Friday, 8 September 2023

काला नमक :-------- नमक के कई प्रकारों में से, एक है काला नमक। सफेद नमक, समुद्र से निकाला जाता है । लेकिन काला नमक हिमालयी क्षेत्रों से पाया जाता है। यह एक प्रकार का सेंधा नमक होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में, आयरन और पोटैशियम क्लोराइड पाया जाता है।काले नमक में मुख्यतः -

--------: काला नमक :--------
       नमक के कई प्रकारों में से,  एक है काला नमक। सफेद नमक,  समुद्र से निकाला जाता है । लेकिन काला नमक हिमालयी क्षेत्रों से पाया जाता है। यह एक प्रकार का सेंधा नमक होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में,  आयरन और पोटैशियम क्लोराइड पाया जाता है।
काले नमक में मुख्यतः --------
       सोडियम क्लोराइड होता है। इसके अतिरिरिक्त इसमें सोडियम सल्फेट, आइरन सल्फाइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि की कुछ मात्रा भी मिश्रित होती है। सोडियम क्लोराइड के कारण ही , यह नमकीन स्वाद देता है, आइरन सल्फाइड के कारण, इसका गहरा बैंगनी रंग दिखता है और सभी सल्फर लवण, इसके विशिष्ट स्वाद और गंध के लिये जिम्मेदार हैं। इनमें से हाइड्रोजन सल्फाइड,  मुख्यत: इसके गंध का कारण प्राकृतिक काला नमक चट्टानों से प्राप्त होता है। ये चट्टानें मुख्यतः भारत, पाकिस्तान में पायी जाती हैं । काले नमक का सबसे अधिक उपयोग भारत मे होता है।
      काला नमक,  जिसे हिमालयन काला नमक भी कहा जाता है । ये खाने के लिए,  कई प्रकारों से लाभदायक होता है। यह सूजन, कब्ज, एसिडिटी और पेट में ऐंठन जैसी समस्याओं की चिकित्सा करने में सहायक है। इसमें 84 प्राकृतिक खनिज और पोषक तत्व होते हैं ,  जो मानव शरीर के लिए आवश्यक हैं। इसका रंग काला से लेकर,  गहरा गुलाबी तक होता है। काला नमक शरीर के , कई अन्य कार्यों में भी सहायता करने के लिए जाना जाता है। जैसे- ब्लड शुगर को संतुलित रखना, ब्लड वेसेल्स के पीएच में सुधार करना और बॉवेल मूवमेंट को तेज करना। 
काला नमक बनाने की विधि --------
1-काला नमक बनाने के लिए, सफ़ेद वाले खड़े नमक का प्रयोग किया जाता है।
2-सबसे पहले बालू और मिटटी को सामान्य मात्रा में मिलाकर, उसको एक सही आकार का मटका बनाया जाता है , जो की सिर्फ काला नमक बनाने के लिए ही प्रयोग होता है।
3-फिर इसको सुखाने के बाद आगे में पकने के लिये छोड़ दिया जाता है जिससे यह अच्छी तरह ठोस हो जाता है
4- फिर इन घड़ों को एक भट्ठी में एक एक करके सेट किया जाता है
5- अब घड़े के अन्दर खड़े नमक के टुकडो को ऊपर तक भर दिया जाता है
6- फिर एक खास तरह का पाउडर इसमें डाला जाता है जिस कारण साधारण खड़ा नमक, काला नमक बनता है और इसका रंग काला या बैंगनी हो जाता  है यह पाउडर छोटी  हरण, बड़ी हरण, आंवला और बबूल की छाल को पीसकर बनाया जाता है 20 किलोग्राम खड़े नमक में 1 किलोग्राम पाउडर डाला जाता है (इसी पाउडर की वजह से  काला नमक पाचन के लिए अच्छा माना जाता है।
7- अब इस घड़े को ढक्कन से ढककर बंद कर दिया जाता है और भट्टी में आग लगा दी जाती है और 12 घंटे के लिए नमक को पकने के लिए छोड़ दिया जाता है घड़े के ढक्कन में एक छोटा सा छेद होता है जिससे धुआ बाहर निकलता रहता है 
8- 12 घंटे तक पकने के बाद इन घड़ों को भट्टी से हटाकर 12 घंटे तक ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है
9- अब इन मटकों को बाहर से तोड़ दिया जाता है तो एक गहरे बैंगनी रंग का घड़े के सामान ठोस गोला दिखाई देता है जो काला नमक होता है
10- अब इसको छोटे टुकडो में तोड़कर पैकिंग के लिए भेज दिया जाता है।
    अभी तो हमने बात की प्राकृतिक रूप से निकले काले नमक की, लेकिन ये सेवन योग्य नहीं होता है और इसे सिर्फ सोडियम क्लोराइड के पत्थर के तौर पर जाना जा सकता है। हालांकि, इसे बनाने का , एक अलग प्रोसेस भी है , काला नमक भट्टी के अंदर जलाकर एक रासायनिक क्रिया के माध्यम से भी बनाया जाता है। चीनी मिट्टी के बर्तन में , चारकोल के साथ हरड़ के बीज, आंवला, बहेड़ा, बबूल छाल, नैट्रॉन आदि चीजों को मिलाया जाता है। तब बनता है काला नमक। इसका रंग काला होता है, लेकिन पीसे जाने पर,  ये गुलाबी दिखने लगता है। इसलिए, अगर आप काले नमक का पत्थर खरीदते हैं तो ये अलग रंग का होता है । पाउडर बनने पर ये अलग रंग का होता है।

No comments:

Post a Comment