Tuesday, 31 January 2023

रात के समय एक आदमी को उसके घर वाले अस्पताल ले के आये, उसके पैर की हड्डी में फ्रैक्चर था! मरीज का फ्रैक्चर गंभीर नहीं था तो कुछ दिनों बाद उसे छुट्टी दे दी गयी पर घर पर ही रहने की सलाह दी गयी .

रात के समय एक आदमी को उसके घर वाले अस्पताल ले के आये, उसके पैर की हड्डी में फ्रैक्चर था! 

मरीज का फ्रैक्चर गंभीर नहीं था तो कुछ दिनों बाद उसे छुट्टी दे दी गयी पर घर पर ही रहने की सलाह दी गयी .

चूंकि वो बिना सहारे के चल नहीं पा रहा था तो डॉक्टरों ने इस समस्या के हल के रूप में उसे सरकारी अस्पताल से मुफ़्त में मिलने वाली बैसाखी देते वक़्त बोला ... कि ये सरकार की तरफ से 5_हफ्ते के लिये है इसलिए इसकी संख्या और सीमा निर्धारित है, जब आप खुद से चलने में समर्थ हो जाओ तो इस बैसाखी को लौटा देना ताकि ये भविष्य में आने वाले आप जैसे लोगों के भी काम आ सके!

फिर वो लिखी हुई दवाएं लेने सरकारी दवाखाने पंहुचा तो वो भी लाइन में लग गया , लाइन में लगे बाकि लोगों ने जब उसके पैर में प्लास्टर बंधा और बैसाखी के सहारे खड़े देखा तो मानवता के चलते उसे आगे जाने दिया और उसे दवा जल्दी ही मिल गयी!...

  अब उसे स्टेशन जाना था तो ऑटो पकड़ने पंहुचा,ऑटो रुकी तो ऑटो वाले ने भी उसकी लाचारी को देखते हुए उसके सामान को उठा कर रख दिया और उसको भी चढ़ने में मदद की और स्टेशन तक छोड़ा!...

ट्रेन पकड़ने पंहुचा तो ट्रेन में बहुत भीड़ थी, बैठने की जगह न होने से खड़ा रहना पड़ा फिर लोगों ने देखा कि बेचारा बैसाखी के सहारे एक आदमी खड़ा है तो एक आदमी ने उठ कर उसे अपनी सीट दे दी और वो घर आराम से पहुच गया!

कुछ दिनों में उसकी मेडिकल लीव भी ख़त्म हो चुकी थी तो ऑफिस जाना था, सुबह तैयार हो कर बाहर निकला और बस का वेट करने लगा... पड़ोसी ने देखा कि बेचारा बैसाखी के सहारे चल रहा है तो उसे ऑफिस तक अपने स्कूटर पर छोड़ आये!

इतने दिन बाद ऑफिस पंहुचा था तो काम बहुत था लेकिन ऑफिस कलीग्स ने भी उसके लाचारी पर सहानभूति दिखाई और उसके ज्यादातर काम उन्होंने करके उसका हाथ बटाया मतलब ऑफिस में भी आराम रहा!... 

घर लौटा तो साथ वाले ने घर तक छोड़ दिया!...

दिन बड़ा आराम से बीता था उसका, इसलिए उसके दिमाग में अब कुछ-कुछ चल रहा था!... वह सोचने लगा....अगर मैं *ठीक न होने का* नाटक करूं तो ऐसे ही सब लोगों की सहानभूति मिलती रहेगी...

 या फिर कभी ये बैसाखी ही न छोड़ूं तो? ... तो सारे  काम आसानी से होते रहेंगे और फिर ये बैसाखी अपने बच्चे को दे दूं तो वो भी मेरी तरह फायदा उठा पायेंगे!...

 और फिर उसने अस्पताल में वो बैसाखी कभी वापस नहीं की। 

फिर ऐसे ही कई अन्य मरीज़ों ने भी किया और कुछ दिनों में ही सरकारी बैसाखियां जो लोगो के मदद के लिए थी ख़त्म हो गयी और हर बैसाखी कुछ चंद लोगों की व्यक्तिगत बपौती बन चुकी थी जिसे वो अपने बच्चों को थमाने का प्लान बना चुके थे!..

जबकि दूसरे बहुत सारे मरीज़ बैसाखियों के आस में बैठे हुए हैं!!...

*आज बरसों बरस बाद भी इस वाकये का दूर तक आरक्षण से कोई संबंध नहीं है़ बस इसका संबंध उन नए अपहिजो से है़ जो उन बैसाखियों की आस लगा के बैठे हैं! और जिनके पास है़ वो छोड़ते ही नहीं?!😡😡*

Monday, 30 January 2023

कहानी नहीं, असली घटना है, ज़िला सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश की। एक पंडित

कहानी नहीं, असली घटना है, ज़िला सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश की। 
एक पंडित जी और एक बाबू साहब (ठाकुर साहब) जिगरी दोस्त थे- दो जिस्म एक जान। बचपन से चालीसवें तक। फिर जाने क्या हुआ कि दुश्मनी हो गई। 

अब पूरब गवाह है कि जिगरी दोस्त दुश्मन हो जायें, तो दुश्मनी भी पनाह माँगने लगती है। सो वही हुआ। हर दूसरे दिन गोली चलना- लठैत छोड़िये, दोनों के कई बेटे तक दुश्मनी की आग का ईंधन बन गये, मगर दुश्मनी चलती रही।

खैर, ये होते हवाते बाबू साहब की बेटी की शादी का वक़्त आ गया,, और पूरब इसका भी गवाह है कि दुश्मनी जितनी भी बड़ी हो- बहन बेटियों की शादी ब्याह की बात आये तो बंदूकें ख़ामोश हो जाती हैं। एकदम ख़ामोश। और किसी ने यह परंपरा तोड़ी तो वो ज़िंदगी और पूरब दोनों की नज़र से गिर जाता है। 

सो उस गाँव में भी वक्ती सही, सुकून उतर आया था। 
और फिर उतरी बारात। ठाकुरों की थी तो गोलियाँ दागती, आतिशबाज़ी करती, तवायफ़ के नाच के साथ...। परंपरा थी तब की। 

पंडित जी उस दिन अजब खामोश थे। 
और लीजिये- अचानक उनकी नाउन चहकती हुई घर में- (गाँव में सारे संपन्न परिवारों के अपने नाऊ ठाकुर होते थे और नाउन भी- अक्सर एक ही परिवार के हिस्से।) 

पंडिताइन को चहकते हुए बताई कि "ए भौजी- बरतिया लौटत बा। कुल हेकड़ई खतम बाबू साहब के।"

पंडिताइन स्तब्ध...🫡 और पंडित जी को तो काटो तो ख़ून नहीं। बहुत मरी आवाज़ में पूछा कि ‘भवा का’? 

नाउन ने बताया कि समधी अचानक कार माँग लिहिन- माने दाम। बाबू साहब के लगे ओतना पैसा रहा नाय तो बरात लौटे वाली है। 
पंडित जी उठे......- दहाड़ पड़े....निकालो जीप। 
मतलब साफ- बाकी बचे बेटे, लठैत सब तैयार। 

दस मिनट में पूरा अमला बाबू साहब के दरवाज़े पर- 
कम से कम दर्जन भर दुनाली और पचासों लाठियों के साथ।
बाबू साहब को खबर लगी तो वो भागते हुए दुआर पे- 
"एतना गिरि गवा पंडित। आजै के दिन मिला रहा।" 

पंडित जी ने बस इतना कहा कि "दुश्मनी चलत रही, बहुत हिसाब बाकी है बकिल आज बिटिया के बियाह हा। गलतियो से बीच मा जिन अइहा।"
बाबू साहब चुपचाप हट गये। 

पंडित जी पहुँचे समधी के पास- पाँव छुए- बड़ी बात थी, पंडित लोग पाँव छूते नहीं, बोले... "कार दी-"
 पीछे खड़े कारिंदे ने सूटकेस थमा दिया। 
द्वारचार पूरा हुआ। शादी हुई। 
अगले दिन शिष्टाचार/बड़हार। 
(पुराने लोग जानते होंगे- मैं शायद उस अंतिम पीढ़ी का हूँ जो शिष्टाचार में शामिल रही है)

अगली सुबह विदाई के पहले अंतिम भोज में बारात खाने बैठी तो पंडित जी ने दूल्हा छोड़ सब की थाली में 101-101 रुपये डलवा दिये- दक्षिणा के। खयाल रहे, परंपरानुसार थाली के नीचे नहीं, थाली में।  

अब पूरी बारात सदमे में, क्योंकि थाली में पड़ा कुछ भी जो बच जाये वह जूठा हो गया और जूठा जेब में कैसे रखें। 

समधी ने पंडित जी की तरफ़ देखा तो पंडित जी बड़ी शांति से बोले। 
बिटिया है हमारी- देवी। पूजते हैं हम लोग। आप लोग बारात वापस ले जाने की बात करके अपमान कर दिये देवी का। इतना दंड तो बनता है। और समधी जी- पलकों पर रही है यहाँ- वहाँ ज़रा सा कष्ट हो गया तो दक्ष प्रजापति और बिटिया सती की कहानी सुने ही होंगे। आप समधी बिटिया की वजह से हैं। और हाँ दूल्हे को दामाद होने के नाते नहीं छोड़ दिये- इसलिये कि ये क्योंकि अपने समाज में उसका हक़ ही कहाँ होता है कोई! 

खैर बारात बिटिया, मने अपनी बहू लेकर गई- 
पंडित जी वापस अपने घर। बाबू साहब हाथ जोड़े तो बोले बस- दम निकरि गय ठाकुर। ऊ बिटिया है, गोद मा खेलाये हन, तू दुश्मन। दुश्मनी चली। 

खैर- बावजूद इस बयान के फिर दोनों ख़ानदानों में कभी गोली नहीं चली। पंडित जी और बाबू साहब न सही- दोनों की पत्नियाँ गले मिल कर ख़ूब रोईं, बच्चों का फिर आना जाना शुरू हुआ।

क्या है कि असल हिंदुस्तानी और हिंदू बेटियों को लेकर बहुत भावुक होते हैं, उनकी बहुत इज़्ज़त करते हैं। फिर चाहे बेटी दुश्मन की ही क्यों न हो। 

जो नहीं करते वे और चाहे जो हों, न हिंदू हो सकते हैं, न हिंदुस्तानी।

साभार

स्योहारा (डॉ०उस्मान ज़ैदी) मुरादाबाद बरेली खंड स्नातक सीट के लिए स्योहारा के ब्लॉक परिसर में बने बूथ संख्या 182 पर 887 में 493, बूथ संख्या 183 पर 603 में से 332 नगर पालिका में बने एक बूथ 803 में 552 वोट पड़े।

स्योहारा (डॉ०उस्मान ज़ैदी)  मुरादाबाद बरेली खंड स्नातक सीट के लिए स्योहारा के ब्लॉक परिसर में बने बूथ संख्या 182 पर 887 में 493, बूथ संख्या 183 पर 603 में से 332 नगर पालिका में बने एक बूथ 803 में 552 वोट पड़े। 
मतदान करते हुए डॉ मनोज कुमार वर्मा जी की पत्नी श्रीमती जी डॉक्टर लिपिसेन वर्मा जी----------------------


स्योहारा में कुल 1377 वोट पड़े। अपने मत का प्रयोग करते हुए मशहूर चिकित्सक वरिष्ठ समाजसेवी डा.मनोज कुमार वर्मा ने कहा कि क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अपने मत का प्रयोग किया है। उन्होंने सभी युवाओं से अपने मत का सही प्रयोग करने की अपील की। इस मौके पर अध्यापकों उबेद अख्तर, अथर जमाल, शबाना खान, गौसिया जमाल, सुहैल ज़फ़र, शबनम जफर, शाहीन जमाल, निगहत परवीन, मो.मोबिन आदि ने अपने मत का प्रयोग किया। मतदान की सुरक्षा की दृष्टि से एसडीएम धामपुर मनोज कुमार ने बूथों का निरीक्षण किया। वहीं भाजपा प्रत्याशी डा.जयपाल सिंह व्यस्त भी बूथों पर घूमे और मतदाताओं से अपने मत का सही प्रयोग करने की अपील की। उधर इस मौके पर भाजपा नेता सीपी सिंह, महिला आयोग की सदस्य अवनी सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता मुकेश कुमार रस्तौगी, अनिल कुशवाहा, नीटू जोशी सहित भाजपा नेता मतदान केंद्रों के बाहर बने कार्यालयों पर डटे रहे। वहीं सपा कार्यालय पर सपा के पूर्व विधायक हाजी नईम उल हसन, महफूज़ सागर, गुलफाम अंसारी, नसीम मूछ सहित कार्यकर्ता मौजूद रहे। थाना अध्यक्ष राजीव चौधरी उप निरीक्षक कस्बा इंचार्ज रोबिन सिंह उप निरीक्षक मान चंद आदि स्टाफ सहित पुलिस व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रही और चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हुआ!

हार्टअटेक का भय लगता हो तो रोज़ना अर्जुनासव या अर्जुनारिष्ट पीते रहिए!*(3 की सम्भावना हो तो नियमित कुछ दिन गुनगुने पानी में थोड़ा सा हल्दी चूर्ण डालकर पिएँ!

 *धरती का अमृत फल "नोनी", जिसे अधिकांश हम भारतीय जानते ही नहीं हैं...*
नोनी फल वैसे तो किसी बीमारी का इलाज़ नहीं है लेकिन इससे कोई भी बीमारी बच नही सकती। चाहे वो बीपी हो, गठिया हो, हार्ट हो, स्किन एलर्जी हो, बुढापा सम्बंधित समस्याएं हो, नपुंसकता हो, मोटापा हो,  ऐड्स हो या कैंसर ही क्यों न हो.!
नोनी रामबाण है।

■ नोनी फल आम लोगों के लिए जितना गुमनाम है, सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद। नोनी के रूप में वैज्ञानिकों को एक ऐसी संजीवनी हाथ लगी है।

■ पान-मसाला, गुटखा, तंबाकू खाने वाले अगर नोनी लें तो केन्सर नही होगा।

■ ताजा शोध के मुताबिक नोनी फल कैंसर व लाइलाज एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों में भी फायदेमंद है।

■ देश में वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन सहित कई शोध संस्थान शोध कर रहे हैं। 

■ नोनी के इन रहस्यमयी गुणों का खुलासा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किया।

■ कृषि वैज्ञानिक नोनी को मानव स्वास्थ्य के लिए प्रकृति की अनमोल देन बता रहे हैं।

■ वैज्ञानिकों के अनुसार समुद्र तटीय इलाकों में तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, अंडमान निकोबार, मध्यप्रदेश सहित नौ राज्यों में 653 एकड़ में इसकी खेती हो रही है।

■ कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व चेयरमैन व वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. कीर्ति सिंह ने कहा कि इस फल में दस तरह के विटामिन, खनिज पदार्थ, प्रोटीन, फोलिक एसिड सहित 160 पोषक तत्व (माइक्रो न्यूट्रिएंट्स) हैं। 

■ इतने पोषक तत्वों की वजह से उच्च रक्तचाप, हृदय, मधुमेह, गठिया, सर्दी जुकाम सहित अनेक बीमारियों ठीक हो जाती हैँ।

■ ये एंटी ऑक्सिडेंट और दुनियां का पहला नॉन स्टेरॉयड एंटी इंफ्लामेटरी ड्रग (NSAID) है।

■ ये अडॉप्टोजेन है जो हॉइ और लो बीपी को ठीक या बैलेंस कर देता है।

■ शुरू से इसका सेवन करने से कैंसर जैसी बीमारी भी नहीं होगी।

■ मोटापा, सुगर, अनिद्रा, गठिया, गैस, बदहज़मी, हाई एवम् लो बीपी को ठीक रखने में उपयुक्त।

■ उन्होंने बताया कि फाउंडेशन कैंसर व एड्स पर नोनी के प्रभाव का शोध कर रहा है।

■ मुंबई, बेंगलुर, हैदराबाद, चेन्नई सहित कई मेट्रो शहरों में भी दर्जनों कैंसर पीडि़तों को यह दिया जा रहा है, जिन्हें अस्पतालों ने डिस्चार्ज कर दिया था। नोनी देने से उनकी उम्र बढ़ गई। 

■ कहते है कि नोनी के सेवन से कैंसर व एड्स पूरी तरह ठीक ही हो जाएगा, शोध जारी है।

■ नोनी की उपयोगिता को ध्यान रखकर ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि स्नातक पाठ्यक्रम में दो साल से नोनी को शामिल कर लिया है।

परिणाम नोनी फल की मात्रा और समयबद्धता से मिलते है, मिले हैं और मिलते रहेंगे। जरूरत आपकी इस फल के साथ आस्था की है।

इन सब तकलीफों के लिए हमारा बनाया हुआ सर्वोत्तम सर्वगुण सम्पन्न नोनी जूस लें जिसके 10ml में आपको मिलेगा...
2000mg नोनी
300mg अश्वगंधा
100mg गरसेनिया कम्बोजिया जो शरीर की किसी समस्या को हल करने में समर्थ है।
MRP ₹800/-
लेकिन आपको 25% डिस्काउंट के साथ मिलेगा सिर्फ ₹600/- में।



: *अगर हाई बीपी या उच्च रक्तचाप की समस्या हो तो, क्या करें.?*
आधा चम्मच मेथी दाना रात में कांच के गिलास में गर्म पानी में भिगोकर रखें और सुबह खाली पेट इन्हे चबाकर खाएं और ये पानी पी लें।
 या 
आधा चम्मच दालचीनी पाउडर को गर्म पानी से सुबह खाली पेट लें या शहद में मिलाकर ले।
या
गुड में मिलाकर।
या 
एक कप लौकी का जूस जिसमे 5-6 पत्ते पुदीने, तुलसी, हरे धनिये,
सभी का रस निकाल कर सुबह खाली पेट पियें।
या 
5-6 बेलपत्र के पत्तों को पत्थर पर पीसकर चटनी बना ले और आधा गिलास पानी में अच्छी तरह धीमी आंच पर पकाएं और फिर ठंडा करके पियें।
सुबह खाली पेट ये डायबिटीज पर काम करेगा।
 या 
अर्जुन की छाल आधा चम्मच आधा गिलास पानी में हल्की आंच पर पकाएं और आधा रहने पर ठंडा होने पर पियें।
सुबह खाली पेट ये ट्राईग्लिसाराईड और हृदय के ब्लोकेज को भी खोल देगा।
और जिनका दिल कमजोर है, वो पूरी सर्दियों अर्थात 2-3 महिने सेवन करें तो ये सब ठीक कर देता है।
अगर सामान्य लोग भी पियें, सर्दियो में 2-3 दिन बार तो यदि कोई ब्लोकेज शुरू भी हो रही होगी तो वो भी खुल जायेगी।
या
ये दोनो मे काम करेगा.!

● ताजा गौ मूत्र देसी गाय का (ध्यान रखें कि जिसका गौ मूत्र ले वो गर्भवती न हो)
● एक चौथाई कप सुबह खाली पेट सेवन करें तो
● ये उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप दोनो मे काम करेगा
● जोडों के दर्द, दमा,अस्थमा और वात, पित्त, कफ के बहुत सारे रोगों को दूर करेगा।

*सावधानी :-*
इनमें से एक बार में एक ही नुस्खा प्रयोग करना है तथा दवाई लेने के 1.5 घंटे तक कुछ भी सेवन न कर !


: *अगर भयमुक्त जीवन और निरोगी काया चाहते हैं.?*
*बीमार पड़ने के पहले, ये 10 नुस्खे अपनायें या ये काम करें क्योंकि सुखमय जीवन को केवल आयुर्वेद ही कर सकता है..!*

*(1)-* केंसर होने का भय लगता हो तो रोज़ाना कढ़ीपत्ते का रस पीते रहें!

*(2)-* हार्टअटेक का भय लगता हो तो रोज़ना अर्जुनासव या अर्जुनारिष्ट पीते रहिए!

*(3)-* बबासीर होने की सम्भावना लगती हो तो पथरचटे के हरे पत्ते रोजाना सबेरे चबा कर खाएँ...

*(4)-* किडनी फेल होने का डर हो तो हरे धनिये का रस प्रात: खाली  पेट पिएँ!

*(5)-* पित्त की शिकायत का भय हो तो रोज़ाना सुबह शाम आंवले का रस पिएँ!

*(6)-* सर्दी-जुकाम की सम्भावना हो तो नियमित कुछ दिन गुनगुने पानी में थोड़ा सा हल्दी चूर्ण डालकर पिएँ!

*(7)-* गंजा होने का भय हो तो बड़ की जटाएँ कुचल कर नारियल के तेल में उबाल कर छान कर, रोज़ाना स्नान के पहले उस तेल की मालिश करें!

*(8)-* दाँत गिरने से बचाने हों तो फ्रिज और कूलर का पानी पीना बंद कर दें!

*(9)-* डायबिटीज से बचाव के लिए तनावमुक्त रहें, व्यायाम करें, रात को जल्दी सो जाएँ, चीनी नहीं खाएँ , गुड़ खाएँ!

*(10)-* किसी चिन्ता या डर के कारण नींद नहीं आती हो तो रोज़ाना भोजन के दो घन्टे पूर्व 20 या 25 मि. ली. अश्वगन्धारिष्ट ,200 मि. ली. पानी में मिला कर पिएँ!
           
किसी बीमारी का भय नहीं हो तो भी -
15 मिनिट अनुलोम - विलोम,
15 मिनिट कपालभाती,
12 बार सूर्य नमस्कार करें.!

स्वयं के स्वास्थ्य के लिए इतना तो करें!

स्वस्थ रहने के लिए धन नहीं लगता, थोड़ी स्फूर्ति, थोड़ी जागरूकता व थोड़ा परिश्रम लगता है।


 *आप का और आप के परिवार का जीवन बचाना चाहते हैं तो यह पोस्ट जरूर पढे, वरना आपकी मर्जी...!*

सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई खाद्य पदार्थ है तो वह है... *रिफाइंड तेल*

 केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष लगभग 20 से 25 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है...
*रिफाइंड तेल*

*आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहें हुए कथन सत्य हो ही गये...*

रिफाइंड तेल से *DNA डैमेज, RNA नष्ट, हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा, शुगर (डाईबिटीज), ब्लड प्रेशर, नपुंसकता, कैंसर*
*हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि हजार रोगों का प्रमुख कारण है।* 

*रिफाइंड तेल बनता कैसे हैं.?*
बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी Impurities तेल में आती है, उन्हें साफ करने वह तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है।

*वाशिंग*
*Washing*
वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि सारी अशुद्धियां या Impurities इस बाहर हो जाएं।
इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाढ़ा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन गया है। 

*Neutralisation*
*न्यूट्रलाइजेशन*
तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

*Bleaching*
*ब्लीचिंग*
इस विधी में P.O.P. {प्लास्टर ऑफ पेरिस} /पी.ओ.पी. यह मकान बनाने मे काम ली जाती है/ का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130°F पर गर्म करके साफ किया जाता है! 

*Hydrogenation*
*हायड्रोजिनेशन*
एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पालीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं। 
*निकेल* एक प्रकार का Catalyst या उत्प्रेरक metal (लोहा) होता है जो हमारे शरीर के Respiratory system,  Liver,  skin,  Metabolism,  DNA,  RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है। 

रिफाइंड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और एसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है। 

जयपुर के प्रोफेसर श्री राजेश जी गोयल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लड़कर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाइंड तेल खाने वाला व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है! 

*दिलथाम के अब पढ़िये...*
*हमारा शरीर 63 करोड़ कोशिकाओं से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुरानी कोशिकायें नई कोशिकाओं से Replace होते रहते हैं नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर खुन का उपयोग करता है,,*
*यदि हम रिफाइंड तेल का उपयोग करते हैं तो खुन मे टॉक्सिन्स या जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध आता है,*
*तो कई प्रकार की बीमारियां जैसे* 
*कैंसर, डायबिटीज, हार्ट अटैक, किडनी समस्या,*
*एलर्जी, पेट में अल्सर, प्रीमैच्योर एजिंग, नपुंसकता, अर्थराइटिस, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर आदि हजारों बिमारियां होगी।*

रिफाइंड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, तो इसमे पाम आयल मिक्स किया जाता है! (पाम आयल स्वयं एक धीमी मौत है) 

*सरकार का आदेश...*
हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है।
अमरीका का पाम खपाने के लिए, मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि, 
प्रत्येक तेल कंपनियों को 40 %
खाद्य तेलों में पाम आंयल मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा! 
इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पाम के कारण लोग अधिक बिमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99% बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली  स्प्रिंग (पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला) , दो लाख रुपये की बिकती हैं, 
यानी कि अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पाम भी उनका और दवाईयां भी उनकी! 

*अब तो कई नामी कंपनियों ने पाम से भी सस्ता, गाड़ी में से निकाला काला आयल...*
*(जिसे आप गाड़ी सर्विस करने वाले के पास छोड आते हैं)* 
*वह भी रिफाइंड कर के खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।*

सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही... 
दलहन में...
मूंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।

तिलहन में...
तिल, सरसों, मूंगफली, नारियल, बादाम आदि आती है।

अतः सोयाबीन तेल,  शुद्व पाम आयल ही होता है। पाम आयल को रिफाइंड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।

सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह, 
प्रत्येक तरल पदार्थों को सोख लेता है, 
पांम आंयल एक दम काला और गाढ़ा होता है, 
उसमे साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पाम आयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है, आटा से सोया मुगौड़ी बनाई जाती है! 
आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे!महनताना वह एक लाख रुपये  भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि. सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही! 

सूरजमुखी, चावल की भूसी (चारा) आदि के तेल रिफाईनड के बिना नहीं निकाला जा सकता है, अतः ये जहरीले ही है! 

फॉर्च्यून.. अर्थात.. आप के और आप के परिवार के फ्यूचर का अंत करने वाला...

सफोला... अर्थात.. सांप के बच्चे को सफोला कहते हैं! 
5 वर्ष खाने के बाद शरीर जहरीला 
10 वर्ष के बाद.. सफोला (सांप का बच्चा अब सांप बन गया है. 
15 साल बाद.. मृत्यु... यानी कि सफोला अब अजगर बन गया है और वह अब आप को निगल जायगा.! 

पहले के व्यक्ति 90.. 100 वर्ष की उम्र में मरते थे तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती थी, क्योंकि उनकी सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती थी।

और आज... अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ ही देर में मर गया....? 
उसने तो कल के लिए बहुत से सपने देखें है, और अचानक मृत्यु..? 
अधूरी इच्छाओं से मरने के कारण.. प्रेत योनी मे भटकता है। 

*राम नही किसी को मारता...*
*न ही यह राम का काम!*
*अपने आप ही मर जाते हैं....*
*कर कर खोटे काम!!*
गलत खान पान के कारण, अकाल मृत्यु हो जाती है! 

*सकल पदार्थ है जग माही..!*
*कर्म हीन नर पावत नाही..!!* 
अच्छी वस्तुओं का भोग..
कर्म हीन, व आलसी व्यक्ति संसार की श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकता।

तन, मन, धन और आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ कच्ची घाणी का तेल, तिल सरसों, मूंगफली, नारियल, बादाम आदि का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!
पौष्टिकता वर्धक और शरीर को निरोग रखने वाला सिर्फ कच्ची घाणी का निकाला हुआ तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए! 
आज कल सभी कम्पनी..
अपने प्रोडक्ट पर कच्ची घाणी का तेल ही लिखती हैं! 
वह बिल्कुल झूठ है.. सरासर धोखा है! 
कच्ची घाणी का मतलब है कि,, लकड़ी की बनी हुई, औखली और लकडी का ही मुसल होना चाहिए!
लोहे का घर्षण नहीं होना चाहिए। इसे कहते हैं.. कच्ची घाणी।
जिसको बैल के द्वारा चलाया जाता हो।

आजकल बैल की जगह मोटर लगा दी गई है।

लेकिन मोटर भी बैल की गति जितनी ही चले।

लोहे की बड़ी बड़ी एक्सपेलर (मशीनें) उनका बेलन लाखों की गति से चलता है जिससे तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वे लिखते हैं..
*कच्ची घाणी...*
इस पोस्ट को शेयर किजिए यह लोगों के प्राण बचाने की मुहिम हैं,अतः ज्यादा से ज्यादा अपनों तक पहुचायें और खुद भी अमल करें।


*💧जल ही जीवन है💧*
*पढ़े लिखे, ज्ञान से परिपूर्ण और झूंठी रईसत के चोंचले...*
*R.O. पानी का लगातार सेवन बनेगा मौत का कारण (WHO), अभी भी सम्हल जाइये वरना कहीं लेट न हो जायें...*
चिलचिलाती गर्मी में कुछ मिले या ना मिले पर शरीर को पानी ज़रूर मिलना चाहिए।
अगर पानी RO का हो तो, क्या बात है.!

*परन्तु क्या वास्तव में हम आर.ओ. के पानी को शुद्ध पानी मान सकते हैं ?*

*जवाब है बिल्कुल नहीं और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दिया है।*

WHO ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय सम्बन्धी विकार, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द आदि दुष्प्रभाव पाए गए हैं।

कई शोधों के बाद पता चला है कि इसकी वजह से कैल्शियम और  मैग्नीशियम पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं जो कि शारीरिक विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं।

RO के पानी के लगातार इस्तेमाल से शरीर में विटामिन B-12 की कमी भी होने लगती है ।

वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 400 TDS तक सहन करने की क्षमता रखता है परन्तु RO कम्पनियों में तैनात अनपढ़ आर ओ इंजीनियरों द्वारा 18 से 25 TDS तक पानी की शुद्धता सेट की जाती है जो कि नुकसानदायक है।
इसके विकल्प में क्लोरीन को रखा जा सकता है जिसमें लागत भी कम होती है एवं पानी के आवश्यक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं जिससे मानव का शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं होता।

जहां एक तरफ एशिया और यूरोप के कई देश RO पर प्रतिबन्ध लगा चुके हैं वहीं पढ़े लिखे समझदार लोगों की वजह से भारत में RO की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, कारण हेमा मालिनी, आलोक नाथ और सचिन तेंदुलकर जो कर रहे हैं प्रचार और कई विदेशी कम्पनियों ने तो यहां पर अपना अड्डा बनाकर बड़ा बाजार बना लिया है।
इसलिए स्वास्थय के प्रति जागरूक रहना और जागरूक करना ज़रूरी हैं।
अब शुद्ध पानी के लिए नए अविष्कारों की ज़रूरत है।

याद रखें कि लम्बे समय तक R.O. का पानी, लगातार पीने से, शरीर कमजोर और बीमारियों का घर बन जाता है।
अत: प्राकृतिक (खनिज युक्त) पानी परम्परागत तरीकों से साफ कर के पीना, हितकर है जैसे कि घड़े का पानी।


*💧जल ही जीवन है💧*

: *एसीडिटी का रामबाण इलाज मिनटों में...*
*काला नमक से एसिडिटी और बदहजमी से..*
अगर आपको हमेशा एसिडिटी की समस्या होती है और एन्टासिड लेकर बोर हो गए हैं तो नैचुरल चीजों को ध्यान देने की ज़रूरत है,जो घर पर ही आसानी से मिल जायें।
कभी-कभी तो यह एन्टासिड एसिडिटी में काम भी नहीं करते हैं।
जब कुछ भी काम नहीं करता तब किचन में रखा काला नमक का डिब्बा बहुत काम करता है।
इससे एसिडिटी, बदहजमी और पेट फूलने की समस्या से आसानी से राहत पाया जा सकता है।

*काला नमक कैसे काम करता है.?*

*बदहजमी से बचाता है:*
काला नमक लीवर में एक प्रकार के बाइल का उत्पादन करने में मदद करता है जो हजम शक्ति को उन्नत करने के साथ-साथ भूख को बढ़ाता है। बायल में छोटी आंत में जो फैट और फैट-सोल्युबल विटामिन होते है उसको सोखकर बदहजमी होने से बचाता है।

*हार्टबर्न के कष्ट से राहत दिलाता है:*
आयुर्वेद में इसका बहुत इस्तेमाल होता है क्योंकि यह पेट में एसिड को संतुलित करके हार्टबर्न से राहत दिलाता है।

*पेट का फूलने और एसिडिटी के लक्षणों को कम करता है:*
काला नमक में सोडियम क्लोराइड, सल्फेट, आयरन, फेरिक ऑक्साइड आदि होते हैं जो एसिडिटी के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करते हैं। खाने के बाद काला नमक लेने से पेट हल्का रहता है।

*●शरीर में रक्त की वृद्धि होती है:*
काला नमक में जो आयरन होता है वह शरीर में ब्लड काउन्ट को बढ़ाकर एनीमिया से लड़ता है।

*कैसे इसका इस्तेमाल करें..?*
• आयुर्वेद के अनुसार काला नमक को अजवाइन के साथ पीसकर उसमें नींबू का रस मिलाकर लेने से एसिडिटी, हर्टबर्न, पेट का फूलना जैसे लक्षणों से राहत मिलती है। इसको खाने के बाद या सोने से पहले लेना अच्छा होता है।

• दही, रायता, सलाद या दूसरे सब्ज़ियों के ऊपर भी डालकर खा सकते हैं। अगर खाने बनाने में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो टेबल सॉल्ट और काला नमक को बराबर भागों में ले।

• खाने के बाद काला नमक चबा सकते हैं या एक चुटकी चाट भी सकते हैं।


 *ये जिंदगी मिलेगी न दोबारा इसलिए.?*
*40+ स्त्री एवं पुरुषों के लिए..*

*प्रोडक्ट कोड 4/10/JAC100*
*"जीवन अमृत कैप्सूल"*
*सुखमय जीवन की जरूरत निरोगी काया है, ढेर सारी माया नहीं.?*
*इसके लिए सिर्फ अपनी इम्युनिटी या शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढायें।*
*STAY YOUNG FOREVER*
*40+ के बाद सुखमय, मस्त एवं निरोगी जीवन के लिए.. अपनायें...*
*प्रोडक्ट कोड 4/10/JAC100*
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*जीवन अमृत कैप्सूल*
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*40+ स्त्री एवं पुरुषों के लिये अद्भुत*
*_....जीवन में हम, उम्र (एजिंग) को धीमा तो कर सकते हैं लेकिन रोक नहीं सकते, ख़ास कर आधुनिक वातावरण में।_*
*आज के माहौल में 30 पार करते करते शरीर, सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण ओवर स्ट्रेस होना शुरू हो जाता है और हमारी इम्युनिटी कमजोर होना शुरू हो जाती है। जीवन बेरस होने लगने लगता है।*

*_मानसिक स्वास्थ्य तो उत्तम माना ही गया है किंतु शारीरिक स्वास्थ्य सर्वोत्तम आज के हालात में ज्यादा उचित लगता है।_*

*अगर आपकी उम्र साथ नहीं दे रही है या शरीर साथ नहीं दे रहा है चाहे आप पुरुष हैं या स्त्री तो..*
*जवानी में दोस्त...!*
*बुढ़ापे का हमसफ़र, प्राकृतिक इम्युनिटी बूस्टर..!!*
*"जीवन अमृत कैप्सूल"*
*(असर 30 दिन के अंदर)*

*क्या आप...???*
*क्या आप डॉक्टरों के चक्कर लगा लगा कर लुटे हुये महसूस करते हैं.?*

*क्या आप सारा दिन थके थके रहते हैं.?*

*क्या आपकी इम्युनिटी दिन ब दिन गिरती जा रही है?*

*क्या आपका शरीर आपका साथ नही देता.?*

*क्या आपको काम करने का दिल नही करता है.?*

*क्या आप शारीरिक रूप से अंदरूनी कमजोरी महसूस करते हैं..?*

*अपनाइये..*
*जीवन अमृत कैप्सूल*
*घटक*
*(1).  शिलाजीत*
*(2).  अश्वगंधा*
*(3).  विदारीकंद*
*(4).  कौंच बीज*
*(5).  काली मूसली*
*(6).  जायफ़ल*
*(7).  स्वर्णमाक्षिक भस्म*
*(8).  शतावरी*
*(9).  सर्पगंधा*
*(10). गोखरू*
*(11). कुचला*
*(12). इलायची*
*(13). लौंग*

*ये शास्त्रोक्त है और शारीरिक कमजोरी के लिये सर्वोत्तम है।*

*रोग प्रतिरोधक क्षमता का अद्भुत बूस्टर है।*

*शरीरिक कमज़ोरी दूर करने वाला रामबाण उपाय है।*

*शरीर की इम्युनिटी को बूस्ट करके, अंदर की कमियों को जड़ से दूर करता है।*

*शारीरिक कमी या मर्दाना कमजोरी की वजह से मायूस रहते हैं क्योंकि पार्टनर के सामने इन्सल्टेड फील करते हैं।*

इन सब चीजों का प्रभाव आप किसी विद्वान से पूंछ सकते हैं।

*ये 100% स्टेरॉयड मुक्त है।*

अगर चाहें तो इन चीजों के बारे में गूगल में भी चेक कर सकते हैं।

*हमारा मकसद आपको स्वस्थ जीवन को अग्रसर करके जीवन की उन्मुक्तता को प्रदान करना है।*

*मूल्य:-*
*फुल कोर्स दो महीने के लिये मात्र ₹2500/- में*
*कोरियर खर्च मुफ्त*

*एक महीने (हाफ कोर्स) एक महीने के लिये...*
*कीमत ₹1300/-*

*डीज़ल पेट्रोल के रेट बढ़ने पर जड़ी बूटियों की कीमत बढ़ने से जीवन अमृत की भी कीमत बढ़ सकती है।*

*डोज़ (मात्रा):-*
*सुबह शाम एक एक कैप्सूल वीकली गैप के साथ (6 दिन के बाद एक दिन का गैप), नाश्ता और डिनर के बाद।*



: *जीवन रक्षक नेचर्स पंचतुलसी अर्क...*
*तुलसी मुख्यतः रूप से पांच प्रकार की पायी जाती है...*
*श्याम तुलसी,*
*राम तुलसी,*
*श्वेत/विष्णु तुलसी,*
*वन तुलसी और*
*नींबू तुलसी।*

*इन पांच प्रकार की तुलसी का अर्क निकाल कर पंचतुलसी का निर्माण किया जाता है।*

*तुलसी संसार की एक बेहतरीन*
*एंटी-ऑक्सीडेंट,*
*एंटी- बैक्टीरियल,*
*एंटी- वायरल,*
*एंटी- फ्लू,*
*एंटी-बायोटिक,*
*एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व*
*एंटी–डिजीज है।*

*(1). पंच तुलसी अर्क के एक बून्द एक ग्लास पानी में या दो बून्द एक लीटर पानी में डाल कर पांच मिनट के बाद उस जल को पीना चाहिए। इससे पेयजल विष और रोगाणुओं से मुक्त होकर स्वास्थवर्धक पेय हो जाता है।*

*(2). पंच तुलसी अर्क 200 से अधिक रोगो में लाभदायक है जैसे के फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, जुखाम, खासी, प्लेग, मलेरिया, जोड़ो का दर्द, मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, एलर्जी, पेट के कीड़ो, हेपेटाइटिस, जलन, मूत्र सम्बन्धी रोग, गठिया, दमा, मरोड़, बवासीर, अतिसार, दाद, खाज, खुजली, सर दर्द, पायरिया, नकसीर, फेफड़ो सूजन, अल्सर, हार्ट ब्लोकेज आदि।*

*(3). पंच तुलसी एक बेहतरीन विष नाशक है और शरीर से विष (toxins) को बाहर निकालती है।*

*(4). पंच तुलसी स्मरण शक्ति को बढ़ाता है और साथ ही साथ शरीर के लाल रक्त सेल्स (Haemoglobin) को बढ़ने में अत्यंत सहायक है।*

*(5). पंच तुलसी भोजन के बाद एक बूँद सेवन करने से पेट सम्बन्धी बीमारियां बहुत काम लगाती है।* 

*(6). पंच तुलसी के 4–5 बूँदे पीने से महिलाओ को गर्भावस्था में बार बार होने वाली उलटी के शिकायत ठीक हो जाती है।*

*(7). आग के जलने व किसी जहरीले कीड़े के कांटने से पंच तुलसी को लगाने से विशेष रहत मिलती है।* 

*(8). दमा व खाँसी में पंच तुलसी अर्क की दो बुँदे थोड़े से अदरक के रस और शहद के साथ मिलाकर सुबह– दोपहर– शाम सेवन करे।*

*(9). यदि मुँह में से किसी प्रकार की दुर्गन्ध आती हो तो पंच तुलसी की एक बूँद मुँह में डाल ले दुर्गन्ध तुरंत दूर हो जाएगी।*

*(10). दांत का दर्द, दांत में कीड़ा लगना, मसूड़ों में खून आना आदि में पंचतुलसी की  4–5 बूँदे पानी में डालकर कुल्ला करने से तुरन्त आराम मिलता है।*

*(11). सर दर्द, बालो का झड़ना  बाल सफ़ेद होना व सिकरी आदि समस्याओं में पंचतुलसी की 8–10 बूंदे  हर्बल हेयर आयल के साथ मिलाकर सर, माथे तथा कनपटियों पर लगाये।*

*(12). पंच तुलसी के 8–10 बूँदे नारियल तेल में  मिलाकर शरीर पर मलकर रात्रि में सोये , मच्छर नहीं काटेंगे।*

*(13). कूलर के पानी में पंचतुलसी की 8–10 बूँदे डालने से सारा घर विषाणु और रोगाणु से मुक्त हो जाता है तथा मक्खी, मच्छर भी घर से भाग जाते है।*

*(14). पंचतुलसी में सुन्दर और निरोग बनाने की शक्ति है। यह त्वचा का कायाकल्प कर देती है। यह शरीर के खून को साफ करके शरीर को चमकीला बनती है।*

*(15). पंचतुलसी की दो बूँदे एलोवेरा जैल में मिलाकर चेहरे पर सुबह व रात को सोते समय लगाने पर त्वचा सुन्दर व कोमल हो जाती है तथा चेहरे से प्रत्येक प्रकार के काले धेरे, झाइयां, कील मुँहासे व झुरिया नष्ट हो जाती है।*

*(16). पंचतुलसी के नियमित उपयोग से कोलेस्ट्रोल का स्तर कम होने लगता है, रक्त के थक्के जमने कम हो जाते है व हार्ट अटैक और कोलैस्ट्रोल की रोकथाम हो जाती है।*

*(17). पंचतुलसी को एलोवेरा जेल में  मिला कर लगाने से प्रसव के बाद पेट पर बनने वाले लाइने (स्ट्रेच मार्क्स) दूर हो जाते है।*

*हमारा पंचतुलसी अर्क*
*मात्रा 30ml*
*एमआरपी ₹283/-*

*2 पैक सिर्फ ₹500/-*


मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान मैं खुर्शीद इंटर कॉलेज पर अपना मतदान किया साथ में अन्य मतदाता खुर्शीद इंटर कॉलेज एमएलसी चुनाव में0

मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान मैं खुर्शीद इंटर कॉलेज पर अपना मतदान किया साथ में अन्य मतदाता खुर्शीद इंटर कॉलेज एमएलसी चुनाव में

Sunday, 29 January 2023

भगवान पर भरोसा :

🙏🏻 पड़ने में 10 मिनट तो लग सकते है, किन्तु मन प्रसन्न हो जाएगा 🙏🏻

भगवान पर भरोसा :

एक पुरानी सी इमारत में था वैद्यजी का मकान था। पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था। उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना खोलने से पहले उस दिन के लिए आवश्यक सामान एक चिठ्ठी में लिख कर दे देती थी। वैद्यजी गद्दी पर बैठकर पहले भगवान का नाम लेते फिर वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होतीं, उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही आदेश के अनुसार तेरी भक्ति छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। वैद्यजी कभी अपने मुँह से किसी रोगी से फ़ीस नहीं माँगते थे। कोई देता था, कोई नहीं देता था किन्तु एक बात निश्चित थी कि ज्यों ही उस दिन के आवश्यक सामान ख़रीदने योग्य पैसे पूरे हो जाते थे, उसके बाद वह किसी से भी दवा के पैसे नहीं लेते थे चाहे रोगी कितना ही धनवान क्यों न हो।

एक दिन वैद्यजी ने दवाख़ाना खोला। गद्दी पर बैठकर परमात्मा का स्मरण करके पैसे का हिसाब लगाने के लिए आवश्यक सामान वाली चिट्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को एकटक देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आँखों के सामने तारे चमकते हुए नज़र आए किन्तु शीघ्र ही उन्होंने अपनी तंत्रिकाओं पर नियंत्रण पा लिया। आटे-दाल-चावल आदि के बाद पत्नी ने लिखा था, *"बेटी का विवाह 20 तारीख़ को है, उसके दहेज का सामान।"* कुछ देर सोचते रहे फिर बाकी चीजों की क़ीमत लिखने के बाद दहेज के सामने लिखा, '' *यह काम परमात्मा का है, परमात्मा जाने।*''

एक-दो रोगी आए थे। उन्हें वैद्यजी दवाई दे रहे थे। इसी दौरान एक बड़ी सी कार उनके दवाखाने के सामने आकर रुकी। वैद्यजी ने कोई खास तवज्जो नहीं दी क्योंकि कई कारों वाले उनके पास आते रहते थे। दोनों मरीज दवाई लेकर चले गए। वह सूटेड-बूटेड साहब कार से बाहर निकले और नमस्ते करके बेंच पर बैठ गए। वैद्यजी ने कहा कि अगर आपको अपने लिए दवा लेनी है तो इधर स्टूल पर आएँ ताकि आपकी नाड़ी देख लूँ और अगर किसी रोगी की दवाई लेकर जाना है तो बीमारी की स्थिति का वर्णन करें। 

वह साहब कहने लगे "वैद्यजी! आपने मुझे पहचाना नहीं। मेरा नाम कृष्णलाल है लेकिन आप मुझे पहचान भी कैसे सकते हैं? क्योंकि मैं 15-16 साल बाद आपके दवाखाने पर आया हूँ। आप को पिछली मुलाकात का हाल सुनाता हूँ, फिर आपको सारी बात याद आ जाएगी। जब मैं पहली बार यहाँ आया था तो मैं खुद नहीं आया था अपितु ईश्वर मुझे आप के पास ले आया था क्योंकि ईश्वर ने मुझ पर कृपा की थी और वह मेरा घर आबाद करना चाहता था। हुआ इस तरह था कि मैं कार से अपने पैतृक घर जा रहा था। बिल्कुल आपके दवाखाने के सामने हमारी कार पंक्चर हो गई। ड्राईवर कार का पहिया उतार कर पंक्चर लगवाने चला गया। आपने देखा कि गर्मी में मैं कार के पास खड़ा था तो आप मेरे पास आए और दवाखाने की ओर इशारा किया और कहा कि इधर आकर कुर्सी पर बैठ जाएँ। अंधा क्या चाहे दो आँखें और कुर्सी पर आकर बैठ गया। ड्राइवर ने कुछ ज्यादा ही देर लगा दी थी। 

एक छोटी-सी बच्ची भी यहाँ आपकी मेज़ के पास खड़ी थी और बार-बार कह रही थी, '' चलो न बाबा, मुझे भूख लगी है। आप उससे कह रहे थे कि बेटी थोड़ा धीरज धरो, चलते हैं। मैं यह सोच कर कि इतनी देर से आप के पास बैठा था और मेरे ही कारण आप खाना खाने भी नहीं जा रहे थे। मुझे कोई दवाई खरीद लेनी चाहिए ताकि आप मेरे बैठने का भार महसूस न करें। मैंने कहा वैद्यजी मैं पिछले 5-6 साल से इंग्लैंड में रहकर कारोबार कर रहा हूँ। इंग्लैंड जाने से पहले मेरी शादी हो गई थी लेकिन अब तक बच्चे के सुख से वंचित हूँ। यहाँ भी इलाज कराया और वहाँ इंग्लैंड में भी लेकिन किस्मत ने निराशा के सिवा और कुछ नहीं दिया।" 

आपने कहा था, "मेरे भाई! भगवान से निराश न होओ। याद रखो कि उसके कोष में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। आस-औलाद, धन-इज्जत, सुख-दुःख, जीवन-मृत्यु सब कुछ उसी के हाथ में है। यह किसी वैद्य या डॉक्टर के हाथ में नहीं होता और न ही किसी दवा में होता है। जो कुछ होना होता है वह सब भगवान के आदेश से होता है। औलाद देनी है तो उसी ने देनी है। मुझे याद है आप बातें करते जा रहे थे और साथ-साथ पुड़िया भी बनाते जा रहे थे। सभी दवा आपने दो भागों में विभाजित कर दो अलग-अलग लिफ़ाफ़ों में डाली थीं और फिर मुझसे पूछकर आप ने एक लिफ़ाफ़े पर मेरा और दूसरे पर मेरी पत्नी का नाम लिखकर दवा उपयोग करने का तरीका बताया था।

मैंने तब बेदिली से वह दवाई ले ली थी क्योंकि मैं सिर्फ कुछ पैसे आप को देना चाहता था। लेकिन जब दवा लेने के बाद मैंने पैसे पूछे तो आपने कहा था, बस ठीक है। मैंने जोर डाला, तो आपने कहा कि आज का खाता बंद हो गया है। मैंने कहा मुझे आपकी बात समझ नहीं आई। इसी दौरान वहां एक और आदमी आया उसने हमारी चर्चा सुनकर मुझे बताया कि खाता बंद होने का मतलब यह है कि आज के घरेलू खर्च के लिए जितनी राशि वैद्यजी ने भगवान से माँगी थी वह ईश्वर ने उन्हें दे दी है। अधिक पैसे वे नहीं ले सकते। 

मैं कुछ हैरान हुआ और कुछ दिल में लज्जित भी कि मेरे विचार कितने निम्न थे और यह सरलचित्त वैद्य कितना महान है। मैंने जब घर जा कर पत्नी को औषधि दिखाई और सारी बात बताई तो उसके मुँह से निकला वो इंसान नहीं कोई देवता है और उसकी दी हुई दवा ही हमारे मन की मुराद पूरी करने का कारण बनेंगी। आज मेरे घर में दो फूल खिले हुए हैं। हम दोनों पति-पत्नी हर समय आपके लिए प्रार्थना करते रहते हैं। इतने साल तक कारोबार ने फ़ुरसत ही न दी कि स्वयं आकर आपसे धन्यवाद के दो शब्द ही कह जाता। इतने बरसों बाद आज भारत आया हूँ और कार केवल यहीं रोकी है।

वैद्यजी हमारा सारा परिवार इंग्लैंड में सेटल हो चुका है। केवल मेरी एक विधवा बहन अपनी बेटी के साथ भारत में रहती है। हमारी भान्जी की शादी इस महीने की 21 तारीख को होनी है। न जाने क्यों जब-जब मैं अपनी भान्जी के भात के लिए कोई सामान खरीदता था तो मेरी आँखों के सामने आपकी वह छोटी-सी बेटी भी आ जाती थी और हर सामान मैं दोहरा खरीद लेता था। मैं आपके विचारों को जानता था कि संभवतः आप वह सामान न लें किन्तु मुझे लगता था कि मेरी अपनी सगी भान्जी के साथ जो चेहरा मुझे बार-बार दिख रहा है वह भी मेरी भान्जी ही है। मुझे लगता था कि ईश्वर ने इस भान्जी के विवाह में भी मुझे भात भरने की ज़िम्मेदारी दी है।

वैद्यजी की आँखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गईं और बहुत धीमी आवाज़ में बोले, '' कृष्णलाल जी, आप जो कुछ कह रहे हैं मुझे समझ नहीं आ रहा कि ईश्वर की यह क्या माया है। आप मेरी श्रीमती के हाथ की लिखी हुई यह चिठ्ठी देखिये।" और वैद्यजी ने चिट्ठी खोलकर कृष्णलाल जी को पकड़ा दी। वहाँ उपस्थित सभी यह देखकर हैरान रह गए कि ''दहेज का सामान'' के सामने लिखा हुआ था '' यह काम परमात्मा का है, परमात्मा जाने।''

काँपती-सी आवाज़ में वैद्यजी बोले, "कृष्णलाल जी, विश्वास कीजिये कि आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि पत्नी ने चिठ्ठी पर आवश्यकता लिखी हो और भगवान ने उसी दिन उसकी व्यवस्था न कर दी हो। आपकी बातें सुनकर तो लगता है कि भगवान को पता होता है कि किस दिन मेरी श्रीमती क्या लिखने वाली हैं अन्यथा आपसे इतने दिन पहले ही सामान ख़रीदना आरम्भ न करवा दिया होता परमात्मा ने। वाह भगवान वाह! तू महान है तू दयावान है। मैं हैरान हूँ कि वह कैसे अपने रंग दिखाता है।"

वैद्यजी ने आगे कहा,सँभाला है, एक ही पाठ पढ़ा है कि सुबह परमात्मा का आभार करो, शाम को अच्छा दिन गुज़रने का आभार करो, खाते समय उसका आभार करो, सोते समय उसका आभार करो।

प्रभु जो करते हें ,अच्छे  के लिये ही करते हे 🙏

जौनपुर सहित पूरे भारत के मौसम में एक बार फिर से होने जा रहा है व्यापक परिवर्तन**/

*जौनपुर सहित पूरे भारत के मौसम में एक बार फिर से होने जा रहा है व्यापक परिवर्तन*
*जौनपुर सहित पूरे भारत के मौसम में एक बार फिर से होने जा रहा है व्यापक परिवर्तन*

*भूमध्य सागर अरब सागर और पश्चिमी विक्षोभ तथा हिमालय पर्वत और उत्तरी ध्रुव पर हो रहे हाल-चाल के कारण एक बार फिर से भारत का मौसम परिवर्तन होने जा रहा है 29 जनवरी रविवार से मौसम का यह परिवर्तन गुजरात राजस्थान पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर मुजफ्फराबाद बालटिस्तान से शुरू होगा जो कर्म से आगे बढ़ता हुआ मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश नेपाल तिब्बत 30 जनवरी को पहुंचेगा और यहां 30 जनवरी और 31 जनवरी को बादल छाने तेज हवाएं चलने बूंदाबांदी होने कहीं-कहीं वर्षा होने और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि होने की संभावना है इसके प्रभाव से हिमालय क्षेत्रों में प्रचंड बर्फबारी होगी और एक बार ठंड गलन बढ़ेगी मैदानी क्षेत्रों में इसका व्यापक असर होगा लेकिन बाद में लगातार धूप होने से दिन में ठंड का असर काफी कम रहेगा मौसम परिवर्तन का सबसे कम असर जौनपुर में ही पड़ेगा*

*इसके बाद यह विक्षोभ आगे बढ़ता हुआ बंगाल बिहार पूर्वोत्तर भारत और म्यामार तथा ईद में पहुंचकर 2 फरवरी तक समाप्त हो जाएगा अभी दिन में गर्मी रहेगी लेकिन ठंड का असर पूरे फरवरी भर कायम रहेगा फरवरी महीने में व्यापक परिवर्तन उथल-पुथल हलचल होगी तेज हवाएं चलने के साथ-साथ फरवरी महीने में कई बार वर्षा होने कहीं-कहीं ओला पढ़ने की प्रबल संभावना बन रही है ठंड का असर प्रकार अंतर से 15 मार्च तक जाएगा*

*इस कालावधी में अर्थात 29 जनवरी से 3 फरवरी तक दक्षिण भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु केरल कर्नाटक और आंध्र तथा तेलंगाना में कई स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होगी एक चक्रबाती विक्षोभ तमिलनाडु और श्रीलंका में घनघोर वर्षा कर सकता है इसके अलावा दक्षिणी भारत में मौसम सामान्य रूप से काफी गर्म रहेगा खुली धूप होती रहेगी मुंबई में इस बीच गर्मी काफी बढ़ जाएगी इस प्रकार 29 जनवरी से 3 फरवरी तक देश के लगभग सभी भागों में मौसम परिवर्तन और बूंदाबांदी वर्षा तथा हिमालय चित्रों में बर्फबारी का योग है पूरे मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस से 23 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा जबकि हिमालय के अधिकांश भागों में 0 से लेकर -35 डिग्री सेल्सियस रहेगा और दक्षिणी भागों में तापमान 20 से लेकर 35 डिग्री सेंटीग्रेड रहेगा डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक अलका शिव ज्योतिष मौसम विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर*
*भूमध्य सागर अरब सागर और पश्चिमी विक्षोभ तथा हिमालय पर्वत और उत्तरी ध्रुव पर हो रहे हाल-चाल के कारण एक बार फिर से भारत का मौसम परिवर्तन होने जा रहा है 29 जनवरी रविवार से मौसम का यह परिवर्तन गुजरात राजस्थान पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर मुजफ्फराबाद बालटिस्तान से शुरू होगा जो कर्म से आगे बढ़ता हुआ मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश नेपाल तिब्बत 30 जनवरी को पहुंचेगा और यहां 30 जनवरी और 31 जनवरी को बादल छाने तेज हवाएं चलने बूंदाबांदी होने कहीं-कहीं वर्षा होने और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि होने की संभावना है इसके प्रभाव से हिमालय क्षेत्रों में प्रचंड बर्फबारी होगी और एक बार ठंड गलन बढ़ेगी मैदानी क्षेत्रों में इसका व्यापक असर होगा लेकिन बाद में लगातार धूप होने से दिन में ठंड का असर काफी कम रहेगा मौसम परिवर्तन का सबसे कम असर जौनपुर में ही पड़ेगा*

*इसके बाद यह विक्षोभ आगे बढ़ता हुआ बंगाल बिहार पूर्वोत्तर भारत और म्यामार तथा ईद में पहुंचकर 2 फरवरी तक समाप्त हो जाएगा अभी दिन में गर्मी रहेगी लेकिन ठंड का असर पूरे फरवरी भर कायम रहेगा फरवरी महीने में व्यापक परिवर्तन उथल-पुथल हलचल होगी तेज हवाएं चलने के साथ-साथ फरवरी महीने में कई बार वर्षा होने कहीं-कहीं ओला पढ़ने की प्रबल संभावना बन रही है ठंड का असर प्रकार अंतर से 15 मार्च तक जाएगा*

*इस कालावधी में अर्थात 29 जनवरी से 3 फरवरी तक दक्षिण भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु केरल कर्नाटक और आंध्र तथा तेलंगाना में कई स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होगी एक चक्रबाती विक्षोभ तमिलनाडु और श्रीलंका में घनघोर वर्षा कर सकता है इसके अलावा दक्षिणी भारत में मौसम सामान्य रूप से काफी गर्म रहेगा खुली धूप होती रहेगी मुंबई में इस बीच गर्मी काफी बढ़ जाएगी इस प्रकार 29 जनवरी से 3 फरवरी तक देश के लगभग सभी भागों में मौसम परिवर्तन और बूंदाबांदी वर्षा तथा हिमालय चित्रों में बर्फबारी का योग है पूरे मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस से 23 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा जबकि हिमालय के अधिकांश भागों में 0 से लेकर -35 डिग्री सेल्सियस रहेगा और दक्षिणी भागों में तापमान 20 से लेकर 35 डिग्री सेंटीग्रेड रहेगा डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि और निदेशक अलका शिव ज्योतिष मौसम विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर*

Saturday, 28 January 2023

ब्राह्मणों की आंख खोलने वाली जानकारी जो स्वयं केन्द्र मंत्री नितीन गडकरी जी ने ट्विटर पर पोस्ट की है पढ़े और महत्व को समझें*

*ब्राह्मणों की आंख खोलने वाली जानकारी जो स्वयं केन्द्र मंत्री नितीन गडकरी जी ने ट्विटर पर पोस्ट की है पढ़े और महत्व को समझें*
श्री गडकरी ट्वीट करके कहा है कि आज के जमाने में असली दलित ब्राह्मण हैं। उन्होंने अपनी बात को बल देने के लिए एक *फ्रांसीसी पत्रकार फ्रांसिस गुइटर* की रिपोर्ट भी शेयर की है जिसके मुख्य बनबिंदु निम्नलिखित हैं : 

*दिल्ली के 50 शुलभ शौचालयों में तकरीबन 325 सफाई कर्मचारी हैं। यह सभी ब्राह्मण वर्ग के हैं।*

*दिल्ली और मुंबई के 50% रिक्शा चालक ब्राह्मण हैं। इनमें से अधिकतर पांडे, दुबे, मिश्रा, शुक्ला, तिवारी यानी पूर्वांचल और बिहार के ब्राह्मण हैं।*

*दक्षिण भारत में ब्राह्मणों की स्तिथि अछूत सी है कुछ जगहों पर। बाकी जगहों पर लोगों के घरों में काम करने वाले 70% बावर्ची और नौकर ब्राह्मण हैं।*

*ब्राह्मणों में प्रति व्यक्ति आय मुसलमानों के बाद भारत में सबसे कम हैं। यहां और अधिक चिंता का विषय यह है कि 1991 की जनगणना के बाद से मुसलमानों की प्रति व्यक्ति आय सुधर रही है लगातार वहीं ब्राह्मणों की और कम हो रही है।*

*ब्राह्मण भारत का दूसरा सबसे बड़ा कृषक समुदाय है। पर इनके पास मौजूद खेती के साधन अभी 40 वर्ष पीछे हैं। इसका कारण ब्राह्मण होने की वजह से इन किसानों को सरकार से उचित मुआवजा, लोन और बाकी रियायतें न मिलना रहा है। अधिकतर ब्राह्मण किसान कम आय की वजह से आत्महत्या या जमीन बेचने को मजबूर हैं।*

*ब्राह्मण छात्रों में "ड्रॉप आउट" यानी पढ़ाई अधूरी छोड़ने की दर अब भारत में सबसे अधिक है। वर्ष 2001 में ब्राह्मणों ने इस मामले में मुसलमानों को पीछे छोड़ दिया और तब से टॉप पर कब्जा किये बैठे हैं।*

*ब्राह्मणों में बेरोजगारी की दर भी सबसे अधिक है। समय पर नौकरी/रोजगार न मिल पाने की वजह से 14% ब्राह्मण हर दशक में विवाह सुख से वंचित रह रहे हैं। यह दर भारत के किसी एक समुदाय में सबसे अधिक है। यह ब्राह्मणों की आबादी लगातार गिरने का बहुत बड़ा कारण है।*

*आंध्र प्रदेश में बड़ी संख्या में ब्राह्मण परिवार 500 रुपये प्रति महीने और तमिलनाडु में 300 रुपए प्रति महीने पर जीवन यापन कर रहे हैं। इसका कारण बेरोजगारी और गरीबी है। इनके घरों में भुखमरी से मौतें अब आम बात है।*

*भारत में ईसाई समुदाय की प्रति व्यक्ति आय तकरीबन 1600 रुपए, sc/st की 800 रुपए, मुसलमानों की 750 के आस पास है। पर ब्राह्मणों में यह आंकड़ा सिर्फ़ 537 रुपये है और यह लगातार गिर रहा है।*

*ब्राह्मण युवकों के पास रोजगार की कमी, प्रॉपर्टी की कमी के कारण सबसे अधिक ब्राह्मण लड़कियों के अरेंज विवाह दूसरी जातियों में हो रहे हैं।*

 *उपरोक्त आकंड़े बता रहे हैं कि ब्राह्मण कुछ दशकों में वैसे ही खत्म हो जाऐंगे। जो बचे खुचे रहेंगे उन्हें वह जहर खत्म कर देगा जो सोशल मीडिया पर दिन रात ब्राह्मणों के खिलाफ गलत लिखकर नई पीढ़ी का ब्रेनवाश करके उनके मन में ब्राह्मणों के प्रति अंध नफरत से पैदा किया जा रहा है।* महाशय हम कहाँ जा रहे हैं,ध्यान देना होगा हमे अपने भविष्य पर।
: *ब्राह्मणों से सात यक्ष प्रश्न*
1-ब्राह्मण एक कैसे होंगे और कब होंगे?
2- ब्राह्मण एक दूसरे की सहायता कब करेंगे?
3-ब्राह्मण संगठनों में एकता कैसे होगी?
4-ब्राह्मण अपना वोट एक जगह कब देंगे?
5- ब्राह्मण ब्राह्मण का गुणगान कब करेंगे?
6-उच्च पदों पर बैठे अफसर, ब्राह्मण मंत्री, mp, MLA अपने निहित स्वार्थ से ऊपर उठ कर ब्राह्मणों की बिना शर्त सहायता कब करेंगे?
7-गरीब ब्राह्मणों की सहायता करने के लिए ब्राह्मण महाकोष का गठन कब होगा?
इसका उत्तर एक कट्टर ब्राह्मण चिंतक प्राप्त करना चाहता है l
    *यदि आप सही में ब्राह्मण जाति  उद्धार चाहते हैं तो इसे मानना प्रारंभ करें पढ़कर कम से कम दस ब्राह्मणों को अवश्य भेजें!* *🙏दीन हीन दयनीय व गरीब ब्राह्मणों की यथासंभव मदद करने का संकल्प लें*🙏

लुंगी और गमछा में जिस व्यक्ति को आप दिख रहे हैं उनका नाम पतायत साहू है।।

"लुंगी और गमछा में जिस व्यक्ति को आप दिख रहे हैं उनका नाम पतायत साहू है।। 

पतायत जी को इस बार पद्मश्री पुरस्कार मिला है। पतायत जी ओडिशा के कालाहांडी जिले के रहने वाले हैं। इनके गांव का नाम नान्दोल है। पतायत जी अपने घर के पीछे 1.5 एकर के ज़मीन में 3000 से भी ज्यादा medicinal प्लांट उगाए हैं। यह काम वो पिछले 40 साल से कर रहे हैं। पतायत जी आर्गेनिक खेती पर जोर देते हैं। अपने प्लांट में कभी भी केमिकल फ़र्टिलाइज़र का इस्तेमाल नहीं करते हैं।पतायत जी दिन में खेती करते हैं और रात को वैद्य बन जाते हैं। लोगों से पैसे की मांग नहीं करते हैं। पतायत जी के खेत में जो 3000 प्लांट है उस मे से 500 तो वो भारत के अलग अलग जगह से संग्रह किये हैं बाकी सब कालाहांडी के जंगल से संग्रह किये हैं।।उनके बगीचे में ऐसा कई सारे मेडिसिनल प्लांट हैं जो किस और जगह नहीं मिलती है। पतायत जी को बहुत सारे बधाई। जाते जाते एक बात जरूर कहूंगा आप लोग नेशनल मीडिया में कभी भी पतायत जी के बारे में नहीं सुने होंगे न उन्हें प्लांट के बारे में।

घरेलू उपचार पेट दर्द :------* पोदीना, जीरा, हींग, कालीमिर्च और नमक डालकर, चटनी की तरह पीस लें । मात्रा भी चटनी जैसी ही लेनी है । इसको एक गिलास पानी में उबालकर पीने से , पेट दर्द व अपच में लाभ होता है


घरेलू उपचार 
पेट दर्द :------
* पोदीना, जीरा, हींग, कालीमिर्च और नमक डालकर, चटनी की तरह पीस लें । मात्रा भी चटनी जैसी ही लेनी है । इसको एक गिलास पानी में उबालकर पीने से , पेट दर्द व अपच में  लाभ होता है ।
* यदि , बच्चे के पेट में  दर्द हो तो, बेसन को पानी में , गूँठकर, गर्म करके पेट पर मल दें।
* मूंग के बराबर हींग को, गूड़ में लपेटकर, गर्म पानी से सेवन करें । गैस का पेट दर्द ठीक हो जाता है । 
* हींग को , थोडे़ से पानी में घोलकर नाभि के आसपास लेप करें । 
* हींग को , शुद्ध घी में , हल्की आंच पर भूनकर, चूर्ण बना लें। थोड़ा सा ( आधा चम्मच )  चूर्ण, एक गिलास  पानी में घोलकर, पीने से तुरंत लाभ होता है । 
* बच्चे के पेट में , दर्द होने पर, हाथ-पैर पटकता हो और बार-बार हाथ पेट की ओर ले जाता है ।मूंग के दाल बराबर हींग, मां के दूध में घोलकर पीला दें और पेट की सिकाई करें । इसके बाद राई व हींग को पीसकर, नाभि के आसपास लगाएं। बच्चे को आराम मिलता है ।
* हींग को गर्म पानी में घोलकर, नाभि के आसपास लेप करें तथा भूनी हिंग आधा ग्राम किसी भी चीज के साथ सेवन करें ।
* 2 ग्राम हींग को आधा किलो पानी में उबालें , जब पानी आधा रह जाएं तो, गर्म -गर्म सेवन करें । 
* भूनी हींग, जीरा, सौठ व सेंधा नमक मिलाकर, चौथाई चम्मच, गर्म पानी के साथ फंकी लें।
* पिसी लालमिर्च को गुड़ मिलाकर सेवन करें ।
* पिसा धनिया और मिश्री पिसी हुई, पानी में घोलकर सेवन करें । 
* पेट दर्द में , दो इलायची पीसकर, शहद में मिलाकर, चाटने से लाभ होता है ।
* बच्चों के पेट में , दर्द होने पर, एक गिलास पानी में , दो चम्मच सौंफ उबाले। आधा पानी रहने पर, स्वादानुसार शहद मिलाकर सेवन करें । यदि रह-रहकर दर्द उठता हो तो, पोदीने का रस, चार चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर,  सेवन कराएं।
सोंफ के चमत्कारिक लाभ -
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सौंफ और मिश्री का समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना कर रख ले। खाने के बाद इस मिश्रण के दो चम्मच सुबह शाम दो महीने तक सेवन करने से दिमागी कमजोरी दूर हो जाती है तथा मंदाग्नि भी दूर होती है।
सौंफ, धनिया व मिश्री समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर भोजन के बाद एक चम्मच लेने से हाथ-पाँव और पेशाब की जलन, एसिडिटी व सिरदर्द का उपचार हो जाता है।
सौंफ ,धनिया और मिश्री मिलाकर दिन में दो तीन बार पानी के साथ लेंने से माइग्रेन दर्द (आधे सिर का दर्द) दूर होता है।
बच्चों के पेट के रोगों में दो चम्मच सौंफ का चूर्ण एक गिलास पानी में एक चौथाई पानी शेष रहने तक अच्छी तरह उबाल कर काढ़ा बना ले और छानकर ठण्डा कर लें। इसे दिन में तीन-चार बार एक-एक चम्मच पिलाने से पेट का अफारा, अपच, उलटी ,प्यास, जी मिचलाना, पित्त-विकार, जलन, पेट दर्द, भूख में कमी, पेचिश मरोड़ आदि शिकायतें दूर होती हैं।
सौंफ, जीरा और धनिये को बराबर मात्रा मिलाकर काढ़ा बनाये इसे सुबह-शाम सेवन से या सौंफ और मिश्री को पीसकर चूर्ण बना ले प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ सेवन से बवासीर के रोगो में लाभ होता है।
सौंफ और मिश्री को पीसकर प्रतिदिन दूध के साथ सेवन से खूनी बवासीर से छुटकारा मिलता है। या सौंफ, जीरा और धनियां को मिलाकर काढ़ा बनाये इसमें देशी घी मिलाकर नियमित सेवन करने से खूनी बवासीर से निजात मिलती है।
सौंफ रक्तशोधक एवं चर्मरोग नाशक है। खालिस सौंफ (बिना कुछ मिलाए) एक एक चम्मच सुबह शाम रोजना चबाने से या ठंडे पानी से नियमित सेवन करने से खून साफ हो जाता है और त्वचा भी साफ हो जाती है। प्यास उल्टी जी मिचलाना अजीर्ण पेट में दर्द और जलन पित्त विकार मरोडे आंव आदि में भी सौफ का सेवन बेहद लाभकारी होता है।
बुखार में रोगी यदि बार-बार उल्टी करता हो तो हरी सौंफ को पीसकर उसका रस निकालकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद रोगी को पिलाएं। या सौंफ का काढ़ा बनाकर, छानकर इसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाएं तथा सौंफ के चूर्ण का सेवन करने से भी उल्टी बंद हो जाती है।
सौंफ, कालानमक और कालीमिर्च को 10 : 2 : 1 के अनुपात में लेकर पीस ले और सुबह-शाम खाना खाने के बाद एक चम्मच गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज और कब्ज से उत्पन्न गैस, मरोड़ व पेट दर्द भी ठीक होता है। सौंफ और हरड़ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। रात को खाना खाने के बाद यह चूर्ण सेवन करने से कब्ज दूर हो जाती है। अथवा बराबर का जीरा और सौंफ ले और दो दो गुना मात्रा में एलोवेरा का गूदा और सोंठ को मिलाकर पीस ले और छोटी-छोटी गोलियां बना लें और कब्ज के लिए एक गोली सुबह-शाम पानी के साथ ले। सौंफ की जड़ को सुबह-शाम सलाद के रूप में सेवन करने से कब्ज नष्ट होता है।
सौंफ को घी में भून कर इसमें मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण हर रोज एक चम्मच 3 बार ठंडे पानी के साथ सेवन से आंव दस्त में आराम होता है। सौंफ का तेल, मिश्री में मिलाकर हर रोज तीन चार बार सेवन करने से दस्त में आंव आना बंद होता है। अथवा 4 : 2 :1 के अनुपात में सौंफ, बेलगिरी और ईसबगोल का मिश्रण बना ले इस चूर्ण के सेवन करने से आंव दस्त बंद हो जाता है। या सौंफ, धनिया और भुना हुआ जीरा ये सब बराबर मात्रा में लेकर खूब पीस ले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में तीन बार मट्ठे के साथ सेवन करे आंव दस्त में आराम मिलेगा ।
सौंफ और छोटी हरड़ सामान मात्रा में लेकर घी में भून लें और कुल मात्रा के बराबर मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का सेवन करने से दस्तो में आराम आता है। और लस्सी, दही या रस के साथ सौंफ का चूर्ण पीने से दस्त में आंव व खून आना बंद होता है।
सौंफ, अजवायन और जायफल इन सब के चूर्ण को थोड़े सौंफ के रस के साथ दस्त वाले रोगी को पिलाएं आराम मिलेगा ।
सौंफ एक चम्मच धनिया एक चम्मच, जीरा आधा चम्मच और बराबर मात्रा में एक कलि वाला लहसुन लेकर बारीख पीस लें इच्छानुसार सेंधा नमक मिलाकर एक-एक चम्मच दिन में तीन चार बार मट्ठा के साथ सेवन से बार-बार का दस्त आना ठीक हो जाता है। और शरीर में पानी की कमी भी नहीं आएगी।
सौंफ को थोड़ा भूनकर मिश्री या शक्कर के साथ मिलाकर पीने से अथवा भुनी सौंफ, भुनी सोंठ और भुनी हरड़ 3 : 3 : 1 के अनुपात में मिलाकर खूब पीस ले। इसमें खण्ड या बूरा मिलाकर दो चम्मच दिन में 3 बार सेवन करने से दस्तो में आराम मिलता है।
यदि जिगर या प्लीहा रोग हो जाएं तो सौंफ से काबू में लाए जा सकते हैं। पेशाब जलन के साथ आता हो तो सौंफ का चूर्ण ठंडे पानी से, दिन में दो बार लेना फायदेमंद रहता है।
धनिया, सौंफ और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर पीस लें इस चूर्ण का खाना खाने के बाद एक चम्मच हर रोज लगभग दो माह तक सेवन करने से हाथ परों में जलन छाती की जलन, नेत्रों की जलन, पेशाब की जलन व सिरदर्द की शिकायत दूर हो जाती है। चक्कर आना, अफरा, एसिडिटी व कमज़ोरी दूर होती है नींद नियमित होती है, नेत्र की ज्योति व याददस्त भी बढ़ती है
सौंफ में कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने की क्षमता होती है अत: भोजन के बाद सौंफ और मिश्री अवश्य चबाये जिससे हाजमा भी दुरूस्त रहता है। लीवर और आंखों की ज्योति भी ठीक रहती है। प्रतिदिन दो से पांच ग्राम सौंफ नियमित सेवन से मोतियाबिन्द ठीक हो जाता है।
आँखों की रोशनी की बेहतरी के लिए सौंफ, बादाम और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। सुबह-शाम इस चूर्ण का एक चम्मच पानी के साथ दो महीने तक लगातार सेवन करने से आंखों की कमजोरी दूर हो जाती है।
हरी सौंफ का रस गाजर के रस में मिलाकर तीन माह तक सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज होती है तथा रात को न दिखाई देने (रतौंधी) वाले को भी दिखाई देने लगता है।
कच्ची व भुनी सौंफ बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना ले दो चम्मच चूर्ण मठ्‌ठे के साथ सेवन करने से अतिसार (दस्तो) में लाभ होता है। तथा इस सौंफ चूर्ण को सुबह शाम भोजन के बाद पानी के साथ दो माह तक नियमित सेवन करने से नेत्र ज्योति में भी वृद्धि होती है।
सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है तथा नेत्र द्रष्टि मजबूत होती है।
सौंफ का चूर्ण बनाकर रात को सोते समय मिश्री मिले दूध या पानी के साथ लेने से आंखों की रोशनी बढ़ती हैं। भोजन के बाद नियमित सौंफ खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। पाचन क्रिया में सुधार आता है और मूत्र रोग भी दूर होते है।
तवे पर भुनी हुई सौंफ के मिश्रण से अपच, एसिडिटी और दस्तो में भी बहुत लाभ होता है।
अच्छी उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दिन में तीन बार लेने से अपच, अस्थमा, कफ और खांसी के इलाज के लिए काफी फायदेमंद है।
सौंफ और धनिया बराबर मात्रा में कूट-छानकर मिश्री मिलाकर खाना खाने के बाद एक चम्मच लेने से कुछ ही दिनों में हाथ-पाँव की जलन में आराम आता है।
सौंफ के चूर्ण को शकर के साथ बराबर मिलाकर लेने से हाथों और पैरों की जलन दूर होती है।

*छोटे बच्चों में कब्ज*
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माता के अनुचित आहार-विहार के कारण उसका दूध दूषित हो जाता है जिसकी वजह से बच्चे की पाचन शक्ति खराब होकर वायु विकार युक्त हो जाती हैं इसमें मल का सूख जाना, मल त्याग का अभाव, पेट में दर्द, गुड गुड, उल्टी आदि लक्षण बच्चों में मिलते हैं,
और बच्चा रोते-रोते बेहाल हो जाता है
✍️ नीम के तेल का फाहा गुदा मार्ग में लगाने से मल का अवरोध (कब्ज) दूर होता है 
✍️ रात को बीज निकाला हुआ छुहारा पानी में भिगोकर सुबह उसी पानी में मसल कर , छुहारे को फेंक दें और वह पानी बच्चे को आवश्यकतानुसार पिला दे
✍️ बड़ी हरड़ को पानी के साथ पत्थर पर पीसकर उसमें मूंग के दाने के बराबर की मात्रा में काला नमक डालें इसे कुछ गुनगुना गर्म करके आवश्यकतानुसार दिन में 1 से 3 बार दे
आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा
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घरेलू उपचार
पाचन शक्तिवर्धक :------
* पेट के रोगों में , जामुन का सेवन अत्यंत लाभदायक है । इसमें दस्त को बांधने की विशेष शक्ति है । पेट दर्द, दस्त, भूख न लगना पर, एक गिलास जामुन के रस में , सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें ।
* अपच होने पर, 100 ग्राम जामुन पर नमक छिड़क कर नित्य सेवन करें ।
* अपच में , एक कप पानी में , एक कप पानी में , एक चम्मच जामुन का सिरका नित्य तीन बार सेवन करें । ऐसा करने से , पेट के सामान्य रोग के अतिरिक्त भूख भी अच्छी लगती है । पेट दर्द में भी, काला नमक और मिलाकर, इसप्रकार सेवन करें ।
* प्लीहा(तिल्ली),  यकृत, आमाशय और क्लोम ( पैंक्रियास ) को जामुन सेवन करने से शक्ति मिलती है । इससे भोजन का पाचन होता है , भूख लगती है और दांत मजबूत होते है ।
* भोजन के बाद, दो केले का सेवन, पाचनशक्ति  बढ़ती है ।
* टमाटर सेवन करने से , बड़ी आंत को शक्ति मिलती है ।  आंतों के घाव दूर करता है । इसका निरंतर सेवन कब्ज नही होती है व दस्त साफ आता है , आफरा दूर होता है । आमाशय स्वच्छ रहता है और आमाशय के विष को बाहर निकाल देता है । बच्चों को , इसका रस देना लाभदायक है ।
* गैस व पाचन तंत्र को सही करने के लिए, करेले की सब्जी व रस दोनों लाभदायक है ।
* गेंहु के आटे को गूँठ कर, एक घंटे के लिए, रखा रहने दें। उसके बाद चपाती बना कर सेवन करने से शीघ्र पच जाती है । 
* गन्ने के रस का सेवन करने से, पाचनशक्ति बढ़   जाती है ।
* लौंग एंजाइम के बहाव को बढा़वा देती है और पाचन क्रिया को तेज करती है और पाचन को बढा़ कर, चयापचय को बढा़ती है ।
* हल्दी भोजन को शीघ्र पचा कर, रक्त बनाने में सहायता करती है । 
* भोजन के बाद, कॉफी का सेवन करने से, पेट की गड़बड़ी दूर करती है । चित्त प्रसन्न और हल्कापन अनुभव करता है। ऐसा लगता है जैसे कुछ खाया ही नही है ।
[
दस्त :--------
लक्षण ----- पेट दर्द, पेट में मरोड़, पेट की सूजन, प्यास
,वजन घटना , बुखार।
* आम की गुठली, बेलगिरी और मिश्री , इन सभी को समान मात्रा में पीसकर, 2-2 चम्मच, नित्य तीन बार, पानी के साथ फंकी लें। गर्मी के मौसम के दस्त सही हो जाते है ।
* आम की सिकी गुठली 50 ग्राम, स्वादानुसार नमक या चीनी मिलाकर, चूर्ण कर लें। एक चम्मच, नित्य तीन बार, पानी के साथ फंकी लें। 
* सिकी आम की गुठली की मिंगी, दही के साथ पीसकर, नाभि पर लेप करें ।
* आम की गुठली की मिंगी को, पानी में पीसकर, नाभि पर, गाढा़ लेप करें ।
* आमरस मीठा आधा कप, मीठा दही 25 ग्राम और एक चम्मच अदरक का रस । इन सभी को मिलाकर, सेवन करें । ऐसी एक मात्रा , नित्य तीन बार सेवन करें । पुराने दस्त, अपच और बवासीर में , लाभ होता है । 
* आम की गुठली की मिंगी को पीसकर,  पानी या छाछ में घोलकर,घोलकर,स्वादानुसार चीनी डालकर  सेवन करने से, दस्त बंद हो जाते है । बच्चों के लिए गुठली की मात्रा आधी ही रखें। यह दिन में , तीन बार सेवन करें ।


*एक अनार सौ बीमारी का काम तमाम* 
 
1) बुढापा आने से बचाए :- बहुत कम लोग ही इस तथ्य से परिचित हैं कि अनार एंटीऑक्सीडेंट का बहुत ही अच्छा स्रोत है। इसलिए यह शरीर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाता है, जिससे आप वक्त से पहले बूढ़े नहीं दिखते। 
  2) प्राकृतिक ब्लड थीनर :- खून दो तरह से जमते हैं। पहला तो कटने या जलने की स्थिति में खून जमता है, जिससे खून का बहाव रुक जाता है। वहीं दूसरे तरह का खून आंतरिक रूप से जमता है, जो बहुत ही खतरनाक होता है। अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण खून के लिए वही काम करता है, जो पेट के लिए थीनर करता है। यह शरीर में खून को जमने या थक्का बनने से रोकता है। 
  3) एथेरॉसक्लेरॉसिस से रोकता है :- बढ़ती उम्र और गलत खानपान से रक्तवाहिनी की दीवार कोलेस्ट्रोल व अन्य चीजों से कठोर हो जाती है, जिससे रक्त के बहाव में अवरोध पैदा होता है। अनार का एंटीऑक्सीडेंट गुण कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन और कोलेस्ट्रोल को ऑक्सीडाइजिंग से रोकता है। 
  4) अनार करता है ऑक्सीजन मास्क की तरह काम :- साधारण शब्दों में कहें तो अनार का जूस खून में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है। इसका एंटीऑक्सीडेंट कोलेस्ट्रोल को कम करता है, फ्री रेडिकल्स से बचाता है और खून का थक्का बनने से रोकता है। 
  5) गठिया रोग से रोकथाम :- अनार गठिया रोग से पीड़ित व्यक्ति के कार्टिलेग को नुकसान पहुंचने से बचाता है। यह फल कार्टिलेग को नष्ट करने वाले एंजाइम से लड़ता है और जलन और सूजन से भी सुरक्षा प्रदान कराता है।

*धरती का अमृत फल "नोनी"*
नोनी फल वैसे तो किसी बीमारी का इलाज़ नहीं है लेकिन इससे कोई भी बीमारी बच नही सकती। चाहे वो बीपी हो, गठिया हो, हार्ट हो, स्किन एलर्जी हो, बुढापा सम्बंधित समस्याएं हो, नपुंसकता हो, मोटापा हो,  ऐड्स हो या कैंसर ही क्यों न हो.!
नोनी रामबाण है।

■ नोनी फल आम लोगों के लिए जितना गुमनाम है, सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद। नोनी के रूप में वैज्ञानिकों को एक ऐसी संजीवनी हाथ लगी है।

■ पान-मसाला, गुटखा, तंबाकू खाने वाले अगर नोनी लें तो केन्सर नही होगा।

■ ताजा शोध के मुताबिक नोनी फल कैंसर व लाइलाज एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों में भी फायदेमंद है।

■ देश में वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन सहित कई शोध संस्थान शोध कर रहे हैं। 

■ नोनी के इन रहस्यमयी गुणों का खुलासा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किया।

■ कृषि वैज्ञानिक नोनी को मानव स्वास्थ्य के लिए प्रकृति की अनमोल देन बता रहे हैं।

■ वैज्ञानिकों के अनुसार समुद्र तटीय इलाकों में तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, अंडमान निकोबार, मध्यप्रदेश सहित नौ राज्यों में 653 एकड़ में इसकी खेती हो रही है।

■ कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व चेयरमैन व वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. कीर्ति सिंह ने कहा कि इस फल में दस तरह के विटामिन, खनिज पदार्थ, प्रोटीन, फोलिक एसिड सहित 160 पोषक तत्व हैं। 

■ इतने पोषक तत्वों की वजह से उच्च रक्तचाप, हृदय, मधुमेह, गठिया, सर्दी जुकाम सहित अनेक बीमारियों ठीक हो जाती हैँ।

■ ये एंटी ऑक्सिडेंट और दुनियां का पहला नॉन स्टेरॉयड एंटी इंफ्लामेटरी ड्रग है।

■ ये अडॉप्टोजेन है जो हॉइ और लो बीपी को ठीक कर देता है।

■ शुरू से इसका सेवन करने से कैंसर जैसी बीमारी भी नहीं होगी।

■ मोटापा, सुगर, अनिद्रा, गठिया, गैस, बदहज़मी, हाई एवम् लो बीपी को ठीक रखने में उपयुक्त।

■ उन्होंने बताया कि फाउंडेशन कैंसर व एड्स पर नोनी के प्रभाव का शोध कर रहा है।

■ मुंबई, बेंगलुर, हैदराबाद, चेन्नई सहित कई मेट्रो शहरों में भी दर्जनों कैंसर पीडि़तों को यह दिया जा रहा है, जिन्हें अस्पतालों ने डिस्चार्ज कर दिया था। नोनी देने से उनकी उम्र बढ़ गई। 

■ कहते है कि नोनी के सेवन से कैंसर व एड्स पूरी तरह ठीक ही हो जाएगा, शोध जारी है।

■ नोनी की उपयोगिता को ध्यान रखकर ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि स्नातक पाठ्यक्रम में दो साल से नोनी को शामिल कर लिया है।

परिणाम नोनी फल की मात्रा और समयबद्धता से मिलते है, मिले हैं और मिलते रहेंगे। जरूरत आपकी इस फल के साथ आस्था की है क्योंकि हमारे नेचर्स नोनी जूस के 10ml में आपको मिलता है...
2000mg नोनी
300mg अश्वगंधा
100mg गरसेनिया कम्बोजिया

मात्रा 400ml

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किसी भी प्रकार की जानकारी के लिये या कभी भी मंगवाने के लिए...


*पुरूष वर्ग सावधान*
*जैसे जैसे पुरूष 35 को पार करता है, उसके मानसिक और शारिरिक बदलाव उसके जीवन में उथल पुथल या भूचाल ले आते हैं...*
*जानिये संक्षेप में..*
जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन (सेक्स हार्मोन) का स्तर कम होने लग जाता है।
ऐसी स्थिति में पुरुषों में कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो दिखने लग जाते हैं।

क्या आप जानते हैं कि टेस्टोस्टेरोन अर्थात सेक्स हार्मोन की कमी से पुरुषों पर क्या असर पड़ता है?

ऐसे कौन से लक्षण हैं जो पुरुषों में सेक्स हार्मोन की कमी की वजह से दिखने लगते हैं? 

आज हम आपको इन्हीं लक्षणों के बारे में बताएंगे।
सबसे पहले तो आपको बता दें कि जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन या सेक्स हार्मोन का स्तर कम होने लग जाता है।
ऐसी स्थिति में पुरुषों में कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो दिखने लग जाते हैं लेकिन खुद पुरुषों को इस बारे में पता तक नहीं लग पाता।

*आइए, सबसे पहले जानते हैं कि आखिर यह टेस्टोस्टेरोन हार्मोन क्या होता है...?*

टेस्टोस्टेरोन हार्मोन एक सेक्स हार्मोन कहलाया जाता है, इसका निर्माण पुरुषों के शरीर में होता है।
इसी हार्मोन के कारण पुरुषों में सेक्स ड्राइव बढ़ती और घटती है।
ऐसे में जब पुरुषों के टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी लगती है तो इससे शरीर पर भी असर पड़ने लग जाता है। 

पुरुषों को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
अगर आपके शरीर में भी इस सेक्स हार्मोन की कमी है तो आप में भी कई लक्षण दिखने लग जाएंगे जैसे...

*(1). बार-बार मूड बदल जाना...*
जब पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन की कमी होने लगती है तो इससे उनका मूड बार-बार बदलने लगता है।
इस हार्मोन की कमी के कारण पुरुषों में भावनात्मक बदलाव भी आने लग जाते हैं।
मूड का बदलना भी एक भावनात्मक बदलाव है।
जब पुरुषों के शरीर से यह हार्मोन कम होने लगता है तो पुरुषों के शरीर पर इसका बुरा असर पड़ता है।
इसकी कमी से पुरुष चिड़चिड़ा रहने लगता है, तनावग्रस्त रहने रखता है और हमेशा बेचैनी में रहता है।
लेकिन अगर पुरुष का टेस्टोस्टेरोन हार्मोन ठीक है तो पुरुष सामान्य रहता है।
अपने मूड को देखकर भी आप पता लगा सकते हैं कि आपका टेस्टोस्टेरोन लेवल ठीक है या नहीं।

*(2). ताकत महसूस ना करना...*
जब पुरुषों को अपने शरीर में ताकत महसूस नहीं होती है, तो भी हो सकता है कि उस पुरुष में टेस्टोस्टेरोन की कमी है।
ऐसी स्थिति में पुरुषों की मांसपेशियों पर बड़ा असर पड़ता है।
टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी के कारण पुरुषों को मांसपेशियों में ताकत महसूस नहीं होती है।
जो पुरुष सामान्य स्थिति में बेहतर महसूस कर रहे होते हैं, वह टेस्टोस्टेरोन लेवल के कम होने पर ताकत महसूस नहीं करते।
ऐसी स्थिति में पुरुषों की मांसपेशियां कमजोर होने लग जाती हैं।

*(3). सहवास की इच्छा की कमी होना..*
पुरुषों में जब टेस्टोस्टेरोन की कमी होती है तो उनको सहवास करने की इच्छा नहीं होती।
इस हार्मोन की कमी के कारण पुरुष इस क्रिया से लगभग दूर होने लगते हैं। जिससे उनके रिश्ते पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
सहवास की इच्छा की कमी में पुरुष सहवास करने से दूर भागने लगता है और वह उत्तेजित भी नहीं हो पाता।

*(4). ज्यादा तनाव लेना...*
टेस्टोस्टेरोन की कमी के कारण पुरुष ज्यादा तनावग्रस्त रहने लग जाते हैं।
तनाव लेने से सहवास की इच्छा भी कम होती है और वो बेहतर परफॉर्म भी नहीं कर पाते हैं।
इससे स्पर्म काउंट भी घटता है और शरीर पर भी इसका बहुत बुरा असर होता है।

*(5). याददाश्त कम होना...*
जब पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी होती है तो इससे उनकी याददाश्त पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
पुरुषों की याददाश्त भी कम होने लग जाती है।
जैसे जैसे उम्र बढ़ती है तो इससे ज्यादातर पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी होने लगती है और इससे उनकी याददाश्त पर भी प्रभाव पड़ता है।

*बहुत सारे मित्र टेस्टोस्टेरोन मानिया से उभर चुके हैं और आप भी संपर्क कर सकते हैं।*



: *अपनी जीवन शैली के चलते लोग परेशान हो रहे हैं....*
*IBS/ Irritable Bowel Syndrome/ ग्रहणी/ संग्रहणी जैसी भयंकर बीमारी से...*
*लक्षण-*
इसके लक्षण अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग दिखते हैं लेकिन कुछ लक्षण जोकि सभी  में एक जैसे ही होते हैं वो निम्न हैं-

*(1). पेट दर्द*
कुछ व्यक्तियों को पेट दर्द होता है और यह दर्द कभी चुभने जैसा होता है और कभी मरोड़ जैसा।

*(2). पेट फूलना*
थोड़ा भोजन करने पर ही या अक्सर भोजन बिना किये भी लगता है कि पेट भरा हुआ है और भूख नहीं लगती।

*(3). कब्ज*
कुछ व्यक्तियों को बहुत दिनों से कब्ज की शिकायत रहती है और यदि ध्यान से देखें तो उनका मल पानी मे डूब जाता है।

*(4). पतली दस्त*
किन्हीं किन्हीं को अक्सर पतली दस्त होने लगती है और इससे उनका वजन भी कम होने लगता है।

*(5). अत्यधिक डकार*
ऐसे व्यक्तियों को अक्सर बार बार डकार आती रहती है और किन्हीं लोगों को तो लगता है कि गैस उनके शरीर मे फँसी हुई है और वो जहाँ भी दबाते है तो गैस डकार के रूप में बाहर निकलती है।

*(6). असामान्य मल*
मल का स्वरूप बिल्कुल असामान्य होता है, किन्हीं को कभी पतला कभी रूखा मल निकलता है,
किन्ही को आँव के साथ मल आता है,
कभी कभी केवल आँव / म्यूकस ही आता है और
मल त्याग के समय पेट दर्द भी होता है।

*(7). तनाव*
जिनको उपरोक्त समस्याएं होती हैं उन्हें तनाव अक्सर होता है, वजन कम होने लगता है और व्यक्ति चिढचिढा होने लगता है।

*(8). अन्य*
किन्हीं व्यक्तियों को कमजोरी के कारण चक्कर आता है उन्हें लगता है कि हमेशा बुखार जैसा बना हुआ है और कुछ भी करने में मन नहीं लगता।

*उपचार-* आयुर्वेद के अनुसार यह एक चिरकालिक व्याधि है,
इस व्याधि को पूरी तरह लक्षण दिखाने में बहुत समय लगता है और इसी तरह इसके ठीक होने में भी बहुत समय  लग सकता है।
इसके लिए आहार, विहार, योग आदि माध्यमों से ही स्वास्थ्य लाभ सम्भव है।

*आहार-*
हल्का भोजन लें,भोजन के साथ दिन में गाय के दूध से बना मट्ठा, जीरा पावडर डालकर जरूर लें।

माँसाहार, अण्डे, कटहल, भिंडी, बैंगन, मैदा से बने पदार्थ, तले हुए खाद्य पदार्थ, बेकरी उत्पाद, अचार वगैरह का प्रयोग बिल्कुल ना करें।

पनीर, दही, मलाई, सूखे मेवे का प्रयोग ना करें।

भूख लगने पर ही भोजन लें अन्यथा ना ले।

भोजन के साथ या बाद में भी अगर जरूरत हो तो गुनगुना पानी ही पीयें।

*विहार-*
पूरी नींद लें।
हल्के व्यायाम करें।
सुबह टहलने जाएँ।
रात में भोजन ना करें।
शाम ढलते ही हल्का भोजन करें व भोजन के बाद 100 कदम जरुर टहलें।

*IBS, Irritable bowel syndrome*  का असरदार उपचार IBS के रोगियों के डॉक्टर रामकुमार का फ़ॉर्मूलेशन...
स्वर्ण पर्पटी 10 ग्राम

विजय पर्पटी 10ग्राम

पन्चामृत पर्पटी 10 ग्राम

अभ्रक भस्म शतपुटी 5 ग्राम

शँख भस्म 5 ग्राम

बंग भस्म 5 ग्राम

नाग भस्म 5 ग्राम

मजबूत हाथों से खूब महीन घुटाई करे।

अब जीरा पावडर 100 ग्राम,
अजवायन 30 ग्राम,
कच्चा बेल गिरी चूर्ण 50 ग्राम,
मोचरस 50 ग्राम,
धाय फूल 50 ग्राम,
सोंठ 50 ग्राम,
सौंफ 50 ग्राम,
धनिया 50 ग्राम,
कूड़ा छाल 50 ग्राम

7 बार जल से धोकर सुखाई हुई भांग पत्ती 50 ग्राम।

सबको एक जगह महीन ग्राइंडर करले अब घुटाई किया हुआ उपरोक्त सामान मिलाकर फिर घुटाई करें,
3 से 5 ग्राम सुबह शाम शहद या गाय की छांछ से दे।
रोगी का दूध, गेंहू व मैदे से बने समान बन्द करवा दें।
कम से कम 1 महीने के लिये।
फलाहार व मूंग दाल की बराबर चावल वाली पतली खिचड़ी ही दे।
पानी उबालकर रूम टेम्परेचर पर ठंडा किया हुआ पानी ही दे।

:

 *पक्षाघात (लकवा) Paralysis*

लकवा एक गम्भीर रोग है। शरीर का एक अंग मारा जाता है।
अंग  निष्क्रिय हो जाने से रोगी असहाय हो जाता है।

*कारण...*
शरीर के किसी भाग में खून न पहुंचने से अंग सुन्न होना लकवा है।

कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन
बीपी के बढ़ने,
मर्म स्थान पर चोट पहुंचने,
मानसिक दुर्बलता,
नाड़ियों की कमजोरी

*प्रकार..*
(1). सारे शरीर में
(2). आधे शरीर में
(3). केवल मुख में

*पहचान...*
शरीर की नाड़ियों और छोटी नसों में खून का संचार बंद हो जाना।

सिंधियों तथा जोड़ों में शिथिलता।

अंग का बेकार होना।

अंग को चलाने, फिराने में असमर्थ।

मुख पर गिरने से बोलने की असमर्थता।

आंख, नाक, कान आदि विकृत होना।

दांतों में दर्द, गरदन टेढ़ी, होंठ नीचे की तरफ लटकना।

*अपनाइये घरेलू नुस्खे...*

(1). तुलसी के पत्तों को उबालो
उसकी भाप से रोगी के लकवाग्रस्त अंगों की सेंकाई करें।

(2). तुलसी के पत्ते, अफीम, नमक और दही का लेप अंगों पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद लगाएं।

(3). कलौंजी के तेल की मालिश लकवे के रोगी के लिए रामबाण है।

(4). आक के पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर मालिश करें।

(5). तिल के तेल में कालीमिर्च मिलाकर इसकी मालिश पर करें।

(6). सोंठ और उरद (साबुत) को 200 ग्राम पानी में उबालें, छाने, दिन में 4-5 बार दें।

(7). पानी में शहद डालकर रोगी को दिन में 4-5 बार दें (लगभग 100gm)!

(8).
अजमोद 10gm,
सौंफ 10gm,
बबूना 5gm,
बालछड़ 10gm तथा
नकछिनी 20gm-
सबको पानी में काढ़ा बना लें।
एक शीशी में भरकर रख लें।
4 चम्मच काढ़ा प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करें।

(9). सरसों के तेल में थोड़े से धतूरे के बीज डालकर पकायें, तेल को छानकर मालिश करें।

(10). दूध में एक चम्मच सोंठ और जरा सी दालचीनी डालकर उबालें,
छाने, थोड़ा शहद डालकर लेँ।

(11). लहसुन की 4-5 कलियां मक्खन के साथ लें।

*क्या खाएं...?*
गेहूं की रोटी,
बाजरे की रोटी,
कुलथी, परवल, करेला, बैंगन, सहजन की फली, लहसुन, तरोई

फलों में पपीता, आम, अंजीर, चीकू

दूध सुबह-शाम

*क्या नही लेना.?*
चावल, दही, छाछ, बर्फ की चीजें, तले हुए, दालें, बेसन, चना

सरसों का तेल, विषगर्भ तेल, तिली का तेल, निर्गुण्डी का तेल, बादाम का तेल या अजवायन का तेल से मालिश करें।

एरण्ड का तेल तथा हरड़, बहेड़ा और आंवला (त्रिफला) भी रोगी लें।


*स्त्री स्वास्थ्य और आयुर्वेद एवं प्राकृतिक नुस्खों का साथ....*
स्त्री-स्वास्थ्य और आयुर्वेद का बहुत गहरा सम्बन्ध रहा है....
स्त्री-स्वास्थ्य और आयुर्वेद का बहुत गहरा सम्बन्ध रहा है और हो भी सकता है अगर आधुनिक नारियां इसे गंभीरता से लें।
आज कल 99% नारियां बीमार नज़र आ रही हैं और इसके कारण भी बहुत रोचक है।
पुराने वक्त में बुखार, हरारत, सर्दी, खांसी जैसी छोटी-छोटी बीमारियों के लिए अजवाईन का काढा दे दिया जाता था। लोग आराम से पी भी लेते थे नतीजा यह था की लोग लम्बे समय तक शारीरिक क्षमता के अत्यधिक उपयोग के साथ जी भी लेते थे। किन्तु आज… आज किसी महिला को आप अजवाइन फांकने को या काढा पीने को कहिये तो वह मुंह बना लेती हैं। अधिकाँश को तो उलटी होने लगेगी या उबकाई आ जाएगी।
वे कहती हैं कि कोई टैबलेट या गोली दे दीजिये खा लेंगे। इन्हीं गोलियों और टैबलेट ने आज की बीमार नारियों को पैदा किया है। जहाँ पहले की महिलायें संयुक्त परिवार में रहकर ढेर सारे काम घर के भी, खेती के भी बिना थके कर लेती थी। वही आज सिर्फ अपने पति और बच्चे के साथ रहने वाली महिला थोड़ा सा काम करके ही थक जाती हैं और आये दिन बीमार रहती है।
तमाम शोधों से यह बात तो सामने आ ही चुकी है कि दर्द निवारक गोलियां या अंग्रेजी दवाएँ साइड इफ़ेक्ट जरूर पैदा करती है।
ये इफ़ेक्ट जहाँ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करते हैं वहीँ पाचन तंत्र पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं।
फिर अगर पेट ही बीमार हो तो सारे शरीर को बीमार होना ही है।
इस बात को स्त्रियों को समझना होगी और उन्हें फिर से अपने घर की रसोई में मौजूद आयुर्वेदिक दवाओं और प्राकृतिक नुस्खों की तरफ लौटना होगा।
यदि आपको बुखार हो या थकान या हरारत या हल्का सर दर्द महसूस हो तो 5 ग्राम अजवाइन सादे पानी से फांक लीजिये।
अजवाइन बुखार को शरीर में रहने नहीं देती और दर्द को जड़ से ख़त्म कर देती है जबकि कोई भी दर्द निवारक गोली सिर्फ दर्द को दबाती है जो शरीर के किसी और भाग में उभर कर सामने आता है।
गर्भवती स्त्रियाँ यदि साढ़े आठ महीने बाद 3 ग्राम हल्दी दिन में एक बार पानी से फांक लें तो 100% सामान्य प्रसव होगा। किसी आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
बच्चा पैदा होने के 5-6 दिन बाद मंगरैल का काढा जरूर 3-4 दिनों तक पिये।
इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा की पेट बाहर नहीं निकलेगा वरना 90% महिलायें यही बताती है कि बच्चा होने के बाद पेट निकलना शुरू हुआ।
बच्चा होने के बाद शरीर की मालिश बेहद जरुरी है और हल्दी के लड्डू खाने जरुरी है जो शरीर को नव जीवन तो देते ही हैं ज्वाइंट के रोग नहीं होने देते और ब्रेस्ट कैंसर और स्किन कैंसर से बचाते है।
सभी महिलाओं को बचपन से ही पानी ज्यादा पीने की आदत डालनी चाहिए।
ये पानी आपके शरीर को तमाम बीमारियों से दूर जरूर रखता है।
पथरी, बवासीर, कब्ज, गैस, मोटापा, जोड़ो का दर्द, इतनी सारी बीमारियाँ ये अकेला पानी ही नहीं होने देता।
ल्यूकोरिया या श्वेत-प्रदर की बीमारी शरीर को पूरी तरह खोखला कर देती है।
किसी काम में मन नहीं लगता, कमर-दर्द, चेहरा निस्तेज हो जाना, हर वक्त बुखार सा रहना, ये सब ल्यूकोरिया के लगातार रहने की वजह से पैदा हो जाते है।
किसी भी उम्र की महिला को सफ़ेद पानी गिरने की शिकायत हो रही है तो 2 केले, दो चम्मच देशी घी और आधा चम्मच शहद में मसल कर चटनी बना ले व एक महीने तक लगातार रोज खाएं।
चेहरे पर दाग-धब्बे, झाइयां हो जाएँ तो दो चम्मच मंगरैल को सिरके में पीस तक पेस्ट बनाएं और रोज रात में लगाकर सो जायें।
20-25 दिन में चेहरा साफ़ हो जायेगा।
कास्मेटिक्स के ज्यादा प्रयोग से चेहरे पर झुर्रियां जल्दी आ जाती हैं और चेहरे की ताजगी खत्म हो जाती है।
चेहरे पर कभी खीरे का रस लगाकर सो जाएँ, कभी टमाटर का रस, तो कभी हल्दी और बेसन का पेस्ट तो कभी फिटकरी के पानी से धो कर सोयें। ये ही सबसे अच्छे कास्मेटिक्स है।
बच्चे न होने के लिए खाई जाने वाली कन्ट्रासेप्टिव पिल्स आपको बाँझ भी बना सकती है।
सेक्स के प्रति रूचि भी ख़त्म कर सकती है और गर्भाशय से सम्बंधित कुछ और बीमारियाँ भी पैदा कर सकती है, जबकि सबसे अच्छी पिल्स तो आपकी रसोई में ही मौजूद है।
जिस दिन पीरियड ख़त्म हो उसी दिन एक अरंडी का बीज पानी से निगल लीजिये।
पूरे महीने बच्चा नहीं रुकेगा या एक लौंग पानी से निगल लीजिये यह भी महीने भर आपको सुरक्षित रखेगी।
कोलेस्ट्राल बढ़ रहा हो तो रोज एक चम्मच मेथी का पाउडर पानी से निगल लीजिये (सुबह सवेरे खाली पेट)
खून साफ़ रखने, प्रतिरोधक क्षमता बढाने और स्किन को जवान रखने के लिए आप एक चम्मच हल्दी का पाउडर (लगभग 3-4 ग्राम) पानी से सुबह सवेरे निगल लीजिये, यह गले की भी सारी बीमारियाँ दूर कर देती है- टांसिल्स, छाले, कफ, आदि ख्त्म। आवाज भी सुरीली हो जायेगी।
खुद को फिट रखने का सही तरीका ये होगा कि एक महीना हल्दी का पाउडर निगलिये, एक महीना मे।
एक महीने तक सवेरे नीम की 10 पत्तियां चबा लीजिये।
एक महीना तुलसी की 10 पत्तियाँ 10 दाने काली मिर्च के साथ चबाएं।
फिर एक महीना सुबह सवेरे 100 ग्राम गुड का शरबत पीयें।
एक महीना कुछ मत लीजिये, फिर अगले महीने से यही रुटीन शुरू कीजिए।
आपको आपके बाल सुन्दर, चेहरा सुन्दर, स्किन सुन्दर, शरीर में भी अजीब सी ताजगी और क्या क्या चमत्कार दिखाई देगा, ये खुद ही जान जायेंगी।
खुद को प्रकृति के नजदीक रखिये और स्वस्थ रहिये।
कभी आपको डाक्टर के पास जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।



 *आप की हत्या की साजिश रची गई है!*
*और आप स्वयं ही आत्म हत्या के पक्ष में हैं!*
*वो भी परिवार सहित.?*

आप का और आप के परिवार का जीवन बचाना चाहते हैं तो यह पोस्ट जरूर पढे!
*रिफाइंड तेल का नंगा सच*

*सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है तो वह है... रिफाइंड तेल*

 केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है... रिफाइंड तेल.!

*आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहे हुए कथन सत्य हो ही गये!*

रिफाइंड तेल से DNA डैमेज, RNA नष्ट, हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा, शुगर (डाईबिटीज), BP, नपुंसकता, कैंसर, हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईल्स,  त्वचा रोग जैसे हजारों रोगों का प्रमुख कारण है।

*रिफाइंड तेल बनता कैसे है, जानिये.?*
बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी अशुद्धियां (Impurities) तेल में आती है, उन्हें साफ करने व तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है। जानिये हमारे तेल के साथ क्या क्या अत्याचार होता है।

*वाशिंग (Washing)*
वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि अशुद्धियां (Impurities) इसके बाहर हो जायें। इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाढ़ा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। और फिर यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन जाता है।

*न्यूट्रलाइज़ेशन (Neutralisation)-*
तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

*ब्लीचिंग (Bleaching)-*
इस विधि में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पी.ओ.पी.), जो मकान बनाने मे काम ली जाती है, का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130°F पर गर्म करके साफ किया जाता है।

*हाईड्रोजेनेशन (Hydrogenation)-*
एक टैंक में तेल के साथ निकल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पालीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं। 
निकेल एक प्रकार का कैटेलिस्ट मेटल (Catalyst metal) होता है जो हमारे शरीर के श्वसन तंत्र (Respiratory system), लिवर (Liver), स्किन (Skin),  मेटाबोलिज्म (Metabolism),  DNA, RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है। 

रिफाइंड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और ऐसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है। 

जयपुर के प्रोफेसर श्री राजेश जी गोयल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लडकर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाइंड तेल खाने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है।

*अब दिल थाम के पढ़ें..*
हमारा शरीर करोड़ों Cells (कोशिकाओं) से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुराने Cells, नये Cells से Replace होते रहते हैं।
नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर के खून का उपयोग करता है, यदि हम रिफाइंड तेल का उपयोग करते हैं तो खून मे जहरीले तत्वों (Toxins) की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध उतपन्न हो जाता है, और परिणामस्वरूप कई प्रकार की बीमारियां जैसे कैंसर (Cancer), (Diabetes) मधुमेह, (Heart Attack) हार्ट अटैक, (Kidney Problems) किडनी की समस्याएं, एलर्जी
(Allergies), पेट मे अल्सर  (Stomach Ulcer), समय से पहले बुढापा (Premature Ageing), नपुंसकता  Impotency), अर्थराइटिस (Arthritis), डिप्रेशन (Depression), ब्लड प्रेशर (Blood Pressure), आदि हजारों बिमारियां होगी।

रिफाइंड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, इसलिये इसमे पाम आयल मिक्स किया जाता है!
*(पाम आयल स्वयं एक धीमी मौत है।)*

*सरकार का आदेश-*
हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है। अमरीका का पाम खपाने के लिए, मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि, 
प्रत्येक तेल कंपनियों को 40% पाम आयल, खाद्य तेलों में मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा! 
इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पाम के कारण लोग अधिक बीमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99% बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली  स्प्रिंग (पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला), दो लाख रुपये की बिकने लग गया, यानी अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पाम भी उनका और दवाईयां भी उनकी! 

अब तो कई नामी कंपनियों ने पाम से भी सस्ता, गाड़ी में से निकाला हुआ काला आंयल (जिसे आप अपनी गाडी सर्विस करने वाले के यहां छोड आते हैं।)
वह भी रिफाइंड करके खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।

सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही... 
दलहन में...
मूंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।

तिलहन में... तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि आती है। 
अतः सोयाबीन तेल, प्योर पाम आयल ही होता है। पाम आयल को रिफाइंड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है। 
सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह, प्रत्येक तरल पदार्थों को सोख लेता है, 
पाम आयल एक दम काला और गाढ़ा होता है, उसमे साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पाम आयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है, आटा से सोया मुंगोडी बनाई जाती है! 
आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे!
मेहनताना वह एक लाख रुपये भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही! 

कोई भी तेल रिफाइनिंग के बिना नहीं निकाला जा सकता है, अतः ये जहरीले ही है! 

फॉर्च्यून.. अर्थात.. आप के और आप के परिवार के फ्यूचर का अंत करने वाला... प्रमाण आपके सामने....
फार्च्यून तेल का प्रचार करने वाले क्रिकेट के महाराजा कहे जाने वाले सौरभ गांगुली को हार्ट अटैक पड़ गया और फिर उनको फार्च्यून का ब्रांड एंबेसडर से हटा दिया गया।

सफोला... अर्थात.. सांप के बच्चे को सफोला कहते हैं! 
..5 वर्ष खाने के बाद शरीर जहरीला 
..10 वर्ष के बाद.. सफोला (सांप का बच्चा अब सांप बन गया है. 
...15 साल बाद.. मृत्यु... यानी कि सफोला अब अजगर बन गया है और वह अब आप को निगल जायगा.!

पहले के व्यक्ति 90 से 100 वर्ष की उम्र में स्वस्थ रहते हुए मरते थे तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती थी, क्योंकि उनकी सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती थी।

और आज... अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ ही देर में मर गया..?
उसने तो कल के लिए बहुत से सपने देखें है, और अचानक मृत्यु..?
अधूरी इच्छाओं से मरने के कारण प्रेत योनी मे भटकता है। 

कहते हैं
राम न ही किसी को मारता....
और न ही यह राम का काम है.!
अपने आप ही मर जाते हैं...
कर कर खोटे काम....!!

गलत खान पान के कारण, अकाल मृत्यु हो जाती है! 

*सकल पदार्थ है जग माही..!*
*कर्म हीन नर पावत नाही..!!*

अच्छी वस्तुओं का भोग, कर्म हीन व आलसी व्यक्ति संसार की श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकता! 

तन मन धन और आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ कच्ची घाणी का तेल, तिल, सरसों, मूंगफली, नारियल, बादाम आदि का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!

पौष्टिकता से भरपूर और शरीर को निरोग रखने वाला सिर्फ कच्ची घाणी का निकाला हुआ तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!

आज कल सभी कम्पनियाँ अपने प्रोडक्ट पर कच्ची घाणी का तेल ही लिखती हैं!
वह बिल्कुल झूठ है.. सरासर धोखा है!

कच्ची घाणी का मतलब है कि, लकड़ी की बनी हुई, औखली और लकडी का ही मूसल होना चाहिए!

लोहे का घर्षण नहीं होना चाहिए!
इसे कहते हैं.. कच्ची घाणी.!
जिसको बैल के द्वारा चलाया जाता हो!

आजकल बैल की जगह मोटर लगा दी गई है!

लेकिन मोटर भी बैल की गति जितनी ही चले, तो ठीक है!

लोहे की बड़ी बड़ी एक्सपेलर (मशीन) उनका बेलन लाखों की गति (आर पी एम रोटेशन पर मिनट) से चलता है जिससे तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वे लिखते हैं.. कच्ची घाणी...

*.....अब फैसला आपका कि आपने क्या खाना है..?*

इस पोस्ट को शेयर कीजिए, यह लोगों के प्राण बचाने की मुहिम हैं, यह व्यापार नहीं,  स्वास्थ्य की सेवा है..!!

स्टेटस सिंबल R.O.पानी का खतरनाक सच.!*
*Reverse Osmosis water*
*●●●पैसे वालों के चोचले.!*
*●स्वयम् की बर्बादी की ओर.!*
हमसे कहा जाता है कि 250 टी.डी.एस. से कम का पानी मत पीजिये।
लेकिन कुछ मूर्ख डेंटिस्ट और हाइली क्वालीफाइड डॉक्टर्स भी इसमें शामिल हैं, बिना जाने समझे अपने पेशेंट को बोल देते हैं कि RO का पानी पीजिये। आपके बच्चों के दांत ख़राब हो रहे हैं फ्लोराइड बढ़ा है।

वास्तव में उन डाक्टरों को पता ही नहीं होता कि आखिर R.O. करता क्या है और हम उनके चक्कर में पड़कर या अपना स्टेटस समझकर R.O. लगा लेते हैं।
विदेशों में पानी की किल्लत है लेकिन अब उनकी तकनीक ने हमारे भी जल स्रोतों को दूषित कर दिया है। हम जो वर्षा का पानी इकठ्ठा करके पूरा साल पीते थे अपनी चावड़ी या कुएँ के जलस्तर सामान्य करने के लिए गाँवों में गहरे तालाब के पानी को सुरक्षित रखते थे हमने भंडारण तो बंद कर दिया, उसकी जगह पृथ्वी से जल का दोहन शुरू कर दिया।

*R.O. का लगातार सेवन बनेगा बेमौत मौत का कारण*
*आदरणीय राजीव भाई..*
चिलचिलाती गर्मी में कुछ मिले ना मिले पर शरीर को पानी जरूर मिलना चाहिए और अगर पानी R.O. का हो तो क्या बात है।
परंतु क्या हम R.O. को शुद्ध पानी मान सकते हैं, जवाब है बिल्कुल नहीं और यह जवाब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मिल चुका है।

WHO ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय संबंधी विकार, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द आदि दुष्प्रभाव पाए गए हैं।
कई शोधों से पता चला है कि इसकी वजह से कैल्शियम,  मैग्नीशियम पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं जो कि शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है॥
   "राजीव भाई ने हमेशा कहा कि R.O., पानी की क्वालिटी मेंटेन नहीं करता है बल्कि जल के भीतर मौजूद मिनिरल को कम कर देता है।
 घरों में, जो भी सर्विस इंजीनियर आते हैं, उनसे पूंछिये कि कितने TDS का जल पीना चाहिए तो बोलेंगे 50 TDS का।

वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 500 TDS तक सहन करने की क्षमता रखता है परंतु RO में 18 से 25 TDS तक पानी की शुद्धता होती है जो कि बहुत ही हानिकारक है।

विकल्प में थोड़ी मात्रा में क्लोरीन को रखा जा सकता है, जिसमें लागत भी कम एवं आवश्यक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं, और मानव शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं होता।

एशिया और यूरोप के कई देश R.O. पर प्रतिबंध लगा चुके हैं पर भारत में R.O. की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कई विदेशी कंपनियों ने यहां अपना बड़ा बाजार बना लिया।


*100% नेचुरल, नैसर्गिक प्राकृतिक शक्तियों से भरपूर पूरे परिवार के लिए "बी-पोलेन"...*
*प्रोडक्ट कोड 7/10/Bee*

*अधिकांश लोगों से अनजान अद्भुत अमृतमय मधुमक्खियों द्वारा निर्मित धरती का अमृत "पराग" या "बी-पॉलन".!*

*क्या आप मात्र एक चम्मच से 5 किलो गाय का दूध, 5 किलो हरी सब्जियां, 5 किलो फल और बहुत सारे एन्टी ऑक्सीडेंट्स चाहते हैं.?*

*बी-पॉलन में फूलों का पराग, रस, एन्ज़ाइम्स, शहद और बी सीक्रेशन का मिक्सचर होता है!*
*मधुमक्खी जब अपने छत्ते पर शहद इकठ्ठा करती है तो शहद के साथ साथ उस छत्ते पर कुछ पराग कण भी इकठ्ठा हो जाते हैं और फिर ये दानों का आकार ले लेते हैं यही दाने सूखकर बी-पॉलन (Bee-Pollen) कहलाते हैं।*

जो लोग डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ऑटो इम्यून या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं उन्हें बी-पॉलन का सेवन ज़रूर करना चाहिये।

बी-पॉलन और उसके फायदों के बारे में अभी भी बहुत कम लोग जानते हैं।
आपको बता दें कि यह मधुमक्खियों द्वारा इकठ्ठा किया गया फूलों के परागकण का ढेर होता है जो उनके आहार के रूप में काम आता है।
इसमें लगभग 40% प्रोटीन पाया जाता है और इसके अलावा इसमें पोषक तत्वों की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है। इसका सेवन इंसानों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

काफी समय पहले से ही बी-पॉलन को न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
ताजे बी-पॉलन में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट के अलावा लैक्टिक एसिड और फ्लेवेनॉयड जैसे यौगिक भी होते हैं।
चायनीज मेडिसन में इसके फायदों को देखते हुए जर्मन फेडरेल बोर्ड ऑफ़ हेल्थ द्वारा इसे ऑफिशियल मेडिसिन घोषित किया है।

*इन्फ्लेमेशन (सूजन) कम करने में मदद :*
साल 2010 में फार्मसूटिकल बायोलॉजी जर्नल के अनुसार बी-पॉलन में ऐसे एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिस वजह से ये जोड़ों के दर्द, एक्ने और कई इंफ्लेमेटरी डिजीज से राहत दिलाने में मदद करती है।

*मांसपेशियों की मजबूती :*
फ्रेश बी पॉलन मसल्स रिकवरी रेट को बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं।

साल 2014 में किये शोध के अनुसार जो लोग पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोगों से परेशान रहते हैं उनके लिए यह बहुत ही फायदेमंद है।

अगर आप वजन कम करने की सोच रहे हैं तो आपको बी-पोलन का सेवन बढ़ा देना चाहिये।
जो लोग डायबिटीज, हाइपरटेंशन या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं उन्हें बी-पोलन का सेवन ज़रूर करना चाहिये।

*एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर :*
आप कैफीन युक्त ड्रिंक पीने की बजाय बी-पॉलन से निर्मित चाय का सेवन कर सकते हैं।
इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और इसी वजह से जो लोग कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों, डायबिटीज, हाइपरटेंशन या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं उनके लिए बी-पॉलन बहुत ज्यादा फायदेमंद है।

*इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार :*
साल 2014 में एक शोध में बताया गया कि बी-पॉलन में पर्याप्त मात्रा में एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी क्षमताएं होती हैं और इसके सेवन से कैंडिडा और स्टाफ इन्फेक्शन जैसी बीमारियों से बचाव होता है।

निरोगी काया के लिये बी-पॉलन की बिक्री मैं किलो में ही करता हूं क्योंकि ये महंगाई के अनुसार तो महंगा है परन्तु स्वास्थ्य की दृष्टि से एकदम सस्ता या मुफ्त जैसा है।

ये ग्रेन्युल के रूप में आता है।
₹6700/- प्रति किलो
₹3500/- का आधा किलो,
₹1800/- का 250 ग्राम
एवं

विशुद्ध एवं फ़्रेश बी-पॉलन के लिये मुझसे सम्पर्क कर सकते हैं

: *जीवन अमृत कैप्सूल*
*(पुरुषों के लिए)*

*प्रोडक्ट कोड 5/10/JAC33*

*पुरुषों के पौरुष एवं पुरुषत्व लिये...*
*Only for men*
*स्पेशल जीवन अमृत कैप्सूल के अकल्पनीय, अविश्वसनीय, असाधारण परिणाम.!*

*सुखी दांपत्य जीवन का राज़ :-*
*(पुरुषों के लिए)*
*यौन क्षमता ही नहीं इम्युनिटी, एन्टी एजिंग पावर बढ़ायें और ताकत, सामर्थ्य एवं यौन फिर से पायें.!*

*5000 से ज्यादा  मिले अद्भुत परिणाम...*
स्पेशल जीवन अमृत (पुरूष)
शरीर की अन्य समस्याओं की तरह यौन संबंधी समस्याएं भी आम हैं।
इन्हें छिपाने के बजाय इनका समाधान ढूंढ़ना चाहिए।
किसी व्यक्ति के जीवन में यौन समस्याएं उसके असुखद व असंतोषजनक यौन अनुभव होने के बाद भी हो सकती हैं।
सामान्यत: जो पुरुषों में किसी भी तरह की कमजोरी नहीं हैं, उनका दांपत्य और सामाजिक जीवन हमेशा खुशहाल रहता है।
इसलिए किसी भी तरह की पौरुष कमजोरी पुरुषों में आत्मविश्वास की कमी का कारण बन सकती है।
पुरुषों में पाई जाने वाली इन कमजोरियो के कारण व्यक्ति हीनभावना, मानसिक तनाव (डिप्रेशन) का शिकार हो जाता है। ज्यादातर इसका परिणाम आत्महत्या, धोखा, डाइवोर्स, सामाजिक अवहेलना के स्वरुप मे सामने आता है।

*यौन समस्या के मुख्य कारण:*

→ हार्मोन्स एवं रक्त में टेस्टोस्टेरोन की कमी, हस्तमैथुन, भ्रामक यौन प्रदर्शन
→ शीघ्रपतन, मांसपेशियों का कमजोर होना, यौन शक्ति में कमी,
→ इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी इंद्री की मांसपेशियों का शिथिल पड़ना
→ धात रोग, स्वपन्दोष, वीर्य पतला होना, नसों की दुर्बलता या जकड़ना,
→ शरीर में सप्त धातुओं की कमी,
→ अनियमित रक्तचाप,
→ वीर्य में शुक्राणुओं (sperm) की कमी
→ धूम्रपान और अल्‍कोहल की वजह से कमजोरी आना,
→ अनियमित खानपान की वजह से शरीर में दुर्बलता आना,
→ दूषित या प्रदूषित वातावरण (Pollution) की वजह से धातुओं और शरीर का संतुलन बिगड़ना।

*हमारी लाइफ स्टाइल का इस परेशानी से सीधा संबंध होता है।*

यौन समस्या में हम कई बार दवाइयों की दुकान में मिलने वाली अंग्रेजी दवाइयों का प्रयोग कतरे हैं पर ये दवाइयां जब तक खाते हैं तब तक ही उनका फायदा मिलता हैं, अंग्रेजी दवाई यौन समस्या का जड़ से इलाज नहीं करती बल्कि शरीर में साइडइफेक्ट 100% करती है, जैसे की लीवर, किडनी, हृदय आदि को बिगाड़ना।
इनके बार बार सेवन सें आदी हो जाते हैं और बची हुइ यौन शक्ति को भी गँवा बैठते है।

हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति में सैकड़ो जड़ी बूटियों का वर्णन है जिनका सेवन करके हम किसी भी रोग को जड़ से मिटा सकते है।
धातु रोग/ हस्तमैथुन/ स्वप्नदोष/ शीघ्रपतन/ नपुंसकता/ मर्दानाकमजोरी जैसी समस्याओं से जड़ से छुटकारा पा सकते हे।
इन जड़ी बूटियों में जैसे स्वर्ण भस्म, अश्वगंधा, शतावरी, शिलाजीत कौचा, मुसली, शुद्ध कौचा, अख्ख्ल हरो, गोखरू, वन्य भष्म, कर्पुर, अबरक भष्म,
इन सारी औषधियों का सही मिश्रण करके उनका सेवन किया जाय तो सभी यौन समस्याओं का जड़ से इलाज कर सकते हैं।
स्वर्ण भस्म, अश्वगंधा, शतावरी, मुसली और शुद्ध कौचा।
ये ऐसी महान औषधियां हैं जिनमे घोड़े (अश्व) जैसी ताकत का राज छिपा है।
इनमे शिलाजीत को तो भारतीय वियाग्रा भी कहा जाता है।
शतावरी और मुसली को यौन शक्ति का रामबाण माना गया है।
इन औषधियों में कुछ औषधियों को भस्म, कुछ सार तत्व / एक्सट्रैक्ट / extract और कुछ औषधियों को रस के रूप में ग्रहण करना होता है, जिसके सही उपयोग और मात्रा से ही समस्याओं का जड़ से इलाज हो सकता है।

हमारे आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सकों ने इन औषधियों पर आविष्कार करके हर एक औषधियों को सही मात्रा और योग्य स्वरुप में मिश्रित करके अत्यंत असरकार नुस्खों का निर्माण किया है!

आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य की यौन शक्ति को बाजी (घोड़े) की तरह ही बनाने कि प्रक्रिया ही सेक्स या यौन शक्ति को बढ़ाने वाली होती है।

*जीवन अमृत का दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करने के बाद पौरुष सम्बन्धित सभी सुखों को प्राप्त कर सकता है और इस समस्या का जड़ का हमेशा के लिये समाधान किया जा सकता है।*

संभोग मात्र एक क्रिया ही नहीं है बल्कि इसके साथ हमारी बहुत सी भावनायें जुड़ी होती है।
यह एक ऐसी जटिल प्रक्रिया से संचालित होती है जिसका अंदाजा लगाना सरल नहीं है।
कभी-कभी लोग किसी तस्वीर को देखकर ही उत्तेजित हो जाते हैं और कभी कभी इससे बिल्कुल उलट इंद्री में उत्तेजना ही खत्म  हो जाती है जिसको नपुंसकता कहते हैं।
उतेजना संभोग पूरा हो जाने के बाद यानी (स्खलन) के बाद खत्म होना चाहिए।
जिन लोगों में यह दिक्कत पाई जाती है, वे चिड़चिड़े हो सकते हैं और उनका अपने पर से विश्वास भी कम हो जाता ही।
उन के मन मे एक तरह का डर बैठ जाता है और वह मानसिक रोगी बन जाता है और इस डर कारण ही सेक्स में हर बार नाकाम रहता है दिनों दिन उस रोगी की उदासी बढ़ती जाती है।

हम सब को पता है कि पुरुष की इंद्री में उतेजना पॉजिटव विचार और वीर्य की शक्ति से ही आती है।
अगर हमारा वीर्य शुद्ध और शक्तिशाली होगा तो हमे कभी भी इस तरह की समस्या का सामना नही करना पड़ेगा।
माना जाता है के पुरुषों में 45-50 या 55-60 और कभी कभी तो 35-40 साल के बाद ही हार्मोन्स की कमी के कारण उतेजना में कमी आने लगती है लेकिन कुछ लोग 70 साल के बाद भी उसी तरह से एक्टिव रहते हैं, उसका मुख्य कारण उनके शरीर मे हार्मोन टेस्टोस्टेरोन लेवल का भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहना है।

उत्तेजना की कमी या नपुंसकता के कई कारण हो सकते है...
नशा, शुगर और तनाव से भी हमारी सेक्सुअल ज़िन्दगी पर बहुत असर पड़ता है। इससे भी धीरे धीरे उत्तेजना में कमी आने लगती है।
अगर आप को किसी भी कारण से उतेजना में कमी आ रही है या इंद्री में बिल्कुल भी तनाव या पहले जैसे उत्साह में कमी लग रही है तो आप एक बार जीवन अमृत का कोर्स जरूर खा कर देखे।

जीवन अमृत दो प्रकार की बनती है, एक स्त्री एवं पुरुष दोनों के लिये और दूसरा स्पेशल या स्ट्रांग, सिर्फ पुरुषों के लिये।

इस के इलावा यदि आप नीचे दी गईं किसी भी समस्या से परेशान है तो आप की समस्या का समाधान यही है।

(1). सहवास की इच्छा ही न होना।

(2). सहवास करते करते बीच में ही उत्तेजना समाप्त होकर लिंग का बिना वीर्य निकले ही ढीला पड़ जाना और पत्नी का असंतुष्ट रह जाना?

(3). यौन क्रिया शुरू करते ही वीर्य निकल जाना और पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़े?

(4). एक बार यदि सहवास कर लिया तो कई कई दिनों तक इंद्री में सहवास करने लायक उत्तेजना का ही न आना।

(5). वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, वीर्य पानी की तरह पतला होना?

(6). संभोग के बाद भयंकर कमजोरी महसूस होना जैसे बरसों से बीमार हों?

(7). कठोरता का न आना और इच्छा होने पर भी थोड़ा सा उत्तेजित होकर पिलपिला बना रहना?

(8). जवानी शुरू होते ही हस्तमैथुन करके वीर्य का सत्यानाश करा और इंद्री को भी बीमार बना डाला है?

(9). संभोग के दौरान दम फूलने लगना जैसे अस्थमा का दौरा पड़ गया हो?
ऐसी तमाम समस्याएं हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन का सत्यानाश होता रहता है और कई बार तो साथी के कदम बहक जाने से परिवार तक टूट जाते हैं।
ऐसे में पति बाजारू दवाओं का सेवन करके या नीम हकीमों के चक्कर में अपनी मेहनत का पैसा लुटाते रहते हैं लेकिन ऐसी दवाओं से स्थायी समाधान हाथ नहीं आकर बस कुछ देर के लाभ का छलावा महसूस होता है। 

ऐसे में चाहिये कि शरीर का भली प्रकार पोषण करके शक्ति प्रदान करने वाले उपचार आपके पास हों, न कि क्षणिक उत्तेजना देकर आँखों, किडनी व मस्तिष्क यानि दिमाग का नाश करे।

अगर अपने चेहरे पर सूरज जैसी चमक चाहते है तो एक बार जरूर परखे।

*जीवन अमृत कैप्सूल के घटक...*

*सफेद मूसली*
*काली मूसली*
*सालम पंजा*
*सालम मिश्री*
*अश्वगंधा*
*परिस्कृत शिलाजीत शुद्व*
*अकरकरा*
*गोखरू*
*विदारी कंद*
*जावित्री*
*जायफल*
*कौंच बीज*
*बबूल गोंद*
*मोचरस*
*तालमखाना*
*लौंग*
*तुलसी बीज*
*लौह भस्म*
*अब्रक भस्म*
*स्वर्णमाक्षिक भस्म*
*विशेष :-*
*जीवन अमृत शत प्रतिशत प्राकृतिक है और वियाग्रा जैसे परिणाम की अपेक्षा रखने वाले इसे कतई न मंगवायें लेकिन एक बात की गारंटी है कि परिणाम स्थाई मतलब परमानेंट होंगे जिसे आप एक सप्ताह में महसूस करना शुरू कर देंगे।*
*100% स्टेरॉइड मुक्त*

*कोर्स की अवधि- 33 दिन*
*कोर्स की कीमत- ₹3300/-*
*प्रोडक्ट कोड 5/10/JAC33*


 *शुगर की बीमारी आज के दौर में सबसे ज्यादा तेज़ी बढ़ रही बीमारियों में से एक है। मौजूदा दौर में ये सिर्फ वृद्धावस्था में ही नहीं, बल्कि कम उम्र में भी देखी जा रही है। ये बीमारी तब होती है जब हमारे शरीर में मौजूद पैन्क्रीयाज़ इंसुलिन बनाना बंद कर देते हैं*। 

अगर हम नॉर्मल शुगर की बात करें तो आमतौर पर भूखे रहने पर शुगर की मात्रा 70-110 के बीच होती है। खाना खाने के आधा घण्टे बाद ये मात्रा बढ़कर 110-140 तक हो जाती है।

*जानिए शुगर का लेवल कितना होना चाहिए*

हमारे रक्त में शुगर का लेवल कितना होना चाहिए यह जानना इसलिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि शुगर की बीमारी भारत में तेजी से बढ़ रही है| ताजा आंकड़ों की बात करें तो भारत में हर पांचवें व्यक्ति को मधुमेह है| जब खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है तो मधुमेह की बीमारी का जन्म होता है|

1 शुगर के टेस्ट 

2 शुगर का लेवल 

*शुगर के टेस्ट*

हर इंसान को साल में एक बार मधुमेह का टेस्ट जरूर कराना चाहिए चाहे वह शुगर का रोगी हो या ना हो| इसकी मुख्य वजह यह है कि आजकल लोगों की जीवनशैली बहुत ज्यादा अनियमित होती जा रही है|

अगर समय रहते आपको मधुमेह का पता चल गया तो इसे तुंरत कंट्रोल करके आप बहुत सारी परेशानियों से बच सकते हैं| डॉक्टर डायबिटीज की पहचान के लिए कुछ टेस्ट करते हैं 

1. Normal Blood Fasting
2. PostPrandial
3. HBA1C

*शुगर का लेवल*

जब कोई व्यक्ति शुगर की जांच कराने जाता है तो वह इस प्रकार रिपोर्ट का आंकलन कर सकता है 

Normal Blood Fasting (सुबह खाली पेट) –यह टेस्ट सुबह खाली पेट ही किया जाता है| इस टेस्ट से पता चलता है कि बिना कुछ खाये पिये आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कितनी है? यह शुगर का सबसे अहम टेस्ट भी होता है और इसी के आधार में डॉक्टर सुनिश्चित करते हैं कि आपको शुगर है या नहीं

Fasting Blood Test में आपका शुगर लेवल 70 से 110 मिलीग्राम होनी चाहिए|

अगर आपका शुगर लेवल 110 से 125 के बीच है तो भी घबराने की बात नहीं है क्यूंकि यह अभी शुगर की शुरुआत है और इसे आपको गंभीरता से लेना चाहिए और तुंरत डॉक्टर से मिलकर डाइट प्लान बनायें| अगर 125 से ज्यादा शुगर लेवल है तो आपको दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा| जब शुगर लेवल 200 मिलीग्राम से ऊपर चला जाता है तो आपके पेशाब में शुगर आने लगती है|

PostPrandial Test (खाने के 2 घंटे बाद) –यह टेस्ट खाना खाने के 2 घंटे बाद कराया जाता है| दरअसल हमारा खाना 2 घंटे में पूरी तरह पच जाने की स्थिति में आ जाता है और अब भोजन से ग्लूकोज का बनना शुरू हो जाता है| इस टेस्ट से पता चलता है कि खाना खाने के बाद आपका शुगर कहीं बहुत ज्यादा तो नहीं बढ़ रहा या आप जो खा रहे हैं वो बहुत ज्यादा शुगर तो नहीं बना रहा?

PostPrandial Test में आपका शुगर लेवल 110 से 140 जे मध्य होना चाहिए|

अगर शुगर लेवल 140 से 170 तक आता है तो भी घबरायें नहीं बल्कि अपने खान-पान पर ध्यान दें क्यूंकि 170 तक शुगर लेवल आराम से कंट्रोल किया जा सकता है| अगर आपका शुगर लेवल 200 या 300 के पार है तो आपको दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा| जब शुगर लेवल 400 मिलीग्राम से ऊपर जाने लगता है तो आपको बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी का अहसास होना शुरू हो जाता है|

HBA1C Test – यह एक नया टेस्ट काफी प्रचलित हो रहा है| डॉक्टर आजकल HBA1C पर ज्यादा विश्वास कर रहे हैं| दरअसल Fasting और PostPrandial Test में आपके खाने-पीने के अनुसार रोजाना शुगर लेवल अलग-अलग हो सकता है इसलिए HBA1C टेस्ट ज्यादा अच्छा साबित हो रहा है|

HBA1C टेस्ट में पिछले 3 महीने के शुगर लेवल का रिकॉर्ड देखा जाता है इससे अंदाजा हो जाता है कि सामान्य रूप से आपका शुगर कितना रहता है|

HBA1C टेस्ट में शुगर लेवल निम्न प्रकार से देखा जाता है 

HBA1C

Result

4 – 6 %

Non Diabetic

6 – 7 %

Good in Control

7 – 8 %

Fair Control

9 % >

Poor

शुगर लेवल 4 – 6 % का मतलब है कि आपको शुगर नहीं है अर्थात आप पूरी तरह स्वस्थ हैं|

शुगर लेवल 6 – 7 % का मतलब है कि आपको शुगर है लेकिन आपकी शुगर बहुत अच्छा कण्ट्रोल में है

शुगर लेवल 7 – 8 % का मतलब है कि आपका शुगर लेवल बढ़ रहा है और ठीक ठाक कंट्रोल में है

जब शुगर लेवल 9 % से ऊपर हो तो समझिये आपकी शुगर लेवल बहुत बदतर स्थिति में है

HBA1C टेस्ट में जिन लोगों का शुगर लेवल 6 – 7 % आता है उन लोगों को PreDiabetic कहा जाता है अर्थात आप बिल्कुल किनारे पर आ चुके हैं और अभी शुगर बिल्कुल शुरुआती अवस्था में है जिसे आसानी से आप कण्ट्रोल कर सकते हैं।

 *पेट दर्द, भारीपन और कब्ज से तुरंत आराम दिलाते हैं ये 5 आयुर्वेदिक नुस्खे* 
 
1. गर्म पानी में अजवायन के बीज (अजवायन के बीज) और काला नमक का एक मिश्रण तैयार करें। इसे भोजन के तुरंत बाद ग्रहण करें। इसे दिन में एक बार लें या तो, दोपहर के भोजन पश्चात अथवा रात के खाने के बाद लें।

2. यदि आप सुबह उठते ही भारीपन और आलस्य महसूस करते हैं, नाश्ता छोड़ते हैं, तो जितना संभव हो उतना गर्म पानी पीते रहें। रात के खाने में खिचड़ी खाएं (हरे मूंग की दाल और चावल का एक बड़ा मिश्रण, अच्छी मात्रा में पानी में पकाये। यह आपको अपचन से राहत देगा।

3. नींबू को आधा काट लें और इसेमें काला नमक भरें। भोजन से पहले इसे चाटें। यह एक भूख जगाने वाले कारक के रूप में काम करता है। बहुत से लोग मानते हैं कि नींबू प्रकृति में अम्लीय है, लेकिन नींबू में मौजूद पोटेशियम शरीर में अम्ल को निष्क्रिय करता है।

4. कभी-कभी अम्ल प्रतिवाह का कारण भी बन सकता है। अम्ल पाचन रस के अपर्याप्त स्राव का परिणाम है जो भोजन के साथ बहुत अधिक पानी पीने से हो सकता है। पानी पाचन रस को पतला करता है। इसके लिए सबसे अच्छा इलाज जामुन (जंबुल) है। खाने के ठीक बाद 5 से 10 जामुन खाने से अम्ल में बड़ी राहत मिलती है। पपीता खाने से भी इस स्थिति में मदद मिलती है। 

5. 3 ग्राम बारीक कटा हुआ अदरक, आधा नींबू का रस, और 1 ग्राम काला नमक मिलाएं और भोजन से पहले आधे घंटे पहले इसका उपभोग करें। इसे नियमित रूप से पीने से 3-7 दिनों के भीतर पाचन में सुधार आता है। यदि अन्य अवयव उपलब्ध नहीं हैं, तो पानी के साथ केवल काला नमक लें (1 ग्राम) यह भी काफ़ी फायदेमंद है।
 घरेलू उपचार 
            -------: लम्बाई बढा़ना :-------
      हैंगिंग एक्सरसाइज,  टू टचिंग,  ताड़ासन योग का अभ्यास,पश्चिमोत्तासन योग का अभ्यास, कोबरा पोज, रस्‍सी कूदना,  संतुलित आहार भी आवश्यक है ।
उपाय --------
* सोने से पहले , एक गिलास गुनगुने पानी में,  थोड़ी सी हल्दी और आधा चम्मच, अश्वगंधा मिलाकर सेवन करें । साथ में  , खंजूर और 4 अंजीर भी खाएं। 
* अश्वगंधा की बात है तो,  इसमें कई तरह के मिनरलस होते हैं। जो कि , हड्डियों और उसकी डेंसिटी को बढ़ाते हैं। इससे लम्बाई बढ़ती है। एक गिलास गर्म दूध में दो बड़े चम्मच, अश्वगंधा को मिलाकर, इसमें अपने स्वादानुसार शक्कर  या गुड़ मिला लें। फिर इसको खूब मिलाकर करके पियें।  इसको नित्य रात को , सोने से पहले पीना चाहिए। 
* वजन वृद्धि के लिए चर्बी युक्त पदार्थों का सेवन आवश्यक होता है । वजन बढा़ने के लिए, मक्खन की चिकनाई सबसे उत्तम है । मक्खन के सेवन करने से , वजन और लम्बाई की वृद्धि होती है ।
* आयुर्वेदिक औषधियां,  शंखपुष्पी और ब्राह्मी में भरपूर मात्रा में होती हैं। ब्राह्मी को ब्रेन बूस्टर भी कहते हैं। इन दोनों का सेवन करने से,  लंबाई के साथ-साथ मस्तिष्क भी तेज होता है।
* भुना हुआ, अलसी के बीज का सेवन भी,  लाभदायक  होता है। अलसी में,  भरपूर मात्रा में ओमेगा फैटी एसिड पाया जाता है। इसके अलावा , इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फाइबर के अलावा एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। जो हाइट बढ़ाने में सक्षम हैं। 
* लंबाई बढ़ाने का एक अच्छा उपाय स्किपिंग है। इससे शरीर में रक्त का संचार सही रहता है। जिससे शरीर हड्डियों बढ़ती हैं। 
* इसके अतिरिक्त शीघ्र लम्बाई बढ़ाने में,  विटामिन ' डी ' की,  मुख्य भूमिका होती है। हड्डियों के विकास के लिए,  विटामिन डी बहुत उपयोगी है। विटामिन डी लेने का श्रोत सूरज सबसे अच्छा है। सुबह की धुप में,  कम से कम 15 मिनट बैठना चाहिए। 
* योग भी करें ताडा़सन, वृक्षासन, पश्चिमोत्तासन, त्रिकोणासन और भुजंगासन को , करने से,  लंबाई तेजी से बढ़ती है और शरीर की मसल्स में भी,  लचक आती है। 
* चक्रासन करने से , लंबाई बढ़ती है। साथ ही लंग्स, लिवर, किडनी स्वस्थ होते हैं। 
* स्विमिंग करना,  लंबाई बढ़ाने के लिए,  सबसे अच्छा उपाय में ,  आप ड्राई स्विमिंग भी कर सकते हैं।
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पेट के कृमि :--------
      कृमि रोग साधारण बीमारी समझी जाती है, अगर इसकी चिकित्सा नही  किया जाए तो , यह रोग कई जटिलताएं जैसे -- कुपोषण, आंतों में रुकावट, एलर्जी इत्यादि रोग पैदा कर रोगी की,  मौत का कारण भी बन सकता है। यह एक संक्रामक रोग है। जो खाद्य पदार्थों की साफ-सफाई न होने या दूषित जल से फैलता है। कृमि को,  सामान्य बोलचाल में,  पेट का कीड़ा कहते हैं।
* आम की गुठली का चूर्ण, गर्म पानी के साथ, नित्य चौथाई चम्मच सेवन करने से, पेट के कीडे़ मर जाते है ।
* दो सेब रात को सोते समय, सात दिन तक, सेवन करने से, पेट के कृमि मरकर, मल के साथ बाहर आ जाते है । 
* पेट के कीडे़ मारने के लिए, नींबू के बीजों का चूर्ण बनाकर,  नित्य सुबह - शाम पानी के साथ फंकी लें।
बड़े 1-3 ग्राम और बच्चों के लिए, आधा ग्राम और भूखें पेट नींबू पानी का सेवन करें ।
* नींबू के साथ, एक चम्मच शहद और एक गिलास पानी में , मिलाकर, नित्य सेवन करने से, 15 दिन में , कीडे़ मर जाते है ।
* एक औंस ताजा आंवले का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर, नित्य सुबह-शाम, 7 दिन तक सेवन करें ।
* नित्य कच्चे केले की सब्जी का सेवन करें । इससे लम्बे कीडे़ भी मल के साथ निकल जाते है ।
* अनार के पत्ते 4 किलो, पानी से, स्वच्छ करके, छाया में सुखा ले और बाद में महीन चूर्ण बना लें। नित्य, एक बार, एक चम्मच चूर्ण की, पानी के साथ फंकी लें।
* अनार का रस पीने से भी लाभ होता है ।
* पपीते के 10 बीज, पानी में पीसकर और चौथाई कप पानी में मिलाकर, पीने से भी कीडे़ मर जाते है । ऐसा नित्य सात दिन करें ।
* नारियल पानी पी कर, कच्चे नारियल का सेवन करें । पाचनशक्ति में भी सुधार होता है ।
* नारियल का तेल, 1 चम्मच, नित्य रात को,  सोते समय सेवन कराने से बच्चों के पेट के कीडे़ मर जाते है ।
* पेट के कीडे़ के कारण, उल्टीयां हो रही हो, तो नारियल पानी में , नींबू निचोड़कर सेवन कराएं। 
* भूखे पेट, नित्य दो बार, लाल टमाटर पर, कालीमिर्च व नमक डालकर, 21 दिन तक सेवन करें ।
* चौथाई कप, करेले का रस का सेवन करें । करेले की सब्जी भी , नित्य 10 दिन तक सेवन करने से, लाभ होता है ।
* कच्चे बथुआ का रस, एक कप नमक डालकर, नित्य 10 दिन तक, दो बार सेवन करें ।
* बथुआ के बीज का चूर्ण, एक चम्मच पीसकर व शहद मिलाकर चाटे।
* पोदीने का रस दो चम्मच, एक चम्मच शहद व पानी मिलाकर सेवन करें ।
* दो चम्मच पोदीने का रस में , काला नमक डालकर सेवन करें ।
* 30 ग्राम पोदीना और दस कालीमिर्च पीसकर, एक गिलास पानी में , सेवन करें ।
* मोठ कृमि नाशक और ज्वर नाशक है । बुखार आने पर, मोठ और मूंग की दाल का सेवन करें ।
* एक दिन जलेबी का सेवन करें और दुसरे दिन, एक गिलास छाछ नमक डालकर सेवन करें ।
* एक गिलास छाछ में, भूना व पीसा जीरा एक चम्मच, कालीमिर्च आधी चम्मच और स्वादानुसार नमक मिलाकर सेवन करें , नित्य चार बार सेवन करें ।
* कृमि नाशक औषधी प्रयोग करने से पहले गुड़ का सेवन कराएं। इससे आंतों से चिपके कृमि निकल कर गुड़ खानें लगते है । फिर, औषधी का सेवन करने से, सभी बाहर निकल जाते है ।
* सुबह - शाम शहद का सेवन कृमि को नष्ट कर देता है ।
* दो भाग दही , एक भाग शहद मिलाकर सेवन करने से, कृमि नष्ट होकर, बाहर निकल जाते है ।
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🌻पेट में कीड़े
कई बार किन्ही कारणों से पेट में कीड़े हो जाते हैं जिनसे काफी पीड़ा होती है | पेट में पाए जाने वाले कीड़ों के सामान्य लक्षण है --- सोते हुए दाँत पीसना ,शरीर का रंग पीला या काला होना , भोजन से अरुचि , होंठ सफ़ेद होना , शरीर में सूजन होना आदि | तो आइए जानते हैं इनसे छुटकारा पाने के कुछ सरल उपाय :-----
1-अनार के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें | यह चूर्ण दिन में तीन बार एक -एक चम्मच लें , इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं |
2 -टमाटर को काटकर ,उसमें सेंधा नमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करें | इस प्रयोग से पेट के कीड़े मर कर गुदामार्ग से बाहर निकल जाते हैं |
3-लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह -शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं |
4 -नीम के पत्तों का रस शहद में मिलकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं |
5 -कच्चे केले की सब्ज़ी 7 -8 दिन तक लगातार सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं |
6 -तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं |
7 - अजवायन का 1-2 ग्राम चूर्ण छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं | यदि छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हों तो आप उन्हें लगभग आधा ग्राम काला नमक व आधा ग्राम अजवायन का चूर्ण मिलकर सोते समय गुनगुने पानी से दें लाभ होगा |:

 पेट के कीड़े को हमेशा के लिए जड़ से ख़त्म कर देगा ये नुस्खा, 

पेट के कीड़े एक ऐसी चीज़ है जिसकी वजह से व्यक्ति को काफी परेशांनियो का सामना करना पड़ता है. अगर किसी व्यक्ति के पेट में कीड़े हो जाये तो उस व्यक्ति के पेट में दर्द होने लगता है और ऐसा दर्द होता है की व्यक्ति को काफी दर्द सहन करना पड़ता है लेकिन पेट में कीड़े होने से सिर्फ दर्द ही नहीं होता है बल्कि और भी कई सारे नुकसान होते है.

पेट में कीड़े होने का सबसे बड़ा नुकसान पाचन तंत्र का कमजोर होना होता है. अगर किसी व्यक्ति के पेट में कीड़े हो तो उन कीड़ो की वजह से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से खाया हुआ खाना सही से शरीर में नहीं लग पता है और सही मात्रा में खाना खाने के बाद भी शरीर का वजन नहीं बढ़ता है.

अगर पेट में कीड़े हो तो पोषक तत्वों से भरा खाना खाने के बाद भी व्यक्ति मोटा और मजबूत नहीं हो पता है, इसीलिए आज हम आपको पेट के कीड़ो को ख़त्म करने का सबसे आसान नुस्खा बताने जा रहे है. आज हम आपको जो नुस्खा बताने जा रहे है इस नुस्खे के इस्तेमाल से आप अपने पेट के कीड़ो को ख़त्म कर सकते है और अपने पाचन तंत्र को मजबूत बना सकते है.

अगर आपको भी पेट में कीड़े की समस्या ही तो रात को खाना खाने के बाद हलके गर्म पानी के साथ एक चुटकी हींग का सेवन करे, ऐसा रोज़ाना 3 दिन तक करने से पेट के कीड़े ख़त्म हो जायेगे और साथ ही पाचन तंत्र भी मजबूत होगा.

 घाव के कीडे़ :-----
* घाव पर पीसी हल्दी बुरका दें। इससे घाव के कीडे़ मर जाते है और घाव जल्द भर जाता है ।
* हल्दी की गांठ पानी में घिसकर, लेप करने से भी कीडे़ मर जाते है ।
घुटने का दर्द :------
* घुटनों से संबंधित व्यायाम करें और  नींबू , गाजर, खीरा, चुकंदर सभी स्वादानुसार मिलाकर व रस निकालकर, एक गिलास नित्य सेवन करें ।
* एक भाग आंवला और दोभाग गुड़ मिलाकर, 1-1 चम्मच, नित्य तीन बार सेवन करें । 
* भोजन में , खीरा का सेवन अधिक करें । एक पोथिया लहसुन सेवन करें । 
* कच्चे आलु को पीसकर लगाने से बहुत लाभ होता है । 
* बथुआ ज्यादा पानी में उबालकर व छानकर, दर्द वाले स्थान पर, सेंक करें । उबले बथुआ की सब्जी बनाकर सेवन करें । कुछ सप्ताह, इसी प्रकार सेवन करें । बथुआ के पानी का भी सेवन कर सकते है । स्वाद के लिए, नमक व कालीमिर्च डाल सकते है ।
* बथुआ के पत्तों का रस, आधा कप, प्रातः भूखे पेट, नित्य दो महीने सेवन करें । रस लेने के उपरांत दो घंटे तक, कुछ भी सेवन न करें । बथुआ के पत्तों की रोटी का सेवन करें । 
* हल्दी , गुड़ , मेथीदाना पीसा । ये सभी समान मात्रा में , पानी में पीसकर, इसको थोड़ा गर्म करके , रात में लेप करें । पट्टी बांध ले, उसको सुबह ही खोलें। 
* दानामेथी का चूर्ण, एक चम्मच खाली पेट, गुनगुने पानी के साथ, नित्य सेवन करें ।
* मैथी के लड्डू का सेवन भी लाभदायक है ।


दूध पीने से पहले भूलकर भी न खाएं ये 4 चीजें* 
 
नियमित दूध पीना एक अच्छी आदत है, लेकिन इसे पीने का पूरा फायदा तभी मिल पाएगा जब आप इसे पीने के कुछ नियम जानते हो। खाने-पीने की कुछ ऐसी चीजें है जिन्हें दूध पीने के कुछ घंटे पहले भूलकर भी नहीं खाना चाहिए, वरना सेहत को नुकसान पहुंचता है - 
1 तिल और नमक - तिल और नमक से बनी चीजों को खा रहे हैं, तो इसके बाद दूध का सेवन बिल्कुल न करें। यह आपको नुकासान पहुंचा सकती हैं। इनके सेवन के करीब 2 घंटे बाद ही दूध पिएं।

2 उड़द - उड़द की दाल के बाद दूध का सेवन पेट व स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का कारण बन सकता है। अत: उड़द की दाल और दूध के सेवन के बीच कम से कम दो घंटों का अंतराल जरूर रखें।

3 सिट्र‍िक फल - सिट्र‍िक एसिड युक्त खट्टे फलों का सेवन करने के बाद दूध का सेवन हानिकारक है। अत: इन दोनों का सेवन करते समय लंबा अंतराल होना आवश्यक है।

4 दही - दही खाने के बाद दूध का सेवन करने से बचें, अन्यथा आपको पेट संबंधी समस्याएं और पाचन में गड़बड़ी हो सकती है।

: *नोनी गठिया को ठीक करने में कैसे मदद कर सकता है...??*
100 से अधिक विभिन्न प्रकार के आमवाती रोग हैं जिन्हें अक्सर गठिया के रूप में गलत माना जाता है।

ऐसी बीमारियों की सूची में बर्साइटिस, टेंडिनाइटिस, सिस्टमिक ल्यूपस और संयोजी और कोमल ऊतक रोग शामिल हैं।  चाहे कोई भी बीमारी से पीड़ित हो, पुराना दर्द अक्सर उसका साथी होता है।

सामान्य गठिया, जिसे ऑस्टियोआर्थराइटिस या अपक्षयी संयुक्त रोग कहा जाता है, शरीर के जोड़ों में पाया जाता है, सबसे आम क्षेत्र घुटने और उंगलियां हैं।

लगातार टूट-फूट से ये जोड़ सूज जाते हैं और दर्द करते हैं।
कार्टिलेज जो सामान्य रूप से जोड़ों को कुशन करता है, पतित हो जाता है, कच्चे जोड़ों को एक दूसरे के खिलाफ रगड़ने के लिए छोड़ देता है।

अक्सर एक व्यक्ति की स्थिति लगातार टूट-फूट के कारण उम्र के साथ बढ़ जाती है।

दूसरी ओर, रुमेटाइड गठिया किसी भी उम्र में हमला कर सकता है।

यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसके कारण शरीर शरीर के ऊतकों को नष्ट कर देता है जैसे कि वे विदेशी आक्रमणकारी हों।
रुमेटाइड गठिया के लक्षणों में हल्के से गंभीर जोड़ों की शिथिलता, बुखार, वजन कम होना, जकड़न, दर्द और ऊर्जा की हानि शामिल हैं।  कई बार रुमेटीयड जोड़ के आसपास एक लाल, दर्दनाक गांठ होती है।

गठिया से जुड़े ऑटोइम्यून रोग के एक रूप में, सोजोग्रेन सिंड्रोम, आंखें और मुंह बहुत शुष्क हो सकते हैं क्योंकि लार ग्रंथियां भी प्रभावित होती हैं।

हाल के वर्षों में कुछ रोमांचक अध्ययन प्रकाशित किए गए हैं जो इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि गठिया का अधिक सुरक्षित रूप से मुकाबला कैसे किया जाए।

यह रोग शरीर में COX-2 एंजाइम नामक एंजाइम के अत्यधिक उत्पादन के कारण होता है।

वास्तव में शरीर में दो COX एंजाइम होते हैं।  वे COX-1 और COX-2 हैं। 

COX-1 को अच्छा COX एंजाइम कहा जाता है, जबकि COX-2 ने खराब एंजाइम के रूप में अप्रभावी नाम अर्जित किया है।  

COX-1 आसानी से पहचाना जा सकता है और सेल फ़ंक्शन को विनियमित करने में महत्वपूर्ण है।

दूसरी ओर, COX-2, आमतौर पर अधिकांश ऊतकों में पता नहीं चलता है, लेकिन तीव्र सूजन के दौरान उच्च स्तर तक बढ़ जाता है।  

COX-1 एंजाइम, या अच्छा एंजाइम, प्रोस्टाग्लैंडीन बनाता है जो पेट की परत और शरीर के अन्य भागों की रक्षा करता है।

COX-2 एंजाइम प्रोस्टाग्लैंडीन बनाता है जो जोड़ों, मांसपेशियों और अन्य क्षेत्रों में सूजन का कारण बनता है।

रक्त के थक्के जमने और पेट की सुरक्षा के लिए COX-1 आवश्यक है।
 COX-2 सूजन, दर्द और बुखार में प्रमुख खिलाड़ी है।  NSAIDs और अन्य गठिया की दवाएं दोनों एंजाइमों के शरीर के उत्पादन को काफी कम कर देती हैं, जिससे सूजन कम हो जाती है जबकि साथ ही पेट और उसके अस्तर को नुकसान होता है।
आदर्श स्थिति यह होगी कि एक ऐसा पदार्थ खोजा जाए जो केवल COX-2 को बाधित करे, लेकिन COX-1 को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित न करे। एक ऐसा पदार्थ है और वह है नोनी।

एक स्वतंत्र शोध सुविधा के शोधकर्ताओं ने पाया कि वास्तव में नोनी COX-2 का एक चयनात्मक अवरोधक था।

इसके अलावा, नोनी ने COX-1 एंजाइम को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।

जब वैज्ञानिकों ने नोनी COX-2 के प्रिस्क्रिप्शन गठिया दवाओं के निषेध अनुपात की तुलना की, तो उन्होंने पाया कि नोनी ने नुस्खे वाली दवाओं के लिए "बहुत अनुकूल" की तुलना की।
फिर भी, नोनी ने उन नकारात्मक दुष्प्रभावों में से कोई भी प्रदर्शित नहीं किया, जिनके कारण डॉक्टर के पर्चे की दवाएं जानी जाती हैं।
 इसके बाद, शोधकर्ताओं ने नोनी COX-2 निषेध अनुपात की तुलना NSAIDs के COX-2 निषेध अनुपात से की।  

इस श्रेणी में, नोनी ने काउंटर दवाओं से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया।
और फिर, नोनी ने NSAIDs (नॉन स्टेरॉयड एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) से जुड़े किसी भी नकारात्मक दुष्प्रभाव को प्रदर्शित नहीं किया।

 ऐसे कई अन्य तरीके हैं जिनसे नोनी गठिया के अवांछित लक्षणों को कम कर सकता है।
 दर्द गठिया के साथ नंबर एक शिकायत है।

फ्रांस में एक प्रयोगशाला ने एक अध्ययन किया जिसमें दिखाया गया था कि चूहों को मोरिंडा सिट्रिफोलिया का तरल रूप दिया गया था, जिससे गर्म प्लेट में प्रतिक्रिया समय में काफी वृद्धि हुई थी। 

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि इस प्रयोग ने नोनी के एनाल्जेसिक गुणों का प्रदर्शन किया।

इसके बाद, मोरिंडा सिट्रिफ़ोलिया में स्कोपोलेटिन भी पाया गया है, जिसमें विरोधी भड़काऊ और हिस्टामाइन-अवरोधक प्रभाव होते हैं, जो दोनों चिकनी संयुक्त आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट हैं।

अंत में, नोनी के सेलुलर बढ़ाने वाले गुण जोड़ों और अन्य शामिल ऊतकों को होने वाले नुकसान को भी कम कर सकते हैं।

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 *अंत्रवृद्धि (हर्निया- आंत उतरना) क्या है.?*
● हर्निया पेट की दीवार की दुर्बलता से होता हैं।
● आम बोलचाल की भाषा में हर्निया पेट के किसी भी हिस्से में पैदा होने वाले उभार को कहा जाता हैं।
● इसे आंत उतारना भी कहा जाता हैं।
● व्यक्ति जब लेटता हैं तो यह उभार गायब हो जाता हैं।
● विशेषज्ञ बताते हैं के ये रोग ज़्यादातर पुरुषो को होता हैं।

*आइये जाने इस का उपचार*
हर्निया के दर्जनो प्रकार पाये जाते हैं, लेकिन छोटी आंत के कारण पैदा होने वाले हर्निया इस प्रकार हैं।
1. उदरगत
2. इंग्वाइनल
3. मलद्वारगत
4. पुराने शल्यक्रिया के घाव वाले स्थान पर (इंसीजनल)
5. नाभिगत (अमबलाइकल)
लक्षण।

*●पेट में दर्द होना●*
● यह दर्द निरंतर या कभी कभी हो सकता हैं।
● नाभि क्षेत्र का किसी भी प्रकार से फूलना अथवा उसमे उभार महसूस होना।
● पुरुषो के अंडकोष में हवा या पानी भरने जैसा महसूस होना। उल्लेखनीय हैं के ये लक्षण लेटने पर समाप्त हो जाते हैं।
कारण।
● समय से पूर्व पैदा होने वाले बच्चे में ये अधिक होते देखा गया हैं।

*●अन्य कारण●*
● वृद्धावस्था
● मोटापा
● लम्बे समय से खांसी से पीड़ित रहना
● लम्बे समय से कब्ज से पीड़ित रहना
● लगातार खड़े रहना जैसे सेल्समैन, अध्यापक, बस कंडक्टर, सुपरवाइजर जैसे कार्य करने वाले लोग।
● कुपोषण श्रमिक अथवा अधिक वजन उठाने से।

*●घरेलु उपचार●*
(1). त्रिफला –
रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ १ चम्मच त्रिफला चूर्ण ले कर सोये।
(2). अरण्ड का तेल –
अगर अंडकोष में वायु भरी हुयी प्रतीत हो तो एक कप दूध में २ चम्मच अरण्ड का तेल डालकर एक महीने तक पिलाये, इस से हर्निया सही होता हैं। और 1 से 10 मिलिग्राम अरण्डी के तेल में छोटी हरड़ का 1 से 5 ग्राम चूर्ण मिलाकर दे
(3). कॉफ़ी –
कॉफ़ी ज़्यादा पीने से भी इस रोग में बहुत लाभ मिलता हैं।
(4). नारायण तेल :
नारायण तेल से मालिश करना चाहिए। मात्रा 1 से 3 ग्राम दूध के साथ पीना चाहिए।
(5). मैगनेट बेल्ट –
मैगनेट का बेल्ट बाँधने से हार्निया में लाभ होता है।
(6). चुम्बकीय चिकित्सा से भी बहुत लाभ मिलता हैं। इसके लिए आप किसी चिकित्सक से परामर्श करे।
(7). नए रोग में कदम्ब के पत्ते पर घी लगाकर उसे आग पर हल्का सा सेक कर अंडकोष पर लपेट दे तथा लंगोट से बाँध ले।
(8). नियमित रूप से दस ग्राम अदरक का मुरब्बा सवेरे खाली पेट सेवन करने से हर्निया रोग ठीक होता हैं। एक से दो महीने सेवन करने से ही प्रयाप्त लाभ होJता हैं।
(9). नोनी का लगातार प्रयोग करना चाहिये।

●आयुर्वेदिक उपचार●
■ वृद्धिबाधिका वटी दो दो गोलिया दिन में दो बार ताज़ा पानी या बड़ी हरड़ के काढ़े के साथ ले।
● आयुर्वेद में इस औषिधि की बड़ी महिमा हैं, इसके नियमित सेवन से हर्निया तथा अंडकोष में वायु भरना, दर्द होना, पानी भरना इत्यादि लक्षण शांत होने लगते हैं।
● नए रोग की तो ये रामबाण दवा हैं।
● यदि इस औषधि के सेवन से किसी का जी मिचलता हो या बेचैनी होती हो तो निम्बू की शिकंजी या काला नमक मिलायी हुई छाछ के साथ औषिधि ग्रहण करवाये।
● इस औषिधि के तुरंत बाद गर्म तासीर वाले कोई भी आहार ना ले जैसे चाय कॉफ़ी गरमा गर्म दूध इत्यादि।
● अगर सेवन करना हो तो एक घंटे के बाद ही कुछ सेवन करे।
● यदि साथ में कब्ज रहता हो तो वृद्धिबाधिका वटी के साथ साथ आरोग्यवर्धनी वटी दो दो गोलिया दिन में दो बार अवश्य ही सेवन करे।
रखे ध्यान।
● शरीर का वजन नहीं बढ़ने दे।
● मोटापे पर लगाम रखे।
● क्षमता से अधिक वजन भूलकर भी ना उठाये।
● खांसी को बढ़ने नहीं दे तथा आयुर्वेदीय पथ्य का पालन करते हुए समय रहते ही इसका इलाज कराये।
● ऐसा ऑपरेशन चीरा लगा हो उसमे पर्याप्त आराम करे।
● अंडरवियर हमेशा टाइट अथवा लंगोट धारण करे।
हर्निया के बीमारो को कम खाना चाहिए।
● कब्ज़ न रहने दे।
● मल त्यागते समय मल बाहर निकालने के लिए ज़ोर नहीं लगाये।

*साथ में नोनी जूस जरूर पियें ताकि आंत एक जगह ठहर जाये।*
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 *महिलाओं की हार्ट प्रोब्लम् (हृदय रोग)*
*संकेत व बचाव...*
मौजूदा वैश्विक आंकड़ों के अनुसार हर साल करीब 17.3 मिलियन लोगों की हृदय रोगों के कारण मृत्यु हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इनमें से लगभग 8.6 मिलियन महिलाएं हैं।

आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं अपना ज्यादातर समय प्रोफेशनल कैरियर संभालने में बिता देती हैं तथा अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाती हैं, जिसके कारण वह हृदय रोग का शिकार हो जाती हैं।

*हृदय रोग से कैसे बचें महिलाएं..*
*Prevention...*
हृदय रोग से बचने के लिए अपने स्वास्थ्य की नियमित जाँच करानी चाहिए। इससे किसी भी तरह की समस्या का शुरूआत में ही पता चल जाता है, हालांकि कुछ एहतियात बरतकर भी हृदय रोग से बचा जा सकता है।
*जो निम्नलिखित हैं...*
यदि आप धूम्रपान करती हैं तो तुरंत छोड़ दें क्योंकि इससे हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना होती है, जिससे आपको हार्ट अटैक हो सकता है।
अगर आप मोटी हैं तो शारीरिक गतिविधियों द्वारा अपने बढ़ते वजन को रोकने का प्रयास करें तथा खाने में केवल पौष्टिक भोजन ही खाएं।
खाने में पालक, गाजर, आड़ू और जामुन जैसे एंटीऑक्सीडेंट फलों और सब्जियों का प्रयोग करें।

*महिलाओं को अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर का खास ध्यान रखना चाहिए...*
जिन महिलाओं का कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है उनमें हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है।

*हृदय रोग के लक्षण* *Symptoms...*
हृदय रोग का पहला लक्षण यह है कि इसमें सीने के बीचो बीच दर्द उठता है तथा कुछ समय बाद बंद हो जाता है और उसके बाद फिर शुरू हो जाता है।

व्यक्ति को बेचैनी महसूस होती है, एक या दोनों हाथों में झनझनाहट और दर्द के अलावा पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में दर्द होना भी हृदय रोग के लक्षण हैं।

सांस लेने में किसी भी प्रकार की तकलीफ होती है। इसके अलावा जी मिचलाना और सिर में लगातार हल्का दर्द रहना भी हृदय रोग का लक्षण है।

*समय रहते जांच आवश्यक..*
डॉक्टरों के अनुसार 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को अपना नियमित हेल्थ चेकअप अवश्य करवाना चाहिए।
मार्केट में कई कंपनियां हृदय रोग की जांच के लिए विशेष पैकेज उपलब्ध करवाती हैं।



*सारी बीमारियाँ वात, पित्त और कफ के बिगड़ने से ही होती हैं..*

सबसे पहले आप हमेशा ये बात याद रखें कि शरीर मे सारी बीमारियाँ वात, पित्त और कफ के बिगड़ने से ही होती हैं !

*अब आप पूछेंगे ये वात-पित्त और कफ क्या होता है ???*

*बहुत ज्यादा गहराई मे जाने की जरूरत नहीं...*
*आप ऐसे समझे की सिर से लेकर छाती के बीच तक जितने रोग होते हैं वो सब कफ बिगड़ने के कारण होते हैं !*

*छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक जितने रोग होते हैं वो पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं !*

*और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक जितने रोग होते हैं वो सब वात बिगड़ने के कारण होते हैं !*

*हमारे हाथ की कलाई मे ये वात, पित्त और कफ की तीन नाड़ियाँ होती हैं !*

भारत मे ऐसे ऐसे नाड़ी विशेषज्ञ रहे हैं जो आपकी नाड़ी पकड़ कर ये बता दिया करते थे कि आपने एक सप्ताह पहले क्या खाया या एक दिन पहले क्या खाया या फिर दो पहले क्या खाया और नाड़ी पकड़ कर ही बता देते थे कि आपको क्या रोग है !
आजकल ऐसी बहुत ही कम मिलते हैं !

*शायद आपके मन मे सवाल आए ये वात, पित्त, कफ दिखने मे कैसे होते हैं ???*

*तो फिलहाल आप इतना जान लीजिये  कि कफ और पित्त लगभग एक जैसे होते हैं !*
आम भाषा मे नाक से निकलने वाली बलगम को कफ कहते हैं !
कफ थोड़ा गाढ़ा और चिपचिपा होता है !
*मुंह मे से निकलने वाली बलगम को पित्त कहते हैं !*
ये कम चिपचिपा और द्रव्य जैसा होता है !!
*और शरीर से निकले वाली वायु को वात कहते हैं जो अदृश्य होती है !*

*कई बार पेट मे गैस बनने के कारण सिर दर्द होता है तो इसे आप कफ का रोग नहीं कहेंगे इसे पित्त का रोग कहेंगे !!*
*क्यूंकि पित्त बिगड़ने से गैस हो रही है और सिर दर्द हो रहा है !*

*ये ज्ञान बहुत गहरा है खैर आप इतना याद रखें कि इस वात, पित्त और कफ के संतुलन के बिगड़ने से ही सभी रोग आते हैं !*

और ये तीनों ही मनुष्य की आयु के साथ अलग अलग ढंग से बढ़ते हैं !

*बच्चे के पैदा होने से 14 वर्ष की आयु तक कफ के रोग ज्यादा होते है !*
बार बार खांसी, सर्दी, छींके आना आदि होगा !

*14 वर्ष से 60 साल तक पित्त के रोग सबसे ज्यादा होते हैं*
बार बार पेट दर्द करना, गैस बनना, खट्टी खट्टी डकारे आना आदि !!
*और उसके बाद बुढ़ापे मे वात के रोग सबसे ज्यादा होते हैं घुटने दुखना, जोड़ो का दर्द आदि।*


 *सावधान बेहद पढ़ी लिखी महिलाओं...*
*जानिये, अपने प्यारे नवजात शिशुओं के लिए आपके फेवरिट जॉन्सन बेबी आयल का काला सच...*
*हमारे देश में बहुत सी माताएं बहनें अपने नवजात शिशुओ छोटे बच्चों की मालिश जॉन्सन बेबी तेल से करती है।*

सुदूर गाँव में रहने वाली बहनें एवं शहरी बेहद पढ़ी लिखी माताएं भी इस तेल के जाल में भ्रमित हैं।

*टी.वी. पर प्रचार की वजह से ये तेल लोगो के दिमाग में छा गया है।*

*अधिकांश पढ़े लिखे लोग भी ये विश्वास नहीं करेंगे कि इस जॉन्सन बेबी तेल में सिर्फ मिट्टी का तेल है।*
*जी हाँ "केरोसिन"- "घासलेट"*

*यकीन नहीं होता तो बोतल पर कम्पोजीशन पढ़िए अभी।*

*पढ़िए क्या लिखा है...*
*Mineral oil, Vitamin-E, बस और कुछ नहीं।*

दाम भी देखिये
दो सौ रुपये में दो सौ मिली लीटर यानी हजार रुपये लीटर।

माँ बहने इस तेल से मालिश करने में गर्व महसूस करती है 
क्योंकि प्रचार के बल पर ब्रेन वाश कर दिया है विदेशी कम्पनी ने।
इसके प्रचार में टीवी पर गोरे मोटे बच्चे जो दिखाया जाता है।

*आँखे खोलो देशवासियों...*
पोषण वनस्पति तेल की मालिश से मिलता है।
मिनरल आयल खनिज तेल जमीन के नीचे से निकले तेल से नहीं।
खनिज तेल (Mineral oil) का मतलब होता है पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल।

*जॉन्सन बेबी तेल बनता कैसे है..?*
मिटटी तेल या केरोसिन (kerosine oil) की गंध हटा कर उसमे खुसबू मिलायी जाती है एवं अलग से नाममात्र का विटामिन "इ" मिलाया जाता है।
इसके बाद बोतल में भरकर बाजार में बेचा जाता है।
इस विदेशी कम्पनी द्वारा हिन्दुस्तानियों की गाढ़ी कमाई लूटकर विदेश ले जाती है जॉन्सन।
वनस्पति तेल में प्राकृतिक रूप में विटामिन-इ रहता है।
प्रति ग्राम वनस्पति तेल से नौ कैलोरी (9 calories) उर्जा मिलती है, पोषण मिलता है।
वनस्पति तेल का मतलब होता है जो पेड़ पौधों से मिलता है
जैसे सरसों, नारियल, मूंगफली, सूरजमुखी, अंडी, महुआ, तिल तेल, अलसी तेल, निम् तेल, जैतून तेल आदि।
इन तेलों की मालिश से शरीर को पोषण मिलता है और थोड़ी चिपचिपाहट रहती है।
तो मालिश के बाद गीले कपडे से या सूखे कपडे से बदन पोछ दे, चिपचिपाहट गायब हो जाएगी।
जॉन्सन तेल या मिटटी का तेल घासलेट मालिश करते करते उड़ जाता है यानि नो चिपचिप और माताएं खुश।
पर ये नहीं पता की पोषण बच्चे को तो मिला ही नहीं।
वनस्पति तेल की कीमत नब्बे, सौ, डेढ़ सौ या दो सौ रुपये लीटर और जॉन्सन मिट्टी का तेल (johnson kerosine oil) हजार रुपये लीटर।
अब सब कुछ जानकर भी अनजान बने रहना है तो आपकी मर्जी..!
अन्यथा प्रचार के मकडजाल से बाहर आइये,
जॉन्सन तेल को बाहर का रास्ता दिखाइये नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ की एक अपील खुद जाने और औरो को भी बताएं ।

ऐसे कई और षड्यंत्रों को समझने के लिये श्री राजीव दीक्षित जी के व्याख्यान सुनें....
गूगल पर आसानी से मिल जायेंगे।


 *आहार क्या होता है.?*
*शरीर और भोजन...*
*शरीर और भोजन का गहरा सम्बंध होता है।*
हर व्यक्ति को सादा और विटामिन युक्त भोजन करना चाहिए।
ऐसा भोजन शरीर की सभी धातुओं को लाभ पंहुचाता है।
 
*व्यक्ति को भोजन हमेशा भूख से थोड़ा कम ही करना चाहिए।*
कम भोजन करना स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होता है।
भोजन उतना ही करना चाहिए जितना कि आसानी से पचाया जा सके।

शुद्ध व प्राकृतिक भोजन शरीर का पोषण करने वाला, जल्द ही शक्ति देने वाला, शांति देने वाला, साहस, मानसिक शक्ति और पाचनशक्ति को बढ़ाने वाला होता है।

*भोजन से ही शरीर में सप्त धातुएं बनती हैं।*

*आयुर्वेदाचार्य महर्षि चरक ने भी लिखा है कि `देहो आहारसंभव:´ अर्थात शरीर भोजन से ही बनता है।*

*`उपनिषद´ में भी कहा गया है।*
*`आहार शुद्धौ सत्वाशुद्धि: सत्व-शुद्धौ।*
*ध्रुवा स्मृति:, स्मृतिलम्भे सर्वग्रंथीनां विप्रमोक्षा:,*
अर्थात शुद्ध भोजन करने से सत्व की शुद्धि होती है।
सत्वशुद्धी से बुद्धि शुद्ध और निश्रयी बन जाती।
फिर पवित्र एवं निश्रयी बुद्धि से मुक्ति भी सुगमता से प्राप्त होती है।
ज्यादा भारी भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
अच्छी तरह भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए।
इससे अच्छा लाभ मिलता है।

*भोजन हमेशा शांतिपूर्वक करना चाहिए।*

अपने भोजन और भोजन करने की आदत को सुधारकर मनुष्य सभी रोगों से दूर रह सकता है।
इसीलिए कहा गया है भोजन ही दवा है।
अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए आवश्यक भोजन करना चाहिए।
हम जैसा भोजन करते हैं वैसा ही हमारे शरीर पर प्रभाव पड़ता है।

*जानकारी-*
 व्यक्ति जिस देश में और जिस मौसम में रहता है।
उसे वहां के फल और सब्जियों का भरपूर सेवन करना चाहिए क्योंकि प्रकृति ने उन्हें मौसम और जगह के हिसाब से उत्पन्न किया है।

*भोजन के द्वारा हमारे शरीर को पंचतत्वों की प्राप्ति होती है-*
*आकाशतत्व,*
मिताहर द्वारा

*वायुतत्व,*
साग सब्जियों द्धारा

*अग्नितत्व,*
फलों द्वारा

*जलतत्व,*
सब्जियों 

*एवं अन्न कण द्वारा पृथ्वीतत्व।*

*गीता में तीन प्रकार के आहार बताए हैं...*
*सात्विक, राजसी, तामसी।*

*सात्विक आहार-*
सात्विक भोजन आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य  प्रेम को बढ़ाने वाला और मन को भाने वाले होता है।

*राजसी आहार-*
राजसी भोजन कड़वा, खट्टा, नमकीन, बहुत गर्म, तीखा, दाहकारक तथा चिन्ता और रोगों को उत्पन्न करने वाला होता है।

*तामसी आहार-*
तामसी भोजन अधपका, रसरहित, दुर्गन्ध, बासी और अपवित्र होता है।

आगे आपकी मर्जी, जैसा चाहें, जो चाहें, उसे खायें।


 *मोटापा नाशक*
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सौ बीमारियों की जड़ होती है मोटापा और उसके ऊपर लॉक डाउन जैसे हालात, इम्युनिटी तो वैसे भी कमजोर होना शुरू हो जाती है।

*कुछ बेबाक प्रश्न?*
*उत्तर स्वयं को दीजिये..*
(1). क्या आप सुंदर होने के बावजूद भी परेशान हैं.?
(2). क्या ढेर सारा खर्च करने के बावजूद परेशान हैं..?

*तो पेश है आपके लिए...*
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*पहले समझिये कि...*
*मोटापा क्या बला होती है.?*
● मोटापा आपके शरीर में जमा हुए विषैले तत्व या टॉक्सिन्स होते हैं।
● जिसका शरीर से निकास नही हो पाता, चाहे वो बाहर का नान वेज हो या फास्ट फूड।
● ऐसे केमिकल से भरपूर भोजन को गलने मे 48 से 72 घटे लगते है।
● पर हम उसके उपर भी कुछ ना कुछ खाते रहते है। क्यों है न.?
● और ये गन्ध या टॉक्सिन्स शरीर में ही जमा होता रहता है और रिज़ल्ट या परिणाम स्वरूप वजन बढता ही चला जाता है।

*साथ ही वजन बढने के कुछ और भी कारण कारण हो सकते हैं जैसे...*
(1). शादी के बाद,
(2). बच्चा होने के बाद,
(3) किसी बीमारी के कारण,
(4). किसी गलत दवा के कारण,
(5). बैठने का काम करने की वजह से।
ऐसे ढेर सारे कारण है वजन बढ़ने के।

काफी लोग मार्केट में आ रही कई प्रकार की दवायें भी इस्तेमाल करते हैं जो ठीक नही होते है।
क्योंकि उस मे स्टेरॉयड्स भी हो सकता है जो आपका वजन तो कम कर देती है पर उसके साइड इफेक्ट बाद मे ही पता चलते हैं...
कुछ लोगों को वजन कम करने की ज्यादा जल्दी होती है, जो सही नही है।

*कारण...*
जो चीज काफ़ी मतलब चर्बी सालों से हमारे शरीर में पनप रही है उसको निकलने के लिए हमें थोड़ा समय तो देना चाहिये.?
*तो फिर... क्या करे.?*
हम आप के लिए लाये हैं बिल्कुल कुदरती तरीके से बनाया हुआ, चर्बी घटाने का एकदम कुदरती चूर्ण,
जिस से आपका वजन और आपकी चर्बी आराम से अपने आप कम हो जाएगा।

*इंग्रेडिएंट्स / घटक...*
*(1). सौंफ*
*(2). सनाया*
*(3). छोटी हरड़*
*(4). फूल गुलाब*
*(5). करी पत्ता*
*(6). अलसी*
*(7). जीरा*
*(8). देसी अजवाइन*

ये एकदम नेचुरल बिना किसी साइड इफेक्ट के घर की किचन में उपलब्ध वस्तुओं से बनाया हुआ है।

इस का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है मतलब कोई भी नुकसान नही है।
अब तक बहुत से लोगों का वजन कम किया है इस चूर्ण से।

*मात्रा*
सुबह, दोपहर
ब्रेकफास्ट, लंच से आधा घण्टे पहले और डिनर से आधा घंटे बाद, सलाह के अनुसार एक चम्मच एक गिलास गरम पानी के साथ।

*पूरा कोर्स 4 महीनें का*
*~कीमत ₹4400/~* *लेकिन अब ऑफर की कीमत सिर्फ ₹2500/-*

*
पेट्रोल और डीज़ल की कीमत बढ़ने से जड़ी बूटियों की कीमत बढ़ने से फैट-2-फिटनेस की भी कीमत बढ़ सकती है।