सावन महीना परम पवित्र होता है पूरे सावन महीने में पर्व और त्योहार सबसे अधिक मात्रा में मनाया जाते हैं सर्वप्रथम तो संपूर्ण सावन में भगवान शिव का महीना मानकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है इसी महीने में 15 अगस्त का राष्ट्रीय स्वतंत्रता का पर्व मनाया जाता है और इसी महीने की अंतिम दिन परम पवित्र रक्षाबंधन या राखी का महापर्व पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है यह हरियाली का महीना है और सारी धरती हरी भरी रहती है और ऑक्सीजन की प्रचुरता होने से सब कुछ करो ताजा दिखता है हरियाली का तीज का महापर्व भी इसी महीने में मनाया जाता है और पुत्रदा एकादशी भी सावन महीने में ही मनाए जाते हैं सावन की हरियाली देखकर ही कहा गया है -
**सावन की तो बात निराली चारों तरफ बिछी हरियाली**
भारत विश्व का सबसे प्राचीन और सबसे पवित्र देश है जो सतयुग त्रेता द्वापर में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली देश था और यह हर्षवर्धन के कल तक सारी दुनिया का सिरमौर था इसको सोने की चिड़िया भी कहा जाता था लेकिन लगातार 1000 वर्ष के आक्रमण और लूटपाट पहले मुसलमानों और फिर अंग्रेजों के द्वारा किया गया जिससे आदेश कंगाल और निधन हो गया और अनेक व्रत पर्व त्यौहार प्रथम परंपराएं दूषित हो गई फिर भी धीरे-धीरे सारी प्रथम परंपराएं फिर से कायम हो रही है और अब सोशल मीडिया और इंटरनेट का समय हो जाने से भारत के सनातनी लोगों को यह पता चल गया है कि हमारा भोजन वस्त्र रहन-सहन आवास की प्रथा और जीवन प्रणाली तथा भोजन प्रणाली व्रत पर्व त्यौहार दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं जो प्रकृति और पर्यावरण के साथ समस्त जीवधारियों से तादात्म्य स्थापित करके चलते हैं
भारत के हर महीने में अनेक औरत पर्व त्यौहार पढ़ते हैं लेकिन सबसे प्रमुख पर्व में चार हैं जिसमें रक्षाबंधन ब्राह्मणों का अर्थात पठन-पाठन मंत्र वचन पूजा पाठ करने वालों का दशहरा या विजयदशमी क्षत्रियों का अर्थात शक्तिशाली अस्त्र विद्या में निपुण देश और जनता की रक्षा करने वालों का दीपावली वैश्यों का अर्थात जो भी देश को धन-धन सुख समृद्धि संपन्नता से भर दे उनका और होली का महापर्व शूद्रों का अर्थात जो सेवा भावना से ओत-प्रोत हों और जो सच्चे मन से सब की सेवा करने वाले हों का त्यौहार है यह ध्यान देना अति आवश्यक है कि प्राचीन काल में वर्ण व्यवस्था थी जाति प्रथा नहीं थी और किसी भी वर्ण का व्यक्ति संबंधित वर्ण का गुण होने पर उसमें आसानी से स्थान पर जाता था जाति प्रथा मुगल और अंग्रेजों की देन थी लेकिन तब भी सनातनी समाज के द्वारा ऐसा कोई बंधन नहीं था की एक जाति का व्यक्ति दूसरी जाति में नहीं जा सकता था उदाहरण के लिए ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र चक्रवर्ती सम्राट विश्व रथ थे लेकिन अपने अपार ज्ञान त्याग तपस्या के कारण व ब्रह्म ऋषि हुए और उन्होंने गेहूं नारियल भैंस गायत्री मंत्र एंटीमैटर एंटी एनर्जी एंटी यूनिवर्स का निर्माण और खोज किया द्रोणाचार्य एक ब्राह्मण होते हुए भी परम अतिरथी योद्धा थे और एकलव्य शुद्ध होकर भी महान धनुर्धर था करण सूत पुत्र होकर भी महाभारत के सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं में एक था इसी प्रकार लोमश ऋषि काग भूसुंडी सूतजी शौनक जी गृत्समद शबरी मतंग ऋषि दादू रविदास गाडगे जैसे अनगिनत लोग दलित और निम्न जातियों से और वर्ण से होकर भी सर्वश्रेष्ठ ऋषि मुनि तपस्वी सन्यासी थे जिनकी पूजा स्वयं ब्राह्मण और बड़े-बड़े सम्राट भी किया करते थे
इस वर्ष सावन महीने में 9 अगस्त के दिन रक्षाबंधन का परम पवित्र महापर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाएगा इस दिन घी का दीपक एरोली हल्दी कुमकुम अक्षत राखी के साथ सजाकर बहाने अपने भाई लोगों को स्नान ध्यान करके बांधती हैं और उन्हें अच्छा भोजन खिलाती हैं बदले में भाई अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुछ ना कुछ प्रदान करते हैं लेकिन सबसे बड़ी बात में अपनी बहन को आजीवन रक्षा करने का वचन देते हैं यह जाति धर्म देश काल की सीमाओं से परे हैं और इसे सनातनी गैर सनातनी क्रिश्चियन मुस्लिम में होली शैतान राक्षस देव जातियां सभी मनाते हैं तेरा ध्यान देने योग्य बात है कि यह केवल भाई बहन का ही महापर्व नहीं है छोटे लोग बड़े और सम्मानित लोगों को अपने पिता और गुण को और सीमा पर तैनात सैनिकों को भी राखी बांधते हैं
रक्षाबंधन का त्यौहार राखी के दिन अर्थात सावन पूर्णिमा के दिन ही प्रारंभ हुआ था इसके बारे में अनेक सामाजिक धार्मिक आध्यात्मिक दार्शनिक और ऐतिहासिक कथाएं हैं सबसे पहले रक्षाबंधन महापर्व का वर्णन भगवती लक्ष्मी द्वारा बलि को राखी बांधने से प्राप्त होता है
रक्षाबंधन का अगला वर्णन इंद्र की परम सती पत्नी सच्ची के द्वारा इंद्र को राखी बांधने से प्राप्त होता है जब देवराज इंद्र और देवता राक्षसों से हार रहे थे तब देवगुरु बृहस्पति के निर्देश पर मित्रों से पूरी रेशम के रक्षाबंधन को देवी सचिन ने इंद्र की कलाई पर बांधा था जिससे देवताओं की विजय हुई और राक्षस हार गए द्रौपदी जी के द्वारा भगवान कृष्ण को राखी बांधने का प्रसंग विश्व विख्यात है ही जब शिशुपाल के बाद के समय उनकी अंगुली में सुदर्शन चक्र से चोट लग गई तो द्रौपदी ने तत्काल अपनी साड़ी फाड़ कर भगवान कृष्ण को बंद दिया था जिसका मूल्य उन्होंने चीर हरण में चुकाया महाभारत में अनेक लोगों के द्वारा राखी बांधने का वर्णन मिलता है राजा महाराजा सामान्य जनता सभी रक्षाबंधन बड़े ही उत्साह से मनाते हैं इस दिन पुरोहित घर-घर जाकर अपने यजमानों को राखी बंद कर बदले में अन्य धन वस्त्र प्राप्त करते हैं यद्यपि यह प्रथा अब धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं इसी दिन शिष्य अपने गुरुजनों को भी राखी बांधते हैं वैसे रानी करमती द्वारा हुमायूं को राखी बांधने की कथा आती है लेकिन यह सही नहीं है क्योंकि हुमायूं रानी कर्मावती की रक्षा करने के स्थान पर बहादुर शाह से मिल गया और मेवाड़ का बुरी तरह से पतन हो गया और 30000 रानियां को कर्मावती के साथ जौहर करना पड़ा था।
राखी सदैव शुभ मुहूर्त में ही बांधी जाती है इस वर्ष बहुत अच्छा मुहूर्त है 9 अगस्त को शनिवार के दिन रक्षाबंधन सुबह 5:45 से दोपहर 1:25 तक है उसमें भी अभिजीत मुहूर्त में 12:00 से लेकर 12:53 तक का समय हर प्रकार से सर्वश्रेष्ठ हैं इसलिए इसी समय राखी बांधना सर्वोत्तम रहेगा वैसे तो देश काल और परिस्थितियों के अनुसार 5.47 से 1.25 के बीच कभी भी राखी बांधी जा सकती है इस वर्ष सावन पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधन पर झमाझम बारिश भी होने का अनुमान है
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