Friday, 24 February 2023

लकवा का कारण ,प्रकार व उपचार :lakwa ka Ayurvedic Gharelu ilaj in hindiपक्षाघात या लकवा मारना (Paralysis):

: लकवा का कारण ,प्रकार व उपचार :lakwa ka Ayurvedic Gharelu ilaj in hindi



पक्षाघात या लकवा मारना (Paralysis):



मस्तिष्क की धमनी में किसी रुकावट के कारण उसके जिस भाग को खून नहीं मिल पाता है मस्तिष्क का वह भाग निष्क्रिय हो जाता है अर्थात मस्तिष्क का वह भाग शरीर के जिन अंगों को अपना आदेश नहीं भेज पाता वे अंग हिलडुल नहीं सकते और मस्तिष्क (दिमाग) का बायां भाग शरीर के दाएं अंगों पर तथा मस्तिष्क का दायां भाग शरीर के बाएं अंगों पर नियंत्रण रखता है। यह स्नायुविक रोग है तथा इसका संबध रीढ़ की हड्डी से भी है।



लकवा के प्रकार :lakwa ke prakar (types of paralysis in hindi)

1. निम्नांग का लकवा– इस प्रकार के लकवा रोग में शरीर के नीचे का भाग अर्थात कमर से नीचे का भाग काम करना बंद कर देता है। इस रोग के कारण रोगी के पैर तथा पैरों की उंगुलियां अपना कार्य करना बंद कर देती हैं।

2. अर्द्धाग का लकवा- इस प्रकार के लकवा रोग में शरीर का आधा भाग कार्य करना बंद कर देता है अर्थात शरीर का दायां या बायां भाग कार्य करना बंद कर देता है।

3. एकांग का लकवा- इस प्रकार के लकवा रोग में मनुष्य के शरीर का केवल एक हाथ या एक पैर अपना कार्य करना बंद कर देता है।

4. पूर्णांग का लकवा- इस लकवा रोग के कारण रोगी के दोनों हाथ या दोनों पैर कार्य करना बंद कर देते हैं।

5. मेरूमज्जा-प्रदाहजन्य लकवा- इस लकवा रोग के कारण शरीर का मेरूमज्जा भाग कार्य करना बंद कर देता है। यह रोग अधिक सैक्स क्रिया करके वीर्य को नष्ट करने के कारण होता है।

6. मुखमंडल का लकवा- इस रोग के कारण रोगी के मुंह का एक भाग टेढ़ा हो जाता है जिसके कारण मुंह का एक ओर का कोना नीचे दिखने लगता है और एक तरफ का गाल ढीला हो जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी के मुंह से अपने आप ही थूक गिरता रहता है।

7. जीभ का लकवा- इस रोग से पीड़ित रोगी की जीभ में लकवा मार जाता है और रोगी के मुंह से शब्दों का उच्चारण सही तरह से नहीं निकलता है। रोगी की जीभ अकड़ जाती है और रोगी व्यक्ति को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा रोगी बोलते समय तुतलाने लगता है।

8. स्वरयंत्र का लकवा- इस रोग के कारण रोगी के गले के अन्दर के स्वर यंत्र में लकवा मार जाता है जिसके कारण रोगी व्यक्ति की बोलने की शक्ति नष्ट हो जाती है।

9. सीसाजन्य लकवा- इस रोग से पीड़ित रोगी के मसूढ़ों के किनारे पर एक नीली लकीर पड़ जाती है। रोगी का दाहिना हाथ या फिर दोनों हाथ नीचे की ओर लटक जाते हैं, रोगी की कलाई की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं तथा कलाई टेढ़ी हो जाती हैं और अन्दर की ओर मुड़ जाती हैं। रोगी की बांह और पीठ की मांसपेशियां भी रोगग्रस्त हो जाती हैं।



लकवा रोग का लक्षण-



लकवा रोग से पीड़ित रोगी के शरीर का एक या अनेकों अंग अपना कार्य करना बंद कर देते हैं। इस रोग का प्रभाव अचानक होता है लेकिन लकवा रोग के शरीर में होने की शुरुआत पहले से ही हो जाती है। लकवा रोग से पीड़ित रोगी के बायें अंग में यदि लकवा मार गया हो तो वह बहुत अधिक खतरनाक होता है क्योंकि इसके कारण रोगी के हृदय की गति बंद हो सकती है और उसकी मृत्यु भी हो सकती है। रोगी के जिस अंग में लकवे का प्रभाव है, उस अंग में चूंटी काटने से उसे कुछ महसूस होता है तो उसका यह रोग मामूली से उपचार से ठीक हो सकता है।



लकवा का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार : lakwa (Paralysis) ka Ayurvedic upchar

1.सोंठ : दूध में एक चम्मच सोंठ व थोड़ी-सी दालचीनी डालकर उबालकर छानकर थोड़ा-सा शहद डालकर सेवन करने से लकवा ठीक हो जाता है।



2.धतुरा : तिली के तेल में थोड़ी-सी कालीमिर्च पीसकर या सरसों के तेल में धतूरे का बीज पकाकर लकवा वाले स्थान पर मालिश करने से लकवा(lakwa)ग्रस्त अंग ठीक हो जाता है।



3. प्याज : छुआरा या सफेद प्याज का रस दो-तीन चम्मच रोज पीने से लकवा(lakwa)के रोगी को काफी फायदा होता है।



4.दही : तुलसी के पत्ते, अफीम, नमक व थोड़ा-सा दही आदि का लेप बनाकर अंगों पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद लगाने से लकवा(lakwa)रोग दूर हो जाता है।paralysis in hindi



5. बालछड़ : अजमोद दस-पन्द्रह ग्राम, सौंफ दस-पन्द्रह ग्राम, बबूना पाँच-दस ग्राम, बालछड़ दस-पन्द्रह ग्राम, व नकछिनी तीस ग्राम इन सबको कूट-पीसकर पानी में डालकर काढ़ा बना लें। फिर इसे एक शीशी में भरकर रख लें। इसमें से चार-पाँच चम्मच काढ़ा रोज सुबह के समय सेवन करने से लकवा ठीक हो जाता है।



6.आक : आक के पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर या कबूतर के खून को सरसों के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करने से लकवा(lakwa)ठीक हो जाता है।



7.सोंठ : सोंठ व साबुत उरद दोनों को ३०० ग्राम पानी(water) में उबालकर पानी को छानकर दिन में पाँच-छह बार पीने से लकवा(lakwa)ठीक हो जाता है।



8.लहसुन : लहसुन की चार-पाँच कलियाँ पीसकर मक्खन में मिलाकर सेवन करने से काफी लाभ मिलता है।



9.तुलसी : तुलसी के पत्तों को अच्छी तरह उबालकर उसकी भाप से रोगी के लकवा वाले स्थान की सेंकाई करने से खून का दौरा शुरू हो जाता है।



10.कलौंजी : कलौंजी के तेल(oil) की मालिश लकवा के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है।



11.निर्गुण्डी : लकवा में तिली का तेल, निर्गुण्डी का तेल, अजवायन का तेल, बादाम का तेल, सरसों का तेल व विषगर्भ तेल आदि से मालिश करना चाहिए।



12.सब्जियों में परवल, सहिजन की फली, तरोई, लहसुन, बैंगन, करेला व कुल्थी आदि खाना चाहिए।



13.फलों में आम, कालजा, पपीता, चीकू व अंजीर अदि खाना चाहिए।



14.भोजन में बाजरे की रोटी, गेहूँ की रोटी व दूध का योग करना चाहिए।



15.भोजन में चावल, बर्फ, दही, छाछ, दाल, बेसन, चना व तले हुए पदार्थ बिल्कुल न खाएँ।



16.वीर बहूटी के पांव और सिर निकालकर जो अंग बचें, उसे पान में रखकर कुछ दिन तक लगातार सेवन करने से फालिज रोग दूर होता है।



17.काली मिर्च साठ ग्राम लेकर पीस लें। फिर इसे २५० ग्राम तेल में मिलाकर कुछ देर पकाएँ। इस तेल का पतला – पतला लेप करेन से फालिज दूर होता है। इसे उसी समय ताजा बनाकर गुनगुना लगाया जाता है।



18. जायफल चालीस ग्राम, पीपली चालीस ग्राम, हरताल वर्की बीस ग्राम, सबको कूट पीसकर कपड़छन कर लेंआधा-आधा ग्राम सुबह-शाम शहद में मिलाकर लें। उपर से गर्म दूध पिएं। बादी की चीजों का परहेज रखें।



19.शरीर के जिस अंग पर फालिज गिरी हो, उस पर खजूर का गूदा मलने से फालिज दूर होती है।



20.धतूरे के बीजों को सरसों के तेल में मंदी आंच में पका लें और इसे छानकर लकवा से ग्रसित अंग पर मालिश करें।



21.मक्खन के साथ लहसुन की चार कलियों को पीसकर सेवन करें लकवा ठीक हो जाता है।



22.एक गिलास दूध में थोड़ी सी दालचीनी और एक चम्मच सोंठ को मिलाकर उबाल लें। और नियमित इसका सेवन करें। इससे लकवा में आराम मिलता है।



इसे भी पढ़े :लकवा(पैरालिसिस)को ठीक करेंगे यह 16 अचूक घरेलु उपचार | Ayurvedic Cure for Paralysis



लकवा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

1. लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए सबसे पहले इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए। इसके बाद रोगी का उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से कराना चाहिए।



2. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नींबू पानी का एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को ऐसा इलाज कराना चाहिए जिससे कि उसके शरीर से अधिक से अधिक पसीना निकले।



3. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन भापस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद गर्म गीली चादर से अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग को ढकना चाहिए और फिर कुछ देर के बाद धूप से अपने शरीर की सिंकाई करनी चाहिए।



4. लकवा रोग से पीड़ित रोगी यदि बहुत अधिक कमजोर हो तो रोगी को गर्म चीजों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।



5. रोगी व्यक्ति का रक्तचाप अधिक बढ़ गया हो तो भी रोगी को गर्म चीजों को सेवन नहीं करना चाहिए।



6. लकवा रोग से पीड़ित रोगी की रीढ़ की हड्डी पर गर्म या ठंडी सिंकाई करनी चाहिए तथा कपड़े को पानी में भिगोकर पेट तथा रीढ़ की हड्डी पर रखना चाहिए।



7. लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए उसके पेट पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए तथा उसके बाद रोगी को कटिस्नान कराना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से कुछ ही दिनों में लकवा रोग ठीक हो जाता है।



8. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त पीले रंग की बोतल का ठंडा पानी दिन में कम से कम आधा कप 4-5 बार पीना चाहिए तथा लकवे से प्रभावित अंग पर कुछ देर के लिए लाल रंग का प्रकाश डालना चाहिए और उस पर गर्म या ठंडी सिंकाई करनी चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से रोगी का लकवा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।



9. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को लगभग 10 दिनों तक फलों का रस नींबू का रस, नारियल पानी, सब्जियों के रस या आंवले के रस में शहद मिलाकर पीना चाहिए।



10. लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए अंगूर, नाशपाती तथा सेब के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।



11. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को कुछ सप्ताह तक कम मिर्च मसालेदार भोजन करना चाहिए।



12. लकवा रोग से पीड़ित रोगी का रोग जब तक ठीक न हो जाए तब तक उसे अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए तथा ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए। रोगी को ठंडे स्थान पर रहना चाहिए।



13. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को अपने शरीर पर सूखा घर्षण करना चाहिए और स्नान करने के बाद रोगी को अपने शरीर पर सूखी मालिश करनी चाहिए। मालिश धीरे-धीरे करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।



14. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को अपना उपचार कराते समय अपना मानसिक तनाव दूर कर देना चाहिए तथा शारीरिक रूप से आराम करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को योगनिद्रा का उपयोग करना चाहिए।



15. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से व्यायाम करना चाहिए जिसके फलस्वरूप कई बार दबी हुई नस तथा नाड़ियां व्यायाम करने से उभर आती हैं और वे अंग जो लकवे से प्रभावित होते हैं वे ठीक हो जाते हैं।



जानकारी-



इस प्रकार से लकवा रोग से पीड़ित रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से रोगी का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


लकवा(पैरालिसिस)को ठीक करेंगे यह 16 अचूक घरेलु उपचार | Ayurvedic Cure for Paralysis

पहचान :-

लकवा को पैरालिसिस अटैक या स्ट्रोक भी कहते है जिसकी वजह से व्यक्ति चलने फिरने और लकवा ग्रस्त अंग को महसूस कर पाने की ताकत खो देता है। चेहरे (face) पर lakwa होने से मरीज का मुँह आधा टेढ़ा हो जाता है और बोलने पर मुँह से आवाज नहीं निकलती। जब हमारे शरीर का कोई अंग या फिर पूरे शरीर की मांसपेशियां काम करना बंद कर दे तो उस अवस्था को फालीज, पक्षाघात या फिर लकवा कहते है। अगर (Paralysis)पैरालिसिस अटैक शरीर के एक तरफ के हिस्सा पर हुआ है तो इसे अधरंग कहते है जिसमे शरीर का आधा हिस्सा काम करना बंद कर देता है।

आइये जाने लकवा (पक्षाघात) को दूर करने के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय| Home Remedies for Paralysis in Hindi



उपचार :

पहला प्रयोगः लकवे का अटैक होते ही तुरंत तिल का तेल 50 से 100 ग्राम की मात्रा में थोड़ा-सा गर्म करके पी जायें व साथ में लहसुन खायें। लकवे से प्रभावित अंग एवं सिर पर सेंक करना भी अटैक आते ही आरंभ करें व आठ दिन बाद मालिश करें। इसमें उपवास लाभदायक है।



प्रभावित अंग पर चार दिन के बासी स्वमूत्र की प्रतिलोम गति से मालिश करने से भी लाभ होता है।



दूसरा प्रयोगः पहले दिन लहसुन की पूरी कली पानी के साथ निगलें। फिर रोज 1-1 कली बढ़ाते हुए 21वें दिन 21 कलियाँ निगलें। उसके बाद रोज 1-1 कली घटाते जायें। इस प्रकार करने से लकवा(Lakwa) मिटता है।



तीसरा प्रयोगः हरे लहसुन की पत्तियों सहित पूरी डाली का रस निकालकर उसे पानी में मिलाकर पिलाने से बी.पी. के बढ़ने के कारण हुए लकवे में लाभ होता है।



अनुभूत प्रयोग :

अगर मेरा कोई भाई बहिन पक्षाघात(Lakwa) से पीड़ित है तो कहीं जाने की जरूरत नहीं है। अगर शरीर का कोई अंग या शरीर दायीं तरफ से लकवाग्रस्त है तो उसके लिए व्रहतवातचिंतामणि रस (वैदनाथ फार्मेसी) की ले ले। उसमे छोटी-छोटी गोली (बाजरे के दाने से थोड़ी सी बड़ी) मिलेंगी। उसमे से एक गोली सुबह ओर एक गोली साँय को शुद्ध शहद से लेवें।

अगर कोई भाई बहिन बायीं तरफ से लकवाग्रस्त है उसको वीर-योगेन्द्र रस (वैदनाथ फार्मेसी) की सुबह साँय एक एक गोली शहद के साथ लेनी है।

अब गोली को शहद से कैसे ले………? उसके लिए गोली को एक चम्मच मे रखकर दूसरे चम्मच से पीस ले, उसके बाद उसमे शहद मिलकर चाट लें। ये दवा निरंतर लेते रहना है, जब तक पीड़ित स्वस्थ न हो जाए।

पीड़ित व्यक्ति को मिस्सी रोटी (चने का आटा) और शुद्ध घी (मक्खन नहीं) का प्रयोग प्रचुर मात्र मे करना है। शहद का प्रयोग भी ज्यादा से ज्यादा अच्छा रहेगा।

लाल मिर्च, गुड़-शक्कर, कोई भी अचार, दही, छाछ, कोई भी सिरका, उड़द की दाल पूर्णतया वर्जित है। फल मे सिर्फ चीकू ओर पपीता ही लेना है, अन्य सभी फल वर्जित हैं।

शुरुआती दिनों मे किसी भी मालिस से परहेज रखें। तब तक कोई मालिस न करें जब तक पीड़ित कम से कम 60% तक स्वस्थ न हो जाए।

ये दवा लाखों पीड़ित व्यक्तियों के लिए जीवनदायिनी रही है। जो आज स्वस्थ जीवन जी रहे है।

घरेलु उपाय :

1. 2 चम्मच शहद में 5 कलियाँ लहसुन की पीस कर उसका सेवन करने पर एक से डेढ़ महीने में लकवे में आराम मिलने लगेगा। इसके साथ साथ लहसुन की 5 कालियां दूध में उबाल ले और इसका सेवन करे। इस उपाय से ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहेगा और लकवा प्रभावित अंग में भी जान आने लगेगी।

2. पैरालिसिस के उपचार में मालिश से भी फायदा मिलता है पर किसी भी प्रकार की मालिश को शुरू करने से पहले एक बार डॉक्टर या फिर किसी आयुर्वेदिक वैद की सलाह जरूर ले। कलौंजी के तेल को गुनगुना कर के हलके हाथों से मालिश करे, इसके साथ दिन में 2 से 3 बार एक चम्मच तेल का सेवन भी करे। इस देसी नुस्खे से 30 दिनों में फरक दिखने लगेगा।

3. 50 से 60 ग्राम काली मिर्च को 250 ग्राम तेल में मिला कर कुछ देर तक गैस पर पकाए। अब इस तेल को गुनगुना करके लकवे प्रभावीत अंग पर पतला – पतला लेप लगाये।

4. रोजाना सौंठ और उड़द को उबाल ले और ठंडा होने पर इसका पानी छान कर पिए। हर रोज इस उपाय को करने से लकवे में काफी सुधार होता है।

5. बारीक पीसी हुई अदरक 5 ग्राम और काली उड़द दाल 10 ग्राम की मात्रा में ले और 50 ग्राम सरसों के तेल में 5 से 7 मिनट तक गरम करे और इसमें 2 ग्राम पिसे हुए कपूर का चूरा डाल दे। हर रोज इस तेल के इस्तेमाल से गठिया और लकवे की बीमारी में गजब का फायदा मिलता है। इस तेल से जोडों की मालिश करने पर दर्द ठीक होता है।

6. खजूर का गुदा लक़वे से प्रभावित अंग पर मलने से भी आराम मिलता है

7. दूध में छुहारा भिगो कर खाने से भी लकवे में फायदा मिलता है, ध्यान रहे एक बार में 4 से जादा छुहारे नहीं खाये।

8. रात को तांबे के बर्तन में एक लीटर पानी भर कर रख दे और पानी में चाँदी का एक सिक्का भी डाल दे। सुबह खाली पेट इस पाई को पिए और आधे घंटे तक कुछ ना खाए पिए। ये प्रयोग लकवा से रिकवर होने में बहुत फायदा करता है।

9. लकवे के रोगी को करेला जादा खाना चाहिए, लकवे में करेले के सेवन से भी फायदा मिलता है। लकवे से ग्रस्त व्यक्ति को किसी भी नशीली चीज़ के सेवन से परहेज करना चाहिए और खाने में घी, तेल माँस, मछली का प्रयोग नही करना चाहिए।

लकवे का इलाज के आयुर्वेदिक नुस्खे :

1* हर रोज सुबह शाम देसी गाय के शुद्ध घी की 2 बूँदो को नाक में डालने से लकवे में भी बहुत आराम मिलता है और इसके इलावा इस उपाय से बालो का झड़ना बंद होता है, कोमा में गए हुए व्यक्ति की चेतना लौटने लगती है और दिमाग भी तेज होता है। इस देसी नुस्खे का निरंतर प्रयोग माइग्रेन की बीमारी में रामबाण इलाज का काम करता है।

2* लकवे का अटैक आने पर तुरंत तिल का तेल 50 से 100 ग्राम हल्का गर्म करके रोगी को पिला दे और इसके साथ थोड़ा लहसुन चबा चबा कर खाने को दे। अटैक पड़ते ही सिर और लकवा प्रभावित अंग पर सेंक करे।



3* काली उड़द को खाने के तेल में डाल कर गर्म कर ले और इसे लकवे से ग्रस्त अंग पर मालिश करे, इससे काफी लाभ मिलता है।

स्वास्थ्य वह मूल तत्व है जो जीवन की सारी खुशियों को जीवंत बनाता है और स्वास्थ्य के बिना वे सभी नष्ट और नीरस होती हैं। सुखी होना है तो प्रसन्न रहिए, निश्चिन्त रहिए, मस्त रहिए।

गंभीर लकवा होने पर, रोगी को शरीर में सुन्नता, छुने पर कोई संवेदना नहीं होना, नसों में जकड़न

नसों में जकड़न और पक्षाघात     या Paralysis में एक दवा का नाम है Rhustox - 30 जिस दिन पक्षाघात आता है रोगी को 15-15 मिनट पर तीन बार दो-दो बूंद मुंह में दे और इसी Rhustox - 30 को लगातार करते हुए रोज सुबह, दोपहर, शाम दें साथ में एक और दवा है Causticum - 1M जिस दिन Rhustox - 30 दिया दसरे दिन Causticum - 1M की दो-दो बूंद  तीन बार दें और Causticum - 1M को Rhustox - 30 के आधे घंटे बाद देना है। ये Rhustox- 30 रोज की दवाई है। पर Causticum - 1M हफ्ते में एक दिन दो-दो बूंद तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम) देनी चाहिए।       ऐसे करके पक्षाघात के रोगी को दवा देंगे तो कोई एक महीने में  ठीक हो जायेगा कोई 15-20 दिन में ठीक हो जायेगा किसी को 45 दिन लगेगें और ज्यादातर दो महीने से ज्यादा नहीं लगेंगे ठीक होने में। अगर किसी को Paralysis आने के 15 दिन या  एक महीने बाद से दवा दिया जाये तो वो रोगी तीन महीने में ठीक हो जाते हैं, तीन महीने से ज्यादा समय नहीं लगता।

वन्देमातरम
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[2/8, 7:14 PM] +91 79767 25561: ☘️ *_काला अंगूर : प्रकृति प्रदत्त रस की खान केंसर नाशक रूपनिखारक वजन सुधारक जानिए इसके और फायदे_*

🔷❇️ N K Sharma ❇️🔷

काला अंगूर वास्तव में प्रकृति प्रदत्त एक आयुर्वेद दवा से कम नही है क्या आप जानते हैं, काले अंगूर के लाभ, जानिए यहां

1 काले अंगूर अल्जाइमर के मरीजों के लिए फायदेमंद है। इसमें मौजूद रेसवेराट्रोल नामक तत्व अल्जाइमर से लड़ने में बेहद प्रभावकार है, साथ ही यह न्यूरो डि-जनरेटिव डिसीज में भी काफी फायदेमंद होता है।

2 इसमें फ्लेवेनॉइड्स के अलावा ऐसे कई तत्व मौजूद हैं जो हृदय रोगों से लड़ने में मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हार्ट अटैक, रक्त का थक्का जमना और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं से लड़ने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
 
3 अगर आप वजन बढ़ने की समस्या से परेशान हैं, तो काले अंगूर का सेवन आपकी यह समस्या हल कर सकता है। यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण को रोकता है और मोटापे के अलावा अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचाता है।

4 शरीर में यूरि‍क एसिड का स्तर अधि‍क होने पर काले अंगूर का सेवन फायदेमंद होगा। यह शरीर में यूरिक एसिड के बढ़े हुए स्तर को कम करता है जिससे किडनी पर भार नहीं बढ़ता और किडनी भी स्वस्थ रहती है।
 
5 कैंसर से बचाव के लिए काले अंगूर फायदेमंद है। खास तौर से  त्वचा के कैंसर से बचने के लिए इसका सेवन बेहद प्रभावी तरीका है।

भारत माता की जय 🇮🇳

( ͡° ͜ʖ ͡°) जिओ जी भर
[2/8, 7:14 PM] +91 79767 25561: ☘️ *_भू नमनासन : रीढ़ की हड्डी में लचीलापन व मजबूती का आसन जानिये इस योग के और फायदे और कायदे_*

🔷❤️ N K Sharma ❤️🔷

जैसा क़ी नाम से ही स्पष्ट है भूनमनासन दो शब्दों से मिलकर बना है भू और नमन जिसमे भू अर्थात भूमि और नमन यानी प्रणाम करना। यह आसन बैठकर किये जाने वाले आसनो में से एक होता है। भू नमन आसन को अंग्रेजी में Greeting The Earth Pose, Spinal Twist Prostration Pose कहा जाता है। 

भू नमन आसन के अभ्यास से कंधों और गर्दन के लचीलेपन में सुधार आता है। साथ ही छाती की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक होता है। ये रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बनाए रखने में भी मदद करता है।

भू नमन आसन शरीर में विभिन्न ग्रंथियों के कामकाज को मुख्य रूप से थायरॉयड ग्लैंड के लिए प्रोत्साहित करता है। तीसरे नेत्र चक्र या अजना चक्र को खोलने के लिए यह आसान अच्छा माना जाता है। सायटिका से राहत दिलाने के लिए भी यह आसन लाभकारी होता है ।

*भू नमन आसन के लाभ*
  
भू नमन आसन, रीढ़ की हड्डी के कमर वाले भाग में लचीलापन और मज़बूती लाता है।

इस आसन के नियमित अभ्यास से पैरों की मांसपेशियों को मज़बूती है।

भू नमन आसन के नियमित रूप से अभ्यास करने पर पाचन क्रिया में सुधार आता है।

विभिन्न आंतरिक अंगों के कार्यों में सुधार करने के लिए भू नमन आसन बहुत ही फ़ायदेमंद होता है।

यह आसन पेट की मांसपेशियों को टोन करके पेट की अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करता है।

करे योग रहे निरोग डॉ राव पी सिंह
*भू नमन आसन करने की विधि*

सबसे पहले आप एक शांत समतल और साफ जगह पर आसन बिछाकर उस पर अपने पैरो को सामने की तरफ फैला कर बैठ जाए।

ध्यान रखे की आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।

अब हांथो को जांघों पर रखे।

साँस लेते हुए बाजुओं को सीधा करके आगे कंधे की ऊंचाई तक उठाये।

इसके बाद साँस को छोड़ते हुए पीठ को सीधा रखें और धड़ को थोड़ा सा पीछे की ओर झुकायें साथ ही बायीं ओर मोडें।

अब अपने हांथो की शरीर के पीछे फर्श पर रख दे।

इसके बाद अपनी बाजुओं को झुका ले और सिर को भी फर्श की तरफ ले जाए।

आपकी पैर और शरीर एक सीध में आ जाते हैं।

ध्यान रखे की दाया नितम्ब फर्श के पास होना चाहिए।

अब साँस लेते हुए बाजुओं को सीधा लाये और फिर से सामने की तरफ आ जायें।

इसके बाद साँस को छोड़ते हुए अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाये।

इसके बाद यह पूरी प्रक्रिया दूसरी ओर से भी करे।

*भू नमन आसन में सावधानियां*

तीव्र ज्वर व हड्डी रोगी को इस आसन को करने से बचना चाहिए 

यदि किसी व्यक्ति की स्लिप्ड डिस्क खिसक गयी हो तो उसे यह आसन नहीं करना चाहिए।

गर्भवती महिलाओं और मासिक धर्म के समय यह आसन नहीं करना चाहिए।

जिन लोगो को पेट में अल्सर हो उसे भी इस आसन से दूर रहना चाहिए।

यदि किसी को माइग्रेन, रक्त चाप और हरनिया की समस्या है तो उसे भी यह आसन नहीं करना चाहिए।

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[2/8, 7:14 PM] +91 79767 25561: 🌻🌺स्त्रियों में कमर दर्द व थकान के लिए पौष्टिक लड्डू

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🍁महिला- समस्या

🌷आजकल ज्यादातर महिलाओं में थकान, कमजोरी कमर दर्द (Back pain), एड्रिनल फटीग (Adrenal Fatigue) जैसी समस्याएं बहुतायत प्रमाण में देखी जाती है जिसे महिलाएं अक्सर अनदेखा करती है लेकिन जब परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है तब डॉक्टर उन्हें विज्ञापनों में दिखाई जाने वाले हेल्थ टॉनिक या हेल्थ पाउडर के डिब्बे दूध में मिलाकर पीने की सलाह देते हैं जो अक्सर महंगे होते हैं और असरकारक भी नहीं होते जिससे पैसे का तो व्यय होता ही हैं लेकिन समस्याए भी ज्यों की त्यों बनी रहती हैं-

🥀आज हम आपको इन सारी समस्याओं पर एक ऐसा आसान और अनुभूत व स्वादिष्ट उपाय बताने वाले हैं जो आप घर बैठे आसानी से बना सकते हैं तथा उपरोक्त समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं-

🌺स्त्रियों में कमर दर्द व थकान का कारण-

🌺लंबी बीमारी के बाद आई कमजोरी, प्रसूति के बाद होने वाली शरीर क्षीणता, हारमोनल बदलाव या वात दोष विकृति, अति परिश्रम या अति मैथुन, शरीर का दुबलापन (Debility) व कमजोरी, मानसिक अवसाद (Depression), कब्ज की वजह से शरीर में पोषण की कमी, इन सारे कारणों के चलते महिलाओं में कमजोरी थकान व कमर दर्द (Lumbar Pain) की शिकायत बनी रहती है-स्नेहा समूह

🌺इसके साथ ही साथ अनियमित महावारी या माहवारी में ज्यादा रक्तस्राव होने की वजह से भी शरीर कमजोर बनता है तथा कमर दर्द होने लगता है गर्भाशय की कमजोरी, अंडाशय में गांठ या सिस्ट (Ovarian Cyst), ज्यादा दिनों तक होने वाला श्वेत प्रदर (Leucorrhoea) जैसे कारणों की वजह से भी महिलाओं में कमर में दर्द तथा कमर व पेढू में भारीपन महसूस होने लगता है ऐसी समस्याओ में सिर्फ कैल्शियम सप्लीमेंट या हेल्थ टॉनिक लेने से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इन समस्याओं की असली वजह जब तक कम नहीं होती तब तक थकान (Exhaustion), कमजोरी (Weakness), कमर दर्द जैसी समस्याओं से मुक्ति नहीं मिल सकती-

🌾आज हम आपको इन समस्याओं पर लाभदायक, पुष्टि दायक, स्वादिष्ट व पौष्टिक लड्डुओं के बारे में जानकारी देंगे जिसे बनाना बेहद आसान है इसे खाने से थकान (Exhaustion) कमजोरी दूर होती है, शरीर पुष्ट होता है, कमर दर्द व बदन दर्द दूर होता है तथा शरीर में कैल्शियम विटामिन जैसे पौष्टिक तत्वों की कमी भी दूर होती है-

🍂पौष्टिक लड्डू बनाने की विधि-

🍁सामग्री-

🍃सौंठ- 10 ग्राम
🍃काली मिर्च- 10 ग्राम
🍃अकरकरा- 10 ग्राम
🍃पीपली- 10 ग्राम
🍃पिपरी मूल- 20 ग्राम
(🍃अंसारीयो) हालो- 100 ग्राम
🍃अश्वगंधा- 100 ग्राम
🌾गोखरू- 100 ग्राम
🍃ताल मखाना- 50 ग्राम
🍃निर्गुंडी- 50 ग्राम
🍃शतावरी- 50 ग्राम
🍃जायफल- 10 ग्राम
🥀जाविंत्री- 10 ग्राम
🍃इलायची के दाने- 10 ग्राम
🍃कंकोल- 10 ग्राम
🍃चिरौंजी दाना- 100 ग्राम
🍃पिस्ता- 100 ग्राम
🌾बादाम- 100 ग्राम
🌻भुने हुए छिलके सहित के देसी चने- 400 ग्राम
गाय का घी- 800 ग्राम
🌾मिश्री या शक्कर- 800 ग्राम (सभी सामग्री आपको आयुर्वेद दवा बेचने वाले पंसारी से प्राप्त हो जायेगी)

🍃बनाने की विधि-

चिरौंजी दाना, बादाम तथा पिस्ता को हल्के भून ले तथा ठंडा होने पर इसका दरदरा पाउडर बना लें फिर छिलके सहित भुने हुए चनों को थोड़ा भूनकर ठंडा करके छिलके के साथ ही पीस के आटा बना ले-

अब ऊपर बताई गई सारी औषधियों को बारीक पीसकर इनका कपड़छन चूर्ण बना ले तथा इन्हें साथ में मिला लें-

अब चने के आटे को 800 ग्राम घी में भूनकर 800 ग्राम मिश्री डालकर तथा अन्य औषधिया व सूखे मेवे डालकर 40 से 50 ग्राम भार के लड्डू बाँध ले-स्नेहा समूह

🌺सेवन विधी-

1-🌾 आप रोज सुबह एक लड्डू खाकर उपर से दूध पिए-

🌺2- अगर शरीर कमजोर व दुबला पतला हो या फिर आपका वजन कम हो तो मुंग की आटे की राब में यह एक लड्डू मिलाकर सेवन करे-

🌷लाभ-

🌺1- इन लड्डुओं के सेवन से शरीर पुष्ट बनता है तथा शरीर के स्नायु मजबूत बनते हैं-

2🌻- कमर दर्द नष्ट होता हैं , साइटिका का दर्द, कूल्हों का दर्द या पैरों का दर्द मिटता है-

3🌺- इन लड्डू के सेवन से शरीर को पोषण मिलता है, शरीर में बल आता है, थकान (Exhaustion) कमजोरी दूर होती है-स्नेहा समूह

4🌹- सुबह उठने के बाद होने वाली परेशानियां जिसमें सुस्ती (Dullness) उत्साह (Enthusiasm) की कमी, ताजगी की कमी, तथा तरावट की कमी दूर होती है-

🥀5- इन लड्डू के सेवन से कैल्शियम, विटामिन तथा अन्य पौष्टिक तत्वों की कमी पूरी होती है जिससे शरीर को योग्य पोषण (Nourishment) मिलता है-

6🌺- गर्भाशय संबंधित समस्या महावारी की समस्या तथा श्वेत प्रदर भी दूर होता है तथा स्त्रियों को शरीर में नया बल, ऊर्जा (Energy) व ताजगी महसूस होती है-
🌻नोट-

आप इसे सुबह शाम खाना चाहे तो 30-30 ग्राम तक के छोटे आकार के लड्डू बनाए और भूने हुए चने की जगह आप बेसन का आटा भी ले सकती हैं लेकिन भूने हुए चने बेसन से कई ज्यादा पौष्टिक व सुपाच्य हैं-
[2/8, 7:14 PM] +91 79767 25561: पेशाब की जलन को तुरंत दूर करते हैं ये 5 घरेलू उपाय
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❇️💛 N K Sharma 💛❇️

पानी और नारियल पानी:-
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शरीर में पानी की कमी से भी पेशाब का रंग पीला और उसमें जलन होने लगती है, इसलिए दिनभर में खूब सारा पानी पीने की आदत डालें। साथ ही नारियल पानी का सेवन भी करें क्‍योंकि यह डिहाइड्रेशन तथा पेशाब की जलन को ठीक करता है। आप चाहें तो नारियल पानी में गुड और धनिया पाउडर मिलाकर भी पी सकते हैं।

गुणों का भंडार ककड़ी:-
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ककड़ी को गुणों का भंडार माना जाता है। यह शीतल व पाचक होने के कारण इसका सेवन करने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाब में जलन भी नहीं होती। ककड़ी में क्षारीय तत्व भी पाए जाते है, जो मूत्र की कार्यप्रणाली के सुचारु रूप से संचालन में सहायक होती हैं।

विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन:-
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विटामिन सी से भरपूर फल यानी सिट्रिक फ्रूट मूत्र संक्रमण पैदा करने वाले बैक्‍टीरिया को मारता है। जिससे पेशाब में जलन नहीं होती। इसलिए विटामिन सी से भरपूर फल खाइये। इसके अलावा विटामिन सी से भरपूर आंवला भी पेशाब की जलन को ठीक करने में सहायक होता है। इलायची और आंवले के चूर्ण समान भाग में मिलाकर पानी के साथ लेने से पेशाब की जलन ठीक होती है।

मलाई रहित ठंडा दूध और कलमी शोरा:-
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कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाई रहित ठंडा दूध व पानी पेशाब की जलन को दूर करने में मदद करता है। कलमी शोरा व बड़ी इलायची के दाने पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। एक चम्‍मच चूर्ण लेकर उसपर एक भाग दूध व एक भाग ठंडा पानी मिक्‍स करके पी लें। इस उपाय को दिन में तीन बार लें। बस दो दिन तक इस उपाय को इस्‍तेमाल करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।

अन्‍य उपाय:-
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अनार का जूस नियमित रूप से दिन में दो बार पीने से पेशाब की जलन दूर होती है। फालसा भी पेशाब की जलन दूर करने में मददगार होता है। पिसी हुई हल्दी को एक-एक चम्मच सुबह-शाम लेने से लाभ होता है। इस रोग में सत्तू खाना भी काफी लाभकारी माना जाता है।
[2/8, 7:14 PM] +91 79767 25561: दही खाने के 15 फायदे | Dahi Benefits Of Curd

💟🔷 N K Sharma 🔷💟

1. दही का सेवन करने से हमारी पाचन शक्ति बढ़ती हैं, हर-रोज दही खाने से भूख न लगने की बीमारी खत्म हो जाती हैं।

2. जो लोग हर-रोज दही का सेवन करते हैं ना तो मुँह से दुर्गंध आती हैं और ना ही उनके दांतों में कीडा लगता हैं।

3. हर-रोज दही खाने से हमारा इम्यून सिस्टम स्ट्रोंग होता हैं, और हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती हैं।

4. यह माना गया हैं कि जो लोग नियमित रूप से दही का सेवन करते हैं उनका शुगर लेवल कंट्रोल रहता हैं।

5. दही का नियमित सेवन करने से आंतों के रोग और पेट संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं।

6. दही में कैल्शियम अधिक मात्रा में पाई जाती हैं जिससे हमारी हड्डियां को विकास होता हैं।

7. हींग का छौंक लगाकर दही खाने से जोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी हैं।

8. दुबले-पतले व्यक्तियों को अगर दही में किशमिश, बादाम या छुहारा मिलाकर दिया जाए तो वजन बढ़ने लगता हैं।

9. दही के साथ शहद मिलाकर जिन बच्चों के दांत निकल रहे हों, उन्हें चटाना चाहिए। इससे दांत आसानी से निकल जाते हैं।

10. रात को नींद न आने वाली बीमारी में दही का सेवन बहुत फायदेमंद हैं।

11. हमारे दिमाग के लिए दही का सेवन बहुत फायदेमंद हैं क्योंकि दही में विटामिन b12 अच्छी मात्रा में होता हैं।

12. हर-रोज दही का सेवन करने से आंतो, पेट सबंधिंत बीमारी नहीं होती हैं।

13. एंटीबायोटिक दवाइयों के सेवन के दुष्प्रभाव से बचने के लिए दही सेवन की सलाह डाक्टर भी देते हैं।

14. दही खाने का सीधा संबंध मस्त‍िष्क से हैं, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दही का सेवन करने वालों को तनाव की शिकायत बहुत कम होती हैं।

15. अगर आप खुद को बहुत थका हुआ महसूस कर रहे हैं तो हर रोज दही का सेवन करना आपके लिए अच्छा रहेगा।
[2/8, 7:14 PM] +91 79767 25561: 🔆🔅🔆🔅🔆🔅🔆🔅🔆
सुबह बासी रोटी खाएँ b12 बनाएँ 

❇️💖 N K Sharma 💖❇️

*👉"अक्‍सर हम सभी के घरों में हर रोज 2-4 रोटी जरूर बच जाती है और उसे हम कूड़े में डाल देते हैं। पिछले जमाने में बासी रोटी को जानवरों के लिए रखा जाता था लेकिन अब शहरों में जानवर नहीं मिलते ऐसे में बहुत सारा अनाज हर रोज बर्बाद किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको जो बताने जा रहे है उसे सुनकर शायद आप चौंक जाएंगे।*

*👉जी हां हम आपको बता दें कि जो बासी रोटी हम फेंक देते है उसे खाने से बहुत ही ज्यादा फायदा होता है ये खासकर उनके लिए है जो दिन भर भागदौड़ का काम करते है और उनको हाई बीपी का प्रॉब्‍लम है। ऐसे लोग अगर हर रोज सुबह गेहूं के 2 बासी रोटी को दूध में मिला कर खाएं तो उनका ब्लूडप्रेसर कंट्रोल हो जाता है और अगर आपको बीपी नहीं भी है तो कभी होने नहीं देता इसलिए आप हर रोज बसी रोटी जरूर खाएं और स्वस्थ्य रहें।*

*👉अगर आप सुबह कुछ न कुछ खा लेते हैं और फिर बाजार निकलते हैं तो गैस बनने लगता है अगर आप यही घर से निकलने से पहले सुबह सुबह अगर बासी रोटी दुध के साथ खा लेते हैं तो आपको गैस की प्रॉब्‍लम नहीं होती है। इस एसिडिटी से ही आपको तनाव और शुगर जैसी बिमारी का सामना करना पड़ता है। इसलिए जो लोग बासी रोटी साथ दूध का सेवन करके बाहर निकलते हैं उनका शुगर कंट्रोल में रहता है।*

*👉इतना ही नहीं जिन्‍हें पेट से संबंधित कोई समस्‍या है वो लोग अगर दूध के साथ बासी रोटी खाएं तो पेट की हर समस्या ठीक हो जाती है।*

*👉जिन्‍हें हाई ब्लड प्रैशर की समस्‍या है वो अगर रोज सुबह ठंडे दूध के साथ 2 बासी रोटी खाए तो शरीर का रक्त चाप संतुलित रहता है।* इसके अलावा ज्यादा गर्मी के मौसम में भी इसका सेवन करने से शरीर का तापमान सही रहता है।" - बासी रोटी खाने के फायदे जानकर दंग रह जाएंगे आप  

*👉सावधानी: आयोडिन युक्त बासी रोटी जहर खाना समान है।इसलिए रोटी बीना नमक या राॅक सोल्ट का उपयोग करें।*
*👉विशेष: इन रोटी बनाने में थोड़ा अजवाईन,हल्दी का उपयोग करें।*
                    काल शक्ति 🔆🔅
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[2/8, 7:14 PM] +91 79767 25561: कानका दर्द -

❇️🧡 N K Sharma 🧡❇️

    लहसनका रस ढाई तोला, अफीम दो रत्ती, दस तोले सरसों या तिलके तेलमें पकाकर छानकर कानमें डाले। गेंदेके फूलका रस कानमें डाले अथवा गोमूत्र कानमें डाले।
मुँहके छाले --
    तरबूजके छिलके जलाकर लगावें।
दिलकी धड़कनके लिये --
    भस्म मूँगा सेवतीके गुलकन्द या मुरब्बा सेवके साथ।
पागलपन या उन्मादकी अनुभूत दवा --
    धवलबरुआ जिसको श्वेत बरुआ तथा सर्पगन्धा भी कहते हैं, जो बड़ी वैदिक फारमेसीसे मिल सकती है, उसका चूर्ण चार माशे; खालिस गुलाबके अर्क एक छटाकमें १२ घंटे भिगोकर सात काली मिर्चके साथ पीसकर प्रातः एवं सायंकाल दोनों समय बिना छाने पिलावे। खटाई, लाल मिर्च, गुड़, तेल और गर्म खुश्क चीजोंका सख्त परहेज। घी, दूध, मक्खन-मलाई अधिक-से-अधिक मात्रामें। (अनुभूत)
    कई बड़ी फार्मेसियोंमें इसकी गोलियाँ सर्पना पिल्स नामसे बनायी जाने लगी हैं।
नींदका न आना --
    (१) धवलबरुआ एक माशे बादामके शीरे या दूधके साथ सोते समय। अथवा सर्पना पिल्स लें।
    (२) पीपलामूल एक माशा पुराना गुड़ एक माशेमें मिलाकर सोते समय दूध या शीरा बादामके साथ।
    बुद्धिवर्धक एवं उन्माद दूर करनेके लिये - सरस्वती चूर्ण, वच, ब्राह्मी, गिलोय, सोंठ, सतावर, शंखपुष्पी, वायविडंग, अपामार्गकी जड़ समभागका कपड़छान किया हुआ चूर्ण दो-तीन माशे शहद या घीके साथ।
[2/8, 7:14 PM] +91 79767 25561: अजवाइन दिन में खाना चाहिए रात को नहीं। जानिए क्यों

♻️🔹N K Sharma 🔹♻️

आमतौर पर अजवायन को आप खाना पकाते समय इस्तेमाल करते होंगे। लेकिन आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों का उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद मानता है कि अकेली अजवायन ही सैंकड़ों प्रकार के अन्न को हजम करने में सहायता करती है। यह पित्त, सीने में जलन, खट्टे डकार और एसिडिटी से संबंधित सभी परेशानियों को दूर करने में मदद करती है। मेरी मम्मी भी इसके गुणों की वजह से इसका विभिन्न प्रकार से उपयोग करती हैं। 

पेट में गैस होने पर इन 5 तरीकों से करें अजवायन का सेवन 
अगर किसी को अपने पाचन तंत्र को बेहतर बनाना है, तो अजवायन के औषधीय गुणों का फायदा जरूर उठाना चाहिए। अगर आप इन तरीकों से अजवायन का सेवन करेंगे तो गैस की समस्या से निजात पाने में मदद मिलेगी। 

1. एक चम्मच अजवायन को रात भर एक गिलास पानी में भिगोकर रखें। अगली सुबह खाली पेट अजवायन पानी का सेवन करें। इसमें मौजूद थाइमोल आपके पाचन को दिन भर स्वस्थ रखेगा। 

2. अजवायन और हींग का कॉम्बो आपके पेट के लिए वरदान है। जी हां, आप एक चम्मच अजवायन को चुटकी भर हींग के साथ लें। आप रोजाना सुबह-शाम खाने के बाद इसका सेवन कर सकती हैं। 

आप चाय के रूप में अजवायन का सेवन कर सकते हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
3. अगर अजवायन चबाना पसंद नहीं हैं, तो हम एक और प्रभावी उपाय बता रहें हैं। आप पांच बड़े चम्मच अजवायन और पांच चम्मच जीरा को अपने ग्राइंडर में पीस लें। अब इसमें आधा चम्मच हींग और काला नमक भी मिला लें। इस मिश्रण को रोजाना खाने के बाद एक गिलास गुनगुने पानी के साथ पी लें। 

4. एसिडिटी की समस्या लगातार परेशान कर रहीं हैं, तो गरम पानी में एक चम्मच अजवायन पाउडर और काला नमक मिलाकर खाने के बाद पिएं। 

5. एक पैन में थोड़ा सा पानी और अजवायन लेकर अच्छी तरह से उबाल लें। इस पानी को आप गैस से राहत पाने के लिए पी सकती हैं। 

तो लेडीज, अगर आप या आपके परिवार में भी कोई पेट में गैस की समस्या से पीड़ित है, तो ये अजवाइन वाला नुस्खा जरूर आजमाएं। 

 
* मसाले ही औषधि: पुराने समय में भारत में रसोई घर के मसालों को ही औषधि कहा जाता था। वागभट्ट जी कहते हैं कि हमारा रसोई घर ही दुनिया का सबसे बड़ा औषधि केंद्र होता है। अब दुर्भाग्य से हम रसोई में जिनको मसाला कहते हैं। वहां मसाला कुछ नहीं होता, सब औषधि ही होती है।
अजवाइन दिन में खाना चाहिए रात को नहीं। जानिए क्यों

      मसाला तो शब्द ही भारत का नहीं है। बल्कि अरबिक शब्द है। फारसी से अरबी में आया और अरबी से हिंदी में घुस गया। ये विदेशी आए तो ये शब्द भी आया। हिंदुस्तान में 17वीं, 18 वीं शताब्दी का साहित्य जब मैं पढ़ता हूं, तो जब तक मुगलों का राज्य था, तब तक मसाले शब्द का बहुत उपयोग हुआ। मुगलों के राज्य से पहले एक भी जगह किसी भी शास्त्र में मसाला शब्द नहीं है। चरक संहिता में भी कहीं पर भी मसाला नहीं लिखा, सुश्रुत में भी कहीं भी मसाला शब्द नहीं लिखा। पुराने जितने भी लेखक  10 वीं शताब्दी से पहले के, कही भी किसी ने मसालें शब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया। हर जगह केवल औषधि शब्द का ही प्रयोग किया गया है।

      जीरा औषधि, धनिया औषधि ये औषधि के रूप में ही है। इनकी जो प्रापर्टीज है, यह सब आपकी चिकित्सा के लिए है। हमारे पुराने समय की माताएं बहने, जो हमारी दादी, नानी रही है। वह सच में सबसे बड़े वैज्ञानिक और चिकित्सक लोग रहे होंगे, क्योंकि; रोज हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ की स्थिति सम और विषम होती रहती है।

      क्या आप जानते हैं, सुबह के समय शरीर में वात बहुत ज्यादा होता है। दोपहर को पित्त ज्यादा होता है और शाम को कफ ज्यादा होता है। इस प्रकार यह पूरे 24 घंटे में ऊपर नीचे होते रहते हैं। तो 24 घंटे में जो वात, पित्त और कफ ऊपर नीचे होता रहता है, तो पुराने समय में सब्जियों में उसी के हिसाब से औषधियां डाली जाती थी। जैसे- दोपहर की सब्जियों में अजवाइन को जरूर डाला जाता था और यदि वही सब्जी रात को बनती थी, तो अजवाइन नहीं डाला जाता था।

      इसका मेन कारण यह था, कि अजवाइन पित्त नाशक होती है। गाय के देसी घी के बाद अगर कोई सबसे बड़ा पित्त नाशक चीज है, तो वह अजवाइन है। दोपहर को ही पित्त ज्यादा बढ़ता है और वह स्वाभाविक है, क्योंकि; खाना खाने के लिए पित्त को बढ़ना ही चाहिए। तो उस समय सब्जी में अजवाइन डाली जाती थी, क्योंकि; दोपहर के समय ही शरीर को अजवाइन की जरूरत होती है,  पित्त को सम पर लाने के लिए। तो भारत में ज्यादातर माताएं बहने यह बात जानती है, कि दोपहर की सब्जी में अजवाइन जरूर चाहिए और मट्ठा में भी अजवाइन का ही तड़का लगना है। दोपहर की जितनी भी चीजें होती है, वो ज्यादातर अजवाइन से बनती है या अजवाइन से ग्रसित होती है, क्योंकि; पित्त को सम में रखना होता है।

      आप खुद सोचे, कि जो लोग पुराने समय में या अभी भी इन औषधियां का सही उपयोग कर रहे हैं। तो वह लोग कितना बड़ा काम कर रहे हैं। अगर हमने उसका वैल्यूशन नहीं किया तो यह हमारी मूर्खता है। हमारे देश में एक बहुत बड़ा दुष्कर्म यह हुआ है कि हम अंग्रेजों के गुलाम हो गए हैं। जिसके कारण सब कुछ हम भूल गए। अंग्रेजों ने जो कुछ भी हमें सिखाया, बस वही हमें याद है।

      इसके अलावा यदि आपके पेट में बहुत गैस बनती है और एसिडिटी की तकलीफ होती है, तो खाने के बाद या खाने में अजवाइन की मात्रा ज्यादा रखें या खाने के बाद अजवाइन और काला नमक एक साथ मिलाकर ले ले। आपकी गैस बनने की और एसिडिटी की तकलीफें भी खत्म हो जाएंगी।
[2/8, 7:14 PM] +91 79767 25561: सफेद बालों के लिए नुस्खे :-

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टेंशन, भाग दौड़ भरी जिंदगी, बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारण बालों का सफेद होना एक आम समस्या बन गया है। बाल डाई करना या कलर करना इस समस्या का एकमात्र विकल्प नहीं। कुछ घरेलू उपचार आजमा कर भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है।

- कुछ दिनों तक, नहाने से पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।

- नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर सिर पर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।

- तिल खाएं। इसका तेल भी बालों को काला करने में कारगर है।

- आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाए। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।

- प्रतिदिन घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
[2/8, 7:14 PM] +91 79767 25561: *टमाटर करेगा कई रोगों का उपचार, जानिए क्यों ये है हेल्थ के लिए वरदान* 

❇️🔹 N K Sharma 🔹❇️
 
1. टमाटर में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन सी पाया जाता है। एसिडिटी की समस्या होने पर टमाटरों की खुराक बढ़ाने से इस समस्या से निजात मिलता है।

 2. टमाटर में काफी मात्रा में विटामिन 'ए' पाया जाता है, जो हमारी आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

 3. टमाटर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है और गैस की समसा भी दूर होती है।

 4. डॉक्टरो के अनुसार टमाटर के नियमित सेवन से श्वास नली बिल्कुल साफ रहती है और खांसी, बलगम की शिकायत खत्म होती है। 

 5. बच्चों को सूखा रोग होने पर टमाटर का रस पिलाने से फायदा होता है। साथ ही ये उनके तेजी से विकास में भी मदद करता है।

 6. गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुबह एक गिलास टमाटर के रस का सेवन फायदेमंद होता है।

 7. डाइबिटीज व दिल के मरिजों की सेहत के लिए टमाटर बहुत उपयोगी होता है।

 8. अगर पेट में कीड़े होने की शिकायक हो, तो सुबह खाली पेट टमाटर में पिसी हुई काली मिर्च लगाकर खाने से कीड़े मर कर निकल जाते हैं। आप चाहे तो काली मिर्च डले हुए टमाटर का सूप पी सकते हैं।

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