Friday, 24 February 2023

नोनी, किसी भी प्रकार के कैंसर को खत्म करने में कैसे मदद करता है.?**कैंसर एक सेलुलर खराबी है।*कैंसर से पीड़ित होने पर, मानव शरीर सामान्य सेलुलर नियंत्रण खो देता है, जिसके परिणामस्वरूप घातक कोशिका की अनियमित वृद्धि होती है।/थाइरॉइड की प्रॉब्लम में अचूक और जबरदस्त हैं ये 4 कुदरती नुस्खे,**एक बार आजमा के देखें..!*थाइरॉइड हमारे शरीर की कार्यपद्धति मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।शरीर में होने वाली मेटाबॉलिज्म क्रियाओं में थाइरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरॉक्सिन हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

 *नोनी, किसी भी प्रकार के कैंसर को खत्म करने में कैसे मदद करता है.?*
*कैंसर एक सेलुलर खराबी है।*
कैंसर से पीड़ित होने पर, मानव शरीर सामान्य सेलुलर नियंत्रण खो देता है, जिसके परिणामस्वरूप घातक कोशिका की अनियमित वृद्धि होती है।

इन कैंसर कोशिकाओं में भेदभाव की कमी होती है और वे स्थानीय ऊतकों को बुलाते हैं, कहीं और यात्रा करते हैं, और मेटास्टेसाइज करते हैं।

रोग स्वयं एक कोशिका से शुरू होता है जो उत्परिवर्तित या परिवर्तित होता है।  

असामान्य कोशिका मानव शरीर की रक्षा प्रणाली के प्रयासों के बावजूद कोशिका की प्रजनन प्रक्रिया के माध्यम से उस उत्परिवर्तन को बनाए रखती है, जो असामान्य कोशिकाओं को खत्म करने की कोशिश करती है।  

ये उत्परिवर्तित कोशिकाएं (असामान्य डीएनए के परिणामस्वरूप) तब शरीर के माध्यम से यात्रा करती हैं, शरीर के एक या अधिक अंगों में निवास स्थापित करती हैं।  

अब एक सौ से अधिक प्रकार के कैंसर हैं जो मानव शरीर के भीतर मौजूद हो सकते हैं।

चूंकि कैंसर कई प्रकार के होते हैं, प्रत्येक का अपना असामान्य डीएनए और अलग-अलग लक्षण और प्रभाव होते हैं, इसलिए इस संक्षिप्त समीक्षा में उन सभी को कवर करना असंभव है।  

सबसे आम लक्षण जो हम देखते हैं वह था ऊर्जा की हानि।  

कई अलग-अलग प्रकार के कैंसर में त्वचा की मलिनकिरण, और गैर-उपचार घावों, त्वचा के नीचे पता लगाने योग्य गांठ, ऊंचा तापमान और वजन घटाने जैसी असामान्यताएं, जो अक्सर कई अन्य लक्षणों और लक्षणों से जुड़ी होती हैं।  

अधिकांश प्रकार के कैंसर सूक्ष्म रूप से शुरू होते हैं और केवल नियमित चिकित्सा जांच और विशिष्ट परीक्षण होने पर ही इसका ठीक से निदान किया जा सकता है।  

जितनी जल्दी एक कैंसर का पता लगाया जाता है और उसका इलाज किया जाता है, उतना ही बेहतर परिणाम होता है।

कैंसर पर नोनी का प्रभाव सबसे अधिक संभावना इस तथ्य से संबंधित है कि नोनी और कैंसर दोनों सेलुलर स्तर पर काम करते हैं।

यह आगे माना जाता है कि नोनी सेलुलर संरचना को बढ़ाता है जबकि कैंसर निश्चित रूप से इसे नष्ट कर देता है।

नोनी के प्रमुख घटकों में से एक, प्रोज़ीरोनिन, गॉल्गी तंत्र और रेटिकुलोएन्डोथेलियम द्वारा शरीर के भीतर "बीमार" कोशिकाओं को भेजा जाता है।

ये रुग्ण कोशिकाएँ प्रोज़िरोनीन (Proxeronine) और एक एंजाइम प्रोज़ीरोनाईनेज़ (Proxeroninease) को आकर्षित करती हैं।
ज़ेरोनिन, एक सेलुलर इम्युनिटी बढ़ाने वाला बनाता है।

मोरिंडा सिट्रिफोलिया की कैंसर से लड़ने की क्षमताओं को मान्य करने के लिए प्रयोगशालाओं में कई अन्य अध्ययन किए गए हैं।

ऐसे ही एक अध्ययन में, चार जापानी वैज्ञानिकों ने मोरिंडा सिट्रिफ़ोलिया में पाए जाने वाले डैमनाकैंथल नामक पदार्थ के साथ आरएएस कोशिकाओं (कोशिकाएं जो कई घातक वृद्धि के अग्रदूत हैं) को इंजेक्ट किया।  

उन्होंने देखा कि इंजेक्शन ने आरएएस कोशिकाओं को पुनरुत्पादन से काफी हद तक रोक दिया।

प्रोज़ीरोनाइन (Proxeronine) और डैमनाकेन्थाल (Damnacanthal), मोरिंडा सिट्रिफ़ोलिया के भीतर ऐसे पदार्थ हैं जिन्हें कैंसर रोधी एजेंट माना जाता है।

इसके अलावा, शोध से पता चला है कि नोनी शरीर के अन्य कैंसर से लड़ने वाले तत्वों जैसे नाइट्रिक ऑक्साइड, इंटरल्यूकिन्स, इंटरफेरॉन, ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर, लिपोपॉलीसेकेराइड और प्राकृतिक हत्यारे कोशिकाओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद करता है।

 कुछ लोगों का मानना ​​है कि मोरिंडा सिट्रिफोलिया कैंसर के शुरूआती चरण के दौरान एक निवारक और सुरक्षात्मक कार्रवाई कर सकता है, जो कि कैंसर के गठन का पहला चरण है।  

रॉकफोर्ड में यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस कॉलेज ऑफ मेडिसिन में मियां-यिंग वांग, एमडी द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जिन चूहों को एक सप्ताह के लिए 10 प्रतिशत नोनी का घोल दिया गया था और फिर डीएमबीए, एक ज्ञात कैंसर पैदा करने वाले एजेंट के साथ इंजेक्शन लगाया गया था, उनमें महत्वपूर्ण रूप से कमी थी।  

डीएमबीए इंजेक्शन वाले चूहों की तुलना में कम डीएनए एडक्ट मार्कर (असामान्य डीएनए के लिए एक परीक्षण) केवल पानी खिलाया जाता है।

डीएनए एडक्ट मार्करों की संख्या जितनी कम होगी, कैंसर से लड़ने के लिए उतनी ही अधिक सुरक्षा होगी।  

नोनी-खिलाए गए चूहों में नोनी के बिना पानी से भरे चूहों की तुलना में फेफड़ों में 50 प्रतिशत कम डीएनए मार्कर थे...
दिल में 60 प्रतिशत कम मार्कर,
यकृत में 70 प्रतिशत कम और
गुर्दे में 90 प्रतिशत कम थे।
इसलिए नोनी ने कैंसर से सबसे ज्यादा सुरक्षा किडनी (90 प्रतिशत) और सबसे कम सुरक्षा फेफड़ों (50 प्रतिशत) को दी।

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*जागो महिलाओं जागो...*
*महिलाओं को भी अपनी सेहत का खयाल रखना उतना ही जरूरी, जितना पुरुषों को जरूरी।* *जानिये...*
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें अपने आहार में कैल्शियम की एक निश्चित मात्रा मिले। 

कैल्शियम हड्डियों को स्वस्‍थ्‍य रखने में सहायक और रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिये आवश्यक है।
क्या आपने देखा है कि आज कल कई लोगों को जोड के दर्द और कमजोर हड्डियों की शिकायत होने लग गई है। 

हो सकता है कि आपके घर में भी दादी या मम्‍मी इस चीज की शिकार होने लग गई हों।

ऐसा इसलिये होता है क्‍योंकि हम अपने आस-पास इतनी खाने की चीजे़ देखते हैं कि उनमें से कैल्‍शियम की चीज़ों को खाना ही भूल जाते हैं, या फिर जान बूझ कर इगनोर कर देते हैं। 

लेकिन केवल कैल्‍शियम युक्‍त खाघ पदार्थ लेने से की काम नहीं चलता बल्कि हमारी बॉडी कैल्‍शियम को तभी ग्रहण करती है जब हमारे शरीर में विटामिन-डी मौजूद हो।

*जब बात महिलाओं की आती है तब उन्‍हें कैल्‍शियम की दोगुनी मात्रा चाहिये होती है।*

महिलाओं में मासिक चक्र तथा प्रसव के दौरान बहुत सारे कैल्‍शियम की खपत हो जाती है।
ऐसे में महिलाओं को कैल्‍शियम की अधिक जरुरत होती है।

हम सोचते हैं कि दूध और पनीर के अलावा कैल्‍शियम किसी और चीज़ में नहीं मिल पाता। 

पर ऐसा बिल्‍कुल भी सच नहीं है।

आपकी इस गलत धारणा को सच्‍चाई में बदलने के लिये हम आज आपको बताएंगे ऐसे 20 तरह के खाद्य पदार्थ जिनमें कैल्‍शियम भरा पड़ा होता है।
 
*दूध...*
महिलओं को लगभग एक गिलास दूध रोज पीना चाहिये, साथ में उसके साथ प्रोटीन पाउडर भी मिलाना चाहिये, जिससे उन्‍हें शक्‍ति मिले और कैल्‍शियम की भी जरुरत पूरी हो जाए।

*दही...*
कई लोगों को लैक्‍टोज़ से एलर्जी होती है तो ऐसे में दही खाना बिल्‍कुल सही रहेगा। इसमें दूध के जितना ही कैल्‍शियम होता है बस चीनी ना मिलाएं।

*सारडाइन मछली*
यह बहुत ही पॉपुलर मछली होती है जिसमें 33 प्रतिशत कैल्‍शियम होता है लेकिन ओमेगा3 भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
इसे हफ्ते में 1 बार जरुर खाएं।

*चीज़...*
हर तरह की चीज़ चाहे वह मरमेसन हो या फिर, मॉजरिल्‍ला या शैड्डर, सभी कैल्‍शियम से भरपूर होती हैं।

*अंजीर...*
इसमें कैल्‍शियम और आयरन बहुत पाया जाता है साथ ही फाइबर भी कुछ कम नहीं होता।

*हरी पत्‍तेदार सब्‍जियां..*
हर तरह की पत्‍तेदार सब्‍जियां चाहे वह पालक हो या फिर ब्रॉक्‍ली, कैल्‍शियम भरपूर होता है।

*ऑइस्टर...*
हर तरह के सी फूड में कैल्‍शियम ऑक्‍सलेट होता है, जिसकी अधिक मात्रा मर्दों के लिये खराब होती है लेकिन यही मात्रा महिलाओं के लिये अच्‍छी मानी जाती है।

*बादाम...*
इसमें विटामिन ई तो होती ही है पर साथ में कैल्‍शियम की मात्रा 70-80mg होती है।

*प्रॉन्‍ज़...*
जब तक इन्‍हें ओवरकुक ना किया जाए तब तक इनमें कैल्‍शियम भरा रहता है नहीं तो ओवरकुक करने से कैल्‍शियम जल जाता है। 

*तिल..*
इसके 1 चम्‍मच में दूध के 1 गिलास जितना कैल्‍शियम होता है।
ब्राजील नट इस मेवे में 45 ग्राम कैल्‍शियम होता है इसके अलावा इसमें प्रोटीन भी अच्‍छी खासी मात्रा में होता है।

*हिलसा मछली..*
शरीर में कैल्‍शियम सोखने के लिये हिलसा मछली का सेवन करना जरुरी है। इसमें विटामिन-डी भी होता है।

*हर्ब या जड़ी...*
कई सूखे हर्ब जैसे, अजवाइन का फूल, सोया और मेंहदी में बहुत सा कैल्‍शियम होता है। इन सभी को हम सूप और चाय आदि में मिला कर सेवन कर सकते हैं।

*टोफू...*
टोफू सोयाबीन से बनाया जाता है, जिसमें बहुत सा कैल्‍शियम पाया जाता है। 

*संतरा...*
विटामिन-सी होने के साथ ही इसमें कैल्‍शियम की भी अच्‍छी मात्रा होती है।

*साल्‍मन मछली..*
यह समुंद्र में रहने वाली मछली है जो कि खारे पानी से पोषण प्राप्‍त करती है। इस मछली को इसकी हड्डियों के साथ ही खाने की कोशिश करें क्‍योंकि उसमें ज्‍यादा कैल्‍शियम होता है।

*सोया मिल्‍क...*
इसमें दूध जितना तो कैल्‍शियम नहीं होता पर 300mg कैल्‍शियम झट से मिल जाता है।

*ओटमील...*
इसे खाने से फाइबर तथा कैल्‍शियम दोंनो ही मिलते हैं। तो महिलाओं को यह ब्रेकफास्‍ट के समय जरुर खाना चाहिये।

*व्हाइट बींस...*
आधा कप व्हाइट बींस खाने से 100mg तक का कैल्‍शियम प्राप्‍त होता है।




थाइरॉइड की प्रॉब्लम में अचूक और जबरदस्त हैं ये 4 कुदरती नुस्खे,*
*एक बार आजमा के देखें..!*
थाइरॉइड हमारे शरीर की कार्यपद्धति मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शरीर में होने वाली मेटाबॉलिज्म क्रियाओं में थाइरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरॉक्सिन हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
मेटाबालिज्म क्रियाओं से ये निर्धारित होता है कि शरीर में बनी ऊर्जा को कब स्टोर किया जाए और कब व कितना यूज या प्रयोग किया जाए।
इसीलिए शरीर में उपस्थित थाइरॉइड ग्लैंड में किसी भी तरह की अनियमितता होने पर पूरे शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।
इस ग्रन्थि में अनियमितता होने पर सामान्यत: हाइपो थाइरॉइडिज्म, हाइपर थाइरॉइडिज्म, गठान होना या कैंसर होने जैसी समस्याएं होती है।

अगर आपके साथ भी थाइरॉइड की ग्रंथि की अनियमितता से जुड़ी कोई समस्या हो तो नीचे लिखे प्राकृतिक उपायों को अपनाएं।

*थाइरॉइड में अनियमितता के लक्षण-*

*हार्मोनल बदलाव-*
महिलाओं को पीरियड्स के दौरान थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है वहीं हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते हैं।
थाइरॉइड की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है।

*मोटापा-*
हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से वजन बढ़ता है।
इतना ही नहीं शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है।
वहीं हाइपरथाइरॉइड में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाता है।

*थकान, अवसाद या घबराहट-*
अगर बिना अधिक मेहनत करने के बाद भी आप थकान महसूस करते हैं या छोटी-छोटी बातों पर घबराहट होती है तो इसकी वजह थाइरॉइड हो सकती है।

*मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द-*
हाइपोथाइरॉडड यानी शरीर में टीएसएच अधिक और टी3, टी4 कम होने पर मांसपेशियों में जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है।

*गर्दन में सूजन-*
थाइरॉइड बढऩे पर गर्दन में सूजन की संभावना बढ़ जाती है।
गर्दन में सूजन या भारीपन का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

*बालों और त्वचा की समस्या-*
खासतौर पर हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन, बालों का झडऩा, भौंहों के बालों का झडऩा जैसी समस्याएं होती हैं जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से झडऩा और संवेदनशील त्वचा जैले लक्षण दिखते हैं।

*पेट खराब होना-*
लंबे समय तक कान्सटिपेशन की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है जबकि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार-बार होती है।

*(1). अश्वगंधा-*
अश्वगंधा सबसे चमत्कारी दवा के रूप में कार्य करता है।
अश्वगंधा का सेवन करने से थाइरॉइड की अनियमितता पर नियंत्रण होता है।
साथ ही कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है साथ ही कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है।

*(2). समुद्री घास-*
समुद्री घास को भी थाइरॉइड ग्रंथि को नियमित बनाने के लिए एक रामबाण दवा की तरह काम करती है।
समुद्री घास के सेवन से शरीर को मिनरल्स व आयोडिन मिलता है।
इसीलिए समुद्री घास का सेेवन इस बीमारी मे लाभदायक है।
इसके अलावा इससे मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंस स्किन को जवान बनाएं रखते हैं।

*(3). नींबूं की पत्तियां-*
नींबू की पत्तियों का सेवन थाइरॉइड को नियमित करता हैं।
दरअसल मुख्य रूप से इसका सेवन थाइरॉक्सिन के अत्याधिक मात्रा में बनने पर रोक लगाता है। इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीना भी इस बीमारी में रामबाण औषधि का काम करती है।

*(4). ग्रीन ओट्स-*
थाइरॉइड में ग्रीन ओट्स एक नेचुरल औषधि की तरह कार्य करता है।
ये शरीर में हो रही थाइरॉक्सिन की अधिकता व उसके कारण हो रही समस्याओं को मिटाता है।


 *अमृतमयी तुलसी*
*तुलसी के बीज नपुंसकता एवं मासिकधर्म की अनियमितता में अद्भुत लाभकारी वरदान...*

*तुलसी के बीज शीघ्र पतन में हितकारी।*

जब भी तुलसी में खूब फूल यानी मंजिरी लग जाए तो उन्हें पकने पर तोड़ लेना चाहिए वरना तुलसी के झाड में चीटियाँ और कीड़ें लग जाते है और उसे समाप्त कर देते है।
इन पकी हुई मंजिरियों को रख ले।

इनमे से काले काले बीज अलग होंगे उसे एकत्र कर ले। यही सब्जा है। 

अगर आपके घर में नही है तो बाजार में पंसारी या आयुर्वैदिक दवाईयो की दुकान पर मिल जाएंगे!

*शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी-*
तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात
को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है।

*नपुंसकता-*
तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौवन-शक्ति में बढोत्तरी होती है।

*मासिक धर्म की अनियमियता-*
जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और

जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है।

तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है।

इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है। इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है।

इसे हम
दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां डाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है।

इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है।

यह पित्त घटाता है।

ये त्रिदोषनाशक, क्षुधावर्धक है।

 *केमिकलमुक्त गुड़ खाने से 18 अद्भुत फायदे...*
(1)- गुड़ खाने से नहीं होती गैस की दिक्कत।

(2)- खाना खाने के बाद अक्सर मीठा खाने का मन करता हैं। इसके लिए सबसे बेहतर है कि आप गुड़ खाएं। गुड़ का सेवन करने से आप हेल्दी रह सकते हैं।

(3)- पाचन क्रिया को सही रखना।

(4) - गुड़ शरीर का रक्त साफ करता है और
मेटाबॉल्जिम ठीक करता है। रोज एक गिलास पानी या दूध के साथ गुड़ का सेवन पेट को ठंडक देता है। इससे गैस की दिक्कत नहीं होती। जिन लोगों को गैस की परेशानी है, वो रोज़ लंच या डिनर के बाद थोड़ा गुड़ ज़रुर खाएं।

(5)- गुड़ आयरन का मुख्य स्रोत है।
इसलिए यह एनीमिया के मरीज़ों के लिए बहुत फायदेमंद है खासतौर पर महिलाओं केलिए इसका सेवन बहुत अधिक ज़रुर है।

(6)- त्वचा के लिए
गुड़ ब्लड से खराब टॉक्सिन दूर करता है, जिससे त्वचा दमकती है और मुहांसे की समस्या नहीं होती है।

(7)- गुड़ की तासीर गर्म है, इसलिए इसका सेवन 
जुकाम और कफ से आराम दिलाता है। जुकाम के दौरान अगर आप कच्चा गुड़ नहीं खाना चाहते हैं तो चाय या लड्डू में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

(8)- एनर्जी के लिए -
बहुत ज़्यादा थकान और कमजोरी महसूस करने पर गुड़ का सेवन करने से आपका एनर्जी लेवल बढ़ जाता है। गुड़ जल्दी पच जाता है, इससे शुगर का स्तर भी नहीं बढ़ता!
दिनभर काम करने के बाद जब भी आपको थकान हो, तुरंत गुड़ खाएं।

(9)- गुड़ शरीर के टेंपरेचर को नियंत्रित रखता है।इसमें एंटी एलर्जिक तत्व हैं, इसलिए दमा के मरीज़ों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है।

(10)- जोड़ों के दर्द में आराम रोज़ गुड़ के एक टुकड़े के साथ अदरक का सेवन करें, इससे जोड़ों के दर्द की दिक्कत नहीं होगी।

(11)- गुड़ के साथ पके चावल खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल जाती है।

(12)- गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा की परेशानी नहीं होती है।

(13)- जुकाम जम गया हो, तो गुड़ पिघलाकर उसकी
 पपड़ी बनाकर खिलाएं।

(14)- गुड़ और घी मिलाकर खाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

(15)- भोजन के बाद गुड़ खा लेने से पेट में गैस नहीं
 बनती।

(16)- पांच ग्राम सौंठ दस ग्राम गुड़ के साथ लेने से
 पीलिया रोग में लाभ होता है।

(17)- गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढती है।

(18)- पांच ग्राम गुड़ को इतने ही सरसों के तेल में मिलाकर खानेसे श्वास रोग से छुटकारा मिलता है।



*घरेलू डिटॉक्स चाय से बगैर व्यायाम पेट कम, वेट लॉस और इंच लॉस करें...*

*30 दिनों में 4 इंच पेट कम करे, इस घरेलु चाय से...*
*आइये जाने कैसे..??*

*यह एक आयुर्वेदिक "फैट फाइटर" विशेष डिटॉक्सिफाइंग चाय है।*

■ यह पाचन शक्ति बहुत मजबूत करता ही है, साथ ही जमा चर्बी को पिघला देता है, इसके महीने भर सेवन से पेट 4 इंच तक कम हो सकता है।

सुबह 4 से 5 कप पानी में नीचे लिखी सामग्री 10-10 ग्राम लें और उस पर ढक्कन रखकर उबलने दे।

*पानी..........5  कप*
*साबुत जीरा..10 ग्राम*
*साबुत धनिया.10 ग्राम*
*साबुत सौंफ...10 ग्राम*
*साबुत दालचीनी..10ग्राम*

जब चाय उबल कर ढाई कप रह जाए तो इसे छानकर रोजाना सुबह शाम खाली पेट पिए।

एक महीने में आप अपने पेट और जांघों की चर्बी को 4 इंच तक कम पायेंगे।

:
 *घरेलू छोटे छोटे अचूक नुस्खों से, बड़ी बड़ी समस्याओं का समाधान...*

*कब और कैसे..??*

*जब बाल झड़ रहे हों तब...*
(1). नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा।

(2). बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।

(3). दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ (रूसी) भी नहीं होगी।

*कफ और सर्दी जुकाम हो जाये तो...*
सर्दी जुकाम, कफ आए दिन की समस्या है।
आप ये घरेलू उपाय आजमाकर इनसे बचे रह सकते हैं।

(1). नाक बह रही हो तो काली मिर्च, अदरक, तुलसी को शहद में मिलाकर दिन में तीन बार लें। नाक बहना रुक जाएगा।

(2). गले में खराश या ड्राई कफ होने पर अदरक के पेस्ट में गुड़ और घी मिलाकर खाएं। आराम मिलेगा।

(3). नहाते समय शरीर पर नमक रगड़ने से भी जुकाम या नाक बहना बंद हो जाता है।

(4). तुलसी के साथ शहद हर दो घंटे में खाएं। कफ से छुटकारा मिलेगा।

*●शरीर एवं सांस से दुर्गंध आ रही हो तो...*
यह परेशानी भी आम है।
कई बार तो हमें इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ जाता है।

(1). नहाने से पहले शरीर पर बेसन और दही का पेस्ट लगाएं। इससे त्वचा साफ हो जाती है और बंद रोम छिद्र भी खुल जाते हैं।

(2). गाजर का जूस रोज पिएं। तन की दुर्गध दूर भगाने में यह कारगर है।

(3). पान के पत्ते और आंवला को बराबर मात्रा में पीसे। नहाने के पहले इसका पेस्ट लगाएं। फायदा होगा।

(4). सांस की बदबू दूर करने के लिए रोज तुलसी के पत्ते चबाएं।

(5). इलाइची और लौंग चूसने से भी सांस की बदबू से निजात मिलता है।

*उच्च रक्त चाप से परेशान हों तब...*
(1)- कुछ दिनों तक लगातार आधा चम्मच मैथी दाना का पॉउड़र पानी के साथ लेने से उच्च रक्त चाप में लाभ होता है।

(2)- तुलसी के पाँच पत्ते और नीम के दो पत्ते कुछ दिनों तक लेने से उच्च रक्त चाप मे लाभ होता है।

(3)- तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से उच्चरक्त चाप में लाभ होता है।

(4)- दो कली लहसुन की खाली पेट लेने से उच्च रक्त चाप में फायदा होता है।

(5)- लौकी का एक कप रस सुबह खाली पेट लेने से उच्च रक्त चाप कम होने में फायदा करता है।

(6)- प्रतिदिन एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस लेना सभी रोगों में लाभकारी होता है।

*पैर में मोच आ जाये तो...*
(1)- आक या पान का पत्ता या आम का पत्ते को चिकना कर नमक लगा कर उस स्थान पर बांधने से काफी लाभ होता है।

(2)- चोट लगने पर नमक में काले तिल, सूखा नारियल और हल्दी मिला कर पीस कर गरम कर चोट वाले स्थान पर बांधने से आराम मिलता है।

*घुटनों के दर्द के कुछ और बेहतरीन घरेलू उपाय...*
(1)- सुबह खाली पेट तीन चार अखरोट की गिरियां निकाल कर कुछ दिनों तक खाना चाहिए। इसके नियंत्रित सेवन से घुटनों के दर्द में आराम मिलता है। नारियल की गिरी भी खाई जा सकती है। इससे घुटनों के दर्द में राहत मिलती है।

*अस्थमा की समस्या से जूझ रहे हो तो...*
(1)- तुलसी के पत्तों को अच्छी तरह से साफ कर उनमें पिसी काली मिर्च डालकर खाने के साथ देने से दमा नियंत्रण में रहता है।

(2)- गर्म पानी में अजवाइन डालकर स्टीम लेने से भी दमे को नियंत्रि‍त करने में राहत मिलती है।

*किडनी में पथरी की समस्या हो तो...*
तीन हल्की कच्ची भिंड़ी को पतली पतली लम्बी लम्बी काट लें। कांच के बर्तन में दो लीटर पानी में कटी हुई भिंडी डाल कर रात भर के लिए रख दें। सुबह भिंडी को उसी पानी में निचोड़ कर भिंडी को निकाल लें। ये सारा पानी दो घंटों के अन्दर अन्दर पी लें। इससे किडनी की पथरी से छुटकारा मिलता है।

*पेट में वायु की अधिकता हो तो...*
(1)- ऐसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए भोजन के बाद 3-4 मोटी इलायची के दाने चबा कर ऊपर से नींबू पानी पीने से पेट हल्का होता है।

(2)- सुबह-शाम 1/4 चम्मच त्रिफला का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से पेट नर्म होता है।

(3)- अजवायन और काला नमक को समान मात्रा में मिला कर गर्म पानी से पीने से पेट का अफारा ठीक होता है।

*नाभि के अपने स्थान से खिसक जाने पर...*
(1)- मरीज़ को सीधा लिटाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आंवले का आटा बना कर उसमें अदरक का रस मिलाकर बांध दें और दो घंटों के लिए सीधा ही लेटे रहने दें। दो बार ऐसा करने से नाभि अपने स्थान पर आ जायेगी। दर्द और दस्त जैसे कष्ट भी दूर होंगे।

(2)- ऐसे समय में मरीज़ को मूंग की दाल वाली खिचड़ी खाने में देनी चाहिए।

(3)- अदरक और हींग का सेवन भी फायदा करता है।

*दस्त की समस्या से परेशान हों तो...*
(1)- खाना खाने के बाद एक कप लस्सी में एक चुटकी भुना ज़ीरा और काला नमक ड़ाल कर पीएं। दस्त में आराम आयेगा।

(2)- अदरक का रस नाभि के आस-पास लगाने से दस्त में आराम मिलता है।

(3)- मिश्री और अमरूद खाने से भी आराम मिलता है।

(4)- कच्चा पपीता उबाल कर खाने से दस्त में आराम मिलता है।

*बार-बार मूत्र आये तो...*
(1)- सुबह शाम एक एक गुड़ और तिल से बना लड्डू खाना चाहिए।

(2)- शाम के समय काले भुने हुए चने छिल्का सहित खाएं और एक छोटा सा टुकड़ा गुड़ का खाकर पानी पी लें।

*उल्टी आ रही हो तो...*
(1)- तुलसी के रस में बराबर की मात्रा में शहद मिला कर चाटने से उल्टी बन्द हो जाती है।

(2)- 2 चम्मच शहद में बराबर मात्रा में प्याज़ का रस मिला कर चाटने से उल्टी बन्द हो जाती है।

(3)- दिन में 5-6 बार एक-एक चम्मच पोदीने का रस पीने से उल्टी बन्द हो जाती है।

*बच्चों को सर्दी या बुखार हो जाय तब...*
(1)- दो-तीन तुलसी के पत्ते और छोटा सा टुकड़ा अदरक को सिलबट्टे पर पीस कर मलमल के कपड़े की सहायता से रस निकाल कर 1 चम्मच शहद मिला कर दिन में 2-3 बार देने से सर्दी में आराम मिलता है।

(2)- लौंग को पानी की बूंदों की सहायता से रगड़ कर उसका पेस्ट माथे पर और नाभि पर लगाना चाहिए।

(3)- एक कप पानी में चार पाँच तुलसी के पत्ते और एक टुकड़ा अदरक ड़ाल कर उबाल लें पानी की आधी मात्रा रह जाने पर उसमें एक चम्मच गुड़ ड़ाल कर उबाल लें। दिन में दो बार दें। आराम आ जायेगा।

: *सेंधा नमक*
यह नमक खाने के लिए सबसे अच्छा नमक माना गया है।

यह हल्का सफ़ेद गुलाबी सा नमक क्रिस्टल और पाउडर रूप में बाज़ार में मिलता है *जो ज्यादातर व्रत के दौरान खाने में प्रयोग किया जाता है।*
*यह शुद्ध नमक होने की वजह से व्रत में प्रयोग होता है तो क्या हम इसे अपने रुटीन के खाने के साथ नहीं ले सकते हैं।

यह सूखी हुई नमक के झील की खानों से निकाला जाता है।

समुद्री नमक की तरह इसमें विषैले तत्व नहीं पाए जाते हैं।

इस नमक में सोडियम सामान्य नमक से कुछ कम मात्रा में होता है।
 
सेंधा नमक में  कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, मैगनिशियम, कॉपर जैसे लगभग 84 तरह के खनिज तत्व पाए जाते है जबकि साधारण नमक में 3 तरह के खनिज होते है।

सफ़ेद और रंगहीन प्रकार का सेंधा नमक सबसे अच्छा माना गया है।

सामान्यतः प्रयुक्त हल्का गुलाबी रंग वाला सेंधा नमक हिमालयन नमक कहा जाता है, यह नमक भी अच्छा होता है।

*यह आयुर्वेद में त्रिदोषों के वजह से उपजे रोग के उपचार में प्रयोग होता है।*

यह नमक ह्रदय के लिए अच्छा होता है।

ऑस्टियोपोरोसिस और डायबिटीज से बचाता है।

डिप्रेशन, स्ट्रेस कण्ट्रोल करता है।

मांसपेशियों के  खिचाव और जकड़न से राहत देता है।

ब्लड प्रेशर सामान्य रखता है, रक्त वाहिकाओं को लचीली बनाए रखता है।

सेंधा नमक अम्ल और क्षार (पी एच लेवल) को बैलेंस करता है, अतः पाचन में सहायता करता है।

यह नमक कई तरह के त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाता  है।

सेंधा नमक हाथ-पैर सुन्न होने की समस्या का भी निदानं करता है।

जिन्हें आर्थराइटिस की समस्या हो, उन्हें साधारण नमक के बजाय सेंधा नमक ही प्रयोग करना चाहिए, इससे उन्हें काफी राहत मिलेगी।

जो लोग किडनी की बिमारियों से ग्रस्त है उनके लिए भी यह नमक फायदेमंद है।

यह नमक हड्डियों और उनसे जुड़े तंतुओं को मजबूत बनाता है।

*काला नमक*
यह नमक पाउडर रूप में गहरा गुलाबी रंग का और क्रिस्टल के रूप में काले भूरे से रंग का होता है।

इस नमक की उबले अंडे जैसी महक इसमें पाए जाने वाले सल्फर तत्व की वजह से होती है।

यह नमक लौह तत्व से भरपूर होता है इसी वजह से इसका रंग काला सा होता है।

*आयुर्वेद के अनुसार यह ठंडी और रेचक प्रकृति का होता है।*

यह भारत और पाकिस्तान की प्राकृतिक नमक की खानों से निकाला जाता है।

*यह नमक आयुर्वेद में बहुतायत से कब्ज, पाचन समस्या, गैस, सीने की जलन, गोइटर, हिस्टीरिया, मंद दृष्टि, हाई ब्लड प्रेशर, रक्त की कमी और अन्य कई बिमारियों के इलाज में प्रयुक्त होता है।*

इस नमक में  भी सोडियम सामान्य बाजारी समुद्री नमक से कम मात्रा में पाया जाता है।

काले नमक का चटपटा स्वाद सबको पसंद आता है।

स्वाद में तेज, चटपटा और पाचक होने की वजह से यह नमक चाट मसाला, रायते, चटनी, सलाद, चाट, दही-बड़े और नमकीनो में काफी प्रयोग होता है।

*सेंधा नमक या काला नमक प्रयोग कैसे करें*
सेंधा नमक सबसे शुद्ध प्रकार का नमक है जोकि भारत में कम मात्रा में पाया जाता है जिसकी वजह से यह महंगा भी होता है।
यह स्वाद में थोडा फीका होता है इसलिए ज्यादा डालना पड़ता है।
एक चुटकी सेंधा या काला नमक, एक चम्मच अदरक के रस में मिलाकर लेने से भूख बढती है और पाचन तेज होता है, आप चाहे तो अदरक घिस कर काला नमक, निम्बू रस डाल कर खाने के साथ चटनी जैसे खा सकते हैं।

काला नमक, निम्बू रस के साथ लेने से पेट के कीड़े मरते है और उलटी भी बंद होती है।

मांशपेशियों की जकड़न में एक चम्मच सेंधा नमक एक गिलास पानी में डाल कर पियें, तुरंत लाभ होगा।

 *खतरनाक सच स्टेटस सिंबल R.O. पानी (Reverse Osmosis water) का,*
अमीरों के चोचले...!
कहीं आप भी तो नहीं फंस गये.?
स्वयं दिखावे के चक्कर में बर्बादी की ओर...!!
लोगों से बार-बार कहा जाता है कि 200 टीडीएस से कम का पानी मत पीजिये।
लेकिन आजकल कुछ मूर्ख डेंटिस्ट भी इसमें शामिल हैं, बिना जाने समझे अपने पेशेंट को बोल देते हैं कि RO का पानी पीजिये, कहते हैं न.?
आपके बच्चों के दांत ख़राब हो रहे हैं फ्लोराइड बढ़ा है।
जबकि वास्तव में उन डाक्टरों को पता भी नहीं होता कि आखिर RO करता क्या है.?
और हम उन मुर्ख डाक्टरों के चक्कर में पड़कर या अपना स्टेटस सिम्बल समझकर RO लगा लेते हैं।

वास्तव में विदेशों में पानी की किल्लत है लेकिन अब उनकी तकनीक ने हमारे भी जल स्रोतों को दूषित कर दिया है।
हम जो बरसात का पानी इकठ्ठा करके पूरा साल पीते थे,
अपनी चावड़ी या कुएँ के जलस्तर सामान्य करने के लिए गाँवों में गहरे तालाब के पानी को सुरक्षित रखते थे,
उसका हमने भंडारण तो बंद कर दिया और उसकी जगह पृथ्वी से जल का दोहन शुरू कर दिया।

R.O. पानी का लगातार सेवन बनेगा बेमौत मौत का कारण:
चिलचिलाती गर्मी में कुछ मिले ना मिले पर शरीर को पानी जरूर मिलना चाहिए और अगर R.O. पानी हो तो क्या बात है परंतु क्या वास्तव में हम R.O. पानी को शुद्ध पानी मान सकते हैं,
जवाब आता है बिल्कुल नहीं..!!
और यह जवाब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से दिया जा चुका है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय संबंधी विकार, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द आदि दुष्प्रभाव पाए गए हैं।
कई शोधों के बाद ये भी पता चला है कि इसकी वजह से कैल्शियम, मैग्नीशियम पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं जो कि शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।

आर ओ (R.O.) पानी की क्वालिटी कभी भी नहीं मेन्टेन करता है बल्कि आपके जल के भीतर मौजूद मिनिरल को खत्म या कम कर देता है।

आपके घर पर जो भी नाम के सर्विस इंजिनियर आते हैं, उनसे पूंछिये कि कितने टीडीएस का जल पीना चाहिए तो बोलेंगे 50 टीडीएस का।
आर ओ (RO) कहाँ लगाना चाहिए तो कहेंगे कि आप लगवाइये, पड़ोस में लगाकर गए हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 500 टी.डी.एस. तक सहन करने की छमता रखता है परंतु R.O. में 18 से 25 टी.डी.एस. तक पानी की शुद्धता होती है जो कि बहुत ही हानिकारक है।

लेकिन इसके विकल्प में थोड़ी मात्रा में क्लोरीन को रखा जा सकता है, जिसमें लागत भी कम होती है एवं आवश्यक तत्व भी सुरक्षित होंगे।

हमने तो जो कहना था कह दिया....
अब फैसला आपका,
क्यूंकि जीवन भी आपका..?
है न...??



सौ बीमारियों की जड़ होती है मोटापा और उसके ऊपर लॉक डाउन जैसे हालात, इम्युनिटी तो वैसे भी कमजोर होना शुरू हो जाती है।

*कुछ बेबाक प्रश्न?*
*उत्तर स्वयं को दीजिये..*
(1). क्या आप सुंदर होने के बावजूद भी परेशान हैं.?
(2). क्या ढेर सारा खर्च करने के बावजूद परेशान हैं..?

*तो पेश है आपके लिए...*
*एकदम नेचुरल*
*वेट लॉस और इंच लॉस के लिए अद्भुत..*
*न्यूली इम्प्रूव्ड*
*फ्लैब टू फैब चूर्ण*
*Not Fat 2 Fitness*
*But newly improved*
*FLAB to FAB*
*Flabbiness to Fabulous*

*100% कुदरती स्टेरॉयड मुक्त*

*पहले समझिये कि...*
*मोटापा क्या बला होती है.?*
● मोटापा आपके शरीर में जमा हुए विषैले तत्व या टॉक्सिन्स होते हैं।
● जिसका शरीर से निकास नही हो पाता, चाहे वो बाहर का नान वेज हो या फास्ट फूड।
● ऐसे केमिकल से भरपूर भोजन को गलने मे 48 से 72 घटे लगते है।
● पर हम उसके उपर भी कुछ ना कुछ खाते रहते है। क्यों है न.?
● और ये गन्ध या टॉक्सिन्स शरीर में ही जमा होता रहता है और रिज़ल्ट या परिणाम स्वरूप वजन बढता ही चला जाता है।

*साथ ही वजन बढने के कुछ और भी कारण कारण हो सकते हैं जैसे...*
(1). शादी के बाद,
(2). बच्चा होने के बाद,
(3) किसी बीमारी के कारण,
(4). किसी गलत दवा के कारण,
(5). बैठने का काम करने की वजह से।
ऐसे ढेर सारे कारण है वजन बढ़ने के।

काफी लोग मार्केट में आ रही कई प्रकार की दवायें भी इस्तेमाल करते हैं जो ठीक नही होते है।
क्योंकि उस मे स्टेरॉयड्स भी हो सकता है जो आपका वजन तो कम कर देती है पर उसके साइड इफेक्ट बाद मे ही पता चलते हैं...
कुछ लोगों को वजन कम करने की ज्यादा जल्दी होती है, जो सही नही है।

*कारण...*
जो चीज काफ़ी मतलब चर्बी सालों से हमारे शरीर में पनप रही है उसको निकलने के लिए हमें थोड़ा समय तो देना चाहिये.?
*तो फिर... क्या करे.?*
हम आप के लिए लाये हैं बिल्कुल कुदरती तरीके से बनाया हुआ, चर्बी घटाने का एकदम कुदरती चूर्ण,
जिस से आपका वजन और आपकी चर्बी आराम से अपने आप कम हो जाएगा।

*इंग्रेडिएंट्स / घटक...*
*(1). सौंफ*
*(2). सनाया*
*(3). छोटी हरड़*
*(4). फूल गुलाब*
*(5). करी पत्ता*
*(6). अलसी*
*(7). जीरा*
*(8). देसी अजवाइन*

ये एकदम नेचुरल बिना किसी साइड इफेक्ट के घर की किचन में उपलब्ध वस्तुओं से बनाया हुआ है।

इस का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है मतलब कोई भी नुकसान नही है।
अब तक बहुत से लोगों का वजन कम किया है इस चूर्ण से।

*मात्रा*
सुबह, दोपहर
ब्रेकफास्ट, लंच से आधा घण्टे पहले और डिनर से आधा घंटे बाद, सलाह के अनुसार एक चम्मच एक गिलास गरम पानी के साथ।




पेट्रोल और डीज़ल की कीमत बढ़ने से जड़ी बूटियों की कीमत बढ़ने से फैट-2-फिटनेस की भी कीमत बढ़ सकती है।



*फैटी लिवर की समस्यायें आम हो चुकी हैं और दिन ब दिन बढ़ सकती हैं...*
*कारण हमारा जंक फूड, तले हुए खाने, निष्क्रिय रहना और चटर पटर खाते पीते रहना...*
*लीजिये...*
*100% नेचुरल*
*फैटी लिवर चूर्ण*

*निरोगी जीवन एवं निरोगी काया के लिए*
*फैटी लिवर चूर्ण*
*हेल्थ कम इम्युनिटी बूस्टर चूर्ण*
*FATTY LIVER CHURNA*
*Health cum Immunity Booster Powder*

*फैटी लिवर समस्या से सम्बंधित...*
*कुछ प्रश्न..?*
*✅ क्या आपको खाया पिया कुछ नही लगता है.?*

*✅ क्या आपको भूख नहीं लगती.?*

*✅ क्या आपका खाना हज़म नही होता.?*

*✅ क्या आपकी सेहत नही बनती है.?*

*✅ क्या आपका शरीर सुडौल नहीं है.?*

*✅ क्या जिम जाने के बाद भी आपका शरीर नहीं बन पा रहा है.?*

*✅ क्या आपको आपके जिम का इंस्ट्रक्टर महंगी महंगी प्रोटीन पॉवडर के डिब्बे खरीदने के लिये मजबूर करता है.?*

*✅क्या आप सुंदर होने के बावजूद भी परेशान हैं.?*

*✅ क्या आप अपनी फिटनेस को लेकर काफी कॉन्शियस हैं क्योंकि डॉक्टर ने आपको बोल दिया है कि आपका लिवर फैटी है..?*

*पेश है आपके फैटी लिवर को रास्ते पर लाने वाला...*
*फैटी लिवर चूर्ण*
*अद्भुत हेल्थ कम इम्युनिटी बूस्टर चूर्ण*
*100% नेचुरल घर की वस्तुओं से बनाया हुआ....*
*फैटी लिवर चूर्ण*
*● मेटाबोलिज्म बूस्टर*
*● मसल्स एक्टिवेटर*
*● इम्युनिटी बूस्टर*
*● 100% कुदरती लेकिन ज़ायकेदार*

*अब जानिये कि...*
*इम्युनिटी क्या होती है.?*
● हमारे शरीर में जमा हुए विषैले तत्व या टॉक्सिन्स कहलाते हैं।
● ऐसे टॉक्सिन्स की उत्पत्ति प्रदूषित खाद्य पदार्थ, पानी और हवा से होती है।
● जिनका हमारे शरीर से निकास अच्छे से नही हो पाता, जैसे कि जब हम कुछ भी बाहर का खाते है चाहे वो नान वेज हो या फास्ट फूड लेकिन उनमें पौष्टिकता तो होती ही नहीं और हमारा लिवर ओवरलोड हो जाता है और उस खाने को पचाने में सक्षम नहीं होता है।
● क्योंकि इस को गलने मे 48 से 72 घटे लगते है।
● पर हम उसके उपर भी कुछ ना कुछ खाते रहते है और धीरे धीरे अपने लिवर को ओवरलोड कर देते हैं।
● वो गन्ध, शरीर में ही जमा होता रहता है और पर्याप्त मेटाबॉलिज्म न होने की वजह से वजन बढता रहता है या वजन इतना सब कुछ खाने के बाद भी बढ़ ही नहीं पता और शरीर का सबसे मजबूत अंग लिवर कमजोर हो जाता है।
साथ ही इन समस्याओं के कुछ और कारण भी हैं जैसे...
● जिम जाकर वहाँ स्टेरॉयड से भरे हुए सप्लीमेंट,
● शादी के बाद भोजन की अनियमितता,
● बच्चा होने के बाद पौष्टिक भोजन की कमी,
● किसी बीमारी का सही उपचार न होने के कारण,
● किसी गलत दवा के खाने के कारण,
● डिस्टर्ब दिनचर्या या शारिरिक व्यायाम या  न होने के कारण।
ये कुछ कारण हैं हमारी फिटनेस की कमी होने के या टॉक्सिन्स के दुष्प्रभाव के।

*काफी लोग मार्केट मे आ रही कई प्रकार की दवा इस्तेमाल करते हैं जो सही नही है क्योंकिं अधिकांशतः वो प्राकृतिक नही हुआ करती।*
*क्योंकि उसमें स्टेरॉयड्स भी हो सकते हैं और उनके साइड इफेक्ट बाद मे पता चलते है।*

*कुछ लोगों को वजन बढ़ाने की ज्यादा जल्दी होती है, जो सही नही है क्यूंकि शरीर लोहे का यंत्र नहीं है बल्कि हाड़ मास का बना हुआ पुतला है।*

*कारण...???*
*इन सभी का मुख्य कारण होता है लिवर डिसऑर्डर, जिसका हम बिलकुल ध्यान नहीं देते।*
*जो चीज काफ़ी सालों से लगातार जस की तस पड़ी है उसको एक्टिवेट होने के लिए थोड़ा समय तो देना ही चाहिये।*

*तो फिर क्या होना चाहिये..?*
*आपके लिवर के लिए आपकी इम्युनिटी, सेहत और शारिरिक क्षमता बढ़ाने वाला, चर्बी आराम से बैलेंस करने वाला, वजन कम या ज्यादा करने वाला कुदरती घरल या घराट पद्धति से बनाया हुआ एकदम कुदरती चूर्ण, जिसमें घटकों की न्यूट्रिएंट्स वैल्यू जस की तस बनी रहती है और परिणाम भी मिलते हैं।*

*जिससे लिवर डिसऑर्डर ठीक होता है और जब लिवर ठीक तो हर समस्या का अंत।*
*जिससे आपको खुलकर भूंख लगना शुरू हो जायेगा, मेटाबोलिज्म बूस्ट हो जाएगा और आपका वजन और आपकी चर्बी आराम से अपने आप कुदरती तरीके से मेंटेन हो जायेगी, आपके मेटाबॉलिज्म सुधरने के कारण।*

*घटक*
*इंग्रेडिएंट्स*
*(1). अलसी*
*(2). जीरा*
*(3). अजवाइन*
*(4). सौंफ*
*(5). ऐलोवेरा*
*(6). आंवला*
*(7). गिलोय*
*(8). हरड़*
*(9). मोरिंगा*

*ये एकदम नेचुरल बिना किसी साइड इफेक्ट के घर की रसोई या किचन में उपलब्ध वस्तुओं से बनाया हुआ है।*

*इस का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है मतलब कोई भी नुकसान नही है।*

*अब तक बहुत से लोगों को फायदा हुआ है इस चूर्ण से।*

*मात्रा (डोज़)*
सुबह, दोपहर, शाम एक टीस्पून
ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर से आधा घंटे  पहले
एक गिलास गरम पानी के साथ,
लेकिन मुझसे सलाह करने के बाद।

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