Monday, 29 September 2025

बंदर समस्या: समाज, अर्थव्यवस्था और समाधान 🌱👉 भारत में बंदरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 📌 2015 में सिर्फ उत्तर प्रदेश में बंदरों की संख्या 7 लाख से अधिक थी। 📌 2021 तक यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 10–12 लाख तक पहुँच गया। 📌 अकेले उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल और बिहार में यह समस्या सबसे गंभीर है।

🐒 बंदर समस्या: समाज, अर्थव्यवस्था और समाधान 🌱
👉 भारत में बंदरों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
 📌 2015 में सिर्फ उत्तर प्रदेश में बंदरों की संख्या 7 लाख से अधिक थी।
 📌 2021 तक यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 10–12 लाख तक पहुँच गया।
 📌 अकेले उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल और बिहार में यह समस्या सबसे गंभीर है।

⚠️ आर्थिक नुकसान
किसानों की फसलों को 20% तक हानि।
 (केवल यूपी में हर साल सैकड़ों करोड़ का नुकसान)
सोलर पैनल, छत और बिजली उपकरणों का नुकसान।
घरों में काँच तोड़ना, कपड़े फाड़ना और खाने-पीने की वस्तुओं का नष्ट होना।

⚠️ सामाजिक नुकसान
बच्चों और बुजुर्गों पर हमला।
महिलाओं के लिए असुरक्षा का माहौल।
मोहल्लों में तनाव और मानसिक शांति का ह्रास।

😔 अगर बंदरों को मारा जाए तो परिणाम
धार्मिक और सामाजिक विरोध बढ़ जाता है।
प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है।
पशु क्रूरता से जुड़ी नैतिक और कानूनी समस्याएँ खड़ी होती हैं।

✅ समाधान – मनोवैज्ञानिक एवं इंजीनियर राकेश कुमार पांडे जी का प्रयोग
 📌 कैमरा + हाई-फ्रीक्वेंसी अल्ट्रासोनिक साउंड
 ➡️ शेर, बाघ, उल्लू और चील जैसी आवाज़ें हर 10 मिनट पर बदल-बदलकर बजती हैं।
 ➡️ बंदरों को डर तो लगता है लेकिन उन्हें कोई चोट नहीं पहुँचती।
 ➡️ घर, किसान और उपकरण सुरक्षित रहते हैं।
 ➡️ सबसे बड़ी बात – अहिंसा और प्रकृति के संतुलन के साथ।

🌿 क्यों जरूरी है इन्हें जंगल वापस भेजना?
जंगल उनका असली घर है, गाँव-शहर नहीं।
यदि गाँवों से भोजन लेना बंद होगा, तो वे स्वतः वापस लौटेंगे।
जंगलों में भोजन और संरक्षण देकर ही असली संतुलन बनेगा।

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