*धरती का अमृत फल "नोनी", जिसे अधिकांश हम भारतीय जानते ही नहीं हैं...*
नोनी फल वैसे तो किसी बीमारी का इलाज़ नहीं है लेकिन इससे कोई भी बीमारी बच नही सकती। चाहे वो बीपी हो, गठिया हो, हार्ट हो, स्किन एलर्जी हो, बुढापा सम्बंधित समस्याएं हो, नपुंसकता हो, मोटापा हो, ऐड्स हो या कैंसर ही क्यों न हो.!
नोनी रामबाण है।
■ नोनी फल आम लोगों के लिए जितना गुमनाम है, सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद। नोनी के रूप में वैज्ञानिकों को एक ऐसी संजीवनी हाथ लगी है।
■ पान-मसाला, गुटखा, तंबाकू खाने वाले अगर नोनी लें तो केन्सर नही होगा।
■ ताजा शोध के मुताबिक नोनी फल कैंसर व लाइलाज एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों में भी फायदेमंद है।
■ देश में वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन सहित कई शोध संस्थान शोध कर रहे हैं।
■ नोनी के इन रहस्यमयी गुणों का खुलासा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किया।
■ कृषि वैज्ञानिक नोनी को मानव स्वास्थ्य के लिए प्रकृति की अनमोल देन बता रहे हैं।
■ वैज्ञानिकों के अनुसार समुद्र तटीय इलाकों में तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, अंडमान निकोबार, मध्यप्रदेश सहित नौ राज्यों में 653 एकड़ में इसकी खेती हो रही है।
■ कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व चेयरमैन व वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. कीर्ति सिंह ने कहा कि इस फल में दस तरह के विटामिन, खनिज पदार्थ, प्रोटीन, फोलिक एसिड सहित 160 पोषक तत्व (माइक्रो न्यूट्रिएंट्स) हैं।
■ इतने पोषक तत्वों की वजह से उच्च रक्तचाप, हृदय, मधुमेह, गठिया, सर्दी जुकाम सहित अनेक बीमारियों ठीक हो जाती हैँ।
■ ये एंटी ऑक्सिडेंट और दुनियां का पहला नॉन स्टेरॉयड एंटी इंफ्लामेटरी ड्रग (NSAID) है।
■ ये अडॉप्टोजेन है जो हॉइ और लो बीपी को ठीक या बैलेंस कर देता है।
■ शुरू से इसका सेवन करने से कैंसर जैसी बीमारी भी नहीं होगी।
■ मोटापा, सुगर, अनिद्रा, गठिया, गैस, बदहज़मी, हाई एवम् लो बीपी को ठीक रखने में उपयुक्त।
■ उन्होंने बताया कि फाउंडेशन कैंसर व एड्स पर नोनी के प्रभाव का शोध कर रहा है।
■ मुंबई, बेंगलुर, हैदराबाद, चेन्नई सहित कई मेट्रो शहरों में भी दर्जनों कैंसर पीडि़तों को यह दिया जा रहा है, जिन्हें अस्पतालों ने डिस्चार्ज कर दिया था। नोनी देने से उनकी उम्र बढ़ गई।
■ कहते है कि नोनी के सेवन से कैंसर व एड्स पूरी तरह ठीक ही हो जाएगा, शोध जारी है।
■ नोनी की उपयोगिता को ध्यान रखकर ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि स्नातक पाठ्यक्रम में दो साल से नोनी को शामिल कर लिया है।
परिणाम नोनी फल की मात्रा और समयबद्धता से मिलते है, मिले हैं और मिलते रहेंगे। जरूरत आपकी इस फल के साथ आस्था की है।
इन सब तकलीफों के लिए हमारा बनाया हुआ सर्वोत्तम सर्वगुण सम्पन्न नोनी जूस लें जिसके 10ml में आपको मिलेगा...
2000mg नोनी
300mg अश्वगंधा
100mg गरसेनिया कम्बोजिया जो शरीर की किसी समस्या को हल करने में समर्थ है।
MRP ₹800/-
लेकिन आपको 25% डिस्काउंट के साथ मिलेगा सिर्फ ₹600/- में।
: *अगर हाई बीपी या उच्च रक्तचाप की समस्या हो तो, क्या करें.?*
आधा चम्मच मेथी दाना रात में कांच के गिलास में गर्म पानी में भिगोकर रखें और सुबह खाली पेट इन्हे चबाकर खाएं और ये पानी पी लें।
या
आधा चम्मच दालचीनी पाउडर को गर्म पानी से सुबह खाली पेट लें या शहद में मिलाकर ले।
या
गुड में मिलाकर।
या
एक कप लौकी का जूस जिसमे 5-6 पत्ते पुदीने, तुलसी, हरे धनिये,
सभी का रस निकाल कर सुबह खाली पेट पियें।
या
5-6 बेलपत्र के पत्तों को पत्थर पर पीसकर चटनी बना ले और आधा गिलास पानी में अच्छी तरह धीमी आंच पर पकाएं और फिर ठंडा करके पियें।
सुबह खाली पेट ये डायबिटीज पर काम करेगा।
या
अर्जुन की छाल आधा चम्मच आधा गिलास पानी में हल्की आंच पर पकाएं और आधा रहने पर ठंडा होने पर पियें।
सुबह खाली पेट ये ट्राईग्लिसाराईड और हृदय के ब्लोकेज को भी खोल देगा।
और जिनका दिल कमजोर है, वो पूरी सर्दियों अर्थात 2-3 महिने सेवन करें तो ये सब ठीक कर देता है।
अगर सामान्य लोग भी पियें, सर्दियो में 2-3 दिन बार तो यदि कोई ब्लोकेज शुरू भी हो रही होगी तो वो भी खुल जायेगी।
या
ये दोनो मे काम करेगा.!
● ताजा गौ मूत्र देसी गाय का (ध्यान रखें कि जिसका गौ मूत्र ले वो गर्भवती न हो)
● एक चौथाई कप सुबह खाली पेट सेवन करें तो
● ये उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप दोनो मे काम करेगा
● जोडों के दर्द, दमा,अस्थमा और वात, पित्त, कफ के बहुत सारे रोगों को दूर करेगा।
*सावधानी :-*
इनमें से एक बार में एक ही नुस्खा प्रयोग करना है तथा दवाई लेने के 1.5 घंटे तक कुछ भी सेवन न कर !
: *अगर भयमुक्त जीवन और निरोगी काया चाहते हैं.?*
*बीमार पड़ने के पहले, ये 10 नुस्खे अपनायें या ये काम करें क्योंकि सुखमय जीवन को केवल आयुर्वेद ही कर सकता है..!*
*(1)-* केंसर होने का भय लगता हो तो रोज़ाना कढ़ीपत्ते का रस पीते रहें!
*(2)-* हार्टअटेक का भय लगता हो तो रोज़ना अर्जुनासव या अर्जुनारिष्ट पीते रहिए!
*(3)-* बबासीर होने की सम्भावना लगती हो तो पथरचटे के हरे पत्ते रोजाना सबेरे चबा कर खाएँ...
*(4)-* किडनी फेल होने का डर हो तो हरे धनिये का रस प्रात: खाली पेट पिएँ!
*(5)-* पित्त की शिकायत का भय हो तो रोज़ाना सुबह शाम आंवले का रस पिएँ!
*(6)-* सर्दी-जुकाम की सम्भावना हो तो नियमित कुछ दिन गुनगुने पानी में थोड़ा सा हल्दी चूर्ण डालकर पिएँ!
*(7)-* गंजा होने का भय हो तो बड़ की जटाएँ कुचल कर नारियल के तेल में उबाल कर छान कर, रोज़ाना स्नान के पहले उस तेल की मालिश करें!
*(8)-* दाँत गिरने से बचाने हों तो फ्रिज और कूलर का पानी पीना बंद कर दें!
*(9)-* डायबिटीज से बचाव के लिए तनावमुक्त रहें, व्यायाम करें, रात को जल्दी सो जाएँ, चीनी नहीं खाएँ , गुड़ खाएँ!
*(10)-* किसी चिन्ता या डर के कारण नींद नहीं आती हो तो रोज़ाना भोजन के दो घन्टे पूर्व 20 या 25 मि. ली. अश्वगन्धारिष्ट ,200 मि. ली. पानी में मिला कर पिएँ!
किसी बीमारी का भय नहीं हो तो भी -
15 मिनिट अनुलोम - विलोम,
15 मिनिट कपालभाती,
12 बार सूर्य नमस्कार करें.!
स्वयं के स्वास्थ्य के लिए इतना तो करें!
स्वस्थ रहने के लिए धन नहीं लगता, थोड़ी स्फूर्ति, थोड़ी जागरूकता व थोड़ा परिश्रम लगता है।
*आप का और आप के परिवार का जीवन बचाना चाहते हैं तो यह पोस्ट जरूर पढे, वरना आपकी मर्जी...!*
सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई खाद्य पदार्थ है तो वह है... *रिफाइंड तेल*
केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष लगभग 20 से 25 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है...
*रिफाइंड तेल*
*आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहें हुए कथन सत्य हो ही गये...*
रिफाइंड तेल से *DNA डैमेज, RNA नष्ट, हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा, शुगर (डाईबिटीज), ब्लड प्रेशर, नपुंसकता, कैंसर*
*हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि हजार रोगों का प्रमुख कारण है।*
*रिफाइंड तेल बनता कैसे हैं.?*
बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी Impurities तेल में आती है, उन्हें साफ करने वह तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है।
*वाशिंग*
*Washing*
वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि सारी अशुद्धियां या Impurities इस बाहर हो जाएं।
इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाढ़ा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन गया है।
*Neutralisation*
*न्यूट्रलाइजेशन*
तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
*Bleaching*
*ब्लीचिंग*
इस विधी में P.O.P. {प्लास्टर ऑफ पेरिस} /पी.ओ.पी. यह मकान बनाने मे काम ली जाती है/ का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130°F पर गर्म करके साफ किया जाता है!
*Hydrogenation*
*हायड्रोजिनेशन*
एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पालीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं।
*निकेल* एक प्रकार का Catalyst या उत्प्रेरक metal (लोहा) होता है जो हमारे शरीर के Respiratory system, Liver, skin, Metabolism, DNA, RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है।
रिफाइंड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और एसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
जयपुर के प्रोफेसर श्री राजेश जी गोयल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लड़कर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाइंड तेल खाने वाला व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है!
*दिलथाम के अब पढ़िये...*
*हमारा शरीर 63 करोड़ कोशिकाओं से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुरानी कोशिकायें नई कोशिकाओं से Replace होते रहते हैं नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर खुन का उपयोग करता है,,*
*यदि हम रिफाइंड तेल का उपयोग करते हैं तो खुन मे टॉक्सिन्स या जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध आता है,*
*तो कई प्रकार की बीमारियां जैसे*
*कैंसर, डायबिटीज, हार्ट अटैक, किडनी समस्या,*
*एलर्जी, पेट में अल्सर, प्रीमैच्योर एजिंग, नपुंसकता, अर्थराइटिस, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर आदि हजारों बिमारियां होगी।*
रिफाइंड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, तो इसमे पाम आयल मिक्स किया जाता है! (पाम आयल स्वयं एक धीमी मौत है)
*सरकार का आदेश...*
हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है।
अमरीका का पाम खपाने के लिए, मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि,
प्रत्येक तेल कंपनियों को 40 %
खाद्य तेलों में पाम आंयल मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा!
इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पाम के कारण लोग अधिक बिमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99% बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली स्प्रिंग (पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला) , दो लाख रुपये की बिकती हैं,
यानी कि अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पाम भी उनका और दवाईयां भी उनकी!
*अब तो कई नामी कंपनियों ने पाम से भी सस्ता, गाड़ी में से निकाला काला आयल...*
*(जिसे आप गाड़ी सर्विस करने वाले के पास छोड आते हैं)*
*वह भी रिफाइंड कर के खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।*
सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही...
दलहन में...
मूंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।
तिलहन में...
तिल, सरसों, मूंगफली, नारियल, बादाम आदि आती है।
अतः सोयाबीन तेल, शुद्व पाम आयल ही होता है। पाम आयल को रिफाइंड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।
सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह,
प्रत्येक तरल पदार्थों को सोख लेता है,
पांम आंयल एक दम काला और गाढ़ा होता है,
उसमे साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पाम आयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है, आटा से सोया मुगौड़ी बनाई जाती है!
आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे!महनताना वह एक लाख रुपये भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि. सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही!
सूरजमुखी, चावल की भूसी (चारा) आदि के तेल रिफाईनड के बिना नहीं निकाला जा सकता है, अतः ये जहरीले ही है!
फॉर्च्यून.. अर्थात.. आप के और आप के परिवार के फ्यूचर का अंत करने वाला...
सफोला... अर्थात.. सांप के बच्चे को सफोला कहते हैं!
5 वर्ष खाने के बाद शरीर जहरीला
10 वर्ष के बाद.. सफोला (सांप का बच्चा अब सांप बन गया है.
15 साल बाद.. मृत्यु... यानी कि सफोला अब अजगर बन गया है और वह अब आप को निगल जायगा.!
पहले के व्यक्ति 90.. 100 वर्ष की उम्र में मरते थे तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती थी, क्योंकि उनकी सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती थी।
और आज... अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ ही देर में मर गया....?
उसने तो कल के लिए बहुत से सपने देखें है, और अचानक मृत्यु..?
अधूरी इच्छाओं से मरने के कारण.. प्रेत योनी मे भटकता है।
*राम नही किसी को मारता...*
*न ही यह राम का काम!*
*अपने आप ही मर जाते हैं....*
*कर कर खोटे काम!!*
गलत खान पान के कारण, अकाल मृत्यु हो जाती है!
*सकल पदार्थ है जग माही..!*
*कर्म हीन नर पावत नाही..!!*
अच्छी वस्तुओं का भोग..
कर्म हीन, व आलसी व्यक्ति संसार की श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकता।
तन, मन, धन और आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ कच्ची घाणी का तेल, तिल सरसों, मूंगफली, नारियल, बादाम आदि का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!
पौष्टिकता वर्धक और शरीर को निरोग रखने वाला सिर्फ कच्ची घाणी का निकाला हुआ तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!
आज कल सभी कम्पनी..
अपने प्रोडक्ट पर कच्ची घाणी का तेल ही लिखती हैं!
वह बिल्कुल झूठ है.. सरासर धोखा है!
कच्ची घाणी का मतलब है कि,, लकड़ी की बनी हुई, औखली और लकडी का ही मुसल होना चाहिए!
लोहे का घर्षण नहीं होना चाहिए। इसे कहते हैं.. कच्ची घाणी।
जिसको बैल के द्वारा चलाया जाता हो।
आजकल बैल की जगह मोटर लगा दी गई है।
लेकिन मोटर भी बैल की गति जितनी ही चले।
लोहे की बड़ी बड़ी एक्सपेलर (मशीनें) उनका बेलन लाखों की गति से चलता है जिससे तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वे लिखते हैं..
*कच्ची घाणी...*
इस पोस्ट को शेयर किजिए यह लोगों के प्राण बचाने की मुहिम हैं,अतः ज्यादा से ज्यादा अपनों तक पहुचायें और खुद भी अमल करें।
*💧जल ही जीवन है💧*
*पढ़े लिखे, ज्ञान से परिपूर्ण और झूंठी रईसत के चोंचले...*
*R.O. पानी का लगातार सेवन बनेगा मौत का कारण (WHO), अभी भी सम्हल जाइये वरना कहीं लेट न हो जायें...*
चिलचिलाती गर्मी में कुछ मिले या ना मिले पर शरीर को पानी ज़रूर मिलना चाहिए।
अगर पानी RO का हो तो, क्या बात है.!
*परन्तु क्या वास्तव में हम आर.ओ. के पानी को शुद्ध पानी मान सकते हैं ?*
*जवाब है बिल्कुल नहीं और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दिया है।*
WHO ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय सम्बन्धी विकार, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द आदि दुष्प्रभाव पाए गए हैं।
कई शोधों के बाद पता चला है कि इसकी वजह से कैल्शियम और मैग्नीशियम पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं जो कि शारीरिक विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं।
RO के पानी के लगातार इस्तेमाल से शरीर में विटामिन B-12 की कमी भी होने लगती है ।
वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 400 TDS तक सहन करने की क्षमता रखता है परन्तु RO कम्पनियों में तैनात अनपढ़ आर ओ इंजीनियरों द्वारा 18 से 25 TDS तक पानी की शुद्धता सेट की जाती है जो कि नुकसानदायक है।
इसके विकल्प में क्लोरीन को रखा जा सकता है जिसमें लागत भी कम होती है एवं पानी के आवश्यक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं जिससे मानव का शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं होता।
जहां एक तरफ एशिया और यूरोप के कई देश RO पर प्रतिबन्ध लगा चुके हैं वहीं पढ़े लिखे समझदार लोगों की वजह से भारत में RO की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, कारण हेमा मालिनी, आलोक नाथ और सचिन तेंदुलकर जो कर रहे हैं प्रचार और कई विदेशी कम्पनियों ने तो यहां पर अपना अड्डा बनाकर बड़ा बाजार बना लिया है।
इसलिए स्वास्थय के प्रति जागरूक रहना और जागरूक करना ज़रूरी हैं।
अब शुद्ध पानी के लिए नए अविष्कारों की ज़रूरत है।
याद रखें कि लम्बे समय तक R.O. का पानी, लगातार पीने से, शरीर कमजोर और बीमारियों का घर बन जाता है।
अत: प्राकृतिक (खनिज युक्त) पानी परम्परागत तरीकों से साफ कर के पीना, हितकर है जैसे कि घड़े का पानी।
*💧जल ही जीवन है💧*
: *एसीडिटी का रामबाण इलाज मिनटों में...*
*काला नमक से एसिडिटी और बदहजमी से..*
अगर आपको हमेशा एसिडिटी की समस्या होती है और एन्टासिड लेकर बोर हो गए हैं तो नैचुरल चीजों को ध्यान देने की ज़रूरत है,जो घर पर ही आसानी से मिल जायें।
कभी-कभी तो यह एन्टासिड एसिडिटी में काम भी नहीं करते हैं।
जब कुछ भी काम नहीं करता तब किचन में रखा काला नमक का डिब्बा बहुत काम करता है।
इससे एसिडिटी, बदहजमी और पेट फूलने की समस्या से आसानी से राहत पाया जा सकता है।
*काला नमक कैसे काम करता है.?*
*बदहजमी से बचाता है:*
काला नमक लीवर में एक प्रकार के बाइल का उत्पादन करने में मदद करता है जो हजम शक्ति को उन्नत करने के साथ-साथ भूख को बढ़ाता है। बायल में छोटी आंत में जो फैट और फैट-सोल्युबल विटामिन होते है उसको सोखकर बदहजमी होने से बचाता है।
*हार्टबर्न के कष्ट से राहत दिलाता है:*
आयुर्वेद में इसका बहुत इस्तेमाल होता है क्योंकि यह पेट में एसिड को संतुलित करके हार्टबर्न से राहत दिलाता है।
*पेट का फूलने और एसिडिटी के लक्षणों को कम करता है:*
काला नमक में सोडियम क्लोराइड, सल्फेट, आयरन, फेरिक ऑक्साइड आदि होते हैं जो एसिडिटी के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करते हैं। खाने के बाद काला नमक लेने से पेट हल्का रहता है।
*●शरीर में रक्त की वृद्धि होती है:*
काला नमक में जो आयरन होता है वह शरीर में ब्लड काउन्ट को बढ़ाकर एनीमिया से लड़ता है।
*कैसे इसका इस्तेमाल करें..?*
• आयुर्वेद के अनुसार काला नमक को अजवाइन के साथ पीसकर उसमें नींबू का रस मिलाकर लेने से एसिडिटी, हर्टबर्न, पेट का फूलना जैसे लक्षणों से राहत मिलती है। इसको खाने के बाद या सोने से पहले लेना अच्छा होता है।
• दही, रायता, सलाद या दूसरे सब्ज़ियों के ऊपर भी डालकर खा सकते हैं। अगर खाने बनाने में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो टेबल सॉल्ट और काला नमक को बराबर भागों में ले।
• खाने के बाद काला नमक चबा सकते हैं या एक चुटकी चाट भी सकते हैं।
*ये जिंदगी मिलेगी न दोबारा इसलिए.?*
*40+ स्त्री एवं पुरुषों के लिए..*
*प्रोडक्ट कोड 4/10/JAC100*
*"जीवन अमृत कैप्सूल"*
*सुखमय जीवन की जरूरत निरोगी काया है, ढेर सारी माया नहीं.?*
*इसके लिए सिर्फ अपनी इम्युनिटी या शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढायें।*
*STAY YOUNG FOREVER*
*40+ के बाद सुखमय, मस्त एवं निरोगी जीवन के लिए.. अपनायें...*
*प्रोडक्ट कोड 4/10/JAC100*
****************
*जीवन अमृत कैप्सूल*
****************
*40+ स्त्री एवं पुरुषों के लिये अद्भुत*
*_....जीवन में हम, उम्र (एजिंग) को धीमा तो कर सकते हैं लेकिन रोक नहीं सकते, ख़ास कर आधुनिक वातावरण में।_*
*आज के माहौल में 30 पार करते करते शरीर, सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण ओवर स्ट्रेस होना शुरू हो जाता है और हमारी इम्युनिटी कमजोर होना शुरू हो जाती है। जीवन बेरस होने लगने लगता है।*
*_मानसिक स्वास्थ्य तो उत्तम माना ही गया है किंतु शारीरिक स्वास्थ्य सर्वोत्तम आज के हालात में ज्यादा उचित लगता है।_*
*अगर आपकी उम्र साथ नहीं दे रही है या शरीर साथ नहीं दे रहा है चाहे आप पुरुष हैं या स्त्री तो..*
*जवानी में दोस्त...!*
*बुढ़ापे का हमसफ़र, प्राकृतिक इम्युनिटी बूस्टर..!!*
*"जीवन अमृत कैप्सूल"*
*(असर 30 दिन के अंदर)*
*क्या आप...???*
*क्या आप डॉक्टरों के चक्कर लगा लगा कर लुटे हुये महसूस करते हैं.?*
*क्या आप सारा दिन थके थके रहते हैं.?*
*क्या आपकी इम्युनिटी दिन ब दिन गिरती जा रही है?*
*क्या आपका शरीर आपका साथ नही देता.?*
*क्या आपको काम करने का दिल नही करता है.?*
*क्या आप शारीरिक रूप से अंदरूनी कमजोरी महसूस करते हैं..?*
*अपनाइये..*
*जीवन अमृत कैप्सूल*
*घटक*
*(1). शिलाजीत*
*(2). अश्वगंधा*
*(3). विदारीकंद*
*(4). कौंच बीज*
*(5). काली मूसली*
*(6). जायफ़ल*
*(7). स्वर्णमाक्षिक भस्म*
*(8). शतावरी*
*(9). सर्पगंधा*
*(10). गोखरू*
*(11). कुचला*
*(12). इलायची*
*(13). लौंग*
*ये शास्त्रोक्त है और शारीरिक कमजोरी के लिये सर्वोत्तम है।*
*रोग प्रतिरोधक क्षमता का अद्भुत बूस्टर है।*
*शरीरिक कमज़ोरी दूर करने वाला रामबाण उपाय है।*
*शरीर की इम्युनिटी को बूस्ट करके, अंदर की कमियों को जड़ से दूर करता है।*
*शारीरिक कमी या मर्दाना कमजोरी की वजह से मायूस रहते हैं क्योंकि पार्टनर के सामने इन्सल्टेड फील करते हैं।*
इन सब चीजों का प्रभाव आप किसी विद्वान से पूंछ सकते हैं।
*ये 100% स्टेरॉयड मुक्त है।*
अगर चाहें तो इन चीजों के बारे में गूगल में भी चेक कर सकते हैं।
*हमारा मकसद आपको स्वस्थ जीवन को अग्रसर करके जीवन की उन्मुक्तता को प्रदान करना है।*
*मूल्य:-*
*फुल कोर्स दो महीने के लिये मात्र ₹2500/- में*
*कोरियर खर्च मुफ्त*
*एक महीने (हाफ कोर्स) एक महीने के लिये...*
*कीमत ₹1300/-*
*डीज़ल पेट्रोल के रेट बढ़ने पर जड़ी बूटियों की कीमत बढ़ने से जीवन अमृत की भी कीमत बढ़ सकती है।*
*डोज़ (मात्रा):-*
*सुबह शाम एक एक कैप्सूल वीकली गैप के साथ (6 दिन के बाद एक दिन का गैप), नाश्ता और डिनर के बाद।*
: *जीवन रक्षक नेचर्स पंचतुलसी अर्क...*
*तुलसी मुख्यतः रूप से पांच प्रकार की पायी जाती है...*
*श्याम तुलसी,*
*राम तुलसी,*
*श्वेत/विष्णु तुलसी,*
*वन तुलसी और*
*नींबू तुलसी।*
*इन पांच प्रकार की तुलसी का अर्क निकाल कर पंचतुलसी का निर्माण किया जाता है।*
*तुलसी संसार की एक बेहतरीन*
*एंटी-ऑक्सीडेंट,*
*एंटी- बैक्टीरियल,*
*एंटी- वायरल,*
*एंटी- फ्लू,*
*एंटी-बायोटिक,*
*एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व*
*एंटी–डिजीज है।*
*(1). पंच तुलसी अर्क के एक बून्द एक ग्लास पानी में या दो बून्द एक लीटर पानी में डाल कर पांच मिनट के बाद उस जल को पीना चाहिए। इससे पेयजल विष और रोगाणुओं से मुक्त होकर स्वास्थवर्धक पेय हो जाता है।*
*(2). पंच तुलसी अर्क 200 से अधिक रोगो में लाभदायक है जैसे के फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, जुखाम, खासी, प्लेग, मलेरिया, जोड़ो का दर्द, मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, एलर्जी, पेट के कीड़ो, हेपेटाइटिस, जलन, मूत्र सम्बन्धी रोग, गठिया, दमा, मरोड़, बवासीर, अतिसार, दाद, खाज, खुजली, सर दर्द, पायरिया, नकसीर, फेफड़ो सूजन, अल्सर, हार्ट ब्लोकेज आदि।*
*(3). पंच तुलसी एक बेहतरीन विष नाशक है और शरीर से विष (toxins) को बाहर निकालती है।*
*(4). पंच तुलसी स्मरण शक्ति को बढ़ाता है और साथ ही साथ शरीर के लाल रक्त सेल्स (Haemoglobin) को बढ़ने में अत्यंत सहायक है।*
*(5). पंच तुलसी भोजन के बाद एक बूँद सेवन करने से पेट सम्बन्धी बीमारियां बहुत काम लगाती है।*
*(6). पंच तुलसी के 4–5 बूँदे पीने से महिलाओ को गर्भावस्था में बार बार होने वाली उलटी के शिकायत ठीक हो जाती है।*
*(7). आग के जलने व किसी जहरीले कीड़े के कांटने से पंच तुलसी को लगाने से विशेष रहत मिलती है।*
*(8). दमा व खाँसी में पंच तुलसी अर्क की दो बुँदे थोड़े से अदरक के रस और शहद के साथ मिलाकर सुबह– दोपहर– शाम सेवन करे।*
*(9). यदि मुँह में से किसी प्रकार की दुर्गन्ध आती हो तो पंच तुलसी की एक बूँद मुँह में डाल ले दुर्गन्ध तुरंत दूर हो जाएगी।*
*(10). दांत का दर्द, दांत में कीड़ा लगना, मसूड़ों में खून आना आदि में पंचतुलसी की 4–5 बूँदे पानी में डालकर कुल्ला करने से तुरन्त आराम मिलता है।*
*(11). सर दर्द, बालो का झड़ना बाल सफ़ेद होना व सिकरी आदि समस्याओं में पंचतुलसी की 8–10 बूंदे हर्बल हेयर आयल के साथ मिलाकर सर, माथे तथा कनपटियों पर लगाये।*
*(12). पंच तुलसी के 8–10 बूँदे नारियल तेल में मिलाकर शरीर पर मलकर रात्रि में सोये , मच्छर नहीं काटेंगे।*
*(13). कूलर के पानी में पंचतुलसी की 8–10 बूँदे डालने से सारा घर विषाणु और रोगाणु से मुक्त हो जाता है तथा मक्खी, मच्छर भी घर से भाग जाते है।*
*(14). पंचतुलसी में सुन्दर और निरोग बनाने की शक्ति है। यह त्वचा का कायाकल्प कर देती है। यह शरीर के खून को साफ करके शरीर को चमकीला बनती है।*
*(15). पंचतुलसी की दो बूँदे एलोवेरा जैल में मिलाकर चेहरे पर सुबह व रात को सोते समय लगाने पर त्वचा सुन्दर व कोमल हो जाती है तथा चेहरे से प्रत्येक प्रकार के काले धेरे, झाइयां, कील मुँहासे व झुरिया नष्ट हो जाती है।*
*(16). पंचतुलसी के नियमित उपयोग से कोलेस्ट्रोल का स्तर कम होने लगता है, रक्त के थक्के जमने कम हो जाते है व हार्ट अटैक और कोलैस्ट्रोल की रोकथाम हो जाती है।*
*(17). पंचतुलसी को एलोवेरा जेल में मिला कर लगाने से प्रसव के बाद पेट पर बनने वाले लाइने (स्ट्रेच मार्क्स) दूर हो जाते है।*
*हमारा पंचतुलसी अर्क*
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