Friday, 24 October 2025

मधुकामनी मन और आत्मा को शांति प्रदान करने वाला पौधा*

*मधुकामनी मन और आत्मा को शांति प्रदान करने वाला पौधा*
यह वातावरण और शरीर दोनों को सकारात्मक ऊर्जा देता है और वातावरण शुद्ध करता है अनेक पारंपरिक कार्यों में इसका उपयोग होता है रक्त को शुद्ध करने में भी इसके औषधीय गुणों का प्रयोग किया जाता है ‌ पाचन तंत्र को सुधार कर रक्त को शुद्ध करता है और वास्तु दोषों को दूर करने में बहुत सहायक होता है ‌ यह परागण क्रिया में सहायक होता है और शुभ तथा मांगलिक कार्यों में इसकी पत्तियों का उपयोग भी किया जाता है

इसका उपयोग रस काढ़ा या लेप के रूप में भी किया जा सकता है‌ फिर भी इसके सेवन के पहले वैद्य डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है कभी-कभी इसके प्रयोग से प्रतिक्रिया अर्थात शरीर में एलर्जी भी हो जाते हैं ‌ इसका एक नाम मधुकामनी भी है और यह ठंडा होने के कारण दस्त में भी काम आता है ‌ कीटनाशक होने के साथ-साथ यह अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में भी कारगर होता है ‌ यह पानी का भवानी नियंत्रित करके भूमि का कटाव रोकता है इसका (वैज्ञानिक) बॉटनिकल नाम मुरैया पैनीक्यूलाटा है

मधुकामिनी का प्रयोग इत्र बनाने में होता है। विवाह मंडप में सजावट के तौर पर होता है, क्योंकि जितने भी पुष्पक हैं अर्थात फूल सजावट का कार्य करने वाले,जो भी फूलों का कार्य करते हैं फूलों को सजाने का मंडप को सजाने का उन सभी का मानना है की कितने भी प्रकार के फूलों का उपयोग कर लिया जाए जब तक मधु कामिनी की पत्तियों का उपयोग नहीं होता तब तक सभी पुष्प अधूरे लगते हैं मधु कामिनी की पत्तियां लगते हैं संपूर्ण गुलदस्ता या सजावट पूर्ण हो जाती है इसका उपयोग संपूर्ण करने के लिए किया जाता है इस प्रकार से मधु कामिनी संपूर्णता का प्रतीक है। किसान इसे हेज के तौर पर भी प्रयोग करते हैं खेत के चारों तरफ बाड़ (हेज)बनाने के लिए क्योंकि कोई भी जानवर चाहे वह नीलगाय हो जाए वह महा हो बकरी गाय , भेस इसकी पत्तियों का  नहीं  खाता है  यही कारण है कि इसका उपयोग खेत के चारों तरफ बाड़ बनाने के लिए किया जाता है। इसकी पत्तियों को और फूलों को सूंघने पर मन को शांति प्राप्त होती है और मस्तिष्क का तनाव दूर होता है। इसका उपयोग मस्तिष्क तनाव को दूर करने वाली दवाइयां बनाने में होता है।

धार्मिक महत्व
भगवान श्री कृष्ण ,इंद्र के उपवन से या उद्यान से तीन प्रकार के पुष्पों के पौधे स्वर्ग से धरती पर लाए थे जिनमे सर्वप्रथम मधु कामिनी, इसके पुष्पों का रंग सफेद होता है और पुष्पों से और पत्तियों से बहुत ही मां को शांति प्रदान करने वाली सुगंध प्राप्त होती है।
 दूसरे नंबर पर हरसिंगार जिसे पारिजात कहा जाता है इसके पुष्प का रंग सफेद और पुष्प की डंडी का रंग नारंगी होता है इसकी खुशबू भी मां को बहुत शांति प्रदान करती है इसके पुष्प रात में खेलते हैं इसलिए इसे रात की रानी भी कहा जाता है।
और तीसरा पुष्प अपराजिता है। इसके पुष्पों का रंग सफेद और नीले रंग होता है आयुर्वेद में इसके पुष्पों के कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ बताए गए हैं
धार्मिक दृष्टि से इन तीनों ही पौधों का बहुत अधिक महत्व है। यही कारण है कि हमारी परंपराओं में इन पुष्पों का उपयोग धार्मिक कार्यों में किया जाता है मधु कामिनी का उपयोग विवाह मंडप में शुभ  मांगलिक कार्यों में ,घर में किसी भी शुभ कार्य को करने पर मधु कामिनी के पुष्पों से और पत्तियों से घर को सजाया जाता है तीज त्योहार पर भी इसका उपयोग घर सजाने के तौर पर उपयोग होता है क्योंकि इसके पत्तियों में सुगंध होती है और पुष्पों की सुगंध तो इतनी अधिक होती है कि मन मदहोश हो जाता है। धार्मिक दृष्टि से इन पौधों का बहुत अधिक महत्व है इसलिए इनका उपयोग हमारी परंपराओं में हमारे मांगलिक कार्यों के लिए उचित बताया गया है हालांकि यह बहुत प्रकार की औषधीया बनाने में भी उपयोग किए जाते हैं।

डा दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ  लीगल & डिफेंस काउंसिल है  जिला जौनपुर से । और ज्योतिष शिरोमणि है 

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