वातावरण को बेहद जहरीला बनाकर पर्यावरण और प्रकृति को अत्यंत घातक बना दे रहे हैं वैसे भी अक्टूबर और नवंबर में हर वर्ष वर्षा समाप्त हो जाने के बाद चारों तरफ उड़ती हुई धूल गर्द और धातु के सूक्ष्म कण भयंकर प्रदूषण पैदा करते हैं जब ठंड बढ़ेगी और वातावरण में कोहरा और पाला पड़ेगा तब यह कम होगा और 200 से नीचे आ जाएगा तमाम बड़े महानगरों में तो एक क्यूआई का स्तर 600 से भी ऊपर जा चुका है यद्यपि जौनपुर में ऐसी स्थिति में नहीं है कि ए क्यू आई 400 को पार करें लेकिन अगर यही स्थिति रही तो यहां भी भयंकर स्थिति पैदा हो जाएगी 0 से 50 वायु गुणवत्ता सूचकांक अब शहरों के लिए दुर्लभ हो गया है जो सर्वोत्तम होता है 50 से 100 अच्छा माना जाता है और 100 से ऊपर जाने पर ही जहर घोलने लगता है और 200 ऊपर जाने पर तो यह खतरनाक हो जाता है जब तक वर्षा होती है तब तक वर्षा का स्वच्छ और हल्का अम्लीय जल्द इस प्रदूषण को समाप्त करता रहता है इसीलिए वर्षा काल में जौनपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 40 से लेकर 90 के बीच काफी दिनों तक स्थित था इधर 29 नवंबर के बाद यह बहुत तेजी से बढ़ा है और अब या 300 को पार कर गया है इसमें थोड़ा बहुत हाथ दीपावली पर हुए पटाखों और आतिशबाजी का भी है दूसरा सबसे बड़ा कारण पौधों और हरियाली का समाप्त हो जाना है क्योंकि पेड़ पौधों घास और हरी वनस्पतियों में जहरीली हवा और धूल गर्दा तथा जहर भरे तत्वों को अवशोषित करने का बहुत बड़ा गुण होता है 31 अक्टूबर से 10 नवंबर तक या प्रदूषण चरम पर रहेगा15 नवंबर के बाद ठंड बढ़ने और हल्की वर्षा होने पर यह प्रदूषण कम होकर 200 से नीचे आ जाएगा यह भयंकर प्रदूषण जहरीली हवा तथा पर्यावरण में हो रहा विशाल परिवर्तन अनेक भयंकर रोगों को जन्म देता है डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक*
: *पीएम 10कणों को रेस्पिरेबल पार्टिकुलेट मैटर कहां जाता है यह धातु धूल और दर्द से भरे हुए कांड होते हैं जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर होता है और इनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर होता है*
: *PM 10पीएम2.5 कण जब 60और 100होते है तब यह खतरनाक नहीं होते जब हवा में इनकी मात्रा 600पार कर जाती हैं तब यह बहुत खतरनाक हो जाता है और सांस लेने पर यह गर्दा धूल के छोटे कण सीशा और धातु सांस के साथ थे घरों में घुस जाते हैं और बहुत भयंकर हानि पहुंचाते हैं बच्चों और वृद्धों पर इसका असर सबसे अधिक होता है इससे बचने के लिए बाहर कम से कम निकलना मास्क लगाना और वातावरण में पानी का भारी मात्रा में छिड़काव करना अति आवश्यक हो जाता है*
*Resiirable Particulated Matter का अर्थ है सांस लेते समय हवा के साथ फेफड़ों में जाने वाला विषैला पदार्थ*
: *क्या है PM 10और PM2.5 और क्यों मौसम उग्र तथा वातावरण जहरीला और प्रदूषण चरम पर पहुंच गया है क्या दीपावली और पराली जलाना ही इसका एकमात्र कारण है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह पर्यावरण विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि*
*प्राचीन काल से आज तक आधे पर से लेकर आधे कार्तिक के बीच प्रदूषण गंदगी और जहरीले वातावरण चरम पर आता है इसीलिए कौर और कार्तिक महीने में पितृपक्ष नवरात्रि विजयादशमी शरद पूर्णिमा दीपावली छठ और कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र महापर्व का इस प्रकार से सृजन किया गया कि वातावरण जहरीला ना हो हवा शुद्ध और स्वच्छ बनी रहे लेकिन आजकल इसका उल्टा हो गया है इसलिए पूरे देश और दुनिया के वातावरण में धूल गर्द और गुबार तथा धातु के महीन कर मिलकर हवा में फैल कर उसे विषैला बना कर सीधे सांस के द्वारा फेफड़ों में जा रहे हैं वैज्ञानिक भाषा को इसे pm10 और पीएम 2.5 कहा जाता है जो इस समय बहुत अधिक बढ़ गया है जब इसकी मात्रा हवा में 60 और 100 रहती है तब हवा शुद्ध और सांस लेने लायक रहती है लेकिन इस समय इनकी मात्रा क्रम से 500 और 700 से अधिक हो चुकी हैइसी बीच आरपीएम 10 और आरपीएम 2 पॉइंट 5 का स्तर घातक बना रहेगा क्योंकि वर्षा ऋतु के एकायक समाप्त हो जाने के कारण संपूर्ण हवा में प्रदूषण गंदगी और शीशा लोहा और अन्य धातु के अत्यंत सूक्ष्म टुकड़े गर्द और धूल एक साथ मिलकर पूरे वातावरण में फैल गई है और यार तब तक चलती रहेगी जब तक की वर्षा नहीं होगी और तेज हवा नहीं चलेगी या फिर ठंड बहुत अधिक नहीं बढ़ेगी इसलिए फिलहाल 15 नवंबर तक ऐसी स्थिति रहने की आशा है जौनपुर आजमगढ़ प्रतापगढ़ और आसपास के नगरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक एक यूआई इस दौरान 250 से लेकर 350 के बीच अधिकतम रहेगा जबकि इसी दौरान कानपुर दिल्ली नोएडा गाजियाबाद जैसे शहरों में या 500 से लेकर 700 के बीच रहेगा जो अत्यंत ही घातक हैं*
*यह आज से नहीं बहुत प्राचीन काल से होता आया है वर्षा का जल पूरी दुनिया में बर्फ के जल के समान सबसे शुद्ध होता है इसलिए थोड़ा सा अम्लीय सभावाला वर्षा हर प्रकार के प्रदूषण गंदगी और हवा में खुले जहर और प्रदूषण को साफ कर देता है क्वार महीने के बाद वर्षा रुक जाती हैं तब यह स्थिति कार्तिक महीने तक जारी रहती है अंग्रेजी भाषा में यह अक्टूबर महीने में और नवंबर के कुछ दिनों तक जारी रहती हैं वर्षा रुकते ही तमाम धूल के कण अशुद्धियां धातु केकड़ शुष्क मौसम के कारण ऊपर उड़ने लगते हैं और नाक के जरिए सीधे फेफड़ों में जाते हैं और आजकल तो इतने अधिक पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहन हवाई जहाज रॉकेट रेलगाड़ियां जलयान चल रहे हैं कि सब के विषय में धुए वातावरण में घुल मिल रहे हैं और इसमें और भी अधिक भयंकर योगदान कल कारखानों से निकला धुआं उन से निकला अत्यंत जहरीला रासायनिक पदार्थ इलेक्ट्रॉनिक कचरा और बूचड़खाना से उत्पन्न प्रदूषण और सड़ा हुआ खून हड्डी मज्ज़ा प्लास्टिक और पॉलिथीन का बढ़ता हुआ उपयोग मोबाइल फ्रीज टीवी एसी ओवन इतिहास आधुनिक सुख सुविधाओं से निकलने वाली भयानक और जहरीली फास्फीन जैसी गैसे इसको और भी अधिक भयंकर बना देती हैं*
* [11/1, 8:47 AM] Dileep Singh Rajput Jounpur: *जितने भी वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी तथा सरकारी और गैर सरकारी तंत्र और तथाकथित पर्यावरणविद प्रकृति प्रेमी हैं सब के सब प्रदूषण और जहरीली हवा तथा प्रकृति और पर्यावरण को गंदा करने का काम कर रहे हैं यह केवल खुले मंच पर भाषण देते हैं और काम सब कुछ उल्टा सीधा करते हैं अगर दीपावली में पटाखों से प्रदूषण होता तो क्रिसमस के दिन और नए अंग्रेजी वर्ष के दिन 1 जनवरी को पूरी दुनिया जाहर प्रदूषण और गंदगी से भर जाती जबकि ऐसा कुछ नहीं होता है अगर सचमुच ही प्रदूषण कम करना है तो एक दिन दिल्ली सहित पूरे भारत में सभी दो पहिया चार पहिया 10 पहिया वाहन हवाई जहाज और ट्रेनें तथा रॉकेट पूरी तरह बंद करके हवा का स्तर जांच लिया जाए और अगर 1 सप्ताह के लिए इन सभी के साथ प्लास्टिक कूड़ा कचरा और बूचड़खाने में पशुओं की हत्या और औद्योगिक कल कारखाने और जहर मिले रसायनों का प्रयोग 1 सप्ताह के लिए बंद कर दिया जाए तो पूरा भारत बिल्कुल स्वच्छ और ताजी हवा से भर जाएगा और वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से 500 के भीषण स्तर पर जो इस समय चल रहा है वह तुरंत घटकर 40 से 80 के बीच आ जाएगा और अगर हर शहर में 33% हरियाली और गांव में 50% हरियाली और वृक्ष लगा दिए जाएं तो वायु गुणवत्ता सूचकांक तुरंत 25 से लेकर 50 के बीच आ जाएगी लेकिन सबसे बड़ा दुख आश्चर्य और क्रोध की बात यही है कि व्यर्थ में ही मीडिया और टेलीविजन चैनलों पर हमारे राजनेता बुद्धिजीवी अधिकारी गण और सभी तंत्रों से जुड़े अधिकारी भाषण देकर वाहवाही लूटते हैं भारत में एक नियम बना दिया जाए कि 1 किलोमीटर तक के क्षेत्र में लोग अपने काम के क्षेत्रों में पैदल और 5 किलोमीटर तक साइकिल से चलेंगे फिर देखो हवा कैसे साफ-सुथरी ताजी और पर्यावरण शुद्ध हो जाता है और साथ ही साथ सबको अनिवार्य नियम बनाया जाए कि जो भी घर या गांव में कहीं भी नया आवास बनाता है उसमें कम से कम 10% स्थान पेड़ पौधों और घास के लिए सुरक्षित रखें तभी उनको मान्यता दिया जाए*
*लेकिन ऐसा कुछ नहीं होगा लोग कंक्रीट और सीमेंट के जंगल बढ़ाते जा रहे हैं और प्राकृतिक पेड़ पौधे जड़ी बूटियों औषधीय वृक्षों पीपल बरगद वृक्ष नीम और जामुन आम के पौधों को काटते जा रहे हैं सरकारी नियंत्रण केवल दिखावा है थाने पर पैसा दो वन विभाग को पैसा दो चाहे जो करो यही सब तो देश और दुनिया में हो रहा है अभी तो अमेज़न और कांगो बेसिन के दुनिया के सबसे बड़े-बड़े जंगलों को जिस रफ्तार से काटा जा रहा है उससे जहरीली हवा और भयंकर प्रदूषण सारे संसार में फैल जाएगा और तब हर प्रयास विफल हो जाएगा लोग 10 कदम चलने के लिए भी दोपहिया और चार पहिया वाहन निकाल लेते हैं ज्यादातर ऐसे ही लोगों को बड़े-बड़े मंचों पर प्रदूषण पर्यावरण और हवा की गुणवत्ता अच्छी करने इत्यादि पर मंचासीन किया जाता है जो सबसे बड़े प्रदूषण के कारण खुद होते हैंफिर भी राष्ट्रीय समाचार पत्र और सबसे लोकप्रिय प्रामाणिक हिंदुस्तान और उसके जौनपुर के विख्यात और वरिष्ठ तथा लोकप्रिय संवाददाता मारकंडेय मिश्रा को बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई कि उन्होंने कम से कम सब को जागरुक करने का प्रयास तो किया डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञान ज्योतिश शिरोमणि और निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर*
[11/2, 9:51 AM] Dileep Singh Rajput Jounpur: [11/1, 16:00] Dr. Dileep Singh: *बढ़ते हुए प्रदूषण और जहरीली हवा से चारों तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है जौनपुर जनपद में भी 300 से लेकर 345 ए क्यू आई अर्थात वायु गुणवत्ता सूचकांक पहुंच गया है जो रिजवी खान सराय अटाला और साजिदा डिग्री कॉलेज के आसपास सर्वाधिक है जहां 345 ए क्यू आई दर्ज किया गया जिस का कारण वसा समाप्त हो जाने के कारण कल कारखानों से निकली हुई धूल गर्द और कल कारखानों वाहन हवाई जहाज और राकेट प्रक्षेपण कूड़ा कचरा और प्लास्टिक के कारणों से निकलने वाले अत्यंत महीन धूल के कण और धातु के करण वातावरण को बेहद जहरीला बनाकर पर्यावरण और प्रकृति को अत्यंत घातक बना दे रहे हैं वैसे भी अक्टूबर और नवंबर में हर वर्ष वर्षा समाप्त हो जाने के बाद चारों तरफ उड़ती हुई धूल गर्द और धातु के सूक्ष्म कण भयंकर प्रदूषण पैदा करते हैं जब ठंड बढ़ेगी और वातावरण में कोहरा और पाला पड़ेगा तब यह कम होगा और 200 से नीचे आ जाएगा तमाम बड़े महानगरों में तो एक क्यूआई का स्तर 600 से भी ऊपर जा चुका है यद्यपि जौनपुर में ऐसी स्थिति में नहीं है कि ए क्यू आई 400 को पार करें लेकिन अगर यही स्थिति रही तो यहां भी भयंकर स्थिति पैदा हो जाएगी 0 से 50 वायु गुणवत्ता सूचकांक अब शहरों के लिए दुर्लभ हो गया है जो सर्वोत्तम होता है 50 से 100 अच्छा माना जाता है और 100 से ऊपर जाने पर ही जहर घोलने लगता है और 200 ऊपर जाने पर तो यह खतरनाक हो जाता है जब तक वर्षा होती है तब तक वर्षा का स्वच्छ और हल्का अम्लीय जल्द इस प्रदूषण को समाप्त करता रहता है इसीलिए वर्षा काल में जौनपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 40 से लेकर 90 के बीच काफी दिनों तक स्थित था इधर 29 नवंबर के बाद यह बहुत तेजी से बढ़ा है और अब या 300 को पार कर गया है इसमें थोड़ा बहुत हाथ दीपावली पर हुए पटाखों और आतिशबाजी का भी है दूसरा सबसे बड़ा कारण पौधों और हरियाली का समाप्त हो जाना है क्योंकि पेड़ पौधों घास और हरी वनस्पतियों में जहरीली हवा और धूल गर्दा तथा जहर भरे तत्वों को अवशोषित करने का बहुत बड़ा गुण होता है 31 अक्टूबर से 10 नवंबर तक या प्रदूषण चरम पर रहेगा15 नवंबर के बाद ठंड बढ़ने और हल्की वर्षा होने पर यह प्रदूषण कम होकर 200 से नीचे आ जाएगा यह भयंकर प्रदूषण जहरीली हवा तथा पर्यावरण में हो रहा विशाल परिवर्तन अनेक भयंकर रोगों को जन्म देता है डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक*
[11/1, 16:35] Dr. Dileep Singh: *पीएम 10कणों को रेस्पिरेबल पार्टिकुलेट मैटर कहां जाता है यह धातु धूल और दर्द से भरे हुए कांड होते हैं जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर होता है और इनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर होता है*
[11/1, 17:21] Dr. Dileep Singh: *PM 10पीएम2.5 कण जब 60और 100होते है तब यह खतरनाक नहीं होते जब हवा में इनकी मात्रा 600पार कर जाती हैं तब यह बहुत खतरनाक हो जाता है और सांस लेने पर यह गर्दा धूल के छोटे कण सीशा और धातु सांस के साथ थे घरों में घुस जाते हैं और बहुत भयंकर हानि पहुंचाते हैं बच्चों और वृद्धों पर इसका असर सबसे अधिक होता है इससे बचने के लिए बाहर कम से कम निकलना मास्क लगाना और वातावरण में पानी का भारी मात्रा में छिड़काव करना अति आवश्यक हो जाता है*
[11/1, 17:24] Dr. Dileep Singh: *Resiirable Particulated Matter का अर्थ है सांस लेते समय हवा के साथ फेफड़ों में जाने वाला विषैला पदार्थ*
[11/2, 08:27] Dr. Dileep Singh: *क्या है PM 10और PM2.5 और क्यों मौसम उग्र तथा वातावरण जहरीला और प्रदूषण चरम पर पहुंच गया है क्या दीपावली और पराली जलाना ही इसका एकमात्र कारण है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह पर्यावरण विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि*
*प्राचीन काल से आज तक आधे पर से लेकर आधे कार्तिक के बीच प्रदूषण गंदगी और जहरीले वातावरण चरम पर आता है इसीलिए कौर और कार्तिक महीने में पितृपक्ष नवरात्रि विजयादशमी शरद पूर्णिमा दीपावली छठ और कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र महापर्व का इस प्रकार से सृजन किया गया कि वातावरण जहरीला ना हो हवा शुद्ध और स्वच्छ बनी रहे लेकिन आजकल इसका उल्टा हो गया है इसलिए पूरे देश और दुनिया के वातावरण में धूल गर्द और गुबार तथा धातु के महीन कर मिलकर हवा में फैल कर उसे विषैला बना कर सीधे सांस के द्वारा फेफड़ों में जा रहे हैं वैज्ञानिक भाषा को इसे pm10 और पीएम 2.5 कहा जाता है जो इस समय बहुत अधिक बढ़ गया है जब इसकी मात्रा हवा में 60 और 100 रहती है तब हवा शुद्ध और सांस लेने लायक रहती है लेकिन इस समय इनकी मात्रा क्रम से 500 और 700 से अधिक हो चुकी हैइसी बीच आरपीएम 10 और आरपीएम 2 पॉइंट 5 का स्तर घातक बना रहेगा क्योंकि वर्षा ऋतु के एकायक समाप्त हो जाने के कारण संपूर्ण हवा में प्रदूषण गंदगी और शीशा लोहा और अन्य धातु के अत्यंत सूक्ष्म टुकड़े गर्द और धूल एक साथ मिलकर पूरे वातावरण में फैल गई है और यार तब तक चलती रहेगी जब तक की वर्षा नहीं होगी और तेज हवा नहीं चलेगी या फिर ठंड बहुत अधिक नहीं बढ़ेगी इसलिए फिलहाल 15 नवंबर तक ऐसी स्थिति रहने की आशा है जौनपुर आजमगढ़ प्रतापगढ़ और आसपास के नगरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक एक यूआई इस दौरान 250 से लेकर 350 के बीच अधिकतम रहेगा जबकि इसी दौरान कानपुर दिल्ली नोएडा गाजियाबाद जैसे शहरों में या 500 से लेकर 700 के बीच रहेगा जो अत्यंत ही घातक हैं*
*यह आज से नहीं बहुत प्राचीन काल से होता आया है वर्षा का जल पूरी दुनिया में बर्फ के जल के समान सबसे शुद्ध होता है इसलिए थोड़ा सा अम्लीय सभावाला वर्षा हर प्रकार के प्रदूषण गंदगी और हवा में खुले जहर और प्रदूषण को साफ कर देता है क्वार महीने के बाद वर्षा रुक जाती हैं तब यह स्थिति कार्तिक महीने तक जारी रहती है अंग्रेजी भाषा में यह अक्टूबर महीने में और नवंबर के कुछ दिनों तक जारी रहती हैं वर्षा रुकते ही तमाम धूल के कण अशुद्धियां धातु केकड़ शुष्क मौसम के कारण ऊपर उड़ने लगते हैं और नाक के जरिए सीधे फेफड़ों में जाते हैं और आजकल तो इतने अधिक पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहन हवाई जहाज रॉकेट रेलगाड़ियां जलयान चल रहे हैं कि सब के विषय में धुए वातावरण में घुल मिल रहे हैं और इसमें और भी अधिक भयंकर योगदान कल कारखानों से निकला धुआं उन से निकला अत्यंत जहरीला रासायनिक पदार्थ इलेक्ट्रॉनिक कचरा और बूचड़खाना से उत्पन्न प्रदूषण और सड़ा हुआ खून हड्डी मज्ज़ा प्लास्टिक और पॉलिथीन का बढ़ता हुआ उपयोग मोबाइल फ्रीज टीवी एसी ओवन इतिहास आधुनिक सुख सुविधाओं से निकलने वाली भयानक और जहरीली फास्फीन जैसी गैसे इसको और भी अधिक भयंकर बना देती हैं*
*कभी आपने ध्यान दिया है कि आखिर क्यों वर्षा होने के बाद हवा अचानक ही शुद्धता जी लगने लगती है और ऐसा लगता है कि शरीर में पूरी तरह से उर्जा भर गए हैं और शरीर ताजगी से भर गया है इसका कारण यही होता है कि पूरी दुनिया में वर्षा का जल सबसे शुद्ध माना जाता है जिसमें हल्का सा अम्लीय तत्व विद्यमान रहता है जो वातावरण में फैले हुए हर प्रकार के जहर विषाणु जीवाणु और रोगाणु को मारने में तथा जहर को दो देने में सक्षम होता है इसीलिए वर्षा होने के बाद अचानक ही पूरा वातावरण बिल्कुल शुद्ध हो जाता है और उसमें भूले हुए पीएम 10 और पीएम 2.5 पूरी तरह से बह जाते हैं इसलिए वर्षा का जल किसी बैटरी में डाले तो वह कभी खराब नहीं होता है और उसको लगातार एक महीने पीने पर पेट के अंदर के सारे कीटाणु रोगाणु मर जाते हैं और शरीर स्वस्थ हो जाता है यही वजह है कि वर्षा काल की हवा पूरी तरह प्रदूषण मुक्त रहती है और उसका व्हाई गुणवत्ता सूचकांक इस समय 30 से लेकर 70 के बीच रहता है प्राचीन काल में हर मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 10 से लेकर 30 के बीच रहता था आज भी वर्षा काल में गुणवत्ता सूचकांक 30 से लेकर 90 के बीच ही रहता है बशर्ते वर्षा होती रहे वर्षा पीते ही सूखा मौसम अचानक आता है और तभी वायु प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ जाता है इस समय घर के अंदर ही अधिक रहें बाहर निकले तो मास्क लगा ले गंदी और धूल भरी जगह में ज्यादा ना निकले कोरोना वाला मास्क आपको इस समय काम आ सकता है और हो सके तो पानी का अधिक से अधिक छिड़काव पेड़ पौधों और जमीन पर करें*
*आरपीएम दो प्रकार के होते हैं आरपीएम 10 आपीएम 2.5 इनका व्यास 10 माइक्रोमीटर से लेकर 2.5 माइक्रोमीटर होता है धूल के कणों से भी 10 गुना छोटे होते हैं इसको आप इस तरह समझ सकते हैं कि मोबाइल कवर के अंदर और घड़ी के अंदर जो हल्की धूल और गर्दन जमा होती है वही कण pm10 और पीएम 2.5 के नाम से विख्यात हैं यह फेफड़ों में घुसकर श्वास नलिका ओं को छिन्न-भिन्न कर देते हैं और सांस लेने में परेशानी होती रहती है इसके अलावा यह धीरे-धीरे रक्त में भी भूल जाते हैं*
*भारत में प्राचीन काल में इसीलिए पितृपक्ष उसके बाद परम पवित्र नवरात्रि पर दशहरा और पूर्णिमा का पर्व और फिर दीपावली और अनेक पर्व तथा छठ और शरद पूर्णिमा का महापर्व मनाया जाता था इसके नियम ध्यान से देखें तो यह सभी 2 महीने पहले वाली इस गर्दधातु और धूल के कणों को मिटा देने के लिए किया जाता था ऐसा खानपान रखा जाता था इतनी सफाई शुद्धता होती थी कि अपने आप सारी सफाई हो जाती थी और हवा ताजी स्वच्छ शुद्ध बनी रहती थी जो बचा कुचा प्रदूषण गंदगी और विषैले तत्व तथा 8:00 पीएम 10 और 2 पॉइंट 5 होते थे वह सभी सरसों और अन्य तेल के दीपक तथा घी के दीपक से निकलने वाले धुएं और उसके वास्तव में मिलकर चिपक जाते थे और धरती पर गिर जाते थे अब लोग बम पटाखा आतिशबाजी कर के वातावरण विषैला बना रहे हैं तो उसमें किसका दोष है लेकिन सबसे बड़ा जहर और प्रदूषण तथा गंदगी फैलने का कारण लगातार पेड़ पौधों का कटना और हरियाली का घटना है जहां पहले शहरों में 90% हरियाली रहती थी वहां अब जौनपुर जैसे शहर में 1% भी हरियाली नहीं है बल्कि जौनपुर शहर में तो ऐसा एक पेड़ भी नहीं है जिसके छाया के तले आप विश्राम कर सके दूसरा सबसे बड़ा कारण औद्योगिक क्रांति है उद्योग धंधे कल कारखाने हर घर में प्रयुक्त किए जा रहे हैं बिजली से भोजन बनाने वाला ओवन एसी फ्रिज वाशिंग मशीन सब के सब वातावरण असंतुलित करके भयंकर जहरीले उत्पन्न करते हैं इतनी अधिक मात्रा में 2 पहिया चार पहिया और अन्य वाहन चल रहे हैं कि वह पूरे वातावरण को जहर से भर रहे हैं ऊपर से रेलगाड़ी हवाई जहाज जलयान परमाणु पनडुब्बी और दुनिया भर में लगातार हो रही लड़ाई में प्रयुक्त बम मिसाइल और अन्य डर्टी बम इत्यादि है जिस पर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है इसलिए प्रदूषण बढ़ता जा रहा है अगर वातावरण में हरियाली अधिक होती है तो वह जमीन का जहर और गंदगी तथा प्रदूषण खींचती है जबकि बड़े-बड़े पेड़ ऊपर से गिरने वाले प्रदूषण को सोख लेते हैं इन सब पर तथाकथित बड़े वैज्ञानिक और पर्यावरण से संबंधित लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है केवल दिवाली और पराली पर दोष देने से कुछ होने वाला भी नहीं है*
*अगर दीपावली ही प्रदूषण का कारण होता तो क्रिसमस और नए अंग्रेजी वर्ष पर तो पूरी दुनिया में इतना अधिक बम पटाखे और आतिशबाजी होती है कि वातावरण में वायु गुणवत्ता सूचकांक एकयूआई 500 से 1000 के बीच होना चाहिए क्योंकि दीपावली तो भारत के एक देश में मनाई जाती है और दो दर्जन देशों में थोड़ी मात्रा में लेकिन क्रिसमस और नया अंग्रेजी वस्तु पूरी दुनिया में मनाया जाते हैं इसलिए दीपावली के बहाने प्रदूषण पैदा करने वाले मीडिया और वैज्ञानिक तथा पर्यावरण से जुड़े लोग पूरी तरह सफेद झूठ बोलते हैं इसलिए आप सभी लोग अधिक से अधिक पेड़ लगाएं हरियाली पैदा करें बम पटाखों से दूर रहें कम से कम वाहन का प्रयोग करें 1 किलोमीटर तक जाने वाले पैदल चलें और 1 से 10 किलोमीटर जाने वाले सभी राजनेता मंत्री प्रधानमंत्री अधिकारी और सामान्य जनता के लोग साइकिल से यात्रा करें प्रदूषण अपने आप 50% घट जाएगा वरना इसी तरह से शोरगुल मचाते रहे जिस तरह दहेज पर शोरगुल मचाया गया और घर-घर में दहेज प्रथा हो गई महिला उत्थान और महिलाओं की आजादी पर ध्यान केंद्रित किया गया चारों ओर स्वच्छंदता फैल गई और घर-घर में तलाक होने लगे उसी तरह इस प्रकार का नारा देने से कुछ नहीं होने वाला है*
*सारांश में यही है कि दीपावली और पराली जलाना किसी भी प्रकार के भयानक प्रदूषण का कारण नहीं है हां इतना अवश्य है कि खतरनाक बम और पटाखे की जगह हम अगर हल्के आतिशबाजी करे तो थोड़ा राहत मिल सकती है इसके लिए सरकार नियम बना दें कि महीने में 15 दिन देशभर में कोई वाहन नहीं चलेंगे जहाज और भारी वाहनों का चलना बंद रहेगा 1 किलोमीटर तक चपरासी से प्रधानमंत्री को पैदल चलना और 1 से 10 किलोमीटर तक साइकिल से चलना अनिवार्य कर दिया जाए हर एक घर में एक पेड़ लगाना अनिवार्य किया जाए और कॉलोनी सरकारी जगह और खाली पड़े स्थानों में पेड़ पौधे और घास लगाया जाए और यह बहुत आसान भी हैं जितनी सड़क हैं जितने रेल के लाइनें हैं नदियों के जितने किनारे हैं उसर और बंजर हैं उतना ही पेड़ पौधे लगा देने पर देश में प्रदूषण की मात्रा 90% घट जाएगी केवल कागज पर नारा देकर पैसा कमाना और ढिंढोरा पीटना आने वाले समय में भयानक प्रदूषण हवा में जहर और पर्यावरण को भयंकर नुकसान पहुंचा कर रहेगा डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर। 9415623583*
[11/2, 9:52 AM] Dileep Singh Rajput Jounpur: [11/1, 16:00] Dr. Dileep Singh: *बढ़ते हुए प्रदूषण और जहरीली हवा से चारों तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है जौनपुर जनपद में भी 300 से लेकर 345 ए क्यू आई अर्थात वायु गुणवत्ता सूचकांक पहुंच गया है जो रिजवी खान सराय अटाला और साजिदा डिग्री कॉलेज के आसपास सर्वाधिक है जहां 345 ए क्यू आई दर्ज किया गया जिस का कारण वसा समाप्त हो जाने के कारण कल कारखानों से निकली हुई धूल गर्द और कल कारखानों वाहन हवाई जहाज और राकेट प्रक्षेपण कूड़ा कचरा और प्लास्टिक के कारणों से निकलने वाले अत्यंत महीन धूल के कण और धातु के करण वातावरण को बेहद जहरीला बनाकर पर्यावरण और प्रकृति को अत्यंत घातक बना दे रहे हैं वैसे भी अक्टूबर और नवंबर में हर वर्ष वर्षा समाप्त हो जाने के बाद चारों तरफ उड़ती हुई धूल गर्द और धातु के सूक्ष्म कण भयंकर प्रदूषण पैदा करते हैं जब ठंड बढ़ेगी और वातावरण में कोहरा और पाला पड़ेगा तब यह कम होगा और 200 से नीचे आ जाएगा तमाम बड़े महानगरों में तो एक क्यूआई का स्तर 600 से भी ऊपर जा चुका है यद्यपि जौनपुर में ऐसी स्थिति में नहीं है कि ए क्यू आई 400 को पार करें लेकिन अगर यही स्थिति रही तो यहां भी भयंकर स्थिति पैदा हो जाएगी 0 से 50 वायु गुणवत्ता सूचकांक अब शहरों के लिए दुर्लभ हो गया है जो सर्वोत्तम होता है 50 से 100 अच्छा माना जाता है और 100 से ऊपर जाने पर ही जहर घोलने लगता है और 200 ऊपर जाने पर तो यह खतरनाक हो जाता है जब तक वर्षा होती है तब तक वर्षा का स्वच्छ और हल्का अम्लीय जल्द इस प्रदूषण को समाप्त करता रहता है इसीलिए वर्षा काल में जौनपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 40 से लेकर 90 के बीच काफी दिनों तक स्थित था इधर 29 नवंबर के बाद यह बहुत तेजी से बढ़ा है और अब या 300 को पार कर गया है इसमें थोड़ा बहुत हाथ दीपावली पर हुए पटाखों और आतिशबाजी का भी है दूसरा सबसे बड़ा कारण पौधों और हरियाली का समाप्त हो जाना है क्योंकि पेड़ पौधों घास और हरी वनस्पतियों में जहरीली हवा और धूल गर्दा तथा जहर भरे तत्वों को अवशोषित करने का बहुत बड़ा गुण होता है 31 अक्टूबर से 10 नवंबर तक या प्रदूषण चरम पर रहेगा15 नवंबर के बाद ठंड बढ़ने और हल्की वर्षा होने पर यह प्रदूषण कम होकर 200 से नीचे आ जाएगा यह भयंकर प्रदूषण जहरीली हवा तथा पर्यावरण में हो रहा विशाल परिवर्तन अनेक भयंकर रोगों को जन्म देता है डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक*
[11/1, 16:35] Dr. Dileep Singh: *पीएम 10कणों को रेस्पिरेबल पार्टिकुलेट मैटर कहां जाता है यह धातु धूल और दर्द से भरे हुए कांड होते हैं जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर होता है और इनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर होता है*
[11/1, 17:21] Dr. Dileep Singh: *PM 10पीएम2.5 कण जब 60और 100होते है तब यह खतरनाक नहीं होते जब हवा में इनकी मात्रा 600पार कर जाती हैं तब यह बहुत खतरनाक हो जाता है और सांस लेने पर यह गर्दा धूल के छोटे कण सीशा और धातु सांस के साथ थे घरों में घुस जाते हैं और बहुत भयंकर हानि पहुंचाते हैं बच्चों और वृद्धों पर इसका असर सबसे अधिक होता है इससे बचने के लिए बाहर कम से कम निकलना मास्क लगाना और वातावरण में पानी का भारी मात्रा में छिड़काव करना अति आवश्यक हो जाता है*
[11/1, 17:24] Dr. Dileep Singh: *Resiirable Particulated Matter का अर्थ है सांस लेते समय हवा के साथ फेफड़ों में जाने वाला विषैला पदार्थ*
[11/2, 08:27] Dr. Dileep Singh: *क्या है PM 10और PM2.5 और क्यों मौसम उग्र तथा वातावरण जहरीला और प्रदूषण चरम पर पहुंच गया है क्या दीपावली और पराली जलाना ही इसका एकमात्र कारण है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह पर्यावरण विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि*
*प्राचीन काल से आज तक आधे पर से लेकर आधे कार्तिक के बीच प्रदूषण गंदगी और जहरीले वातावरण चरम पर आता है इसीलिए कौर और कार्तिक महीने में पितृपक्ष नवरात्रि विजयादशमी शरद पूर्णिमा दीपावली छठ और कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र महापर्व का इस प्रकार से सृजन किया गया कि वातावरण जहरीला ना हो हवा शुद्ध और स्वच्छ बनी रहे लेकिन आजकल इसका उल्टा हो गया है इसलिए पूरे देश और दुनिया के वातावरण में धूल गर्द और गुबार तथा धातु के महीन कर मिलकर हवा में फैल कर उसे विषैला बना कर सीधे सांस के द्वारा फेफड़ों में जा रहे हैं वैज्ञानिक भाषा को इसे pm10 और पीएम 2.5 कहा जाता है जो इस समय बहुत अधिक बढ़ गया है जब इसकी मात्रा हवा में 60 और 100 रहती है तब हवा शुद्ध और सांस लेने लायक रहती है लेकिन इस समय इनकी मात्रा क्रम से 500 और 700 से अधिक हो चुकी हैइसी बीच आरपीएम 10 और आरपीएम 2 पॉइंट 5 का स्तर घातक बना रहेगा क्योंकि वर्षा ऋतु के एकायक समाप्त हो जाने के कारण संपूर्ण हवा में प्रदूषण गंदगी और शीशा लोहा और अन्य धातु के अत्यंत सूक्ष्म टुकड़े गर्द और धूल एक साथ मिलकर पूरे वातावरण में फैल गई है और यार तब तक चलती रहेगी जब तक की वर्षा नहीं होगी और तेज हवा नहीं चलेगी या फिर ठंड बहुत अधिक नहीं बढ़ेगी इसलिए फिलहाल 15 नवंबर तक ऐसी स्थिति रहने की आशा है जौनपुर आजमगढ़ प्रतापगढ़ और आसपास के नगरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक एक यूआई इस दौरान 250 से लेकर 350 के बीच अधिकतम रहेगा जबकि इसी दौरान कानपुर दिल्ली नोएडा गाजियाबाद जैसे शहरों में या 500 से लेकर 700 के बीच रहेगा जो अत्यंत ही घातक हैं*
*यह आज से नहीं बहुत प्राचीन काल से होता आया है वर्षा का जल पूरी दुनिया में बर्फ के जल के समान सबसे शुद्ध होता है इसलिए थोड़ा सा अम्लीय सभावाला वर्षा हर प्रकार के प्रदूषण गंदगी और हवा में खुले जहर और प्रदूषण को साफ कर देता है क्वार महीने के बाद वर्षा रुक जाती हैं तब यह स्थिति कार्तिक महीने तक जारी रहती है अंग्रेजी भाषा में यह अक्टूबर महीने में और नवंबर के कुछ दिनों तक जारी रहती हैं वर्षा रुकते ही तमाम धूल के कण अशुद्धियां धातु केकड़ शुष्क मौसम के कारण ऊपर उड़ने लगते हैं और नाक के जरिए सीधे फेफड़ों में जाते हैं और आजकल तो इतने अधिक पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहन हवाई जहाज रॉकेट रेलगाड़ियां जलयान चल रहे हैं कि सब के विषय में धुए वातावरण में घुल मिल रहे हैं और इसमें और भी अधिक भयंकर योगदान कल कारखानों से निकला धुआं उन से निकला अत्यंत जहरीला रासायनिक पदार्थ इलेक्ट्रॉनिक कचरा और बूचड़खाना से उत्पन्न प्रदूषण और सड़ा हुआ खून हड्डी मज्ज़ा प्लास्टिक और पॉलिथीन का बढ़ता हुआ उपयोग मोबाइल फ्रीज टीवी एसी ओवन इतिहास आधुनिक सुख सुविधाओं से निकलने वाली भयानक और जहरीली फास्फीन जैसी गैसे इसको और भी अधिक भयंकर बना देती हैं*
*कभी आपने ध्यान दिया है कि आखिर क्यों वर्षा होने के बाद हवा अचानक ही शुद्धता जी लगने लगती है और ऐसा लगता है कि शरीर में पूरी तरह से उर्जा भर गए हैं और शरीर ताजगी से भर गया है इसका कारण यही होता है कि पूरी दुनिया में वर्षा का जल सबसे शुद्ध माना जाता है जिसमें हल्का सा अम्लीय तत्व विद्यमान रहता है जो वातावरण में फैले हुए हर प्रकार के जहर विषाणु जीवाणु और रोगाणु को मारने में तथा जहर को दो देने में सक्षम होता है इसीलिए वर्षा होने के बाद अचानक ही पूरा वातावरण बिल्कुल शुद्ध हो जाता है और उसमें भूले हुए पीएम 10 और पीएम 2.5 पूरी तरह से बह जाते हैं इसलिए वर्षा का जल किसी बैटरी में डाले तो वह कभी खराब नहीं होता है और उसको लगातार एक महीने पीने पर पेट के अंदर के सारे कीटाणु रोगाणु मर जाते हैं और शरीर स्वस्थ हो जाता है यही वजह है कि वर्षा काल की हवा पूरी तरह प्रदूषण मुक्त रहती है और उसका व्हाई गुणवत्ता सूचकांक इस समय 30 से लेकर 70 के बीच रहता है प्राचीन काल में हर मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 10 से लेकर 30 के बीच रहता था आज भी वर्षा काल में गुणवत्ता सूचकांक 30 से लेकर 90 के बीच ही रहता है बशर्ते वर्षा होती रहे वर्षा पीते ही सूखा मौसम अचानक आता है और तभी वायु प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ जाता है इस समय घर के अंदर ही अधिक रहें बाहर निकले तो मास्क लगा ले गंदी और धूल भरी जगह में ज्यादा ना निकले कोरोना वाला मास्क आपको इस समय काम आ सकता है और हो सके तो पानी का अधिक से अधिक छिड़काव पेड़ पौधों और जमीन पर करें*
*आरपीएम दो प्रकार के होते हैं आरपीएम 10 आपीएम 2.5 इनका व्यास 10 माइक्रोमीटर से लेकर 2.5 माइक्रोमीटर होता है धूल के कणों से भी 10 गुना छोटे होते हैं इसको आप इस तरह समझ सकते हैं कि मोबाइल कवर के अंदर और घड़ी के अंदर जो हल्की धूल और गर्दन जमा होती है वही कण pm10 और पीएम 2.5 के नाम से विख्यात हैं यह फेफड़ों में घुसकर श्वास नलिका ओं को छिन्न-भिन्न कर देते हैं और सांस लेने में परेशानी होती रहती है इसके अलावा यह धीरे-धीरे रक्त में भी भूल जाते हैं*
*भारत में प्राचीन काल में इसीलिए पितृपक्ष उसके बाद परम पवित्र नवरात्रि पर दशहरा और पूर्णिमा का पर्व और फिर दीपावली और अनेक पर्व तथा छठ और शरद पूर्णिमा का महापर्व मनाया जाता था इसके नियम ध्यान से देखें तो यह सभी 2 महीने पहले वाली इस गर्दधातु और धूल के कणों को मिटा देने के लिए किया जाता था ऐसा खानपान रखा जाता था इतनी सफाई शुद्धता होती थी कि अपने आप सारी सफाई हो जाती थी और हवा ताजी स्वच्छ शुद्ध बनी रहती थी जो बचा कुचा प्रदूषण गंदगी और विषैले तत्व तथा 8:00 पीएम 10 और 2 पॉइंट 5 होते थे वह सभी सरसों और अन्य तेल के दीपक तथा घी के दीपक से निकलने वाले धुएं और उसके वास्तव में मिलकर चिपक जाते थे और धरती पर गिर जाते थे अब लोग बम पटाखा आतिशबाजी कर के वातावरण विषैला बना रहे हैं तो उसमें किसका दोष है लेकिन सबसे बड़ा जहर और प्रदूषण तथा गंदगी फैलने का कारण लगातार पेड़ पौधों का कटना और हरियाली का घटना है जहां पहले शहरों में 90% हरियाली रहती थी वहां अब जौनपुर जैसे शहर में 1% भी हरियाली नहीं है बल्कि जौनपुर शहर में तो ऐसा एक पेड़ भी नहीं है जिसके छाया के तले आप विश्राम कर सके दूसरा सबसे बड़ा कारण औद्योगिक क्रांति है उद्योग धंधे कल कारखाने हर घर में प्रयुक्त किए जा रहे हैं बिजली से भोजन बनाने वाला ओवन एसी फ्रिज वाशिंग मशीन सब के सब वातावरण असंतुलित करके भयंकर जहरीले उत्पन्न करते हैं इतनी अधिक मात्रा में 2 पहिया चार पहिया और अन्य वाहन चल रहे हैं कि वह पूरे वातावरण को जहर से भर रहे हैं ऊपर से रेलगाड़ी हवाई जहाज जलयान परमाणु पनडुब्बी और दुनिया भर में लगातार हो रही लड़ाई में प्रयुक्त बम मिसाइल और अन्य डर्टी बम इत्यादि है जिस पर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है इसलिए प्रदूषण बढ़ता जा रहा है अगर वातावरण में हरियाली अधिक होती है तो वह जमीन का जहर और गंदगी तथा प्रदूषण खींचती है जबकि बड़े-बड़े पेड़ ऊपर से गिरने वाले प्रदूषण को सोख लेते हैं इन सब पर तथाकथित बड़े वैज्ञानिक और पर्यावरण से संबंधित लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है केवल दिवाली और पराली पर दोष देने से कुछ होने वाला भी नहीं है*
*अगर दीपावली ही प्रदूषण का कारण होता तो क्रिसमस और नए अंग्रेजी वर्ष पर तो पूरी दुनिया में इतना अधिक बम पटाखे और आतिशबाजी होती है कि वातावरण में वायु गुणवत्ता सूचकांक एकयूआई 500 से 1000 के बीच होना चाहिए क्योंकि दीपावली तो भारत के एक देश में मनाई जाती है और दो दर्जन देशों में थोड़ी मात्रा में लेकिन क्रिसमस और नया अंग्रेजी वस्तु पूरी दुनिया में मनाया जाते हैं इसलिए दीपावली के बहाने प्रदूषण पैदा करने वाले मीडिया और वैज्ञानिक तथा पर्यावरण से जुड़े लोग पूरी तरह सफेद झूठ बोलते हैं इसलिए आप सभी लोग अधिक से अधिक पेड़ लगाएं हरियाली पैदा करें बम पटाखों से दूर रहें कम से कम वाहन का प्रयोग करें 1 किलोमीटर तक जाने वाले पैदल चलें और 1 से 10 किलोमीटर जाने वाले सभी राजनेता मंत्री प्रधानमंत्री अधिकारी और सामान्य जनता के लोग साइकिल से यात्रा करें प्रदूषण अपने आप 50% घट जाएगा वरना इसी तरह से शोरगुल मचाते रहे जिस तरह दहेज पर शोरगुल मचाया गया और घर-घर में दहेज प्रथा हो गई महिला उत्थान और महिलाओं की आजादी पर ध्यान केंद्रित किया गया चारों ओर स्वच्छंदता फैल गई और घर-घर में तलाक होने लगे उसी तरह इस प्रकार का नारा देने से कुछ नहीं होने वाला है*
*सारांश में यही है कि दीपावली और पराली जलाना किसी भी प्रकार के भयानक प्रदूषण का कारण नहीं है हां इतना अवश्य है कि खतरनाक बम और पटाखे की जगह हम अगर हल्के आतिशबाजी करे तो थोड़ा राहत मिल सकती है इसके लिए सरकार नियम बना दें कि महीने में 15 दिन देशभर में कोई वाहन नहीं चलेंगे जहाज और भारी वाहनों का चलना बंद रहेगा 1 किलोमीटर तक चपरासी से प्रधानमंत्री को पैदल चलना और 1 से 10 किलोमीटर तक साइकिल से चलना अनिवार्य कर दिया जाए हर एक घर में एक पेड़ लगाना अनिवार्य किया जाए और कॉलोनी सरकारी जगह और खाली पड़े स्थानों में पेड़ पौधे और घास लगाया जाए और यह बहुत आसान भी हैं जितनी सड़क हैं जितने रेल के लाइनें हैं नदियों के जितने किनारे हैं उसर और बंजर हैं उतना ही पेड़ पौधे लगा देने पर देश में प्रदूषण की मात्रा 90% घट जाएगी केवल कागज पर नारा देकर पैसा कमाना और ढिंढोरा पीटना आने वाले समय में भयानक प्रदूषण हवा में जहर और पर्यावरण को भयंकर नुकसान पहुंचा कर रहेगा डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर। 9415623583*
और उसमें भूले हुए पीएम 10 और पीएम 2.5 पूरी तरह से बह जाते हैं इसलिए वर्षा का जल किसी बैटरी में डाले तो वह कभी खराब नहीं होता है और उसको लगातार एक महीने पीने पर पेट के अंदर के सारे कीटाणु रोगाणु मर जाते हैं और शरीर स्वस्थ हो जाता है यही वजह है कि वर्षा काल की हवा पूरी तरह प्रदूषण मुक्त रहती है और उसका व्हाई गुणवत्ता सूचकांक इस समय 30 से लेकर 70 के बीच रहता है प्राचीन काल में हर मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 10 से लेकर 30 के बीच रहता था आज भी वर्षा काल में गुणवत्ता सूचकांक 30 से लेकर 90 के बीच ही रहता है बशर्ते वर्षा होती रहे वर्षा पीते ही सूखा मौसम अचानक आता है और तभी वायु प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ जाता है इस समय घर के अंदर ही अधिक रहें बाहर निकले तो मास्क लगा ले गंदी और धूल भरी जगह में ज्यादा ना निकले कोरोना वाला मास्क आपको इस समय काम आ सकता है और हो सके तो पानी का अधिक से अधिक छिड़काव पेड़ पौधों और जमीन पर करें*
*आरपीएम दो प्रकार के होते हैं आरपीएम 10 आपीएम 2.5 इनका व्यास 10 माइक्रोमीटर से लेकर 2.5 माइक्रोमीटर होता है धूल के कणों से भी 10 गुना छोटे होते हैं इसको आप इस तरह समझ सकते हैं कि मोबाइल कवर के अंदर और घड़ी के अंदर जो हल्की धूल और गर्दन जमा होती है वही कण pm10 और पीएम 2.5 के नाम से विख्यात हैं यह फेफड़ों में घुसकर श्वास नलिका ओं को छिन्न-भिन्न कर देते हैं और सांस लेने में परेशानी होती रहती है इसके अलावा यह धीरे-धीरे रक्त में भी भूल जाते हैं*
*भारत में प्राचीन काल में इसीलिए पितृपक्ष उसके बाद परम पवित्र नवरात्रि पर दशहरा और पूर्णिमा का पर्व और फिर दीपावली और अनेक पर्व तथा छठ और शरद पूर्णिमा का महापर्व मनाया जाता था इसके नियम ध्यान से देखें तो यह सभी 2 महीने पहले वाली इस गर्दधातु और धूल के कणों को मिटा देने के लिए किया जाता था ऐसा खानपान रखा जाता था इतनी सफाई शुद्धता होती थी कि अपने आप सारी सफाई हो जाती थी और हवा ताजी स्वच्छ शुद्ध बनी रहती थी जो बचा कुचा प्रदूषण गंदगी और विषैले तत्व तथा 8:00 पीएम 10 और 2 पॉइंट 5 होते थे वह सभी सरसों और अन्य तेल के दीपक तथा घी के दीपक से निकलने वाले धुएं और उसके वास्तव में मिलकर चिपक जाते थे और धरती पर गिर जाते थे अब लोग बम पटाखा आतिशबाजी कर के वातावरण विषैला बना रहे हैं तो उसमें किसका दोष है लेकिन सबसे बड़ा जहर और प्रदूषण तथा गंदगी फैलने का कारण लगातार पेड़ पौधों का कटना और हरियाली का घटना है जहां पहले शहरों में 90% हरियाली रहती थी वहां अब जौनपुर जैसे शहर में 1% भी हरियाली नहीं है बल्कि जौनपुर शहर में तो ऐसा एक पेड़ भी नहीं है जिसके छाया के तले आप विश्राम कर सके दूसरा सबसे बड़ा कारण औद्योगिक क्रांति है उद्योग धंधे कल कारखाने हर घर में प्रयुक्त किए जा रहे हैं बिजली से भोजन बनाने वाला ओवन एसी फ्रिज वाशिंग मशीन सब के सब वातावरण असंतुलित करके भयंकर जहरीले उत्पन्न करते हैं इतनी अधिक मात्रा में 2 पहिया चार पहिया और अन्य वाहन चल रहे हैं कि वह पूरे वातावरण को जहर से भर रहे हैं ऊपर से रेलगाड़ी हवाई जहाज जलयान परमाणु पनडुब्बी और दुनिया भर में लगातार हो रही लड़ाई में प्रयुक्त बम मिसाइल और अन्य डर्टी बम इत्यादि है जिस पर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है इसलिए प्रदूषण बढ़ता जा रहा है अगर वातावरण में हरियाली अधिक होती है तो वह जमीन का जहर और गंदगी तथा प्रदूषण खींचती है जबकि बड़े-बड़े पेड़ ऊपर से गिरने वाले प्रदूषण को सोख लेते हैं इन सब पर तथाकथित बड़े वैज्ञानिक और पर्यावरण से संबंधित लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है केवल दिवाली और पराली पर दोष देने से कुछ होने वाला भी नहीं है*
*अगर दीपावली ही प्रदूषण का कारण होता तो क्रिसमस और नए अंग्रेजी वर्ष पर तो पूरी दुनिया में इतना अधिक बम पटाखे और आतिशबाजी होती है कि वातावरण में वायु गुणवत्ता सूचकांक एकयूआई 500 से 1000 के बीच होना चाहिए क्योंकि दीपावली तो भारत के एक देश में मनाई जाती है और दो दर्जन देशों में थोड़ी मात्रा में लेकिन क्रिसमस और नया अंग्रेजी वस्तु पूरी दुनिया में मनाया जाते हैं इसलिए दीपावली के बहाने प्रदूषण पैदा करने वाले मीडिया और वैज्ञानिक तथा पर्यावरण से जुड़े लोग पूरी तरह सफेद झूठ बोलते हैं इसलिए आप सभी लोग अधिक से अधिक पेड़ लगाएं हरियाली पैदा करें बम पटाखों से दूर रहें कम से कम वाहन का प्रयोग करें 1 किलोमीटर तक जाने वाले पैदल चलें और 1 से 10 किलोमीटर जाने वाले सभी राजनेता मंत्री प्रधानमंत्री अधिकारी और सामान्य जनता के लोग साइकिल से यात्रा करें प्रदूषण अपने आप 50% घट जाएगा वरना इसी तरह से शोरगुल मचाते रहे जिस तरह दहेज पर शोरगुल मचाया गया और घर-घर में दहेज प्रथा हो गई महिला उत्थान और महिलाओं की आजादी पर ध्यान केंद्रित किया गया चारों ओर स्वच्छंदता फैल गई और घर-घर में तलाक होने लगे उसी तरह इस प्रकार का नारा देने से कुछ नहीं होने वाला है*
*सारांश में यही है कि दीपावली और पराली जलाना किसी भी प्रकार के भयानक प्रदूषण का कारण नहीं है हां इतना अवश्य है कि खतरनाक बम और पटाखे की जगह हम अगर हल्के आतिशबाजी करे तो थोड़ा राहत मिल सकती है इसके लिए सरकार नियम बना दें कि महीने में 15 दिन देशभर में कोई वाहन नहीं चलेंगे जहाज और भारी वाहनों का चलना बंद रहेगा 1 किलोमीटर तक चपरासी से प्रधानमंत्री को पैदल चलना और 1 से 10 किलोमीटर तक साइकिल से चलना अनिवार्य कर दिया जाए हर एक घर में एक पेड़ लगाना अनिवार्य किया जाए और कॉलोनी सरकारी जगह और खाली पड़े स्थानों में पेड़ पौधे और घास लगाया जाए और यह बहुत आसान भी हैं जितनी सड़क हैं जितने रेल के लाइनें हैं नदियों के जितने किनारे हैं उसर और बंजर हैं उतना ही पेड़ पौधे लगा देने पर देश में प्रदूषण की मात्रा 90% घट जाएगी केवल कागज पर नारा देकर पैसा कमाना और ढिंढोरा पीटना आने वाले समय में भयानक प्रदूषण हवा में जहर और पर्यावरण को भयंकर नुकसान पहुंचा कर रहेगा डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर। 9415623583*
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