आन्तरिक बल – 1920
नियम -77- आटोमेटिक आदतें और शांति
हमारे शरीर की रीढ़ की हड्डी दिमाग में जहां ख़तम होती है, वहां पर एक केंद्र होता है ! जहां पर अच्छी वा बुरी आदते स्वचालित मोड़ में आती हैं ! आप अच्छा सोचते हैं, तो अच्छा करते हैं, कुछ दिन तक करते हैं, तो वह आदत बन जाती है ! उसी अनुसार कार्य करने लगते हैं ! आप कुछ बुरा सोचते हैं और कुछ दिन करते हैं तो वही आदत बन जाती है !
हमारा सांस अपने आप चलता है ! ये दिमाग का आटोमेटिक मोड वाला भाग अपने आप करता रहता है !
हमारी बुरी आदतें काम, क्रोध, लोभ, मोह अहंकार, इर्ष्या , निराशा, दुःख, चिंता, तनाव, निंदा, शोषण, भय, आलस्य, धोखाधड़ी, काला बाजारी, अपमान, दबाने की भावना, कुचलने की भावना या विचार हमारे दिमाग में ऑटोमेटिक मोड में चले गए है ! इसलिये बिना चाहे हम बुरे विचारों से पीड़ित होते रहते हैं !
कोई भी विचार अगर हम 21 दिन तक दिन में एक बार करते रहें तो यह हमारे दिमाग के आटोमेटिक मोड में चला जाता है !
अगर हम स्वय को श्रेष्ट बनाना चाहते हैं, विश्व को श्रेष्ट शान्तमय बनाना चाहते हैं तो सब से पहले हमें अपने बुरे विचारों को बदलना होगा ! आप को जो विचार या आदत बुरी लगती हैं, उस के विपरीत अच्छा क्या है, वह एक बार दिन में जरुर सोचें ! सोचें मैं कल से चाय नही दूध सेवन करुगा, बस यह हर रोज सोचते रहो ! कुछ ही दिनों में आप दूध पीने लग जाएगें ! आप का विचार मन में करने मात्र से वह आटोमेटिक मोड को चालू करने में लग जाता है !
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Milakh Raj Sandha, Hisar, Haryana, India, 9896348516
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