Tuesday, 5 December 2023

जनपद में लंबे पैमाने पर प्राइवेट अध्यापक रख करवाया जा रहा शिक्षण कार्य जनपद में चल रहा लंबा खेल, जिम्मेदार बेखबर*

*जनपद में लंबे पैमाने पर प्राइवेट अध्यापक रख करवाया जा रहा शिक्षण कार्य जनपद में चल रहा लंबा खेल, जिम्मेदार बेखबर*

अंबेडकरनगर
कहते है कि एक सच्चा शिक्षक वह होता है जो अपना सम्पूर्ण ज्ञान और क्षमता अपने शिष्य के भविष्य को निखारने में लगा दे।हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा में तेज गति से सुधार का आरम्भ किया है।शिक्षा में गाँवों की हालत बहुत ही खराब है। जबकिसरकारी स्कूलों में कोई फीस नहीं ली जाती, किताबें मुफ्त मिलती हैं, दोपहर का ताजा भोजन मिलता है, यूनीफार्म और वजीफा भी दिया जाता है। यह सब छोड़कर गाँव का गरीब अपने बच्चों को सरकारी स्कूल के बजाय फीस देकर प्राइवेट स्कूलों में भेजना चाहता है। यह शिक्षा विभाग के मुंह पर करारा तमाचा है।उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जिले में एक अजब-गजब मामला सामने आया है. मामला शिक्षा क्षेत्र कटेहरी के टिकरी ग्राम सभा के प्राथमिक विद्यालय का जहां पर मीडिया की पड़ताल में विद्यालय के सभी अध्यापक अनुपस्थित मिले विद्यालय में कार्यरत प्राइवेट अध्यापिका द्वारा प्रशिक्षण कार्य किया जा रहा था मीडिया से वार्ता के दौरान यह पता चला की उसे प्रशिक्षण कार्य की एवज में ₹1500 प्रतिमाह की दर से दिया जा रहा है जिसकी वीडियो मीडिया कर्मियों के कमरे में कैद है अध्यापक गांव में निकले हुए हैं और मौके पर अध्यापन कार्य प्राइवेट कर्मचारी द्वारा किया जा रहा है। कहीं प्राथमिक विद्यालय में यह खेल तो नहीं चल रहा है कि अपने स्थान पर प्राइवेट कर्मचारी रख शिक्षक का कार्य ले रहे हैं महीने में सिर्फ एक दिन स्कूल जाते हैं और पूरे महीने की हाज़िरी चढ़ाकर पूरी तनख्वाह ठसक से उठाते हैं. मजे की बात क्या है जब ग्रामीण क्षेत्रों में 1500 और ₹2000 में प्रशिक्षण कार्य करने के लिए अध्यापक उपलब्ध हो रहे हैं तो सरकारी विद्यालयों में एक लाख रुपये प्रतिमाह देने से सरकार को क्या फायदा यह मीडिया के लोग नहीं रहती यह जनपद की जनता कहते है। इस संदर्भ में बी. एस.ए. भोलेंद्र प्रताप सिंह से भी मीडिया कर्मी ने वार्ता कर अवगत कराया गया, उनके द्वारा यह कहा गया इस मामले की जांच कर उचित कार्यवाही की जाएगी। अब देखना या होगा कि उक्त मामले में जिम्मेदार अधिकारी लीपा पोती कर मामले को रफा दफा तो नहीं कर दिया जाएगा या दोषी व्यक्ति के ऊपर कार्यवाही करते हैं। गांव के कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा कहा गया प्राइमरी शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी अधिनियम 2005 और शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2005 से जोड़ा जा सकता है। इस प्रकार शिक्षित बेरोजगार भी काम पा जाएंगे।आजकल अध्यापक राजनीति में सक्रिय हो गए हैं और मोटी तनव्वाह के बावजूद वे अपना व्यवसाय करते हैं, कोचिंग चलाते हैं, खेती करते हैं और हड़ताल करते हैं और इन सब से समय बचा तो स्कूल चले जाते हैं । उनकी उपस्थिति का सत्यापन हो ही नहीं सकता शायद इसीलिए अध्यापक बायोमैट्रिक अटेंडेंस का विरोध भी कर रहे हैं की वास्तविकता का पता चल जाएगा की शिक्षक विद्यालय में आया है या नहीं। कुछ लोगों द्वारा यह भी बताया गया जनपद में यह खेल लंबे पैमाने पर चल रहा है सरकारी अध्यापक अपने स्थान पर प्राइवेट टीचर 2000 से ₹5000 देकर शिक्षक का कार्य करवा रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारी मूक दर्शक बने बैठे हुए हैं।

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