आज के दिन दुनिया में मोहब्बत की असली दुकान शुरू हुई थी. एक ऐसा आदमी दुनिया में अवतरित हुआ जिसने पूरा जीवन सिर्फ प्यार के लिए दिया. बचपन में इतना प्यार बांटा कि मां ही नहीं गांव की दूसरी औरतें भी उसे दूध पिला दिया करती थीं. सबसे इतना जुड़ाव की उनका माखन चुरा ले उनके कपड़े छिपा दे तो भी उससे नफरत कभी किसी ने नहीं की.
मोहब्बत वाले इस देवता ने खुले दिल से प्यार बांटा गोपियां उसके प्यार की दीवानी थीं. राधा के साथ प्रेम तो ऐसा पींग चढ़ा कि अमर हो गया. बहन सुभद्रा को अर्जुन के साथ प्रेम हो गया तो बलदाऊ की नाराजगी का एहसास होते हुए भी उसे भाग जाने में मदद की.
आदमी तो छोड़िय़े पशुओं के लिए भी उसके दिल में खूब जगह थी. गाय हो या मोर इस मोहब्बत के देवता ने उन्हें हमेशा अपने दिल के करीब रखा.
वनस्पतियों से प्रेम के से जुड़े उनके अनगितन किस्से हैं. पेड़ों पर चढ़ना और कदंब के पेड़ों पर बांसुरी बजाने का कई स्थानों पर उल्लेख मिलता है. पूरे गोकुल में प्रेम का ऐसा संदेश दिया कि लोग दिन रात कन्हैया के लिए उतावले रहते. मां यशोदा के हृदय में प्रेम ऐसा उंडेला कि उनका वात्सल्य उच्चतम अवस्था तक पहुंच गया.
संगीत प्रेम का दूसरा दूसरा नाम है. कृष्ण इतना अच्छा संगीत अपनी मुरली से बजाते थे के लोग उसे सुनकर ही प्रेममय हो जाते थे.
सूरदास ने उद्धव और गोपियों का संवाद लिखा है. उद्धव तर्कवादी थे वो निराकार ब्रह्म के हामी थे. कृष्ण उन्हें गोपियों को समझाने भेजते हैं कि कृष्ण में मन न लगाएं. गोपियां उद्धव को प्रेम के समर्थन में जो तर्क देती हैं वो मोहब्बत का पूरा होलसेल है.
कृष्ण के प्रेम पर कुछ श्लोक हैं:
• “कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेममयो हरिः। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।”
• “मो उर में निज प्रेम अस, परिदृढ़ अचलित देहू। जैसे लोटन-दीप सों, सरक न ढुरक सनेहु॥”
• “कृष्ण प्रेम मयी राधा राधा प्रेम मयो हरिः । कृष्णस्य द्रविणं राधा राधायाः द्रविणं हरिः । कृष्ण प्राणमयी राधा, राधा प्राणमयो हरिः। कृष्ण द्रवमयी राधा, राधा द्रवमयो हरिः।”
श्रीमद्भगवदगीता में, श्री कृष्ण ने कहा है कि प्रेम का अर्थ किसी को पाना नहीं है, बल्कि उसमें खो जाना है। श्री कृष्ण कहते हैं कि हमें प्रेम में त्याग करना पड़ता है।
आज के दिन यही कृष्ण का संदेश है. प्रेम पाने और मांगने का नहीं. प्रेम हिसाब करने का नहीं. डूब जाने का, समर्पण का विषय है. प्रेम प्रेम है आज नफरत के माहौल में कृष्ण के संदेश की सबसे ज्यादा ज़रूरत है. जन्माष्टमी पर सभी को शुभकामनाएं- गिरिजेश वशिष्ठ
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