*नवरात्र और महा शक्ति पूजा ,क्यों मनाया जाता है नवरात्रि महापर्व डॉ दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि मौसम विज्ञानी एवं निदेशक7017713978*
(नवरात्रि महापर्व पर पूर्ण प्रामाणिक लेख विधि विधान के साथ)
 नवरात्रि वर्तमान समय में भारत के सबसे बड़े उत्सव में से एक हैं इसलिए इसको महापर्व कहा जाता है वर्ष में दो बार नवरात्रि पड़ती है जाड़े के प्रारंभ होने के पहले शरद ऋतु में आश्विन (क्वार)मास में पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि और गर्मी के पहले बसंत ऋतु में चैत्र माह और मार्च में पड़ने वाले नवरात्रि को बासंतिक नवरात्रि कहा जाता है भारतीय देश और संस्कृति तथा परंपरा में नारी शक्ति को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है यहां तक की त्रेता युग के सबसे शक्तिशाली राक्षसराज रावण को मारने के लिए भी भगवान श्रीराम को देवी दुर्गा की पूजा करनी पड़ी थी । 9 दिन मनाया जानेवाला यह महापर्व वास्तव में नारी की सर्वोच्चता और प्रकृति और शिव की शक्ति शिवा अर्थात पार्वती देवी के सर्वोच्च होने के उपलक्ष में मनाया जाता है।
 लेकिन इसके पीछे कथा यह है कि महिषासुर नाम के दैत्य ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा तो उन्होंने कहा यह संभव नहीं है किसी एक के हाथ तो मरना ही होगा तब महिषासुर ने कमजोर मानी जाने वाली स्त्री के हाथों अपनी मृत्यु मांगी ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह दिया और वरदान पाकर मदमस्त हो और शक्ति के नशे में चूर महिषासुर ने धरती आकाश पाताल सब जगह अपनी विजय पताका फहरा कर देवताओं को स्वर्ग से खदेड़ दिया इस पर सभी देवताओं और त्रिदेव तथा उनकी शक्तियों ने मिलकर एक परम दिव्य शक्ति पुंज के रूप में दुर्गा देवी का निर्माण किया और सारे दिव्य अस्त्र शस्त्र उन्हें प्रदान किए अद्भुत सौंदर्यवान देवी दुर्गा जी को पाने की लालसा लेकर महिषासुर और देवी दुर्गा में 9 दिनों तक घनघोर युद्ध हुआ और 10वें दिन देवी दुर्गा ने दैत्य महिषासुर को मार गिराया तभी से 9 दिन के नवरात्रि व्रत का आरंभ हुआ
*नवरात्रि मनाने का वैज्ञानिक और दार्शनिक कारण*
 वास्तव में भारत के सभी पर्व त्योहार मंगल कार्य विवाह और अन्य सभी कार्य प्रकृति वातावरण और पर्यावरण से भी अत्यंत ही घनिष्ट रूप में जुड़े हैं शारदीय और बासंतिक दोनों नवरात्रि में दिन- रात बराबर होते हैं और सर्दी गर्मी भी बराबर होती है सर्दी नवरात्रि में शरद ऋतु में वर्षा के बाद साफ सफाई होने और पूजा पाठ तथा घर घर से विशिष्ट प्रकार की जड़ी बूटियों और पूजा हवन के पदार्थों से जलने वाली आग और निकलने वाली सुगंध तथा धुएं से वातावरण में स्थित खतरनाक कीट पतंगे भयंकर जानवर विषैली चीजें तथा अदृश्य रूप में विद्यमान जीवाणु कीटाणु विषाणु रोगाणु नष्ट हो जाते हैं और वातावरण में स्वच्छता ताजगी भर जाती है।
 इस तरह विषैली गैसों का स्तर काफी घट जाता है और ऑक्सीजन तथा अन्य जीवनदायिनी गैसों का निर्माण होता है इसलिए इसको सफाई और स्वच्छता से जोड़कर महान वैज्ञानिक पर्व बनाया गया दार्शनिक रूप से अपने मन के अंदर की राक्षस रूपी शक्तियों को मारना और दिव्य शक्तियों को उत्पन्न करना इस महान नवरात्रि पर्व का वैज्ञानिक और दार्शनिक कारण है इसके अलावा प्रकृति और वातावरण को शुद्ध करके संतुलित करना भी इस महापर्व का एक मुख्य लक्ष्य है।और यह लगभग भारत के हर प्रकार के पर्व उत्सव और त्योहारों में दिखता है ऐसा ही दृश्य बासंतिक और शारदीय नवरात्रि में भी होता है जब सफाई स्वच्छता और घर घर में पूजा पाठ यज्ञ और विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों का जलाया जाना अनिवार्य किया गया है
*9 दिन के व्रत में नौ देवियों का दिव्य दर्शन एवं अन्य विशेष जानकारी*
  अगर देखा जाए तो प्रत्येक स्त्री जन्म से मृत्यु तक 9 चक्रों में होकर गुजरती है बाल्यावस्था किशोरावस्था शैशवावस्था युवावस्था प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था जिन अवस्थाओं में बेटी बहन मां पत्नी जैसे विभिन्न रूपों में सामने आती है इसीलिए इसके 9 दिन में नौ देवी रूपों का आवाहन किया जाता है जिसमें पहले दिन देवी शैलपुत्री दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा चौथे दिन देवी कूष्मांडा पांचवें दिन देवी स्कंदमाता छठे दिन देवी कात्यायनी सातवें दिन महाकाली या कालरात्रि आठवें दिन महागौरी और नवमी दिन देवी सिद्धिदात्री आती हैं जिसमें सृजन से लेकरसंहार तक के सभी स्वरूप शामिल हैं उदाहरण के रूप में अगर महाकाली संहार की देवी हैं तो महागौरी संतान पुत्र और सारी इच्छा को पूरा करने वाली हैं सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को देने वाली तो मां कुष्मांडा समग्र अनंत कोटि के ब्रह्मांडो का निर्माण करती हैं 9 दिन के उल्लास उमंग भरे वातावरण में सभी व्यक्तियों के पवित्र हो जाने के बाद उनमें नया उमंग उत्साह संचालित हो जाता है और फिर आती है विदाई की बेला जिसमें पंडालों से सभी देवी की मूर्तियों को उनके सहायक देवी-देवताओं के साथ जल में विसर्जन किया जाता है जो इस बात का प्रतीक है कि इस अनंत ब्रह्मांड में जिसने भी जन्म लिया है उसका अंत होना निश्चित है यह भी एक बड़ा दार्शनिक और वैज्ञानिक पक्ष है धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा धरती पर आकर अपने भक्तों पर कृपा करती हैं इसीलिए लोग व्रत उपवास पूजा पाठ हवन इत्यादि करते हैं।
*वर्ष 2025 शारदीय नवरात्रि अश्विन अर्थात क्वार महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से शुरू होगी जो अंग्रेजी गणना के अनुसार 22 सितंबर को प्रातः काल शुरू होगी और 2 अक्टूबर को दशहरा के महापर्व पर विदाई होगी जबकि महा अष्टमी का पर्व 30 सितंबर को रखा जाएगा और नवमी का व्रत 1 अक्टूबर 2025 को होगा और माता सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना होगी 2 अक्टूबर  को विसर्जन क्रिया संपन्न होंगीविजयादशमी त्यौहार मूर्ति विसर्जन के साथ समाप्त हो जाएगी*।
शारदीय नवरात्रि 2025 में अद्भुत संयोग बन रहा है प्रतिपदा अर्थात प्रथमा की तिथि में ही शुक्ल योग सुबह 8:06 तक है और उसके बाद ब्रह्म योग शुरू होगा दोनों ही योग पूजा पाठ हवन पूजन के लिए बहुत सुखद हैं वैसे भी इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पूरे 9 दिनों तक रहने से इसका महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है कलश और घट स्थापना का समय इस बार सुबह 6:09 से 8:06 तक रहेगा दूसरा योगी 11: 49 से 12: 48 तक रहेगा
*क्या है इस वर्ष माता रानी की सवारी*
इस वर्ष मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगे इस बारे में प्रामाणिक मान्यता यह है कि सोमवार और रविवार को नवरात्रि शुरू होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं अगर नवरात्रि शनिवार या मंगलवार को शुरू होती है तो देवी जी घोड़े पर सवार होकर आती हैं और अगर नवरात्रि का प्रारंभ बृहस्पतिवार और शुक्रवार को होता है तो माता रानी डोली में बैठकर आती हैं जबकि बुधवार के दिन नवरात्रि प्रारंभ होने पर नाव से सवार होकर आती हैं माता रानी की विदाई पालकी पर होगी और यह दोनों बहुत ही शुभ और मंगलकारी होगा । इसके प्रभाव से खूब वर्षा होगी विदेशों में बहुत भयानक नुकसान होगा
धार्मिक ग्रंथों वेदों और पुराणों के अनुसार हाथी पर सवार होकर आने के कारण पूरे 4 महीने में जल की अधिकता रहेगी जब घोड़े पर सवार होकर दुर्गा मां आती हैं तो देश में युद्ध होने की और राजनीतिक परिवर्तन होने की संभावना अधिक होती है नौका पर सवारी करके आने पर सभी लोगों की मनोकामना पूरी होती हैं और अगर डोली पर सवार होकर आती है तो रोग महामारी और बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु का खतरा रहता है एक विशेष बात यह भी है कि इस वर्ष माता रानी की विदाई भी हाथी पर ही होगी अर्थात पूरे नवरात्र में वर्षा का और जल की अधिकता का खतरा बना रहेगा।
*चाहे बासंतिक नवरात्रि हो या शारदीय नवरात्रि माता रानी के आगमन और प्रस्थान की बेला में दिन के अनुसार उनकी सवारी होती है और सवारी का विशिष्ट संकेत होता है अगर नवरात्रि सोमवार को शुरू हो रही है तो माता रानी हाथी पर मंगलवार को घोड़े पर बुधवार को नौका पर बृहस्पतिवार को डोली अर्थात पालकी पर शुक्रवार को डोली पर शनिवार को घोड़ा पर और रविवार को हाथी पर आती हैं जब माता रानी हाथी पर आती है तो सर्वश्रेष्ठ मौका और पालकी पर आती है तो मध्यम और घोड़े पर आती हैं तो विनाशकारी होता है इसी प्रकार माता रानी का प्रस्थान सोमवार के दिन भैंसा पर होता है मंगलवार को मुर्गा पर बुधवार को हाथी पर बृहस्पतिवार को मनुष्य पर शुक्रवार को हाथी पर शनिवार को मुर्गा पर और रविवार को भैंसा पर विदाई होती है जिसमें हाथी और मनुष्य पर विदाई सर्वश्रेष्ठ जबकि भैंसा मुर्गा की विदाई रोग शोक कष्ट और भय का कारण होती है डॉ दिलीप कुमार सिंह*
*इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में कलश अर्थात घट स्थापना का सही समय कब है इस वर्ष कलश या *घट स्थापना का मुहूर्त*
 सुबह 6:09 से सुबह 8/08 तक रहेगा अगर कोई किसी कारण बस ऐसा ना कर सके तो दोपहर 11:49 से 12:48 तक 22 सितंबर के दिन अभिजीत मुहूर्त में भी कलश और घट की स्थापना कर सकता है इस प्रकार स्पष्ट है कि हमारे ऋषि मुनि और विद्वान प्रकृति और विज्ञान तथा पर्यावरण के भी महानतम ज्ञाता थे और वह अनुमान लगा देते थे कि इस वर्ष कैसा रहेगा यह सारे प्रकरण बसंत इस नवरात्रि के लिए भी लागू होते हैं।
*पूजा पाठ का विधान और आवश्यक वस्तुएं*
*दुर्गा पूजा के लिए 9 दिनों तक मां दुर्गा की सुंदर सृजनात्मक प्रतिमा या उनका चित्र सिंदूर केसर कपूर धूप दीप वस्त्र दर्पण कंघी कंगन चूड़ी सुगंधित तेल बंदनवार या पताका आम के पत्ते पुष्प दूब घास मेहंदी बिंदी सुपारी खड़ी हल्दी की गांठ पिसी हुई हल्दी चौकी आसन रोली मौली या रक्षा सूत्र जनेऊ पुष्पहार या माला बेल का पत्र कमलगट्टा और कमल पुष्प दीप्ति नैवेद्य मधु शक्कर या गुड़ पंचमेवा और जायफल की आवश्यकता पड़ती है नारियल में चुनरी लपेटकर कलश के मुंह पर मौली अर्थात रक्षा सूत्र बांधने फिर कलश में अर्थात घड़े में पानी भरें पानी भरकर उसमें दो लौंग सुपारी और हल्दी की गांठ डूब और रुपए का सिक्का डालें कलश के मुंह पर आम के पत्ते लगाकर उस पर नारियल रखें और इस कलश को मां दुर्गा की प्रतिमा के दाहिनी ओर स्थापित करें और कलश को रेत पर यदि हो सके तो गंगा मां की रेत पर उसने जौ डालकर स्थापना करने के बाद मां दुर्गा जी के आने का आह्वान करें कलश स्थापना के लिए स्थान को लीप पोतकर गंगाजल छिड़क कर स्वच्छ कर लेना चाहिए गंगाजल ना मिले तो स्वच्छ जल से ही उसे पवित्र कर लेना चाहिए और जहां तक संभव हो सबसे पवित्र स्थान पर उत्तर पूर्व के कोने में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करना चाहिए अगर ऐसा संभव ना हो तो उत्तर पश्चिम दिशा मैं भी घट स्थापना कर सकते हैं या फिर उत्तर दिशा और पूर्व दिशा में भी कलश की स्थापना कर सकते हैं इसको शुभ मुहूर्त में स्थापित करना चाहिए।*
*नवरात्रि मैं किन-किन चीजों की सावधानी रखें*
 व्रत जो नवरात्रि का व्रत रखते हैं उन्हें अन्य का प्रयोग नहीं करना चाहिए सिर्फ फल दूध या रामदाना और कुट्टू का आटा जिसे सिंघाड़ा भी कहा जाता है मूंगफली पंचमेवा का ही सेवन करना चाहिए आलू और सब्जियों का भी प्रयोग धनिया की हरी पत्ती के साथ कर सकते हैं कुल मिलाकर 9 दिनों तक उपासना में अधिक मन लगाएं और भोजन करने में कम मन लगाएं और शयन भी आरामदायक गद्दे इत्यादि पर ना करके जमीन पर या तख्त इत्यादि पर ही सोना चाहिए सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें ।
सुबह उठकर स्नान कर ले सभी प्रकार के नशा और मांसाहार से दूर रहें नवरात्रि में जरूरी नहीं कि 9 दिनों तक ही व्रत रखें आप श्रद्धा शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार पहले दिन और अष्टमी का व्रत रख सकते हैं केवल अंतिम दिन का व्रत रख सकते हैं 2 दिन 3 दिन और 7 दिन का भी व्रत रख सकते हैं जहां तक हो सके ब्रम्हचर्य का पालन करें पाप और झूठ बोलने तथा दूसरों की चुगली दुराचार व्यभिचार जैसे आदतों से दूर रहें मन में उमंग उत्साह उदारता का भाव रखें काम क्रोध मद लोभ मोह से भी दूर रहें वरना व्रत करने का कोई भी फल नहीं मिलेगा नियम संयम पालन करें तामसी चीजों से दूर रहें।
*नवरात्रि व्रत का पारण कैसे करें*
मां अष्टमी और नवमी को कन्या का पूजन करना चाहिए और दशमी को पारण करना चाहिए माता की विदाई पूरे भक्ति भाव और आदर सम्मान के साथ करना चाहिए पारण करने की सामान्य विधि है कि सुबह उठकर स्नान करें पूजा वाले स्थान पर गंगाजल छिड़क दें धूप दीप प्रज्वलित करें फिर माता दुर्गा की मन लगाकर पूजा करें और हवन सामग्री को लकड़ी की राख इत्यादि को बहते जल में प्रवाहित कर दें और कलश के जल को आम के पत्तों से सारे घर में छिड़क देना चाहिए।
*देवी दुर्गा मां की पूजा कैसे करें*
 सामान्य रूप से मां दुर्गा को पुष्प और पुष्पमाला अर्थात माला चढ़ाएं इसके बाद बेल का पत्र और दूब चढ़ाएं इसके बाद नैवेद्य अर्थात मूंगफली इत्यादि प्रार्थना के साथ मां दुर्गा का को चढ़ाएं फिर अपना हाथ धोकर मां दुर्गा को भोग लगाएं फिर फल समर्पित करें इसके बाद सुपारी लौंग इलायची देवी मां को समर्पित करेंयही सामान्य रूप से दुर्गा पूजा मैं 9 दिनों का विधान है अगर मंत्र नहीं जानते हैं तो देवी दुर्गा जी को अपनी भाषा में स्मरण करें इसे और भी विस्तृत करना है तो आसन पर बैठकर भगवान केशव और माधव तथा नारायण का नाम लेकर हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें और हाथ धो लें हाथ में चावल और फूल लेकर अंजलि को बांधकर दुर्गा देवी की पूजा करें।
*नवरात्रि में बनने वाले प्रमुख योग निम्नलिखित हैं*
शारदीय नवरात्र 2025 के प्रमुख योग 22 को गजकेसरी ब्रह्म योग और शुक्ल योग तथा शुक्र बुध आदित्य योग है और नवरात्रि में ही बुध और बृहस्पति का केंद्र योग भी बन रहा है इसके अलावा अन्य तमाम योग भी बन रहे हैं जिसमें विद बुधादित्य योग गजकेसरी योग मंगल योग विपरीत राजयोग जैसे योग शामिल हैं।
*नवरात्रि में विशेष सावधानी क्या क्या न करें*
 आजकल स्नान के लिए साबुन और शैंपू इत्यादि का प्रयोग जहां तक हो सके नवरात्रि में ना करें क्योंकि साबुन और शैंपू में अंडे इत्यादि चीजों का प्रयोग किया जाता है स्नान तो कर लेना चाहिए लेकिन महिलाओं को रोज बाल धोकर पूजा नहीं करना चाहिए क्योंकि पूजा करते समय बाल से पानी गिरना बहुत अशुभ माना जाता हैउपवास भी कर सकते हैं तो करें उपवास का अर्थ है निकट बैठना अर्थात देवी देवता या ईश्वर के निकट बैठकर उनका ध्यान करना ही उपवास कहा जाता है जिसे कुछ लोग यह समझते हैं कि कुछ ना खाना ही उपवास है लहसुन प्याज मांसाहार तामसी भोजन हर प्रकार के नशा से दूर रहना चाहिए स्वच्छता और स्नान किसी भी त्योहार में वर्जित नहीं है अगर मिट्टी मिल सके तो बाल धोने वाली मिट्टी से बाल साफ कर सकते हैं साबुन की जगह बटन का प्रयोग करें जैसे हल्दी और आटा इतिहास मिलाकर बना ले तेल लगाने से बचना चाहिए विशेषकर सुगंधित तेल और सरसों के तेल का वैसे भी व्रत पूजा पाठ में त्याग किया जाता है अगर कोई आपातकालीन स्थिति आ जाए और किसी प्रतिबंधित चीज का प्रयोग करना हो तो माता रानी से क्षमा मांग कर उसका प्रयोग करना चाहिए सबको अपनी मनोकामना माता रानी से यह कहकर मांगना चाहिए कि आपके अलावा और कौन हैं जिससे हम अपनी मनोकामना कहें क्योंकि पूरी दुनिया में मां ही ऐसी है जिससे संताने कुछ भी मांग सकती हैं 
9 दिनों तक दाढ़ी मूंछ और बाल नहीं कटवाना चाहिए और 9 दिनों तक नाखून भी नहीं काटना चाहिए लेकिन यह देशकाल परिस्थितियों पर निर्भर है और आज संभव नहीं है इसलिए पाखंड के चक्कर में ना पड़े साफ सुथरा स्वच्छ रहें।अखंड ज्योति जला रखे हैं तो 9 दिनों तक घर छोड़कर बाहर भी नहीं जाना चाहिए गंदे और बिना दूल्हे कपड़े ना पहने नींबू मत काटो अनाज और नमक का सेवन ना करें दिन में कदापि ना सोए फलाहार बैठकर पालथी मारकर एक ही जगह करें मंत्र और चालीसा या सप्तशती पढ़ते हुए बीच में उठना बोलना मना है कोई भी नशा का सेवन मदिरातंबाकू गुटखा सुपारी इत्यादि बिल्कुल ना खाएं -डॉ दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि मौसम विज्ञानी एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी बाल गोपाल शिवानी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर*
No comments:
Post a Comment